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20 सितंबर 2012

कुरान का संदेश

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कुरान का सं
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कुरान का संदेश 

प्रधानमन्त्री अल्पसंख्यक कल्याणकारी कार्यक्रम में कोटा में प्रधान मंत्री के प्रतिनिधि सांसद अश्क अली टाक का उपेक्षित रवय्या

राजस्थान में कोंग्रेस के सांसद अल्पसंख्यक कल्याण मामले में प्रधानमन्त्री के आदेशों की खुलेआम नाफरमानी कर रहे है ..हालत यह है के प्रधामंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमन्त्री अल्पसंख्यक कल्याणकारी कार्यक्रम की निगरानी के लियें जिन सांसदों को जिलेवार प्रभारी बनाया है उन सांसदों ने जिलों में अल्पसंख्यकों की कोई खेर खबर नहीं ली है ..में  दे रहा हूँ राजस्थान में कोटा जिले का जहां अल्पसंख्यक कल्याणकारी योजनाओं की क्रियान्विति की समीक्षा की ज़िम्मेदारी प्रधानमन्त्री जी ने राजस्थान के पूर्व मंत्री और राज्यसभा सदस्य अश्क अली टाक को सोंपी है लेकिन अफ़सोस की बात यह है के पुरे तीन साल गुजर जाने के बाद भी अश्क अली टाक साहब ने कोटा के अल्पसंख्यकों की सुध भी नहीं ली है ....ऐसी बात नहीं है के जिले में इस दोरान अल्पसंख्यक कल्याणकारी कार्यक्रमों की समीक्षा नहीं हुई हो समीक्षा हुई है लेकिन भाई अश्क अली टाक ला पता रहे है ............अल्पसंख्यक कल्याणकारी कार्यक्रम की बैठक में जनप्रतिनिधियों की नियुक्ति के बाद आज पहली बैठक थी ..कोटा जिला कलेक्टर सभागार में आज बीस सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा बैठक के बाद तुरंत पन्द्रह सूत्रीय बैठक की शुरुआत अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी श्रीमती अतीका आज़ाद ने की जी हां दोस्तों कोटा में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भी नियुक्त नहीं है इसलियें एवजी कार्यवाहक अतिका जी कोई ही यह बैठक आयोजित करना मजबूरी थी ...बेंक ऋण ...शिक्षा ..उर्दू विषय सभी मामलों में लापरवाही भरा कृत्य था आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नियुक्ति में टार्गेट के अनुसार नियुक्तियां नहीं थी ..स्वीक्रत ऋण नहीं दिए गए थे ..मुस्लिम बस्तियों में विकास कार्य नहीं थे ..निगम ने स्वरोजगार योजनायें संचालित नहीं की थी .......एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने बैठक में वक्फ कोलोनी में नगर विकास न्यास द्वारा पूर्व में दिए गए प्लाट पर स्कूल बनवाने ...सभी स्कूलों में उर्दू विषय के स्वीक्रत अध्यापक पद और नियुक्त पदों सहित छात्र छात्राओं की सूचि तलब करने की मांग रखी ..जिन बेंकों ने अल्पसंख्यकों को स्वीक्रति के बाद भी लों नहीं दिया है उन बेंकों के खिलाफ रिजर्व बेंक में मान्यता रद्द करने के लियें प्रस्ताव भेजने की मांग की ..जिला कलेक्टर ने सभी अधिकारीयों को भविष्य में पूरी तय्यारी के साथ आने के निर्देश दिए बैठक में अख्तर खान अकेला ने पटवारियों की लापरवाही से लाडपुरा में एक मस्जिद का रिकोर्ड मन्दिर के नाम चढ़ जाने अपर आपत्ति जताई .....बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराने के लियें जिला वक्फ कमेटी के जरिये हेल्प डेस्क चलाने का प्रस्ताव भी रखा गया .....बैठक में अख्तर खान अकेला ..कोटा शहर काजी अनवर अहमद ..हाजी अज़ीज़ अंसारी ..डोक्टर इकराम ..आबिद बुनकर सहित कई अधिकारी शामिल रहे .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

नई बीमारी स्क्रब टाइफस से 12 की मौत, इस जीव के कारण फैल रही है!



 

जयपुर.एसएमएस अस्पताल में भर्ती मरीजों के स्वाइन फ्लू जैसी अज्ञात बीमारी के लिए गए सैंपल में स्क्रब टाइफस मिला है। यह खुलासा एसएमएस मेडिकल कॉलेज की माइक्रो-बायलॉजी लैब में 9 सैंपल की जांच के बाद हुआ। इनमें से पांच टेस्ट पॉजिटिव आए हैं।

पिछले 20 दिन से आ रहे मरीजों के लक्षण स्वाइन फ्लू जैसे दिख रहे थे, लेकिन उनके टेस्ट से बीमारी का पता नहीं चल रहा था। इसके बाद एसएमएस के डॉक्टरों ने सैंपल भेजने के साथ ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणो और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल दिल्ली के विशेषज्ञों से फोन पर संपर्क किया। उन्होंने स्क्रब टाइफस की जांच की भी सलाह दी।

अस्पताल अधीक्षक डॉ.वीरेंद्र सिंह ने बताया कि स्क्रब टाइफस के पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टरों को सचेत रहने और हाई रिस्क निमोनिया के मरीजों के ब्लड सैंपल की जांच के निर्देश दे दिए है। मेडिकल कॉलेज की माइक्रो-बायलॉजी लैब में गुरुवार से जांच शुरू हो जाएगी, जिसका शुल्क 700 रुपए रखा गया है। 21 सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणो भेजे जाएंगे। डाटा बेस तैयार किया जा रहा है। भास्कर में सोमवार के अंक में खबर प्रकाशित होने के बाद अस्पताल प्रशासन जागा। सवाई मानसिंह अस्पताल में अलवर ( राजगढ़, बानसूर व लक्ष्मणगढ़), दौसा एवं करौली क्षेत्र के ज्यादा मरीज भर्ती हुए हैं।

200 से ज्यादा मरीज सामने आए, 12 की तो मौत भी हो चुकी है।

डॉक्टरों को पता क्यों नहीं चला?

स्क्रब टाइफस बीमारी में शरीर पर लाल दाने बन जाते हैं, लेकिन एसएमएस के मरीजों में इस तरह के लक्षण नहीं मिले हैं। स्क्रब टाइफस अधिकतर जंगली झाड़ियों वाले इलाकों में होता है, जबकि यहां आ रहे मरीज शहरी क्षेत्र के थे। (इसी कारण अभी भी कुछ डॉक्टरों में मतभेद है कि ये स्क्रब टाइफस है या नहीं)

स्क्रब टाइफस : कारण क्या..फैलता कैसे है?

इस बीमारी का कारण है जंगलों और शहरों झाड़ियों में मिलने वाली चिगर्स नाम की माइट (पिस्सू)। यह सबसे पहले व्यक्ति को काटता है और एक रिकेट्सिया त्सूत्सूगामुशी (आरटी) नाम का सूक्ष्मजीवी खून में छोड़ देता है। रक्त जांच में इसकी पुष्टि की जा सकती है। यह बीमारी ज्यादातर बारिश के बाद फैलती है।

आरटी के खून में जाने के बाद यह 10-12 दिन तक बढ़ता रहता है। बाद में संक्रमित व्यक्ति को सिरदर्द, आंखों में इन्फेक्शन, तेज बुखार और हरारत होने लगती है। ज्यादातर मामलों में डॉक्टर माइट के काटने का काला निशान शरीर पर ढूंढ़ते हैं। समय रहते इलाज मिले तो इसे साधारण दवाओं से खत्म किया जा सकता है। लापरवाही के कारण हुए न्यूमोनाइटिस, एनसेफेलाइटिस और सर्कुलेटरी फेल्योर जैसे कॉम्पलीकेशन से जान भी जा सकती है।

पीएम सख्‍त, केंद्रीय पयर्टन मंत्री से मांगा तत्‍काल इस्‍तीफा


 
 

 
नई दिल्ली। कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में बुरी तरह फंस चुके केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री मनमहोन सिंह ने उन्‍हें तुरंत इस्‍तीफा देने को कहा है।
सहाय की सिफारिश पर एसकेएस इस्पात ऐंड पावर कंपनी को कोयला ब्लॉक दिए गए थे। जब से यह खबर मीडिया में सामने आई है, तब से प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी पर दबाव बढ़ गया था। 
 
सुबोध कांत के भाई सुधीर सहाय एसकेएस कंपनी के डायरेक्टर हैं। कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए 7 फरवरी 2008 को कोयला मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में भी सुधीर बतौर कंपनी डायरेक्टर पेश हुए थे। केंद्रीय मंत्री सहाय ने 5 फरवरी 2008 को पीएमओ एक चिट्ठी भेजी, जिसमें पीएम को लिखा गया,'एसकेएस इस्पात को अपनी स्टील कंपनी के लिए झारखंड और छत्तीसगढ़ में दो कोल ब्लॉक की जरूरत है। कंपनी सभी शर्तें पूरी करती है। मैं आपका आभारी रहूंगा अगर आप व्यक्तिगत पहल कर ये आवंटन करवाएं।' इस चिट्ठी के मिलने के 24 घंटे के भीतर ही पीएमओ की अनुशंसा पर 6 फरवरी 2008 को इस कंपनी को दो कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए। 
 
सरकार ने इसी मंगलवार को दो कोयला खदानों के आवंटन को रद्द किया है। इनमें केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय के भाई से जुड़ी फर्म को आवंटित खदान शामिल है। दूसरी, खदान भूषण स्टील्स लिमिटेड की है। सरकार ने दो कंपनियों टाटा स्पंज आयरन एवं भूषण लिमिटेड की बैंक गारंटी भी घटा दी है। अंतर-मंत्रालयीन समूह (आईएमजी) ने शनिवार को दो कोयला खदानों के आवंटन रद्द करने की सिफारिश की थी। इसमें एक कंपनी एसकेएस इस्पात एंड पावर लिमिटेड में सुधीर कुमार सहाय मानद निदेशक हैं। वे सुबोधकांत सहाय के भाई हैं। सुबोध ने 2007 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था। इसमें एसकेएस को छत्तीसगढ़ और झारखंड में कोयला खदानें आवंटित करने की सिफारिश की थी। तब कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास था।
 
रद्द की गई दूसरी खदान भूषण स्टील को जनवरी 2007 में ओडिशा के न्यू पत्रपारा में आवंटित हुई थी। इस फर्म की बिजाहन खदान से संबंधित बैंक गारंटी भी घटा दी गई। एक अन्य फर्म टाटा स्पंज आयरन की राधिकापुर ईस्ट खदान से संबंधित गारंटी भी घटाई गई है। इन दोनों ही खदानों से निर्धारित समय में उत्पादन शुरू नहीं हो सका है। इस फैसले के बाद अब तक सात खदानों का आवंटन रद्द किया जा चुका है। सात की बैंक गारंटी घटाई गई है।
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