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15 सितंबर 2012

दोस्तों देश के जाने माने चिन्तक आर एस एस प्रमुख रहे के सी सुदर्शन साहब का पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में विलीन होने जा रहा है

दोस्तों देश के जाने माने चिन्तक आर एस एस प्रमुख रहे के सी सुदर्शन साहब का पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में विलीन होने जा रहा है लोग उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली दे रहे है ...यह स्वीकृत तथ्य है के सुदर्शन एक बहतरीन चिंतक विचारक और राष्ट्रीय व्यक्ति थे उन्होंने निर्भीकता से कभी इंदिरा गाँधी के तो कभी भाजपा के शीर्ष नेताओं के कान उमेठे है और उन्हें रास्ते पर लाये है ..सुदर्शन एक पढ़े लिखे काबिल संवेदनशील व्
यक्ति थे उन्होंने आखिरी वक्त आखिरी लम्हों में देश को एक संदेश दिया है जो सम्भवत उन्होंने अपने अनुभवों के आदर पर तय्यार किया था ..सभी जानते है के आजकल कुछ लोग हिन्दुओं को साम्प्रदायिक कट्टरपंथी और ना जाने क्या क्या बताकर राजनीति कर रहे है इसी तरह से कुछ लोग मुसलमानों को गद्दार आतंकवादी बताकर अपनी राजनितिक रोटियाँ सेक रहे है .....सुदर्शन ने अपने जीवन काल में ना जाने कितने प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा है ..भारत पाक बंगलादेश की लडाइयां देखी हाँ ..पंजाब में खालिस्तान की लड़ाई तो माओवादियों नक्सलियों की लड़ाई देखि है सुदर्शन जो आर एस एस के प्रमुख थे सुदर्शन जो भाजपा के प्रेरक थे उन्होंने महाराष्ट्र ...गुजरात ..उत्तरप्रदेश साईट सभी जगह के हिन्दू मुस्लिम साम्प्रदायिक दंगे देखे है और उनके चिंतन से उन्होएँ यह पाया के हिन्दुओं को मुसलमानों से लडाने और मुसलमानों को हिन्दुओं से लडाने से देश का भला कतई सम्भव नहीं है वोह समझ गए थे के हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का नारा कामयाब होगा तब देश का भला होगा वोह समझ गए थे हिन्दू ईद मनाएंगे मुसलमान दिवाली मनायेगे तब भारत अखंड भारत भी होगा और मेरा अभारत महान का नारा भी बुलंद होगा और इसीलियें के एस सुदर्शन ने महानता दिखाई प्रायश्चित कर निर्भीकता से पुरे देश को प्रतीकात्मक संदेश दिया कभी उन्होंने अजमेर में ख्वाजा के दरबार में हाजरी लगाकर उनके मजार की चोखट चूमने की मंशा ज़ाहिर की तो कभी भोपाल की मस्जिद में जाकर ईद की नमाज़ अदा करने का प्रयास किया तो दोस्तों एक महान व्यक्ति का यह आखरी संदेश के हिन्दू मुस्लिम विवादों में कुछ नहीं रखा है एक दुसरे को गाली बकना नफरत फेलाना सब बेकार सी बातें है भाईचारा बढाओ सद्भावना बढाओ नफरत खत्म करो एक दुसरे के त्योहारों में शामिल रहो प्यार दो प्यार लो देश के बारे में सोचो देश को आगे ब्धाओं यूँ ही खुद एक दुसरे समाज एक दुसरे धर्म के खिलाफ नफरत फेलाने में अपनी ज़िन्द्दगी न गवाओ लोगों को भा गया है ......इन हालातों में के सी स्दुर्शन के आखरी लम्हों का यह संदेश भावनात्मक तो था लेकिन देश के लियें आवश्यक था आज वोह हमारे बीच नहीं रहे है हम उन्हें श्रद्धांजली दे रहे है उन्हें याद कर रहे है लेकिन भाईचारे सद्भावना और हिन्दू मुस्लिम के बिच नफरत फेलाने के खेल को विराम देने का जो संदेश उन्होंने दिया है use देश की सियासी पार्टियां देश के समाजसेवी संगठन और खुद आर एस एस मुस्लिम संगठन maan ले तो निश्चित ही देश का उत्थान होगा विकास होगा और सियासी पार्टियाँ जो धर्म के नाम पर दंगे फसादात डॉ खोफ का माहोल बनाकर चुनाव जीत रही है उसपर रोक लगेगी और उपयुक्त उम्मीदवार चुनाव में जीतकर आने से देश का भी उद्धार होगा .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

निगम ने दे दी सड़क पर निर्माण की अनुमति


 

कोटा. अतिक्रमणों को हटाने के लिए अभियान चलाना तो दूर नगर निगम खुद अतिक्रमण करवा रहा है। हाल ही में निगम ने बालाकुंड में सुलभ कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए सुलभ इंटरनेशनल को परमिशन दे दी। वहां के नागरिक विरोध में सड़क पर उतर आए।




हालांकि अभी तक निगम ने सुलभ कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना को खारिज नहीं किया है। इधर, निगम सुस्त बैठा है और विभाग के मुखिया स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल घोषणा कर रहे हैं कि अतिक्रमण पर कार्रवाई में किसी प्रकार का कंप्रोमाइज नहीं किया जाएगा। पिछले दिनों नगर निगम ने बालाकुंड पर सुलभ कॉम्प्लेक्स बनाने की मंजूरी दे दी। निगम ने सुलभ इंटरनेशनल संस्था को जो जगह चिन्हित कर बताई वो मुख्य रोड पर थी।
जिसके बनने से आधा मार्ग बंद हो जाएगा। संस्थान ने निर्माण के लिए नींव खोदना शुरू कर दिया। नींव की खुदाई जब सड़क तक पहुंची तो लोगों को पता चला कि ये तो सड़क पर ही बनाया जा रहा है। लोगों ने इसका विरोध किया, लेकिन सुलभ इंटरनेशनल के कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें नगर निगम से परमिशन मिली हुई है। इस पर लोगों ने निगम में शिकायत की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
नहीं माना तो जनता पकड़ कर ले गई निगम
जब निगम ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की तो जनता का आक्रोश फूट पड़ा और वे वहां काम कर रहे ठेकेदार को पकड़कर नगर निगम ले गए। जब माहौल बिगड़ने की नौबत आई तो नगर निगम हरकत में आया और फिलहाल उस ठेकेदार को काम रोकने के लिए कहा है। स्थानीय लोग दीपचंद, विष्णु शर्मा, द्वारकाप्रसाद, धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि यदि निगम ने इस जगह को नहीं बदला तो वे यहां काम नहीं होने देंगे।
मंत्री दे रहे आदेश, अधिकारी टस से मस नहीं
स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने शनिवार को यूआईटी में आयोजित आवासीय योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में अतिक्रमियों को नहीं बख्शने की बात कही है। खासतौर से रसूखदारों और बड़े अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है। साथ ही गरीबों व अवैध बस्तियों को उन्होंने क्लीनचिट दे दी। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण के मामले में किसी प्रकार का कोई कंप्रोमाइज नहीं होगा। समाचार पत्र अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर रसूखदारों और सरकारी जमीन पर बड़े-बड़े मकान बनाने वालों को बेनकाब करें तो ये देशहित में होगा।
ऐसे अतिक्रमण के बारे में हमें भी अवगत करवाया जाए, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गरीबों के अतिक्रमण न छापे जाएं, उन्हें भी रोजगार करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि लैंड यूज चेंज करने का अधिकार नगर निगम व यूआईटी को है। नगर पालिका एक्ट में इसका प्रावधान है। शॉपिंग सेंटर के बरामदे निजी संपत्ति हैं। जयपुर की तरह सरकारी जमीन नहीं है, जिसे किसी कानून के तहत खाली करवाया जा सके। उसमें अवैध निर्माण हो सकता है, वो अतिक्रमण नहीं है। अतिक्रमण और अवैध निर्माण में अंतर समझना होगा।

चित्रों में करें अद्भुत देवी के दर्शन, न मूर्ति है न रूप, पर करती हैं सबका भला!


सेन्हा. झारखंड के लोहरदगा जिला स्थित सेन्हा प्रखंड के प्रसिद्ध सती मंदिर में आस्थाओं की जीवन शैली लोक संस्कृति की अनूठी परम्परा बन गई है। नयी फसल या घर बनाने से लेकर हर छोटे बड़े काम के लिए पहली चढ़ौती मंदिर की दहलीज तक जाती है। यही वजह है कि मंदिर सदियों से अपनी आस्था के लिए ईंट गारो के ढांचे से आगे निकलकर दिलों में रच बस गया है। इसके मूल में कहानी यह है कि जीवन भर जनकल्याण करने वाली मरने के बाद भी लोगों की भलाई ही कर रही है, एक जमाने में सती हुई मां बेटी। लोगों को नाम पता तो नहीं मालूम, लेकिन उनके प्रति आस्थाएं दिलों में शिलालेख बन चुकी हैं।
न कोई मूर्ति, न कोई आकार लेकिन उनकी मौजूदगी का भाव बोध शिरोधार्य कर लोग भक्ति में लीन रहते हैं। शादी विवाह से लेकर झोपड़ी बनाने और नयी फसल घर में लाने से पहले सती मां को अर्पित करना कम से कम तीन सदियों की परम्परा का हिस्सा है। बुजुर्गों से यह पता चलता है कि तीन चार सौ साल पहले यहां पर कोई राजा थे जो हर क्षण जनता की भलाई में तत्पर रहते थे। उनके पास जंजीरों से बंधे हुए दो सोने के गोपाल हंडें थे। दैवी शक्ति वाले इन हंडो के जरिए ही वह जनता की भलाई करते थे।
दुर्भाग्य से उनके पुरोहित गुरू ने गुरू दक्षिणा में गोपाल हंडें मांग लिए। जनता को समर्पित राजा ने गोपाल हंडे को तालाब में डालकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। बाद में उनकी पत्नी और बेटी ने भी जान दे दी। जनकल्याण के लिए समर्पित मां बेटी की याद में ही यह सती मंदिर परम्परा का केन्द्र बन गया है। उनकी गुमनामी के बावजूद आस्था की जीवंतता यहां सदियों बाद भी धरोहर हैं। इस देवी मंदिर में सिंदूर भी नहीं चढ़ता। जो भी काम करना हो, यानी फसल की पहली बोहनी, मकान बनने से पहले नींव की पहली ईंट भी देवी मां के दहलीज पर आर्शीर्वाद के लिए आती हैं।
मंदिर के भीतर कोई मूर्ति नहीं सिर्फ आस्थाओं की समाधि लोगों के समर्पण का शिलाखंड बन चुकी है। 1972 में वीरू साहू और कलश देवी ने पक्का मंदिर बनवा दिया था लेकिन समाधि स्थल आज भी शुरूआती अस्तित्व में ही है। नर्मदेश्वर पाठक अपनी कई पीढियों से यहां सेवा कर रहे हैं।
हाल ही में कुछ भक्तों ने मंदिर के सामने चबूतरे का पक्की करण कराया है। मंदिर की प्राचीनतम और इतिहास समय की यात्रा के खांचे से आगे निकल चुके हैं। लोक संस्कृति और परंपराओं वाली आस्था ही यहां सबकुछ है।

अब किसी भी कोने में नहीं छुप पाएंगे आतंकी, पलक झपकते ही हो जाएंगे ढेर

जयपुर.मुंबई-जयपुर सहित देश में हुए आतंकी हमलों के बाद भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में आंतकियों से निपटने के लिए जयपुर ने सेना के लिए अनूठा बुलेटप्रूफ ब्लिटजर एंटी टेरेरिस्ट व्हीकल तैयार किया है। यह पांच फीट तक की संकरी गलियों के अलावा एक मीटर गहरे पानी, कीचड़ और ऊंचाई पर एक ही रफ्तार से झपटने में सक्षम है।
यह वाहन एक ही स्थान पर खड़ा रहकर पलक झपकते ही 360 डिग्री का राउंड लेते हुए दुश्मन को किसी भी कोने से ढेर कर सकता है। इस पर 7.62 राइफल, एके 47, हैंड ग्रेनेड और गोला-बारूद का असर भी नहीं होगा। वाहन में चालक सहित तीन सैनिक आसानी से बैठ सकते हैं।
रक्षा मंत्रालय से संबद्ध डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑग्रेनाइजेशन (डीआरडीओ) से मान्यता प्राप्त जयपुर की एक कंपनी ने लंबे परीक्षण के बाद यह वाहन तैयार किया गया है। फील्ड में प्रभावी परीक्षण के बाद फिलहाल इसमें कुछ और तकनीकी अपग्रेडेशन किए जा रहे हैं। कंपनी का दावा है कि इस तरह के आकार में बेहतरीन फीचर्स वाला यह दुनिया का अनुठा बूलेटप्रूफ वाहन है।
एशिया की सबसे बड़ी ऑटोक्लेव मशीन :
गाड़ियों को अत्याधुनिक तकनीक से बुलेटप्रूफ बनाने वाली ऑटोक्लेव मशीन को भी जर्मनी से खरीदा गया है। कंपनी के प्रतिनिधियों का दावा है कि यह एशिया की सबसे बेहतरीन और बड़ी मशीन है। यह पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड है।
साढ़े तीन मीटर ऊंची और साढ़े तीन मीटर लंबी है। इसका वजन करीब 30 टन है। दुनिया में अमेरिका, जर्मनी और स्पेन में ही फिलहाल इस मशीन से गाड़ियों को बुलेटप्रूफ किया जाता है। कंपनी अमेरिकन केवलार थ्रेड और सीरेमिक प्लेट से निर्मित बुलेटप्रूफ जैकेट का भी उत्पादन करती है।
आसान नहीं है गाड़ी को बुलेटप्रूफ करवाना
हर व्यक्ति अपनी मर्जी से गाड़ी को बुलेटप्रूफ नहीं करवा सकता। संबंधित व्यक्ति को जान का खतरा होने पर पुलिस को सूचित करना होता है। इंटेलीजेंस गहन जांच-पड़ताल के बाद यह तय करती है कि संबंधित व्यक्ति को क्या वाकई बुलेटप्रूफ गाड़ी की आवश्यकता है। इस संबंध में गृहमंत्रालय से भी नियमानुसार कार्यवाही पूरी की जाती है। अनुमति से पहले यह पड़ताल और एश्योरेंस भी कर लिया जाता है कि कहीं गाड़ी का दुरुपयोग तो नहीं होगा।
ऐसे बनते हैं वाहन बुलेट प्रूफ
कंपनी में बुलेट प्रूफ होने के लिए आने वाले वाहन की बॉडी को पूरी तरह खोला जाता है। इसमें विदेश से आयाजित बुलेटप्रूफ जैकॉलशीट लगाई जाती है। गाड़ी के सामान्य शीशों को विशेष रसायन से बुलेटपूफ बनाया जाता है। गाडी का मूलरंग और साज-सज्जा पहले जैसी की जाती है, ताकि सामान्य और बुलेटप्रूफ गाड़ी में आसानी से भेद नहीं किया जा सके। डिमांड के अनुसार टायर को भी बुलेटप्रूफ बनाया जाता है। अगर कोई चौपहिया वाहन 2180 किलो वजनी है तो उसे बुलेटप्रूफ कराने के बाद वह करीब 2800 किलो तक हो जाता है।
खतरनाक हथियार भी बेअसर
इस वाहन पर आतंकियों के खतरनाक हथियारों का भी असर नहीं होगा। एके-47, 7.62 राइफल तथा हैंड ग्रेनेड जैसे हथियारों के नजदीक से किए गए अटैक भी विफल हो जाएंगे। इनकी मारक क्षमता को खत्म करने के लिए गाड़ी की सतह पर अमेरिका से आयातित विशेष प्रकार की लेयर चढ़ाने के अलावा गाड़ी के इंजन, बॉडी, टॉयरों को भी बुलेटप्रूफ किया जाता है।
वीवीआईपी के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर रहा है जयपु
जयपुर देशभर के राजनेताओं, वीवीआईपी शख्सियतों के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर रहा है। सीकर रोड स्थित जिस फैक्ट्री में बुलेटप्रूफ गाड़ियां तैयार हो रही हैं, वहां एक साल तक की एडवांस बुकिंग है। यहां जम्मू-कश्मीर, पंजाब सहित कई राज्यों के अतिविशिष्ट लोगों के साथ ही कापरेरेट हस्तियों की गाड़ियों को बुलेटप्रूफ करने का काम जोरों पर है। कंपनी में हर माह 5 से 7 गाड़ियों को बुलेटप्रूफ बनाया जाता है। फैसलिटी के हिसाब से अलग-अलग वाहन पर तीन लाख से एक करोड़ रुपए तक खर्च होते हैं।

माइलेज से लेकर स्पीड तक हर मामले में लाजवाब है यह मॉडर्न कार



 

उम्र 15 वर्ष और इरादे पहाड़ जैसे। इन्हीं इरादों से सिर्फ 20 हजार रुपए में बना दी ख्वाबों की कार। यह न केवल अच्छी-खासी स्पीड में दौड़ती है, बल्कि माइलेज भी लाजवाब देती है। इसे बनाया है 10वीं कक्षा के स्टूडेंट योगेश मंडीवाल ने। क्रिएटिव चीजों में रुचि रखने वाले योगेश ने इसे ‘जीटी-150’ नाम दिया है।
डिस्कवरी देखकर आया आइडिया

योगेश कहते हैं, डिस्कवरी चैनल में छोटे-छोटे बच्चों को बड़े और क्रिएटिव काम करते देखता था तो उनसे स्वयं की तुलना करता था। बस वहीं से सोच लिया था कि मैं भी एक शानदार कार बनाऊंगा, लेकिन फाइनेंस की समस्या थी। इसके बाद मैंने मम्मी से 20 हजार रुपए लिए और कार बनाने का काम शुरू किया। इसके लिए पहले कई दिनों तक रिसर्च की और फिर यह मॉडल तैयार किया।
कार के लिए एक पुराने स्कूटर के इंजन को उपयोग में लिया गया है। बॉडी भी घर में ही तैयार की है। खास बात यह रही कि इसे तैयार भी मात्र 20 दिनों में किया गया है।

सांड को दफनाने के गद्दा खोदा तो सिक्के निकले



 

चरखी दादरी। शनिवार को गांव रासीवास के लोगों ने एसडीएम को 14 सिक्के लौटा दिए हैं। ये सिक्के मुगलकाल के होने की संभावना जताई जा रही है। सिक्कों को जांच के लिए पुरातत्व विभाग को भेज दिया गया है। जांच के दौरान सिक्कों पर लिखी भाषा को पढ़ने का प्रयास किया जा रहा है। अगर भाषा समझ में आ जाती है तो इतिहास की कई परतें खुलने की संभावना है। ग्रामीणों की मानें तो चांदी के 150 से 200 सिक्के ग्रामीणों को मिले हैं, गांव में पुलिस की ड्यूटी लगा दी गई है।
रासीवास में शुक्रवार को एक सांड की मौत हो गई। उसे दफनाने के लिए गांव के कुछ लोग गांव के बाहर ले गए। वहां पर गड्ढा खोदने के दौरान एक मटका मिला, जिसमें चांदी के सिक्के भरे हुए थे। ये बात गांव में आग की तरह फैल गई। गांव में जिसको भी सिक्कों के बारे में पता चला, वह घटनास्थल पर पहुंच गया। गांव के लोग मटके में मिले सिक्के उठा ले गए। घटना की सूचना प्रशासन को मिली तो एसडीएम जेके आभीर प्रशासनिक टीम के साथ गांव में पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से सिक्के लौटाने की बात कही, मगर कोई भी इस बारे में बोलने को तैयार नहीं था।
एसडीएम ने ग्रामीणों को बताया कि ये सिक्के ऐतिहासिक हैं। इनके माध्यम से यहां के इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल हो सकती हैं। काफी देर समझाने के बाद कुछ ग्रामीण सिक्के लौटाने को राजी हुए। ग्रामीणों ने ये सिक्के सरपंच युद्धवीर को दे दिए। युद्धवीर ने ग्रामीणों द्वारा दिए गए १४ सिक्के एसडीएम को सौंप दिए। प्रशासन ने बाकी सिक्के लोगों से लेने के लिए पुलिस की जिम्मेवारी लगाई है। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है तथा बाकी सिक्के किसके पास हैं, जानने का प्रयास किया जा रहा है। एसडीएम जेके आभीर ने बताया कि ग्रामीणों से मिले १४ सिक्कों में चार-पांच तरह के सिक्के हैं। ये सभी सिक्के काफी वजनी हैं तथा सबका आकार छोटा-बड़ा है। आभीर ने बताया कि सिक्कों पर ऊदरू व फारसी जैसी कोई भाषा लिखी हुई है।

'गहलोत का खेल भी बिगाड़ूंगा, वसुंधरा की दाल भी न गलने दूंगा'


 

>गहलोत और वसुंधरा एक ही सिक्के के हैड और टेल हैं
>गुर्जर समाज को एसबीसी में शामिल करने की मांग में मैं पूरा साथ दूंगा।
जयपुर.निर्दलीय सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि वे अगले चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेल भी बिगाड़ेंगे और प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे की दाल भी नहीं गलने देंगे, क्योंकि ये दोनों एक ही सिक्के के हैड और टेल हैं। गहलोत ने जानबूझकर माथुर आयोग का गठन ऐसे नियमों के तहत किया, जिससे वसुंधरा साफ बच निकलें। गहलोत ने उनके खिलाफ कालीन मामले में भी कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, जब खुद मैंने मुख्यमंत्री से मिलकर मांग की तो भी उन्होंने वसुंधरा के खिलाफ एफआईआर की इजाजत नहीं दी। क्या इसके बाद भी दोनों की मिलीभगत का कोई प्रमाण जरूरी है? मीणा से बेबाक बातचीत :
आप राजनीति में कैसे आए?
>1980 में एक दिन जयपुर मोटरसाइकिल की सर्विस कराने आया था। भाजपा दफ्तर गया तो भैरोंसिंह शेखावत मुझसे बोले : डॉक्टर, चुनाव लड़ लो। उन्होंने मुझे टिकट थमा दिया। मैं मीसा में बंद रह चुका था। प्रांत प्रचारक सोहनसिंह ने मना भी किया, लेकिन शेखावत नहीं माने। मैं हरिसिंह महुआ के मुकाबले 16 वोट से हारा। महुआ में क्लिनिक खोला और मुफ्त इलाज किया। 1985 में मैंने हरिसिंह महुआ को हरा दिया।

आपने भाजपा क्यों छोड़ी?

>छोड़ी नहीं। मुझे निकाला था। वसुंधरा ने पहले कहा : 30 सीटें देंगे, फिर कहा : छह देंगे। दी एक भी नहीं। मेरे इलाके में उषा मीणा और शैलेंद्र जोशी जैसे कांग्रेसी नेताओं को टिकट दे दिया। राजनाथ और आडवाणी से मिला। नतीजा सिफर। जसकौर मीणा को सवाई माधोपुर से, उनके भाई को लालसोट और भतीजे को टोडाभीम से टिकट दे दिया। ये सब वसुंधरा का किया-धरा था।
ऐसा उन्होंने क्यों किया?
>मैं उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ था। मैंने 10 जिलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ चेतना यात्रा निकाली तो वे खफा हो गईं। मैंने कहा : मैं आपका चाटुकार नहीं।
तो आपने कांग्रेस की राह पकड़ ली?
>भंवर जितेंद्र ने मुझे बुलाया। सोनिया, राहुल, पटेल, वासनिक से मिलवाया। उन्होंने कहा : आप हमारा साथ दो। कैबिनेट मंत्री की पेशकश थी, मैंने मना कर दिया, लेकिन अपने समर्थकों को मंत्री बनवा दिया.. मैं वसुंधरा को चेता कर आया था कि देखता हूं, आप राज में कैसे रहेंगी। मुझे वसुंधरा का पाटिया साफ करना था। कर दिया।
क्या अब फिर भाजपा में जाएंगे?
>नहीं। मैं गहलोत-वसुंधरा दोनों का पाटिया साफ करूंगा। वसुंधरा नागनाथ हैं तो गहलोत सांपनाथ हैं। एक ने मीणा-गुर्जर को लड़वाया, दूसरे ने हिंदू-मुसलमान को।
क्या तीसरा मोर्चा बनाएंगे?
>हां। गहलोत और वसुंधरा ने प्रदेश के लोगों को छला है। दोनों ने एक बार ‘तू’ और एक बार ‘मैं’ का प्लान बना रखा है। मैं उनके इस सपने को सफल नहीं होने दूं
क्या प्रदेश में मीणा मुख्यमंत्री हो?
>मुख्यमंत्री धरती पुत्र हो। लेकिन गहलोत और वसुंधरा ने जातियों के गठजोड़ का ऐसा खेल बना दिया कि भाजपा सत्ता में आए तो वसुंधरा और कांग्रेस सत्ता में आए तो गहलोत मुख्यमंत्री बनें। क्या भाजपा नेतृत्व से आपका झगड़ा पहली बार हुआ था?
>1985 में शेखावत से अनबन हुई थी। एक आरटीओ अमरसिंह मीमरोठ ने मुझे बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के बेटे को दो लाख रुपए दिए थे, लेकिन न पोस्टिंग दी, न पैसा लौटाया। यह मामला चल ही रहा था कि सिकंदरा के पास एक्सीडेंट में मीमरोठ की संदिग्ध मौत हो गई। मैंने विधानसभा में मुख्यमंत्री जोशी पर चार्ज लगाया। हंगामा हो गया। मुझे नेता प्रतिपक्ष शेखावत ने कहा : अब यह मामला मत उठाना। मैंने मामला उठाया और कांग्रेस ने कुछ दिन बाद जोशी को हटाकर माथुर को मुख्यमंत्री बना दिया। शेखावत ने उस दिन के बाद से गांठ बांध ली। मेरा टिकट उन्होंने चार बार कटवाया। मैंने उन्हें मनाने की बहुत कोशिशें की, लेकिन वे आखिरी सांस उस बात को नहीं भूले।
आपके भाई को हमेशा बेहतरीन पोस्टिंग मिली है?
>मेरे भाई को तो सबसे रद्दी पोस्ट दे रखी है।
आप नमोनारायण मीणा के खिलाफ थे?
>मैंने उनके समर्थन में एक सभा की थी। मेरी रणनीति थी कि सवाई माधोपुर से भाजपा नहीं जीते।
क्या आप किरोड़ीसिंह बैसला को हराना नहीं चाहते थे?
>कर्नल बैसला स्टेट फॉरवर्ड हैं। राजनीति की चालें उन्हें समझ नहीं आतीं। पहले उन्हें वसुंधरा ने ठगा। अब वे गहलोत के चक्कर में हैं। उन्होंने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर बड़ी गलती कर दी। वे मन के साफ हैं और अक्सर छले जाते हैं। गुर्जर समाज को एसबीसी में शामिल करने की उनकी मांग में मैं पूरा साथ देने को तैयार हूं।
मुख्यमंत्री से क्या आपकी अच्छी अंडरस्टैंडिंग नहीं ह
वे तो मेरे खिलाफ हैं, क्योंकि सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से गहलोत अपने बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते थे। वे मुझे दिल्ली में सीपी जोशी के साथ एक एमपी के फ्लैट पर मिले थे। मैंने खिलाफत की थी।
मैंने भाजपा छोड़ी नहीं। मुझे निकाला था। वसुंधरा ने पहले कहा : 30 सीटें देंगे, फिर कहा : छह देंगे। दी एक भी नही
क्या आप खुद पिछले दरवाजे से सत्तासुख नहीं भोगते रहे हैं?
>मुझे उस गहलोत ने चार बार जेल भेजा, जिन्हें मेरे कारण गद्दी नसीब हुई। गोलमा को हटाया नहीं, उन्होंने इस्तीफा दिया था। हम दोनों नौ दिन धरने पर बैठे। उदयपुर के आदिवासियों की भुखमरी का सवाल उठाने गया तो मुझे जिला बदर कर दिया। सत्ता सुख के नाम पर हमारे पास यह बंगला है।

अधूरी रह गई सुदर्शन की ख्वाजा की चौखट चूमने की इच्छा!


अजमेर.राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख कुप्पहल्ली सीतारामैया सुदर्शन कई बार अजमेर में भी आए थे। सर्व पंथ समादर मंच के कार्यक्रम के दौरान उनका अजमेर में प्रवास देश भर में खासा चर्चित रहा था। इस दौरान वे ख्वाजा साहब की दरगाह में हाजिरी देकर नई मिसाल पेश करना चाहते थे, हालांकि सुरक्षा इंतजामों के चलते ये संभव नहीं हो पाया। वह हाल ही में पुष्कर भी आए थे।उनके निधन पर आरएसएस में शोक की लहर दौड़ गई।संघ के स्वयंसेवकों, पदाधिकारियों और विविध क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

डायन बताकर महिला को बेरहमी से काट डाला, क्षेत्र में सनसनी


 

रियासी. कटड़ा के भागता इलाके में एक महिला को कथित तौर पर डायन बताकर एक युवक ने तेजदार हथियार से गला काटकर उसकी निर्मम हत्या कर दी। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार दोपहर भागता निवासी तीर्थ राम की पत्नी पुष्पा देवी उम्र 50 वर्ष शनिवार दोपहर अपने घर पर अकेली बैठी थी कि अचानक आरोपी शाम लाल उसके घर में घुस आया और तेजदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी।
जिसके चलते महिला की मौके पर ही मौत हो गई। आरोपी मृतका का भतीजा बताया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि आरोपी युवक का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। एएसपी कटड़ा मोहन लाल के नेतृत्व में पुलिस बल ने घटनास्थल का जायजा लिया और लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए कटड़ा अस्पताल भेज दिया है।
आरोपी 24 वर्षीय शाम लाल घटना को अंजाम देने के बाद से फरार बताया जाता है। इस घटना को लेकर मृतक महिला के परिजनों की शिकायत पर कटड़ा थाने में हत्या का मामला दर्ज कर पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। गौर हो कि आरोपी शाम लाल की माता की छह माह पूर्व मृत्यु हो गयी थी। शाम लाल अपनी ताई पुष्पा देवी को मां की मौत का कारण मानता था। इस वजह से वह अपनी ही ताई पर डायन होने का संदेह कर रहा था। इसके लेकर दोनों के बीच पिछले करीब छह माह से रंजिश चल रही थी।

जैसे ही सीएम ड्यूटी में तैनात सिपाही ने हाथ में ली घूस, पड़ गई हथकड़ी!



 

जोधपुर. सीएम ड्यूटी में तैनात लूणी थाने का सिपाही छैलसिंह शनिवार को सालावास में कार्यक्रम स्थल पर ही 1500 रुपए की रिश्वत लेते रंगे-हाथ पकड़ा गया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एएसपी प्रतापसिंह के पास शुक्रवार को केके कॉलोनी निवासी राजूसिंह सिपाही छैलसिंह की शिकायत लेकर आया।
उसने बताया कि कुछ दिन पहले लूणी पुलिस ने अवैध शराब के मामले में हरिराम विश्नोई को गिरफ्तार किया था। सिपाही छैलसिंह परिवादी के घर आया और अवैध शराब का धंधा करने का आरोप लगाकर धमकाने लगा। सिपाही ने कहा कि गिरफ्तार आरोपी हरिराम ने पूछताछ में उसका नाम भी बताया है। सिपाही ने उससे 10 हजार रुपए मांगे और नहीं देने पर गिरफ्तार करने की धमकी दी।
ब्यूरो टीम ने शिकायत का सत्यापन कराया तो सिपाही 1500 रुपए लेने को तैयार हो गया। ब्यूरो ने रविवार को ट्रेप की योजना बनाई। रविवार को यह सिपाही मुख्यमंत्री के सालावास स्थित कार्यक्रम में ड्यूटी पर था। जैसे ही सिपाही ने परिवादी से रिश्वत ली, उसी वक्त ब्यूरो के इंस्पेक्टर हुसैन कुरैशी और लक्ष्मणसिंह ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
झूठा आरोप लगा कर मांगी रिश्वत:
हरिराम विश्नोई पिछले सप्ताह चालीस कार्टन अवैध शराब के साथ पकड़ा गया था। इस मुकदमे की जांच पूरी हो गई और फाइल ब्रिफिंग के लिए एपीपी के पास भी भेजी जा चुकी है। फाइल में राजूसिंह का कहीं नाम नहीं था, मगर सिपाही छैलसिंह उस पर झूठा आरोप लगा कर दस हजार रुपए मांग रहा था।

कुरान का संदेश

अगर आपको डायबीटिज है तो यह खबर आपके काम की है....



 

मधुमेह (डायबीटीज) के रोगियों के लिए यह खबर एक तोहफे से कम नहीं होगी। आप जानकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि हमारी रसोई में प्रयुक्त अदरख शरीर की कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज लेने की क्षमता को बढ़ा देता है।
सरल शब्दों में यदि जाना जाए तो डायबीटिज के रोगियों में शरीर की मेटाबोलिज्म में आयी गड़बड़ी किसी न किसी रूप में इन कोशिकाओं को इनके भोजन ग्लूकोज से वंचित कर देती हैं। फलस्वरूप ये कोशिकाएं भूखी रह जाती हैं और ग्लूकोज का स्तर खून में बढ़ जाता है।
एक नई रिपोर्ट अदरख की उस क्षमता को उजागर कर रही है, जिसमें यह मांसपेशियों की कोशिकाओं पर कार्य कर इनके ग्लूकोज लेने को नियंत्रित करता है। आस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर बेसिल रौफोगेलिस की मानें तो अदरख का एक्सट्रेक्ट कोशिकाओं को इंसुलिन से स्वतंत्र उनके शर्करा लेने को नियंत्रित करता है।
उनका मानना है कि लम्बे समय से डायबीटिज से पीड़ित रोगियों के ब्लडशुगर को नियंत्रित करने में यह एक्सट्रेक्ट इंसुलिन के विकल्प के रूप में काम करता है। यह रिपोर्ट जर्नल प्लानटा मेडीका में प्रकाशित हो चुका है। अब आप जानना चाहेंगे कि भला वो कौन सा तत्व है जो इस काम को अंजाम देता है। इसका नाम ...."जिन्जेरोल "..।
अदरख के कंदों में पाया जानेवाला यह तत्व एक फेनोलिक कंपोनेंट है, जो कोशिकाओं की ग्लूकोज ग्रहण करने के क्षमता को बढ़ा देता है। यदि आप डायबीटीज से पीड़ित हैं, तो आयुर्वेद में वर्णित शुंठी (सौंठ ) का चूर्ण भी आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है और यदि आप चाय के शौकीन हों तो स्टीविया (नेचुरल स्वेटनर) एवं अदरख की चाय पीने से भी रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित रहेगी।

अगर छोटी-छोटी बातें भूलते हैं तो ये सेहत के लिए

 

 

शीर्षक पढ़ कर कुछ अजीब सा लग रहा होगा कि याददाश्त का भी कुछ सम्बन्ध हो सकता है हमारे स्वास्थ्य से। जी हाँ, बिल्कुल सही जानकारी दे रहे हैं हम आपको। हाल के ही एक शोध से यह पता चला है कि हमारी याददाश्त हमारे खान-पान सहित वजन को कम करने से सीधे सम्बंधित होती है। अच्छी याददाश्त हमें अपनी अनुशासित जीवन-शैली लागू करने में मददगार होती है।
आपने देखा होगा कि अक्सर छोटी-छोटी बातों को भूलने की हमारी आदत हमारी कामों की जरूरत और प्लानिंग पर असर डालती है। किसी भी बात को रिकॉल न कर सकना। हमारे लिए महत्वपूर्ण न लगने वाली छोटी-छोटी घटनाओं जैसे दरवाजे को बंद करना भूल जाना, किसी से मिलना याद न रहना कि तरह ही भोजन में क्या लेना और न लेना याद न रखना जैसी स्थिति पैदा करते हैं।
आयुर्वेद में इसे "प्रज्ञाअपराध" की श्रेणी में माना गया है, जो रोगों की उत्पत्ति का कारण है। इन्ही तथ्यों की प्रमाणिकता का आकलन एबरडीन विश्वविद्यालय में किए गए शोध से भी सिद्ध हो रहा है। इस शोध में यह पाया गया कि जिन लोगों क़ी याददाश्त अच्छी नहीं होती है, अक्सर वे अपनी इस आदत के कारण भोजन में फलों और सब्जियों का कम सेवन तथा शक्करयुक्त स्नेक्स का अधिक सेवन कर लेते हैं।
इस शोध में यह पाया गया कि जिन लोगों क़ी याददाश्त अच्छी होती है, वे अपने भोजन में पथ्य-अपथ्य अर्थात लेने, न लेने योग्य पदार्थों का अच्छा खयाल रख पाते हैं। इस शोध के परिणाम ब्रिटिश साइंस फेस्टिवल में प्रस्तुत किए जा चुके हैं। अतः अच्छी याददाश्त के लिए आयुर्वेद में वर्णित मेध्य औषधियों जैसे ब्राह्मी, शंखपुष्पी, ज्योतिष्मती आदि का सेवन करें और छोटी-छोटी बातों को भूलना भूलकर अपने स्वास्थ्य को मेंटेन रखें।

इस शख्स का है भगत सिंह से संबंध, खतरे में है



पानीपत। शहीद भगत सिंह के साथी रहे शहीद क्रांति कुमार का बेटा विनय शर्मा दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में टीबी की बीमारी से जूझ रहा है। अपने 55 वर्षीय भाई के लिए उनकी बहन उर्वशी ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पत्र लिखकर अपने भाई की जिंदगी बचाने की अपील की है।
स्वाधीनता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन पानीपत की अध्यक्ष उर्वशी का कहना है कि ‘मेरे पिता ने अपनी जिंदगी देश पर कुर्बान कर दी और अपने लिए कुछ नहीं मांगा। लेकिन मैं आपसे मांग रही हूं कि मेरे भाई को कुछ मासिक पेंशन या कोई नौकरी दे दें, ताकि ठीक होने के बाद वह अपनी बची हुई जिंदगी सम्मानपूर्वक गुजार सके। ऐनी ते शहीदां दे परिवारां दी कद्र करो। मेरे वीर नू बचा लो।’ उर्वशी का कहना है कि वह किसी तरह मदद लेकर अपने भाई का इलाज करवा रही हैं।
..जब 12 एकड़ जमीन लेने से किया इनकार
शहीद क्रांति कुमार की बेटी उर्वशी ने हुड्डा को लिखे पत्र में कहा है कि पिताजी को 12 एकड़ जमीन मिली थी, लेकिन उन्होंने उसे लेने से इनकार कर दिया था। देश आजाद होने के बाद उन्होंने सरकार से कोई सहायता नहीं ली । आपने एक बार बीस हजार चेक भेजा था। मुझे उम्मीद है कि मेरे भाई के जीवन के लिए आप जरूर सोचेंगे । शहीद परिवार के लिए कम से कम इतना तो किया ही जाना चाहिए। उनके भाई की जान बच जाएगी, उनके लिए इससे बड़ी कोई सहायता नहीं होगी।
क्रांति कुमार : 13 साल रहे जेल में, आजादी के बाद छूटे
6 दिसंबर 1901 में पंजाब (अब पाकिस्तान में) में पैदा हुए क्रांति कुमार युवावस्था में ही कांग्रेस से जुड़े और 1926 में शहीदे आजम भगत सिंह के संपर्क में आए । भगत सिंह के महत्वपूर्ण काम व संवेदनशील फाइलें शहीद क्रांति कुमार ही पहुंचाते। भगत सिंह के संदेश को ले जाते समय 1926 में जेल भेजे गए । ब्रिटिश सरकार ने उनको ए बुलेट इन द सॉस नामक झूठे केस में फंसा दिया। देश आजाद होने पर छूटे। 15 मार्च 1966 को हिंदी भाषा को लेकर छेड़े गए आंदोलन के कारण उठे पंजाबी-हिंदी विवाद के दौरान कुछ अराजक तत्वों ने उन्हें दुकान के अंदर पेट्रोल फेंककर जिंदा जला दिया था।
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