आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

09 सितंबर 2012

मर चुके बेटे को जिंदा करने के लिए परिवार वाले अपना रहे हैं ये तरीका!


गुरदासपुर।गांव तिबड़ी में शनिवार को वन विभाग के दिहाड़ीदार मजदूर की करंट लगने से मौत हो गई। गुरदासपुर के सिविल अस्पताल में लाए गए युवक को डाक्टरों द्वारा मृतक घोषित किए जाने के बावजूद उसके परिवार वाले अपने बेटे की मौत का विश्वास न करते हुए उसके शरीर को मिट्टी में दबाकर जीवित करने का प्रयास में लगे रहे। भले ही डाक्टर ऐसी बातों को नहीं मानते लेकिन एक मान्यता कि मिट्टी में दबाने से करंट का असर खत्म हो जाता है, को मानते हुए डाक्टर, पुलिस और लोग किसी चमत्कार होने की बात से इंकार नहीं कर पाए।

नोटों से भरी बोगी पटरी से उतरी...और साहब सोते रहे



 

उज्जैन/देवास। इंदौर-नागदा ट्रेन की नोटों से भरी बोगी (डिब्बा) रविवार दोपहर शंटिंग के दौरान पटरी से उतर गई। ये नोट देवास से नागपुर भेजे जा रहे थे। घंटेभर की मशक्कत के बाद इसे पटरी पर ले जाया जा सका।
ट्रेन दोपहर 12.50 बजे उज्जैन स्टेशन पर पहुंची थी। नागपुर के लिए ट्रेन रात 10 बजे उज्जैन स्टेशन से रवाना होती है। बीएनपी देवास (बैंक नोट प्रेस) के डिब्बे को इंदौर-नागदा ट्रेन से अलग कर प्लेटफॉर्म नंबर 3 से प्लेटफॉर्म 8 पर ले जाया जा रहा था। इसी दौरान क्रॉसिंग पर डिब्बे के पहिए पटरी से उतर गए। रेलवे प्रशासन मामले की जांच कर रहा है। बैंक नोट प्रेस, देवास से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। मुख्य प्रशासनिक अधिकारी केके पंडित ने कहा मुझे कुछ पता नहीं है। महाप्रबंधक बी.बर्मन से संपर्क किया तो बताया गया साहब सो रहे हैं, वे अवकाश के दिन कोई काम नहीं देखते।
रेलवे जांच कर रहा है
बीएनपी देवास के डिब्बे के पहिए शंटिंग के दौरान पटरी से उतरे थे। जिन्हें पटरी पर लाया गया। रेलवे प्रशासन मामले की जांच कर रहा है।
-ए.के.प्रधान, स्टेशन अधीक्षक।

ट्रेनों के खाने की यह सच्चाई जान आप भी करने लगेंगे इससे परहेज


कोटा. आटे में कीड़े, चाय की कैन में कॉक्रोच, हरी मिर्च भी गली और बदबूदार, सब्जियां भी पुरानी और स्वाद खो चुकी, और यही सब यात्रियों को परोसा जा रहा है और आमतौर पर वे शिकायत को भी नजरअंदाज कर जाते हैं कि आखिर कौन किसे उलाहना दे। अपने को तो के वल सफर करना है।
रेलवे बोर्ड रेल यात्रियों को ट्रेनों में बेहतर खानपान देने की घोषणा करता रहे, लेकिन सच्चाई अलग ही है। ट्रेन के पेंट्रीकार (रसोईयान) में न साफ-सफाई होती है, न ही खानपान की वस्तुओं की किस्म व ताजगी का ध्यान रखा जाता है। रविवार को बांद्रा से मुजफ्फरपुर जाने वाली अवध एक्सप्रेस के पेंट्रीकार का जायजा तो बदइंतजामियां ही दिखाई दी। कहीं गली हुई हरी मिर्च पड़ी थी तो कहीं आटे में कीड़े तिलमिला रहे थे।
रेलवे मंत्रालय ने ट्रेन यात्रियों को गर्म व ताजा भोजन दिलाने के लिए लंबी दूरी की ट्रेनों में पेंट्रीकार (रसोईयान) की व्यवस्था की है। पहले पेंट्रीकार का संचालन रेलवे के खानपान विभाग की ओर से किया जाता था। जिसमें रेलकर्मियों की सेवा ली जाती थी, खामी पाए जाने पर उन पर तुरंत कार्रवाई की जाती थी। इस बीच ही पेंट्रीकार की सेवाएं आईआरसीटीसी को दे दी गई। बाद में ट्रेनों में खानपान सेवा ठेके पर दे दी गई। अलग-अलग ट्रेन में अलग-अलग फर्म को ठेके दिए गए। अब खानपान व्यवस्था ठेका फर्म के हवाले है। फर्म ही कर्मचारी रखती है।

इस शहर में मां-बाप कर रहे हैं ममता की हत्या, फेंक रहे हैं अपने बच्चे को!


जालंधर कैंट। एक और नवजात बेटी की बेकद्री का मामला सामने आया है। नवजात बच्ची को किसी ने झाड़ियों में फेंक दिया। जालंधर-होशियारपुर रोड पर चौकहा के पास शुक्रवार सुबह राहगीरों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी। आवाज का पीछा करते हुए झाड़ियों में गए तो एक नवजन्मी बच्ची मिली, जिसका नाड़ू भी उसके साथ ही था। लोगों ने तुरंत 108 एंबुलेंस और पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची थाना पतारा की पुलिस ने बच्ची को 108 एंबुलेंस में जालंधर के सिविल अस्पताल भेज दिया। डाक्टरों की तत्परता से बच्ची को बचा लिया गया। इलाज करने के बाद डीसी के निर्देश पर बच्ची को नारी निकेतन भेज दिया गया है।

देशद्रोह में फंसा भारतीय कार्टूनिस्ट, सीरिया में होने वाला था सम्मान


मुंबई। कानपुर के कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को स्थानीय कोर्ट ने 16 सितंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेजा है। उनको अपनी वेबसाइट पर देशद्रोही सामग्री पोस्ट करने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किया गया था।
बांद्रा कोर्ट में उन्हें रविवार को पेश किया गया। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अमित कतर्नये ने दिसंबर में त्रिवेदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि पिछले साल अन्ना हजारे की रैली के दौरान त्रिवेदी ने बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स में संविधान का मखौल उड़ाते हुए बैनर लगाए थे।
उन्होंने अपनी वेबसाइट पर भी आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट की। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक त्रिवेदी ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया था। उसे देशद्रोह के आरोप में आईपीसी की धारा 124ए के तहत गिरफ्तार किया गया।
इसके अलावा आईटी एक्ट की धाराओं में भी मामला दर्ज किया गया है। कोर्ट ने पिछले माह त्रिवेदी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
...तो मैं देशद्रोही हूं: त्रिवेदी ने कोर्ट के बाहर कहा, ‘अगर सच कहना देशद्रोह है तो मैं देशद्रोही हूं।’ उन्हें बुधवार को कार्टून क्षेत्र का एक अवार्ड लेने के लिए सीरिया रवाना होना था। आगे तस्वीरों में देखिए गिरफ़्तारी के वक्त असीम के तेवर..

गुटखा और तंबाकू खाने वालों के लिए यह अच्छी खबर है



 

लखनऊ. पूर्वांचल में गुटखे के बढ़ते उपयोग से युवाओं पर कैंसर का ख़तरा बढ़ता जा रहा है। सैकड़ों सालों से अपने औषधिय गुणों के लिए जाने जाने वाली हल्दी और तुलसी के मिलन से इस युवा पीढी को मुंह के कैंसर से बचाया जा सकता है।

बीएचयू के डेंटल साईंस में हाल ही में की गयी एक पाईलेट स्टडी में यह उजागर हुआ है कि तुलसी और हल्दी के ग्लिसरीन में कराये गए संगम से मुंह के कैंसर से बचा जा सकता है। शोध के अनुसार अत्यधिक गुटखा खाने की वजह से ओरल सब म्यूकोसो फाईब्रोसिस (ओऐसएम्ऍफ़) युवाओं में बढ़ते जा रहे हैं। ओऐसएमऍफ़ को मुंह के कैंसर का गेटवे कहा जाता है।

40-50 ओऐसएमऍफ़ के युवा मरीजों पर कराये गए तीन महीने के शोध मे पाया गया है कि अगर ओऐसएमऍफ़ के घाव पर लंबे समय तक तुलसी की पट्टी और हल्दी चूर्ण के ग्लिसरीन में कराये गए संगम को दिन में दो बार लगाया जाए तो आरंभिक स्टेज का ओऐसएमऍफ़ जड़ से ख़त्म हो सकता है। जबकि तीसरे और चौथे स्टेज में भी ये इलाज सर्जरी के साथ बेहद कारगर हो सकता है।

बीएचयू के डेंटल साईंस विभाग के हेड और डीन प्रोफसर टी पी चतुर्वेदी के अनुसार इस शोध से यह भी साबित होता है कि अगर शुरुआत में ही ओऐसएमऍफ़ का इलाज हल्दी-तुलसी से कराया जाये तो इस रोग को कैंसर में तब्दील होने से रोका जा सकता है।

यह शोध चतुर्वेदी के नेतृत्व में असिस्टैंट प्रोफैसर्स डॉ आदित और डॉ राहुल अग्रवाल ने किया है। ओऐसएमऍफ़ वह बीमारी है जिसमे अत्यधिक गुटखा या तम्बाकू उपयोग करने की वजह से गाल के फाईबर मोटे होने लगते हैं और धीमे-धीमे मुंह का पूरी तरह खुलना भी लगभग बंद हो जाता है। अगर इसका समय रहते इलाज ना कराया जाए तो ये जानलेवा मुंह के कैंसर का भी रूप ले सकता है।
मुंह का कैंसर देश में सर्वाधिक होने वाला कैंसर है। इसके 25 लाख से भी अधिक नए केसेस हर साल रिपोर्ट होते हैं और समय से सही इलाज न मिलने की हालत में ये जानलेवा भी होता है।

कुरान का संदेश

कुछ करनी ऐसी कर चलो के जग सारा रॉय

दोस्तों आप है साहिबजादी शाफिकुज्ज्मानी  उर्फ़ संजोबी ..जी हाँ इनका जन्म टोंक के नवाब परिवार में हुआ और नवाब परिवार के ही साहिबजादे मोहम्मद उमर   से इनका निकाह हुआ ...इनके बढ़े साहिबजादे जनाब मोहम्मद आहमद उर्फ़ भय्यु भाई इन दिनों टोंक जिला वक्फ कमेटी के सदर है ....कहते है जब तक था दम में दम ..आसमा से भी ना दबे हम ..जब दम निकल गया तो जमीन ने दबा दिया ..कहावत यह भी है के यह जमी खा गयी  आसमा केसे केसे ......लेकिन जनाब मोत बरहक है ..हर इंसान को मोत का मज़ा चखना है ..कुरान का आदेश है कुल्लो न्फुस्ल जाय्क़तुल मोत ............ऐसा ही हमारी सास साहिबजादी शाफिकुज्ज्मानी उर्फ़ संजो बी के साथ हुआ ..अलीगंज टोंक की शहजादी के रूप में मशहूर इन जनाबा को इस्लाम की जानकारी के मामले में चलता फिरता एन्सैक्लोपेदिया माना जाता था और इस्लाम के मसले मसाइल ..तारीखी मसले मसाइलों के सुल्झावाड़े के लियें इनकी शोहरत थी लेकिन कुछ दिनों पहले इनके गुर्दे में तकलीफ हुई और फिर इनकी तबियत बिगडती चली गयी ......अभी कल शनीवार आठ सितम्बर को दोपहर अचानक इनका इन्तिकाल हो गया और इनके इंतकाल से पुरे टोंक में शोक की लहर दोड  गयी ..आप किसी की बाजी ..किसी की अम्मी जान ...किसी की आपा जान थीं और सभी में इनकी अपनी साख थी ....इनकी अपनी वसीयत के मुताबिक पहले से मुक़र्रर जगह और मगरिब से पहले उजाले में ही इन्हें सुपुर्दे ख़ाक किया गया .............संजो बी के लियें बिलखते लोग कहते रहे कुछ करनी ऐसी कर चलो के जग सारा रॉय .............खुदा संजोबी की रूह को सुकून दे मगफिरत दे और इनके चाहने वालों ..इनके बच्चों ...शोहर ...पोतों नवासों और पारिवारिक लोगों को इस तकलीफ के लम्हों से लड़ने की ताकत और सब्र दे ..यह अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गयी है ......................

संडे फंडा: ये हैं नजर उतारने के 5 आसान उपाय



 

नजर लगना एक सामान्य प्रक्रिया है। जब किसी को नजर लगती है वह असहज हो जाता है जैसे यदि किसी बच्चे को नजर लगती है वह रोने लगता है, उसका बदन तपने लगता है, वह चिढ़चिढ़ा हो जाता आदि। हमारे यहां नजर उतारने के कई तरीके प्रचलित हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं नजर उतारने के अचूक उपाय। इन उपायों से कैसे ही बुरी नजर हो, उतर जाती है।
उपाय
1 - नजर लगे व्यक्ति को लिटाकर फिटकरी का टुकड़ा सिर से पांव तक सात बार उतारें। ध्यान रखें हर बार सिर से पांव तक ले जाकर तलुवे छुआकर फिर सिर से घुमाना शुरु करें। इस फिटकरी के टुकड़े को कण्डे की आग पर डाल दें।
2- राई के कुछ दाने, नमक की सात डली और सात साबुत डंठल वाली लाल सूखी मिर्च बाएं हाथ की मुट्ठी में लेकर नजर लगे व्यक्ति को लिटाकर सिर से पांव तक सात बार उतारा करें और जलते हुए चूल्हे में झोंक दें। यह टोटका अनटोका करें। यह कार्य मंगलवार व शनिवार के दिन करें तो बेहतर रहता है।
3- यदि बच्चे को नजर लगी हो और वह दूध नहीं पी रहा हो तो थोड़ा दूध एक कटोरी में लेकर बच्चे के ऊपर से सात बार उतार कर काले कुत्ते को पिला दें। बच्चा दूध पीने लगेगा।
4- एक साफ रुमाल पर हनुमानजी के पांव का सिंदूर लगाएं और इस रुमाल पर दस ग्राम काले तिल, दस ग्राम काले उड़द, एक लोहे की कील, तीन साबूत लाल मिर्च लेकर उसकी पोटली बना लें। जिस व्यक्ति को नजर लगी हो उसके सिरहाने यह पोटली रख दें। चौबीस घंटे के बाद यह पोटली किसी नदी या बहते हुए जल में बहा दें। यह बहुत ही प्रभावशाली टोटका है।
5- एक रोटी बनाएं और इसे एक तरफ से ही सेकें, दूसरी तरफ से कच्ची छोड़ दें। इसके सेके हुए भाग पर तेल या घी लगाकर नजर लगे व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतार कर किसी चौराहे पर रख आएं।

'टोने' व 'टोटके' में क्या असमानताएं हैं, जानिए



 

टोने-टोटके, यह शब्द हम कई बार सुनते हैं। सुनने में यह शब्द थोड़े अजीब जरुर लगते हैं लेकिन यह तंत्र शास्त्र के एक सिक्के के दो पहलू हैं बस इनकी क्रियाओं में थोड़ा अंतर है। साधारण भाषा में कहें तो दैनिक जीवन में किए जाने वाले छोटे-छोटे उपाय टोटका कहलाते हंै जबकि टोने विशेषत: समय पडऩे पर ही प्रयोग में लाए जाते हैं। वह किसी विशेष कार्य सिद्धि के लिए किए जाते हैं। जानते हैं इनके बीच क्या अंतर है-
टोटका
जब हम किसी यात्रा पर जा रहे हो और अचानक कोई छींक दे तो हम थोड़ी देर रुक जाते हैं। ऐसे ही जब बिल्ली रास्ता काट जाती है तो हम थोड़ी देर रुक कर चलते हैं  या रास्ता बदल लेते हैं। यात्रा पर किसी विशेष कार्य पर जाने से पहले पानी पीना या दही का सेवन करना, यह सब टोटका कहलाता है। टोटके साधारण प्रभावशाली होते हैं व इनके निराकरण भी साधारण ही होते हैं।
टोना
विशेष कार्य सिद्धि के लिए हनुमान चालीसा, गायत्री मंत्र या किसी अन्य मंत्र का जप विधि-विधान से जप करना टोना कहलाता है। किसी यंत्र अथवा वस्तु को अभिमंत्रित करके अपने पास रखना भी टोना का ही एक रूप है। टोना टोटके का ही जटिल रूप है जो किसी विशेष कार्य की सफलता के लिए पूरे विधि-विधान से किया जाता है। टोना के लिए समय, मुहूर्त, स्थान आदि सब कुछ नियत होता है।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...