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29 सितंबर 2012

SDM ने महिला पटवारी से कहा, पैसे दो नहीं तो रात गुजारो



देवास। एक महिला पटवारी ने सोनकच्छ एसडीएम पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया है। मामले को लेकर 25 से अधिक पटवारी शुक्रवार दोपहर कलेक्टोरेट पहुंचे और एसडीएम के निलंबन व एफआईआर की मांग को लेकर कलेक्टर से चर्चा की। देवास निवासी महिला पटवारी ने बताया गुरुवार रात एसडीएम के.एस. सोलंकी ने बस्ता जांच के लिए उन्हें बुलाया।

जांच के नाम पर 15 हजार रुपए की मांग की। रुपए नहीं होने की बात पर बोले रात यहीं रुक जाओ। पीडि़ता ने कहा यदि एसडीएम की हरकत को अभी भी उजागर नहीं किया गया तो कल को वह किसी और के साथ ऐसा कर सकते हैं। उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए। मैं उनके खिलाफ एफआईआर करवाऊंगी। दोपहर में पटवारी के परिजन भी कलेक्टर से मिले।  


एसडीएम को बचाने का प्रयास किया तो कलमबंद हड़ताल  


पटवारी संघ के सोनकच्छ तहसील अध्यक्ष संजय व्यास ने कहा एसडीएम का आचरण यहां पदस्थ होने के समय से ही खराब रहा है। अकसर रात में पटवारियों की मीटिंग रखते हैं। बस्ता जांच व निलंबन की धमकी देकर रुपयों की मांग की जाती है। ऐसे अफसर को शासकीय सेवा में नहीं रखा जाना चाहिए। इस मामले में यदि कार्रवाई नहीं करते हुए उन्हें बचाने का प्रयास किया गया तो पटवारियों द्वारा कलमबंद हड़ताल की जाएगी।  


पूर्व ड्राइवर व सुरक्षाकर्मी भी आए विरोध में  


उधर एसडीएम के पूर्व ड्राइवर मुरलीधर सोनी व सुरक्षागार्ड कमल पटेल भी कलेक्टोरेट पहुंचे। इन्होंने बताया साहब रात में शासकीय काम के नाम पर जबरन इंदौर ले जाते थे।  


एसडीएम लंबी छुट्टी पर गए 

उधर राजस्व सूत्रों के अनुसार उक्त मामले के बाद सोनकच्छ एसडीएम श्री सोलंकी लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। 

निलंबन आदेश वापस नहीं लिया इसलिए लगाया आरोप  

कई बार लिखित सूचना देने के बाद भी पटवारी जांच के लिए रिकॉर्ड नहीं ला रही थी। आरआई को भी भेजा फिर भी आदेश नहीं माना। इसके बाद उसका निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। गुरुवार शाम को साढ़े पांच बजे वह ऑफिस आई और आदेश निरस्त करने का कहा। नहीं मानने पर बोली सर एक बार सोच लीजिए। इस दौरान पूरा स्टाफ उपस्थित था। किसी तरह का अभद्र व्यवहार या बात नहीं हुई। कलेक्टर महोदय के निर्देश पर रोस्टर के हिसाब से बस्तों की जांच चल रही है। आरआई, नायब तहसीलदार, तहसीलदार भी जांच कर रहे हैं। 

के.एस. सोलंकी, एसडीएम सोनकच्छ 

जांच कमेटी बनाई है  

मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। इसमें जिला पंचायत सीईओ, अपर कलेक्टर सहित लेबर अफसर शामिल हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

महेशकुमार अग्रवाल, कलेक्टर

जॉर्ज के साले हैं नए चीफ जस्टिस कबीर, वकालत शुरू करते ही हुआ था इश्‍क



जॉर्ज के साले हैं नए चीफ जस्टिस कबीर, वकालत शुरू करते ही हुआ था इश्‍क

 
नई दिल्‍ली. देश के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अल्तमस कबीर का संबंध एक रसूखदार और देश के जाने-माने परिवार से है। पिता और चाचा मंत्री रहे। बहन भी हाई कोर्ट जज हैं। जस्टिस कबीर समाज के कमजोर वर्गों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। इसकी झलक उनके निजी जीवन और काम में भी दिखती है।
अल्तमस का जन्म 19 जुलाई 1948 को फरीदपुर (अब बांग्लादेश में) में हुआ था। परिवार के कुछ लोग अब भी वहां रहते हैं। उनके पिता जहांगीर और चाचा हुमायूं कबीर कोलकाता में बस गए। पिता ट्रेड यूनियन लीडर थे। 1967 में पश्चिम बंगाल की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार में वे मंत्री रहे। चाचा कई दफा केंद्रीय मंत्री रहे। अल्तमस की सगी बहन लैला पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज की पत्नी हैं, लेकिन युवा अल्तमस का झुकाव कानून की ओर था।
उनके परिवारजन उनके स्नेह के अनेक किस्से बयां करते हैं। उनकी छोटी बहन शिरीन कबीर मिर्जा कहती हैं कि स्कूल में किसी बच्चे ने अल्तमस को केक दिया, लेकिन उन्होंने उसे बहनों के लिए जेब में रख लिया। शाम को घर पहुंचते-पहुंचते केक का पाउडर बन गया, लेकिन उनका ये प्रेम बहनों को जिंदगी भर याद रह गया।
1973 से उन्होंने वकालत शुरू की। इसी दौरान अपने घर के ठीक नीचे रहने वाली मीना से उन्हें प्रेम हुआ। वह कैथोलिक ईसाई थी। दोनों ने पहले चर्च में शादी की फिर निकाह किया।
हमारे रांची संवाददाता सतीश कुमार के अनुसार झारखंड के चीफ जस्टिस रहते जस्टिस कबीर ने बिहार और झारखंड सरकारों पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। क्योंकि एकीकृत बिहार में एक बच्ची को रांची रेलवे स्टेशन पर बिना टिकट पकड़कर छह साल तक महिला सुधार गृह में रखा। जुर्माने की राशि भी सुधार गृह को दिलवा दी। बाद में उन्होंने नामुकुम स्थित इस सुधार गृह को गोद ले लिया। आज इस आश्रम की भी 43 सदस्य अल्तमस को पापा और उनकी पत्नी को मम्मी कहती हैं।

जस्टिस आरके मेरठिया (झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश) ने भास्कर संवाददाता सतीश कुमार को जस्टिस कबीर के बारे में बताया कि वह अच्‍छा गाते भी हैं। रांची का एक वाकया याद करते हुए वह बताते हैं कि एक बार जस्टिस कबीर, पत्नी मीना कबीर के साथ रांची के महिला प्रोबेशन होम गए थे। वहां की बच्चियां सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर रही थीं। सभी बारी-बारी से आती और गीत सुनाती। इस दौरान एक बच्ची जब स्टेज पर आई तो गीत भूल गई। जस्टिस कबीर मंच से उतर कर बच्ची के पास गए और उसके साथ गीत गाने लगे। वह बच्ची को मायूस नहीं देख सकते थे। हालांकि जस्टिस कबीर खुद भी अच्छा गाते हैं और उनकी आवाज भी मधुर है। 
 
बच्ची को माता पिता से मिलाया 
 
एकीकृत बिहार के समय एक छोटी सी लड़की को किसी स्टेशन से बिना टिकट पकड़ा गया। उस पर 300 रुपए का जुर्माना लगाया गया। माता-पिता के नहीं मिलने पर उसे प्रोबेशन होम में डाल दिया गया। फाइल मजिस्ट्रेट और प्रोबेशन होम के बीच घूमती रही। इसमें सात से आठ साल का समय बीत गया। आखिरकार मामला हाईकोर्ट पहुंचा। चीफ जस्टिस कबीर और मैं (जस्टिस आरके मेरठिया) मामले की सुनवाई कर रहा था। हमें इस बात पर बेहद दुख हुआ कि महज 300 रुपए के लिए छोटी सी बच्ची वर्षों तक मां-बाप से अलग रही। तब तक झारखंड बन चुका था। हमने बिहार और झारखंड सरकार को नोटिस जारी कर लड़की के माता-पिता को खोजने को कहा। मां-बाप के मिलने के बाद लड़की को उन्हें सौंप दिया गया। दोनों राज्य सरकारों पर पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। यह राशि लड़की के परिजनों को दी गई।
जस्टिस कबीर विनम्र हैं। सौम्य हैं। क्रोधित नहीं होते। किसी के प्रति द्वेष नहीं रखते। गंभीरता से बात सुनते हैं। वकीलों को तर्क करने की अनुमति प्रदान करते हैं। हंसी मजाक भी करते हैं। पर कानून का दायरा कोई पार करे, इसे कभी बर्दाश्त नहीं करते।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को जस्टिस अल्तमस कबीर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ शपथ दिलाई। वे 39वें मुख्य न्यायाधीश हैं और उन्होंने जस्टिस एसएच कापडिय़ा की जगह ली है। कबीर न्यायपालिका के शीर्ष पद पर पहुंचने वाले मुस्लिम समुदाय के चौथे व्यक्ति हैं। जस्टिस कबीर 9 माह 18 दिन तक मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी पर रहेंगे। 18 जुलाई 2013 को उनका कार्यकाल पूरा होगा। वे 9 सितंबर 2005 को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए थे। जस्टिस कबीर सुप्रीम कोर्ट के ऐसे दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है। जस्टिस कपाडिया ऐसे पहले मुख्य न्यायाधीश थे। 
 
शनिवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई लोग मौजूद थे। इसके अलावा कई दलों के नेता भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
दो अहम केस, जिन पर उन्हें फैसले लेने हैं: 
 
1. प्रशांत भूषण के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भ्रष्ट बताने पर उनके खिलाफ दायर अवमानना याचिका। 
 
2. काले धन की जांच करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को केंद्र सरकार द्वारा अव्यावहारिक बताकर खारिज करने पर।

कुरान का संदेश



 

आप लोगों के लियें आर्थिक सुधार हम कर रहे है और आप लोग अहसान फरामोशी कर हमे बदनाम कर रहे है

आप को कीमतों को बढाने  ना जाने क्यूँ नाराजगी होती है भाई आप हम   की मजबूरी को तो समझते नहीं ..हम लोग टू जी स्पेक्ट्रम से अरबों खरबों रूपये कमा सकते थे लेकिन क्या करें भाई ..यह रक़म तो हमे पूंजीपतियों को देना थी इसलियें हमने घोटाला कर दिया ..भाई  अब कोयले की खानों के आवंटन से हम देश को अरबों रूपये कमा कर दे सकते थे लेकिन क्या करें हमारे सहयोगी साथियों को हम क्या देते इसलियें हमने कानून का उलंग्घन किया मनमानी की और खरबों रूपये की खाने कोडियों के दाम आवंटित कर दीं ...जनाब हमारे पास अरबों रूपये की वसूली उद्योगपतियों से थी लेकिन क्या करें उनके अरबों रूपये का टेक्स हमने माफ़ कर दिया ...हमे खेलों पर खर्च करना थे लेकिन एक रूपये की जगह हमने हजार रूपये खर्च कर देश का खजाना खाली कर दिया ..हमने किरकेट घोटाले कियें ...खेल घोटाले किये सरकार की आमदनी दुसरे संसाधनों से इसलियें नहं बधाई के वोह रक़म कम कीमत में लोगों का देकर हमने अपनी जेबों में  है रखें भी क्यूँ नहीं सरकार बचाने के लियें सांसदों की  खरीद फरोख्त पर अरबों रूपये जो दो  नम्बर में खर्च करना पढ़ते है .............भाई आपसे क्या छुपाये आप तो सब जानते है क्रषि मंत्री शरद पंवार जी तो कभी शक्कर बढ़ते है तो कभी दूसरी चीज़े बढाते है ...खेर हमारी कमाई तो हमने कम कर ली और खर्चे बढ़ा लिए हमे शोचालय बनाने के लियें पेंसठ लाख रुए खर्च करना पढ़ते है ..संसद में सांसदों को और विधानसभा में विधायकों को सब्सिडी देना पढ़ती है हम सरकार में है कोई भी काम जो पञ्च रूपये में होता है कमीशन बाज़ी के चक्कर में पांच सो रूपये में करना पढ़ता है ...हमारी विदेश यात्राएं होती है हवाई सफर होते है पञ्च सितारा होटल के खर्चे होते है अतिथि सत्कार खर्च होते है ..विदेशों से खासकर अमेरिका से हम डरते है इसलियें जो वोह कहता है वोह करना पढ़ता है हमारी खाद पदार्थों की बिक्री से हम उनसे रक़म वसूल नहीं सकते ..हमारी पत्नियाँ बच्चे साले  रिश्तेदार सरकारी गाड़ियों में फर्राटे मारते है ..इंटरनेट ..मोबाइल ..टेलीफोन नल बिजली ऐसी पर भी खर्च करना पढ़ते है फिर हमारी तनख्वाहें भी तो हमे चाहिए वोह बढ़ी हुई तो भाई आप खुद सोचो सरकार के संसाधनों से पूंजीपतियों को लाभान्वित करने के लियें हम उनसे वाजिब कीमत वसूल नहीं सकते सो रूपये की चीज़ एक रूपये में देना पढ़ती है और पूंजीपतियों से टेक्स भी वसूल नहीं सकते सो अरबों रूपये के टेक्स माफ़ कर सकते है अब भाई यह वसूली जनता से ही तो करना पढ़ेगी और आप केवल चुनाव के वक्त ही जनता जनार्दन होते है बाक़ी वक्त तो आपका खून चूस कर हमे अपना कम चलाना पढ़ता है तेल तिलों से निकलता है इसलियें भाई कभ पेट्रोल तो कभी गेस तो कभी डीज़ल तो कभी पासपोर्ट तो कभी न जाने क्या क्या टेक्स लगाकर हमे अपने खर्चे चलाना पढ़ते है ..अब भाई आप लोग हमारी मजबूरी तो समझते नहीं हम आर्थिक सुधर कर रहे है काले धन को स्विस बेंक में जमा कर रहे है देश में भी काले घोटाले कर रहे है  फिर भी हमारे खर्चे पुरे नहीं होते तो तुम हमारी जनता हो हमारी अपनी हो अगर तुम से वसूलते है तो  बुरा करते है आप को तो कुछ लोग बहकाते  है इसलियें आप नाराज़ हो जाते हो भाई यह सब आर्थिक सुधार  मेनेजमेंट है हम अर्थशास्त्री है किसी बेंक के नोकर नहीं है आप लोगों के लियें आर्थिक सुधार  हम कर रहे है और आप  लोग अहसान फरामोशी कर हमे बदनाम कर रहे है गलत बात ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 
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