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03 दिसंबर 2012

वकीलों के हक की लड़ाई कोन और केसे लडेगा यह तो वक्त ही बताएगा

दोस्तों हर  की तरह इस साल भी कोटा अभिभाषक परिषद के चुनाव आगामी पन्द्राह दिसम्बर को होने जा रहे है अदालत परिसर में करीब पांच सो वकील प्रति दिन आते है लेकिन वोटर एक हजार चार सो से भी अधिक है कोई सिलाई करता है कोई दुद्ध बेचता है कोई क्या करता है किसी को पता नहीं अब भाई कोटा की अभिभाषक परिषद में रोज़ आने वाले पांच सो वकील तो इन बाहरी व्यवसायिक लोगों के आगे अल्पमत में है अभिभाषक परिषद के चुनाव में जीतेगा तो वही जिसे बाहर के लोग चुप चाप आकर वोट डालेंगे तो भाई सही मायनों में तो अभिभाषक परिषद कोटा में कब्जा तो बाहर के लोगों का ही हुआ ना ...खेर कोई बात नहीं चुनाव है जो सदस्य है वोट डालेगा लेकिन जो निर्वाचित होता है वोह क्या करता है ..केसे करता है सभी जानते है ...कोटा अभिभाषक परिषद में वकीलों की कोलोनी के आवंटित प्लोटों की दरे कम कराने का मामला प्रमुख है लेकिन प्रत्याक्षी खामोश है ...कोटा अभिभाषक परिषद हाईकोर्ट बेंच ..रेवेन्यु बोर्ड की बेंच की मांग के आगे खामोश हैं .....यहाँ कोटा न्यायालय परिसर में सुविधाएं उपलब्ध कराने के लियें कोटा के मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने पचास लाख उनके खुद के विधायक कोष से और पचास लाख नगर विकास न्यास यानी कुल एक करोड़ रूपये के कमाए कराने की घोषणा की थी और धारीवाल के बारे में सभी जानते है के वोह जो कहते है वोह करते ही लेकिन क्या हम उन्हें अपने परेशानी बता कर इस राशि का एक साल में उपयोग भी करा पाए नहीं ना ..कोटा की अदालतों में जज नहीं ..मजिस्ट्रेट नहीं ..बाबु रीडर वक्त पर दावों और परिवादों में रिपोर्ट नहीं करते ..तलबी ..वारंट सम्मन जारी नहीं करते ...तामील कुनिंदा तामिल भी नहीं करवाते अभी हाल ही में खुद अभिभाषकों के एक मुकदमे में नगर विकास न्यास की तामिल अदम तामिल में भेजने का दुस्साहस एक कर्मचारी ने कर दिखाया है तो भाई अभिभाषक परिषद के चुनाव तो है लेकिन समस्याएं जस की तस है हर साल चुनाव होते है बड़े बड़े वायदे होते ही लेकिन सब बेकार कोई काम का इतिहास नहीं हां काम नहीं करने का इतिहास अलबत्ता बन रहा है और यह सिर्फ इसलियें के बाहर के लग अन्दर के नियमित वकीलों पर सियासत के नाम पर हावी है इसलियें अब हार जीत का फेसला वकील सदस्य नहीं बहर के भाई साहब करते है फिर उनके इशारों पर कत्थक तो होना ही है ..मेरा सुझाव था के अगर चुनाव हो तो एक दिन में ही जो लोग उपस्थित हों उनमे से प्रत्याक्षी बने और फिर एक घंटे बाद वोट डलवाए जाए ऐसा कानून बने ऐसे में रेगुलर प्रेक्टिशनर वकील भाई का मनपसन्द लीडर नियुक्त होगा और काम शायद गति पकड़ सके ..वरना खाना ..पीना ..पिकनिक पार्टियाँ ..शोक सभाएं तो कोई भी कर लेगा वकीलों के हक की लड़ाई कोन और केसे लडेगा यह तो वक्त ही बताएगा ..................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जब अचानक होने लगे गर्दन में दर्द तो अपनाएं ये ट्रिक



वर्तमान समय में लगातार घंटों बैठकर काम करने के कल्चर के कारण शरीर को अनेक तरह की हानियां होती है। बदलते समय ओर परिस्थितियों को रोकना भले ही हमारे हाथों में न हो, लेकिन अपनी लॉइफ स्टाइल में आवश्यक फेरबदल करके हम कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निजात पा सकते हैं। 
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि आप दफ्तर से गर्दन और कंधे का दर्द के साथ में लेकर लोटते हैं तो नियमित व्यायाम जरूरी है। ऐसा करने से मांसपेशियों के दर्द में चंद मिनटों में ही राहत मिल सकती है। 
साफ-सुथरे स्थान पर चटाई बिछाकर बैठें। गर्म तौलिए को गर्दन के चारों ओर लपेट लें। कुछ सेकंड तक ऐसे ही रहें। इस क्रिया को छह बार दोहराएं। 
तौलिए के दोनों किनारों को खींचकर पकड़ें और अपने कंधे के चारों ओर लपेटें। उंगलियों का हलका सा दबाव पिछले कंधे पर बनाए रखें। हथेलियों को इधर-उधर घुमाते रहें ताकि कंधे पर दबाव बना रहे। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद तौलिया हटा लें। इसे छह बार दोहराएं। व्यक्ति स्वाभाविक तौर पर सदा स्वस्थ नहीं रह सकता, इसलिए फिट बने रहने के लिए निरंतर प्रयास की जरूरत होती है।
 

काल भैरवाष्टमी 6 को, दुष्टों को दंड देते हैं भगवान कालभैरव




मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी कहते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान काल भैरव का अवतरण हुआ था। इस बार काल भैरवाष्टमी का पर्व 6 दिसंबर, गुरुवार को है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के दो स्वरूप बताए गए हैं। एक स्वरूप में महादेव अपने भक्तों को अभय देने वाले विश्वेश्वरस्वरूप हैं वहीं दूसरे स्वरूप में भगवान शिव दुष्टों को दंड देने वाले कालभैरव स्वरूप में विद्यमान हैं। शिवजी का विश्वेश्वरस्वरूप अत्यंत ही सौम्य और शांत हैं यह भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
वहीं भैरवस्वरूप रौद्र रूप वाले हैं, इनका रूप भयानक और विकराल होता है। इनकी पूजा करने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार डर कभी परेशान नहीं करता। कलयुग में काल के भय से बचने के लिए कालभैरव की आराधना सबसे अच्छा उपाय है। कालभैरव को शिवजी का ही रूप माना गया है। कालभैरव की पूजा करने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार का डर नहीं सताता है।

आठ दिन बाद बन रहा एक अनूठा संयोग, बदल जाएगा आपका भाग्य



आठ दिन बाद बन रहा एक अनूठा संयोग, बदल जाएगा आपका भाग्य
ग्वालियर। 12 दिसंबर 2012 यानी 12:12:12 के विशेष दिन पर मिस्टर सिंह ने अपनी वाइफ की डिलेवरी डेट प्लान कराई है। उन्होंने डिलेवरी का टाइम भी दोपहर 12 बजे का फिक्स कराया है। सिर्फ मिस्टर सिंह ही नहीं बल्कि शहर के कुछ अन्य लोग भी विवाह, पार्टी सेलिब्रेशन या फिर बच्चे की डेट ऑफ बर्थ को यादगार बनाना चाहते हैं।
 
इस दुर्लभ और अनूठे संयोग को शहरवासी हमेशा के लिए यादगार बनाना चाहते हैं। इसलिए कुछ लोगों ने वाइफ की डिलेवरी के लिए 12 दिसंबर ही तारीख प्लान की है। वहीं आठ दिसंबर को विवाह मुहूर्त खत्म होने के बाद भी कुछ लोगों ने 12 दिसंबर की शादी प्लान की है। इसके पीछे भी कारण अनूठा संयोग ही है। इसी प्रकार कॉलेज स्टूडेंट्स इस दिन खास सेलिब्रेशन की तैयारी कर रहे हैं। इसको लेकर ग्रुप ने अलग-अलग प्लानिंग की है। इस खास दिन के लिए शहर के होटल्स भी पीछे नहीं है। वह भी मेहमानों के लिए विशेष तैयारी कर रहे हैं।
 

एक ऐसा शासक, जिसके सामने अंग्रेजों ने हरबार टेक दिए घुटने



भोपाल। एक ऐसा भारतीय शासक जिसने अकेले दम पर अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। इकलौता ऐसा शासक, जिसका खौफ अंग्रेजों में साफ-साफ दिखता था। एकमात्र ऐसा शासक जिसके साथ अंग्रेज हर हाल में बिना शर्त समझौता करने को तैयार थे। एक ऐसा शासक, जिसे अपनों ने ही बार-बार धोखा दिया, फिर भी जंग के मैदान में कभी हिम्मत नहीं हारी।
 
इतना महान था वो भारतीय शासक, फिर भी इतिहास के पन्नों में वो कहीं खोया हुआ है। उसके बारे में आज भी बहुत लोगों को जानकारी नहीं है। उसका नाम आज भी लोगों के लिए अनजान है। उस महान शासक का नाम है - यशवंतराव होलकर। यह उस महान वीरयोद्धा का नाम है, जिसकी तुलना विख्यात इतिहास शास्त्री एन एस इनामदार ने 'नेपोलियन' से की है। भास्कर नॉलेज पैकेज के अंतर्गत आज हम आपको इसी वीर योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं।
 
पश्चिम मध्यप्रदेश की मालवा रियासत के महाराज यशवंतराव होलकर का भारत की आजादी के लिए किया गया योगदान महाराणा प्रताप और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से कहीं कम नहीं है। यशवतंराव होलकर का जन्म 1776 ई. में हुआ। इनके पिता थे - तुकोजीराव होलकर। होलकर साम्राज्य के बढ़ते प्रभाव के कारण ग्वालियर के शासक दौलतराव सिंधिया ने यशवंतराव के बड़े भाई मल्हारराव को मौत की नींद सुला दिया।

भूत और चूहे ने चुराई थी बाइक, चेन, अंगूठी और आईपेड...




इंदौर। पुलिस ने चोरी के मामले में भूत और चूहे सहित तीन चोरों को गिरफ्तार किया है। उनसे बाइक व मोबाइल जब्त किए गए हैं। दरअसल 17 नवंबर को अन्नपूर्णा थाना क्षेत्र के सुदामानगर में अनुज जैन के घर चोरी हुई थी। इसमें चोर सोने की चेन, अंगूठी, मोबाइल व आईपेड चुरा ले गए थे। क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि चोरी में संजू काला पिता गंगाराम निवासी बड़ा गणपति, चूहा पिता देवराम निवासी एरोड्रम व गणेश उर्फ भूत पिता रतनसिंह निवासी खरगोन का हाथ है।
पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया। बदमाशों ने कबूल किया कि दिन में सूने मकानों की रैकी कर रात को चोरी करते थे। आरोपियों से 4 मोबाइल बरामद किए गए हैं। उन्होंने सुदामानगर से बाइक चुराना भी कबूल किया है।

बारह साल की बच्ची पर टूटा भाई-बाप का कहर, अकेला पाकर किया रेप



सवाई माधोपुर.कुंडेरा गांव के एक परिवार में रविवार शाम बारह वर्षीया बालिका से उसके पिता और भाई ने ज्यादती की। घटना से कस्बे एवं आसपास के गांवों में सनसनी फैल गई। घटना के समय बालिका की मां बड़ी बेटी के हालचाल पूछने गई थीं। शाम को पिता और भाई नशे में धुत्त घर लौटे।

बालिका ने उन्हें गरम खाना बनाकर खिलाया। सोते समय भाई और पिता ने उसके कमरे घुसकर ज्यादती की। सूचना पर कोतवाली थानाधिकारी रामगोपाल पारीक स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे।

दोनों आरोपियों को पूछताछ के लिए थाने पर लाए। पुलिस अधीक्षक परम ज्योति ने भी थाने पहुंचकर पीड़िता और उसकी मां से बात की। थानाधिकारी को शीघ्र जांच पूरी करने के निर्देश दिए। कोतवाली थानाधिकारी रामगोपाल पारीक ने बताया कि मेडिकल जांच में बालिका की उम्र १२ साल व उससे ज्यादती होने की पुष्टि हुई है।

रविवार शाम कुंडेरा गांव में बारह वर्षीया बालिका से उसके पिता और भाई द्वारा ज्यादती किए जाने की सूचना मिली थी। सूचना मिलते ही वे एएसआई वीरेंद्र सिंह और थाने के स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे।

इस दौरान पड़ोसियों एवं गांव के लोगों ने बालिका के पिता और भाई को पकड़कर बिठा रखा था। लोगों ने पुलिस को समूचे घटनाक्रम से अवगत कराया और पुलिस तफ्तीश के लिए आरोपी पिता और भाई को पकड़कर थाने पर ले आई। मामले की जांच थानाधिकारी द्वारा की जा रही है।

मां गई थी बड़ी बेटी से मिलने

घटना के अनुसार कुंडेरा गांव के एक परिवार में शाम के समय चौदह वर्षीया बालिका, उसका भाई और पिता मौजूद थे।

मां उसकी बड़ी बेटी के हालचाल पूछने गई थी। शाम होने के बाद पिता और भाई दोनों नशे में धुत्त होकर घर लौटे, लेकिन बालिका ने उन्हें गरम खाना बनाकर खिलाया। जब सोने का समय हुआ तो बालिका का भाई और उसका पिता उसके कमरे में घुस गए और उसके साथ ज्यादती की।

भाई ने किया भागने का प्रयास

बालिका के चिल्लाने की आवाज सुनकर पड़ोसी एवं गांव के अन्य लोग दौड़ते हुए आए और कमरे को खुलवाने का प्रयास किया। काफी देर तक भी कमरे का दरवाजा नहीं खोला तो कुछ लोगों ने दीवार की हटी हुई ईंट वाले स्थान से भीतर देखा। यहां बालिका खून से लथपथ पड़ी थी। उसके कपड़े फटे हुए थे तथा चिल्ला रही थी। लोगों ने घर को चारों ओर से घेर लिया।

भाई ने पीछे की दीवार को तोड़कर भागने का प्रयास किया। उसे लोगों ने पकड़ लिया। दीवार में बनाए गए रास्ते से गांव के लोगों ने भीतर घुसकर बाप को भी पकड़ लिया। दोनों नशे में थे। ग्रामीणों ने पिता और भाई को पकड़कर बिठा लिया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंच दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस द्वारा बालिका की मेडिकल जांच करवाई गई। जांच के दौरान चिकित्सकों ने बालिका की उम्र लगभग 12 साल तथा उसके साथ ज्यादती होने की पुष्टि की है। अस्पताल में काफी देर प्रयासों के बाद चिकित्सकों को खून का बहाव रोका जा सका। चिकित्सकों ने बच्ची की हालत खतरे से बाहर बताई है।

चाची से लिया पर्चा बयान

पीड़िता का चिकित्सा मुआयना करवाया गया है। उसका उपचार करवाया जारहा  है। पीड़िता की चाची से बयान लिए गए हैं। पुलिस अधीक्षक परम ज्योति ने भी कोतवाली थाने पर पहुंच कर पूरी घटना की जानकारी ली।

पहले भी लग चुका है आरोप

लोगों ने थानाधिकारी को बताया कि पीड़िता के भाई पर पूर्व में भी किसी लड़की से ज्यादती का आरोप लग चुका है। थानाधिकारी ने बताया कि दोनों आरोपियों से मामले के बारे पूछताछ की जा रही है।

कुरान का सन्देश

मोदी को लेकर भाजपा कन्फ्यूज़ कभी कमजोर समझती है तो कभी प्रधानमन्त्री प्रोजेक्ट कर विधायक का चुनाव लडवाती है वाह भाई वाह


गुजरात में नरेंद्र मोदी को लेकर भाजपा और भाजपा के नेता ..खुद नरेंद्र मोदी और उनके समर्थक कन्फ्यूज्ड है ...पहले कहते है के हम विकास के नाम पर वोट मांग रहे है ..कहते है गुजरात का विकास मोदी को जीता देगा ..फिर डरते है और चुनाव में खुद की हर से आशंकित होकर कभी  जेठ्ली कभी सुषमा तो कभी गडकरी ..नवजोत सिद्धू को बुलाते है अगर मोदी मजबूत है तो फिर इस चुनावी पाखंड की जरूरत किया है क्यूँ मोदी को कमजोर समझ कर उन्हें जिताने की कोशिश में जुटे हो ...भाजपा का तो कहना ही क्या एक तरफ तो मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री का चुनाव लदा रहे है और दूसरी तरफ उन्हें प्रधानमत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे है भाई अगर मोदी प्रधानमन्त्री बनने के योग्य है तो फिर उन्हें विधायक का चुनाव क्यूँ लदवाया जा रहा है क्यूँ गुजरात की लोकल राजनीति में उलझाया जा रहा है ....शायद भाजपा को ही पता नहीं के मोदी को क्या बनाया जाए और मोदी खुद नहीं जानते के उनकी जीत सुनिश्चित है तभी तो खुद को कमजोर समझ मजबूती के लियें सुषमा .जेटली ..गडकरी वगेरा का  लगवा रहे है ...........खेर मोदी के तो मजे है कोंग्रेस से सेटिंग है कोंग्रेस जानबूझ कर कमजोर रहती है पांच साल जनता से दूर और फिर दिल्ली की नीतियों से जनता को इतना नाराज़ करती है के गुजरात की जनता के पास कोई दूसरा विकल्प होता ही नहीं अब केशु भाई तो खुद अपने केश खेंच रहे है लेकिन अगर वोह इमानदारी से लादे और अंतिम क्षणों में मोदी और भाजपा के शरणं गच्छामि नहीं हुए तो तीन प्रतिशत वोट भी अगर कटे तो समझो मोदी गए क्योंकि पचास से भी अधिक सीटों का अंतर इतने ही मतों से होता है फिर तो कहीं निर्दलीय ..कहीं कोंग्रेस ..कहीं बागी भी जीत कर आयेंगे ...लेकिन पहले भाजपा तो स्पष्ट करे के वोह मोदी को प्रधामंत्री पोजेक्त कर रही तो फिर उन्हें विधायक के चुनाव में क्यूँ उलझा रही है ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इंसाफ के लिए संघर्ष आखिर कब तक? 28 साल से है इंतजआर



 

भोपाल। गैस त्रासदी। 28 बरस। लंबा वक्त गुजरा लेकिन आज भी वही मुद्दे, वही सवाल। यूं तो गैस पीडि़तों का दर्द हर रोज किसी न किसी रूप में सामने आता रहता है- कभी न्याय के लिए संघर्ष तो कभी उचित मुआवजे की लड़ाई। गैस त्रासदी की बरसी पर हर साल ३ दिसंबर को भोपाल के जख्म जैसे हरे हो जाते हैं। धरना-प्रदर्शन, श्रद्धांजलि और आश्वासन....लेकिन शहर और गैस पीडि़तों की जिंदगी से जुड़े कुछ सवाल बरकरार ही रहते हैं- पीडि़तो को कैसे मिलेगा जल्द न्याय? क्या उचित मुआवजे की उम्मीद कभी पूरी होगी, होगी तो कैसे? गैस के दुष्प्रभाव से हुई बीमारियों का सिलसिला कितनी पीढिय़ों तक चलेगा?... कैसे हो पाएगा जहरीले कचरे का निपटारा? हमने विशेषज्ञों के माध्यम से इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की है। साथ में है गैस पीडि़तों का दर्द उन्हीं की जुबानी-
सवाल आखिर कब
खत्म होगा जहरीली गैस का असर ?
जवाब यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी मिथाइल आइसो साइनेट (मिक) का असर पीढ़ी-दर-पीढ़ी ही कम होगा। इसमें कितना वक्तलगेगा, यह तय कर पाना फिलहाल संभव नहीं है। त्रासदी के बाद मां से बेटे में आनुवांशिक रूप से आए जीन के कारण होने वाली विसंगतियों के आधार पर ही इसका निर्धारण हो सकता है। अगर वर्ष 2001 में मिक के कारण किसी गैस पीडि़त का बच्चा विकलांग पैदा हुआ है, तो उसकी अगली पीढ़ी में भी मिक के दुष्प्रभाव दिखेंगेे, लेकिन कुछ कम असर के साथ। इस तरह समय बीतने के साथ आनुवांशिक असर खत्म होगा।
- डॉ. बीपी दुबे, हेड, फोरेंसिक मेडिसिन, गांधी मेडिकल कॉलेज
न पर्याप्त दवाएं, न डॉक्टर
राज्य सरकार गैस पीडि़तों के चिकित्सकीय पुनर्वास के लिए अस्पताल खोलकर सिर्फ दिखावा कर रही है। गैस राहत अस्पतालों में न तो पर्याप्त दवाएं हैं और न ही अच्छे डॉक्टर। दो माह पहले इलाज के लिए बीएमएचआरसी के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में मैंने अपनी मां (शमीम) को भर्ती किया था, लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण इलाज में काफी दिक्कत आई। सरकार को गैस राहत अस्पतालों में बेहतर इलाज देने के लिए डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की भर्ती करे और दवाओं की व्यवस्था करे।
सवाल
- कब तक चलेगा जहरीले कचरे का किस्सा? कब और कैसे होगा निपटान?
जवाब : जमीन में दफन करना ही बेहतर विकल्प
यूका कारखाना परिसर के गोदाम में रखे कचरे का निपटान केंद्र और राज्य सरकार इंसीनरेटर में जलाकर करना चाहती हैं। ऐसा हुआ तो यह दूसरी गैस त्रासदी होगी। कचरा जलाने से जहरीले रसायन हवा में मिल जाएंगे। सरकार को किसी स्थान का चयन करके कचरे को जमीन में दफन करना चाहिए। इससे पहले कचरे की अच्छी तरह वाटरपू्रफ पैकिंग करना चाहिए, ताकि इसमें जमीन का और बारिश का पानी न मिल सके। इसके अलावा गैस प्रभावित बस्तियों के प्रदूषित हुए भूजल को साफ करने के प्रयास भी किए जाएं।
- डॉ. दुनू रॉय, पर्यावरण वैज्ञानिक, डायरेक्टर, हेजार्ड सेंटर, नई दिल्ली एवं पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून
जवाब  उम्मीद बरकरार
भले ही देर से सही, पीडि़तों को उचित मुआवजा जरूर मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर केंद्र सरकार ने यूका के अधिकारियों के साथ भोपाल की कोर्ट के बाहर हुए समझौते में ली गई राशि को अपर्याप्त बताते हुए इसमें बढ़ोतरी की मांग की है। साथ ही मुआवजे की राशि यूका की वर्तमान मालिक डाउ केमिकल्स से वसूलने की बात कही है। सरकार का यह रवैया गैस पीडि़तों के पक्ष में है।
- आग्नेय सैल, एडवोकेट (गैस त्रासदी मामले में सभी पीडि़तों को मुआवजा दिए जाने के मामले की सुप्रीम कोर्ट में कर रहे हैं पैरवी)
भूजल में मिल रहे जहरीले रसायन
गैस से फेफड़े पहले ही खराब हो चुके हैं। जहरीले कचरे के कारण भूजल लगातार दूषित हो रहा है। हादसे के इतने साल बाद भी पीने का साफ पानी मुहैया नहीं हो पाया है। सरकारें पीने के लिए साफ पानी मुहैया कराने का झूठा दावा कर रही हैं। इस पानी को पीने के कारण बच्चे विकलांग पैदा हो रहे हैं।
जवाब : सुप्रीम कोर्ट तय कर सकता है समय सीमा
गैस त्रासदी को 28 साल बीत चुके हैं। लंबा अरसा बीतने के बावजूद न दोषियों को सजा हुई और न पीडि़तों को न्याय मिला। केस की गति देखते हुए आखिरी फैसला आने में बरसों लग सकते हैं। इसलिए इसे विशेष मामला मानकर सुनवाई की जाना चाहिए। लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई के कारण अब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट फैसले के लिए समय सीमा भी तय कर सकते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का मामला है। इसमें मल्टी नेशनल कंपनियां इन्वॉल्व हैं। केस के त्वरित निराकरण के लिए विशेष न्यायालय का गठन होना चाहिए। साथ ही डे-टू-डे सुनवाई होना चाहिए। न्याय की अवधारणा है कि अगर न्याय मिलने में देरी होती है, तो वह अपने आप में अन्याय की श्रेणी में आता है। इस मामले में अभी सिर्फ निचली अदालत से फैसला आया है।
- रेणु शर्मा, रिटायर्ड डीजे
दो बेटे खोए, मुआवजा सिर्फ 20 हजार
गैस त्रासदी में मेरे दो बेटों की मौत हो गई थी। मुआवजे के रूप में सिर्फ 20 हजार रुपए मिले। मुआवजा पाने भोपाल गैस पीडि़त कल्याण आयुक्त कार्यालय के चक्कर लगा-लगाकर थक गई हूं। अब तक मुआवजा नहीं मिला। गैस रिसाव के कारण मेेरे फेफड़े खराब हो गए। मैं बीएमएचआरसी में इलाज करा रही हूं। इलाज पर हर माह दो से पांच हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। बेटों की मौत का मुआवजा पाने अब उन्होंने अपर कल्याण आयुक्त कार्यालय में अपील की है, जिस पर सुनवाई होना है। पता नहीं मुआवजा मिल पाएगा या नहीं।
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