फरीदाबाद. पौराणिक कथाओं के अनुसार सावित्री यमराज के हाथों
से अपने पति के प्राण छीन लाई थीं। वहीं आज 21वीं सदी में भी ऐसी महिलाएं
हैं जो अपने सुहाग के लिए कोई भी कुर्बानी देने का साहस रखती हैं।
ऐसी दो महिलाओं ने अपने पति की जान बचाने के लिए मिसाल कायम की
है।फरीदाबाद के एक निजी अस्पताल में आए दो अलग-अलग मामलों में महिलाओं ने
अपने पति को जीवन देने के लिए एक-दूसरे के पति को किडनी डोनेट की। इससे आज
दोनों महिलाओं के पति मौत को मात देकर स्वस्थ जिंदगी जी रहे हैं।
किडनी फेल, नहीं गंवाया हौंसला : केस-1: पहला मामला लखनऊ का
है। लखनऊ के रहने वाले अंजनी कुमार तिवारी को कैंसर था। उनका इलाज पूरा हुआ
तो इसके बाद दोनों किडनी फेल हो गईं। अंजनी कुमार का नियमित डायलिसिस चल
रहा था।
पीजीआई में जांच कराने पर उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में कहा
गया। अंजनी के परिवार में उनका ब्लड ग्रुप किसी से मैच नहीं कर रहा था।
उनकी पत्नी रीता तिवारी अपने पति को किडनी डोनेट करना चाहती थीं, लेकिन उन
दोनों का ब्लड ग्रुप आपस में मैच नहीं हुआ।
केस-2 : दूसरा मामला फैजाबाद के रहने वाले अनिल कुमार सिंह का
है। शुगर व ब्लड प्रेशर की वजह से अनिल की दोनों किडनियां फेल हो गईं।
ट्रांसप्लांट की बात आई तो अनिल कुमार का ब्लड ग्रुप घर में किसी से मैच
नहीं हुआ। पत्नी सरिता सिंह पति को अपनी किडनी देना चाहती थीं, लेकिन
किस्मत उनके साथ न थी। ब्लड ग्रुप मैच नहीं हुआ।
नहीं डिगा साहस, डटी रहीं अड़कर : डायलिसिस के दौरान यहां रीता
व सरिता की मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों ने अपने पति की जिंदगी को बचाने
के लिए एक अनोखा फैसला लिया। दोनों ने एक-दूसरे के पति को किडनी देने का
निश्चय किया।
डॉक्टर से सलाह लेने के बाद दोनों पेशेंट को फरीदाबाद के एस्कॉर्ट्स
फोर्टिस अस्पताल में लाया गया। यहां डॉक्टर ने पेशेंट की जांच की। दोनों
मामलों में पति-पत्नी का ब्लड ग्रुप आपस में मैच नहीं करता था। क्रॉस
चेकिंग में पता चला कि रीता का ब्लड ग्रुप सरिता के पति के ग्रुप से मैच
करता है। इसी तरह सरिता का ब्लड ग्रुप रीता के पति अंजनी के ग्रुप से मैच
करता था।