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12 दिसंबर 2012

कुरान का संदेश

मां-बाप के सामने बेटी करती है सेक्स, कोई शर्मो-हया नहीं


भोपाल।
दुनियाभर में अफीम की खेती के लिए पहचाना जाने वाला मंदसौर और नीमच जिला देह व्यापार के कारण चर्चाओं में हैं। चर्चाओं का बाजार आम पब्लिक से लेकर विधानसभा तक में गर्म है। मध्यप्रदेश विधानसभा में जब भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने खुलासा किया कि मंदसौर में देह व्यापार के करीब 250 डेरे चल रहे हैं, तो वहां मौजूदा विधायक और अन्य लोग अवाक रह गए। हालांकि यहां दशकों से देह व्यापार चल रहा है, लेकिन पिछले कुछेक सालों में जिस्म की मंडियां और गर्म हुई हैं। खासकर अब देह व्यापार में अब छोटी-छोटी बच्चियों को भी ढकेला जा रहा है।


चिंताजनक बात यह है कि देह व्यापार के चलते इस जिले में घातक रोग एड्स भी तेजी से अपना दायरा बढ़ा रहा है। एमएलए यशपाल सिंह सिसौदिया के मुताबिक, जिले में 1223 व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। करीब ६५६ एड्स की गंभीर चपेट में हैं, जबकि 48 लोग मौत का शिकार बन गए।

दरअसल, यहां निवासरत बांछड़ा समुदाय जिस्म बेचकर पेट पालने में कोई संकोच नहीं करता। मां-बाप स्वयं अपनी बेटियो को इस धंधे में उतारते हैं। मंदसौर में करीब ४० गांवों में फैला बांछड़ समुदाय देह व्यापार में लिप्त है।
बांछड़ा समुदाय के परिवार मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के रतलाम, मंदसौर व नीमच जिले में रहते हैं। इन तीनों जिलों में कुल ६८ गांवों में बांछड़ा समुदाय के डेरे बसे हुए हैं।

मंदसौर शहर क्षेत्र सीमा में भी इस समुदाय का डेरा है। तीनों जिले राजस्थान की सीमा से लगे हुए हैं। रतलाम जिले में रतलाम, जावरा, आलोट, सैलाना, पिपलौदा व बाजना तहसील हैं। मंदसौर जिले में मंदसौर, मल्हारगढ़, गरोठ, सीतामऊ, पलपुरा, सुवासरा तथा नीमच में नीचम, मनासा व जावद तहसील है। मंदसौर व नीमच जिला अफीम उत्पादन के लिए जहां दुनियाभर में प्रसिद्ध है, वही इस काले सोने की तस्करी के कारण बदनाम भी है। इन तीनों जिलों की पहचान संयुक्त रूप से बांछड़ा समुदाय के परंपरागत देह व्यापार के कारण भी होती है ।

खर मास 16 से, भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है यह महीना




भगवान सूर्य संपूर्ण ज्योतिष शास्त्र के अधिपति हैं। सूर्य का मेष आदि 12 राशियों पर जब संक्रमण (संचार) होता है, तब संवत्सर बनता है जो एक वर्ष कहलाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में दो बार जब सूर्य, गुरु की राशि धनु व मीन में संक्रमण करता है उस समय को खर, मल व पुरुषोत्तम मास कहते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
इस बार खर मास का प्रारंभ 16 दिसंबर, 2012 रविवार से हो रहा है, जो 14 जनवरी, 2013 सोमवार को समाप्त होगा। इस मास की मलमास की दृष्टि से जितनी निंदा है, पुरुषोत्तम मास की दृष्टि से उससे कहीं श्रेष्ठ महिमा भी है।
भगवान पुरुषोत्तम ने इस मास को अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस मास का स्वामी हो गया हूं और इसके नाम से सारा जगत पवित्र होगा तथा मेरी सादृश्यता को प्राप्त करके यह मास अन्य सब मासों का अधिपति होगा। यह जगतपूज्य और जगत का वंदनीय होगा और यह पूजा करने वाले सब लोगों के दारिद्रय का नाश करने वाला होगा।
अहमेवास्य संजात: स्वामी च मधुसूदन:। एतन्नान्मा जगत्सर्वं पवित्रं च भविष्यति।।
मत्सादृश्यमुपागम्य मासानामधिपो भवेत्। जगत्पूज्यो जगद्वन्द्यो मासोयं तु भविष्यति।।
पूजकानां सर्वेषां दु:खदारिद्रयखण्डन:।।

12.12.12 का क्रेज, करोड़ों को जिंदगी बदलने की आस



12.12.12 का क्रेज, करोड़ों को जिंदगी बदलने की आस
12.12.12 यानी 12 तारीख, 12वां महीना और 12वां साल। कहने को तारीख। लेकिन मानने वालों के लिए दुर्लभ पल। किसी ने इस पल में शादी करने के लिए बरसों इंतजार किया। तो कुछ ऐसे हैं जो इस खास मौके पर किलकारी सुनने के लिए सीजेरियन डिलीवरी करा रहे हैं। अस्पताल फुल हो चुके हैं। डॉक्टर डिलीवरी के केस नहीं ले रहे। लेकिन लोग दोगुनी, चौगुनी फीस देकर भी ऑपरेशन के लिए डॉक्टर को तैयार करने में जुटे हैं। ऐसा हो भी क्यों न। ऐसा मौका अब 89 साल बाद आएगा। 01.01. 2101 के रूप में।
 
12-12-12 यह दिनांक इस वर्ष के बाद अब कभी नहीं आएगी। ज्योतिष अनुसार इस दिन अनुराधा नक्षत्र रहेगा जिसके स्वामी शनि है तथा चदंमा वृश्चिक राशि में रहेगा जिसमें अभी शनि की साढ़ेसाती चल रही है। जानिए, उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार आपकी राशि पर कैसा असर होगा-
 
पं. शर्मा के अनुसार 12-12-12 को पांच ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र, चंद्र एवं राहु वृश्चिक राशि में गोचर होंगे। इस दिन जन्म लेने वाले जातक की राशि मे जीवन भर बने रहेंगे। चंद्रमा नीच का एवं राहु शत्रु राशि में रहेगा। पांच ग्रहों का योग एक साथ एक राशि में शुभ नहीं है। हालांकि इस पर गुरु की दृष्टि बनी रहेगी जिससे कोई बड़ी हानि होने की संभावनाएं नहीं है।
 
जो लोग शल्य क्रिया द्वारा इस अनोखी दिनांक में अपनी संतान को जन्म देना चाहते हैं उन्हें इसमे सावधान रहना चाहिए केवल अनोखी तारीख के मोह में ऐसा नहीं करे तो अच्छा होगा। पं. शर्मा ने बताया कि इस दिनांक को टालने का प्रयास करना चाहिए। जिनका जन्म प्राकृतिक रूप से होगा वह ईश्वर की इच्छा है।
 
12 दिसंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट से ज्येष्ठा नक्षत्र शुरू हो जाएगा और जो शिशु इस नक्षत्र में जन्म लेगा वह मूल में जन्मा माना जाएगा। मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले शिशु को पिता 28 दिनों तक नहीं देख सकता है, यह शास्त्रों के अनुसार वर्जित किया जाएगा। इसके साथ ही शिशु के लिए मूल शांति भी करानी होगी।
 
पं. शर्मा के अनुसार इस दिन शनि उच्च का रहेगा एवं उसकी तीसरी पूर्ण दृष्टि धनु राशि पर होगी जिसमें वर्तमान में मंगल का गोचर है। शनि-मंगल की शत्रुता भी जातक के जन्म से ही कुंडली में विद्यमान हो जाएगी। इसके अलावा 12 दिसंबर का दिन सभी लोगों को सावधानी पूर्वक  बिताना चाहिए। किसी भी प्रकार के निवेश से बचने का प्रयास करें एवं किसी नए कार्य को शुरू करने जा रहे हो तो उसको टालें। यह दिन कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी तिथि का होगा, जो रिक्ता कहलाती है अर्थात इस दिन किया गया कार्य रिक्त हो जाता है। इस तिथि के स्वामी भगवान शंकर हैं। इस दिन पूर्ण निष्ठा से भोलेनाथ का पूजन करने से अकूत धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। शाम को शिवालय में दीपक जलाने से दरिद्रता समाप्त होती है।
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