आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

05 सितंबर 2012

जो बीवी से नहीं डरता ऐसे मर्द ही नहीं मिल रहे भाई

दोस्तों  हमारे आबिद अब्बासी एडवोकेट जी एक हाथ में गुलाब के फूल  और एक हाथ में घोड़े अलग अलग रंगों के यह सोच कर निकले के जो भी जोरू का गुलाम होगा उसे तो एक  फूल दे देंगे और जो जोरू से डरने वाला नहीं होगा उसे उसकी पसंद का घोड़ा मिलेगा बस क्या था ..आबिद भाई ने एक ट्रक तो  फूल से भरा और दो तीन काले ...सफेद ....लाल घोड़े लेकर चल दिए ..थोड़ी दूर पर ही चलते चलत सो दो सो लोग मिले मोहिनुद्दीन काजी रईस भाई मिले ..मुनव्वर भाई मिले ....अतुल कनक.जी .दिनेश राय जी द्विवेदी जी  सतीश जी सक्सेना साहब से  मिले ..चाँद शेरी जी मिले ..धीरज भाई गुप्ता तेज मिले सभी ने स्वीकार किया के भाई जोरू  की गुलामी में जो सुख है किसी में नहीं और कोन है जो बीवी से नहीं डरता खेर सभी को  फूल दिए जाते रहे आखिर में कय्यूम भाई पठान पत्रकार जी मिले उनसे जोरू की गुलामी के बारे में सवाल पूंछा तो वोह बहुत नाराज़ हुए कहने लगे   वाह जोरू से भी कोई डरा जाता है ...ओरत को तो अपनी मर्जी से काम करना होता है मर्द कभी ओरत का गुलाम नहीं हो सकता ...यही बात अतीक भाई विज्ञाननगर वालों ने भी दोहराई खेर आबिद भाई बहुत खुश हुए सोचा के चलो असली मर्द जो ओरतों से नहीं डरते है उनके कहने पर नहीं चलते है की खोज पूरी हुई और कयूम  भाई अतीक भाई से मन पसंद घोडा ले जाने को कहा एक कय्यूम भाई  ने तो सफेद घोडा पसंद किया और अतीक भाई ने   काला घोडा पसंद किया .आबिद भाई बहुत खुश थे सोच रहे थे चलो अपनी खोज पूरी हुई कोई तो ऐसा है जो बीवी से नहीं डरता जोरू का गुलाम नहीं है ..लेकिन यह क्या थोड़ी सी ही देर में अतीक भाई और कय्यूम भाई अपने अपने घोड़े लेकर आ रहे है अतीक भाई ने तो कहा के आबिद भाई सफेद घोडा  नहीं मिल सकता क्या और कय्यूम भाई ने कहा के कला घोडा नहीं मिल सकता क्या ....यह सुनकर आबिद भाई ने दोनों से सवाल क्या के भाई आप तो अपनी पसंद से चुन कर घोड़े ले गए थे फिर यह सोच में बदलाव क्यूँ ..अतीक भाई कय्यूम भाई का जवाब था के भाई हम घर गए बीवी को आवाज़ दी और घोड़े बताये तो कयूम भाई जो सफ़ेद घोडा ले गए थे उनकी बीवी ने कहा के जब घोड़े ही ला रहे थे तो कला घोड़ा लाते न यह तो सफेद है गंदा हो जाएगा ..और अतीक भाई की बीवी ने भी कहा के जब घोडा ला ही रहे थे तो सफ़ेद घोडा लाते ना थोडा देखने में खुबसूरत लगता है ......बस फिर क्या था आबिद भाई समझ गए के यह दोनों भी बीवियों के ही कहने में है और दोनों घोड़े वापस लेकर उनके हाथों में जोरू के गुलाम वाले गुलाब थमा दिए और बीवियों से नहीं डरने वालों को दिए जाने वाले घोड़े आज भी घर पर बंधे है और बड़े होते जा रहे है लेकिन कोई इनका हकदार मिलता ही नहीं ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अमेरिका की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर सुनाई देगी ‘तेजाजी गाथा’


 

कोटा. हाड़ौती सहित राज्य के विभिन्न अंचलों में लोकप्रिय ‘तेजाजी गाथा’ अब अमेरिका की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर दुनियाभर में सुनाई देगी। यूनिवर्सिटी के ‘द वल्र्ड ओरल ल्रिटेचर प्रोजेक्ट’ के तहत कोटा हेरिटेज सोसायटी को तेजाजी गाथा पर रिसर्च करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। रिसर्च पूरा होने के बाद यूनिवर्सिटी ने इसे अपने वेब पोर्टल 222.ष्ठस्श्चड्डष्द्ग.ष्ड्डद्व.ह्वद्म पर अपलोड कर दिया है। 20 घंटे की तेजाजी गाथा का ऑडियो भी इसमें शामिल हैं।
ठीकरदा के कलाकारों को श्रेय
प्रोजेक्ट के मदन मीणा ने बताया कि बूंदी जिले के ठीकरदा गांव के लोक कलाकारों ने तेजाजी गाथा को पारंपरिक तरीके से गाया है। तेजाजी की गायकी सहित अन्य लोकगीत सुनाए हैं।
हमें यह फायदा
विदेशी टूरिस्ट वेब पोर्टल पर तेजाजी के लोकगीत सुनकर आकर्षित होंगे। यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है। जिससे यहां टूरिज्म बढ़ेगा। यहां के लोक कलाकारों को विदेशों से भी न्यौता मिल सकता है।
यूनिवर्सिटी को यह लाभ
दुनियाभर की मौखिक बोलियों पर रिसर्च करने वाले स्कॉलर इस लोक गायकी पर शोध कर सकेंगे। इससे उन्हें राजस्थान की पारंपरिक लोक संस्कृति को समझने का मौका मिलेगा।
पहली बार मिला मौका
यूनिवर्सिटी ने मौखिक बोली के संरक्षण के लिए कोटा हैरिटेज सोसायटी को यह प्रोजेक्ट सौंपा था। सोसायटी की विक्टोरिया सिंह एवं मदन मीणा ने हाड़ौती के 25 गांवों में तेजाजी गाथा पर रिसर्च करके इसे तैयार किया।
448 पेज की पुस्तक ऑनलाइन
यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर 448 पेज की पुस्तक को भी ऑनलाइन किया है। हिंदी व हाड़ौती भाषा में तेजाजी गाथा का जिक्र किया है। पुस्तक में कलाकारों के फोटोग्राफ, मंदिरों में पूजा-भोपा के हाव-भाव व तेजाजी के थानकों का जिक्र किया है।

पाकिस्तान से निकाले हुए ये लोग अब ज़ल्द ही कहलायेंगे हिन्दुस्तानी!



बाड़मेर/जोधपुर.हिंदुस्तानी बनने की खातिर आए पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता मिलने की आस जगी हैं। सात साल से भारतीय नागरिकता का इंतजार कर रहे परिवारों की मुरादें अब जल्द ही पूरी होगी। केंद्र सरकार ने समूचे प्रदेश में रह रहे पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने को हरी झंडी दे दी है। यह प्रक्रिया अगले सप्ताह शुरू होगी।

इस प्रक्रिया से राज्य के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर व गंगानगर समेत विभिन्न जिलों में दशकों से नागरिकता की बाट जोह रहे लोगों की उम्मीदों को पंख लगे हैं। पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने की यह प्रक्रिया सात साल बाद शुरू होने जा रही है।
पहले वर्ष 2004 में शिविर लगाकर लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई थी। इसके बाद वर्ष 2005 में पाक विस्थापितों से आवेदन मांगे गए। किन्हीं कारणों के चलते प्रक्रिया रोक दी गई। हाल ही केंद्र सरकार ने यह प्रक्रिया फिर शुरू करने का निर्णय लिया। सरकार ने प्रशासन से प्रभावित व्यक्तियों के आवेदन ऑनलाइन भेजने को कहा है।
यह तय किया है कि चूंकि सभी व्यक्ति सात साल पहले ही आवेदन व दस्तावेज जमा करा चुके हैं। ऐसे में उनसे दोबारा आवेदन नहीं लिए जाएंगे।
इसके बजाय तहसीलों से संबंधित बाबू को आवेदन व दस्तावेजों के साथ बुलाया जाएगा और आवेदनों की ऑनलाइन फीडिंग कराई जाएगी। यह काम 12 सितंबर से शुरू होगा और 14 सितंबर तक चलेगा। कर्मचारियों को दस्तावेजों के साथ बुलाया गया है।
सभी कर्मचारी मुख्यालय स्थित सूचना विज्ञान केंद्र (निक) कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन भराएंगे। लंबे इंतजार के बाद नागरिकता की प्रक्रिया शुरू होने से सरहदी जिलों के सैकड़ों विस्थापितों की हिंदुस्तानी बनने का सपना साकार होगा।
यह होगा फायदा
भारतीय नागरिकता मिलने से इन व्यक्तियों को भारतीय नागरिक का दर्जा मिल जाएगा। इनके राशन कार्ड, मतदाता पहचान-पत्र, पासपोर्ट, आधार कार्ड सहित तमाम सरकारी दस्तावेज बन सकेंगे, साथ ही ये व्यक्ति सरकार की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
ऑनलाइन होगी प्रक्रिया
केंद्र सरकार ने फर्जीवाड़ा रोकने व पूरी प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इस बार सारी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है, यानि आवेदन से लेकर रिपोर्ट भेजने तक का सारा काम ऑनलाइन होगा। सरकार आवेदनों की जांच करके भारतीय नागरिकता जारी करेगी, फिर प्रशासन नागरिकता के प्रमाण-पत्र संबंधित व्यक्तियों तक पहुंचाएगा।
'केंद्र सरकार ने पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने के निर्देश दिए हैं। इनके आवेदनों की ऑनलाइन फीडिंग करके सरकार को भेजी जाएगी।'
-डॉ. वीणा प्रधान कलेक्टर बाड़मेर।

चीनी रक्षा मंत्री ने तोड़ा प्रोटोकॉल, भारतीय पायलटों को दिए 50-50 हजार



 

 
नई दिल्‍ली. भारत दौरे पर आए चीन के रक्षा मंत्री जनरल लियांग गुआंग ली ने प्रोटोकॉल का उल्‍लंघन करते हुए भारतीय वायु सेना के दो पायलटों को 50-50 हजार रुपये नकद दिए हैं।

सूत्रों के मुताबिक ये पायलट एयरफोर्स के विशेष विमान से जनरल लियांग को मुंबई से नई दिल्‍ली लाए थे। चीनी रक्षा मंत्री ने इन पायलटों को गिफ्ट वाले दो लिफाफे दिए। जब ये लिफाफे खोले गए तो इनमें एक लाख रुपये नकद थे।

विमान के कैप्‍टन ने एयरफोर्स हेडक्‍वार्टर को इस बारे में सूचित किया। इसके बाद फैसला किया गया कि इस राशि को तोशाखाना (सरकारी खजाने) में जमा किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि चूंकि यह मसला बेहद संवेदनशील है, इसलिए यह रकम चीनी रक्षा मंत्री को लौटाई नहीं जा सकती है।

एयरफोर्स के अधिकारियों का कहना है कि जब कोई इंडियन डिग्निटेरी इस एयरक्राफ्ट पर विदेश की सैर करते हैं तो विमान के चालक दल को मोमेंटो के तौर पर टाई और अन्‍य छोटे गिफ्ट भेंट करते हैं।


चीन के किसी मंत्री द्वारा प्रोटोकॉल तोड़े जाने की यह पहली घटना नहीं है। 1991 में चीन के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ली पेंग ने भारतीय खुफिया ब्‍यूरो के एक अधिकारी को एक लिफाफा दिया था जिसमें 500 रुपये निकले। यह अधिकारी चीनी प्रधानमंत्री का लाइजन ऑफिसर था। हालांकि उस वक्‍त इस राशि को तत्‍काल ही चीनी दूतावास को लौटा दिया गया था।

पांच दिनों के भारत दौरे पर आए जनरल गुआंग रविवार को मुंबई पहुंचे थे। रक्षा मंत्रालय ने चीनी रक्षा मंत्री को देश में घूमने के लिए यह विशेष विमान मुहैया कराया था। चीनी रक्षा मंत्री ने ए के एंटनी का इस आवभगत के लिए शुक्रिया अदा किया।

कुरान का संदेश

संसदीय सचिव के स्वप्न में आए भगवान, ऐसा क्या कह गए कि देना पड़ा इस्तीफ़ा!



 

जयपुर.संसदीय सचिव राजेंद्र सिंह विधूड़ी ने सरकार पर गुर्जरों को आरक्षण देने में बेवजह ढिलाई बरतकर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मंगलवार को पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेजा और सरकारी वाहन व स्टाफ भी लौटा दिया। मुख्यमंत्री ने देर रात तक इस्तीफा मंजूर नहीं किया था।

इस्तीफा भेजने के बाद अपने निवास पर मीडिया से बातचीत में विधूड़ी ने कहा कि भाजपा सरकार की तरह कांग्रेस सरकार भी आरक्षण पर गुर्जरों को धोखा दे रही है। अब तक न तो आरक्षण दिया और न ही देवनारायण बोर्ड का गठन किया गया है। सरकार कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला सहित ऐसे आंदोलनकारियों से समझौता करती है जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। गुर्जर समाज के साथ राजनीतिक और प्रशासनिक भेदभाव हो रहा है। समाज की लड़ाई लड़ने के लिए इस्तीफा दिया है और किसी भी कीमत पर वापस नहीं लूंगा।

भगवान देवनारायण ने सपने में ऐसा करने को कहा

बिधूड़ी ने कहा- मेरे सपने में सोमवार रात भगवान देवनारायण आए और कहा कि मेरी झूठी कस्में खाकर जिन नेताओं ने समाज से धोखा किया, उन सबको मैंने हरवा दिया। भोली भाली कौम के साथ अन्याय हो रहा है।

तुम उठो और पद त्यागकर अपनी कौम का साथ देने के लिए मैदान में उतरो। भगवान देवनारायण के साथ मुझे उनकी माता साढू मां के दर्शन भी हुए और उन्होंने भी मुझे समाज के हक की लड़ाई जीतने का आशीर्वाद दिया। इसके बाद मेरी नींद खुल गई, इसके बाद तुरंत उठा और इस्तीफा लिखकर रात में ही मुख्यमंत्री को भिजवा दिया।

समाज के हितैषी हैं तो इस्तीफा दें डॉ. जितेंद्र और कसाना :

उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय 2003 में डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुर्जर आरक्षण का विरोध किया था। आज वे गुर्जर आरक्षण पर सरकार के साथ मध्यस्थता करने वाले कौन होते हैं? अगर समाज हित देखते हैं तो डॉ. जितेंद्र सिंह और संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना को इस्तीफा देकर समाज की लड़ाई का साथ देना चाहिए।

कर्नल बैंसला सहित कुछ लोग कौम के साथ सौदेबाजी कर रहे हैं। मैंने इसका मुकाबला करने के लिए और आगे चलकर समाज के हक की लड़ाई लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दिया है। कर्नल बैंसला ने समाज के साथ बार बार दगा किया।

बिधूड़ी को मना लेंगे : मुख्यमंत्री
बिधूड़ी के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भावुकता में उन्होंने यह कदम उठाया है। वे पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं, उन्हें हम मना लेंगे। इस बारे में हाईकमान से भी बात की जाएगी।

विशेषाधिकार समिति के पास पहुंचा राज्‍यसभा में मारपीट का मामला



नई दिल्‍ली. राज्‍यसभा में बुधवार को हुई हाथापाई का मामला विशेषाधिकार समिति तक पहुंच गया है। सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने बसपा सदस्‍यों के 'दुर्व्‍यवहार' की शिकायत विशेषाधिकार समिति से की है।
केंद्र सरकार की नौकरियों में प्रमोशन के लिए अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक कैबिनेट की मंजूरी के बाद बुधवार को राज्यसभा में पेश कर दिया गया। संसद की कार्यवाही शुरू होते ही प्रमोशन में कोटा लागू करने के सरकार के फैसले पर जोरदार हंगामा हुआ। हंगामे के बीच ही राज्‍यसभा में कार्मिक राज्‍यमंत्री वी. नारायणसामी ने बिल () पेश कर दिया। बिल पेश होते ही कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी गई। (
इससे पहले 11 बजे हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी गई थी। 12 बजे कार्यवाही शुरू हुई तो राज्‍यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल बिल का विरोध करने के लिए खड़े हुए। वह अपनी पार्टी के सांसदों के साथ वेल की ओर बढ़ने लगे। बसपा सांसदों ने उनका रास्‍ता रोका। इसी दौरान बसपा सांसद अवतार सिंह करीमपुरी और अग्रवाल आमने-सामने हो गए। दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर जम कर धक्‍कामुक्‍की  की। दोनों में हाथापाई हुई। वरिष्‍ठ सांसदों ने हस्‍तक्षेप कर मामला शांत किया। लेकिन हंगामा जारी रहा। इस हंगामे के बीच ही आसन से बिल पेश करने का आदेश आया और सामी ने बिल पेश कर दिया। बिल पेश करते ही कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी गई। दो बजे जब कार्यवाही शुरू हुई तो हंगामा बदस्‍तूर जारी रहा। अंतत: कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्‍थगित कर दी गई।
उधर, बिल के विरोध में उत्तर प्रदेश के 18 लाख कर्मचारी बुधवार को हड़ताल पर रहे। कर्मचारियों ने प्रदर्शन भी किया।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...