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31 दिसंबर 2012

सूरज तुम एक हो

सूरज तुम एक हो
चाँद तुम एक हो
आसमान तुम एक हो
जमीन तुम एक हो
तुम्हारी तरह ही
मेरा वोह सनम
जो मुझे अकेला
सिर्फ अकेला छोड़ कर चला गया
हां
वोह भी सिर्फ एक है सिर्फ एक है अनोखा है अनोखा है ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

उन्होंने जब मुझ से कहा

उन्होंने जब मुझ से कहा
अज हमारी आखरी मुलाक़ात है
उन्होंने जब मुझ से कहा
आज के बाद
फिर कभी मुझ से तुम
मिलने की कोशिश ना करना
में उनसे उनकी चाहत पूरी करने का वायदा कर
जब जाने लगा
वोह देखते रहे मेरी आँखों
कहीं मेरी आँखों में आंसू तो नहीं
वोह झांकते रहे मेरी आँखों में
कहीं मेरी आँखे डबडबा तो नहीं गयीं
लेकिन देख लो
खुद का शुक्र है
दिल पर मेरे पत्थर था
अन्दर एक तूफ़ान था
लेकिन चेहरे पर मेरे हिम्मत ..खुलूस
मेरे महबूब की चाहत पूरी करने का होसला था
में अकेला तो था अकेला तो हूँ अकेला भी रहूँगा
लेकिन फिर भी
यह होसला
यह वायदा
मेरी जिंदगी बनकर
हमेशा हमेशा मेरे साथ मेरे आसपास रहेगा .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नव वर्ष नये साल के अवसर




नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग अलग स्थानों पर अलग अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है । विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न भिन्न होते हैं और इसके महत्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है ।
अनुक्रम

    1 पश्चिमी नव वर्ष
    2 हिब्रू नव वर्ष
    3 हिन्दु नय साल्
    4 भारतीय नव वर्ष
    5 इस्लामी नव वर्ष
    6 इन्हें भी देखें
    7 वाह्य सूत्र
    8 संदर्भ

पश्चिमी नव वर्ष

नव वर्ष उत्सव ४००० वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था । लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार २१ मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी । प्राचीन रोम में भी नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी। रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व ४५वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार १ जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व ४६ इस्वी को ४४५ दिनों का करना पड़ा था

 ।[1]

हिब्रू नव वर्ष

हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे । इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है । यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक ५ सितम्बर से ५ अक्टूबर के बीच आता है ।
हिन्दु नय साल्

हिन्दुयो का नय साल च्हैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन यनि गुदी प

हर साल चीनी कैलेंडर के अनुसार प्रथम मास का प्रथम चन्द्र दिवस नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है । यह प्रायः २१ जनवरी से २१ फरवरी के बीच पड़ता है ।
भारतीय नव वर्ष

भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है । प्रायः ये तिथि मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है । पंजाब में नया साल बैशाखी नाम से १३ अप्रैल को मनाई जाती है। सिख नानकशाही कैलंडर के अनुसार १४ मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है। इसी तिथि के आसपास बंगाली तथा तमिळ नव वर्ष भी आता है। तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्रप्रदेश में इसे उगादी (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। तमिल नया साल विशु १३ या १४ अप्रैल को तमिलनाडु और केरल में मनाया जाता है। तमिलनाडु में पोंगल १५ जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है। कश्मीरी कैलेंडर नवरेह १९ मार्च को होता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं, सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए साल के रूप में मनाया जाता है। मारवाड़ी नया साल दीपावली के दिन होता है। गुजराती नया साल दीपावली के दूसरे दिन होता है जो अक्टूबर या नवंबर में आती है। बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी १४ या १५ अप्रैल को आता है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नया साल होता है।[2]
इस्लामी नव वर्ष

इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। इस्लामी कैलेंडर एक पूर्णतया चन्द्र आधारित कैलेंडर है जिसके कारण इसके बारह मासों का चक्र ३३ वर्षों में सौर कैलेंडर को एक बार घूम लेता है । इसके कारण नव वर्ष प्रचलित ग्रेगरी कैलेंडर में अलग अलग महीनों में पड़ता है ।[3]

ये है एक आयुर्वेदिक नुस्खा जो इन सारी बीमारियों को जड़ से मिटा देगा


त्रिफला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधि है जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रिफला के सेवन से बहुत फायदे हैं। स्वस्थ रहने के लिए त्रिफला चूर्ण महत्वपूर्ण है। त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है।
विधि- सूखा देसी आंवला, बड़ी हर्रे व बहेड़ा लेकर गुठली निकाल दें। तीनों समान मात्रा में मिलाकर पीस लें।कपड़े से छानकर रखें।
- इसके नियमित सेवन से कमजोरी दूर होती है।
- त्रिफला के नियमित सेवन से लंबे समय तक रोगों से दूर रहा जा सकता है।
- त्रिफला और इसका चूर्ण तीनों दोषों यानी वात,पित्त व कफ को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- बालों के खराब होने और समय से पूर्व सफेद होने से भी त्रिफला के सेवन से बचा जा सकता है।
- गाय  व शहद के मिश्रण में (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदानस्वरूप है। संयम के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से आंखों के सारे रोग दूर हो जाते हैं। बुढ़ापे तक चश्मा नहीं लगेगा।
-त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।
- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
- रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्जियत नहीं रहती।
- सुबह के समय तरोताजा होकर खाली पेट ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें और इसके बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें।इसे लेने से पेट से जुड़ी सारी बीमारियां मिट जाएंगी।

दबंगों के कारण गांव में नहीं घुस पा रहीं सरपंच



 

गंगापुर सिटी/ बामनवास (सवाईमाधोपुर). बामनवास उपखंड की चांदनहोली पंचायत की निर्वाचित सरपंच अपनी ही पंचायत में नहीं घुस पा रही हंै, घर बार और खेती बाड़ी छोड़कर दो महीने से वे अपने पीहर में रह रही हंै। एक दो बार सरपंच और उनके पुत्रों ने गांव में घुसने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें जान के लाले पड़ गए। इन लोगों ने सरपंच को कुएं में डालने का प्रयास किया और उनके पुत्रों को गाड़ी  से कुचलकर मारने की कोशिश की। सरपंच एसपी से लेकर थानेदार तक हर जगह गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन उसकी सुनवाई कहीं नहीं हुई।

मामला बामनवास उपखंड की चांदनहोली पंचायत का है जहां बेवा करणोदेवी सरपंच हंै। ब्लड कैंसर से करणोदेवी के पति की मौत हो गई। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और ग्रामीणों की सहानुभूति से वे चुनाव भी जीत गईं, लेकिन उनका सरपंच बनना उनके परिवार के ही कुछ लोगों को रास नहीं आया।

करणो ने बताया कि दीपावली से पहले राजेंद्र, मेघराज, जगदीश आदि ने घर आकर उनसे मारपीट की और उन्हें कुएं में डालने का प्रयास किया। 17 नवंबर को सरपंच के पुत्र राहुल, विजेंद्र व रविप्रकाश चांदनहोली गए तो आरोपियों ने एक बार फिर उन्हें जीप से कुचलने का प्रयास किया और मारपीट की।

तीनों जान बचाकर भागे तो उन्होंने तीन-चार किमी तक पीछा किया। इतना ही नहीं तीनों पुत्रों का डॉक्टरी मुआयना भी तब हुआ जब पुलिस अपने सरंक्षण में उन्हें लेकर बामनवास अस्पताल गई। 17 नवंबर को बामनवास थाने पर रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सरपंच एसपी तक से गुहार लगा चुकी हंै, लेकिन पुलिस अभी डेढ़ महीने से जांच ही कर रही है। सरपंच के गांव में नहीं रहने के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

'मामले को लेकर सरपंच मुझसे मिली थीं। मुझे नहीं लगता कि सरपंच को गांव में घुसने से कोई रोक रहा है। परिवार और गांव के लोगों को सरपंची के काम में उनके पीहर के लोगों का हस्तक्षेप पसंद नहीं है, इसीलिए यह विवाद खड़ा हुआ है।' 

-परमज्योति, पुलिस अधीक्षक, सवाई माधोपुर

इनका कहना है-
दबंगों के खौफ के आगे मैं बेबस हूं और अभी बिछोछ में रह रही हूं। पुलिस भी कोई मदद नहीं कर रही है। मुझे अंदेशा है कि ये लोग मेरे सरपंच पद का भी दुरुपयोग कर रहे हैं।
करणो देवी, सरपंच, ग्राम पंचायत चांदनहोली, बामनवास।
सरपंच कहीं भी रहें यह उनका मसला है लेकिन यह सही है कि पंचायत में दो महीने से विकास के काम बंद पड़े हैं।
तेजराम मीणा, सचिव, ग्राम पंचायत, चांदनहोली, बामनवास।
सरपंच मेरी मां के समान है, हमारी तरफ से उनके गांव में आने जाने पर कोई रोक नहीं है। पहले मैं ही उनकी तरफ से सरपंची करता था लेकिन उन्हें यह पसंद नहीं आया तो मैंने खुद को इससे अलग कर लिया। मैं तो उनकी खेती की भी देखभाल कर रहा हूं, उनके ऐसे आरोपों से मुझे दुख हुआ है।
मेघराज मीणा, सरपंच करणो देवी का रिश्तेदार और मारपीट के मामले में आरोपी।
ऐसा कोई प्रकरण मेरी जानकारी में नहीं आया है, वैसे भी कोई किसी को गांव में नहीं घुसने दे तो यह पुलिस का मामला है, मैं जानकारी करवाता हूं। वैसे ऐसी कई पंचायतें हैं जहां विकास कार्य बंद हैं।
गिरिराज कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, सवाई माधोपुर।
मामले को लेकर सरपंच मुझसे मिली थी लेकिन यह उनका कोई पारिवारिक विवाद है। मुझे नहीं लगता कि सरपंच को गांव में घुसने से कोई रोक रहा है। परिवार और गांव के लोगों को सरपंची के काम में उसके पीहर के लोगों का हस्तक्षेप पसंद नहीं है, इसीलिए यह विवाद खड़ा हुआ है।
परमज्योति, पुलिस अधीक्षक, सवाई माधोपुर।

अपनी पीड़ा लिए सीएम हाउस के बाहर धरने पर बैठी दुष्कर्म पीडि़ता




बीकानेर की एक दुष्कर्म पीडि़ता अपनी पीड़ा लेकर सोमवार को फिर मुख्यमंत्री निवासी पर पहुंची, लेकिन कामयाब नहीं हुई। इसके बाद वह सीएम हाउस के सामने ही धरने पर बैठ गई।

पीडि़ता ने बताया कि वर्ष 2011 में उसके हाथ में चोट आई थी। इसकी मरहम-पट्टी करने आने वाले मेडिकल कर्मचारी व उसके साथी ने पिस्तौल तानकर उससे दुष्कर्म किया। वह इसी साल अप्रैल में भी अपनी शिकायत लेकर सीएम हाउस पहुंची थी, लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं होने के बाद उसने बाहर आकर जहर खा लिया था।

तब जयपुर के एसएमएस अस्पताल में उसका उपचार किया गया था और न्याय दिलाने का आश्वासन देकर बीकानेर भेज दिया गया था। पीडि़ता ने बताया कि उसे अब तक न्याय नहीं मिला। इस कारण वह फिर सीएम हाउस आई है। उसका आरोप है कि जनसुनवाई के दौरान उसने मुख्यमंत्री तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन अफसरों ने उसे दरवाजे पर ही रोक दिया। 

ठंड में तंदुरुस्त रहने के लिए जरूर करें ये एक काम


 
 
जाता है कि चना अनेक रोगों का इलाज करने में सहायक होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन व विटामिन्स पाए जाते हैं।खून की कमी और डायबिटीज , कब्ज  और पीलिया जैसे रोगों में चने का प्रयोग लाभकारी होता है। चने के गुणों को ध्यान में रखते हुए ही हम आज आपको बताने जा रहे हैं चने का एक अनोखा प्रयोग जो ठंड में दुबले से दुबले व्यक्ति की भी हेल्थ बना देगा और बीमारियों की छुट्टी कर देगा।
एक किलो देशी चने शाम को दूध में डालकर गलाने के लिए रख दें। दूसरे दिन इन्हें खूब महीन छिलका सहित पीस कर पीठी बना लें। छोटे-छोटे बड़े बना कर शुद्ध घी में बड़े की तरह तल लें और ठंडा कर मसल लें। इस मसल ने के बाद इसे घी में सेंक लें, पीस लें। जब अच्छा सिक कर लाल हो जाए, तब उतार लें और इसमें ककड़ी के बीज, चिरौंजी, किशमिश व कतरा हुआ अखरोट डाल कर बराबर शकर की चाशनी बना कर पाक बना लें या 25 -25  ग्राम के लड्डू बना लें। सुबह नाश्ते में एक लड्डू खाकर दूध पीएं। यह बहुत पुष्टि और स्फूर्ति देने वाला योग है। जिसे बच्चे, जवान और वृद्ध किसी भी आयु वाले स्त्री पुरुष सेवन कर सकते हैं। दुबले शरीर वालों को इन लड्डूओं का सेवन करना चाहिए।

कुरान का सन्देश

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