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22 नवंबर 2012

रफीक पठान के खिलाफ चुनाव याचिका ख़ारिज वोह सरपंच बने रहेंगे

कोटा जिले में स्थित इतवा पंचायत समिति के ग्राम लुहावाद के पंचायत चुनाव को लेकर विपक्षी सरपंच प्रत्याक्षी रघुनन्दन की चुनाव याचिका निर्वाचित सरपंच रफीक पठान के खिलाफ कोटा की अदालत ने ख़ारिज कर दी है ...कोटा की पंचायत समिति इटावा के ग्राम लुहवाद से पत्रकार रफीक पठान  सरपंच प्रत्याक्षी रघुनंदन को भरी मतों से हरा कर निर्वाचित हुए थे लेकिन उनके  परिवार के खिलाफ चल रही घोटाले की जांचों में कार्यवाही के डर से रघुनंदन ने कोटा जिला जज के समक्ष रफीक पठन के खिलाफ एक चुनाव याचिका पेश कर उनका चुनाव रद्द  कर खुद रघुनंदन को निर्वाचित करने की मांग की ..रघु नंदन का आरोप था के रफीक पठान ने चुनाव के पूर्व धार्मिक भावनाए भड़का कर वोट लेने के लियें हिन्दू मुस्लिम देवी देवताओं के केलेंडर बांटे है और वोट मांग कर करप्ट प्रेक्टिस से चुनाव जीते है ...कल कोटा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश शर्मा ने रघुनन्दन दाधीच की इस चुनाव याचिका में पंचायत कानून के खिलाफ कोई सार नहीं पाया और वोट मांगने की अपील नहीं होने के कारन वोट मांग कर करेप्त प्रेक्टिस की  श्रेणी का मामला नहीं माना और रघुनन्दन दाधीच की चुनाव याचिका खारिज कर दी .............रफीक पठान पत्रकार के साथ साथ भाजपा अल्प संख्यक मोर्चा में कोटा देहात के अध्यक्ष भी है और यह सरपंच संघ के अध्यक्ष भी है ..रफीक पठान पहले पत्रकारिता ..फिर बेस्ट फोटोग्राफर का प्रशासनिक इनाम तो प्राप्त कर ही चुके है साथ ही इन्हें एक कुशल प्रबन्धक सरपंच के रूप में केंद्र और राजस्थान स्तर पर केन्द्रीय पंचायत राज मंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है ..रफ़ीक पठान की इस जीत पर ग्राम लुहवाद में ईद और दीपावली का माहोल है क्योंकि रफ़ीक थान को ग्राम वासी कोमी एकता का प्रतीक मानते है इनके गाँव के मदरसे में हिन्दू भाई मुस्लिम धर्म ग्रंथों की तालीम भी लेते है तो मुस्लिम भाई हिन्दुओं के त्योहारों में शामिल देखे जाते है ...चुनाव याचिका में रघुनन्दन दाधीच की तरफ से एडवोकेट तेजमल जेन ने पेरवी की जबकि रफीक पठान की तरफ से एडवोकेट अख्तर खान अकेला और आबिद अब्बासी ने पेरवी की .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शायद राजनीति इसी का नाम है

हमारे देश में विपक्षी पार्टियाँ खासकर भाजपा ..बसपा ..सशायद राजनीति इसी का नाम है पा ..कम्युनिस्ट ..शिवसेना वगेरा वगेरा रोज़ झूंठ बोलते है के सरकार ने महंगाई बढ़ा दी है ..घोटाले और भ्रष्टाचार किये है इस कारण सकरार ने जनता का विश्वास खो दिया है ..दोस्तों एक सच यह है के जनता ने चाहे सरकार यानि कोंग्रेस गठबंधन का विश्वास खोया या नहीं यह तो चुनाव में पता लगेगा लेकिन यह तो साबित हो चूका है के भाजपा और विपक्ष कोंग्रेस गठबंधन द्वारा जो कुछ भी किया जा रहा है उसमे कोंग्रेस के साथ है और इस मिले जुले खेल में जनता को गुमराह करने के लियें केवल और केवल सुनारी लड़ाई लदी जा रही है वरना तो यह पक्ष और विपक्ष चोर चोर मोसेरे भाई है इस सच को अगर देखे तो कल जब तुन मूल पार्टी के बंगालन शेरनी ने कोंग्रेस गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सरकार को गिराने और नये चुनाव कराने की पेश काश की तो सभी पार्टियां अपने अपने हमाम में नंगी नज़र आने लगी और ममता ने यह तो साबित कर दिया के वोह दिल से सरकार के खिलाफ है लेकिन कम्युनिस्ट ..भाजपा ..सपा।।बसपा चाहे जो भी विपक्षी पार्टियाँ हो सभी कोंग्रेस की गोद में बेठी है और किसी भी कीमत पर कोंग्रेस की सरकार को गिराना नहीं चाहती शायद राजनीति इसी का नाम है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

तीन आतंकियों की फांसी की सजा रद्द, कोर्ट ने उतारा पुलिस पर गुस्सा



नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने लाजपत नगर ब्लास्ट मामले में मौत की सजा से दंडित दो आतंकियों को बरी कर दिया जबकि एक की मौत की सजा उम्र कैद में बदल दी। सभी आरोपी जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट (जेकेआईएफ) के सदस्य हैं।

जस्टिस रवींद्र भट और जीपी मित्तल की बेंच ने गुरुवार को यह फैसला दिया। हाईकोर्ट ने नौशाद की मौत की सजा उम्र कैद में बदली है। निसार हुसैन और अली भट को बरी कर दिया है।

जावेद अहमद खान उर्फ छोटा जावेद की उम्र कैद की सजा बहाल रखी है। बेंच ने जांच में गंभीर खामियों के लिए पुलिस को फटकारा है। दिल्ली पुलिस की निंदा करते हुए कहा कि वह न्यूनतम सबूत जुटा पाने में नाकाम रही है।

उसने बहुत ही चलताऊ रवैया दिखाया है। शिनाख्ती परेड नहीं कराई गई। महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज नहीं कराए गए। रोजनामचा भी पेश नहीं किया।

धमाके में गई थीं 13 जानें

जेकेआईएफ के आतंकियों ने 21 मई 1996 को वारदात को अंजाम दिया था। लाजपत नगर मार्केट में चोरी की मारूति में विस्फोटक रखकर उड़ा दिया गया था। इस घटना में 13 लोग मारे गए थे। मामले में निचली कोर्ट ने अप्रैल 2010 में छह आतंकियों को दोषी ठहराया था।

मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद अली भट और मिर्जा निसार हुसैन को मौत की सजा सुनाई। जावेद अहमद खान को उम्र कैद दी। दो अन्य फारूक अहमद खान और एक महिला फरीदा डार को विस्फोटक कानून के तहत दोषी माना।

फारूक को सात साल और फरीदा को चार साल दो माह कैद की सजा सुनाई गई। नौशाद, अली भट्ट, मिर्जा निसार हुसैन और जावेद अहमद ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

कुरान का सन्देश

महिला जज को अदालत परिसर में खुद की कार में बितानी पड़ी पूरी रात



महिला जज को अदालत परिसर में खुद की कार में बितानी पड़ी पूरी रात
डीसा (गुजरात)। 'ये हैं ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट अलकाबहन दवे, जिन्हें मंगलवार रात स्थानीय अदालत परिसर में खुद की कार में रात बितानी पड़ी। वजह, प्रशासन की लापरवाही के चलते उनके लिए समय रहते सरकारी आवास अथवा कमरे का इंतजाम नहीं हो सका था।

वडोदरा में सेवारत रहीं अलकाबहन तबादले के तहत डीसा पहुंची हैं। मंगलवार रात उन्हें इसी तरह कार में बितानी पड़ी। बुधवार को वकीलों के समर्थन में आने और हंगामा करने पर प्रशासन सक्रिय हुआ। वकीलों ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है।


त्योहारी अवकाश के बाद वे सोमवार को डीसा आईं, दिन भर काम किया। जिला जज ने पालनपुर (बनासकांठा जिला मुख्यालय) में उनके लिए व्यवस्था की। अगले दिन मंगलवार को डीसा में ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं हुई तो उन्होंने अदालत परिसर में ही रात बिताने का फैसला किया क्योंकि खुद के साथ न्यायाधीश की गरिमा जुड़े होने की वजह से वे किसी संबंधी के घर अथवा होटल में भी नहीं जा सकती थीं, इसलिए अदालत परिसर में रात बिताई। बुधवार को महिला जज ने अपने डिपार्टमेंट के माध्यम से रूम के आवंटन की मांग की किन्तु कुछ नहीं हुआ, तो वे बुधवार को भी अदालत परिसर में ही जम गईं।

मदरसा शिक्षा सहयोगियों के लिए बनेंगे सेवा नियम


 
जयपुर. राजस्थान मदरसा बोर्ड में मदरसा शिक्षा सहयोगियों के लिए सेवा नियम बनाए जाएंगे। साथ ही राज्य के 330 मदरसों को आधुनिकीकरण योजना से जोड़ा जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने 10 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। यह जानकारी गुरुवार को बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना फजले हक ने संवाददाताओं को दी। अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को एक साल पूरा होने पर बोर्ड सदस्यों ने उनका अभिनंदन किया।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मदरसा आधुनिकीकरण योजना के लिए योग्य टीचर्स लगाना पहली प्राथमिकता है। बोर्ड में जल्दी ही शिक्षा सहयोगियों के लिए सेवा नियम बनाए जाएंगे। सेवा नियम बनाने की जिम्मेदारी सलाहकार कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ आरको को सौंपी गई है। इस योजना के तहत हर जिले में 3 मॉडल मदरसे, 5 सामान्य मदरसे और 2 आवासीय मदरसे बनाए जाएंगे, जिसमें एक छात्राओं को लिए होगा।
मॉडल मदरसे के लिए 5 लाख रुपए, आवासीय मदरसे के लिए 4 लाख रुपए और सामान्य मदरसे के लिए डेढ़ लाख रुपए स्वीकृत किए जाएंगे। हक ने बताया कि शिक्षा संकुल में बनाया जा रहा बोर्ड का भवन अब 3 की बजाय 5 मंजिला बनेगा। इसके लिए 50 लाख रुपए का अतिरिक्त बजट स्वीकृत कर दिया गया है।
फर्जी नियुक्तियों के अब तक 128 मामले सामने आए: बोर्ड में शिक्षा सहयोगियों और पैराटीचरों की फर्जी नियुक्तियों के मामले बढ़कर 128 हो गए हैं। पहले इनकी संख्या 109 बताई जा रही थी। बैठक में पेश की गई जांच रिपोर्ट में कहा गया कि अभी ऐसे और मामले सामने आ सकते हैं। इसलिए अभी जांच जारी रहेगी।

बाल ठाकरे के अस्थि विसर्जन को लेकर झगड़ा, स्‍मारक पर भी सवाल



बाल ठाकरे के अस्थि विसर्जन को लेकर झगड़ा, स्‍मारक पर भी सवाल
नई दिल्‍ली। कसाब की फांसी और महाराष्‍ट्र से उत्‍तर भारतीयों को खदेड़ने की मांग करते रहने वाली शिवसेना के दिवंगत सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे की नीतियों के खिलाफ उत्‍तर भारतीय कांग्रेसी अभी भी राजनीति कर रहे हैं। उनका गुस्‍सा ठाकरे के मरने ) के बाद भी ठंडा नहीं हुआ है। गुरुवार को जहां संसद में ठाकरे को श्रद्धांजलि दी गई, वहीं यूपी में कांग्रेसियों ने उनका अस्थि कलश संगम में विसर्जित किए जाने का विरोध किया (। वहीं आरटीआई दायर कर ठाकरे को राज्य सरकार की ओर से सलामी देने और शिवाजी पार्क में अंतिम संस्कार किए जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं। 
 
जेएनयू के रिसर्च स्कॉलर अब्दुल हफीज गांधी ने महाराष्ट्र सरकार से बाल ठाकरे का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से किए जाने का कारण पूछा है। उन्होंने अपनी आरटीआई में सरकार से शिवाजी पार्क में अंतिम संस्कार की अनुमति देने की वजह भी पूछी है। हफीज ने महाराष्ट्र सरकार से उन कानूनी प्रावधानों के बारे में भी पूछा है जिनकी बुनियाद पर राज्य सरकार ने ठाकरे को राजकीय सम्मान देने और शिवाजी पार्क में अंतिम संस्कार की अनुमति देने के निर्णय लिए। उन्होंने यह भी जानना चाहा है कि इन निर्णयों को सरकार और प्रशासन में शामिल किन लोगों ने लिया। 
 
वहीं बाल ठाकरे का स्मारक बनाए जाने पर भी विवाद हो गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने इंदु मिल परिसर में बाल ठाकरे का स्मारक बनाने की मांग की है। शिवसेना पहले ही शिवाजी पार्क में ठाकरे का स्मारक बनाने की मांग कर चुकी है। राज ठाकरे की मांग से नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल महाराष्ट्र के दलित संगठनों ने इंदु मिल परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर का स्मारक इंदु मिल परिसर में बनाने की मांग की थी जिसके लिए सरकार ने मौखिक अनुमति भी दे दी थी। राज ठाकरे का तर्क है कि शिवाजी पार्क स्मारक के लिए छोटा साबित होगा, वहीं शिवसेना ने पूरे मामले पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 
 
इससे पहले इलाहाबाद के संगम तट पर कांग्रेसियों व शिवसैनिकों में जमकर झड़प हुई। कांग्रेसियों ने उत्तर भारतीयों के मुद्दे को लेकर काले झंडों के साथ शिवसैनिकों का विरोध किया। उन्‍होंने बाल ठाकरे का अस्थि कलश लेकर जा रहे शिवसैनिकों का रास्ता रोका।
 
दूसरी ओर, ठाकरे का एक अस्थि कलश गुरुवार को जयपुर लाया जाएगा। शिवसेना के वरिष्ठ नेता किशोर सिंह ने बताया कि ठाकरे को श्रद्धांजलि देने के लिए यह कलश दोपहर 3 बजे सेंट्रल पार्क में रखा जाएगा। ठाकरे की अंतिम इच्छा के अनुसार उनकी अस्थियों का विसर्जन पुष्कर में होगा। 
 
शिव सेना के अनुसार, बाला साहेब की अस्थियां 23 नवंबर को पुष्कर सरोवर में विसर्जित की जाएगी। बताया गया है कि राजस्थान के राज्य प्रमुख शेखर व्यास अस्थि कलश लेकर मंगलवार को रवाना हो गए है। वे जोधपुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों से होते हुए 23 नवंबर को सुबह अस्थि कलश लेकर पुष्कर पहुंचेंगे। उनके साथ शिव सेना नेता गजेंद्र भंडारी व दिनेश बोहरा भी रहेंगे।

कांग्रेस कोर ग्रुप में बना था 'ऑपरेशन एक्‍स' का खाका, गृह मंत्री ने देश से बोला झूठ?


नई दिल्‍ली. मुंबई हमले () के दोषी अजमल आमिर कसाब को फांसी दिए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने देश को बताया कि 'ऑपरेशन एक्‍स' टॉप सीक्रेट मिशन था और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक को इसकी जानकारी टीवी से ही मिली। उन्‍होंने कहा कि सोनिया गांधी को भी इसकी जानकारी नहीं थी। शिंदे का यह बयान सुर्खियों में रहा और इस पर खूब वाद-विवाद भी हुआ। अब तालिबान ने भी कसाब की बॉडी मांगी है और नहीं देने पर भारतीयों की जान लेने की धमकी दी है।
 
एक शख्‍स ने ट्वीट कर तंज कसा, 'जैसे मुंबई हमले के बारे में प्रधानमंत्री और सोनिया को जानकारी नहीं थी, उसी तरह कसाब की फांसी के बारे में भी नहीं रही होगी।' अदालती फैसले पर गोपनीय तरीके से तामील किए जाने को लेकर कई हलकों में सवाल खड़े किए गए। लेकिन अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कसाब को फांसी दिए जाने का फैसला केवल देश से छिपाया गया। कांग्रेस और सरकार के बड़े लोगों को इसकी जानकारी पहले से थी।
 
महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री पृथ्‍वीराज चव्हाण का बयान भी शिंदे के दावों की हवा निकालने वाला है। उनके मुताबिक कांग्रेस के कोर ग्रुप ने ही कसाब की फांसी की पूरी प्रक्रिया तय की थी। सरकारी एजेंसियों ने तो बस दिशानिर्देशों का पालन किया और पूरे ऑपरेशन को गुप्त रखा। शिंदे कांग्रेस कोर ग्रुप के सदस्‍य नहीं हैं।
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