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18 सितंबर 2012

भगवान श्रीकृष्ण पर भी लगा था चोरी का आरोप, जानिए क्यों



 

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के रात्रि को चंद्रमा के दर्शन नहीं किए जाते नहीं तो चोरी का झूठा आरोप लगता है, ऐसा हमारे धर्म ग्रंथों में वर्णित है। इस संबंध में श्रीकृष्ण की एक कथा भी है जो इस प्रकार है-

भगवान श्रीकृष्ण के राज्य में सत्राजित नाम के एक यदुवंशी ने सूर्य भगवान को तप से प्रसन्न कर स्यमंतक मणि प्राप्त की थी। वह मणि प्रतिदिन सोना प्रदान करती थी। एक दिन सत्राजित राजा उग्रसेेन के दरबार में आया। वहां श्रीकृष्ण भी उपस्थित थे। श्रीकृष्ण ने सोचा कि कितना अच्छा होता यह मणि अगर राजा उग्रसेन के पास होती। किसी तरह यह बात सत्राजित् को मालूम पड़ गई। इसलिए उसने मणि अपने भाई प्रसेन को दे दी। एक दिन प्रसेन जंगल गया। वहां शेर ने उसे मार डाला।
जब प्रसेन वापस नहीं लौटा तो सत्रजित को लगा कि कि कहीं श्रीकृष्ण ने प्रसेन को मारकर मणि तो नहीं चुरा ली। धीरे-धीरे यह बात राज्य में फैल गई। लेकिन वह मणि तो  शेर के मुंह में ही रह गई थी। जाम्बवान ने उस शेर को मारकर वह मणि अपनी पुत्री को दे दी। जब श्रीकृष्ण को यह मालूम पड़ा कि उन पर झूठा आरोप लग रहा है तो वे सच जानने के लिए जंगल में गए और मणि की तलाश में जाम्बवान की गुफा तक पहुंचे और जाम्बवान से मणि लेने के लिए उसके साथ 21 दिनों तक घोर संग्राम किया।
अंतत: जाम्बवान समझ गया कि श्रीकृष्ण तो उनके प्रभु हैं। त्रेता युग में श्रीराम के रूप में वे उनके स्वामी थे। जाम्बवान ने तब खुशी-खुशी वह मणि श्रीकृष्ण को लौटा दी और अपनी पुत्री जामबंती भी श्रीकृष्ण को सौंप दी। मणि मिलने पर सत्राजित ने भी अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह श्रीकृष्ण से कर दिया

जानिए श्रीगणेश का असली मस्तक कटने के बाद कहां गया!



 

 
भगवान गणेश गजमुख, गजानन के नाम से जाने जाते हैं, क्योंकि उनका मुख गज यानी हाथी का है। भगवान गणेश का यह स्वरूप विलक्षण और बड़ा ही मंगलकारी है। आपने भी श्रीगणेश के गजानन बनने से जुड़े पौराणिक प्रसंग सुने-पढ़े होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं या विचार किया है कि गणेश का मस्तक कटने के बाद उसके स्थान पर गजमुख तो लगा, लेकिन उनका असली मस्तक कहां गया? जानिए, उन प्रसंगों में ही उजागर यह रोचक बात -
पौराणिक मान्यता है कि जब माता पार्वती ने श्रीगणेश को जन्म दिया, तब इन्द्र, चन्द्र सहित सारे देवी-देवता उनके दर्शन की इच्छा से उपस्थित हुए। इसी दौरान शनिदेव भी वहां आए, जो श्रापित थे कि उनकी क्रूर दृष्टि जहां भी पड़ेगी, वहां हानि होगी। इसलिए जैसे ही शनि देव की दृष्टि गणेश पर पड़ी और दृष्टिपात होते ही श्रीगणेश का मस्तक अलग होकर चन्द्रमण्डल में चला गया।
इसी तरह दूसरे प्रसंग के मुताबिक माता पार्वती ने अपने तन के मैल से श्रीगणेश का स्वरूप तैयार किया और स्नान होने तक गणेश को द्वार पर पहरा देकर किसी को भी अंदर प्रवेश से रोकने का आदेश दिया। इसी दौरान वहां आए भगवान शंकर को जब श्रीगणेश ने अंदर जाने से रोका, तो अनजाने में भगवान शंकर ने श्रीगणेश का मस्तक काट दिया, जो चन्द्र लोक में चला गया। बाद में भगवान शंकर ने रुष्ट पार्वती को मनाने के लिए कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख या हाथी का मस्तक जोड़ा।
ऐसी मान्यता है कि श्रीगणेश का असल मस्तक चन्द्रमण्डल में है, इसी आस्था से भी धर्म परंपराओं में संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन व अर्घ्य देकर श्रीगणेश की उपासना व भक्ति द्वारा संकटनाश व मंगल कामना की जाती है।

गणेशजी के चूहे से सीखें LIFE MANAGEMENT



 

शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं के वाहन अलग-अलग और विचित्र बताए हैं। किसी भी देवता का वाहन अज्ञान और अंधकार की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसका नियंत्रण वह देवता करते हैं। गणेशजी का वाहन है मूषक यानि चूहा। गणपति को विशालकाय बताया गया है जबकि उनका वाहन मूषक अति लघुकाय है।
आज जीवन के अनुसार गणेशजी का चूहा हमें कई महत्वपूर्ण लाइफ मैनेजमेंट के फंडे बताता है जिन्हें अपनाकर हम हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। चूहा जिस प्रकार हमारे घर में कहीं बिल बनाकर रहता है और हम चूहे को बिल के अंदर देख नहीं पाते हैं। इसी वजह से चूहे को अंतर्यामी ब्रह्म का प्रतीक माना गया है। अंतर्यामी ब्रह्म से तात्पर्य है कि सृष्टि के सभी पदार्थों, सभी स्थानों में ईश्वर का वास है लेकिन दिखाई नहीं देते। जिस प्रकार हम हमारे ही घर में रहने वाले चूहे को बिल के अंदर नहीं देख पाते, ठीक उसी प्रकार मोह, अविद्या, अज्ञानवश हम भगवान को भी समझ नहीं पाते हैं। अत: हमें भी अपना अभिमान त्याग कर परमात्मा की उपासना करनी चाहिए।
गणेशजी को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। उनका वाहन चूहा भी जिस प्रकार किसी भी वस्तु को कुतर-कुतर कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर देता है उसी प्रकार हमें भी बुद्धि के प्रभाव से जीवन की सभी समस्याओं अलग-अलग कर विश्लेषण करना चाहिए। जिससे सत्य और ज्ञान तक पहुंचा जा सके। जिन लोगों पर गणपति की कृपा होती है, उन्हें अच्छी बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है।
चूहा बिल में छिपकर रहने वाला अंधकार प्रिय प्राणी है। इस वजह से यह नकारात्मक और अज्ञानी शक्तियों का प्रतीक भी है। ये शक्तियां ज्ञान और प्रकाश से डरती हैं और अंधेरे में अन्य लोगों को हानि पहुंचाती हैं। जो व्यक्ति गणेशजी की कृपा प्राप्त करना चाहता है उसे इन सभी नकारात्मक शक्तियों और भावनाओं का त्याग करना होगा। तभी वह व्यक्ति ज्ञान और बुद्धि प्राप्त कर सकता है। अंधकार और नकारात्मक विचारों को छोडऩे के बाद व्यक्ति को जीवन के हर कदम पर सफलता ही प्राप्त होती है।
जिस प्रकार चूहा हमेशा ही सर्तक और जागरुक रहता है उसी प्रकार हमें भी हर प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए और समस्याओं को तुरंत सुलझा लेना चाहिए।
चूहे को धान्य अर्थात् अनाज का शत्रु माना जाता है और श्रीगणेश का उस नियंत्रण रहता है। अत: श्रीगणेश का वाहन मूषक यह संकेत देता है कि हमें भी हमारे अनाज, संपत्ति आदि को बचाकर रखने के लिए उन विनाशक जीव-जंतुओं पर नियंत्रण करना चाहिए। वहीं हमारे जीवन में जो लोग हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं उन पर भी पूर्ण नियंत्रण किया जाना चाहिए। ताकि जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाए और हम सफलताएं प्राप्त कर सके।
इन सभी बातों को अपनाने से हमारे जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाएंगी। धन, संपत्ति और धर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त होंगी। घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलेगा।

...तो रात में नहीं हो सकेगी शादी और मेहमानों के लिए बस चाय-पकौड़े


नई दिल्ली। सोचिए अगर शादी-ब्याह बिना बैंड-बाजे और छत्तीस भोग के व्यंजनों के संपन्न करना पड़े तो क्या होगा? जी हां, केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय की चली तो जल्द ही आपको अपने 'बिग-फैट वेडिंग' को सिर्फ चाय-पकौड़े में ही निबटाने पर मजबूर होना पड़ेगा। मंत्रालय जल्द एक ऐसा प्रस्ताव लेकर आ रहा है जिसके कानून का रूप लेने के बाद पूरे देश में शादी के आयोजन दिन के उजाले में और चाय-नाश्ते में ही संपन्न करना होगा।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने 'भास्कर' से खास बातचीत में कहा, 'सरकार ऐसा कानून लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सभी धर्मों और तबके के लोगों के लिए शादी-ब्याह के खर्च को सीमित करना होगा। इसमें शादी के बाद दूल्हा- दुल्हन के बेहद करीबी रिश्तेदारों को चाय-नाश्ता देने पर ही पैसा खर्च करने का प्रावधान होगा।' उन्होंने बताया कि भारतीय समाज में बेटी पैदा होने पर मां-बाप दहेज और शादी के लिए पैसा जोडऩे या कर्ज लेने जैसे बोझ के डर की वजह से ही भ्रूण-हत्या जैसा कदम उठाते हैं। इससे समाज में लिंग अनुपात में खासी कमी देखी जा सकती है। अगर नया कानून लागू होता है तो देश में कन्याओं के प्रति नजरिए में खासा बदलाव होगा।

कुरान का संदेश

आध्यात्म खुद को जानने और समझने का साइंस



 

कोटा. आध्यात्मिक संस्थान ‘पावन चिंतन धारा’ के संस्थापक, दिल्ली यूनिवर्सिटी में राजनीतिशास्त्र के प्राध्यापक तथा टीवी चैनलों पर एस्ट्रो अंकल के नाम से विख्यात पवन सिन्हा (भैया जी) 21 सितंबर को कोटा आएंगे। वे यहां दैनिक भास्कर द्वारा जीवन प्रबंधन पर एक मोटिवेशनल सेमीनार में व्याख्यान देंगे।



कार्यक्रम में मां भगवती एजुकेशन ग्रुप के इंजीनियर सुरेश नागर, सेंट जोसेफ सी.सै.स्कूल के डॉ.अजय शर्मा, आर्यन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के जगदीश सैनी तथा समाजसेवी क्रांति तिवारी व दिनेश जोशी मुख्य सहयोगी होंगे। सिन्हा 8 साल की उम्र में ही ईश्वर की खोज के लिए घर छोड़कर गंगोत्री के तपोवन में साधना करने चले गए थे। 12 से 28 साल की उम्र तक वे साधना करते रहे। उनके अनुसार, आध्यात्म स्वयं को जानने और समझने का साइंस है।
समाज की परेशानियों का मूल कारण लालच, संकीर्ण मानसिकता, असहनशीलता और असुरक्षा की भावना है। जो आध्यात्म से जुड़ता है वह विनम्र, ईमानदार, कर्मयोगी, सहनशील, आत्मविश्वासी, वैज्ञानिक व देशभक्त बनता है। उनका कहना है कि भाग्य सौ प्रतिशत निश्चित नहीं होता, व्यक्ति अपने कर्म, विवेक व आध्यात्म से भाग्य को बेहतर बना सकता है। टीवी चैनलों के जरिए घर-घर की जिंदगी का हिस्सा बन चुके एस्ट्रो अंकल पवन सिन्हा ने संविधान, मानवाधिकार, शिक्षा, योग, स्वास्थ्य, व्यक्तित्व और विभिन्न सामाजिक विषयों पर 1500 से ज्यादा व्याख्यान दिए हैं।
‘गीता और विलक्षण जीवन’ आपका प्रिय विषय है। सिन्हा का कहना है कि युवाओं में चिड़चिड़ापन,कम उम्र में कामुक प्रवृत्ति, अवज्ञाकारी होना, अशांत मन, आक्रामकता, संकोच, आत्मविश्वास में कमी और अनेक बीमारियों को बहुत साधारण उपायों से कम किया जा सकता है। आपका नारा है- ‘परिवर्तित हो, परिवर्तन करो।’

श्रीगणेश चतुर्थी कल: जानिए, पूजन की सरल विधि व शुभ मुहूर्त



 

धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था, इसीलिए इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, सिद्धिविनायक चतुर्थी और श्रीगणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी 19 सितंबर, बुधवार को है। कहते हैं कि इस दिन जो स्नान, उपवास और दान किया जाता है, उसका फल भगवान श्रीगणेश की कृपा से सौ गुना हो जाता है। व्रत करने से मनोवांछित फल मिलता है। इस दिन श्रीगणेश भगवान का पूजन व व्रत इस प्रकार करें-
विधि 
सुबह जल्दी उठकर स्नान एवं नित्यकर्म से शीघ्र निवृत्त हों। अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। संकल्प मंत्र के बाद षोडशोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा-दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण को प्रदान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद रूप में बांट दें। ब्राह्मण भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के पश्चात् संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें। पूजन के समय यह मंत्र बोलें-
ऊँ गं गणपतये नम:
दुर्वा-दल चढ़ाने का मंत्रगणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाई जाती है। दूर्वा दल चढ़ाते समय नीचे लिखे मंत्रों का जप करें-
ऊँ गणाधिपाय नम:
ऊँ उमापुत्राय नम:

ऊँ विघ्ननाशनाय नम:
ऊँ विनायकाय नम:

ऊँ ईशपुत्राय नम:
ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:

ऊँ एकदन्ताय नम:
ऊँ इभवक्त्राय नम:

ऊँ मूषकवाहनाय नम:
ऊँ कुमारगुरवे नम:   

इस तरह पूजन करने से भगवान श्रीगणेश अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं।
श्रीगणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त
कन्या लग्न- सुबह 6:07 से 8:17 तक
वृश्चिक लग्न- सुबह 10:33 से दोपहर 12:45 तक
बुध की होरा- दोपहर 2:00 से 2:20 तक
बुध की होरा- रात 8:20 से 9:20 तक
चौघडिय़ा मुहूर्त
सुबह 07:09 से 08:31 तक- लाभ
सुबह 08:31 से 09:53 तक- अमृत
सुबह 11:15 से दोपहर 12:37 तक- शुभ
दोपहर 03:21 से शाम 04:43 तक- चंचल
शाम 04:43 से 06:05 तक- लाभ
रात 07:43 से 09:21 तक- शुभ रात 09:21 से 10:59 तक अमृत

'मुस्लिम रेज' पर 'न्यूजवीक' की खिंचाई, गुस्‍सा भी भड़का



समाचार पत्रिका न्यूजवीक ने एक बार फिर अपनी कवर स्टोरी से विवाद को जन्म दे दिया है। अपने ताजा अंक में न्यूजवीक ने पैगंबर मुहम्मद के अपमान के बाद दुनिया भर में हो रहे अमेरिका विरोधी प्रदर्शनों (काबुल में 12 की मौत)को 'मुस्लिम रेज'  हेडिंग देकर कवर स्‍टोरी प्रकाशित की है।
अपने  विवादित कवर पेज के जरिए अलग पहचान बना रही इस पत्रिका की तीखी आलोचना हो रही है। हालांकि आलोचना के बाद न्यूजवीक ने कहा है कि इस स्टोरी के जरिए वह विश्वभर के लोगों के विचारों को एक साथ रखकर एक सार्थक बहस की कोशिश कर रही थी।
पत्रिका के इस अंक की मीडिया जगत में जमकर आलोचना हुई। ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने अयान अर्सी की इस कवर स्टोरी की आलोचना करते हुए लिखा, 'एक समय की महान पत्रिका के इस बीमार और भड़काऊ लेख ने गिरा दिया है।' यही नहीं टेलीग्राफ ने तो इस पत्रिका की तुलना अमेरिकी में बनी विवादित फिल्म तक से कर दी।
इस कवर स्टोरी में लिखा गया है कि सड़कों पर दिख रहा गुस्सा मुसलमानों की मूल भावना है। वैश्वीकरण और सामूहिक आप्रवास के दौर में इस असहिष्णुता ने सीमाओं को लांघ दिया है और अब यह इस्लाम का मूल चरित्र बन गई है।
  पत्रिका के ताजा अंक की आलोचना करते हुए लॉस एंजेलिस टाइम्स ने लिखा, 'पत्रिका के विवादित कवर के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त गुस्सा है, लेकिन क्या इससे पत्रिका की बिक्री पर कुछ फर्क पड़ेगा?'
वेबसाइट गॉकर ने  'मुसलमानों के गुस्से की 13 खौफनाक तस्वीरें' शीर्षक से स्टोरी प्रकाशित करके न्यूजवीक की बखिया उधेड़ी है।
  पत्रिका ने अपनी स्टोरी का हैशटैग शुरू करके बहस की शुरुआत करने की कोशिश की थी लेकिन ट्विटर पर यूजर्स ने पत्रिका को आइना दिखा दिया। चंद मिनटों के अंदर ही #MuslimRage ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा लेकिन लोगों ने पत्रिका की राय में राय मिलाने के बजाए उसे हंसी का पात्र बना दिया।
रेजा असलान नाम के एक यूजर ने लिखा, 'नए डिजीटल युग में न्यूजवीक का स्वागत है। अपने घटिया कवर पर चर्चा कराने के लिए शुरु किया गया हैशटैग 'मुस्लिम रेज' ट्विटर पर सबसे मजेदार चुटकुला बन गया है।'
इवान हिल ने ट्वीट किया, 'शावरमा (एक ईरानी डिश) बेचने वाले लड़के ने मेरा सेंडबिच कुछ ज्यादा ही टाइट पैक कर दिया, मुझे उस छोटे कागज को थोड़ा-थोड़ा करके छुटाना पड़ा। यह है मुसलमानों का गुस्सा।'
हालांकि न्यूजवीक अपनी स्टोरी का हरसंभव बचाव कर रही है। यही नहीं न्यूजवीक ने तो ट्विटर पर #MuslimRage तक शुरू कर दिया ताकि यूजर उसकी स्टोरी पर चर्चा कर सके।
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