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12 सितंबर 2012

जब घर के हर कोने से निकली नोटों की गड्डियां तो अफसर भी रह गए हैरान!


 

जोधपुर.रिश्वत लेते पकड़े गए एसबीबीजे शेरगढ़ के पचास वर्षीय मैनेजर कुंवारे है, लेकिन उन्होंने करीब 35 लाख रुपए के जेवरात खरीद रखे थे। एसीबी को घर की तलाशी में हर कोने में जेवरात और नोटों की गड्डियां मिलीं तो अफसर भी हैरान रह गए। जेवरात में महिलाओं के सभी प्रकार के आइटम थे। इसके अलावा उन्होंने एक करोड़ से ज्यादा रुपए का निवेश विभिन्न स्कीम व आवासीय योजनाओं में भी कर रखा था। एसीबी उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का भी मुकदमा दर्ज करने पर विचार कर रही है।
एसीबी के डीएसपी नरपतसिंह ने बताया कि मैनेजर राजेश पंवार 1983 में क्लर्क के पद पर नियुक्त हुआ था। तीस साल की नौकरी में वह मैनेजर के पद पर पहुंचा और करोड़ों रुपए की संपत्ति भी बनाई। पांच भाई- बहनों में वह सबसे बड़ा है। एक भाई डॉक्टर व दूसरा डबल एओ है। बहनोई भी प्रोफेसर जैसे पद पर हैं। परिवार खुशहाल और खुद कुंवारा होने के बावजूद वह किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण देने में 3.5 प्रतिशत कमिशन लेकर लाखों रुपए बटोरता था।
तलाशी के दौरान घर के हर कोने में नोटों की गड्डियां और जेवरात मिले हैं। करीब 35 लाख के जेवर, 8.25 लाख नकद, 10 लाख पीपीएफ खाते में, लगभग 25 लाख शेयर, एफडीआर और बैंक खातों में जमा थे। जोधपुर में हाउसिंग बोर्ड के तीन मकान है, जिनकी कीमत भी लगभग 50 लाख रुपए है। प्रोपर्टी अपने पिता, मां और भाइयों के नाम से भी ले रखी थी, मगर उनके भी खाली कागजात पर हस्ताक्षर करवा रखे थे। ब्यूरो संपत्ति की पूरी छानबीन कर उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का भी मुकदमा दर्ज कर सकती है।
जमानत खारिज दुबारा जेल में
एसीबी ने सोमवार को उसे 20 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे-हाथ गिरफ्तार किया था। वह परिवादियों से 80 हजार रुपए पहले ले चुका था। ब्यूरो ने उसे जेल भेज दिया तो उसने कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई थी। सोमवार को बहस के बाद कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी तो ब्यूरो ने उसे दुबारा जेल भिजवा दिया। अब जमानत के लिए उसे हाईकोर्ट में अर्जी लगानी पड़ेगी।

सरकार लगा सकती है मुस्लिम संगठन पर बैन



जयपुर.गोपालगढ़ और फूल मोहम्मद प्रकरण में प्रदर्शनों और पोस्टरों के जरिए राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठा रहे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लग सकता है। गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव सी.के मैथ्यू को गोपनीय पत्र लिखकर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मंगवाई है।

बच्चों को पढ़ाने समेत कई तरह के सामाजिक कार्यो के जरिए यह संगठन मुस्लिमों में गहरी पैठ बनाता जा रहा है। पंचायत चुनाव के बाद अब पीएफआई का एक संघटक एसडीपीआई राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। ऐसा होता है तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव (एचआर) रश्मि गोयल ने 29 अगस्त 12 को राज्य के मुख्य सचिव सी.के मैथ्यू को पत्र लिखा है। इसमें केंद्रीय गृह सचिव की ओर से 11/13 जुलाई 12 को लिखे पत्र का हवाला देते हुए पीएफआई के बारे में पूरा ब्योरा मांगा गया है। सरकार से कहा गया है कि वह गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत इस संगठन के बारे में उपलब्ध फीडबैक, उसकी अवांछनीय गतिविधियों और पाबंदी लगाने के बारे में सरकार के सुझाव और सिफारिश भेजे। इसके लिए नोडल ऑफिसर लगाने को कहा गया है।
'केंद्र से पत्र आया है, उसका जवाब अभी नहीं भेजा है। पत्र देखने के बाद ही इस बारे में कुछ कहेंगे।'
दलपत सिंह दिनकर, एडीजी इंटेलीजेंस
'मुस्लिम दलित एवं पिछड़े तबके के बीच बच्चों को पढ़ाने समेत जागरुकता का अभियान जारी रहेगा। कांग्रेस की गलत नीतियों का विरोध करते रहेंगे।'
मोहम्मद शफी, अध्यक्ष पीएफआई

सरेआम दौड़ाकर लड़की को मार डाला



 

फिंगेश्वर. परसदा कला गांव में एक युवक ने दुष्कर्म में विफल रहने पर दो बहनों पर दौड़ा- दौड़ाकर धारदार हथियार से कई वार किए। इनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरी गंभीर रूप से घायल है। उसे 10 टांके लगाए गए हैं। उसका उपचार रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में किया जा रहा है।
बाद में पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया। बुधवार दोपहर करीब तीन बजे गांव की बस्ती से लगी नर्सरी में यह घटना हुई। पीड़ित युवती के चाचा सोनसाय निषाद ने बताया कि उसकी दोनों भतीजी खेत पर गईं थी। वे करीब 2 बजे मुड़ा नाला में नहाने के बाद लौट रही थीं।
उसी समय आरोपी ने उनसे दुष्कर्म की कोशिश की। दोनों के प्रतिरोध के बाद जब वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ तो उसने दोनों को धारदार हथियार लेकर दौड़ाया। पुलिस के अनुसार आरोपी 25 साल के केशोराम साहू ने 22 और 18 साल की दोनों बहनों पर कई घातक वार किए। एक बहन ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया।
जबकि दूसरी बहन के बाएं हाथ की कलाई, छाती, बाएं गाल और कंधे पर गहरे जख्म आए हैं। आरोपी के दो बच्चे हैं। उसकी पत्नी अभी गर्भवती भी है। ग्रामीणों के अनुसार वह आदतन अपराधी है। हमले में खून से लथपथ डोमिन निषाद हाईस्कूल में मौजूद अपनी तीसरी छोटी बहन 16 साल की वेद बाई निषाद के पास पहुंची।
उसने अपनी सहेलियों और चपरासी देवेन्द्र सिन्हा की मदद से उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र फिंगेश्वर पहुंचाया। वहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे आंबेडकर अस्पताल रायपुर रेफर कर दिया। परसदाकला के मुड़ा नाला के समीप स्थित नर्सरी में हुई इस नृशंस घटना की खबर लगते ही लोगों का हुजूम जमा हो गया। इस घटना को ग्रामीणों में आक्रोश है।

कुरान का संदेश

अमेरिकी दूतावास को जलाया, राजदूत का कत्‍ल


काहिरा. मिस्र और लीबिया में अमेरिका का जबरदस्‍त विरोध हुआ है। विरोध में लीबिया के बेनगाजी शहर में स्थित अमेरिकी दूतावास को आग लगा दी गई और रॉकेट से हमला किया गया। इस हमले में अमेरिकी राजदूत क्रिस्टोफर स्टीवंस और दूतावास के तीन कर्मचारी मारे गए।

लीबिया के पड़ोसी देश मिस्र की राजधानी काहिरा स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर भी प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने दूतावास में लगे अमेरिकी झंडे को फाड़ दिया और उसकी जगह इस्लामी झंडे  लगा दिए।

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। ऐसा माना जा रहा है कि यह हमला अमेरिका में पैगम्बर साहब पर बनाई गई एक ऑनलाइन फिल्म के विरोध में किया गया।
गौरतलब है, अमेरिका स्थित कॉप्टिक ग्रुप ने इस्लाम विरोधी इस ऑनलाइन फिल्म का निर्माण किया है, जिसमें पैगम्बर मोहम्मद साहब के बारे में 'अपमानजनक' बातें कहीं गई हैं। इस फिल्म के निर्माताओं में वह पादरी भी शामिल हैं, जिन्होंने कुरान की प्रतियां जलाईं थीं। फिल्‍म का कुछ हिस्‍सा यूट्यूब पर पोस्‍ट किया गया, जिसके बाद इसका विरोध शुरू हो गया।
मिस्र से जुड़े कुछ संगठनों ने अमेरिकी वेबसाइट के साथ यूट्यूब पर अपलोड 'इनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स' फिल्म के कुछ सीन पर आपत्ति जताई है। फिल्म के एक सीन में इस्लाम को सबसे बुरा धर्म करार देते हुए इसे कैंसर तक कह डाला है। फिल्म को इजरायली-अमेरिकी निर्माता ने बनाया है। उसने अपनी फिल्म के द्वारा इस्लाम को सबसे खराब धर्म बताया है। फिल्म का प्रोमोशन फ्लोरिडा के पादरी टेरी जोंस ने किया है। जोंस के खिलाफ पूर्व में भी कुरान की प्रति जलाने पर प्रदर्शन हुए थे।
अमेरिका ने कहा है कि दुनियाभर में अमेरिका अपने साथी देशों के साथ कई मिशनों पर काम कर रहा है और इस घटना के बाद उन देशों को हमारे लोगों को कड़ी सुरक्षा देनी चाहिए।

कोयले की कालिख: 'दागदार' होते 13 बड़े किरदार


नई दिल्ली. कोयला आवंटन घोटाला लगातार सुर्खियों में है। कोयले (समझिए पूरा अर्थशास्त्र) की कालिख में 'दागदार' होते किरदारों में ताजा नाम 'कानुपर के श्री श्रीप्रकाश' का आ रहा है। कोयला घोटाले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक जारी है। सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर विपक्ष सरकार पर कोयला खदानों के गलत आवंटन का आरोप लगा रहा है। लेकिन सरकार अपने बचाव में यह तर्क दे रही है कि उसने सिर्फ उसी परंपरा का पालन किया है, जो 1993 से सभी सरकारें अपनाती रही हैं।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोयला खदानों की नीलामी की प्रक्रिया न अपनाकर सरकारी खजाने को करीब 1.86 करोड़ रुपये का 'चूना' लगाया गया है। लेकिन सरकार का तर्क है कि जब कुछ खदानों को छोड़कर किसी से भी कोयला निकाला ही नहीं गया तो घोटाला कैसे हो गया। इस पर विपक्ष का तर्क है कि जिन कंपनियों को कोयला खदानें आवंटित की गईं, उनका बाज़ार मूल्य रातों रात कई गुना बढ़ गया, जिसके चलते ऐसी कंपनियों ने मोटा मुनाफा कमाया।

यूपीए के कार्यकाल के दौरान 2006 से लेकर 2010 के बीच 142 कोयला खदानें आवंटित की गईं। लेकिन अभी तक 80 फीसदी से भी अधिक आवंटियों ने अब तक अपने ब्लॉकों से कोयला उत्पादन शुरू नहीं किया है। एक तरफ तो सरकार ने इन ब्लॉकों के आवंटन में जबर्दस्त तेजी दिखाई और दूसरी तरफ उसने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ खास नहीं किया कि आवंटन कराने वाली कंपनियां कोयला उत्पादन करना शुरू कर दें। तमाम विवादों के बाद अब सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो यह देखेगी कि कितने आवंटी ऐसे हैं, जिन्होंने जान-बूझकर यह देरी की और कितने आवंटी ऐसे हैं जो जमीन अधिग्रहण या अपनी खनन योजना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने की वाजिब वजहों के चलते काम शुरू नहीं कर सके। गौरतलब है कि कोल ब्लॉक आवंटन के पीछे सरकार का सबसे बड़ा तर्क यही था कि इससे घरेलू कोयला उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होगी। 
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