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04 दिसंबर 2012

महिला ने लगाए पुलिस पर इल्जाम: उतरवाए कपड़े और की ज्यादती!



अजमेर.आनासागर रामप्रसाद घाट पर सोमवार रात खानाबदोश महिला से पुलिसकर्मियों द्वारा ज्यादती और विरोध करने वालों से मारपीट की खबर से सनसनी फैल गई। मामले को गंभीर मानते हुए एसपी राजेश मीणा ने खुद थाने पहुंच कर मामले की तफ्तीश की। 
 
मीणा ने आरोप लगाने वाली महिला से पूछताछ की तो महिला ज्यादती के आरोप से मुकर गई। जांच में सामने आया कि रात्रि गश्त के दौरान पुलिसकर्मियों ने घाट पर सो रहे लोगों से शक के आधार पर पूछताछ की थी। 
 
महिला ने पहले तो खुद को मकराना का और बाद में बिहार का निवासी बताया, भ्रामक जानकारी देने पर पुलिसकर्मियों ने दोनों को डांटा-फटकारा था, इस बीच पास में ही सो रहे एक खानाबदोश अधेड़ ने पुलिसकर्मियों का विरोध किया था। बाद में इस अधेड़ ने ही महिला के साथ ज्यादती का प्रयास किए जाने की अफवाह उड़ा दी थी। थाने में महिला और अधेड़ ने लिखित बयान में कार्रवाई से इनकार कर दिया।
 
थाने पहुंच कर बयान से मुकर गई महिला
 
बिहार के पूर्णिया जिला निवासी अस्तरी खातून (35), गोरखपुर निवासी शम्सा खातून (50), बिहार निवासी रेखा बीबी और महाराष्ट्र निवासी बबलू मस्तान ने मंगलवार सुबह मीडियाकर्मी और इलाके के लोगों के सामने यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी कि रात्रि गश्त के दौरान तीन पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के साथ ज्यादती की कोशिश की, एक महिला के कपड़े भी उतरवाए विरोध करने पर पुलिस कर्मियों ने बबलू मस्तान और राजू को लात-घूंसों से पीटा। हमले में बबलू मस्तान घायल हो गया। सूचना मिलने पर गंज थाना प्रभारी जयपाल मय दल के मौके पर पहुंचे और आरोप लगाने वाली महिलाओं और अन्य लोगों से पूछताछ की, सभी लोगों ने घटना से इनकार कर दिया। 
 
थाने में महिला और उसके पति ने लिखित बयान में किसी तरह की कार्रवाई से इनकार कर दिया। महिला और उसके पति ने बताया कि दरगाह में जियारत के लिए 11 नवंबर को आए थे। वापस लौटने के लिए रुपए नहीं थे, यही कारण है कि बैंड और अन्य मजदूरी कर पेट भर रहे थे। ये लोग रात को रामप्रसाद घाट पर खुले में सो जाते हैं।
 
शराबी अधेड़ ने फैलाई अफवाह
 
एसपी राजेश मीणा ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब आठ बजे महिला और अधेड़ बबलू मस्तान ने आरोप लगाया कि सोमवार देर रात आनासागर स्थित रामप्रसाद घाट पर पुलिसकर्मियों ने उनके साथ बेवजह मारपीट की और महिला के कपड़े फाड़ दिए। जानकारी मिलते ही इस मामले में वे खुद और अन्य अधिकारी तुरंत गंज थाने पहुंचे। महिला और अन्य लोगों से पूछताछ की गई। महिला ने ज्यादती के प्रयास के आरोप को निराधार बताया। 
 
सोमवार रात करीब ढाई बजे गंज थाने का गश्ती दल रामप्रसाद घाट पर संदिग्ध लोगों से पूछताछ कर रहा था। बिहार से आए दंपती के बांग्लादेशी होने की आशंका के चलते पूछताछ की जा रही थी।तभी वहां मौजूद बबलू मस्तान और एक अन्य युवक आक्रामक हो गए पुलिस कर्मियों से उनकी झड़प हो गई। झड़प में बबलू मस्तान बाबा के भी चोटें आई। 
 
सुबह मस्तान बाबा और एक अन्य युवक ने शराब पीकर पुलिस कर्मियों पर अनर्गल आरोप लगाते हुए लोगों को मौके पर इकट्ठा कर लिया। थाने में महिला और उसके पति ने कार्रवाई से इनकार कर दिया। जांच की जा रही है कि बबलू मस्तान को शराब पिलाकर पुलिसकर्मियों पर अनर्गल आरोप लगाने के लिए किस व्यक्ति ने उकसाया।

हाईकोर्ट की टिप्पणी: प्रशासनिक लापरवाही ने ली योग्य अफसर की जान



 
जयपुर.हाईकोर्ट ने सेंट्रल पार्क के सामने डिवाइडर पर बेकाबू कार चढ़ने के कारण हुई एसीएस वीएस सिंह की मौत को प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बच रही है। 
 
सड़कों पर डिवाइडर सही नहीं होना सरकार की लापरवाही है और इस कारण एक योग्य अफसर को असमय ही मौत का शिकार होना पड़ा। न्यायाधीश महेश चंद्र शर्मा ने यह टिप्पणी मंगलवार को कन्या भ्रूण हत्या मामले की सुनवाई के दौरान वीएस सिंह के एक्सीडेंट में मारे जाने की चर्चा के दौरान की।
 
अदालत ने कहा कि सरकार का ट्रैफिक पर कोई नियंत्रण नहीं है, ऐसे में लापरवाही से एक्सीडेंट होने पर बीमा कंपनी के अलावा सरकार पर भी जिम्मेदारी ठहराई जा सकती है।

भारत को बड़ा झटका- ओलिंपिक संघ सस्पेंड, IOC ने दी सजा



नई दिल्ली. आखिर जिस बात का डर था वही हुआ। अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) ने भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के चुनावों में सरकारी हस्तक्षेप पर कड़ा कदम उठाते हुए मंगलवार को आईओए को ओलिंपिक आंदोलन से निलंबित कर दिया।
 
आईओसी के कार्यकारी बोर्ड की स्विट्जरलैंड के लुसाने में शुरू हुई दो दिवसीय बैठक में आईओए को निलंबित करने का फैसला किया गया। आईओसी ने आईओए के चुनाव खेल संहिता के तहत कराने पर पहले ही नाराजगी व्यक्त करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि वह कार्यकारी बोर्ड की बैठक में भारत के निलंबन का प्रस्ताव पेश करेगा।
 
इस प्रतिबंध के बाद भारत ओलिंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में भारतीय झंडे के साथ हिस्सा नहीं ले पाएगा। हालांकि, इस प्रतिबंध का एथलीटों पर सीधा असर नहीं पड़ेगा। एथलीट आईओसी के बैनर के अंतर्गत यदि क्वालिफायर्स में अव्वल रहते हैं, तो वे ओलिंपिक जैसे बड़े इवेंट्स में हिस्सा ले सकते हैं।
 
इस निलंबन का अर्थ है कि आईओसी को अब इंटरनेशल ओलिंपिक कमेटी से फंड नहीं मिल सकेंगे। साथ ही भारतीय अधिकारी किसी भी ओलिंपिक मीटिंग में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। भारतीय खेल जगत के लिए यह एक तगड़ा झटका है।

मुंबई में फिर गरमाई राजनीति: 24 घंटे में बालासाहेब ठाकरे का स्मारक हटाने का आदेश



मुंबई. शिवाजी पार्क में बालासाहेब ठाकरे के अस्थायी स्मारक पर राजनीति गर्माती जा रही है। बृहन्मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (बीएमसी) और शिवसेना के बीच इस मुद्दे पर टकराव की स्थिति बन गई है। 

बीएमसी ने यह स्मारक 24 घंटे के भीतर हटाने का आदेश दिया है। उसने इस संबंध में मेयर सुनील प्रभू  और शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राऊत को सोमवार रात नोटिस जारी किया।

जबकि चबूतरा हटाने के मनपा आयुक्त के नोटिस के जवाब में शिवसेना ने साफ कर दिया है कि वह यह चबूतरा नहीं हटाएगी। ठाकरे के निधन के बाद मनपा ने शिवाजी पार्क मैदान पर उनके अंतिम संस्कार के लिए एक दिन की विशेष अनुमति दी थी।

अनुमति के आधार पर अंतिम संस्कार के लिए मैदान में एक अस्थायी चबूतरा और मंडप तैयार किया गया था। अंतिम संस्कार को पंद्रह दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन शिवसेना ने न मंडप हटाया और न चबूतरा।

बीएमसी आयुक्त सीताराम कुंटे ने कहा, 'जिस उद्देश्य (ठाकरे के अंतिम संस्कार) के लिए जगह दी गई थी वह पूरा हो चुका है। इसीलिए हमने अस्थायी स्मारक हटाने का आदेश दिया है।

उम्मीद है कि प्रभू इसे हटाने के लिए कदम उठाएंगे।Ó बीएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि यदि शिवसेना नोटिस का जवाब नहीं देती है तो अस्थायी ढांचा हटा दिया जाएगा।

साथ ही, दोनों नेताओं के  खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बीएमसी प्रभू को अयोग्य भी घोषित  कर सकती है। बीएमसी ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। इसमें कहा था कि अस्थायी ढांचे के संबंध में कोई मामला आने पर उसका पक्ष भी सुना जाए।

बीएमसी के आदेश के जवाब में महापौर सुनील प्रभू ने कहा कि जहां ठाकरे का अंतिम संस्कार हुआ उस जगह की पवित्रता बनी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'अगर बीएमसी कमिश्नर कहते हैं कि अस्थायी स्मारक अवैध है तो मुंबई में कई ऐसे अवैध ढांचे मौजूद हैं।

'गौरतलब है कि शिवसेना शिवाजी पार्क पर बाल ठाकरे का स्मारक बनाने की मांग कर रही है। पार्टी सांसद संजय राऊत पिछले सप्ताह कह चुके हैं कि शिवाजी पार्क शिवसेना के लिए अयोध्या जैसा है। इस मामले में सरकार और कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

कुरान का संदेश

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