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18 नवंबर 2012

सरकारें नहीं संभलीं तो चुनाव में सबक : अब्दुर्रहमान



 
जयपुर.पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की ओर से रविवार को अमरूदों का बाग में राष्ट्रीय एकता कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेशभर के करीब दो हजार से अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए। 
 
इस अवसर पर मुख्य वक्ता व पॉपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई. एम. अब्दुर्रहमान ने कहा कि आज सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता है। हर समाज, हर धर्म को एक ही धारा में समझना होगा। इसके लिए केवल ये जरूरी है कि हम भारतीय हैं। वर्तमान सरकारें फिर भी इस चीज को नहीं समझ रही हैं। 
 
उन्होंने मजहब के आधार पर देश को बांट रखा है। कांग्रेस सरकार में मुस्लिमों के खिलाफ 25 से ज्यादा दंगे हो चुके हैं। इनमें गोपालगढ़ मुद्दे को अभी तक नहीं सुलझाया जा सका है, वहीं सवाईमाधोपुर में फूल मोहम्मद मामले में भी बीस माह बीत जाने पर कुछ नहीं किया गया। भारत गरीबी के हिसाब से पिछड़ा है। हमें समानता लाने के लिए सोचना होगा। 
 
यदि वर्तमान सरकारें नहीं संभलीं, तो आगामी चुनावों में इसका जबाव मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘यूएपीए कानून’ का गलत इस्तेमाल हो रहा है। ऐसी कानून व्यवस्था देश में ठीक नहीं है।लोकतंत्र में ऐसा नहीं होना चाहिए।
 
समारोह अध्यक्ष व पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मोहम्मद शफी, वरिष्ठ पत्रकार व वक्ता अजीज बरनी, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उस्मान बेग, बहुजन फ्रंट ऑफ इंडिया के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. इंद्रराज मेघवाल, राजस्थान मुस्लिम फोरम के कन्वीनर कारी मुईनुद्दीन, नेशनल कॉन्फिडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन की प्रदेश उपाध्यक्ष मेहरून्निसा खान सहित अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी विचार व्यक्त किए। मुख्य अतिथि अजमेर शरीफ गद्दीनशीन सरवर चिश्ती थे। 
 
एकता सभा में कोटा, सवाई माधोपुर, चित्तौड़, बूंदी, बारां, उदयपुर, भीलवाड़ा, नागौर, अलवर भरतपुर सहित प्रदेशभर के कार्यकर्ता शामिल हुए।
 
वर्तमान सरकार यूपीए नहीं बल्कि ‘यूएपीए’
 
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई. अबु बकर ने कहा कि केंद्र में हुकूमत कर रही यूपीए सरकार नहीं, बल्कि ‘यूएपीए’ हैं। यूएपीए लोगों से सवाल किए बगैर उन्हें जेल में डालने के लिए हुकूमत की तरफ से बनाया गया काला कानून है। 
 
ये मुस्लिमों के खिलाफ सोची-समझी साजिश है। जो स्वदेशी नहीं विदेशी सोच का नतीजा है। आज ऐसा शासन तंत्र राज कर रहा है जो आखिरी टन कोयला खत्म होने तक उसकी नीलामी करते हैं। इस तंत्र में आदिवासी क्षेत्रों में माओवाद जैसे हालात हैं। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां मुस्लिमों के प्रति भेदभाव की नीति अपना रही हैं। दोनों का रवैया एक जैसा है। 
 
बीजेपी के सदर नितिन गडकरी ने रिश्वत के पैसों से अपने ड्राइवर व मजदूरों को भी करोड़पति बना दिया। ये बड़ी साजिश रची गई है। न सिर्फ मुस्लिमों को, बल्कि हर तबके को खड़ा होना पड़ेगा। 
 
इमाम हुसैन की शहादत की याद में मजलिसों का दौर जारी
 
शहर में जगह-जगह हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मजलिसों का दौर जारी है। शिया समुदाय ने मोहल्ला पन्नीगरान में शिया कौमी इमाम बारगाह में रविवार को मजलिस की। इस मौके पर मौलाना वसीम अब्बास ने हदीस दी और इमाम हुसैन के जीवन पर प्रकाश डाला। आमेर रोड पर जैदी मेंशन पर मर्सिया पढ़ा गया। इस अवसर पर तकवी ब्रदर्स ने मजलिस की। मौलाना कमर अब्बास जैदी ने हदीस बयां की।

मुंबई ने किसी को नहीं दी थी ऐसी विदाई, पंचतत्‍व में विलीन हुए बाल ठाकरे


मुंबई। शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का अंतिम संस्कार आज शाम मुंबई के शिवाजी पार्क में किया गया। ठाकरे को मुखाग्नि बेटे उद्धव ठाकरे ने दी। अंतिम संस्‍कार के वक्‍त ठाकरे के भतीजे राज  भी मौजूद थे। अपने प्रिय नेता की अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार में करीब बीस लाख लोग शामिल हुए। यह लोकमान्‍य तिलक के बाद शायद पहला मौका है जब किसी नेता का अंतिम संस्‍कार इस तरह सार्वजनिक जगह (शिवाजी पार्क) में किया गया। तिलक का अंतिम संस्‍कार चौपटी पर किया गया था और उसमें भी लाखों लोग शरीक हुए थे। ठाकरे की तीन किलोमीटर लंबी अंतिम यात्रा पूरी होने में करीब आठ घंटे लग गए।
 
शिवाजी पार्क में उन्‍हें श्रद्वांजलि देने के लिए तमाम क्षेत्रों के कई दिग्‍गज भी पहुंचे। इनमें केंद्रीय मंत्री, भाजपा व कांग्रेस के नेता, बॉलीवुड के कई दिग्‍गज शामिल थे। शिवाजी पार्क में शरद पवार, सुप्रिया सुले, राजीव शुक्‍ल, नितिन गडकरी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्‍वराज, अरुण जेटली, शाहनवाज हुसैन, गोपी नाथ मुंडे, मेनका गांधी, प्रिया दत्‍त आदि मौजूद थे।  बॉलीवुड से अमिताभ बच्‍चन, संजय दत्‍त, रितेश देशमुख, नाना पाटेकर और दिग्‍गज कारोबारी अनिल अंबानी भी शिवाजी पार्क पहुंचे।
 
गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई नहीं पहुंच पाए। इसका कारण यह बताया गया कि मुंबई की सड़कों पर जिस प्रकार भीड़ उमड़ी है, वैसे में मोदी का आना संभव नहीं था। 
 
सुबह करीब नौ बजे उनका पार्थिव शरीर 'मातोश्री' से बाहर निकाला गया। वहां एक चबूतरे पर उनका पार्थिव शरीर रखा गया था। वहां मातमी धुन बजाई गई और उन्‍हें सलामी दी गई थी। उनका शव तिरंगे में लपेटा गया और फिर पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा  शिवाजी पार्क के लिए निकली। (
 
बाल ठाकरे के अंतिम सफर में साथ देने के लिए पूरी मुंबई और महाराष्‍ट्र उमड़ पड़ा। लाखों की भीड़ के चलते यात्रा काफी धीमी गति से चल रही थी।  सेना भवन में ठाकरे का पार्थिव शरीर पहले शाम पांच बजे तक रखे जाने का कार्यक्रम था। लेकिन अत्‍यधिक देरी होने के कारण वहां कुछ देर ही ठाकरे के पार्थिव शरीर को रखा जा सका। ठाकरे की अंतिम यात्रा  दादर स्थित सेना भवन से शिवाजी पार्क पहुंची। 
 
राज ठाकरे ने रखी दूरी
 
जिस ट्रक में ठाकरे का पार्थिव शरीर रखा गया था, उसमें राज ठाकरे नहीं बैठे। राज ट्रक के आगे पैदल ही चल रहे थे। लेकिन बाद में वह बीच में ही घर चले गए। फिर शाम को वह सीधे शिवाजी पार्क पहुंचे।
 

कुरान का संदेश

 
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