आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

17 सितंबर 2012

पचपन में माँ की ममता ने बचपन याद दिलाया

दोस्तों इन दिनों में बीमार चल रहा हूँ यूँ तो रोज़ मर्रा की जिंदगी में बीमारी अजारी चलती रहती है लेकिन वायरल और फिर थकान वगेरा के कारण बीमारी ने घर बना लिया ..दवाएं वक्त पर चल रही है पत्नी भी जितना हो सकता है सार सम्भाल कर रही है लेकिन इस बीमारी के दोरान एक बार फिर माँ के दुलार ने मुझे पचपन से बचपन में ला खड़ा किया है ....वायरल और फिर उसके बाद के हालत आप समझ सकते है दवाओं की गर्मी ...खांसी ..नजला ज़ुकाम ..रात को घबराहट ..दर्द की तड़प सभी समझते है ..बीवी डॉक्टरी  दवाएं देती रही है ..बच्चे जो खिदमत होती है वोह करते रहे है और हम थोड़े तडपे गोली खाई उठे और कम पर चल दिए ..लेकिन इस बार बीमारी ने लम्बा घर कर लिया है ...मरदूद जाने का नाम ही नहीं लेती है हर बार बीमारी को मेने पछाड़ा है लेकिन बीमारी है के मुझे पछाड़ देना चाहती है ..मेरी खांसी ..मेरा नजला ..मेरे बुखार को देख कर मेरी माँ एक बार फिर तड़प उठीं और उन्होंने दादी माँ और नानी माँ के नुस्खों की लाइन लगा डाली ..पहले हल्दी का दूध दिया ..कम नहीं चला तो लॉन्ग गर्म कर के दी ..फिर काली मिर्च चूसने को दी ..कम नहीं चला तो हरिरा बना कर दिया ..पानी गर्म कर गरारे करवाए .....तुलसी के पत्तों और दाल चीनी अदरक की चाय बनवाई ..नीबू की बिना दूध की चाय बनवाई ..अदरक काट कर तवे पर सकी नमक से लगा लगा कर खिलवायी फिर आटे का हरिरा बनवा कर खिलाया ..एक दिन में मुझे मेरी माँ ने फिर माँ याद दिला दी रात्री को बार बार उठ कर आना तबियत के बारे में पूंछना ....बच्चों को हाथ पैर दबाने के लियें प्रेरित करना कुल मिला कर दुआओं के साथ साथ देसी इलाज माँ का प्यार और डॉक्टरी इलाज चल रहा है लेकिन यकीन मानना दोस्तों में इस बीमारी को धन्य कहना चाहूँगा इस बीमारी का शुक्रगुजार रहूंगा के इस बीमारी के कारण मुझे माँ का प्यार माँ का दुलार जो बचपन में था वोह इस पचपन में याद दिला दिया है ..बीवी की खिदमत अपनी जगह है लेकिन माँ तो बस माँ है खुदा हमेशा सभी की माँ को सह्त्याब रखे लम्बी उम्र दे ..खुशहाल रखे ..चलता फिरता रखे और जो लोग माँ की खिदमत नहीं कर रहे है उन्हें खुदा माँ को समझने माँ की खिदमत करने की तोफीक दे ...में इस पोस्ट को मेरी पत्नी से छुपा कर लिख रहा था लेकिन अचानक उसकी नज़र पढ़ गयी और उसने माँ के दुलार के लियें यह पोस्ट पढ़ी तो वोह रो फफक फफक कर रो पढ़ी क्योंकि काल के क्रूर हाथों ने अभी हाल ही में हमारी पत्नी की माँ को छीन लिया है खुदा  हमारी सासू माँ को   जन्नत नसीब करे ..मेरी बीवी की आँखों में आंसू चेहरे पर सुबकियाँ देख कर मेरी माँ ने एक बार फिर उसे गले लगा कर सांत्वना दी के सब्र करो माँ नहीं तो दूसरी माँ में हूँ ना ...खुदा मेरी पत्नी को भी सब्र दे और सभी की माँ को जिंदाबाद .आबाद ..सह्त्याब ..साडी खुशियों के साथ लम्बी उम्र अता फरमाए आमीन सुम्मा आमीन ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गणेश चतुर्थी यानी गणेशोत्सव







गणेश
हाथी का सिर होने के चलते गणेश जी को ‘गजानन’ भी कहते हैं
गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दर्शी तक गणेशोत्सव दस दिनों तक मनाया जाता है. भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी ही गणेश चतुर्थी कहलाती है.
हिंदू धर्म-संस्कृति में अनेक देवी-देवताओं को पूजा जाता है. इन सभी में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. उनको विघ्ननाशक और बुद्धिदाता भी कहा जाता है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उन्हीं का नाम लेकर की जाती है.
हाथी का सिर होने के चलते उन्हें ‘गजानन’ भी कहते हैं. देश में मनाया जाने वाला गणेशोत्सव उनके महत्व को दर्शाता है. गणेशोत्सव गणेश चतुर्थी से शुरू होता है. विनायक चतुर्थी व्रत भगवान गणेश के जन्मदिन पर रखा जाता है.
वैसे तो देश के लगभग सभी शहरों में इस पर्व को मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इस पर्व को विशेष धूमधाम से मनाये जाने की परंपरा है.

यहां लोग घरों, मुहल्लों और चौराहों पर भव्य पंडाल सजाकर गणेशजी की स्थापना करते हैं. गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक अर्थात दस दिन गणेशोत्सव मनाया जाता है. इस साल गणेश चतुर्थी 19 सितम्बर को है यानी गणेशोत्सव 29 सितम्बर तक मनाया जाएगा.
 गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दर्शी तक गणेशोत्सव दस दिनों तक मनाया जाता है. भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी ही गणेश चतुर्थी कहलाती है. इस साल गणेश चतुर्थी 19 सितम्बर को है और यह पर्व अनंत चतुर्दशी तक चलेगा.

लोककथा एक बार देवी पार्वती स्नान करने के लिए भोगावती नदी गयीं. उन्होंने अपने तन के मैल से एक जीवंत मूर्ति बनायी और उसका नाम ’गणेश‘ रखा. पार्वती ने उससे कहा-हे पुत्र! तुम द्वार पर बैठ जाओ और किसी पुरुष को अंदर मत आने देना.
कुछ देर बाद स्नान कर के भगवान शिव वहां आए. गणेश ने उन्हें देखा तो रोक दिया. इसे शिव ने अपना अपमान समझा. क्रोधित होकर उन्होंने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया और भीतर चले गए.
महादेव को नाराज देखकर पार्वती ने समझा कि भोजन में विलंब के कारण शायद वे नाराज हैं. उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिव को बुलाया. तब दूसरी थाली देखकर शिव ने आश्र्चयचकित होकर पूछा कि दूसरी थाली किसके लिए है?
पार्वती बोलीं, दूसरी थाली मेरे पुत्र गणेश के लिए है जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है. क्या आपने आते वक्त उसे नहीं देखा? यह बात सुनकर शिव बहुत हैरान हुए. उन्होंने कहा, देखा तो था मैंने. पर उसने मेरा रास्ता रोका. इस कारण मैंने उद्दंड बालक समझकर उसका सिर काट दिया.
यह सुनकर पार्वती विलाप करने लगीं. तब पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया. इस प्रकार पार्वती पुत्र गणेश को पाकर प्रसन्न हो गयीं.
उन्होंने पति तथा पुत्र को भोजन परोस कर स्वयं भोजन किया. यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पर हुई थी, इसलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है.
व्रत की विधि व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान कर समूचे घर को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए. इसके पश्चात भगवान गणेश का धूप, दीप, पुष्प, फल, नैवेद्य और जल से पूजन करना चाहिए.
भगवान गणेश को लाल वस्त्र धारण कराया जाता है. यदि वस्त्र धारण कराना संभव ना हो तो लाल वस्त्र दान करना चाहिए. देसी घी के बने 21 लड्डुओं के साथ गणेशजी की पूजा करनी चाहिए. इसमें से दस लड्डू अपने पास रखकर शेष ब्राह्मणों को दान कर देना चाहिए.

गणेश चतुर्थी


गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी
आधिकारिक नाम गणेश चतुर्थी
अनुयायी हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी
तिथि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी
उत्सव दस दिन
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. यह त्योहार महाराष्ट्र में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता हैं।

पुराणानुसार

शिवपुराणमें भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्तिगणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेशपुराणके मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। गण + पति = गणपति । संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक । ‘पति’ अर्थात स्वामी , ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकोंके स्वामी

कथा

शिवपुराणके अन्तर्गत रुद्रसंहिताके चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपालबना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणोंने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णुजीउत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। गणेश्वर!तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। कृष्णपक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अ‌र्घ्यदेकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करे। वर्षपर्यन्तश्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

अन्य कथा

उत्सव में एक गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए ले जाते हुए।
एक बार महादेवजी पार्वती सहित नर्मदा के तट पर गए। वहाँ एक सुंदर स्थान पर पार्वती जी ने महादेवजी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा व्यक्त की। तब शिवजी ने कहा- हमारी हार-जीत का साक्षी कौन होगा? पार्वती ने तत्काल वहाँ की घास के तिनके बटोरकर एक पुतला बनाया और उसमें प्राण-प्रतिष्ठा करके उससे कहा- बेटा! हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, किन्तु यहाँ हार-जीत का साक्षी कोई नहीं है। अतः खेल के अन्त में तुम हमारी हार-जीत के साक्षी होकर बताना कि हममें से कौन जीता, कौन हारा?
खेल आरंभ हुआ। दैवयोग से तीनों बार पार्वती जी ही जीतीं। जब अंत में बालक से हार-जीत का निर्णय कराया गया तो उसने महादेवजी को विजयी बताया। परिणामतः पार्वती जी ने क्रुद्ध होकर उसे एक पाँव से लंगड़ा होने और वहाँ के कीचड़ में पड़ा रहकर दुःख भोगने का शाप दे दिया।
बालक ने विनम्रतापूर्वक कहा- माँ! मुझसे अज्ञानवश ऐसा हो गया है। मैंने किसी कुटिलता या द्वेष के कारण ऐसा नहीं किया। मुझे क्षमा करें तथा शाप से मुक्ति का उपाय बताएँ। तब ममतारूपी माँ को उस पर दया आ गई और वे बोलीं- यहाँ नाग-कन्याएँ गणेश-पूजन करने आएँगी। उनके उपदेश से तुम गणेश व्रत करके मुझे प्राप्त करोगे। इतना कहकर वे कैलाश पर्वत चली गईं।
एक वर्ष बाद वहाँ श्रावण में नाग-कन्याएँ गणेश पूजन के लिए आईं। नाग-कन्याओं ने गणेश व्रत करके उस बालक को भी व्रत की विधि बताई। तत्पश्चात बालक ने 12 दिन तक श्रीगणेशजी का व्रत किया। तब गणेशजी ने उसे दर्शन देकर कहा- मैं तुम्हारे व्रत से प्रसन्न हूँ। मनोवांछित वर माँगो। बालक बोला- भगवन! मेरे पाँव में इतनी शक्ति दे दो कि मैं कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता के पास पहुँच सकूं और वे मुझ पर प्रसन्न हो जाएँ।
गणेशजी 'तथास्तु' कहकर अंतर्धान हो गए। बालक भगवान शिव के चरणों में पहुँच गया। शिवजी ने उससे वहाँ तक पहुँचने के साधन के बारे में पूछा।
तब बालक ने सारी कथा शिवजी को सुना दी। उधर उसी दिन से अप्रसन्न होकर पार्वती शिवजी से भी विमुख हो गई थीं। तदुपरांत भगवान शंकर ने भी बालक की तरह २१ दिन पर्यन्त श्रीगणेश का व्रत किया, जिसके प्रभाव से पार्वती के मन में स्वयं महादेवजी से मिलने की इच्छा जाग्रत हुई।
वे शीघ्र ही कैलाश पर्वत पर आ पहुँची। वहाँ पहुँचकर पार्वतीजी ने शिवजी से पूछा- भगवन! आपने ऐसा कौन-सा उपाय किया जिसके फलस्वरूप मैं आपके पास भागी-भागी आ गई हूँ। शिवजी ने 'गणेश व्रत' का इतिहास उनसे कह दिया।
तब पार्वतीजी ने अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा से 21 दिन पर्यन्त 21-21 की संख्या में दूर्वा, पुष्प तथा लड्डुओं से गणेशजी का पूजन किया। 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं ही पार्वतीजी से आ मिले। उन्होंने भी माँ के मुख से इस व्रत का माहात्म्य सुनकर व्रत किया।
कार्तिकेय ने यही व्रत विश्वामित्रजी को बताया। विश्वामित्रजी ने व्रत करके गणेशजी से जन्म से मुक्त होकर 'ब्रह्म-ऋषि' होने का वर माँगा। गणेशजी ने उनकी मनोकामना पूर्ण की। ऐसे हैं श्री गणेशजी, जो सबकी कामनाएँ पूर्ण करते हैं।

तीसरी कथा

Clay Ganesh Murti, Ganesh Chaturthi.JPG
एक बार महादेवजी स्नान करने के लिए भोगावती गए। उनके जाने के पश्चात पार्वती ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसका नाम 'गणेश' रखा। पार्वती ने उससे कहा- हे पुत्र! तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ। जब तक मैं स्नान न कर लूं, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।
भोगावती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिवजी आए तो गणेशजी ने उन्हें द्वार पर रोक लिया। इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उनका सिर धड़ से अलग करके भीतर चले गए। पार्वती ने उन्हें नाराज देखकर समझा कि भोजन में विलंब होने के कारण महादेवजी नाराज हैं। इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिवजी को बुलाया।
तब दूसरा थाल देखकर तनिक आश्चर्यचकित होकर शिवजी ने पूछा- यह दूसरा थाल किसके लिए है? पार्वती जी बोलीं- पुत्र गणेश के लिए है, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है।
यह सुनकर शिवजी और अधिक आश्चर्यचकित हुए। तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है? हाँ नाथ! क्या आपने उसे देखा नहीं? देखा तो था, किन्तु मैंने तो अपने रोके जाने पर उसे कोई उद्दण्ड बालक समझकर उसका सिर काट दिया। यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुःखी हुईं। वे विलाप करने लगीं। तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया। पार्वती जी इस प्रकार पुत्र गणेश को पाकर बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने पति तथा पुत्र को प्रीतिपूर्वक भोजन कराकर बाद में स्वयं भोजन किया।
यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुई थी। इसीलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।
श्री गणेश मंदिर , झाँसी
==व्रत==
थाइलैंड में गणेश प्रतिमा
भाद्रपद-कृष्ण-चतुर्थी से प्रारंभ करके प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनीचतुर्थी के दिन व्रत करने पर विघ्नेश्वरगणेश प्रसन्न होकर समस्त विघ्न और संकट दूर कर देते हैं।

चंद्र दर्शन दोष से बचाव

प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात्‌ व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।
जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है। इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-
'सिहः प्रसेनम्‌ अवधीत्‌, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥'

गणेश चतुर्थी 19 को: करें राशि अनुसार पूजा, मिलेगा पैसा, नौकरी और हर सुख


गणेश चतुर्थी 19 को: करें राशि अनुसार पूजा, मिलेगा पैसा, नौकरी और हर सुख
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसे गणेश चतुर्थी कहते हैं। इस बार यह पर्व 19 सितंबर, बुधवार को है। भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है।
तंत्र शास्त्र के अनुसार इस विशेष काल में अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान श्री गणेश की पूजा नाम राशि के अनुसार करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। राशि के अनुसार गणनायक की पूजा करने से सफलता और सुख से जुड़ी हर कामना पूरी हो सकती है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि किस राशि के व्यक्ति को किस विधि से श्रीगणेश की पूजा करना चाहिए। आप भी राशि अनुसार यह प्रयोग कर श्री गणेशजी को प्रसन्न कर सकते हैं। श्रीगणेश पूजा का यह उपाय सालभर करने पर घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

यहां लोगों को सता रहे है भूतों का डर, बचने के लिए कर रहे हैं ऐसा



 

रोहतक। अंधविश्वास की छाया आज के भौतिकवादी युग में भी लोगों के दिमाग से हट नहीं पा रही है। फिर सुनी-सुनाई बातों पर अंध-विश्वास कर लोग उसका अनुसरण भी कर रहे हैं। इसी के चलते रोहतक क्षेत्र में कुछ लोगों ने अपने मकानों के बाहर नीम की टहनियों को लगाना शुरू कर दिया है। इसके चलते साफ तौर पर पेड़ों की शामत आती दिख रही है।

इससे बचाव के लिए लोगों ने घरों के बाहर नीम की टहनियां टांग ली हैं। हालांकि वैज्ञानिकों व ज्योतिषियों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं के पीछे कोई सच्चाई नहीं है। शहर के कृपाल नगर, सैनीपुरा, सुखपुरा, उत्तम विहार, प्रेम नगर, दुर्गा कॉलोनी सहित तमाम क्षेत्रों में लोगों ने नीम की टहनियां लगा रखी हैं।

एक तरफ बंधी मां रोती-बिलखती रही, निर्दयी पिता के आदेश पर टूट पड़ा चाचा!



 

कस्बाथाना (बारां). कस्बाथाना क्षेत्र के धनकरी गांव में शनिवार रात हुई बालक की हत्या के मामले में नया मोड़ आया है। पहले पुलिस ने बालक के पिता को हत्या करने के मामले में गिऱफ्तार किया था, मगर अब असली हत्यारा बच्चे का चाचा निकला। उसने पिता के कहने पर ही अपने भतीजे की हत्या की थी। इस पर पुलिस ने बालक के पिता के साथ चाचा को भी गिरफ्तार कर लिया है।
यह बात भी सामने आई कि अपने पुत्र की हत्या करने की साजिश का पता चलने पर जब उसकी मां ने विरोध किया तो उन्होंने उसे रस्सी से बांध दिया था। इस दौरान वह बिलखते हुए अपनी जान के टुकड़े को बख्श देने की गुहार करती रही, मगर पिता व चाचा पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
थानाप्रभारी हरदयाल स्वामी ने बताया कि धनकरी गांव में रतनलाल भील के 3 वर्षीय बेटे अखिलेश की घर पर ही धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी। रविवार शाम तक भी इसकी जानकारी किसी को नहीं मिली। परिजन रोजमर्रा की तरह काम करते रहे।
किसी ग्रामीण को इस बात की भनक लगी तो उसने पुलिस को सूचना दी। इस पर रविवार शाम को अखिलेश के पिता रतनलाल को गिरफ्तार कर लिया था। जांच के बाद रतनलाल की पत्नी समसूबाई के द्वारा पुलिस को दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि उसके परिवार में महिलाएं व बच्चे बीमार रहते थे। रतनलाल ने समसू के साथ उसकी बहन से भी विवाह कर रखा था। दोनों पत्नियां व रतनलाल साथ एक घर में ही रहती थीं। घर के सदस्यों के बार-बार बीमार होने के लिए रतनलाल अखिलेश को जिम्मेदार मानता था। उसका मानना था कि उस पर किसी देवता का साया है, इसीलिए यह स्थिति रहती है।
शनिवार को रतनलाल के घर उसका भाई मांगीलाल आया। दोनों काफी देर तक इसी मुद्दे को लेकर चर्चा करते रहे। इस दौरान रात होने से परिवार के बच्चे व दोनों महिलाएं सो गईं। अचानक रतनलाल व मांगीलाल घर के अंदर गए। जब ये बाहर आए तो मांगीलाल के हाथ में धारिया (धारदार हथियार) था। इस बीच समसू को अखिलेश की हत्या करने की साजिश की भनक लगी तो उसने इसका तगड़ा विरोध किया। इस पर रतनलाल व मांगीलाल ने समसू को एक ओर रस्सी से बांध दिया।
वहीं मांगीलाल ने वहीं सो रहे अखिलेश पर धारिये से वार कर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद दोनों आरोपी वहां से फरार हो गए। समसू रातभर रस्सी से बंधी रही। सुबह जब उसकी पुत्री जगी तब उसने उसे खोला। इसके बाद सदमे के कारण पूरा परिवार चुपचाप रहा। शाम को ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर रतनलाल को गिरफ्तार कर शव कब्जे में लिया। एसपी शिवलाल जोशी ने बताया कि समसूबाई की रिपोर्ट के बाद सोमवार को मांगीलाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। दोनों आरोपियों को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
ग्रामीणों ने ही किया अंतिम संस्कार
अखिलेश के शव का सोमवार सुबह कस्बाथाना अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद वहां उसका शव लेने के लिए कोई परिजन मौजूद नहीं था। इस पर ग्रामीणों ने ही उसका शव लिया। बाद में गांव ले जाकर उन्होंने ने अपने स्तर पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया।

'अच्छा है मोदी को पता चल गया कि उनकी औकात क्या है'



नई दिल्‍ली। गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी 62 साल के हो गए हैं। सोमवार (17 सितंबर) को उनका जन्‍मदिन भाजपा बड़े कार्यक्रम के तौर पर मना रही है। पहली बार बिहार में मोदी का जन्‍मदिन (नीतीश ने केक नहीं मिलने पर जताया अफसोस) सद्भावना दिवस के तौर पर मनाया गया। भाजपा अध्‍यक्ष नितिन गडकरी खुद मोदी के जन्‍मदिन पर उनके साथ रहने के लिए गुजरात पहुंच गए। अटल-आडवाणी के बाद शायद मोदी पहले नेता हैं जिनके जन्‍मदिन को भाजपा में इतना महत्‍व दिया गया है। इसे मोदी के बढ़ते कद के रूप में देखा जा रहा है। मोदी इन दिनों एक महीने की गुजरात यात्रा पर हैं। उन्‍होंने अपनी ओर से जन्‍मदिन पर कोई खास आयोजन नहीं किया है। वह आम दिनों की तरह सोमवार को भी गुजरात में जनसभाओं को संबोधित करते रहे।
इस बीच, कांग्रेस और नरेंद्र मोदी के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है। कांग्रेस ने सोमवार को नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। पार्टी की प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा, 'अच्छा है मोदी को अपनी औकात का पता चल गया। उन्हें पता चल गया कि वे एक क्षेत्रीय नेता हैं। राहुल गांधी को तो सभी राष्ट्रीय नेता मानते हैं।' गौरतलब है कि कांग्रेस की तरफ से यह बयान तब आया जब पार्टी मोदी की तरफ से राहुल गांधी पर हुए हमले से तिलमिला उठी। राजकोट में मोदी ने कांग्रेस महा‍सचिव राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी सिर्फ नेशनल नेता नहीं, बल्कि इंटरनेशनल लीडर हैं और वह इटली से भी चुनाव लड़ सकते हैं। मोदी ने कहा, 'हाल में ही एक कांग्रेसी नेता ने कहा कि राहुल गांधी नेशनल लीडर हैं और मोदी रीजनल। मैं खुश हूं कि मैं गुजरात का नेता हूं, लेकिन राहुल गांधी को नेशनल नेता मानने से सहमत नहीं हूं। राहुल तो इंटरनेशल लीडर हैं।'
कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रवक्‍ता राशिद अल्‍वी से जब  पूछा गया था कि गुजरात चुनाव क्‍या मोदी बनाम राहुल होने वाला है तो उन्‍होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी गुजरात के क्षेत्रीय नेता हैं और राहुल नेशनल लीडर हैं। ऐसे में राहुल का गुजरात जाने का कोई सवाल ही नहीं है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी रविवार को मोदी को क्षेत्रीय और राहुल को नेशनल। लीडर बताया था।

कुरान का संदेश

सामूहिक विवाह सम्मेलन में वी आई पी लोगों की धूम क्या फ़िज़ूल खर्ची में आता है

दोस्तों मेरे इस देश में हालातों के साथ साथ लोगों के रोज़ विचार बदलते है ..आज जो ठीक है कल वोह बुरा होता है और कल जो बुरा था वोह आज अच्छा हो जाता है उलट फेर के इस सच को ही पत्रकारिता और निष्पक्ष निर्भीक लेखन स्वतन्त्रता कहते है में भी इसी समाज का आदमी हूँ चिन्तक हूँ विचारक हूँ में इस विचार धरा से प्रभावित हुए बगेर केसे रह सकता हूँ ................जी हाँ दोस्तों कोटा में कल दो सो बाईस  जोड़ों यानी चार सो च्व्वालिस परिवारों को अंसारी समाज ने एक ही टेंट के निचे खड़ा कर निकाह बंधन में बाँधा और दहेज़ ..फिजूलखर्ची की कुरीतियों को धिक्कारा ..लेकिन दोस्तों एक तरफ तो यह सच है के समाज इस तरह के कार्यक्रमों से देश को एक नई दिशा दे रहे है लेकिन ऐसे  में सियासत अगर हो तो फिर टिप्पणियां तो होना ही है ....आज कोटा में चर्चा थी के एक तरफ तो आयोजक इसे समाज का कार्यक्रम कहते है दूसरी तरफ पांडाल में दूल्हा दुल्हनों इ ज्यादा कथित सियासी लोगों के साथ  आओ सियासत सियासत खेले का खेल होता है कोंग्रेस भाजपा के लोगों को बुलाया जाता है मंच  जाता है वोह तो दूल्हा दुल्हन को उपहार देते नहीं उलटे समाज उनका साफा पहना  कर शोल उढ़ा  कर सम्मान  करता है उन्हें प्रतीक चिन्ह देता है और फिर लम्बा चोडा  भाषण पेल कर चल देता है ..समाज के लोग आपस में लड़ते है इसको क्यूँ बुलाया उसको क्यूँ नहीं बुलाया ...मंच पर अफरा तफरीह का माहोल रहता है मंच कई  बार टूटते और गिरते गिरते बचता है .....समाज को तो इन नेताओं से कुछ नहीं मिलता लेकिन हाँ समाज के ठेकेदारों की इसके बाद सियासी पूंछ जरुर बढ़ जाती है .....रूपये बचाने के ऐसे सम्मेलनों के बाद अनेक लोग लाखों रूपये खर्च कर समाज की दिशा के विपरीत बडा खाना जरुर करते है फिर ऐसे दिखावे ऐसे सम्मेलनों की क्या जरूरत है ..सम्मेलनों में चिन्तक  .समाज सुधारक ..धर्मगुरुओं की गिनती कम और सियासी लोगों की संख्या ज्यादा होती है ..अभी कोटा के सम्मेलन में अंसारी समाज के दूल्हा दुल्हन तक शान्तिकुमार धारीवाल को अगर छोड़ दिया जाए तो बाक़ी किसी भी महमान ने किसी पांडाल में हालात भी जाकर नहीं देखे धारीवाल जी ने अलबत्ता पंडालों में जाकर दूल्हा दुल्हन के परिजनों के हाल चाल  जाने उन्हें आशीर्वाद दिया जिससे वोह गदगद भी हुए .....अल कोटा में राजस्थान ..उत्तर प्रदेश ..बिहार  और केंद्र स्तर के दो दर्जन स भी अधिक सुपर स्टार यानि मंत्री दर्जा वाल वी आई पी लोग थे ...आयोगों के अध्यक्ष मंत्री ..संसद ..विधायक ..केबीनेट मंत्री ..राज्य मंत्री सभी तो थे ..कोटा का प्रशासन हतप्रभ था भोचक्का था वोह इतने सारे मंत्री स्तर के वी आई पी  आ जाने से उनके ठहरने उनके खाने पीने का इन्तिजाम कर पाने में खुद को अक्षम समझ रहे थे ..प्रशासन के पास न अतो रहने के लियें कमरे ..न इन को लाने ले जाने के लियें गाड़ियाँ ...प्रोटोकोल के लियें अधिकारी नहीं ..एस्कोर्ट पुलिस नहीं ..सलामी के लियें जवान नहीं ..एक गाड़ी का तो यह हाल था के एक महिला वी आई पि के लियें जो गाड़ी आई उसमे चूहे ने सभी को डांस करवा दिया बढ़ी मुश्किलों में चूहे जी गाड़ी से बाहर  निकले ..एक सवाल जो चीखता है वोह यह है के क्या देश के दूरदराज़ इलाकों से आने वाले इन नेताओं से समाज या सम्मेलन को कोई फायदा है देश की सरकार के आने जाने ..खाने पीने और ठहरने के आलावा भत्तों पर खर्च यह लाखों करोड़ों रूपये किसके खाते से खर्च होंगे एक आम इंसान एक गरीब इन्सान के खाते से ही तो यह रुपया जाएगा ..तो जनाब ऐसे विवाह स्म्मेलानों के मामले में एक पक्ष यह भी आज उठा था ज्सिका ज़िक्र भी आप लोगों से करना जरूरी था चिंतन और मंथन अब आपको करना है क्या सवाल हो क्या जवाब क्या दिया जाये आपको बताना है .........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान सरकार के महाधिवक्ता नासिर अली नकवी बिम्मारी के बाद अस्पताल में में भर्ती


राजस्थान सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता नासिर अली नकवी की अचानक तबियत खराब होने के बाद जयपुर के चिकित्सालय . में भरती कराया गया है ...जयपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती नासिर अली नकवी का इलाज चल रहा है जहां उनकी हालत अब खतरे से बाहर है ...सभी से गुज़ारिश है के नासिर अली नकवी के शीघ्र स्वास्थ सुधार के लियें खुदा इश्वर भगवान से दुआ करें .....नासिर अली नकवी कोंग्रेस सेवादल से जुड़े रहने के बाद वकालत के व्यसाय में आये और तब से ही वोह दो बार बार कोंसिल ऑफ़ राजस्थान का लगातार चुनाव जीतकर आये है ..इसके पूर्व नकवी राजस्थान सरकार में प्रदेश वक्फ बोर्ड के चेयरमेन पञ्च सालों से रह चुके है ..उनकी कानूनी जानकारी का लोहा सभी लोग स्वीकारते है और वोह कई विधि जर्नल्स के विधि सलाहकार भी रहे है ..हंसमुख स्वभाव और सभी के कम आने वाले नासिर अली नकवी इन दिनों राजस्थान सरकार में अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में जयपुर बेंच में नियुक्त है और बखूबी सरकार की पेरवी कर रहे है के सुबह अचानक उनकी तबियत खराब हुई ..उच्च रक्त ताप की शिकायत के बाद निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है जहां उन्हें पक्षाघात से पीड़ित बताया है ..खुदा उन्हें जल्दी सह्त्यब करे इसके लियें टोंक .जयपुर कोटा ..जोधपुर सहित कई जिलों में उनके शुभ चिन्तक दुआएं कर रहे है खुदा उन्हें जल्दी श्त्यब करे आमीन सुम्मा आमीन आपकी दुआओं की भी दरकार है ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सिर कटा सकते हैं, लेकिन सिर झुका सकते नहीं: कांग्रेस


नई दिल्‍ली. सहयोगी दलों के विरोध के तेज होते स्वर के बीच कांग्रेस आर्थिक सुधार के अपने कदमों से पीछे हटती नहीं दिख रही है। कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सहयोगी दलों की एफडीआई और डीजल पर लिए गए फैसलों को वापस लेने की मांग के मुद्दे पर कहा कि उनकी पार्टी की सरकार अब सिर कटा सकती है, लेकिन सिर झुका नहीं सकती है। इस बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी कहा है कि सरकार डीजल के दाम में बढ़ोतरी के फैसले को वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी की बैठक में सरकार कुछ और कड़े फैसले भी ले सकती है।
लेकिन दूसरी तरफ, पश्चिम बंगाल की सीएम और केंद्र की यूपीए सरकार में अहम सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की चीफ ममता बनर्जी की ओर से मनमोहन सरकार को दिए गए 72 घंटे के अल्‍टीमेटम की अवधि सोमवार को खत्‍म हो रही है। पार्टी के नेता सुल्तान अहमद ने कहा है कि पार्टी के सामने विरोध जताने के लिए तीन विकल्पों पर विचार हो रहा है। अहमद के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस जिन तीन विकल्पों पर विचार कर रही है उनमें केंद्र सरकार से समर्थन वापसी, दूसरा विकल्प-मंत्री अपने दफ्तर न जाएं और तीसरा विकल्प-मंत्री सरकार से हट जाएं जैसे विकल्प शामिल हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में कहा है कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर मंगलवार शाम 5 बजे एक बैठक में फैसला लेगी। 
हालांकि ऐसी भी खबर है कि ममता बनर्जी को 'मनाने' के लिए प्रधानमंत्री उनसे फोन पर बात कर सकते हैं। यदि मनमोहन ममता को मनाने में कामयाब नहीं रहे तो केंद्र में तृणमूल के रेलमंत्री और 5 अन्य राज्यमंत्री इस्तीफा दे देंगे। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा, 'हम ममता बनर्जी का सम्‍मान करते हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि वह सरकार से अलग नहीं होंगी।' उधर, नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राहुल गांधी पर निशाना साधा है।
इस बीच, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा है कि देश में जल्द ही मध्यावधि चुनाव होंगे। गडकरी का कहना है कि मध्यावधि चुनाव में बीजेपी बड़ी जीत दर्ज करेगी।

विवादित फिल्म: पाकिस्तान में हजारों की भीड़ ने बैरिकेड तोड़ा


कराची/नई दिल्ली. पाकिस्तान में विवादित फिल्म के विरोध में प्रदर्शन हिंसक हो गया है। कराची में हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़कर अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर कब्जा करने की कोशिश की। लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने हवा में गोलियां चलाकर और आंसू गैस के गोले छोड़कर भीड़ को काबू में करने किया। हालांकि, दूतावास के बाहर अब भी तनाव है। पाकिस्तान के पेशावर, चमन और पाक के कब्जे वाले कश्मीर में फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। 
इससे पहले खैबर-पख्तूनख्वा के ऊपरी डीर जिले में विरोध प्रदर्शन के दौरान चलीं गोलियों का शिकार बने एक शख्स की मौत हो गई, जबकि दो लोग घायल हो गए। करीब एक हजार लोगों की भीड़ ने प्रेस क्लब और एक पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया। 
दूसरी तरफ, पैगंबर और इस्‍लाम का अपमान करने वाली विवादित फिल्‍म के खिलाफ कई देशों में सोमवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी है। पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान के अलावा भारत के भी कई शहरों में लोग सड़क पर उतरे।
मोहम्‍मद पैगंबर और इस्लाम के खिलाफ अमेरिकी फिल्म के विरोध में सोमवार को भी देश के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन जारी है। श्रीनगर से लेकर चेन्‍नई तक विरोध जताया जा रहा है। 55 वर्षीय नकौला बैसले नकौलाउर्फ सैम बेसाइल ने फिल्‍म का निर्माण किया है। दुनिया के तमाम देशों में भी विरोधजारी है।
कश्‍मीर के अलगाववादी समूह मुस्लिम खवातिन मरकज ने श्रीनगर में आज जमकर फिल्‍म और अमेरिका विरोध नारे लगाए। इसके बाद पुलिस  ने समूह के सभी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने हालात को देखते हुए पहले से ही इंतजाम कर लिए थे। इसमें नेताओं को नजरबंद किया गया। इसके अलावा कश्मीर के कई जिलों में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी लगाए गए हैं।
इससे पहले भी कश्मीर के कई स्थानों पर जोरदार प्रदर्शन हुए हैं। कुछ कट्टरपंथी नेताओं सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक, मोहम्मद यासीन मलिक, शबीर शाह, मोहम्मद नयीम खान समेत करीब एक दर्जन नेताओं को घर में ही नजरबंद कर दिया गया ताकि कश्मीर के हालात और खराब ना हो।
इस मामले में ग्रैंड मुफ्ती बशीरूदीन ने एक फरमान जारी करते हुए कहा कि कश्मीर में जो भी अमेरिका के लोग हैं वह कश्मीर छोड़ कर चले जाएं नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इसके विरोध में कई लोगों ने खाना तक नहीं खाया है। अमेरिका की फिल्म के सोशल नेटवर्क साइट पर आने से यह विरोध का सिलसिला शुरू हुआ है।
दूसरी ओर , चेन्‍नई में वीजा सेंटर को अगले दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। यहां भी फिल्‍म को लेकर लगातार विरोध हो रहा है। जिसके बाद चेन्‍नई स्थित अमेरिकी दूतावास पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसकी वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि सोमवार और मंगलवार को वीजा सेक्‍शन बंद रहेगा। जिन लोगों के  पहले से अपॉइंटमेंट थे, उन्‍हें नई तारीख जल्‍ दी बता दी जाएगा। अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए आपातकालीन सेवा को चालू रखा है। यहां तीन दिनों से लगातार हो रहे अमेरिकी विरोध के कारण यह फैसला लिया गया है।
वहीं, पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान में भी हालात बेकाबू बने हुए हैं। अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल में अमेरिकी ऑर्मी के बस पर हजारों की तादाद में स्‍थानीय नागरिकों ने विरोध किया। यहां के जलालाबाद रोड पर कई कारों को आग के हवाले कर दिया गया। साथ में अमेरिकी सैनिकों को भी निशाना बनाया गया

गरीब मजलूमों के लियें इन्साफ का देवता बने रंगनाथ मिश्र का निधन

दोस्तों कितने अफ़सोस की  है के जिसने हमे प्रताड़ना ..ज़ुल्म ज्यादती के दोर में ऊँगली पकड़ कर चलना  सिखाया जिसने दुःख तकलीफ में हमे इन्साफ दिलाकर हंसना सिखाया आज उसी की मोत को हम भुला बेठे है ..जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे हैं जस्टिस रंगनाथ मिश्र की जिनका जीवन लोगों को न्याय दिलवाने और उनके पीड़ा दूर करने में गुज़र गया .....रंगनाथ मिश्र वकालत से लेकर जज बन्ने  और उसके बाद तक आम जनता और उसकी पीड़ा से लगातार जुड़े रहे ...मानवाधिकार मामलात ..त्वरित न्यायिक व्यवस्था ..शोषण उत्पीडन पुलिस ज़ुल्म के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही का कानून सब आपके फ़सलों में झलकते हैं ..रंग नाथ मिश्र की कोटा से लगातार यादें जुडी रही है इनके जस्टिस कार्यकाल में यह कोटा में लायंस क्लब के कार्यक्रम में आये और कोटा न्यायालय परिसर में निर्मित पक्षकार भवना का इन्होने लोकार्पण किया ..कोटा की पहली लोक अदालत का उद्घाटन भी मिश्र ने किया ...इतना ही नहीं जब आप राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग के  पहले राष्ट्रिय अध्यक्ष बने तो आप ने एडवोकेट अख्तर खान अकेला एडवोकेट आबिद अब्बासी पदाधिकारी ह्युमन रिलीफ सोसाइटी द्वारा भेजी पुलिस प्रताड़ना की शिकायत को प्रमुखता दी और राष्ट्रिय  आयोग में राजस्थान की पहली शिकायत कोटा की दर्ज कर पीड़ित बाबु इरानी और उसके परिजनों को सरकार से क्षतिपूर्ति राशी दिलवाई साथ ही पुलिस उत्पीडन करने वाले थानाधिकारी के खीलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के निर्देश जारी किये ...रंगनाथ मिश्र ने ह्युमन रिलीफ सोसाइटी के एडवोकेट अख्तर खान अकेला द्वारा भेजी गयी जेल प्रताड़ना और  की शिकायत को भी गम्भीरता से लिया और प्रमुखता से प्रसंज्ञान  लेकर पहले इस शिकायत की न्यायिक जांच करवाई और फिर इस रिपोर्ट के आधार पर कोटा जेल सम्बन्धित शिकायात को राजस्थान उच्न्ययाली को जनहित याचिका मानकर  करने के आदेश दिए आज कोटा ही नहीं राजस्थान की जेलों में जो भी सुरक्षा साधन संसाधन उपलब्ध है  वोह सब जस्टिस रंगनाथ मिश्र के  और प्रयासों की ही देन है ..जस्टिस मिश्र इंसाफ के देवता थे उन्होंने देश भर में मानवाधिकार का पथ पुलिस सहित सभी विभागों में पढाया और सरकारों की भी खिंचाई की जो आज देखने को नहीं मिल रहा है ..रंगनाथ मिश्र ने जब पिछड़े मुसलमानों पर अपनी तार्किक निष्पक्ष रिपोर्ट पेश की तो देश की सरकारें हिल गयी एक  हकीक़त देश के सामने थी जिससे राजनितिक भूचाल आ जाना स्वाभाविक था लेकिन अफ़सोस आज वोह हमारे बीच नहीं रहे उनकी रिपोर्ट हमारे बीच है लकिन उसे सियासी कारणों से वोटों के लालच में फ़ुटबाल बना दिया है और लागू कर देश को एक नई दिशा की तरफ नहीं ले जाया जा रहाहै ऐसे निर्भीक ..तार्किक निर्विवाद ..शोषित और उत्पीडित गरीब लोगों की  जाती , धर्म , लिंग देखे बगेर  उन्हें इंसाफ दिलाने की कोशिश करने वाले इंसाफ के देवता को सलाम सेल्यूट . अफ़सोस इस बात का है के  नेटवर्किंग साईट ऐसी शख्सियतों के बारे में लोगों को कोई सच्चाई की जानकारी नहीं दे रही है .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

'शिक्षा के लिए जागरूक होना पड़ेगा'




city news
कोटा। राजस्थान में अल्पसंख्यकों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए जागरूक होना पड़ेगा। अभी वे इस दौड़ में बहुत पीछे हैं। केरल में अल्पसंख्यकों की 14 हजार श्ौक्षणिक संस्थाएं हैं, लेकिन हमारे यहां 14 संस्थाएं भी नहीं हैं। यह बात राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष माहिर आजाद ने कही।
 कोटा प्रवास के दौरान रविवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकार 15 सूत्रीय कार्यक्रम के माध्यम से अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है। आगामी श्ौक्षणिक सत्र में पांच लाख अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा, सामूहिक विवाह सम्मेलन का चलन अच्छी बात है। इससे फिजूलखर्च नहीं होता और जो धन बचता है, उसे बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने पर खर्च करना चाहिए। इससे समाज की तरक्की होगी।

भगवान के दरबार में 'भय' का ऐसा दृश्य देख सहम गए लोग



मथुरा. वृन्‍दावन के बांके बिहारी मंदिर में रविवार दोपहर भगदड़ मच गई। इसमें छह लोग घायल हो गए। अधिमास की वजह से भक्‍तों की भीड़ बेतहाशा थी। लोग रेलिंग के ऊपर और नीचे से निकलकर आगे जाना चाह रहे थे। इसी दौरान भगदड़ मच गई। भीड़ में दबने से एक महिला पुलिस कांस्‍टेबल बेहोश हो गई। अन्‍य घायल लोग दिल्‍ली व इसके आस-पास के निवासी हैं।
जानकारी के मुताबिक, भगदड़ में दिल्ली (करोलबाग) निवासी उमेश गुप्त (55 वर्ष)के पैर में चोट लगी और उनकी पतलून फट गई। भीड़ के दबाव में मथुरा की 35 वर्षीय महिला होमगार्ड ऊषा रेलिंग के बीच गिरिराजजी स्तंभ के पास गिर पड़ी। सिर से खून बहने की वजह से वह बेहोश हो गईं। मंदिर के कर्मचारियों ने उन्हें मंदिर के गेट संख्या चार से बाहर निकाला। पैर फंस जाने से मुरसान के पूर्व चेयरमैन लाला बाबू सारस्वत (85) के पैर में गंभीर चोट आई।
मंदिर में दम घुटने से तरौली निवासी 22 वर्षीय तृप्ती सिसौदिया बेहोश हो रेलिंग के बीच में ही जा गिरी। मंदिर के कर्मचारियों एवं गोस्वामियों ने युवती को रेलिंग से निकाला। समसाबाद निवासी 22 वर्षीय रितु भीड़ के दबाव से बेहोश हो गई। सभी को अस्‍पताल में भर्ती करवाया गया है।
बताते चलें कि इससे पहले 19 अगस्‍त 2012 और 20 नवम्‍बर 2009 को भी हादसा हो चुका है। मंदिर में लगे रेलिंग की वजह से ये हादसे हो रहे हैं। रविवार को लोगों को बांके बिहारी के नजदीक पहुंचने का मौका नहीं मिल पा रहा था। भीड़ का दबाव ज्‍यादा था और लोग रेलिंग पार कर आगे बढ़ने लगे। आगे की रेलिंग में पहले से ही भीड़ थी। इसी बीच भगदड़ मच गई। भीड़ के दबाव से मंदिर का ग्रिल (लोहे का गेट) टूट गया।

हरतालिका तीज कल: इस विधि से करें व्रत, पूरी होगी मनोकामना



 

हरितालिका तीज का व्रत 18 सितंबर, मंगलवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार विधि-विधान से हरतालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-

विधि
इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पीए) रहकर व्रत करती है। इस दिन भगवान शंकर-पार्वती का बालू की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। अपने घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं। प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें।  इस व्रत का पूजन रात्रि भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण करती हैं, और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं।
प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। भगवती-उमा की अर्चना के लिए निम्न मंत्रों का प्रयोग करें-
ऊँ उमायै नम:,  ऊँ पार्वत्यै नम:, ऊँ जगद्धात्र्यै नम:, ऊँ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:, ऊँ शिवायै नम:
- भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-
ऊँ हराय नम:, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ शम्भवे नम:, ऊँ शूलपाणये नम:, ऊँ पिनाकवृषे नम:, ऊँ शिवाय नम:, ऊँ  पशुपतये नम:, ऊँ महादेवाय नम:
पूजन दूसरे दिन सुबह समाप्त होता है तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...