दिल्ली में कोंग्रेस के लाखों लोगों की रेली लेकिन कोंग्रेस के नेताओं का वही अलाप पुरानी नीतिया जो कोंग्रेस को डुबो रही है उन नीतियों को कोंग्रेस के नेताओं ने अपनाने पर जोर देते हुए वकालत की है ..आज देश में कोंग्रेस के खिलाफ जो बना है उसमे महंगाई ..भ्रष्टाचार ..भाई भतीजावाद प्रमुख रहा है लेकिन आर्थिक नीतियों के नाम पर महंगाई को सराहना जनता के कुछ गले नहीं उतर रहा है ..भ्रष्टाचार का इतना बढ़ा मुद्दा और इन मामलों को वक्त की जरूरत बताना कुछ हज़म नहीं होता ...देश के हालात जब बिगड़ रहे है पार्टी की साख को जब तता लग रहा है तब नीतियों में परिवर्तन जरूरी होता है आम आदमी की सरकार बनना पढ़ता है फिर से पुरानी कोंग्रेस की तरफ पलटना होता है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करने के लिये अगर हम हमारे देश के लोगों को बीस रूपये किलो का अनाज पचास रूपये किलो की शक्कर खिलाते है तो यह केसी अक़ल्मंदी है ...अमीरों को टेक्स में छुट दी जाती है गरीबों को दी जाने वाली सुविधाएं छिनी जाती है यह केसा शासन है ..देश में होने वाले उत्पादन ..खनन और दुसरे सोर्स से होने वाली आमदनी सस्ते दामों में पूंजीपतियों के हवाले कर गड बढ़ घोटाले किये जाते है और इसे देश हित में बताया जाता है कुछ बात समझ में नहीं आती है भाई जिस कोंग्रेस के हम परम्परागत वोटर है उसका यह हाल होगा क्या कभी हमने सोचा था कुछ लोग इसे चोरी और सीना जोरी बता रहे है कुछ लोग भाजपा और कोंग्रेस को चोर चोर मोसेरे भाई बता रहे है ..कुछ लोग कहते है के प्रधामंत्री अगर निर्वाचित हो तो देश की तस्वीर अलग हो जाती है क्योंकि वोह जब वोट मांगने गली मोहल्लों में जाता है तो उसे लोगों के दुःख दर्द का पता होता है समस्याओं का पता होता है लेकिन एयर कंडीशन में बेठ कर महरबानियों से अगर कोई प्रधानमन्त्री बनता है तो उसे गरीबों के दुःख दर्द का व्यवहारिक ज्ञान केसे हो सकता है बीएस किताबों में पढ़ कर गरीबी दूर करने का फार्मूला एक मजाक बन जाता है .................कहते है किसी भी गलती को सुधरने के लियें गलती मानना जरूरी होती है लेकिन अगर कोई अपनी गलती ही नहीं मने तो यह गलती करने वाले की हठ धर्मिता होती है और रावण ने भी यही किया था लेकिन कोंग्रेस में भी अब राम का जन्म होने लगा है और नतिज जल्दी सामने होंगे .................
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 नवंबर 2012
कोंग्रेस देश के हालात खराब है इस सच को समझ क्यूँ नहीं लेती
दिल्ली में कोंग्रेस के लाखों लोगों की रेली लेकिन कोंग्रेस के नेताओं का वही अलाप पुरानी नीतिया जो कोंग्रेस को डुबो रही है उन नीतियों को कोंग्रेस के नेताओं ने अपनाने पर जोर देते हुए वकालत की है ..आज देश में कोंग्रेस के खिलाफ जो बना है उसमे महंगाई ..भ्रष्टाचार ..भाई भतीजावाद प्रमुख रहा है लेकिन आर्थिक नीतियों के नाम पर महंगाई को सराहना जनता के कुछ गले नहीं उतर रहा है ..भ्रष्टाचार का इतना बढ़ा मुद्दा और इन मामलों को वक्त की जरूरत बताना कुछ हज़म नहीं होता ...देश के हालात जब बिगड़ रहे है पार्टी की साख को जब तता लग रहा है तब नीतियों में परिवर्तन जरूरी होता है आम आदमी की सरकार बनना पढ़ता है फिर से पुरानी कोंग्रेस की तरफ पलटना होता है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करने के लिये अगर हम हमारे देश के लोगों को बीस रूपये किलो का अनाज पचास रूपये किलो की शक्कर खिलाते है तो यह केसी अक़ल्मंदी है ...अमीरों को टेक्स में छुट दी जाती है गरीबों को दी जाने वाली सुविधाएं छिनी जाती है यह केसा शासन है ..देश में होने वाले उत्पादन ..खनन और दुसरे सोर्स से होने वाली आमदनी सस्ते दामों में पूंजीपतियों के हवाले कर गड बढ़ घोटाले किये जाते है और इसे देश हित में बताया जाता है कुछ बात समझ में नहीं आती है भाई जिस कोंग्रेस के हम परम्परागत वोटर है उसका यह हाल होगा क्या कभी हमने सोचा था कुछ लोग इसे चोरी और सीना जोरी बता रहे है कुछ लोग भाजपा और कोंग्रेस को चोर चोर मोसेरे भाई बता रहे है ..कुछ लोग कहते है के प्रधामंत्री अगर निर्वाचित हो तो देश की तस्वीर अलग हो जाती है क्योंकि वोह जब वोट मांगने गली मोहल्लों में जाता है तो उसे लोगों के दुःख दर्द का पता होता है समस्याओं का पता होता है लेकिन एयर कंडीशन में बेठ कर महरबानियों से अगर कोई प्रधानमन्त्री बनता है तो उसे गरीबों के दुःख दर्द का व्यवहारिक ज्ञान केसे हो सकता है बीएस किताबों में पढ़ कर गरीबी दूर करने का फार्मूला एक मजाक बन जाता है .................कहते है किसी भी गलती को सुधरने के लियें गलती मानना जरूरी होती है लेकिन अगर कोई अपनी गलती ही नहीं मने तो यह गलती करने वाले की हठ धर्मिता होती है और रावण ने भी यही किया था लेकिन कोंग्रेस में भी अब राम का जन्म होने लगा है और नतिज जल्दी सामने होंगे .................
बुजुर्गों से मांगा जा रहा ऐसा सार्टीफिकेट कि सुन कर आ जाए शर्म
जयपुर. जिंदा होने के बावजूद खुद का जीवित प्रमाण-पत्र पेश करने
वाले बुजुर्ग पेंशनरों का एक दर्द और भी है। 60 साल से अधिक उम्र की महिला
पेंशनरों को हर साल नवंबर में इस बात का प्रमाण-पत्र देना पड़ता है कि
उन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया है।
इस प्रमाण-पत्र के बिना महिला पेंशनरों को पेंशन व भंडार से दवा मुहैया नहीं कराई जाती। सोमवार को भास्कर ने पेंशनरों से बात की तो उनका यह दर्द फूट पड़ा। महिला पेंशनरों ने कहा- यह नियम बदलना चाहिए।
सीकर के आनंद नगर की सेवानिवृत्त व्याख्याता 65 वर्षीय सीता शर्मा बताती हैं कि नवंबर का महीना आते ही परेशानी खड़ी हो जाती है। शादी नहीं किए जाने संबंधी प्रमाण-पत्र देने के लिए मियाद भी दस नवंबर तक तय की हुई है।
पहले राजपत्रित अधिकारी के यहां चक्कर लगाते हैं। इसके बाद बैंक में समस्याओं से दो चार होते हैं। बैंककर्मी भी ठीक से व्यवहार नहीं करते हैं।
ऐसे में सरकार को यह नियम हटाकर कोई दूसरा रास्ता निकालना चाहिए। ताकि बुजुर्गों का सम्मान बना रहे। 64 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रतनी आर्या व सेवानिवृत्त सहायक कर्मचारी 68 साल की शांति देवी नायक ने भी कुछ ऐसी ही पीड़ा बयां की।
इन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर उन्हें अपमानित करने का किसी को क्या अधिकार है? जिंदा होने पर सबूत मांगना और इससे बढ़कर यह पूछकर लज्जित करना कि क्या आपने पुनर्विवाह तो नहीं कर लिया है?
यह कहां तक जायज है? क्या यह नहीं सोचना चाहिए कि आखिर 60 पार महिला से यह कैसा प्रमाण लिया जा रहा है। सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी निर्मला परिहार ने कहा कि महिला पेंशनर को राहत के लिए सरकार को यह नियम हटा देना चाहिए।
एक ही प्रमाण पत्र में तीन तरह की तस्दीक करते हैं। इसमें जीवित होने का सबूत, पुनर्विवाह नहीं किया है और कहीं नौकरी तो नहीं कर रही हैं, शामिल है। पुनर्विवाह सहित यह तीनों प्रमाण पत्र एक से 10 नवंबर के बीच लेते हैं।
बीसी जैन मुख्य प्रबंधक,एसबीआई
यह है नियम
1977 के आदेश के अनुसार पेंशन रूल के बिंदु संख्या 10.2 में उल्लेख किया गया है कि पेंशनर से पुनर्विवाह का कोई प्रमाण-पत्र नहीं मांगा जाएगा। फैमिली पेंशन पाने वाले से उसी स्थिति में प्रमाण पत्र मांगा जाएगा, जब उसने पुनर्विवाह किया हो। यह भी उसे विवाह के वक्त सूचना के तौर पर देना होता है।
पेंशन लेने जाते हैं तो वहां पेंशन स्टेटमेंट नहीं दिया जाता है कि उन्हें कितना डीए मिल रहा है, कितना एरियर बना है और कितनी महंगाई का भत्ता मिला है।
बैंककर्मियों का पेंशनरों के प्रति बर्ताव ठीक नहीं रहता।
पेंशनर्स और अन्य उपभोक्ताओं के लिए एक ही काउंटर होने से परेशानी होती है।
इस प्रमाण-पत्र के बिना महिला पेंशनरों को पेंशन व भंडार से दवा मुहैया नहीं कराई जाती। सोमवार को भास्कर ने पेंशनरों से बात की तो उनका यह दर्द फूट पड़ा। महिला पेंशनरों ने कहा- यह नियम बदलना चाहिए।
सीकर के आनंद नगर की सेवानिवृत्त व्याख्याता 65 वर्षीय सीता शर्मा बताती हैं कि नवंबर का महीना आते ही परेशानी खड़ी हो जाती है। शादी नहीं किए जाने संबंधी प्रमाण-पत्र देने के लिए मियाद भी दस नवंबर तक तय की हुई है।
पहले राजपत्रित अधिकारी के यहां चक्कर लगाते हैं। इसके बाद बैंक में समस्याओं से दो चार होते हैं। बैंककर्मी भी ठीक से व्यवहार नहीं करते हैं।
ऐसे में सरकार को यह नियम हटाकर कोई दूसरा रास्ता निकालना चाहिए। ताकि बुजुर्गों का सम्मान बना रहे। 64 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रतनी आर्या व सेवानिवृत्त सहायक कर्मचारी 68 साल की शांति देवी नायक ने भी कुछ ऐसी ही पीड़ा बयां की।
इन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर उन्हें अपमानित करने का किसी को क्या अधिकार है? जिंदा होने पर सबूत मांगना और इससे बढ़कर यह पूछकर लज्जित करना कि क्या आपने पुनर्विवाह तो नहीं कर लिया है?
यह कहां तक जायज है? क्या यह नहीं सोचना चाहिए कि आखिर 60 पार महिला से यह कैसा प्रमाण लिया जा रहा है। सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी निर्मला परिहार ने कहा कि महिला पेंशनर को राहत के लिए सरकार को यह नियम हटा देना चाहिए।
एक ही प्रमाण पत्र में तीन तरह की तस्दीक करते हैं। इसमें जीवित होने का सबूत, पुनर्विवाह नहीं किया है और कहीं नौकरी तो नहीं कर रही हैं, शामिल है। पुनर्विवाह सहित यह तीनों प्रमाण पत्र एक से 10 नवंबर के बीच लेते हैं।
बीसी जैन मुख्य प्रबंधक,एसबीआई
यह है नियम
1977 के आदेश के अनुसार पेंशन रूल के बिंदु संख्या 10.2 में उल्लेख किया गया है कि पेंशनर से पुनर्विवाह का कोई प्रमाण-पत्र नहीं मांगा जाएगा। फैमिली पेंशन पाने वाले से उसी स्थिति में प्रमाण पत्र मांगा जाएगा, जब उसने पुनर्विवाह किया हो। यह भी उसे विवाह के वक्त सूचना के तौर पर देना होता है।
पेंशन लेने जाते हैं तो वहां पेंशन स्टेटमेंट नहीं दिया जाता है कि उन्हें कितना डीए मिल रहा है, कितना एरियर बना है और कितनी महंगाई का भत्ता मिला है।
बैंककर्मियों का पेंशनरों के प्रति बर्ताव ठीक नहीं रहता।
पेंशनर्स और अन्य उपभोक्ताओं के लिए एक ही काउंटर होने से परेशानी होती है।
क्रीम बिस्किट खाने से पहले जरा इस सच्चाई को जान लें
भोपाल। अगर आप क्रीम वाले बिस्किट खाने के शौकीन हैं तो सतर्क
हो जाइए। हो सकता है इन बिस्किट में क्रीम की जगह वनस्पति घी और शक्कर का
पेस्ट लगा हो। ये खुलासा हुआ है राज्य खाद्य पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला में
नामी कंपनियों के क्रीम बिस्किटों की जांच रिपोर्ट में। खाद्य सुरक्षा
अधिकारियों (एफएसओ) द्वारा पिछले एक साल में नामी कंपनियों के क्रीमयुक्त
बिस्किटों के 150 नमूने लिए गए थे। इनमें से 78 में वनस्पति घी, शक्कर और
पानी के घोल का पेस्ट बिस्किटों के बीच लगा मिला है। मानक स्तर पर फेल हुए
नमूनों में ब्रिटानिया, पारले, सनफीस्ट और कैडबरी जैसी नामी कंपनियों के
नमूने शामिल हैं।
एफएसओ डीके वर्मा ने बताया कि सभी मामलों में बिस्किट निर्माता कंपनी
और सप्लायरों के विरुद्ध खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम के तहत
मामला दर्ज कर कोर्ट में चालान दाखिल किए गए हैं। वर्मा के मुताबिक बिस्किट
में अमानक क्रीम पाए जाने के बाद सभी एफएसओ को हर माह दुकानों को निरीक्षण
कर बिस्किट के नमूने लेने को कहा गया है।
शिक्षा के मंदिर में शैतान, बोला, 'जिस्म सौंप दो, परीक्षा में पास कर दूंगा'
जयपुर. दिल्ली रोड पर मेडिकल कॉलेज की छात्रा ने कॉलेज के
डायरेक्टर के खिलाफ एक विषय में पास करने की एवज में अस्मत मांगने को लेकर
राज्य महिला आयोग में शिकायत की है।
छात्रा की शिकायत पर महिला आयोग ने जांच शुरू कर दी है। एमबीबीएस सेकेंड सेमेस्टर में अध्ययनरत छात्रा ने महिला आयोग में 30 अक्टूबर को शिकायत की है।
शिकायत में कहा कि कॉलेज प्रशासन ने पहले तो उसे सेकेंड सेमेस्टर में पास होने की बात कही। बाद में डायरेक्टर ने फोन करके बुलाया। कहा कि वो एक सब्जेक्ट में फेल है और पास होने के लिए संबंध बनाने की बात कही।
इसके बाद फोन पर छात्रा को बार-बार परेशान किया गया। आरोपों के अनुसार उत्पीडऩ करने का यह मामला 21 अक्टूबर से लेकर 30 अक्टूबर तक का है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है।
मेडिकल कॉलेज की एक छात्रा ने उत्पीडऩ की शिकायत की है। अभी प्रकरण की जांच कराई जा रही है।
-लाड कुमारी जैन, अध्यक्ष राज्य महिला आयोग।
नकल का मामला
छात्रा एक सब्जेक्ट में फेल बताई जा रही है। इसकी वजह नकल की पर्ची पकड़ में आना बताया जा रहा है।
छात्रा की शिकायत पर महिला आयोग ने जांच शुरू कर दी है। एमबीबीएस सेकेंड सेमेस्टर में अध्ययनरत छात्रा ने महिला आयोग में 30 अक्टूबर को शिकायत की है।
शिकायत में कहा कि कॉलेज प्रशासन ने पहले तो उसे सेकेंड सेमेस्टर में पास होने की बात कही। बाद में डायरेक्टर ने फोन करके बुलाया। कहा कि वो एक सब्जेक्ट में फेल है और पास होने के लिए संबंध बनाने की बात कही।
इसके बाद फोन पर छात्रा को बार-बार परेशान किया गया। आरोपों के अनुसार उत्पीडऩ करने का यह मामला 21 अक्टूबर से लेकर 30 अक्टूबर तक का है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है।
मेडिकल कॉलेज की एक छात्रा ने उत्पीडऩ की शिकायत की है। अभी प्रकरण की जांच कराई जा रही है।
-लाड कुमारी जैन, अध्यक्ष राज्य महिला आयोग।
नकल का मामला
छात्रा एक सब्जेक्ट में फेल बताई जा रही है। इसकी वजह नकल की पर्ची पकड़ में आना बताया जा रहा है।
पूर्व जन्म का दिखा असर, एक डॉक्टर करने लगीं अपने पति से प्यार
भोपाल। पिछले जन्म की घटनाएं या उससे जुड़ी कोई बात हमारे
अंतर्मन में हमेशा बनी रहती है। जब हम पिछले जन्म में जाकर उस घटना से
रूबरू होते हैं तब हमारा डर दूर होता है। यह हमारी जिंदगी को आसान बना देता
है। यह बात स्पिरिच्युल साइंटिस्ट डॉ. न्यूटन कोंडावेटी और डॉ. लक्ष्मी ने
कहीं।
डॉ. न्यूटन ने कहा कि जब तक हम खुद मेडिटेशन नहीं करते हमें किसी भी
सवाल का उत्तर नहीं मिलता। हम जब इस बात से परिचित हो जाते हैं कि जिन
चीजों, परिस्थितियों या लोगों से हम घृणा कर रहे हैं, वे पिछले जन्म में
हमसे जुड़ी हुई थीं, तो उनसे समानता का व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसे कई अनुभव हैं, जब हमने पिछले जन्म में हुई
घटनाओं के कारण परेशान लोगों को स्मृतियों में ले जाकर ठीक किया है। यदि
हमें पिछले जन्म के बारे में पता हो, तो हमें हमारे इस जन्म के उद्देश्य के
बारे में भी पता होता है।
गडकरी के खिलाफ बगावत, जा सकती है कुर्सी!
नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के आरोपों और विवादों से घिरे बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी) के
खिलाफ पार्टी के भीतर ही बगावत शुरू हो गई है। सीनियर वकील और बीजेपी नेता
महेश जेठमलानी ने गडकरी को निशाने पर लेते हुए पार्टी की राष्ट्रीय
कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया है। गडकरी के खिलाफ हाल में लगे
भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से महेश ने इस्तीफा दिया है। महेश जेठमलानी
ने गडकरी से कहा था कि यदि वो अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो वह
राष्ट्रीय कार्यकारिणी छोड़ देंगे। जेठमलानी का कहना है कि जब तक गडकरी
पार्टी के अध्यक्ष रहेंगे तब तक उनका राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बने रहना
नैतिक और बौद्धिक तौर पर सही नहीं होगा। गौरतलब है कि महेश के पिता एवं
सीनियर वकील राम जेठमलानी भी गडकरी के इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। ऐसे
में गडकरी की बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है।
केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने भाजपा अध्यक्ष के
आईक्यू को कसाब के स्तर का बताया है। तिवारी ने कहा कि गडकरी को अपने
बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। मनीष तिवारी का कहना है कि यदि हम गडकरी के
आईक्यू को कसाब से तुलना करें तो क्या होगा ?
सदस्यता लें
संदेश (Atom)