जयपुर. अब किसी महिला को डाकन या डायन कहना ही अपराध होगा। यहां
तक कि बिना सहमति के ना तो फोटो खींचे जा सकेंगे और ना ही चित्र बनाए जा
सकेंगे।अश्लील मैसेज भेजने को भी गैर जमानती अपराध माना जाएगा। इसके लिए
सरकार विधानसभा के इसी सत्र में राजस्थान महिला (अत्याचार निवारण) विधेयक
लेकर आएगी। यह कानून महिला और बाल विकास विभाग की ओर से तैयार किया जा रहा
है।राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस कानून को सैद्धांतिक सहमति दे दी।
महिला और बाल विकास मंत्री बीना काक ने बताया कि राजस्थान पहला ऐसा राज्य होगा जिसने महिलाओं के लिए इस तरह का कानून बनाने की पहल की है। मंत्रिमंडल की बैठक में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को लेकर चिंता जाहिर की गई और सुझाव दिया गया कि इन मामलों में जुर्माना राशि का निर्धारण अपराध की गंभीरता के अनुसार किया जाना चाहिए। इसीलिए कानून में 2000 से 5 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है।
इस कानून में कम से कम सजा के साथ ही न्यूनतम जुर्माने का भी प्रावधान किया जाएगा। जुर्माने की राशि सीधे ही पीडि़त महिलाओं को दी जाएगी। यह राशि सरकार के स्तर पर मदद के रूप में मिलने वाली राशि से अतिरिक्त होगी।
हर जिले में खुलेंगी विशेष अदालतें: इस तरह के मामलों की सुनवाई करने के लिए हर जिले में विशेष अदालतें खोली जाएंगी। जब तक ये अदालतें नहीं खुलतीं, तब तक इस तरह के मामलों में प्रसंज्ञान और सुनवाई के अधिकार अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालयों को दिए जाएंगे।
ये बातें आएंगी अपराध की श्रेणी में: किसी महिला से बेगार लेना। सार्वजनिक स्थान पर जाने से रोकना। किसी शब्द या इशारे से अपमानित करना। अखाद्य वस्तु के सेवन के लिए विवश करना। जमीन या परिसर से बेदखल करना। निर्वस्त्र अथवा कम वस्त्रों में घुमाना। कौमार्य परीक्षण के लिए विवश करना।बिना सहमति के चित्र बनाना या फोटो लेना। अपमानित करने के उद्देश्य से उसकी तस्वीर या चित्र बनाना। अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने के उद्देश्य से डराना, धमकाना या चोट पहुंचाना। तेजाब अथवा विषैला पदार्थ फेंकना। डायन अथवा डाकन कहना अथवा कहकर प्रताडि़त करना या ऐसे किसी परीक्षण के लिए विवश करना। किसी महिला को प्रताडि़त करने के लिए एकत्रित होना।
महिला और बाल विकास मंत्री बीना काक ने बताया कि राजस्थान पहला ऐसा राज्य होगा जिसने महिलाओं के लिए इस तरह का कानून बनाने की पहल की है। मंत्रिमंडल की बैठक में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को लेकर चिंता जाहिर की गई और सुझाव दिया गया कि इन मामलों में जुर्माना राशि का निर्धारण अपराध की गंभीरता के अनुसार किया जाना चाहिए। इसीलिए कानून में 2000 से 5 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है।
इस कानून में कम से कम सजा के साथ ही न्यूनतम जुर्माने का भी प्रावधान किया जाएगा। जुर्माने की राशि सीधे ही पीडि़त महिलाओं को दी जाएगी। यह राशि सरकार के स्तर पर मदद के रूप में मिलने वाली राशि से अतिरिक्त होगी।
हर जिले में खुलेंगी विशेष अदालतें: इस तरह के मामलों की सुनवाई करने के लिए हर जिले में विशेष अदालतें खोली जाएंगी। जब तक ये अदालतें नहीं खुलतीं, तब तक इस तरह के मामलों में प्रसंज्ञान और सुनवाई के अधिकार अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालयों को दिए जाएंगे।
ये बातें आएंगी अपराध की श्रेणी में: किसी महिला से बेगार लेना। सार्वजनिक स्थान पर जाने से रोकना। किसी शब्द या इशारे से अपमानित करना। अखाद्य वस्तु के सेवन के लिए विवश करना। जमीन या परिसर से बेदखल करना। निर्वस्त्र अथवा कम वस्त्रों में घुमाना। कौमार्य परीक्षण के लिए विवश करना।बिना सहमति के चित्र बनाना या फोटो लेना। अपमानित करने के उद्देश्य से उसकी तस्वीर या चित्र बनाना। अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने के उद्देश्य से डराना, धमकाना या चोट पहुंचाना। तेजाब अथवा विषैला पदार्थ फेंकना। डायन अथवा डाकन कहना अथवा कहकर प्रताडि़त करना या ऐसे किसी परीक्षण के लिए विवश करना। किसी महिला को प्रताडि़त करने के लिए एकत्रित होना।