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15 अक्तूबर 2012

जोड़ों के दर्द व कमरदर्द का एक आजमाया हुआ आयुर्वेदिक इलाज




 

प्रकृति ने हमें यदि रोग दिए हैं तो रोगों से लडऩे के साधन भी दिए हैं। बस फर्क इतना है की हम उन साधनों को पहचानते हैं या नहीं। आज के दौर में जोड़ों के दर्द या कमर दर्द से कौन परेशान नहीं है। जिसे देखो इस दर्द से निजात पाने के लिए तरह तरह के जतन किये जा रहा है। हम दवाओं के कुछ ऐसे दीवाने हो गए हैं कि  प्रकृति का खय़ाल ही नहीं रहता है। शायद यहीं -कहीं मिल जाए इस दर्द को दूर करने का साधन।

आज हम आपको एक ऐसे ही प्रकृति की अनमोल वनस्पति के बारे मैं बताएँगे जो जोड़ों के दर्द मैं बड़ी ही कारगर औषधि सिद्ध हुई है।आज इस औषधीय वनस्पति की थोड़ी बहुत चर्चा मैं आपके सम्मुख करने जा रहा हूं। इस औषधि को शल्लकी के नाम से सदियों से आयुर्वेद के चिकित्सक जोड़ों के दर्द की चिकित्सा में प्रयोग कराते आ रहे हैं। बोस्वेलीया सीराटा यह वनस्पति अंग्रेजी दवाओं मैं पेन-किलर्स का एक बेहतर विकल्प है। इस वनस्पति के अच्छे प्रभाव संधिवात (ओस्टीयोआथ्र्रराईटीस) एवं रयूमेटाइडआर्थराईटीस जैसे घुटनों के सूजन की अनेक अवस्थाओं मैं कारगर साबित हुई है। राजस्थान,मध्यप्रदेश एवं आँध्रप्रदेश में शलाई के नाम से जाना जानेवाला यह पौधा अपने सक्रिय तत्व बोस्वेलिक एसिड के कारण वैज्ञानिकों की नजऱों में आया है। इसके प्रभाव प्राथमिक एवं द्वितीय स्तर के ब्रेन ट्यूमर में भी प्रभावी पाए गए हैं। आस्टीयोआर्थरायटीस पर नागपुर के इंदिरागांधी मेडिकल कॉलेज में की गयी एक रिसर्च में भी इसके दर्द निवारक प्रभाव देखे गए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ केलीफोर्निया के वैज्ञानिक डॉ.शिवारायचौधरी ने इस वनस्पति के दर्द निवारक प्रभाव पर अध्ययन किया है। सत्तर ऐसे लोगों को जिन्हें आस्टीयो-आर्थराईटीस (घुटनों के दर्द एवं सूजन की एक स्थिति ) थी ,को इस वनस्पति के सक्रिय तत्व से युक्त केप्सूल का लो -डोज में तथा कुछ को हाई-डोज में सेवन कराया गया तथा शेष को डम्मी

केप्सूल दिया गया। परिणाम चौकाने वाले थे,जिन लोगों ने शल्लकी केप्सूल का सात दिनों तक सेवन किया उनके जोड़ों की गति,दर्द एवं सूजन में  डम्मी समूह की अपेक्षा  लाभ देखा गया।  डॉ.रायचौधरी का मानना है कि  शल्लकी में पाया जानेवाला सक्रिय तत्व जिसे उन्होंने ए.के.बी.ए.नाम दिया गया ,आस्टीयोआथ्र्रायटीस से जूझ रहे रोगियों के लिए एक अच्छा विकल्प है। ब्रिटिश विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर फिलिप कोनेघन भी इस बात को मानते है कि आस्टीयोआथ्र्रायटीसके रोगियों के लिए एक सुरक्षित दर्द निवारक औषधि की जरूरत है ,क्योंकि वत्र्तमान में उपलब्ध दर्द एवं सूजन सहित मांसपेशियों को रिलेक्स करने वाली औषधियां दुष्प्रभाव के कारण भी जानी जा रही हैं। यह बात बी.बी.सी .ने 1  अगस्त 2008 को अपनी एक रिपोर्ट में भी प्रकाशित की है।

अभी हाल ही में जर्नल आफ रयूमेटोलोजी 2011 में प्रकाशित एक शोधपत्र में भी इसकी उपयोगिता को जोड़ों से दर्द के निवारक के रूप में पाया जाना प्रकाशित हुआ है। अभी इस वनस्पति पर और भी अधिक शोध किये जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इसे कोलाईटीस,ब्रोंकाईटीस सहित अनेक सूजन प्रधान  व्याधियों में प्रभावी पाया है। बस ऐसी ही कई रिसर्च आनेवाले समय में आयुर्वेद के खजानों में उपलब्ध अनेक औषधीय वनस्पतियों की उपयोगिता को आधुनिक कसौटी पर खरा साबित करेंगी।

अपने नाम के अनुसार ऐसे खेलें गरबा, होंगे फायदे ही फायदे


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नवरात्रि में माता की आराधना करने के लिए गरबा किया जाता है। यदि इस पर्व के साथ कुछ ज्योतिष मत को भी जोड़ दिया जाए तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। गरबा खेलते समय यदि आप राशि के अनुसार डांडिया का चयन करेंगे तो इससे आपको अनेक फायदे होंगे और आपकी हर मुश्किल आसान हो जाएगी। राशि के अनुसार किस डांडिया का चयन करें, इसकी जानकारी इस प्रकार है-

मेष- मेष राशि वाले लोग इस नवरात्रि पर्व पर राशि स्वामी मंगल के अनुसार लाल चंदन या खेर की लकड़ी के डांडिया उपयोग करें। इससे इन्हें लाभ होगा।

वृष- इस राशि वालों को अपने राशि स्वामी के अनुसार गुलर के पेड़ की लकड़ी से डांडिया खेलना चाहिए और राशि अनुसार उस पर सफेद कपड़ा बांध लेना चाहिए।

मिथुन- इस राशि का स्वामी बुध होता है इसलिए मिथुन राशि वालों को राशि अनुसार अपामार्ग की लकड़ी का डांडिया बना कर खेलना चाहिए या किसी भी लकड़ी के डांडीये पर हरा कपड़ा बांध लेना चाहिए।

कर्क- कर्क राशि वाले लोग अगर पैसा चाहते हैं तो पलाश या सफेद चंदन की लकड़ी का डांडिया बनाएं या किसी भी लकड़ी पर सफेद कपड़ा बांध कर डांडिया खेलें।

सिंह- राशि अनुसार आंकड़े के पेड़ की लकड़ी से बना डांडिया आपको पैसों से संबंधित फायदा दे सकता है।

कन्या- इस राशि वालों का भी राशि स्वामी बुध है इसलिए इस राशि वालों को भी अपामार्ग की लकड़ी का बना डांडिया उपयोग करना चाहिए।

तुला- सफेद पलाश या सफेद चंदन की लकड़ी का डांडिया इस नवरात्रि में आपकी किस्मत चमका सकता है।

वृश्चिक- इस राशि के लोग मंगल देव के अनुसार खैर के पेड़ की लकड़ी का डांडिया उपयोग करें ये आपकी ग्रह दशा सुधार देगा।

धनु- इस राशि वालों का राशि स्वामी गुरु है। धनु राशि वालों के लिए पीपल की लकड़ी शुभ फल देने वाली होती है। इस राशि के लोग पीपल के पेड़ की लकड़ी का डांडिया उपयोग करें

मकर- मकर राशि वालों को राशि अनुसार शनि देव की कृपा के लिए शमी के पेड़ की लकड़ी का डांडिया उपयोग करना चाहिए।

कुंभ- इस राशि वालों का भी राशि स्वामी शनि है इसलिए कुंभ राशि वालों को भी शमी की लकड़ी का उपयोग करना चाहिए।

मीन- मीन राशि के लोग पीले चंदन की लकड़ी का उपयोग डांडिया बनाने के लिए करें। इस राशि वालों के लिए पीपल की लकड़ी का भी उपयोग कर सकते हैं।

34 साल बाद अनोखा संयोग, कुछ खास है इस बार का नवरात्र



 

ग्वालियर। नवदुर्गा महोत्सव मंगलवार 16 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। 34 साल बाद इस बार नवरात्र मंगलवार से शुरू होकर मंगलवार को ही समाप्त हो रहे हैं। इससे पहले आठ दिन के नवरात्र का संयोग 1978 में बना था। अब 27 साल बाद सन् 2039 में ऐसी स्थिति आएगी। इस नवरात्र में देवी मां के साथ हनुमान जी की भी कृपा बनी रहेगी। कर्मकांड विशेषज्ञों के अनुसार, कलश स्थापना के लिए सुबह 10:58 से दोपहर 12:24 बजे तक का समय श्रेष्ठ है।
देवीभक्त मंगलवार से मां भगवती की आराधना में लीन हो जाएंगे। मंदिरों में पूरे नवरात्र तक विशेष अनुष्ठान किए जाएंगे, कई घरों में नित्य दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा तथा जगह-जगह जागरण, कीर्तन व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कई जगह मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित होगी।  काली माता मंदिर आमखो, काली माता मंदिर पुराना हाईकोर्ट, नहर वाली माता, शीतला माता और वैष्णो देवी माता मंदिर में सोमवार की शाम तक तैयारियां पूरी कर ली गईं। इन मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। नवरात्र पर जहां कुछ लोग आठ दिन का उपवास रखेंगे, वहीं कुछ लोग पहले और अंतिम दिन।
कलश स्थापना के लिए यह सामग्री जरूरी
वैदिक पंडित हरिओम शर्मा के अनुसार, कलश स्थापना के लिए कलश, रोली, चावल, सिंदूर, पान, लौंग, इलायची, घी का दीपक, अगरबत्ती या धूप बत्ती, मिठाई, दूध, दही, पूजा की सुपारी, कलावा, मेवा, जौ की आवश्यकता होती है। नवरात्र में दुर्गा सरस्वती का पाठ करने से शीघ्र मनोकामना पूरी होती है। वहीं ज्योतिषाचार्य विजयभूषण वेदार्थी ने बताया कि नवदुर्गा महोत्सव इस बार मंगलवार और चित्रा नक्षत्र में  प्रारंभ हो रहा है। इस कारण महंगाई में वृद्धि होगी। इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय होने के कारण नवरात्र आठ दिन के होंगे।

दुनिया के सबसे OLDEST FATHER, 102 साल की उम्र में जवां सेक्स लाइफ


खरखौदा (सोनीपत)। हरियाणा के सोनीपत जिले में 102 वर्ष की उम्र में एक वृद्ध पिता बना है। रामजीत नामक वृद्ध की 52 वर्षीय पत्नी शकुंतला ने हाल ही में अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया है।
 
 
डिलीवरी खरखौदा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई। नवजात बच्चे का नाम रणजीत सिंह रखा गया है। दो साल पहले रामजीत के पहले बेटे विक्रमजीत का जन्म हुआ है। 
 
रामजीत ने हरियाणा सरकार की वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत कार्ड भी बनवा रखा है। 12 साल पहले बने इस कार्ड में रामजीत की उम्र 90 साल लिखी गई है। पेंशन के रूप में उन्हें हर माह सरकार से साढ़े सात सौ रुपए मिलते हैं।

ममता फिर शर्मसार, बेटी को बाड़े में मारने के लिए छोड़ गई मां



 

भीलवाड़ा/मांडलगढ़। एक और बेटी की बेकद्री का दर्दनाक उदाहरण रविवार सुबह जिले के मांडलगढ़ के सराणा गांव में सामने आया, जहां एक नवजात को पालने से गोद में उठाकर दुलारने के बजाय पशुओं के बाड़े में मरने के लिए छोड़ दिया गया। क्योंकि यह नवजात एक कन्या है।
फूल सी कोमल यह नवजात जन्म के कुछ ही घंटों बाद पशु बाड़े में घायल अवस्था में मिली। उसे जनने वाली मां का हृदय नहीं पसीजा। कन्या होने की बेकद्री का इस हृदयविदारक मामला बीगोद थाना क्षेत्र का है। जहां सुबह करीब आठ बजे देवनारायण की बनी के पास बने कच्चे बाड़े में नुकीले पौधों और डंठलों के बीच कराहती यह कन्या ग्रामीणों को दिखी। उस नन्ही जान के कोमल कान, हाथ व शरीर के अन्य अंगों पर चोटें साफ नजर आ रही थी। उस समय इस बालिका को जन्मे महज दो-तीन घंटे ही हुए थे। सूचना से मौके पर पहुंची पुलिस ने अस्पताल में उसका प्राथमिक उपचार कराया। इसके बाद बाल कल्याण समिति की देखरेख में जिला मुख्यालय के महात्मा गांधी अस्पताल रखा गया है। समिति अध्यक्ष डॉ. सुमन त्रिवेदी ने बताया कि शाम तक बालिका की सेहत में सुधार हुआ है। मांडलगढ़ के पुलिस उपाधीक्षक धर्मेंद्र यादव ने बताया कि बालिका को छोड़कर जाने वाली अज्ञात महिला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। शाम तक बालिका के माता-पिता के बारे में कोई पता नहीं चल पाया।
दो महीने में दूसरा मामला
गत दो अगस्त को भी ऐसा ही मामला सामने आया था। बागौर के बोरियापुरा में कंटीली झाडिय़ों में नवजात कन्या लावारिस अवस्था में मिली थी। उसके शरीर पर कांटों के स्क्रेच थे। गत 29 अप्रैल को एमजी हॉस्पिटल के गार्डन में कचरे में एक नवजात बालिका लावारिस मिली थी।
नवजात को श्वास लेने में तकलीफ थी। कान सहित शरीर के अन्य हिस्सों में चोटों के निशान भी थे। उसे ऑक्सीजन चढ़ाई गई। शाम तक नवजात की सेहत में काफी सुधार हुआ है। बालिका का वजन तीन किलो 100 ग्राम है। वह स्वस्थ है। सोमवार से फीडिंग शुरू कर सकते हैं।
-डॉ. राधेश्याम श्रोत्रिय, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, एमजी हॉस्पिटल
नवजात कन्या को इस दशा में छोड़कर जाने से हर किसी का मन पसीज जाता है। हॉस्पिटल में दो परिवारों ने इस बालिका को गोद लेने की मंशा जाहिर की है।
-डॉ. सुमन त्रिवेदी, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति

प्रधानमंत्री व सोनिया जयपुर आएंगी 20 अक्टूबर को



 
 
जयपुर। आधार कार्ड की दूसरी सालगिरह व आधार कार्ड आधारित सरकारी योजनाओं के शुभारंभ के लिए प्रधानमंत्री व यूपीए अध्यक्ष की 20 अक्टूबर को जिले के दूदू में प्रस्तावित यात्रा की तैयारियों का सोमवार को कलेक्टर ने जायजा लिया। यहां तीन हेलीपेड बनाए जाएंगे। साथ ही स्क्रीन, वीडियो वॉल लगाई जाएगी।

कलेक्टर टी.रविकांत ने प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर प्रत्येक 100 मीटर पर पेयजल व्यवस्था और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। यहां मीडिया सेंटर व कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। कार्यक्रम की व्यवस्था के लिए सभा स्थल का इंचार्ज एडीएम नॉर्थ सांवर मल वर्मा, कंट्रोलरूम इंचार्ज नरेगा के एडीपीसी आरसी गुप्ता, मंच व यूआईडीएआई से समन्वय व मंच की व्यवस्था इंचार्ज एडीएम थर्ड अरुण गर्ग को बनाया गया है। एसपीजी व पुलिस से समन्वय का कार्य एडीएम साउथ जसवंत सिंह संभालेंगे। कार्यक्रम स्थल पर पक्का मंच तैयार किया जा रहा है।

कुरान का संदेश

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