आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

18 अक्तूबर 2012

क्यों हुआ मां दुर्गा का अवतार, जानिए रोचक कथा



नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म ग्रंथों में मां दुर्गा के अवतरित होने की कई कथाएं मिलती है। ऐसी ही एक कथा इस प्रकार है-

पुरातन काल में दुर्गम नामक एक दैत्य हुआ। उसने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर सभी वेदों को अपने वश में कर लिया जिससे देवताओं का बल क्षीण हो गया। तब दुर्गम ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। तब देवताओं को देवी भगवती का स्मरण हुआ। देवताओं ने शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ तथा चण्ड-मुण्ड का वध करने वाली शक्ति का आह्वान किया।

देवताओं के आह्वान पर देवी प्रकट हुईं। उन्होंने देवताओं से उन्हें बुलाने का कारण पूछा। सभी देवताओं ने एक स्वर में बताया कि दुर्गम नामक दैत्य ने सभी वेद तथा स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया है तथा हमें अनेक यातनाएं दी हैं। आप उसका वध कर दीजिए। देवताओं की बात सुनकर देवी ने उन्हें दुर्गम का वध करने का आश्वासन दिया।

यह बात जब दैत्यों का राज दुर्गम को पता चली तो उसने देवताओं पर पुन: आक्रमण कर दिया। तब माता भगवती ने देवताओं की रक्षा की तथा दुर्गम की सेना का संहार कर दिया।  सेना का संहार होते देख दुर्गम स्वयं युद्ध करने आया। तब माता भगवती ने काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगला आदि कई सहायक शक्तियों का आह्वान कर उन्हें भी युद्ध करने के लिए प्रेरित किया। भयंकर युद्ध में भगवती ने दुर्गम का वध कर दिया। दुर्गम नामक दैत्य का वध करने के कारण भी भगवती का नाम दुर्गा के नाम से भी विख्यात हुआ।

राजस्थान विधानसभा को चुनौती, इंस्पेक्टर रत्ना निलंबित



 

जयपुर. राजस्थान पुलिस अपनी ही एक महिला इंस्पेक्टर रत्ना गुप्ता को नहीं खोज पाई। इस महिला इंस्पेक्टर को गुरुवार को गिरफ्तार कर विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश किया जाना था। समिति ने बुधवार को डीजीपी को महिला इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। उधर, डीजीपी हरीशचंद्र मीना ने विभागीय कार्रवाई प्रस्तावित होने को आधार बनाते हुए रत्ना को निलंबित कर दिया और इसकी जानकारी विशेषाधिकार समिति को दे दी। रत्ना अभी जयपुर में राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए)  में तैनात हैं।
विशेषाधिकार समिति ने दोपहर की बैठक में पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए डीजीपी के खुद उपस्थित नहीं होने और केवल एसीपी को भेजने पर सवाल भी उठाया। समिति का मानना है कि रत्ना को पुलिस जानबूझकर गिरफ्तार नहीं कर रही है। समिति सुबह 11 बजे तक रत्ना का इंतजार करती रही।
पहला मामला:राजस्थान में यह पहला मामला है, जब विशेषाधिकार समिति ने नोटिस की अनदेखी करने और बुलावे पर पेश नहीं होने को गंभीर मानते हुए किसी पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं। 
कब, क्या हुआ?
26 जून, 12>गुप्ता ने विधानसभा में पेश होने से इनकार किया तो विशेषाधिकार समिति ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी किया।
4 जुलाई, 12>गुप्ता परिवार के अनुसार रत्ना की बहन बतौर अधिवक्ता विधानसभा गईं और दस्तावेज मांगे। विशेषाधिकार समिति से मिलने की इजाजत मांगी तो इनकार कर दिया गया।
 
27 जुलाई, 12 > गुप्ता की ओर से स्पीकर को पत्र लिखा और न्याय की अर्जी लगाई, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
28 सितंबर, 12 > गुप्ता ने विधानसभा के रवैए के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिव से 5 अक्टूबर, 12 तक जवाब मांगा, लेकिन विधानसभा ने नोटिस का जवाब नहीं देना तय किया।
79 दिन ड्यूटी से गायब
विशेषाधिकार समिति के सभापति सुरेंद्र जाड़ावत के अनुसार पुलिस ने रत्ना गुप्ता को पहले 17 सीसीए का नोटिस दिया है। पुलिस के अनुसार वे इससे पहले भी 79 दिन गैरहाजिर रह चुकी हैं। रत्ना अब 15 अक्टूबर से कार्यालय से गैर हाजिर हैं।
मेडिकल बोर्ड से होगी जांच
आरपीए डायरेक्टर को बुधवार शाम को डाक से गुप्ता का एक पत्र मिला। इसमें कहा गया है कि वे (रत्ना) बीमार हैं और 20 अक्टूबर तक छुट्टी चाहिए। आरपीए डायरेक्टर ने उन्हें 21 अक्टूबर को मेडिकल के लिए एसएमएस में मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने को कहा है। इसके लिए एसएमएस अधीक्षक को मेडिकल बोर्ड गठन के लिए भी कह दिया गया है।
पुलिस सतर्क नहीं रही: जाड़ावत 
पुलिस को सतर्क रहना चाहिए था। समिति ने गुप्ता को गिरफ्तारी से बचने का मौका दिया और चूक की है। आज आखिरी मौका था, जो रत्ना गुप्ता को दे दिया गया। वह अगर आज समिति के सामने पेश होतीं तो आज यह मामला समाप्त भी हो सकता था। 
-सुरेंद्र जाड़ावत, सभापति, विशेषाधिकार समिति 
2 साल, 4 नोटिस, पेश नहीं हुई रत्ना
19 जुलाई, 10 का मामलाः महिला और बाल कल्याण समिति ने गांधीनगर स्थित महिला थाने का दौरा किया। समिति अध्यक्ष सूर्यकांता व्यास ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की कि थाना प्रभारी रत्ना गुप्ता ने बदसलूकी की। इस पर गुप्ता को बुलाया जाता रहा, लेकिन वे नहीं गईं। गुप्ता की बहन और उनके पिता ने इस बीच कई आरटीआई लगाईं और विधानसभा से टकराव शुरू कर दिया।
टेबल पर पैर रखकर बैठी थी इंस्पेक्टर: व्यास
व्यास ने कहा कि मैं समिति के सदस्य और स्टाफ के साथ थाने पहुंची तो गुप्ता टेबल पर पैर रख कर बैठी थी। कहने के बाद भी उसने रिकॉर्ड नहीं दिखाया। वह तू-तड़ाक बोल रही थीं। हमने विधानसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट दी और मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपा।  उन्हें कई बार नोटिस देकर बुलाया, लेकिन वह नहीं आईं। हम विधानसभा के रजिस्टर में बाकायदा एंट्री करके ही थाने गए थे। इसी के बाद हमें जाने के लिए वाहन दिया गया था।
ये कैसा विशेषाधिकार है : उषा
विशेषाधिकार कोई सड़क की चीज नहीं कि हर किसी पर लगा दें। कल किसी का मकान अच्छा दिख गया तो ये उसमें घुस जाएंगे और कह देंगे हमारा विशेषाधिकार है। वे हाई कोर्ट के नोटिस को नहीं मानते तो हम विधानसभा के नोटिस को क्यों मानें? गिरफ्तारी वारंट गैरकानूनी है। निलंबन दुर्भावनापूर्ण है। हम हाई कोर्ट जाएंगे।
-उषा गुप्ता, रत्ना की बहन व हाई कोर्ट वकील
तो आम आदमी का क्या होता होगा?
रत्ना के वकीलों ने कहा है कि व्यास को थाने का रिकॉर्ड देखने का अधिकार नहीं था। समिति का कहना है कि अगर समिति ही रिकॉर्ड नहीं देख सकती तो आम आदमी के साथ थाने में क्या होता होगा?
अब पुलिस नहीं कर सकती गिरफ्तार
समिति ने रत्ना को गिरफ्तार करने के लिए वारंट जारी कर डीजीपी को गुरुवार सुबह ११ बजे तक का समय दिया था। इस अवधि में गिरफ्तारी नहीं हो पाई। अब पुलिस रत्ना को गिरफ्तार नहीं कर सकती। इसके लिए समिति को दुबारा वारंट जारी करना होगा।
आगे क्या : समिति क्या करेगी
>    विशेषाधिकार समिति 19 अक्टूबर को फिर बैठक करेगी। इसमें गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई तय की जा सकती है। इसमें वह रत्ना को जेल भेजने, सदन में बुलाने या माफ करने की सिफारिश कर सकती है। यह रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को दी जाएगी। अध्यक्ष तय करेंगे कि इसे सदन में रखा जाए।
>    अभी सत्र समाप्त नहीं हुआ है। सत्र बुलाया जा सकता है, लेकिन भाजपा राज्यपाल से सदन बुलाने की मांग कर चुकी है, इसलिए सत्ता पक्ष ऐसा नहीं करेगा।
>    अगर सत्रावसान हो जाता है तो रिपोर्ट बजट सत्र में टेबल होगी, लेकिन इस पर चर्चा तभी होगी जब कोई सदस्य प्रस्ताव करेगा।
>    प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो यह अगले सत्र यानी मौजूदा विधानसभा के आखिरी सत्र तक टल जाएगी। उस सत्र में भी सिर्फ पहले सप्ताह तक रिपोर्ट पर कार्रवाई हो सकती है। उसमें भी कुछ तय नहीं हुआ तो विधानसभा सचिवालय कार्रवाई तय कर सकता है।
तब भी कुछ नहीं हुआ तो 13वीं विधानसभा समाप्त हो जाएगी और मामला भी समाप्त हो जाएगा।
...और इंस्पेक्टर रत्ना
रत्ना के पिता जी.सी. गुप्ता का कहना है कि मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। पहले यह फैसला होना है कि मामला विशेषाधिकार का बनता है अथवा नहीं। समिति के समक्ष पेश होना हाई कोर्ट की अवमानना होगी।

सैंकड़ों साल पुराने इस 'मन्नत' में एक बार जो मांग लो, वो हो जाती है पूरी



गिरिडीह.समय समय पर कई दैविक चमत्कारों के कारण शहर के बरगंडा स्थित काली मंडा के प्रति भक्तों की असीम आस्था है। कई बार यहां पर मां की कृपा देखने को मिली है यही वजह है कि दूर दूर से यहां भक्त मां के दर्शन करने के साथ ही मन्नत मांगने को आते हैं। शहर के बरगंडा दरबान चौक के समीप लगभग 126 वर्ष पुराने कालीमंडा की अपनी एक अलग पहचान है।
भक्तों की कई मन्नतें पूरी होने से इस मंदिर पर भक्तों की अटूट आस्था है। इसी आस्था के कारण लोगों ने सवा सौ वर्ष पूर्व यहां दुर्गापूजा की शुरूआत की थी। जबकि वर्तमान में संचालित समिति के अध्यक्ष अजय बगेडिय़ा, सचिव प्रदीप अग्रवाल, उपाध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा, उपसचिव दुर्गा राम, कोषाध्यक्ष भरत भूषण प्रसाद, वार्ड पार्षद नवीन सिन्हा, सूरज जायसवाल, रामनिरंजन अग्रवाल आदि भक्तों द्वारा सवा सौ वर्षों से चली आ रही परंपरागत ढंग से मां शक्ति की उपासना की जा रही है। यहां शारदीय नवरात्र और अखाड़ा पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाई जाती है। कलश स्थापन के बाद से प्रतिदिन सैंकडों की संख्या में भक्त माता के चरणों में शीश झुकाने के लिए आते हैं। वर्षों पूर्व खपड़ानुमा मंडप आज भव्य मंदिर का स्वरूप धारण कर चुका है। यहां पर दूर-दराज से मां के भक्तों का आना शुरू हो गया है।
होश संभालने के बाद वर्षों से देखते व सुनते आ रहे हैं कि यहां पर सच्चे दिल से मांगी गई भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। भक्तों के दु:ख-दर्द को देख कर मां भाव विह्वल होकर अपने भक्तों के कष्टों को हर लेती है। दूर रहने व परेशानियों में फंसे होने पर मां के स्मरण से ही मुक्ति मिल जाती है।
इस तरह हुई पूजा की शुरुआत
यहां पर घटवार जाति के लोगों ने शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा की शुरूआत की थी। बाद में वर्ष 1945 से गोलेंद्र भटटाचार्य उर्फ हंदा बाबू ने शारदीय नवरात्र में अपना योगदान देना शुरू किया था। इसी क्रम में 10 वर्षों से नि:संतान का दुख झेल रहे पन्नालाल गोयनका माता के चरणों में गिरकर संतान सुख की मन्नत मांगी। कुछ ही महीने में उन्हें एक के बाद एक तीन संतानों की प्राप्ति हुई। इससे लोगों की आस्था इस मंदिर पर और अटूट हुई। बाद में गोयनका जी के साथ गौरी शंकर बजोरिया, गोवद्र्धन दास बगेडिय़ा और विश्वनाथ अग्रवाल ने योगदान देना शुरू किया।
साथ ही समय समय पर मंदिर के सौंदर्यीकरण का भी कार्य किया जाता रहा। जिससे वर्तमान में मां दुर्गा के अलावा अन्य कई देवी देवताओं के भव्य मंदिर बनाए गए हैं।
बंगाल आते हैं पुजारी
मां दुर्गा की प्रतिमा मंदिर परिसर में ही कोलकाता से आए मूर्तिकार द्वारा बनाई जाती है। वहीं लगभग 30 वर्षों से बंगाल के नवदीप से किसटो भटाचार्य लगातार शारदीय नवरात्र में पूजा कराने के लिए आते हैं। मंदिर को काफी आकर्षक रूप से सजाया जा रहा है। विसर्जन के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। जिसमें लगभग 10 हजार भक्त भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं। - प्रदीप अग्रवाल, सचिव.

मानवता शर्मसार: युवक को नंगा कर दी यातनाएं, गुप्तांगों को आग से जलाया



 

उदयपुर/वल्लभनगर/जयपुर.भीण्डर थाना क्षेत्र में युवक का अपहरण करने के बाद निर्वस्त्र कर पेड़ से बांधने और यातना देने का मामला सामने आया है। पीडि़त ने रिपोर्ट में बताया कि अपहरणकर्ताओं ने उसके गुप्तांगों को आग से जलाया। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
धारता निवासी माधुलाल (21) ने रिपोर्ट में बताया कि पिछले 7 अक्टूबर को रात 8 बजे मदनपुरा निवासी हरिराम अहीर, उसका पुत्र पप्पू, मुकेश पुत्र मोहनलाल अहीर, धारता निवासी बाबरू ने सालेड़ा से उसका अपहरण कर लिया।
अपहरणकर्ताओं ने मुख्य रास्ते से एक किलोमीटर दूर जंगल में ले जाकर उन्होंने उसे पेड़ से बांध दिया। इसके बाद माता जी का खेड़ा निवासी खेमराज भी वहां पहुंचा और सभी ने मिलकर उसके कपड़े उतार दिए। कपड़े को पेट्रोल में भिगोकर उसमें आग लगाकर उसके गुप्तांगों को जलाया। रातभर यातनाएं देने के बाद तड़के 3 बजे सभी बदमाश उसे पेड़ से खोलकर मुख्य रोड पर लाए और वहां खड़ी उसकी जीप में डालकर चले गए। राहगीरों ने माधुलाल के परिजनों को सूचित किया तो उसका भाई उदयलाल मौके पर पहुंचा।
घटना से क्षुब्ध कन्हैयालाल ने पुलिस उप अधीक्षक वल्लभनगर के समक्ष पेश होकर आपबीती सुनाई। डीएसपी के आदेश पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। भींडर थानाधिकारी सुबोध जांगिड़ ने बताया कि पीडि़त का मेडिकल करवा दिया है। प्रारंभिक जांच में जमीन विवाद का मामला सामने आ रहा है। आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है।
घटना से क्षुब्ध कन्हैयालाल मामला दर्ज कराने सीधे थाने नहीं पहुंचा। मंगलवार को वह मेरे समक्ष पेश हुआ था। मैंने तत्काल प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए। मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा। पीडि़त से जिस तरह से सलूक किया है उससे लगता है कि विवाद का कारण महिला भी हो सकती है।
जसवंत सिंह बालोत, डीएसपी वल्लभनगर

ये राजस्थान पुलिस है, मां से बोले, क्या जेब से निकाल दें बच्चा



 

श्रीगंगानगर/जयपुर. 'क्या जेब से निकाल दें बच्चा या मेज की दराज से निकालकर दे दें।Ó ससुराल वालों से परेशान पुरानी आबादी की सोनिया महिला थाने गईं तो थीं इंसाफ पाने लेकिन पुलिसकर्मियों की ऐसी कड़वी बातें सुनने के बाद इतनी सहमी कि अब थाने जाने से ही डरती हैं। बहरहाल, सोनिया ने गुरुवार को एसपी से मिलकर पुलिसकर्मियों के इस दुव्र्यवहार की शिकायत की। एसपी ने जांच के आदेश दिए हैं।
सोनिया ने एसपी को दी शिकायत में बताया कि उसकी शादी हिसार (हरियाणा) के धींगताना गांव में हुई थी। दहेज की मांग को लेकर उसके पति व ससुराल के सदस्यों ने आठ माह का बेटा छीनकर उसे घर से निकाल दिया। उसने महिला थाने में पति विनोदकुमार व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
मामले में आरोपी की गिरफ्तारी और बेटे को बरामद कराने के लिए 16 अक्टूबर को वह मां के साथ महिला थाने गईं तो वहां पुलिसकर्मियों ने उनसे दुव्र्यवहार किया। आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने बच्चे को जल्दी बरामद करने के लिए महिला से गाड़ी लाने को कहा। घटना को दो दिन बीत गए लेकिन वे थाने जाने से डरती हैं। सोनिया ने यह शिकायत महिला आयोग व आईजी से भी की है।
सोनिया ने गुहार लगाई कि आरोपी पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाए। इससे दूसरी महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव नहीं हो। सोनिया ने यह शिकायत महिला आयोग व आईजी से भी की है।
'महिला ने महिला थाने के एएसआई व कर्मियों की शिकायत की है। डीएसपी सिटी को मामले की जांच सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'
संतोष चालके, एसपी, श्रीगंगानगर

जमीन घोटाले में केन्द्रीय मंत्री का पूरा परिवार शामिल, अन्ना टीम पर भी शक



जमीन घोटाले में केन्द्रीय मंत्री का पूरा परिवार शामिल, अन्ना टीम पर भी शक
मुंबई. लवासा में भ्रष्टाचार के आरोपों का भूत केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार का पीछा नहीं छोड़ रहा है।
पुणे के पास बसाए जा रहे इस शहर को लेकर समाजसेवक वाई.पी. सिंह ने अब पवार और उनके परिवार पर भ्रष्टचार के आरोप लगाए हैं। 
सिंह का कहना है कि लवासा से जुड़ी कंपनी में पवार की बेटी और दामाद के करीब 21 करीब फीसदी शेयर थे और उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की गई। 
इस मामले में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सिंह जल्द ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत दर्ज करने वाले हैं।
वैसे लवासा मामले में पवार पर पहले भी आरोप लग चुके हैं। पर्यावरण समेत कई तरह के कानूनों के उल्लंघन के लिए बांबे हाई कोर्ट में कई याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। 
लेकिन सिंह ने गुरुवार को एक पत्रकार परिषद में कहा कि लवासा प्रकरण में भ्रष्टाचार की शिकायत अब तक नहीं हुई है।
मेरे पास जो दस्तावेज हैं, उनसे साफ जाहिर होता है कि लवासा निर्माण करने वाली हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी को कौड़ियों के दाम में वह 348 एकड़ सरकारी जमीन दी गई, हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत जमीन की नीलामी होनी चाहिए थी।
सिंह ने बताया कि लवासा को ग्लोबल टेंडर और फ्लोटिंग टेंडर समेत सड़क व अन्य तरह की अनुमति दिलाने के लिए पवार ने 14 मई, 2007 को लवासा के ही एकांत नामक गेस्ट हाउस में एक बैठक बुलाई, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, तत्कालीन जल संसाधन मंत्री अजित पवार समेत सभी आला अधिकारी मौजूद थे। 
सिंह बताते हैं कि इस बैठक में लवासा को वह हर सहूलियत दी गई जो उसे चाहिए थी। सिंह ने मीडिया के सामने बैठक के सबूत भी पेश किए, जो उन्होंने सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत हासिल किए हैं।
सिंह के मुताबिक, पवार कहेंगे कि उनकी बेटी सुप्रिया और दामाद सदानंद सुले ने 2006 में कंपनी के शेयर बेच दिए हैं। पर दस हजार करोड़ रुपए की कंपनी के लगभग 21 फीसदी शेयर की रकम आखिर कहां गई।
क्योंकि 2009 के चुनावी हलफनामे में सुप्रिया ने अपनी संपत्ति महज 50 करोड़ रुपए बताई। उन्होंने पूछा कि 348 एकड़ जमीन को अजित पवार ने महज 23,000 प्रति माह की लीज पर देने का फैसला कैसे किया? 
कृष्णा घाटी विकास बोर्ड ने व्यापारिक इस्तेमाल के लिए अपनी जमीन किस आधार पर दी? लवासा को तमाम सरकारी सहूलियतें और मंजूरी दिलाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री ने एकांत गेस्ट हाउस में सरकारी बैठक क्यों बुलाई? दस हजार करोड़ रुपए के मूल्यांकन वाली कंपनी के शेयर कितने में बिके और हलफनामे में उस रकम का समावेश क्यों नजर नहीं आता?
सिंह ने बताया कि तत्कालीन राजस्व सचिव रमेश कुमार ने इस मनमानी का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने तब के राजस्व मंत्री नारायण राणो को बाकायदा एक रिपोर्ट सौंपी। राणो ने भी मीडिया में आकर लवासा पर कार्रवाई के लिए बड़े-बड़े दावे किए, पर बाद में अचानक खामोश हो गए। 
सिंह को आशंका है कि 21 जून को मंत्रालय की आग में शायद यह रिपोर्ट भी जलकर खाक हो गई है। उन्होंने बताया कि मैंने और मेरे साथियों ने कई बार आईटीआई कानून के तहत वह रिपोर्ट हासिल करने की कोशिश की, पर नाकाम रहे।

quran ka sndesh

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...