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20 दिसंबर 2012

यहां की औरतें मांग में सिंदूर नहीं, मिट्टी भरती है !


जयपुर। हल्दीघाटी। एक ऐसा युद्ध जिसकी गाथा इतिहास के पन्नों पर रक्तिम अक्षरों में लिखी है। यहां युद्ध के दौरान इतना खून बहा की मिट्टी तक लाल हो चुकी है। आज भी यहां के बच्चे कखगघ के साथ युद्ध के बातें बोलना सीखते हैं।राजस्थान का एक ऐसा इलाका जहां महिलाएं सिंदूर नहीं हल्दीघाटी की लाल हो चुकी मिट्टी लगाती हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस जगह का नाम हल्दीघाटी यहां की पीली मिट्टी की वजह से पड़ा था लेकिन अकबर और महाराणा प्रताप के युद्ध के बाद ये मिट्टी लाल हो चुकी है।
कहानी की शुरुआत हल्दीघाटी के युद्ध से करते हैं। 18 जून 1576। इस दिन मुगल सम्राट अकबर और मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के बीच खूनी संघर्ष हुआ।

अधूरी रह गई नए भवन में बोर्ड बैठक की इच्छा



कोटा. पिछले डेढ़ साल से बनकर तैयार खड़े नगर निगम भवन के उद्घाटन के प्रति जहां सारे कांग्रेसी पार्षद मौन धारण किए हुए थे, वहीं राजेश चतुर्वेदी एक मात्र ऐसे पार्षद थे, जिन्होंने इसके लिए बोर्ड बैठक में खुलेआम बहिष्कार की चेतावनी दी थी।

उन्होंने कहा था कि अगली बैठक नए भवन में नहीं करवाई तो  कांग्रेसी पार्षद बोर्ड की बैठक का बहिष्कार करेंगे। बाकी किसी ने तो बहिष्कार नहीं किया, उन्होंने उससे अगली बैठक का बहिष्कार भी किया।

निगम को उसके बाद 2 माह का समय मिला, लेकिन उद्घाटन नहीं करवा सके और चतुर्वेदी की ये हसरत अधूरी ही रह गई।

निगम बोर्ड की 8 अक्टूबर 2012 को हुई दशहरे मेले की विशेष बैठक में भीमगंजमंडी क्षेत्र के कांग्रेसी पार्षद राजेश चतुर्वेदी टिन्नू ने कहा था कि- महापौर आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि नई बिल्डिंग को शुरू करवा दीजिए।
शीघ्र ही नई बिल्डिंग का उद्घाटन नहीं करवाया तो सभी कांग्रेसी पार्षद बोर्ड बैठक का बहिष्कार कर देंगे। इस पर सभी पार्षदों ने तालियां बजाकर उनका समर्थन किया।
पार्षदों ने उस समय तो समर्थन कर दिया था, लेकिन एक माह बाद ही 20 नवंबर को जब नए भवन के बिना उद्घाटन के ही अंबेडकर भवन में बोर्ड की बैठक रखी तो सभी कांग्रेसी पार्षद पहुंच गए। केवल टिन्नू ही एक मात्र पार्षद थे जिन्होंने अपने कहे अनुसार बैठक का बहिष्कार किया।
बेटी अद्वितीय ने दी मुखाग्नि :

जिला बॉस्केटबाल संघ सचिव, जिला क्रीड़ा परिषद के सदस्य एवं पार्षद चतुर्वेदी का बुधवार रात हार्टअटैक से निधन हो गया था। गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार रेलवे स्टेशन स्थित मुक्तिधाम पर किया गया। उनकी इकलौती बेटी अद्वितीय ने मुखाग्नि दी।
शवयात्रा में स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल, यूआईटी अध्यक्ष रविंद्र त्यागी, महापौर डॉ. रत्ना जैन, कांग्रेस जिलाध्यक्ष गोविंद शर्मा, उपमहापौर राकेश सोरल, जिला क्रीड़ा परिषद के उपाध्यक्ष नीरज गुप्ता, गोपाल शृंगी, जफर मोहम्मद सहित उपमहापौर, निगम के अधिकारी व कर्मचारी, पार्षद शामिल थे।
निगम में शोक सभा के बाद वर्क सस्पेंड :
पार्षद टिन्नू के निधन पर गुरुवार की सुबह नगर निगम में कार्यालय में शोकसभा रखी गई। उसके बाद सीईओ दिनेश चंद जैन ने वर्क सस्पेंड की घोषणा कर दी।
इसके साथ ही प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत लगाए जा रहे निगम के शिविर को भी निरस्त कर दिया गया। इधर, कांग्रेस प्रवक्ता दिलीप पाठक के अनुसार पार्षद के निधन पर कांग्रेस कार्यालय में शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे शोक सभा रखी आयोजित की गई है।

कोई नहीं तुमसा नारा बुलंद होने लगे ..लेकिन तब तक जब तक अहमद पटेल गुजरात में है वोह गुजरात से हटे तो समझो कोंग्रेसी गुजरात में डटे ..

गुजरात में नरेंद्र मोदी ने जीत कर केशुभाई पटेल से आशीर्वाद लेकर अपनी उदारता बताई है .....मोदी ने यह तो साबित कर दिया के वोह गुजरात की जनता के लाडले है और केवल केवल गुजरात का मान देश और विश्व में बढाना चाहते है बस इसीलियें वोह गुजरात छोड़ कर प्रधानमन्त्री के सपने को भी टालमटोल कर रहे है .....दोस्तों यह तो हुई मोदी की बात मोदी को तो जितना था र मोड़ फिर जीतेंगे यह तो पहले से ही सभी को पता है लेकिन राजनितिक विश्लेषकों की अगर माने तो यह चुनाव नहीं मेच फिक्सिंग होते है ..गुजरात के समर्पित कोंग्रेसियों को अगर टटोले ..गुजरात के सेवादल के कार्यकर्ताओं को अगर टटोले तो पता लगेगा के मनमाने टिकिट वितरण और जानबूझ कर चुनावी मिस्मेनेज्मेंट और अर्थाभाव के कारन चुन की यह दुर्दशा हो रही है ..जरा सोचो पूरी कोंग्रेस को सलाह देने वाले पुरे देश के संचालन मामले में सलाह देने वाले सोनिया के सलाहकार जी हां राजनितिक सलाहकार के अपने राज्य की यह दुर्दशा हो और वोह भी एक बार नहीं दो बार नहीं तीन बार तो समझ लेना चाहिए के दाल में कुछ काल है या तो इन जनाब में राजनितिक सलाहकार की कुवत नहीं है या इस पद के लियें नाकाबिल है और अगर काबिल है तो फिर जन बुझ कर गुजरात में केवल वन में शो खुद का दबदबा बनाये रखें के लियें कोंग्रेस की जान बुझ कर की गयी दुर्दशा है ...लोग कहते है अगर अहमद पटेल को गुजरात से बाहर रखते तो शायद चुनाव के नतीजे कुछ और होते बात साफ भी है के गुजरात और मध्यप्रदेश जहाँ अहमद पटेल और दिग्विजय सिंह जेसे लोग हो वहन कोंग्रेस क्यूँ हारती है इस पर रिसर्च करने की जरूरत है अगर खुद ने जान बुझ कर केवल वन में शो के लियें कोंग्रेस को हराया है तो भी शर्म की बात है और अगर इनकी नाक़लियत की वजह से कोंग्रेस हारी है तो फिर तो बहुत बहुत शर्म की बात है ...अन्ना हजारे साहब का तो क्या कहना वोह तो पहले से ही गुजरात के मोदी के आगे नतमस्तक थे केजरीवाल को तो सभी जानते है वोह सियासी हो गये है इसलियें उन्होने गुजरात की तरफ तो नज़र ही नहीं उठाई ...खेर वजह कुछ भी रही हो कहावत है के जो जीता वोह सिकन्दर वोह भी लोकतांत्रिक तरीके से तो फिर मोदी तो सिकन्दर साबित हुए और उन्होंने साबित किया है के वोह गुजरात की जनता के लियें सिकन्दर थे सिकन्दर है और सिकन्दर रहेंगे ...दूसरी बात मोदी ने केशुभाई पटेल के साथ जो दोस्ताना व्यवहार दिखाया है इसे उनका कद और ऊँचा बढ़ा है अगर वोह सियासी उड़ान की जगह थोड़ी सी और मानवीयता स्वीकार कर लें तो शायद कोई नहीं तुमसा नारा बुलंद होने लगे ..लेकिन तब तक जब तक अहमद पटेल गुजरात में है वोह गुजरात से हटे तो समझो कोंग्रेसी गुजरात में डटे .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

'मोदी की जीत से नहीं, ये नजारा देख चौंके राजनीतिक पंडित'



अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव 2012 में भारतीय जनता पार्टी की विशाल जीत के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले अपनी मां हीरा बा का आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे सीधे गुजरात परिवर्तन पार्टी के प्रमुख केशुभाई पटेल से मिलने जा पहुंचे।

इस नजारे ने राजनीतिक पंडितों को काफी चौंकाया, क्योंकि ऐसा होने की कल्पना किसी ने सपने में भी नहीं की थी। चुनाव के पहले जहां दोनों एक-दूसरे को पछाडऩे में दिन-रात एक किए हुए थे, वहीं वे अब एक-दूसरे का मुंह मीठा कर रहे हैं।

पैर के अंगूठे में स्याही, मुंह से डाला वोट


 

इंदौर। पैर के अंगूठे में स्याही, मुंह से डाला वोट- धार कृषि उपज मंडी चुनाव में वोट डालने पहुंचे बाबूलाल के दोनों हाथ नहीं थे। दामाद के सहयोग से उन्होंने मुहर लगाई, मुंह में दबाकर पर्ची लाए और वोट डाला।
 
कृषि उपज मंडी समितियों के चुनाव में मिले रुझानों में मालवा-निमाड़ में भाजपा समर्थितों ने बढ़त बनाई है जबकि कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार बुरी तरह पिछड़ गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्य0ष कांतिलाल भूरिया के गृह व संसदीय 0षेत्र झाबुआ, थांदला, पेटलावद में भी भाजपा समर्थित प्रत्याशी जीत की ओर है। गुरुवार शाम मतदान के बाद गिनती शुरू हुई। कुछ देर बाद रुझान आने लगे। विजयी प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणा आज होगी। भोपाल, होशंगाबाद, सागर, ग्वालियर संभाग की मंडियों में भी भाजपा समर्थित आगे हैं। गुरुवार को प्रदेश की 251 मंडियों के 3012 वार्ड में से 2691 वार्ड के लिए चुनाव हुए।312 उम्मीदवार निर्विरोध चुने जा चुके हैं। इंदौर जिले के देपालपुर के एकतासा, करकी, देवराखेड़ी व अहिरवास गांव के मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया। 
 
मुरैना में फायरिंग, पथराव कले0टर-एसपी को खदेड़ा
 
मुरैना-भिंड में मतदान के दौरान दो दर्जन पोलिंग बूथ पर फायरिंग व पथराव किया गया। 14 से अधिक लोग घायल हुए हैं। उपद्रवियों ने एसपी कले0टर को भी खदेड़ दिया। पुलिसकर्मियों को जान बचाकर भागना पड़ा। मुरैना में कैंथरी मतदान केंद्र पर कुछ प्रत्याशियों के समर्थकों ने कले0टर डीडी अग्रवाल, एसपी जयदेवन ए. व पुलिसकर्मियों को घेरकर फायरिंग व पथराव किया। कले0टर की गाड़ी का कांच फूट गया। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ। कले0टर ने कैंथरी का चुनाव निरस्त कर दिया है।

इस साल सबसे अधिक होश उड़ाने वाली खबर रही : पत्नी के 'प्राइवेट पार्ट' पर पति लगाता था ताला



इस साल सबसे अधिक होश उड़ाने वाली खबर रही : पत्नी के 'प्राइवेट पार्ट' पर पति लगाता था ताला
इंदौर। इस साल यूं तो होश उड़ाने वाली कई खबरें सामने आईं, लेकिन मध्यप्रदेश के इंदौर में घटी एक खौफनाक घटना ने लोगों को सबसे अधिक हैरत में डाल दिया। शंकालु पति ने अमानवीयता की सारी हदें पार करते हुए पत्नी के गुप्तांग पर ताला लगा दिया। इसका खुलासा सोमवार को तब हुआ जब महिला ने तंग आकर जहर खा लिया। अस्पताल में डॉक्टरों ने जांच की तो उनके होश उड़ गए और तत्काल पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी पति को हिरासत में ले लिया है।

कुरान का संदेश


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