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19 नवंबर 2012

'तब इंदिरा इज इंडिया कहने वालों के बदल गए थे सुर'


जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि इंदिरा गांधी आयरन लेडी थीं। भ्रष्टाचार को लेकर उस जमाने में भी माहौल बना था। इंदिरा गांधी इसके बाद चुनाव हार गईं तो कांग्रेस के कई नेता छोड़कर चले गए थे। इंदिरा इज इंडिया कहने वाले नेताओं के सुर बदल गए। इंदिरा गांधी को अलग थलग करने की कोशिश हुई। उन्हें गिरफ्तार किया गया तो विरोध में जेल भरने वालों में प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ता आगे थे। गहलोत, सोमवार को पीसीसी में इंदिरा गांधी जयंती पर विचार गोष्ठी में बोल रहे थे।  
 
उन्होंने कहा कि कई लोग गांधी परिवार पर कांग्रेस में वंशवाद का सवाल उठाते हैं। वंशवाद कहां है? गांधी परिवार की जनता में क्रेडिबिलिटी है। आज तक कांग्रेस से दूसरी पार्टियों में तो नेता गए, लेकिन जनसंघ या भाजपा में नहीं गए। जब सोनिया गांधी ने देखा कि कांग्रेस के लोग भाजपा में जा रहे हैं तो वे आगे आईं। गोष्ठी में प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान, बीस सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष डॉ. करणसिंह यादव ने विचार व्यक्त किए।
 
वंशवाद पर गहलोत के बयान के मायने क्या?
 
राहुल गांधी को चुनाव समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाने पर मुख्यमंत्री ने खुशी जताई थी। गांधी परिवार पर वंशवाद का आरोप लगाने वालों को गहलोत का जवाब देने को भी राहुल की भूमिका से ही जोड़कर देखा जा रहा है। 
 
मुख्यमंत्री ने राहुल को नई जिम्मेदारी देने पर शनिवार को कहा था कि कार्यकर्ताओं की लंबे समय से जो भावना थी,  कांग्रेस के तमाम नेतागण चाहते थे कि राहुल गांधी को बड़ी भूमिका मिले और वे केंद्र बिंदु के रूप में वह कुछ काम शुरू करे। सोनिया गांधीजी ने सोच- समझकर जो भूमिका दी है और मुझे खुशी इस बात की है कि उस भूमिका को निभाने की तैयारी उन्होंने कर दी।

जिसने बदली कोटा की सूरत, वह आज खुद हो रहा है बदसूरत


कोटा.  1960 में उद्घाटन के बाद बैराज ने तो कोटा की सूरत बदल दी, लेकिन सरकार इसका रख-रखाव तक नहीं कर रही है।  
 
दोहन के साथ इसका जमकर दुरुपयोग भी हो रहा है। बांध की अथाह जलराशि में आज भी बहुत कुछ देने की संभावना है, लेकिन वन विभाग का अड़ंगा गिनाकर विकास के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है।
 
4 साल में 150 से ज्यादा चिट्ठियां लिखी, गेट की रस्सियों और पेंट तक का पैसा नहीं दे रहे
 
2008 से कोटा बैराज की मरम्मत पर सरकार की तरफ से एक पैसा भी नहीं खर्च हुआ है। पानी का गेज बताने वाला मीटर, सुरक्षा के लिए लगे सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े हैं। सुरक्षा की दृष्टि से हर साल पांच गेटों की पुताई और एक की रस्सी बदलने का नियम है, लेकिन इसका तक पालन नहीं हो रहा है।
 
इसके लिए स्थानीय अधिकारी सिंचाई विभाग के मुख्यालय को 4 साल में 150 से ज्यादा  बार चिट्ठियां लिख चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। देख-रेख के अभाव में बैराज पर सीमेंट की रेलिंग गिर रही हैं। स्ट्रक्चर पर कुछ जगह पत्थर भी बाहर की तरफ खिसक आए हैं। गेटों की सील भी खराब हो गई है, जिससे रोज सैकड़ों लीटर पानी बेकार बह रहा है। डाउन स्ट्रीम की तरफ एक दीवार लगभग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। बारिश के दिनों में गेट खोलते हैं तो ये तेज आवाज करते हैं।
 
अवैध शिकार- बैराज के आसपास अवैध मछलियों का शिकार हो रहा है। रात के समय शिकारी डाउन व अप स्ट्रीम क्षेत्र में जाल लगाते हैं। दिन में इनको उठाया जाता है। इसकी जानकारी स्थानीय कर्मचारी अधिकारियों को देते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
 
जर्जर नहरी तंत्र को चाहिए 2 हजार करोड़
 
चंबल का 50 साल पुराना नहरी तंत्र कच्चा है तथा इतना जर्जर हो चुका है कि इसके कायाकल्प के लिए करीब 2 हजार करोड़ रुपए चाहिए। जबकि अब तक 100 करोड़ रुपए के ही काम हुए हैं। दाईं मुख्य नहर में जरूर दोनों राज्यों की हिस्सेदारी से 166 करोड़ रुपए के काम हुए हैं। राजस्थान सरकार ने नहरी तंत्र की मजबूती के लिए 1274 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसके तहत पहले चरण में 150 करोड़ रुपए के काम कराए जाने हैं।
 
सरकार कुछ करे तो बने बात 
 
विभाग ने बैराज की सुरक्षा को लेकर प्लान बनाकर मुख्यालय भेजा हुआ है। यहां पुलिस चौकी बनाने व सीसी टीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव भी बनाया हुआ है। इसके साथ ही बोट के बालाजी से सकतपुरा तक अलग से मार्ग बनाने का सुझाव भी दिया हुआ है। इस पर सरकार सहमति दे तो सारी व्यवस्थाएं हो सकती है। विभाग को पास तो मेंटीनेंस का बजट तक नहीं है। काफी पत्र इस बारे में लिखे जा चुके हैं।
 
-हेमराज श्रीमाल, चीफ इंजीनियर जलसंसाधन विभाग

'मोहब्बत की आग' में जला इंसान, प्रेमिका ही बनी कातिल




इंदौर. संयोगितागंज क्षेत्र के आजादनगर में एक व्यक्ति की अधजली लाश घर में मिली। उसके साथ रहने वाली प्रेमिका गायब है। दोनों चार माह पहले मंदसौर से भागकर आए और यहां पति-पत्नी की तरह रहते थे। पुलिस ने प्रथम दृष्टया प्रेमिका पर हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

पुलिस के अनुसार आजादनगर में पुरानी जेल के पीछे इकबाल हुसैन का मकान है। मनावर स्थित जेल में हेडकांस्टेबल इकबाल फिलहाल धार में हैं।
घर की पहली मंजिल पर 35 वर्षीय उस्मान और उसके साथ हल्लो बी उर्फ हबीबा नामक महिला किराए से रहती थी, जबकि पड़ोस में इकबाल के छोटे भाई मुन्ना रहते हैं।
रविवार को उस्मान के घर का दरवाजा लगा रहा। सोमवार को भी कोई नीचे नहीं आया तो मुन्ना और उनके साले अब्दुल सत्तार उस्मान के घर पहुंचे। भीतर उस्मान की अधजली लाश थी।
एसपी (पूर्व) ओपी त्रिपाठी, सीएसपी एसएम जैदी और टीआई शैलेंद्र श्रीवास्तव सहित पुलिस टीम ने मुआयना किया तो शक जताया कि उस्मान को हल्लो ने ही जलाकर मारा है।
पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर लिया है। एएसआई अशोक कुमार सिंह के अनुसार उस्मान व हल्लो मंदसौर के रहने वाले थे। दोनों विवाहित थे और उनके बच्चे भी हैं। मुन्ना ने बताया चार माह पहले दोनों किराए से रहने आए थे। इकबाल हुसैन को पुलिस ने पूछताछ के लिए थाने बुलाया है।
मर गया होगा तो आऊंगी-  पुलिस का कहना है कि हल्लो के नंबर पर कॉल किया तो वह बोली उस्मान मर जाएगा तो आऊंगी। टीआई शैलेंद्र ङ्क्षसह का कहना है कि प्रेमिका की तलाश की जा रही है।

सीएसपी एसएम जैदी का कहना है कि हल्लो के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है। इधर, उस्मान के परिजनों ने बताया उस्मान की पत्नी यास्मिन और दो बच्चे हैं। हल्लो मोहल्ले में ही रहती है।
उसके पति का नाम अमीन और उसके तीन बच्चे हैं। उस्मान व हल्लो पहले भोपाल भाग गए, फिर इंदौर आ गए। हल्लो ने ही उस्मान की हत्या की है।
वह रविवार को मंदसौर में ही दिखाई दी थी। इधर, आजादनगर के लोगों ने बताया शनिवार शाम उस्मान ने मोहर्रम का शरबत बांटा था।

प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे नमूने
एमवाय अस्पताल के डॉ. दीपक गवली ने बताया मौत जलने से हुई है। पोस्टमॉर्टम के दौरान बॉडी से लिए गए नमूनों को प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। रिपोर्ट आने पर ही हत्या से पहले उस्मान को जहरीला या नशीला पदार्थ खिलाने के बारे में पता चल पाएगा

कुरान का सन्देश

क्या आप जानते हैं सीता व द्रोपदी ने भी की थी छठ पूजा



छठ पूजा उत्तर प्रदेश तथा बिहार का सबसे प्रमुख त्योहार है। इस बार यह त्योहार 19 नवंबर, सोमवार को है। इस त्योहार को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उन्हीं में से कुछ कथाएं इस प्रकार हैं-
मान्यता के अनुसार भगवान राम के वनवास से लौटने पर राम और सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन उपवास रखकर भगवान सूर्य की आराधना की और सप्तमी के दिन व्रत पूर्ण किया। पवित्र सरयू के तट पर राम-सीता के इस अनुष्ठान से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य देव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।
एक अन्य मान्यता के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुएं में हारकर जंगल-जंगल भटक रहे थे, तब इस दुर्दशा से छुटकारा पाने के लिए द्रौपदी ने सूर्यदेव की आराधना के लिए छठ व्रत किया। इस व्रत को करने के बाद पांडवों को अपना खोया हुआ वैभव पुन: प्राप्त हो गया था।
श्रीमद्देवी भागवत पुराण के अनुसार- स्वायम्भुव मनु के पुत्र राजा प्रियव्रत को अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई। तदुपरांत महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टिï यज्ञ कराकर उनकी पत्नी को चरू (प्रसाद) दिया, जिससे गर्भ तो ठहर गया, किंतु मृत पुत्र उत्पन्न हुआ। प्रियवत उस मृत बालक को लेकर श्मशान गए। पुत्र वियोग में प्रियवत ने भी प्राण त्यागने का प्रयास किया। ठीक उसी समय मणि के समान विमान पर षष्ठी देवी वहां आ पहुंची। मृत बालक को भूमि पर रखकर राजा ने उस देवी को प्रणाम किया और पूछा- हे सुव्रते! आप कौन हैं?
देवी ने आगे कहा- तुम मेरा पूजन करो और अन्य लोगों से भी कराओ। इस प्रकार कहकर देवी षष्ठी ने उस बालक को उठा लिया और खेल-खेल में उस बालक को जीवित कर दिया। राजा ने उसी दिन घर जाकर बड़े उत्साह से नियमानुसार षष्ठी देवी की पूजा संपन्न की। चूंकि यह पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की गई थी, अत: इस विधि को षष्ठी देवी/छठ देवी का व्रत होने लगा।
 

क्या आप जानते हैं सीता व द्रोपदी ने भी की थी छठ पूजा


छठ पूजा उत्तर प्रदेश तथा बिहार का सबसे प्रमुख त्योहार है। इस बार यह त्योहार 19 नवंबर, सोमवार को है। इस त्योहार को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उन्हीं में से कुछ कथाएं इस प्रकार हैं-
मान्यता के अनुसार भगवान राम के वनवास से लौटने पर राम और सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन उपवास रखकर भगवान सूर्य की आराधना की और सप्तमी के दिन व्रत पूर्ण किया। पवित्र सरयू के तट पर राम-सीता के इस अनुष्ठान से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य देव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।
एक अन्य मान्यता के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुएं में हारकर जंगल-जंगल भटक रहे थे, तब इस दुर्दशा से छुटकारा पाने के लिए द्रौपदी ने सूर्यदेव की आराधना के लिए छठ व्रत किया। इस व्रत को करने के बाद पांडवों को अपना खोया हुआ वैभव पुन: प्राप्त हो गया था।
श्रीमद्देवी भागवत पुराण के अनुसार- स्वायम्भुव मनु के पुत्र राजा प्रियव्रत को अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई। तदुपरांत महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टिï यज्ञ कराकर उनकी पत्नी को चरू (प्रसाद) दिया, जिससे गर्भ तो ठहर गया, किंतु मृत पुत्र उत्पन्न हुआ। प्रियवत उस मृत बालक को लेकर श्मशान गए। पुत्र वियोग में प्रियवत ने भी प्राण त्यागने का प्रयास किया। ठीक उसी समय मणि के समान विमान पर षष्ठी देवी वहां आ पहुंची। मृत बालक को भूमि पर रखकर राजा ने उस देवी को प्रणाम किया और पूछा- हे सुव्रते! आप कौन हैं?
देवी ने आगे कहा- तुम मेरा पूजन करो और अन्य लोगों से भी कराओ। इस प्रकार कहकर देवी षष्ठी ने उस बालक को उठा लिया और खेल-खेल में उस बालक को जीवित कर दिया। राजा ने उसी दिन घर जाकर बड़े उत्साह से नियमानुसार षष्ठी देवी की पूजा संपन्न की। चूंकि यह पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की गई थी, अत: इस विधि को षष्ठी देवी/छठ देवी का व्रत होने लगा।
 

शिवसैनिक ही देंगे सेनापति को कंधा, राज को किया बेइज्‍जत



शिवसैनिक ही देंगे सेनापति को कंधा, राज को किया बेइज्‍जत
मुंबई.  शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे को अंतिम विदाई देने के लिए जहां शनिवार को मुंबई में बीस लाख से अधिक लोग उमड़े थे, वहीं मातोश्री में कलह की स्थिति बन गई थी। इसकी सबसे बड़ी वजह ठाकरे के मंझले बेटे जयदेव, छोटे बेटे उद्वव और भतीजे राज ठाकरे के बीच अहं का टकराव बताया जा रहा है।
 
सूत्रों का कहना है कि जयदेव और उद्वव दोनों ही बाल ठाकरे को मुखाग्नि  देना चाह रहे थे। लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार, बड़ा या फिर छोटा बेटा ही पिता की चिता को आग दे सकता है। आपसी वाद-विवाद के बाद यह तय हुआ कि उद्धव ही बाल ठाकरे को मुखाग्नि देंगे। वहीं, परिवार के लोग यह भी चाह रहे थे कि राज ठाकरे अंतिम संस्‍कार में कोई भूमिका अदा नहीं करें।  
 
रविवार की सुबह जब मातोश्री बंगले से ठाकरे का पार्थिव शरीर अंतिम महायात्रा के लिए बाहर लाया गया था, तब राज से कहा गया कि तुम बाला साहेब को कंधा मत दो। शिवसैनिक ही उनके पार्थिव शरीर को बाहर ले जाएंगे। 
 
दरअसल ठाकरे का भतीजा होने की वजह से कंधा देने का राज का हक बनता था। परंतु उन्हें जानबूझ कर एक तरह से अपमानित किया गया और यह अहसास कराया गया कि भले ही वे ठाकरे परिवार के सदस्य हैं, परंतु शिवसेना से बाहर जाने की वजह से वे पार्टी के लिए पराए हैं। 
 
मनसे के सूत्रों पर भरोसा किया जाए, तो कंधा देने से मना किए जाने से राज ठाकरे बहुत ही दुखी हो गए और विवाद से बचने के लिए वे ठाकरे का पार्थिव शरीर ले जाने वाले ट्रक पर भी सवार नहीं हुए। हालांकि उनकी पत्नी और बच्चे उस पर सवार थे। ध्यान रहे कि मातोश्री के बाहर भले ही राज ठाकरे को किसी ने भी कंधा देते नहीं देखा हो, परंतु जब शिवाजी पार्क में ठाकरे का अंतिम संस्कार हो रहा था, तब उद्धव ठाकरे ने उनका हाथ खिंचकर करीब लाया था। 
 
बाल ठाकरे की शव यात्रा को बीच में ही छोड़ कर पहले राज ठाकरे और फिर जयदेव चले गए थे। दोनों बाद में शिवाजी पार्क पहुंचे। ठाकरे शव यात्रा के लिए उस ट्रक में भी सवार नहीं हुए, जिस पर बाल ठाकरे का पार्थिव शरीर रखा था। ट्रक पर राज की पत्‍नी शर्मिला, उद्वव की पत्‍नी रश्मि और जयदेव की पूर्व पत्‍नी स्मिता तक मौजूद थीं। लेकिन राज अपने समर्थकों के साथ पैदल ही चल रहे थे। लेकिन शव यात्रा 'सेना भवन' पहुंचने से ऐन पहले राज अपने घर चले गए थे।

मुंबई में दिखा `सरकार राज`, ठाकरे पर कमेंट करने वाली लड़कियां रिहा लेकिन दहशत में...


मुंबई में दिखा `सरकार राज`, ठाकरे पर कमेंट करने वाली लड़कियां रिहा लेकिन दहशत में...
 
मुंबई. रविवार को 'मुंबई बंद' को लेकर फेसबुक पर कमेंट करने के लिए पुलिस ने एक लड़की को पकड़ लिया। 21 साल की इस लड़की ने फेसबुक पर लिखा था- ठाकरे जैसे लोग रोज पैदा होते और मरते हैं। इसके लिए बंद करने की कोई जरूरत नहीं है। इस कमेंट को लाइक करने वाली एक लड़की को भी पुलिस ने पूछताछ के लिए धर लिया। दोनों को आईपीसी की धारा 295 (ए) (धार्मिक भावनाएं भड़काना) और आईटी एक्‍ट, 2000 की धारा 64 (ए) के तहत पकड़ा गया था। (
 
'मुंबई मिरर' अखबार के मुताबिक लड़की के फेसबुक कमेंट से गुस्‍साए करीब दो हजार शिवसैनिकों ने भी पालघार में लड़की के चाचा के मेडिकल क्लिनिक में जम कर तोड़ फोड़ की थी।  हालांकि लड़की ने अपना कमेंट डिलीट कर दिया था और माफी भी मांग ली थी। 
 
सोमवार को दिन भर ट्व‍िटर और फेसबुक पर इस घटना को लेकर चर्चा होती रही। ज्‍यादातर लोग कहते रहे कि लड़की को पूछताछ के लिए पकड़ा गया था, गिरफ्तार नहीं किया गया था। लेकिन एनडीटीवी के श्रीनिवासन जैन ने ट्वीट कर बताया कि पुलिस ने उनके रिपोर्टर से बातचीत में गिरफ्तारी की पुष्टि की। बाद में दोनों लड़कियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया। 
 
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष जस्टिस काटजू ने भी लड़कियों को हिरासत में लेने को गलत ठहराते हुए संबंधित पुलिसकर्मियों को सजा देने की मांग की है।
 

पटना में पुल टूटा, छठ पूजा में मची भगदड़, 18 मरे



पटना में पुल टूटा, छठ पूजा में मची भगदड़, 18 मरे
पटना। बिहार की राजधानी पटना में छठ पूजा के दिन एक पुल टूट जाने से 18  लोगों की मौत हो गई है। हादसा शाम को करीब छह बजे के आसपास हुआ है। जैसे ही गंगा नदी पर बना बांस का पुल टूटा, किनारे खड़े  लोगों में भगदड़ मच गई। जिसके कारण मरने वालों में बच्‍चों की तादाद अधिक है। घायलों को पास के ही पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना स्थल पर नीतीश कुमार के खिलाफ लोग जमकर नारेबाजी कर रहे हैं।
सूर्य को अर्घ देकर लौट रही भीड़ का भार बांस का पुल सहन नहीं कर पाया और वह ध्वस्त हो गया। इससे मची भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई।  मरने वालों में 9 बच्चे हैं। हादसे में घायल 50 से अधिक लोगों को स्थानीय पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है। राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिए  हैं। मौके पर डीएम और एसपी पहुंच गए हैं।
गंगा किनारे चीख-पुकार मची हुई है। भक्तिमय माहौल देखते ही देखते सिसकियों में डूब गया है। छठ पूजा के पहले अर्घ के दिन यह हादसा पीरबहोर थाने के  पीछे अदालगंज घाट के पास उस समय घटी जब व्रती अर्घ देकर अपने घर लौट रहे थे।
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