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14 नवंबर 2012

भैया दूज आज, पूरे दिन है मुहूर्त, पूजे जाएंगे भाई



जालंधर। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को दीपावली के बाद भैया दूज मनाया जाता है। इस दिन मार्गशीर्ष संक्रांति होने के कारण पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहेगा।
 
मंदिरों में हवन यज्ञ व भक्तों के लिए दान-पुण्य करना अति-फलदायी सिद्ध होगा। प्रेम के इस पर्व को सर्वप्रथम बहन शिव-पार्वती का पूजन करती हैं।
 
तत्पश्चात बहन भाई की मंगलकामना के लिए तिलक और दीर्घायु व सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना करती हैं। मान्यता है कि भाई बहन को श्रद्धानुसार स्वर्ण, मुद्रा, उपहार आदि भेंट करना शुभ फलदायक होता है।

एक ऐसी परंपरा जहां 'माता' लड़ती है 'राक्षस' से युद्ध


अम्बाला. पापा, क्या राक्षस मर गया है? यह सवाल था पिता के कंधे पर बैठी कनिष्का का। जो उस जिज्ञासु भीड़ का हिस्सा थी, जो बुधवार को गांधी ग्राउंड में गायों व 'राक्षस' की लड़ाई देखने जुटी थी।
गोवर्धन पूजन के दिन अम्बाला में यदुवंशियों (ग्वाला समुदाय) की यह अनूठी परंपरा दशकों से चली आ रही है। इसमें सुअर को राक्षस का प्रतीक माना जाता है। गायें अपने सींगों से सुअर को मारती हैं।
हमेशा की तरह अंत में राक्षस मर जाता है। अम्बाला में गांधी ग्राउंड के अलावा रामबाग रोड पर दशहरा ग्राउंड में भी इसी परंपरा का निर्वाह किया गया।

ग्वाला समुदाय गायों को सुबह से सजाने में लग जाते हैं। गायों के शरीर पर रंग की छाप बनाई गई। सींगों को तेल व रंग से चमकाया गया। जानकी (85) देवी ने बताया कि इस दिन सुबह मवेशियों का गोबर आंगन में पूजा के लिए एकत्र किया जाता है।

यादव समाज के नेता हीरा लाल यादव बताते हैं कि यदुवंशियों की यह परंपरा कितनी पुरानी है, इसकी कोई तय तारीख तो नहीं बता सकता। ऐसी मान्यता है कि एक राक्षस ने सुअर का रूप धारण कर भगवान श्री कृष्ण पर हमला किया था।
इसी वजह से सुअर को राक्षस का प्रतीक माना जाता है। परंपरा के मुताबिक दिवाली की शाम और गोवर्धन पूजन की सुबह ग्वाले दूध नहीं बेचते। हर घर में दूध के साथ गोवर्धन पूजा होती है और उसके बाद दूध को प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है।

बता दें कि पहले गोवर्धन पूजन के लिए ग्वाल समुदाय के लोग डांडिया खेलते थे। धीरे-धीरे डांडिया का स्थान लट्ठबाजी ने ले लिया। समुदाय के लोग कई दिनों की मेहनत से लट्ठ तैयार करते हैं और इस दिन अपनी प्रतिभा व दम दिखाते हैं।
श्री रामबाग गोशाला में 20 नवंबर को गोपाष्टमी उत्सव मनाया जाएगा। इसमें मध्य प्रदेश के जिला शिवपुरी से ब्रह्मचारी विनय सागर महाराज पधारेंगे। गौशाला समिति के सचिव कमल कौशिक ने बताया सुबह 9.30 बजे हवन होगा। 10.30 बजे से प्रवचन होगा।

नगाड़े बजाकर संघर्ष का ऐलान
गांधी ग्राउंड में कई गायों को सजा-धजा कर उनके बछड़े व बछडिय़ों के साथ लाया गया था। बैंड की धुन पर नाचते-गाते ग्वाला समुदाय के लोग पहुंचे। नगाड़े और घंटियां बजाकर संघर्ष का ऐलान किया गया।
सुअर को गायों के आगे किया गया तो गायों ने उसे सींगों से उछाला। करीब आधे घंटे संघर्ष चला। गायें कई बार आक्रामक होकर भीड़ की तरफ भी भागी।
दूसरी तरफ रामबाग के दशहरा ग्राउंड में तो इस बार नोटों की लड़ाई भी कराई गई। यह नजारा काफी खतरनाक था, खासकर इसलिए भी क्योंकि यहां कोई सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे।
बावजूद इसके सबकुछ शांतिपूर्ण निपट गया। गाहे बगाहे पशु क्रूरता का तर्क देकर इस परंपरा का विरोध भी होता रहा है लेकिन आस्था के आगे कोई तर्क नहीं चलता।

कुछ यूं बाल ठाकरे बने एक कार्टूनिस्ट से 'हिन्दू ह्रदय सम्राट'



बाला साहब ठाकरे का जन्म पुणे में 23 जनवरी 1926 को हुआ था। प्यार से उन्हें 'हिन्दू ह्रदय सम्राट' भी कहा जाता था। 
 
राजनीति में बेहद लोकप्रीय और दिग्गज मने जाने वाले इस नेता ने अपने कैरियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के तौर पर की थी। द फ्री प्रेस जर्नल वह पहला अखबार था जिसमें उन्होंने सबसे पहले काम किया। हालाँकि 60 के दशक में उनके कार्टून टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संडे  एडिशन में भी छपे। 1960 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और अपना खुद का कार्टून वीकली 'मार्मिक' शुरू किया। बाल ठाकरे की राजनीतिक विचारधारा उनके पिता केशव सीताराम ठाकरे से काफी प्रभावित थी। 
 
भाषा के आधार पर महाराष्ट्र  को एक अलग राज्य बनाने वाले आन्दोलन 'संयुक्त महाराष्ट्र मूवमेंट' के अग्रणी नेता केशव सीताराम ठाकरे बेहद लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने महाराष्ट्र में गुजरातियों, मारवाड़ियों और उत्तर भारतीयों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ जमकार विरोध किया। 1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना के नाम से राजनीतिक दल का गठन किया। अपनी विचारधारा को लोगों तक पहुँचाने के लिए उन्होंने 1989 में 'सामना' नामक अखबार की शुरुआत की।  
 
1995 के चुनाव के बाद शिवसेना-भाजपा गठबंधन पहली बार सत्ता में आई। इस दौरान बाला साहब ने सरकार में न रहते हुए भी उसके सभी फैसलों को प्रभावित किया। इस दौरान उन्हें रिमोट कंट्रोल का नाम दिया गया। 
 
1996 में बाल ठाकरे को दो बड़े सदमों से गुजरना पड़ा। 20 अप्रैल 1996 को उनके पुत्र बिंदुमाधव की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई जबकि, इसी साल सितम्बर में उनकी पत्नी मीना का हार्ट अटैक के बाद निधन हो गया। 
 
28 जुलाई 1999 में इलेक्शन कमीशन की अनुशंसा के बाद बाल ठाकरे को छः साल के लिए चुनाव लड़ने और वोट डालने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। 
 
सांस लेने में तकलीफ के बाद 25 जुलाई 2012 को उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में दाखिल किया गया था। इसके बाद से लगातार उनकी सेहत में गिरावट जारी है।

क्या आप जानते हैं दीपावली पर क्यों खाते हैं खील-बताशे?



 

दीपावली पर मां लक्ष्मी को तरह-तरह के पकवान तो भोग में रखे जाते हैं लेकिन खील-पताशे (धानी और बताशे) भी चढ़ाए जाते हैं। इसे ही लक्ष्मी का प्रमुख प्रसाद माना जाता है और सभी दीपावली पर खील-बताशे जरूर खाते हैं। आखिर सारे गरिष्ठ और तरह-तरह के पकवानों के बीच सूखी सी खील और पताशे देवी लक्ष्मी को क्यों चढ़ाते हैं? क्या खील-पताशों का कोई महत्व होता है? क्या इसका स्वास्थ्य से भी कोई संबंध है?
दीपावली धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति का त्योहार है। इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन कर जीवनभर धन-संपत्ति की कामना की जाती है। खील-पताशे का प्रसाद किसी एक कारण से नहीं बल्कि उसके कई महत्व है, व्यवहारिक, दार्शनिक, स्वास्थ्य और ज्योतिषीय ऐसे सभी कारणों से दीपावली पर खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। खील यानी धान मूलत: धान (चावल) का ही एक रूप है। यह चावल से बनती है और उत्तर भारत का प्रमुख अन्न भी है। दीपावली के पहले ही इसकी फसल तैयार होती है, इस कारण लक्ष्मी को फसल के पहले भाग के रूप में खील-बताशे चढ़ाए जाते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो भी यह काफी लाभप्रद है। श्राद्ध में सोलह दिन तक खीर-पुरी और अन्य पकवानों के बाद नवरात्रि में नौ दिन उपवास से हमारा हाजमा प्रभावित होता है, खील सुपाच्य होती है। इसकी कमजोर हाजमा ठीक होता है। खील बताशों का ज्योतिषीय महत्व भी होता है। दीपावली धन और वैभव की प्राप्ति का त्योहार है और धन-वैभव का दाता शुक्र ग्रह माना गया है। शुक्रग्रह का प्रमुख धान्य धान ही होता है। शुक्र को प्रसन्न करने के लिए हम लक्ष्मी को खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाते हैं।

हार वाली इन सीटों पर जीत की राह तलाश रहीं पार्टियां





जयपुर .  कांग्रेस और भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में मामूली वोटों के अंतर से हारी गई 20 से ज्यादा सीटों पर अभी से फोकस कर दिया है। कांग्रेस ने उन सीटों पर पर नजरें लगाई हैं, जहां वह लगातार हार रही है।
 
2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 96, भाजपा को 78, बसपा को छह, माकपा को तीन, जनता दल यू, समाजवादी पार्टी और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को एक-एक और निर्दलीयों को 14 सीटें मिली थीं। 
 
क्या कर रहे हैं राजनीतिक दल
 
बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सजग कर रहे हैं। कांग्रेस बूथ लेवल एजेंटों का जाल बिछा रही है। भाजपा एक बूथ और पांच कार्यकर्ता की रणनीति बना रही है। भाजपा निचले लेवल से फीडबैक जुटा रही है। संभावित उम्मीदवार कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिशों में हैं। ऐसे मतदाताओं को जोड़ा जा रहा है, जो सूचियों में नहीं आ पाए थे। इन्हें हर संभावित उम्मीदवार को कंप्यूटरों में डेटाबेस बनाने को कहा गया है। 
 
सबसे ज्यादा चिंतित हैं मंत्री
 
केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी एक वोट से हारे थे तो शिक्षा मंत्री ब्रजकिशोर शर्मा 580 वोट से ही जीत पाए। पंचायती राज राज्य मंत्री विनोद कुमार 386 वोट के अंतर से जीते थे। ये अब जातिगत वोटों, तबादलों, निजी रसूख और सामुदायिक कामों पर फोकस कर रहे हैं। विवाह-सगाई समारोहों और तीये की बैठकों पर ध्यान दिया जा रहा है। मंत्री-विधायकों का इन दिनों अस्पतालों में बीमार लोगों से मिलने का सिलसिला भी बढ़ गया है। 
 
इस्तीफे का मैसेज
 
महज 643 वोट के अंतर से जीतने वाले राजेंद्र विधूड़ी ने संसदीय सचिव से इस्तीफा देकर मैसेज देने की कोशिश की है।
 
 
हारी सीटों में वोटों का अंतर
 
500 से कम वोट
 
भाजपा : नसीराबाद (71), चौमूं (135), पोकरण (339), 
     हनुमानगढ़ (386)। 
कांग्रेस : नाथद्वारा (1)।
 
1000  से कम वोट
 
भाजपा : हवामहल (580), बेगू (643)।  
कांग्रेस : अजमेर उत्तर (688), भीम (730), कोटपूतली 
     (893), राजगढ़- लक्ष्मणगढ़ (937),      कुशलगढ़ (957)।
 
 
2000 से कम वोट
 
 
भाजपा : मांडलगढ़ (1,488), जमवारामगढ़ (1,553), 
     डग (1,709), हिंडौन (1,855)। 
कांग्रेस :  दौसा (1102), डेगाना (1174), धौलपुर (1554), 
      कठूमर (1693), आदर्शनगर (1718), मारवाड़ 
      जंक्शन (1782),  जहाजपुर (1865), 
      रामगंजमंडी (1874)। 
 
 
 
2500 से कम वोट
 
भाजपा : मांडल (2,316), निवाई (2,438। 
कांग्रेस : किशनगढ़ बास (2110), नोखा (2277), शेरगढ़ 
    (2302), झोटवाड़ा (2455), खाजूवाला (2497)। 
 
 
3000 से कम वोट
 
भाजपा : सादुलशहर (2,875)। 
कांग्रेस : फुलेरा (2710), राजाखेड़ा (2904)। 
 
4000 से कम वोट
 
भाजपा : मुंडावर (3,226), पिंडवाड़ा-आबू : (3,346), 
    केशोरायपाटन (3,416), बगरू (3,517), 
    आमेर (3,797। 
कांग्रेस : धोद (3146), रेवदर (3238), पिलानी (3246), 
     डीग कुम्हेर (3524), सांचौर (3614), 
     मालपुरा (3813)। 
 
5000 से कम वोट
 
भाजपा : कुंभलगढ़ (4,174), मावली (4,733)। 
कांग्रेस : विराटनगर (4078), भोपालगढ़ (4501), नगर 
     (4584), किशनपोल (4739), दातारामगढ़ 
     (4919)।
 
यहां बागियों-निर्दलीयों ने दोनों दलों का खेल बिगाड़ा
 
जयदीप डूडी (भादरा), कन्हैयालाल झंवर (नोखा), अशोक तंवर (चाकसू), परसादीलाल मीणा (लालसोट), ब्रrादेव कुमावत (मसूदा), हरजीराम बुरड़क (लाडनूं), दिलीप चौधरी (जैतारण), नानालाल (घाटोल), कन्हैयालाल मीणा (बस्सी), किरोड़ीलाल मीणा (टोडाभीम), रामकिशोर सैनी (बांदीकुई), गोलमा (महुवा), रणवीर पहलवान (मालपुरा), जीवा राम चौधरी (सांचौर)।
 
गलतियों को ठीक करने का प्रयास
 
कम अंतराल से हारी सीटों पर पिछली बार की गलतियों को ठीक कर इनको पार्टी के खाते में कैसे लाया  इस पर काम शुरू कर दिया है।
 
डॉ. चंद्रभान, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
 
भाजपा को राज्य सरकार की विफलता का सहारा
 
संगठनात्मक ढांचे की मजबूती पर जोर है।  हर बूथ पर कम से कम पांच कार्यकर्ताओं की टीम जुटा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार की विफलता पर जनजागरण कर रहे हैं।
 
अरुण चतुर्वेदी, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा

शाहरुख की फिल्म के ग्रैंड प्रीमियर में चुपके से पहुंचीं काजोल!


शाहरुख की फिल्म के ग्रैंड प्रीमियर में चुपके से पहुंचीं काजोल!
मुंबई. शाहरुख खान की नई फिल्म 'जब तक है जान'  भारत के साथ विदेशों में सिल्‍वर स्‍क्रीन्‍स पर दिखाई जा रही है। 12 नवंबर को इस फिल्म का शानदार ग्रैंड प्रीमियर ) आयोजित किया गया जिसमें बॉलीवुड से जुड़ी तमाम हस्तियां जुटीं। पहले खबर आ रही थी कि काजोल को इस फिल्‍म के प्रीमियर में नहीं बुलाया जाएगा लेकिन अब खबर है कि काजोल इस प्रीमियर में शामिल हुईं लेकिन उनकी बैक डोर से एंट्री हुई। शाहरुख के साथ कई ब्लॉकबस्टर्स में काम कर चुकीं काजोल की किंग खान की जोड़ी यश चोपड़ा के निर्देशन वाली फिल्‍म 'दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे' में काफी मशहूर रही थी। 
 
हाल में स्‍क्रीन्‍स को लेकर यशराज फिल्म्स और अजय देवगन के बीच चल रहे विवाद के कारण ऐसी उम्‍मीद थी कि फिल्‍म के प्रीमियर में काजोल को न्‍योता नहीं दिया गया है लेकिन एक अखबार के मुताबिक काजोल ने मीडिया की नजरों से बचते हुए पिछले दरवाजे से प्रीमियर में पहुंचीं। प्रीमियर के लिए आयोजित कार्यक्रम में सबसे पहले यश चोपड़ा की पत्‍नी पाम चोपड़ा अपने बेटे उदय चोपड़ा के साथ पहुंचीं। इसके बाद फिल्‍म के स्‍टार्स शाहरुख, अनुष्‍का और कैटरीना ने एंट्री ली। काजोल यश चोपडा के बड़े बेटे आदित्‍य चोपड़ा के साथ शो में पहुंचीं।

पूजा नहीं करने पर दबंगों ने काटी पुरोहित की चुटिया, बवाल



नवगछिया। अनुमंडल के गोपालपुर थाना क्षेत्र के नवगछिया-करारी तिनतंगा मुख्यमार्ग स्थित पेट्रोल पंप के दबंग मालिक अजीत चौधरी उर्फ बबलू ने बुधवार को अपने सहयोगियों के साथ पुरोहित (पंडित) अविनाश कुमार मिश्रा उर्फ जैकी की जबरन चुटिया काट दी। आरोप है दीपावली में पंडित ने इंतजार करवा कर पंप की पूजा नहीं की। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग आक्रोशित हो गये और पंप पर पहुंच कर मालिक के साथ मारपीट की और उसे घंटों बंधक बना कर रखा।

भीड़ इस कदर को बेकाबू थी कि पंप मालिक की जान लेने पर उतारु थे। घटना की सूचना मिलते ही एसडीओ व एसडीपीओ के नेतृत्व में पांच थानों की पुलिस पेट्रोल पंप पर पहुंच कर लोगों को काबू किया और आरोपी अजीत को गिरफ्तार थाने ले आई।

गौर का एक और विवादास्पद बयान, 'नेहरू मान जाते तो देश का बंटवारा नहीं होता'



गौर का एक और विवादास्पद बयान, 'नेहरू मान जाते तो देश का बंटवारा नहीं होता'
भोपाल। नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने देश के बंटवारे के लिए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया है। नेहरू की जयंती पर मीडिया से चर्चा में गौर ने कहा ‘नेहरू यदि गांधीजी की बात मान लेते और जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने पर सहमत हो जाते तो देश का बंटवारा नहीं होता।’
 
गौर ने कहा कि आजादी के समय पं. जवाहरलाल नेहरू के अलावा सरदार पटेल और मोहम्मद अली जिन्ना प्रधानमंत्री के दावेदार थे। गांधी जी ने नेहरू और पटेल से कहा कि यदि जिन्ना को प्रधानमंत्री बना देते हैं तो देश का बंटवारा रोका जा सकता है। गांधी जी की समझाइश पर पटेल ने अपना दावा वापस ले लिया, लेकिन नेहरू अड़ गए। यदि नेहरू मान जाते तो बंटवारा नहीं होता।’

कुरान का संदेश

 
 

ये है शव साधना की रात, दीपावली की रात हो रही तंत्र क्रि‍या



वाराणसी. काशी के मणिकर्णिका तीर्थ पर जलती चिताओं के बीच तंत्र साधना होती है । दीपावली के  ठीक एक दिन पहले से ही तंत्र की साधना करने वाले महाश्मशान पर वर्ष की इस काली निशा पर देवी काली और भैरव की उपासना के साथ ही बाबा मशाननाथ के सामने बैठकर सिद्धियों की प्रप्ति के लिए पूरी रात आराधना और तंत्र क्रिया करते हैं। 
 
महाश्मशान पर किए जाने वाले इस अनुष्ठान में  मशाननाथ के मंदिर से  लेकर उस स्थान पर तन्त्र क्रिया की जाती है, जहां लगातार चिताएं जलती रहती हैं। पीठाधीश्वर- महाश्मशान बाबा नागनाथ बताते हैं कि इस पूजा में वैसे तो बली देने का भी विधान है और दीपावली की रात्रि को महानिशा काल कहा जाता है। इसीलिए एक दिन पहले से की गई तंत्र साधना का अलग महत्‍व है।

अपनों की लंबी आयु चाहें तो कल करें यह चमत्कारी यमराज मंत्र




 
हिन्दू धर्म में यमराज को मृत्य यानी काल का देवता माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक यम का देवत्व रूप धर्मराज और पितृत्व रूप यमराज होता है। इसलिए यम पूजा व दीपदान हर भय, चिंता, रोग कष्ट से मुक्त करने वाला माना गया है। ऐसी ही मनोरथ पूर्ति का अवसर कार्तिक शुक्ल द्वितीया यानी भाई दूज का होता है। 
इस दिन से जुड़े यम और यमुना का पौराणिक प्रसंग भी रिश्तों और जीवन को दीर्घ बनाए रखने के लिए संबंधों में प्रेम और विश्वास का संदेश देता है। धार्मिक उपायों में इस दिन यम का विशेष मंत्र से स्मरण और दीप प्रज्जवलन का महत्व बताया गया है। जानते हैं यमदेव की सरल पूजा विधि और विशेष मंत्र  -
यमदेव की सरल पूजा विधि - 
- शाम को यम तर्पण या यम उपासना करें। यम तर्पण में शाम को नदी या तीर्थ में दक्षिण दिशा में मुंह कर हथेलियों में जल, तिल और कुश लेकर नम: यमाय या नम: धर्मराजाय बोलकर जल छोड़ें। इस दिन जनेऊधारी हो तो जनेऊ को माला की तरह पहने और काले, सफेद तिलों को उपयोग में लें। 
- इसी तरह शाम को तिल के तेल से भरे 5 या 11 दीपक जलाकर उसकी गंध, अक्षत, पुष्प से पूजा करें और दक्षिण दिशा में मुंह करके यमदेवता का ध्यान कर मंदिर या तीर्थ में दीपदान करें। साथ ही नीचे लिखें यम गायत्री मंत्र का यथाशक्ति या कम से कम 108 बार स्मरण करें - 
ऊँ सूर्यपुत्राय धीमहि
महाकालाय धीमहि
तन्नो यम: प्रचोदयात्।।

- यमदेवता की आरती कर काल, भय व रोग मुक्ति की कामना करें।

भगवान श्रीकृष्ण ने की थी सबसे पहले गोवर्धन पूजा, जानिए कथा


 

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (इस बार 14 नवंबर, बुधवार) के दिन पर्वतराज गोवर्धन की पूजा की जाती है। इसकी कथा इस प्रकार है-
एक समय की बात है भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं, गोप-ग्वालों के साथ गाएं चराते हुए गोवर्धन पर्वत की तराई में जा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि नाच-गाकर खुशियां मना रही हैं। जब श्रीकृष्ण ने इसका कारण पूछा तो गोपियों ने कहा कि आज मेघ व देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होगा। पूजन से प्रसन्न होकर वे वर्षा करते हैं, जिससे अन्न पैदा होता है तथा ब्रजवासियों का भरण-पोषण होता है। तब श्रीकृष्ण बोले- इंद्र में क्या शक्ति है? उससे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसी के कारण वर्षा होती है।
हमें इंद्र से भी बलवान गोवर्धन की ही पूजा करना चाहिए। तब सभी श्रीकृष्ण की बात मानकर गोवर्धन की पूजा करने लगे। यह बात जाकर नारद ने इंद्र को बता दी। यह सुनकर इंद्र को बहुत क्रोध आया। इंद्र ने मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर प्रलय का-सा दृश्य उत्पन्न कर दें। मेघ ब्रज-भूमि पर जाकर मूसलधार बरसने लगे। इससे भयभीत होकर सभी गोप-ग्वाले श्रीकृष्ण की शरण में गए और रक्षा की प्रार्थना करने लगे।गोप-गोपियों की पुकार सुनकर श्रीकृष्ण बोले- तुम सब गोवर्धन-पर्वत की शरण में चलो।
वह सब की रक्षा करेंगे। सब गोप-ग्वाले पशुधन सहित गोवर्धन की तराई में आ गए। श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्ठिïका अंगुली पर उठाकर छाते सा तान दिया। गोप-ग्वाले सात दिन तक उसी की छाया में रहकर अतिवृष्टिï से बच गए। सुदर्शन-चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक जल की एक बूंद भी नहीं पड़ीा। यह चमत्कार देखकर ब्रह्मïाजी द्वारा श्रीकृष्णावतार की बात जान कर इंद्र देव अपनी मूर्खता पर पश्चाताप करते हुए कृष्ण से क्षमा-याचना करने लगे। श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा कि अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन-पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो। तभी से यह पर्व के रूप में प्रचलित है।

सवेरे सूर्य पूजा या मंत्र बोलने से मिलती हैं ऐसी कमाल की शक्तियां



हिन्दू धर्म के नजरिए से सूर्य जगत की आत्मा है। वहीं, विज्ञान के नजरिए से भी सूर्य ऊर्जा व शक्ति का भंडार व कालगणना का आधार है। इसलिए धार्मिक उपायों से सूर्य पूजा हो या वैज्ञानिक तरीकों से सूर्य की रोशनी या ऊर्जा को पाना, ये उपाय तन व मन को मजबूत बनाकर सेहत रूपी धन द्वारा द्रव्य रूप धन (रुपया-पैसा) कमाने की राह असान बनाने वाली मानी गई है। 
बहरहाल, धार्मिक नजरिए से सूर्य पूजा से जुड़े लाभ देखें तो भविष्य पुराण के मुताबिक हर रोज श्रद्धा व आस्था से सूर्य पूजा के शुभ प्रभाव से सूर्य भक्त अनेक शक्तियों व गुणों का स्वामी बन जाता है। इससे सांसाकिर जीवन में बेजोड़ सफलता व प्रतिष्ठा मिलती है।

'बीमार' पिंकी नहीं कर सकता रेप!



कोलकाता. एशियाड में गोल्ड मेडल जीत कर देश का मान बढ़ाने वाली पिंकी प्रमाणिक के पुरुष साबित होने के बाद विवाद और बढ़ गया है। मेडिकल एक्‍सपर्ट्स ने पिंकी पर रेप के आरोप लगाने वाली पुलिस पर सवाल उठाए हैं। पिंकी के डीएनए टेस्‍ट से उसके पुरुष होने की पुष्टि हुई है। लेकिन उसकी मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एथलीट 'डिसऑर्डर ऑफ सेक्‍सुअल डेवलपमेंट' (DSD) से पीडित है। (पिंकी प्रमाणिक का हुआ लिंग परीक्षण, MMS हुआ लीक)
 
जानकारों का कहना है कि 'XY क्रोमोजोम कॉम्बिनेशन' के बावजूद पिंकी को पुरुष नहीं कहा जा सकता है क्‍योंकि ऐसे मरीज सेक्‍स करने में अक्षम होते हैं। इस मामले की जांच में शामिल मेडिकल पैनल के सदस्‍य कौशिक मंडल ने एक अखबार से बातचीत में कहा, 'पिंकी पर रेप करने का आरोप लगाना गलत होगा। हालांकि क्रोमोजोम के हिसाब से पिंकी पुरुष है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पिंकी पुरुष है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एथलीट DSD से पीडित है और ऐसे मरीजों को पुरुष नहीं कहा जा सकता है।' (पिंकी प्रमाणिक को रेप केस में फंसाने वाला है सेक्स रेकेट हिस्ट्रीशीटर!)
 
स्‍त्री रोग विशेषज्ञ गौतम खस्‍तगीर कहते हैं कि पिंकी के शरीर में शायद 'इंटरनल टेस्टिस' है जो पूरी विकसित नहीं हुआ है लेकिन उसके शरीर में योनि या गर्भाशय नहीं है। इस आधार पर पिंकी को पूरी तौर पर पुरुष नहीं कहा जा सकता है। पुरुषों में पाए जाने वाले हार्मोन्‍स और उसके क्रोमोजोम्‍स की वजह से उसका स्‍वभाव आक्रामक हो सकता है लेकिन उसकी सेक्‍सुअल पहचान अब भी संदेह के घेरे में है। ('पूर्व एथलीट सिकदर के पति के कहने पर पिंकी को फंसाया')
 
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