बीकानेर.राज्य के करीब आठ हजार ऐसे निजी स्कूल हैं, जहां इस
सत्र में कोई भी गरीब बालक निशुल्क प्रवेश लेने नहीं आया। जिला शिक्षा
अधिकारियों की इस रिपोर्ट ने शिक्षा प्रशासन को हैरत में डाल दिया है। इसे
देखते हुए विभाग ने ऐसे स्कूलों की सूचनाएं वेबसाइट पर डालकर प्रतिक्रिया
लेने की तैयारी की है।
शिक्षा विभाग की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सोमवार को हुई, जिसमें आरटीई की
समीक्षा की गई। जयपुर में मौजूद प्रमुख शासन सचिव, स्कूल एवं संस्कृत
शिक्षा वीनू गुप्ता के समक्ष निजी स्कूलों में गरीब बालकों के प्रवेश की
सत्यापन रिपोर्ट पेश की गई, लेकिन जयपुर, सीकर, उदयपुर, झुंझुनूं सहित कुछ
जिलों के करीब 8 हजार स्कूलों की रिपोर्ट शून्य थी। इनमें प्रदेश के नामचीन
स्कूल भी शामिल हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि स्कूल संचालकों
का कहना है कि उनके यहां कोई गरीब बालक प्रवेश के लिए नहीं पहुंचा।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के वीसी कक्ष में मौजूद शिक्षा निदेशक डॉ.
रवि कुमार सुरपुर और माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. वीना प्रधान सहित अन्य
शिक्षाधिकारियों को भी हैरत हुई। अधिकारियों ने विचार-विमर्श के बाद ऐसे
स्कूलों की सूचनाएं विभाग की वेबसाइट पर डालने का निर्णय लिया है। यदि कोई
अभिभावक अपने बच्चों को प्रवेश दिलवाने के लिए ऐसे किसी स्कूल में गया था
और उसे प्रवेश नहीं मिला तो वह विभाग को लिखित में इसकी जानकारी दे सकेगा।
ऐसे अभिभावकों से वेबसाइट पर भी शिकायत लेने की व्यवस्था की जाएगी।
इससे शून्य रिपोर्ट देने वाली निजी स्कूलों की पोल खुल सकेगी। इसके
साथ ही यदि किसी जिला शिक्षाधिकारी ने गलत रिपोर्ट दी है तो उसका सच भी
सामने आ जाएगा।
स्कूलों का खुद का भवन होगा
राज्य में किराये के भवनों में चलने वाले सरकारी स्कूलों का खुद का
भवन होगा। प्रमुख सचिव ने सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा
अभियान की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए भवन रहित स्कूलों के लिए भूमि
आवंटन करवाने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन गांव के संग अभियान के दौरान
जिला शिक्षा अधिकारी अपने जिले के कलेक्टर और तहसीलदार से मिलकर भूमि
आवंटित करवाने की कार्रवाई करेंगे।
'निजी स्कूलों की सत्यापन रिपोर्ट सौ प्रतिशत नहीं है। प्रदेश में
करीब आठ हजार ऐसे स्कूल हैं, जिन्होंने शून्य रिपोर्ट दी है। इस पर संदेह
है। इसलिए वेबसाइट पर इन स्कूलों की सूचनाएं जारी की जाएंगी और लोगों की
प्रतिक्रिया ली जाएगी। ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके।'
-डॉ. रवि कुमार सुरपुर, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक