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15 दिसंबर 2012

यहां अनोखा है शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है



चंडीगढ़। हिमाचल प्रदेश में करीब 18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित किन्नर कैलाश विश्व का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है, जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। यहां पहुंचने के लिए साल बरसात के मौसम में ही रास्ता खुला रहता बाकि दस माह यह क्षेत्र बर्फ से ही ढका रहता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव सदियों से इस स्थल पर तपस्या करने आते हैं ताकि उन्हें कोई परेशान न करे। यहां आकर शिव भगवान अपने भक्तों के कष्ट का निवारण करते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक किन्नर कैलाश में कई बार शिव के नंदी बैल के गले की घंटियों की आवाजें सुनाई देती हैं। कैसे शिवलिंग अपना दिन में तीन बार रंग बदलता है

षड़यंत्र हुआ फेल, बड़े धमाके से दहल सकता था अजमेर!




नागदा/अजमेर.समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट के आरोपी दशरथ चौहान को एनआईए दिल्ली की टीम ने शनिवार सुबह नागदा से गिरफ्तार किया। उस पर 5 लाख रु. का इनाम था। दशरथ पर मई 2007 में हैदराबाद की मक्का-मदीना मस्जिद में विस्फोट का भी आरोप है। दशरथ ने खुलासा किया है कि उन्होंने इस साल जयपुर में दीपावली मनाने की योजना बनाई थी। 
 
उसका और उसके साथियों का इरादा इसी साल अजमेर में बड़ा बम ब्लास्ट करने का था, लेकिन किसी कारण षड्यंत्र सफल नहीं हो पाया। पूछताछ के दौरान एनआईए की टीम के समक्ष दिए गए बयान मंे दशरथ को अपराध का कोई मलाल नहीं था। 
 
उसने कहा-पाकिस्तान के आतंकवादी जब चाहें भारत में हत्या कर चले जाते हैं। हमने जो किया उसका कोई मलाल नहीं। मैंने अपना फर्ज निभाया, पुलिस अपना फर्ज निभाए। दशरथ देपालपुर के धाकड़ सेरी गारी मोहल्ला का निवासी है। उसके दोस्त उसे राजेंद्र व समंदर के नाम से भी जानते हैं। 
 
शनिवार को गिरफ्तारी के बाद दशरथ को न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया। जहां एनआईए की टीम को 48 घंटे के लिए ट्रांजिट वारंट पर चंडीगढ़ पंचकुला ले जाने को कहा गया। उसे सोमवार को चंडीगढ़ की कोर्ट में पेश किया जाएगा।
 
धमाके में 68 लोग मारे गए थे
 
19 फरवरी 2007 को दिल्ली से अटारी (पाकिस्तान) जा रही समझौता एक्सप्रेस में पानीपत (हरियाणा) के शिवा गांव के समीप धमाका हुआ था। इसके लिए चार बड़े विस्फोटक दो कोचों में रखे गए थे। दशरथ के अनुसार चार में से दो बम ही फटे थे। 
 
विस्फोट पाकिस्तान के विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की भारत यात्रा से एक दिन पहले हुआ था। इसमें 68 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 13 लोग घायल हुए थे। इनमें ज्यादातर पाकिस्तान थे। 
 
पांच साल से घर नहीं पहुंचा
 
पुलिस सूत्रों के अनुसार दशरथ कट्टर हिंदूवादी है। समझौता ब्लास्ट के बाद उसने दो साल में नर्मदा परिक्रमा भी की। दशरथ समझौता ब्लास्ट की घटना के बाद से घर नहीं पहुंचा है। जानकारी के मुताबिक उसकी एक बेटी है, जिसका चेहरा भी उसने नहीं देखा। पिता विक्रम, पहलवान रह चुके हैं। 
 
कमल से मिले थे सुराग 
 
एनआईए टीम को दशरथ के समझौता ब्लास्ट में शामिल होने की जानकारी इसी साल फरवरी में पकड़े गए कमल चौहान से मिली। कमल भी देपालपुर का रहने वाला है। इन्होंने  साध्वी प्रज्ञा, सुनील जोशी, संदीप डांगे और रामजी कालसांगरा के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया था। प्रज्ञासिंह को महाराष्ट्र पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। सुनील जोशी की हत्या हो चुकी है। विस्फोट में रामप्रसाद पंवार का नाम भी जुड़ा था, जिसकी हत्या कर दी गई।

'भाजपा के भ्रष्टाचार को उजागर नहीं कर पाई कांग्रेस, उसमें घुल-मिल गई'


जयपुर.कांग्रेस के प्रतिनिधि सम्मेलन में कुछ नेताओं ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। सीपी जोशी खेमे से जुड़े पीसीसी सदस्य और पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रभारी सचिव अरुण यादव की मौजूदगी में सरकार पर भाजपा शासन काल के भ्रष्टाचार को आगे बढ़ाने का आरोप लगा दिया। 
 
लोढ़ा ने गोपालगढ़ की घटना के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए यहां तक कह दिया कि उनकी जानकारी के अनुसार सीएम ने फोन करके फायरिंग के आदेश दिए थे। गोपालगढ़ पर संयम लोढ़ा के आरोपों पर सम्मेलन में हंगामे की स्थिति बन गई। 
 
जयपुर सांसद महेश जोशी इन आरोपों पर आपत्ति करते हुए मंच तक आ गए। जोशी ने लोढ़ा को धक्का दे दिया। सम्मेलन में सीपी जोशी जनप्रतिनिधियों के बीच में ही बैठे रहे। बार-बार बुलाने पर भी मंच पर नहीं आए।
 
भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया
 
लोढ़ा ने कहा-कल्लाजी से पूछिए किस तरह स्विस चैनल से भाजपा राज में भ्रष्टाचार किया गया। हमारी सरकार ने इसी चैनल को लागू कर दिया। 11 हजार करोड़ की प्रॉपर्टी एक कंपनी के हवाले कर दी। ऐसे गोदाम दे दिए जो 80% तक भरे रहते हैं। कालीसिंध पावर प्रोजेक्ट के 228 करोड़ के टेंडर में एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसी शर्त जोड़ दी कि बाकी तीन कंपनियां बाहर हो गईं।
 
पेट्रोल पर 7 रु. ज्यादा वसूल रही है हमारी सरकार : लोढ़ा
 
खुले सत्र में पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने कहा-हमारी सरकार पिछली भाजपा सरकार के मुकाबले डीजल पर 3 रु. और पेट्रोल पर 7 रु. ज्यादा वसूल रही है। मोटरसाइकिल चलाने वाले ज्यादातर युवा हैं और वे जब भी पेट्रोल भरवाते हैं, कांग्रेस को कोसते हैं।
 
गोपालगढ़ फायरिंग के लिए सरकार जिम्मेदार  
 
गोपालगढ़ में जो घटना हुई, उसके लिए मुख्यमंत्रीजी आप जिम्मेदार हैं। जो गुर्जर पटरियों पर बैठे थे उन पर आपने लाठी तक नहीं चलाई और गोपालगढ़ में गोलियां चलवा दीं। मुझे तो ऐसी जानकारी है कि यह सब आपके इशारे पर हुआ।
 
चंद्रभान ने नकारे आरोप
 
चंद्रभान ने कहा कि गोपालगढ़ कांड के दिन मैं मुख्यमंत्री के साथ था। हम झालावाड़ से जयपुर एयरपोर्ट पहुंचे तो फायरिंग की जानकारी मिली। 
 
अपराधियों की पैरवी के लिए जनता का पैसा
 
लोढ़ा ने कहा-वसुंधरा राज में हुए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने से इस सरकार को किसने रोका? हम भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार की लड़ाई उसी दिन हार गए, जिस दिन इंक्वायरी एक्ट में आयोग बनाने के बजाय प्रशासनिक आयोग बनाया। कालीन चोरी के मुकदमे में सरकार ने जानबूझकर कुछ नहीं किया। दीनदयाल ट्रस्ट, वल्र्ड ट्रेड पार्क के घोटाले का क्या हुआ? मानसागर झील के मामले में तो अपराधियों की पैरवी के लिए कोर्ट में जनता के पैसे से एटॉर्नी खड़ा कर दिया।  
 
संयम और टाक में कहासुनी
 
राज्यसभा सांसद अश्क अली टाक ने कहा- संयम लोढ़ा जी आपने जिला प्रमुख चुनाव में पार्टी उम्मीदवार को हराया। इस पर दोनों में कहासुनी हुई।
 
कमियां न गिनाएं : रघु 
 
पार्टी के राजनीतिक प्रस्ताव के समर्थन में बोलने खड़े हुए सरकारी मुख्य सचेतक रघु शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री सरकार की कमजोरियां बता देते हैं तो प्रदेशाध्यक्ष संगठन की। जिनकी जिम्मेदारी कमियां ठीक करने की है वे कमियां गिनाएं तो स्थिति ठीक कौन करेगा।
 
पार्टी को किया कुनबा कांग्रेस
 
पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह ने कहा कि आपने कांग्रेस को कुनबा कांग्रेस में बदल दिया। आप अपने ही सौ नेताओं को बार-बार लालबत्ती या अहम पद थमा देते हैं।
 
मेयर भी बरसीं
 
जयपुर मेयर ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि मैं गांधी प्रतिमा के पास धरना देने गई तो मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। गांधीवादी मुख्यमंत्री के राज में ऐसा होना चिंतनीय है।
 
वासनिक ने ये कहा
 
प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक ने कहा कि सोनिया ने गहलोत को सीएम बनाया है। वे जबतक चाहेंगी गहलोत बने रहेंगे। सोनिया के आदेश पर ही कांग्रेसी काम करते हैं।

'मैं कांग्रेस का सिपाही हूं, लेकिन गहलोत को अपना कमांडर नहीं मानता'



 

जयपुर.कांग्रेस विधायक और असंतुष्ट खेमे के प्रमुख नेता कर्नल सोनाराम ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस को निजी संगठन में बदल लिया। सोनाराम ने कहा : मैं कांग्रेस का सिपाही हूं, लेकिन गहलोत को अपना कमांडर नहीं मानता। 
 
उन्होंने प्रदेश में जाट मुख्यमंत्री नहीं बनने के लिए प्रमुख जाट नेताओं को भी जिम्मेदार बताया। एक बार जब जाट मुख्यमंत्री बनने का मौका आया तो हमारे एक प्रमुख जाट नेता हरिदेव जोशी के समर्थन में चले गए। उन्होंने साफगोई से माना कि वे कोशिशें करके भी गहलोत को कांग्रेस में कमजोर नहीं कर पाए। उनसे बेबाक बातचीत :
 
सरकार ने 4 साल पूरे कर लिए। आपका का क्या कहना है?
 
>अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास एक साल का समय रह गया है। वे गलतियों को सुधार सकते हैं। जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं का मन जीतें। मतभेद खत्म करें। 
 
आप सरकार को कितने नंबर देते हैं?  
 
>यह मेरी सरकार है। इसलिए नंबर देना तो ठीक नहीं ..लेकिन उम्मीद है अशोक गहलोत अच्छी मेहनत करेंगे, टीम में बदलाव लाएंगे और कामकाज की शैली सुधारेंगे तो पास हो जाएंगे ..मंत्रिमंडल में कुछ को छोड़कर ज्यादातर के पास काम ही नहीं है।
 
क्या सरकार ने कुछ अच्छा काम किया है?  
 
>योजनाएं अच्छी बनाई हैं। सोशल सेक्टर में बहुत अच्छा काम किया है। फ्री मेडिसिन वाली योजना अच्छी है, लेकिन ग्राउंड पर इन योजनाओं की कोई मॉनिटरिंग नहीं है। 
 
कांग्रेस संगठन की हालत क्या है?  
 
>जो मंत्रिमंडल की है वैसी ही संगठन की। चंद्रभान ईमानदार हैं। सच बोल दिया कि चुनाव में सीटें कम आएंगी तो पीछे पड़ गए। उनको हटाया तो ठीक नहीं होगा। जाट पहले ही नाराज हैं ..ये अशोक गहलोत जो सोशल इंजीनियरिंग कर रहे हैं, वे जाट वर्सेज अदर कास्ट की कर रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि जाट भी जाएं और अदर भी हाथ नहीं आएं! ..पिछली बार सोशल इंजीनियरिंग की तो हम 156 से 56 पर आ गए थे। 
 
आपके विरोध की वजह?
 
>मुझे 2004 में दो लाख से ज्यादा वोटों से हरवा दिया था ..गहलोत जब सीएम थे तो उन्होंने जाटों और मुसलमानों के समीकरण को बिगाड़ दिया। 98 में गहलोत और मैं एक साथ एमपी बने थे। मैं पहले से उनके साथ था। 97 में पीसीसी के चुनाव हुए तो मैं और अब्दुल हादी गहलोत के साथ थे। हम परसराम मदेरणा के साथ नहीं थे। वजह यह भी कि मदेरणा और नाथूराम मिर्धा की बनती नहीं थी। 
 
गहलोत सीएम बने तो ढाई साल तक उनके साथ रहे ..इनका काम करने का तरीका मुझे पसंद नहीं है। कुछ को छोड़कर मंत्रियों के पास काम नहीं है। पीसीसी इनकी है। राजनीतिक नियुक्तियों में इनके आदमी बनाए गए हैं। पीसीसी में सारे इनके लोग भरे गए हैं। आज राजस्थान में कांग्रेस आई को कांग्रेस ए यानी कांग्रेस अशोक गहलोत ही बना दिया है। 
 
 
विधायक लोग हाईकमान से शिकायत करने तो गए थे? 
 
>हां, हम गए थे। हम कोई पिकनिक मनाने तो गए नहीं थे। शिकायत करने ही गए थे। गए तो थे 27 एमएलए, लेकिन मिले मैं, आंजना, सीएल प्रेमी, दौलतराज और गंगासहाय। हम सोनिया, राहुल, अहमद पटेल आदि सबसे मिले। सब कुछ बताकर आए थे। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने आपको भेजा था!  
 
>हम किसी की कठपुतली हैं क्या, जो कहने से जाएंगे! हम अपने हिसाब से गए थे। हम किसी के पिट्ठू नहीं हैं। सीएम के यह कहने से उनका अहंकार झलकता है। 
 
आपके और गहलोत के रिश्ते में दरार क्यों आई?  
 
>मुझे इनकी कार्यशैली पसंद नहीं आई। वे ऑटोक्रेटिक हैं। सेल्फ सेंटर्ड हैं। अपनी टीम अलग रखते हैं। मेरा उनसे कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है। मैंने कहा था कि आप चीजें खराब कर रहे हो। नतीजा यह निकला कि हम पांच साल सत्ता से बाहर  हो गए। सिर्फ चार महीने बाद चुनाव हुए तो हमारे सिर्फ चार एमपी जीते.. इन्होंने पूरी जाट लीडरशिप को साइडलाइन कर दिया। 
 
और क्या नाराजगी है आपकी?  
 
>मैंने जिम्मेदारी मांगी, मुझे नहीं दी। लोकसभा का टिकट मांगा तो नहीं दिया। रघुवीर मीणा को दिया तो मुझे भी दे सकते थे। मैं चौथी बार सांसद होता और आज केंद्र में मेरे पास कोई जिम्मेदारी होती। मुझे जिम्मेदारी कहां मिली है! 
 
नेता के तौर पर गहलोत की ताकत और कमजोरी क्या है?
 
>वे अपने आसपास मजबूत आदमी को नहीं चाहते। उनके ऑफिसर देख लो। पीसीसी देख लो। मंत्रिमंडल देख लो। पर्सनल टीम देख लो। वे मजबूत कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हैं। लेकिन यह मानना होगा कि वे बहुत हार्डवर्कर हैं। स्कीमें बहुत अच्छी लाते हैं, लेकिन ग्राउंड पर नहीं उतार पाते। उनका पॉलिटिकल मैनेजमेंट स्ट्रांग है, लेकिन ब्यूरोक्रेसी पर उनकी पकड़ नहीं है। उन्होंने जाट अफसरों को अच्छी पोस्टिंग नहीं दी है। वे तो मजबूत जाटों को छोड़कर ..कैसे-कैसे लोग न जाने कहां से खोजकर ले आते हैं। 
 
मुख्यमंत्री का चयन जाति के आधार पर होना चाहिए? 
 
>एक जाट से न तो कांग्रेस हारती और न जीतती, लेकिन यह एक बड़ी जाति है। मुख्यमंत्री बनाना किसी एक जाति के बस में नहीं, लेकिन राजनीति का गणित देखो तो हर बार लगभग आठ जाट एमपी और 35 से ज्यादा एमएलए इस जाति से हैं। प्रदेश में राजपूत सीएम बन चुका, ब्राह्मण बन चुका, मुस्लिम, माथुर और माली बन चुका तो जाट कब बनेगा? लोगों में भावना है कि जाट सीएम बने! मैंने यह भावना जब से व्यक्त की है, वे तो मेरे पीछे ही पड़ गए। 
 
किसी जाट विधायक का नाम बताएं जो सीएम पद का दावेदार बन सके?
जब मौका आएगा तो यह नाम भी सामने आ जाएगा ..इतिहास में कई चीजें होती हैं ..एक बार जब रामनिवास मिर्धा का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया था तो हमारे एक बड़े नेता ..एक दूसरी जाति के नेता के समर्थन में चले गए थे और वे मुख्यमंत्री बन गए ..अब क्या कहें ..बहुत सी बातें कहने और सुनने की तो हैं, लेकिन छापने की नहीं! 
 
..तीनों मिले हुए हैं। इनकी लॉबिंग मजबूत है। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन तोड़ नहीं पाया। कांग्रेस में देर है, अंधेर नहीं।
 
 
प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
 
वे नौ साल से हैं। इतने लंबे समय तक काम कर लेने के बाद इनसान की कुछ लाइकिंग-डिस्लाइकिंग हो जाती है। बदलाव हमेशा अच्छा रहता है!.

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की बेटी अनिता जर्मनी में डिप्‍टी मेयर



नेताजी सुभाषचंद्र बोस की बेटी भी अब राजनीति में आ गई हैं। भारत में नहीं, जर्मनी में। अनिता प्‍़फॉफ आउग्सबुर्ग जिले के 15 हजार आबादी वाले स्टटबेर्गन शहर की डिप्‍टी मेयर हाल ही में चुनी गई हैं। 70 वर्षीय अर्थशास्त्री अनिता यूं तो 15-16 बार भारत आ चुकी हैं लेकिन उन्हें यहां की राजनीति में दिलचस्पी नहींहै। हालांकि पितृभूमि के प्रति उनके लगाव की झलक तीनों बच्चों के नाम में दिखाई देती है-पेटर अरुण, थोमास कृष्णा और माया करीना।
 
अनिता की मां एमिली शेंकल ऑस्ट्रिया की थीं। नेताजी से उनकी मुलाकात 1934 में हुई। अंग्रेजों की हिरासत से छूट कर वे विएना में स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। साथ ही वेअ पनी जीवनी भी लिखना चाहते थे। एक मित्र से अंग्रेजी की एक स्टेनोग्राफर से मिलाने को कहा। वह स्टेनोग्राफरए मिली थीं। उनमें प्रेम हुआ और उसी साल दिसंबर में दोनों ने शादी कर ली।
 
अनिता का जन्म 1942 में हुआ। वेब ताती हैं, मैं सिर्फ एक महीने की थी, जब नेताजी ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए विएना छोड़ा। उसके बाद वे पिता से कभी न मिल सकीं। विमान हादसे में नेताजी की मृत्यु के समय वे सिर्फ ढाई साल की थीं।
 
1960 में 18 साल की उम्र में पहली बार अनिता ने भारत में कदम रखे। नेताजी के प्रशंसकों ने उनकी बिटिया का दिल खोलकर इस्तकबाल किया। अपने पिता के प्रति इतनी आस्था देखकर अनिता अभिभूत हो गईं। लेकिन उनकी रुचि भारत की राजनीति में नहीं थी।

कुरान का सन्देश

महिला मंत्री ने जंगल में खेला खूनी खेल, फोटो ने भड़काई आग!


PICS: महिला मंत्री ने जंगल में खेला खूनी खेल, फोटो ने भड़काई आग!
नागपुर.  महाराष्ट्र की स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री फौजिया खान दक्षिण अफ्रिका के दौरे के वक्त शिकार करने के विवाद में फंस गई हैं। हालांकि उन्होंने खुद पर लगाये गये आरोप को निराधार बताया है। 
 
राज्यमंत्री खान के इस कारनामे को मुद्दा बनाते हुए विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग की है। विपक्ष ने उन पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है।
 
बता दें कि खान ने खुद अपने वेबसाइट पर दक्षिण अफ्रिका के अपने दौरे की फोटो अपलोड की हुई है। जिसमें से एक फोटो में वे शिकारी के परिधान में हैं। इसी तरह कुछ फोटो में वे शिकार किये गये प्राणी के साथ खड़ी नजर आ रही हैं। 

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