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04 सितंबर 2012

यह कैसा चमत्कार? पत्थर से निकलती है अजीबोगरीब आवाज,



 

इंदौर। इंदौर से उज्जैन जाते समय धर्मपुरी के पास रिज्नोदिया गांव पड़ता है। यहां की भवानी टेकरी पर भवानी माता का प्राचीन मंदिर है। इसके ठीक पीछे एक बड़ा पत्थर है जिसमें दूसरे पत्थर से टक्कर मारने या उसे ठोकने पर लोहे या पीतल की धातु से बने बर्तन जैसी आवाज निकलती है। गांव वाले इस पत्थर को सिद्ध पत्थर मान चुके हैं।

कहते हैं अंग्रेजों के समय इस टेकरी को सिद्ध टेकरी मानकर छोड़ दिया गया था। यहां अक्सर आने वाले अजय जैन बताते हैं कि पत्थर से इस तरह की आवाज निकलना गांव वालों के साथ ही यहां आने वालों के लिए आश्चर्य का विषय है। इसी के चलते यह पहाड़ी सिद्ध टेकरी के तौर पर जानी जाने लगी है।

लोगों ने तो यहां पहाड़ी पर छोटे पत्थरों से घर बनाकर मन्नतें मांगना तक शुरू कर दिया है। मालवा में इस तरह के पत्थर नहीं पाए लेकिन देश के कुछ हिस्सों में इस तरह के पत्थर बहुत मिलते हैं। यह वीडियो आपतक पहुंचाने के लिए हमारे रिपोर्टर अविनाश रावत खुद उस स्थान पर गए और वीडियो बनाया।

समाज विरोध करता रहा और गुर्जर की छोरी ने आखिर कर ही दिया कमाल!



कसार/कोटा.एक बेटी ने सामाजिक बुराइयों तथा पुरानी रूढ़ियों को पीछे छोड़ते हुए नई पहल की है। परिवार की सबसे छोटी बेटी ने पिताजी की मौत के बाद बाकायदा बेटे की तरफ पगड़ी पनकर सभी को चौंका दिया।

कोटा जिले के दरा गांव में गुर्जर समाज की इस बेटी को पुरानी प्रथा को समाप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह अडिग रही। लंबी जद्दोजहद के बाद रिश्तेदारों तथा समाज को बेटी की बात माननी पड़ी। बेटी का कहना था कि पिताजी के बाद वह परिवार की सारी जिम्मेदारी बेटे की तरह निभाना चाहती है।

दरा निवासी छोटूलाल गुर्जर (80) के कोई बेटा नहीं था। उन्होंने दोनों बेटियों को बेटे की तरह प्यार दिया। बड़ी बेटी रामजानकी (42) तथा छोटी बेटी भूलीबाई (40) की शादियां हो चुकी है। दोनों बेटियों की शादी के बाद भी उनका पिता के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। भूलीबाई ने तो ससुराल व पीहर का बराबर ध्यान रखा।

पिताजी की बीमारी के समय भूलीबाई ने उनकी बेटे की तरह देखभाल की। पिता छोटूलाल भी मरने से पहले छोटी बेटी को पगड़ी पहनाने के पक्ष में थे। उन्होंने भूलीबाई को कहा था कि चाहे कुछ भी हो, तुम्हें सारी प्रथाओं को तोड़कर पगड़ी पहननी होगी। तब ही मेरी आत्मा को शांति मिलेगी। पिताजी की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए भूलीबाई को पगड़ी रस्म के दौरान विरोध सहना पड़ा, लेकिन वह नहीं मानी।

रिश्तेदारों तथा समाजबंधुओं को बड़ी बेटी रामजानकी तथा पूर्व सरपंच देवीशंकर गुर्जर ने समझाया। लंबी बातचीत के बाद उनको बेटी की जिद के आगे झुकना पड़ा। पढ़ी-लिखी न होने के बावजूद भूलीबाई एक मिसाल कायम कर पढ़े-लिखे लोगों को नई सीख दी है। भूलीबाई ने भास्कर को बताया कि भले ही वह शिक्षित नहीं है, लेकिन पिताजी ने उसे संस्कार दिए हैं। मैं चाहती हूं कि समाज के अंदर की बुराइयां समाप्त होनी चाहिए। इसके लिए किसी को तो आगे आना ही होगा।

घुटने से निकले इतने स्टोन, सुनकर आप भी रह जाएंगे हैरान!



 

जयपुर.घुटनों के जोड़ में एक या दो पथरी होने पर ही तकलीफ असहनीय होती है, पर सोचिए यदि किसी व्यक्ति के घुटने में 376 पथरी हों तो उसकी क्या हालत होगी। शहर के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने किशनगढ़ निवासी सुनील के बाएं घुटने से दो घंटे तक चले ऑपरेशन में दाल से लेकर चने के आकार की 376 पथरी निकालकर दर्द से निजात दिलाई है।

संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ.आशीष शर्मा ने बताया कि दूरबीन के जरिए ऑपरेशन के बाद अब मरीज बिना दर्द के चल सकेगा। जोड़ो में पथरी होने की दुर्लभ और विचित्र बीमारी को कॉडोकेल्सिनोसिस के नाम से जाना जाता है। इससे घुटने की झिल्ली में कैल्शियम जम जाता है। कुछ समय बाद आकार दाल या चने के बराबर हो जाने के बाद अलग होकर पथरी बन जाती है।

डॉ.शर्मा ने बताया हालांकि निश्चित कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। लेकिन यूरीन में एल्केप्टॉन बॉडीज की उपस्थिति से भी हो सकता है।

...तो पैसे देकर क्यों नहीं खरीदते सेक्स?



'मेरा स्टेशन आ गया था और मैं मेट्रो का दरवाजा बंद होने से पहले बाहर निकलने की जद्दोजहद कर रही थी। एक पुरुष ने मेरा टॉप खींच दिया जिससे करीब 15 सेकेंड तक मेरे वक्ष दिखते रहे और इसी बीच किसी ने मेरे पिछले हिस्से को दबोच लिया। जैसे तैसे मैं मेट्रो के बाहर आ गई। प्लेटफॉर्म पर पहुंचते ही मैं उन 5-6 लोगों पर जोर से चिल्लाई जो दरवाजे पर खड़े थे। मैंने उन्हें वो गालियां दी जो शायद ही कोई भारतीय लड़की देने की सोचे। लेकिन मेरे लिए सबसे दुखदायी उन पुरुषों की प्रतिक्रिया थी। वो मुझे घूरते हुए हंसते रहे। वो हंसते रहे और मेरा गुस्सा बढ़ता गया। मैं हमेशा सोचा करती थी कि यदि कभी मेरा सामना ऐसे लोगों से हुआ तो मैं पीट-पीट कर उनका बुरा हाल कर दूंगी लेकिन उस वक्त मैं सिर्फ उन्हें देख रही थी। मेरी गालियां भी उन्हें हंसाने का जरिया ही बनकर रह गई थीं।' यह आपबीती है दिल्ली विश्वविद्यालय की एक लड़की की। उसने दिल्‍ली मेट्रो में सफर के दौरान अपने साथ घटी घटना अपने ब्लॉग पर बयां की है।

लड़की ने आगे लिखा, 'यदि दिल्ली के पुरुषों की कुंठा इतनी अधिक बढ़ गई है तो उन्हें वहां जाना चाहिए जहां सेक्स पैसे देकर मिल जाता है। मेरा शरीर मेरा अपना है और मैंने किसी पुरुष को इसे छूने का अधिकार नहीं दिया है। यह लेख सिर्फ मेरे बारे में नहीं है, यह उस मनोवैज्ञानिक चोट के बारे में है जिसके साथ अब मुझे जीवन भर जीना पड़ेगा। किस तरह रोज ऐसी ही घटनायें घटती हैं और कोई उन पर बात तक करना पसंद नहीं करता। मैं नहीं जानती की यह लिखकर कुछ बदलेगा या नहीं लेकिन यह जरूर जानती हूं कि बहुत सी चीजों से मेरा विश्वास टूट गया है।'

यह आपबीती दिल्ली और देश के दूसरे शहरों में पब्लिक ट्रांस्पोर्ट से सफर करने वाली लाखों महिलाओं की आपबीती है। बाकी खामोशी से सह लेती हैं, लेकिन इस लड़की ने सबको बताने का साहस दिखाया है और पुरुषों को आईना भी दिखाया है। उसने बताया है कि उसके साथ इतना सब कुछ होने के बावजूद सारे यात्री खामोश रहे। न ही किसी ने उसकी मदद की कोशिश की और न ही पुलिस को घटना की जानकारी देना बेहतर समझा।

कुरान का संदेश

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