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03 सितंबर 2012

शादी से इंकार : 5 की हत्या कर खुद को गोली मारी


 

नई दिल्ली. एकतरफा प्यार के जुनून में रवि (22) ने सोमवार को अपनी प्रेमिका सहित पांच लोगों की जान ले ली। वारदात को अंजाम देने के बाद उसने खुद को भी गोली मार ली। उसने दो महिलाओं समेत तीन की हत्या दिल्ली के बिंदापुर इलाके में की जबकि बाकी दो हत्याएं दिल्ली से सटे गाजियाबाद के ईशापुर गांव में की। ईशापुर में ही आरोपी ने खुद को भी गोली मार कर जान दे दी।


रेनू (25) अपने पति नवीन के साथ बिंदापुर स्थित संजय एन्क्लेव में एक किराए के मकान में दूसरी मंजिल पर रहती थी। नवीन पेशे से कैब चालक है। दोनों की कोई संतान नहीं है। पुलिस के मुताबिक नवीन का चचेरा भाई रवि (22) बीते दो दिन से नवीन के घर पर ही ठहरा हुआ था। सोमवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे जब नवीन काम पर जा चुका था। रवि ने भाभी से उनकी छोटी बहन बेबी (17) से अपनी शादी कराने का प्रस्ताव रखा। पुलिस सूत्रों के मुताबिक भाभी द्वारा इसके लिए असहमति जताने पर रवि भड़क गया और रेनू को गोली मार दी। उसी समय ऊपर आई मकान मालकिन शीला (55) को भी उसने गोली मार दी।
वारदात के अंजाम देने के बाद लोगों ने रवि को एक सैंट्रो कार में मौके से फरार होते हुए देखा। दोनों घायलों को तुरंत दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान पहले रेनू की मौत हो गई। बाद में शीला ने भी दम तोड़ दिया। शीला दो बेटे और एक बेटी के साथ रहती थी। शाम में रवि के कमरे में पलंग के नीचे एक और शव मिला। पुलिस के मुताबिक, यह शव नवीन का हो सकता है।
दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त एके ओझा ने बताया कि इस हत्याकांड की तह तक जाने के लिए पुलिस ने विभिन्न टीमें बनाकर अभी जांच शुरू ही की थी कि दोपहर ढाई बजे उन्हें सूचना मिली कि आरोपी रवि ने गाजियाबाद के ईशापुर गांव में रेनू के पिता हरेंदर (45) और छोटी बहन बेबी (17) की भी गोली मारकर हत्या कर दी। इतना ही नहीं, चार घंटे के भीतर पांच हत्याएं करने के बाद रवि ने खुद को भी गोली मारकर अपनी जान ले ली। ओझा के मुताबिक, एक टीम को जांच के लिए गाजियाबाद भेज दिया गया है। वहीं, गाजियाबाद के एसपी देहात जगदीश शर्मा ने बताया कि मौके से दो तमंचे व कई जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं।

पत्‍नी को घरेलू कामकाज के लिए देनी होगी सैलेरी !




नई दिल्ली। महिला सशक्तीकरण की दिशा में केंद्र सरकार एक और महत्वपूर्ण पहल करने जा रही है। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय की यह कोशिश अगर परवान चढ़ी तो बहुत जल्द आपको पत्नी को घरेलू कामकाज के लिए प्रतिमाह वेतन का भुगतान करना पड़ेगा। मंत्रालय में इस प्रस्ताव का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। जल्द ही कैबिनेट में भी इसे पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव के कानून बनते ही हर पति को अपने पत्नी को हर महीने एक तय तनख्वाह देनी कानूनन अनिवार्य हो जाएगा।
यह जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने दी। उन्होंने कहा, 'सरकार एक ऐसा कानून लाने की सोच रही है, जिसके तहत हर पुरुष को अपनी तनख्वाह से एक तय प्रतिशत राशि पत्नी को अदा करना होगा। इसके लिए सरकार एक मानक भी तय करेगी। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस बाबत अपनी तैयारी शुरू कर दी है।' उनके मुताबिक, प्रारूप बनाने के बाद अगले छह महीने के भीतर इसे कानून बनाने के लिए संसद में पेश करने की योजना भी है।
महिला सशक्तीकरण के लिए जरूरी : कृष्णा तीरथ का कहना है कि देश में लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं शादी के बाद घर-गृहस्थी संभालने में लग जाती हैं। लेकिन इससे उन्हें कोई निश्चित आय नहीं होती। इसकी गंभीरता का अहसास तब होता है जब किसी कारणवश तलाक होने या पति की मृत्यु के बाद महिला के पास अपने गुजर-बसर के लिए कुछ नहीं रह जाता।
कृष्णा तीरथ का कहना है कि यह कदम महिला सशक्तीकरण के लिए उठाया जा रहा है। मकान या प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में महिलाओं के लिए छूट की योजना प्रचलित हो गई है। ठीक इसी तरह इसे भी लागू कराने की कोशिश होगी।
हर महीने पत्नी के नाम से जमा करना होगा पैसा
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए कानून के मसौदे के अनुसार, सभी पुरुषों को अपने मासिक वेतन का 10-20 प्रतिशत हिस्सा पत्नी को बतौर तनख्वाह अदा करने की योजना है। इसके तहत एक बेलदार मजदूर से लेकर टॉप कंपनियों में काम करने वाले एक्जीक्यूटिव तक सभी शामिल होंगे। पुरुषों को अपनी पत्नी के लिए बैंक में खाता खुलवाना होगा और हर महीने तय रुपए जमा कराने होंगे। इस खाते से सिर्फ खाताधारक ही पैसे निकाल सकेगी।
विशेषज्ञों की राय
महिला अधिकारों पर काम करने वाली सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील बृंदा ग्रोवर का कहना है कि सरकार अगर पति की संपत्ति में पत्नी को बराबर की हिस्सेदारी दिलाए तो कहीं ज्यादा बेहतर हो। तनख्वाह दिलाने का प्रस्ताव बेहतर सुनाई दे रहा है, लेकिन इससे पति के मालिक और पत्नी को नौकरानी करार देने जैसा भी प्रतीत हो रहा है। महिला सशक्तीकरण पर काम करने वाली लेखिका सादिया देहलवी का कहना है कि अगर सरकार इस प्रस्ताव में 'तनख्वाह' के बजाए किसी अन्य शब्द का इस्तेमाल करे तो बेहतर है। इसके अलावा सरकार पति को पत्नी के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट या पॉलिसी जैसे तरीकों से भी हिस्सेदारी दे तो महिलाओं को कहीं ज्यादा सामाजिक सुरक्षा मिल पाएगा।

कुरान का संदेश

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