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30 अक्तूबर 2012

पहली ही मुलाकात में कर दिया था अपने प्यार का इजहार!



नई दिल्ली. इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 31 अक्टूबर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एक मात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।


श्रीमती इंदिरा गांधी भले ही बरसों पहले इस दुनिया से चली गई हों लेकिन उनके चाहने वालों की संख्या आज भी कम नहीं हुई है। आज भी इंदिरा को चाहने वाले हैं, लेकिन इसी के साथ ऐसे लोगों की भी तादाद कम नहीं है, जो इंदिरा को एक तानाशाह मानते हैं। श्रीमती इंदिरा गांधी के बारे में लिखना बहुत मुश्किल है। वे एक ऐसी नेता थीं, जिन्हें लोग प्यार करते थे, लेकिन ऐसे लोग भी थे जो उनकी आलोचना करते थे। जब उन्होंने बांग्लादेश की आजादी के लिए सशस्त्र हस्तक्षेप किया, तो वे अचानक दुर्गा का अवतार नजर आने लगीं। लेकिन जब उन्होंने इमरजेंसी लगाई, तो उन्हें एक तानाशाह करार दिया गया। इतने गहरे अंतर्विरोधों से भरे हुए एक भरे-पूरे राजनीतिक व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना आसान नहीं है। फिर भी यह मंजूर करने में हिचक नहीं होनी चाहिए कि भारत की जनता आज भी जिस एकमात्र नेता को प्यार करती है, वह इंदिरा गांधी ही हैं। इसका एक बुनियादी कारण यह है कि वे एक सख्त शासक थीं और जनता हमेशा शासन में सख्ती पसंद करती है।

जब अचानक उठ खड़ी हुई लाश, डर के मारे पुलिस वाले भी भाग गए!



सीकर.नाम टीकम चंद। उम्र 60 साल। हरदम खामोश चेहरा और पेशा मुर्दाघर का रखवाला। जी हां, क्षत-विक्षत शवों को देखने मात्र से जहां लोगों का कलेजा दहल जाता  है, वहां कितना मुश्किल होता  है किसी के लिए जिस्म को चीरना। यह वो शख्स है, जिसकी आधी जिंदगी मुर्दाघर में लाशों को चीरने में बीत गई। 
 
25 साल की उम्र में पिता  से विरासत में मिली नौकरी को 40 साल पूरा करने तक उसने एसके अस्पताल के मुर्दाघर में 25 हजार शवों के पोस्टमार्टम कर दिए। 60 साल की उम्र में टीकम चंद को बुधवार को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद से रिटायरमेंट मिल रहा है। लेकिन, वह चाहता है कि उसे ताउम्र अस्पताल इस सेवा में रखे। अस्पताल भी उसके अनुभव पर आगे कांट्रेक्ट पर सेवा चाहता है। नौकरी मिलने पर पहली बार जब पांच शव एक साथ देखे तो सिहर उठा था।         
 
उसके बाद तो लाशों के बीच जीना सीख लिया। छुट्टी तो कभी ली नहीं। बस एसके अस्पताल के मेडिकल ज्यूरिस्ट वार्ड के कमरा नंबर 15 के सामने रखी स्टूल पर पूरा दिन बीतता। उसे अस्पतालकर्मी उसे सर्जन भी कहने लगे। लाशों को चीरते चीरते वह इतना दक्ष हो गया कि शव को देखकर बता देता है कि हत्या है या आत्महत्या। सर्जन को बस इतना कहना होता कि शव के कौनसे हिस्से से विसरा के लिए अंग निकालना है। 
 
फिर यह बताने की जरूरत नहीं कि कहां लीवर और कौनसी जगह आंत है। 11 साल तक टीकम ने जिस मेडिकल ज्यूरिस्ट डा. बीएल चौधरी के साथ बिताए उन्हें टीकम की ईमानदारी पर बड़ा भरोसा है। बताते हैं, ऐसा कभी न देखने में आया और न सुनने में कि टीकम ने कभी कोई स्वार्थ पाला हो। वह नौकरी के प्रति सदा समर्पित रहा। नौकरी के दौरान हर साल औसत 750 से 900 पोस्टमार्टम करने वाला टीकम चंद घर पर भी बिलकुल खामोश रहता है। मानो मुर्दो के साथ रहते हुए उसने भी चुप रहना सीख लिया।
 
जब पत्थर दिल भी रोया
 
पोस्टमार्टम करते करते वह पत्थर दिल हो गया, लेकिन एक बार उसके भी आंसू निकले पड़े थे। करीब दस साल पहले कुड़ली के पास सड़क हादसे में 18 युवाओं की एक साथ मौत हो गई थी। उनका पोस्टमार्टम करते समय टीकम की आंखों में पहली बार आंसू देखे गए थे। वह फतेहपुर के शराब दुखांतिका में मरने वाले 22 शवों के अलावा लोसल के पास हुई सड़क दुर्घटना में मरे 23 लोगों के शवों के एक साथ पोस्टमार्टम किए थे।
 
जब मुर्दाघर में लाश खड़ी हुई तो डॉक्टर -पुलिस भी भाग छूटे थे
 
करीब 16 साल पहले एक्सीडेंट में मौत के बाद पांच शवों के पोस्टमार्टम के लिए जब टीकम चंद ने मोर्चरी का दरवाजा खोला तो सामने एक लाश खड़ी हो गई। वह दरवाजे को पकड़े ठहर गया। यह देखकर वहां बाहर खड़े लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। पुलिस व डॉक्टर भी मौके से दूर भाग निकले। टीकम ने हिम्मत करके पास पड़ा बांस उठाया और लाश को नीचे गिराया। दरअसल ऐसा मांसपेशियों के जकड़ने से ज्वाइंट पर जोड़ पड़ने से होता है।

लंदन की लड़की से देवबंद में गैंगरेप



मेरठ. सहारनपुर जिले के देवबंद के तल्हेडी बुजुर्ग गांव से एक भारतीय मूल की विदेशी लड़की को बरामद किया गया है। इस लड़की का आरोप है कि उसके ड्राइवर ने धोखे से उसे नशीला पदार्थ खिलाकर उसे कैद कर लिया था। वह अपने दो साथियों के साथ उसका गैंगरेप करता रहा। पुलिस ने एक अभियुक्त को गिरफ्तार करके लड़की को मेडिकल चेकअप के लिए भेज दिया है।
 
पीडिता के मुताबिक, वह 10 अक्तूबर को लंदन से चली थी। वह मुंबई होते हुए 15 अक्तूबर को दिल्ली पहुंची। उसका ड्राइवर मुकेश त्यागी उसे खाना खिलाने के बहाने अपने घर ले गया। वहां खाने में नशीला पदार्थ मिला दिया। लड़की बेहोश  हो गई तो उसे कैद करके ड्राइवर अपने साथियों के साथ उसका गैंगरेप करता रहा। 
 
जानकारी के मुताबिक लंदन के साउथेम्‍पटन में रहने वाली 21 साल की यह लड़की पिछले चार दिनों से लापता थीं। उनके पिता प्रताप भोंसले ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में बताया था कि उनकी बेटी के भारत में हो सकती है। वह चार दिनों सें लंदन से लापता थीं। लड़की की तलाश के लिए बाकायदा विज्ञापन भी जारी किया गया था।
 
आईजी (लॉ एंड आर्डर) वीपी सिंह ने बताया कि लड़की को राजू नामक शख्स के घर से बरामद किया गया है। राजू को अरेस्ट कर लड़की को मेडिकल जांच के लिए भेज दिया गया है। आरोपी के दूसरे साथियों की तलाश की जा रही है।

कुरान का संदेश

करवा चौथ 2 को, अमर प्रेम का प्रतीक है ये पर्व



हिंदू धर्म में अनेक ऐसे त्योहार आते हैं जो हमें रिश्तों की गहराइयों तथा उसके अर्थ से परिचित करवाते हैं। करवा चौथ भी उन्हीं त्योहारों में से एक है। यह पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 2 नवंबर, शुक्रवार को है। यह त्योहार पति-पत्नी के अमर प्रेम तथा पत्नी का अपने पति के प्रति समर्पण का प्रतीक है। 
वास्तव में करवा चौथ का त्योहार भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन का प्रतीक है जो पति-पत्नी के बीच होता है। भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है। करवा चौथ का व्रत रख पत्नी अपने पति के प्रति यही भाव प्रदर्शित करती है। स्त्रियां श्रृंगार करके ईश्वर के समक्ष दिनभर के व्रत के बाद यह प्रण भी लेती हैं कि वे मन, वचन एवं कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी।
हिंदू धर्म में पुरातन काल से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है। इस व्रत में विवाहित स्त्रियों दिनभर निराहार तथा निर्जला (बिना पानी पीए) रहना पड़ता है। इसके बावजूद विवाहित महिलाओं को इस व्रत का खासतौर पर इंतजार रहता है। यही इस पर्व की विशेषता है।

करवा चौथ 2 को, अमर प्रेम का प्रतीक है ये पर्व

धर्म डेस्क. उज्जैन | Oct 30, 2012, 00:50AM IST
 
 

हिंदू धर्म में अनेक ऐसे त्योहार आते हैं जो हमें रिश्तों की गहराइयों तथा उसके अर्थ से परिचित करवाते हैं। करवा चौथ भी उन्हीं त्योहारों में से एक है। यह पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 2 नवंबर, शुक्रवार को है। यह त्योहार पति-पत्नी के अमर प्रेम तथा पत्नी का अपने पति के प्रति समर्पण का प्रतीक है। 
वास्तव में करवा चौथ का त्योहार भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन का प्रतीक है जो पति-पत्नी के बीच होता है। भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है। करवा चौथ का व्रत रख पत्नी अपने पति के प्रति यही भाव प्रदर्शित करती है। स्त्रियां श्रृंगार करके ईश्वर के समक्ष दिनभर के व्रत के बाद यह प्रण भी लेती हैं कि वे मन, वचन एवं कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी।
हिंदू धर्म में पुरातन काल से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है। इस व्रत में विवाहित स्त्रियों दिनभर निराहार तथा निर्जला (बिना पानी पीए) रहना पड़ता है। इसके बावजूद विवाहित महिलाओं को इस व्रत का खासतौर पर इंतजार रहता है। यही इस पर्व की विशेषता है।

आरपीएससी से दिव्या सिंह का इस्तीफा


जयपुर/अजमेर। राज्य लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) में सदस्य दिव्या सिंह ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल मारग्रेट अल्वा को भिजवाया है। नवंबर, 2011 में दिव्या सिंह और मौजूदा चेयरमैन हबीब खां गौरान को आरपीएससी का सदस्य बनाया गया था।दिव्या सिंह ने इस्तीफा देने की वजह व्यक्तिगत बताई है।
सूत्रों के अनुसार आरपीएससी चेयरमैन का पद खाली होने के बाद से ही दिव्या सिंह चेयरमैन बनने का प्रयास कर रही थीं। परंतु सरकार ने हबीब खां गौरान को चेयरमैन बना दिया।संभवत:इन्हीं कारणों से उन्होंने सदस्य पद से भी इस्तीफा दे दिया। उन्हें इससे पहले राज्य कर्मचारी चयन आयोग का चेयरमैन बनाया गया था।
इधर, पूर्व सांसद विश्वेंद्रसिंह का कहना है कि यह शुद्ध रूप से व्यक्तिगत मामला है।इसमें किसी तरह की कोई राजनीति नहीं है।इसे राजनीति से जोड़कर भी नहीं देखा जाना चाहिए। उनकी पत्नी दिव्या सिंह ने निजी कारणों से ही इस्तीफा दिया है।
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