उनकी मंगलवार तड़के मौत हो गई। पिता की इच्छा पर बेटी व बेटी की दो बहुओं व एक बेटी ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। बाद में बेटी ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।
पाटनपोल निवासी शकुंतला पत्नी शिवसिंह ने बताया कि उनके पिता बंशीलाल (85) गुमानपुरा में रहते थे। उनके दो बेटे भैरोसिंह व इंद्रजीतसिंह तथा दो बेटियां और हैं। मां की 8 साल पहले मौत हो गई और तब से पिता की शकुंतला ही देखरेख कर रही है।
पिता व बेटों का मकान को लेकर विवाद है। इस संबंध में उनके बीच कई बार झगड़े भी हुए। 3 माह से पिता बंशीलाल को शकुंतला अपने साथ टिपटा ले आई। सोमवार सुबह उनकी तबीयत बिगड़ी तो उन्हें एमबीएस अस्पताल दिखाया गया। सोमवार रात को उनकी ज्यादा तबीयत बिगड़ी और मंगलवार को उनकी मौत हो गई।
पिता की इच्छा थी कि उनकी अर्थी को बेटी व उनकी बहुएं कंधा दे। इस पर शकुंतला व उनकी दो बहुएं चंचल, सोनिया व बेटी मीनाक्षी ने बंशीलाल की अर्थी को कंधा दिया। उनका अंतिम संस्कार रामपुरा मुक्तिधाम पर किया गया।
वहां उनकी बेटी शकुंतला ने ही चिता को मुखाग्नि दी। बेटी शकुंतला ने बताया कि दो बेटे व दो बेटियां अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए। अब वे ही पिता के सभी क्रियाकर्म करेंगी।