दोस्तों कोंग्रेस तो है महासमुंद्र है इसमें न जाने कितनी नदियाँ कितने नाले आकर गिरे ..इस समुन्द्र में ना जाने कितने ज्वारभाटे आये .ना जाने कितने तूफ़ान आये ना जाने कितने जहाज़ इस समुन्द्र में समा गए लेकिन यह कोंग्रेस जस की तस अजर अमर मजबूत खड़ी है .......इसी लियें तिरंगे की अलमबरदार यह कोंग्रेस आज ज़िंदा है .....इतिहास गवाह है के कोंग्रेस की सुरक्षा सिर्फ और सिर्फ गाँधी नेहरु परिवार ही कर पाया है चाहे सीताराम केसरी हो चाहे नार्सिम्माराव हो चाहे अब्दुल कलाम आज़ाद हो यह सब मजबूरी जरुर रहे है लेकिन कोंग्रेस को संजीवनी देने वाला गाँधी परिवार लोगों की नजरों में खटकने लगा है सोनिया जी को तो कोंग्रेस के सूखे छुआरों या फिर सुर्राए हुए कारतूसों ने मजबूरी में स्वीकार कर लिया है लेकिन राहुल की ताजपोशी के वोह खिलाफ है और अगर मगर किन्तु लेकिन परन्तु के बहाने बना कर वोह राहुल गांधी को किसी ना किसी तरह से ताजपोशी से दूर करते जा रहे है राहुल असफल हो इसलियें बिहार ..उत्तरप्रदेश ..राजस्थान ..गुजरात में उन्हें निपटाने के लियें वरिष्ठ कोंग्रेसियों ने काम किया है ..राहुल गाँधी जो युवाओं के लियें एक आंधी है ..कोंग्रेस के लियें नई सोच है ...नये अरमान है ....इस गान्धी को रोकने के लियें नर्सिम्मा राव के समर्थक और सुर्राए हुए कारतूस पूरी ताकत से लगे हुए है राहुल गाँधी और उनके समर्थक समझ गए है के कोंग्रेस सन्गठन में वर्तमान असफलता और तबाही के पीछे वोह लोग है जिन्होंने खुद के राज्यों से कोंगर्स को खत्म कर दिया है और खुद मठाधीश बन कर कोंग्रेस के सिरमोर बने है ...राहुल के समर्थक दबी जुबान में इस बाद को स्वीकारते भी है और सच्चाई यही है अब हम अहमद पटेल को ही ले गुजरात दस सालों से कोंग्रेस खत्म मोदी का बोलबाला वहां के अहमद पटेल कोंग्रेस में हावी है ...मध्यप्रदेश के दिग्विजय सिंह ..मोती लाल बोहरा यहा दस सालों में कोंग्रेस खत्म और यहा के लोग जो अपना घर नहीं देख सके आज देश में कोंग्रेस के नीतियों के निर्धारक बने है ...उत्तरप्रदेश में सलमान खुर्शीद हो चाहे दुसरे नेता हो ..आंध्रप्रदेश ...पश्चिम बंगाल ...बिहार ....कर्नाटक सहित जो भी राज्य हो उड़ीसा हो जहाँ कोंग्रेस का नाम लेवा नहीं है वहा के सुर्राए हुए कोंग्रेसी कारतूस अगर कोंग्रेस की नीतिया निर्धारित करते है तो कोंग्रेस का हाल क्या होगा यह सच सभी जानते है और कोंग्रेस का आज इन लोगों द्वारा बुरा हाल कर रखा है यह सुर्राए हुए कारतूस खुद को वरिष्ठ पदों पर बनाये रखने .निति निर्धारक बनाये रखने के लियें सुर्ख़ियों में रहते है और इनकी हर मुमकिन कोशिश है के सोनिया के बाद राहुल नम्बर दो ना बने केवल वाही लोग दो नम्बर रहे अगर राहुल दो नम्बर बने तो उन्हें फ़िक्र है के उनका पत्ता साफ़ हो जाएगा .........तो जनाब आप खुद बताइए जिन राज्यों में कोंग्रेस एक बार नहीं बार बार हारी है और कोंग्रेस के यह सिरमोर नेता इनके राज्यों में कोंग्रेस को जिताने में एक बार नहीं बार बार असफल रहे है तो फिर यह देश भर में कोंग्रेस का प्रचं केसे बुलंद कर सकते है नहीं ना तो बताओ और किस राज्य के असफल कोंग्रेसी है जो दिल्ली में अपना कब्जा जमाए बेठे है और चापलूसी से कोंग्रेस को बर्बाद कर रहे है आपकी टिप्पणियों का इन्तिज़ार है .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 नवंबर 2012
उसके सिर पर था 5 लाख रु. का इनाम, किसी ने उतार दी कनपटी में गोली
सीकर/रतनगढ़.बहुचर्चित दारिया एनकाउंटर प्रकरण में फरार चल रहे
पांच लाख के इनामी अभियुक्त विजय कुमार उर्फ बिरजू ठेकेदार की बुधवार रात
गोली मारकर हत्या कर दी गई। गुरुवार सुबह रतनगढ़ थाना क्षेत्र के भुखरेड़ी
गांव के पास रोड के किनारे उसका शव मिला। उसकी कनपटी में गोली लगी हुई थी।
पुलिस किसी दूसरी जगह पर हत्या कर शव यहां फेंकना बता रही है।
मामले में सुराग लगाने के लिए चूरू पुलिस हरियाणा गई है। उसे तीन जनों
के साथ बुधवार को देखा गया था। पुलिस ने उन तीनों को हिरासत में ले लिया
है। फिलहाल कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। शव रतनगढ़ मोर्चरी में रखवाया गया
है।
चूरू एसपी ओमप्रकाश के मुताबिक गुरुवार सुबह एक दूधवाले ने गांव
भूखरेड़ी में ग्रामीणों को सूचना दी कि सड़क किनारे एक व्यक्ति का शव पड़ा
है। इस पर उप प्रधान कुरड़ाराम सहित गांव के लोग मौके पर पहुंचे और पुलिस
को सूचना दी। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मौका मुआयना करने के बाद शव
को राजकीय अस्पताल मोर्चरी में रखवाया।
सुबह करीब साढ़े आठ बजे उसकी पहचान विजय कुमार उर्फ बिरजू ठेकेदार
(50) पुत्र श्रीपाल चौधरी निवासी फतेहपुर के रूप में हुई। शिनाख्त होते ही
पुलिस प्रशासन हरकत में आया और एसपी ओमप्रकाश समेत कई अधिकारी मौके पर
पहुंचे। प्रारंभिक तौर पर सामने आया है कि उसे बुधवार को तीन युवकों के साथ
देखा गया था।
फतेहपुर थाने का था हिस्ट्रीशीटर
आरोपी विजय ठेकेदार फतेहपुर कोतवाली थाने का हिस्ट्रीशीटर था। दारिया
मामले में सामने आया था कि ठेकेदार ने ही दारिया को एसओजी को सौंपा था।
उसके बाद उसका एनकाउंटर किया गया। सीबीआई ने उस पर पांच लाख का इनाम घोषित
कर रखा था। बताया जा रहा है कि इनाम घोषित होने के बाद वह ज्यादातर विदेश
में रहा।
इन तीनों के साथ देखा गया था
सूत्रों के मुताबिक विजय ठेकेदार बुधवार शाम एक गाड़ी में हिरणा
निवासी महिपाल, बलोद निवासी मनोहर व दिनेश के साथ निकला था। बताया जा रहा
है कि लक्ष्मणगढ़ के नजदीकी गांव जाजोद से ये लोग निकले थे। उस समय विजय
ठेकेदार की परिजनों से बात भी हुई थी। उसके बाद इनका कोई पता नहीं चल पाया।
हत्या के बाद तीनों साथियों से विजय ठेकेदार के परिजनों ने संपर्क किया तो
बताया गया कि उनसे विजय कुमार को छीन लिया गया था।
विजय ठेकेदार पर ये थे आरोप
सीबीआई चार्जशीट के अनुसार पुलिस गिरफ्त में आने से पहले दारा सिंह
विजय ठेकेदार के पास ही था। विजय शराब की तस्करी करता था और दारिया उसकी
गाड़ी चलाता था। पुलिस गिरफ्त में आने से पहले दारिया को विजय ठेकेदार ने
फतेहपुर में कमरा दिलवाया था।
19 अक्टूबर 2006 को पुलिस ने विजय को जयपुर में पकड़ लिया और उसके पास
से साढ़े छह लाख रुपए बरामद कर गाड़ी जब्त कर ली। इसके बाद पुलिस ने विजय
को विश्वास में लिया और दारिया को पकड़वाने के लिए कहा।
तब विजय पुलिस के साथ फतेहपुर गया 21 अक्टूबर, 06 की रात को दारिया को
पकड़वा दिया। इसके बाद पुलिस के साथ ही दारिया को लेकर जयपुर आया।
एनकाउंटर के बाद विजय भूमिगत हो गया। दारिया एनकाउंटर केस में सीबीआई का वह
वांटेड था और सीबीआई ने उस पर पांच लाख इनाम घोषित कर रखा है।
केस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा: सीबीआई
सीबीआई प्रवक्ता धारिणी मिश्रा का कहना है कि विजय ठेकेदार की मौत के
मामले की जांच संबंधित थाना पुलिस कर रही है। सीबीआई ने इस मामले का पूरा
खुलासा कर दिया है और चार्जशीट पेश कर दी है। विजय ठेकेदार सीबीआई गिरफ्त
में आता तो ठीक रहता। मौत से जांच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
शराब दुखांतिका में था मुख्य अभियुक्त
1993 में फतेहपुर में जहरीली शराब पीने पर करीब 39 लोगों की मौत हो गई
थी। बिरजू ठेकेदार उस मामले में मुख्य अभियुक्तथा। विजय ठेकेदार की हत्या
होने के बाद उसके दारा सिंह एनकाउंटर मामले से जुड़े होने पर सीबीआई को
इसकी सूचना दी गई। चूरू एसपी ओमप्रकाश ने बताया कि सीबीआई को इसकी सूचना
दिए जाने के बाद वहां से टीम रवाना हो गई है।
रोचक बातें: क्यों भगवान विष्णु के पैरों की ओर बैठती हैं माता लक्ष्मी?
हम सभी ने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के कई चित्र देखें हैं।
अनेक चित्रों में भगवान विष्णु को बीच समुद्र में शेषनाग के ऊपर लेटे और
माता लक्ष्मी को उनके चरण दबाते हुए दिखाया जाता है। इस चित्र के पीछे जीवन
प्रबंधन के गुण सूत्र छिपे हैं।
माता लक्ष्मी यूं तो धन की देवी हैं तो भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही निवास करती हैं ऐसा क्यों। इसका कारण हैं कि भगवान विष्णु कर्म व पुरुषार्थ का प्रतीक हैं और माता लक्ष्मी उन्हीं के यहां निवास करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटते और कर्म व अपने पुरुषार्थ के बल पर विजय प्राप्त करते हैं जैसे कि भगवान विष्णु।
जब भी अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान विष्णु अवतार लेकर अधर्मियों का नाश करते हैं और कर्म का महत्व दुनिया को समझाते हैं। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि केवल भाग्य पर निर्भर रहने से लक्ष्मी(पैसा) नहीं मिलता। धन के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ता है साथ ही हर विपरीत परिस्थिति से लडऩे का साहस भी आपने होना चाहिए। तभी लक्ष्मी आपके घर में निवास करेगी।
माता लक्ष्मी यूं तो धन की देवी हैं तो भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही निवास करती हैं ऐसा क्यों। इसका कारण हैं कि भगवान विष्णु कर्म व पुरुषार्थ का प्रतीक हैं और माता लक्ष्मी उन्हीं के यहां निवास करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटते और कर्म व अपने पुरुषार्थ के बल पर विजय प्राप्त करते हैं जैसे कि भगवान विष्णु।
जब भी अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान विष्णु अवतार लेकर अधर्मियों का नाश करते हैं और कर्म का महत्व दुनिया को समझाते हैं। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि केवल भाग्य पर निर्भर रहने से लक्ष्मी(पैसा) नहीं मिलता। धन के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ता है साथ ही हर विपरीत परिस्थिति से लडऩे का साहस भी आपने होना चाहिए। तभी लक्ष्मी आपके घर में निवास करेगी।
अंधविश्वास का जीता- जागता उदाहरण, मौत से खेलते ये लोग!
झाबुआ। यह परंपरा है। जान जोखिम में डालने की। मध्यप्रदेश के
झाबुआ में कई जगह ऐसा ही होता है। ग्रामीण जमीन पर लेटते हैं। गायें उनके
ऊपर से गुजरती हैं। गाय का खुर शरीर पर लगना शुभ माना जाता है। दिवाली के
दूसरे दिन पड़वा पर मन्नत पूरी होने के बाद यह परंपरा निभाई जाती है।
कब
दिवाली के दूसरे दिन पड़वा पर।
कहां
झाबुआ के गोवर्धननाथजी की हवेली, खरडू बड़ी, पेटलावद, रायपुरिया, थांदला, राणापुर, धार के रिंगनोद, दसाई, टवलाई।
क्या होता है
ग्रामीण जमीन पर लेटते हैं, गायें ऊपर से गुजरती हैं।
यह है मान्यता
ग्रामीण बीमारी ठीक होने, संतान सुख आदि के लिए मन्नत लेते हैं। मन्नत
पूरी होने के बाद पड़वा पर ऐसा करते हैं। गाय का खुर शरीर पर लगना शुभ
माना जाता है और मन्नतधारी अपनी मन्नत उतार देते हैं।
छठ पूजा 19 कों, करें भगवान सूर्य का पूजन
वैसे तो यह त्योहार संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है लेकिन बिहार और उत्तरप्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों में यह पर्व बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। लोगों को इस पर्व का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। मूलत: यह भगवान सूर्य देव की पूजा-आराधना का पर्व है। सूर्य अर्थात् रोशनी, जीवन एवं ऊष्मा के प्रतीक छठ के रूप में उन्हीं की पूजा-आराधना की जाती है।
धर्म शास्त्रों में यह पर्व सुख-शांति, समृद्धि का वरदान तथा मनोवांछित फल देने वाला बताया गया है। बहुत ही साफ-सफाई और निष्ठïा के साथ इसे पूरा किया जाता है। इस पर्व को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बिहार का तो यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जबसे सृष्टिï बनी, तभी से सूर्य वरदान के रूप में हमारे सामने हैं और तभी से उनका पूजन होता आ रहा है।
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