दोस्तों कल काल्पनिक नाम कथित दामिनी के साथ हुई ज्यादती के मामले में उसके मित्र ने जो खोफ्नाक कहानी बताई है उसने मानवीय संवेदनाओं की पोल खोल कर रख दी है ...दिल्ली पुलिस ...डोक्टर ..सरकार और आते जाते अमानवीय लोगों की ऐसी घटनाओं के प्रति उपेक्षा ने सभी को झकझोर दिया है लेकिन दिल्ली पुलिस इस पोल खुलने से जी टी वी से नाराज़ होकर उसे फसाने के प्रयासों में जुट गयी है .....शर्मसार कर देने वाली इस घटना के बारे में जब पीडिता के मित्र ने वहशी दरिंदों की कारगुजारियां बतायीं तो रोंगटे खड़े हो गए लेकिन उससे भी ज्यादा शर्म तब आने लगी जब उसने बताया के वोह कपड़ों के लियें तरसते रहे और पुलिस से लेकर अस्पताल तक उन्हें कपड़े नहीं दिए गए इतना ही नहीं कई घंटे तड़पने के बाद उन्हें इलाज मुहय्या हो सका ...पुलिस कई घंटे मामला किस थाने का है इस विवाद में उलझ गयी और पीड़ित तड़पते रहे आते जाते लोगों ने देखा लेकिन किसी ने मदद की कोशिश नहीं की और यही आम आदमी जिसे पीड़ित की तुरंत मदद करना थी अपनी ज़िम्मेदारी से बचता रहा और दुसरे दिन प्रदर्शन के नाम पर भीड़ में नारे लगाता रहा ..यही पुलिस जो मुकदमा उनके इलाके का नहीं कहकर दो घटने तक उलझती रही व्ही पुलिस अब पोल खुलने पर इस सच को पहचान बताना कहकर जी टी वी पर मुकदमा चलाना चाहती है ....डॉक्टरों के बारे में अस्पताल के व्यवहार के बारे में जो कुछ भी बताया गया है उसे भी स्पष्ट है के महिला की मोत इलाज में देरी से हुई है वरना उसे बचाया जा सकता था खेर खुद को जो मंजूर था वोह हुआ लेकिन इस घटना से हमे सीख तो लेना होगी सरकारों को नेताओं को अख़बारों को पुलिस को बताना होगा के क्षेत्राधिकार का मामला बाद में तय होता रहेगा पहले पीड़ित को अस्पताल चिकित्सा तो उपलब्ध कराओ हमे आम जनता को यह बताना होगा के घटना पर बढ़ी प्रतिक्रिया करना अलग बात है लेकिन अपनी ज़िम्मेदारी भी समझे जब किसी पीड़ित को सड़क पर तड़पता देखे तो तुरंत पुलिस को सुचना दे और उसे बिना किसी खोफ के चिकित्सालय इलाज के लियें पहुंचाए हमे पुलिस को भी हिदायत देना होगी के आम आदमी जो इंसानियत दिखाता है उसे गवाह और पूंछ तांछ के नाम पर परेशांन न किया जाए ..अदालतों को समझाना होगा के गवाह जब अदालत में ब्यान देने जाए तो प्राथमिकता के आधार पर जल्दी उसके बयान रिकोर्ड कर उसे फ्री कर दिया जाए ..अगर कोई गवाह अदालत के बुलावे पर एक बार न जा सके तो उसे गिरफ्तारी वारंट से बुलाने की जगह सम्मान से ही बुलाया जाए वरना कोई गवाह नहीं बनना चाहता और इसे अज़ाब समझने लगता है क्या इस घटना से हम यह सब सीख सकेंगे शायद हाँ ..शायद ना ....या फिर केवल भीड़ की तरह से घटना पर तात्कालिक प्रतिक्रिया देकर अपने घरों में घुस जायेंगे ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 जनवरी 2013
जैसे ही आता साधु की 'बेटी' का फोन, झट से तैयार हो जाता कुंवारी बेटी का बाप!
नागपुर। बेटी के लिए अच्छे वर की खोज में एक पिता को तीन लोगों
ने 93 लाख की चपत लगा दी। आरोपियों ने उन्हें झांसा दिया कि बेटी की शादी
तय करने में साधु महाराज मदद कर सकते हैं। आरोपियों ने इन्हीं साधु महाराज
की बेटी के नाम पर यह ठगी की।
रकम ऐंठने के लिए आरोपियों ने लगभग 8 मोबाइल फोन का उपयोग किया। इतना
ही नहीं आरोपियों ने एक धर्मगुरु की साख को बट्टा लगाने से भी गुरेज नहीं
किया। घटना की शिकायत पांचपावली थाने में की गई है। पुलिस ने धोखाधड़ी का
मामला दर्ज किया है।
साधु की बेटी बनकर करती थी फोन :
खास बात यह है कि पीडि़त के रिश्तेदार की बेटी ही साधु की बेटी बनकर
फोन किया करती थी। नागपुर के इतिहास में इस तरह की यह पहली घटना मानी जा
रही है।
पुलिस भी इस मामले को लेकर उलझन में है कि आखिर जसमीत सिंह बलदेवसिंह
सबरवाल (58) की कौन सी मजबूरी थी कि साधु की बेटी के नाम पर फोन आते ही कभी
रुपए बंगलुरु तो कभी दिल्ली भेज रहे थे।
हवाई सफर भी किया :
यह रकम समय पर मिल सके इसके लिए हवाई सफर तक सबरवाल और उनके बेटे ने
किया। यहां पुलिस की भूमिका पर भी पीडि़त सबरवाल ने सवाल उठाया है कि तीन
माह पहले शिकायत किए जाने के बाद गुरुवार को पुलिस ने मामला तब दर्ज किया
जब पुलिस आयुक्त के. के पाठक और सहपुलिस आयुक्त संजय सक्सेना ने पुलिस को
आदेश दिया।
पुलिस भी हैरत में :
प्रकरण की जांच कर रहे पांचपावली थाने के पीएसआई विशाल नांदे इस बात
को लेकर हैरत में हैं कि कोई पिता इतनी बड़ी रकम किसी को बिना कोई पूछताछ
के कैसे दे सकता है।
पीडि़त का आरोप है कि यह ठगी उनकी मौसी के बेटे रविंद्रसिंह पुरी की
पत्नी शरणजीत कौर रविंद्रसिंह पुरी ने अपनी बेटी जैसमिन कौर रविंद्रसिंह
पुरी और उसके कथित प्रेमी अर्जुन सिंह हरप्रीतसिंह सिंदुरिया के साथ मिलकर
की है।
इन तीनों ने यह रकम उनके समाज के गुरु के नाम पर उनसे ऐंठी। इस बात का खुलासा तब हुआ जब वे अपने गुरु से मिलने दिल्ली उनके घर गए।
रिश्तेदार ही निकले फरेबी :
मिली जानकारी के अनुसार जसमीत सिंह सबरवाल यशवंत टाकीज कामठी रोड
स्थित लांबा एन्क्लेव में फ्लैट नंबर 502 में पत्नी, बेटी और बेटे अमनदीप
सिंह के साथ रहते हैं। सबरवाल की बेटी समाजशास्त्र में एम.ए. कर चुकी है।
सबरवाल अपनी बेटी के लिए वर की खोज में थे। उसके लिए वर नहीं मिलने पर
वे काफी परेशान थे। इस बात का जिक्र उन्होंने अपने मौसेरे भाई रविंद्रसिंह
पुरी से किया था। रविंद्रसिंह पुरी पहले कड़बी चौक में जसमीतसिंह सबरवाल
के प्लाट नंबर 37 के पास रहते थे।
सबरवाल ने अपना प्लाट राजू बक्षाणी को 40 लाख में बेच कर लांबा
एन्क्लेव में रहने चले गए। रविंद्रसिंह पुरी अपने परिवार के साथ दिल्ली चले
गए।
दिल्ली में रविंद्रसिंह पुरी किसी कंपनी में काम करता है। रविंद्रसिंह
पुरी को नौकरी से फुर्सत नहीं मिलती थी। रविंद्रसिंह पुरी की पत्नी शरणजीत
कौर जसमीतसिंह सबरवाल से बातचीत करती रहती थी।
'भाई' पर चढ़ा हवस का भूत, कमरे में बंद कर दो दिन तक नाबालिग से करता रहा रेप!
प्रतापगढ़.जिले में 10वीं कक्षा की एक नाबालिग विकलांग छात्रा
से ज्यादती का मामला सामने आया है। पीपलखूंट थाना क्षेत्र के खाकरा गांव की
छात्रा से दो युवकों ने दो दिन तक कमरे में बंद कर ज्यादती की। थानाधिकारी
मुकुंद सिंह ने बताया कि आरोपियों में से एक छात्रा का मौसेरा भाई है।
छात्रा युवकों के चंगुल से छूट कर घर लौटी। परिजनों को आप बीती बताई।
आरोपी अभी फरार हैं।पीड़िता के पिता ने जेतलिया निवासी बद्री पुत्र हीरिया
जोगी व चौकी निवासी मोहन जोगी के खिलाफ उनकी 16 वर्षीय विकलांग बेटी से
ज्यादती का मामला दर्ज कराया है। छात्रा 10वीं कक्षा में पढ़ती है। पुलिस
ने दोनों आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
सोनिया गांधी ने किया वायुसेना के विमानों का दुरूप्रयोग !
नई दिल्ली। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सात साल (2006-07 से
सितंबर 2012 तक) में वायुसेना के विमानों व हेलीकॉप्टरों से 49 बार यात्रा
की। बावजूद इसके कि वे इसकी पात्र ही नहीं थीं। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद
की अध्यक्ष सोनिया इस दौरान 23 बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सहयात्री
थीं। आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा को रक्षा मंत्रालय एवं वायुसेना
मुख्यालय ने यह जानकारी दी है।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने तीन साल में आठ बार वायुसेना के
विमानों/हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया। जबकि वायुसेना के नियमों के
मुताबिक, सोनिया और राहुल दोनों को अपने नाम से वायुसेना के विमान या
हेलीकॉप्टर आरक्षित कर यात्रा करने की पात्रता नहीं है। यानी वे इसकी
पात्रता रखने वालों के साथ ही यात्रा कर सकते हैं।
यूपीए अध्यक्ष सोनिया और राहुल की एक-एक यात्रा का पैसा भी बकाया है।
वायुसेना के कर्नाटक सरकार पर सोनिया की यात्रा के 1.17 करोड़ रुपए बाकी
हैं। इसी तरह कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की यात्रा के असम सरकार पर 8.26
लाख रुपए बकाया हैं। दोनों राज्य सरकारों ने इन नेताओं की यात्राओं के लिए
वायुसेना के विमान बुक कराए थे।
संसद में 7 मई 2012 को रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बयान में कहा था कि
प्रधानमंत्री, उपप्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री सरकारी कामकाज
के लिए वायुसेना के विमानों का उपयोग करने के पात्र हैं। गैर सरकारी
कार्यों के लिए केवल प्रधानमंत्री इनका उपयोग कर सकते हैं।
दिल्ली गैंगरेप: पीड़िता के दोस्त और डॉक्टर ने पहली बार मीडिया के सामने खोली जुबान
नई दिल्ली. दिल्ली गैंगरेप पीड़ित छात्रा का दोस्त पहली बार
सामने आया। शुक्रवार को इस एकमात्र चश्मदीद ने समाचार चैनल जी न्यूज़ के
जरिए सिलसिलेवार बताया कि 16 दिसंबर की रात क्या हुआ था। उसी की जुबानी इस
कहानी में हमने यह ध्यान रखा है कि पीड़िता की पहचान जाहिर न हो और पीड़ित
पक्ष और अदालत में चल रहे मुकदमे पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। हम इसे
गंभीरता के साथ इसलिए दे रहे हैं क्योंकि देश के लिए यह जानना जरूरी है कि
किन लोगों की लापरवाही के चलते पीड़िता को समय पर मदद नहीं मिली।
‘बस में सवार छह लोगों ने हमें बेरहमी से मारा। बस के शीशों पर काली
फिल्म चढ़ी थी और पर्दे लगे थे। लाइटें भी बंद थीं। हम एक-दूसरे को बचाने
की कोशिश कर रहे थे। शोर भी मचाया। मेरे दोस्त ने पुलिस को फोन करने का
प्रयास भी किया। लेकिन गुंडों ने उनका मोबाइल छीन लिया। मेरे सिर पर रॉड
मारी गई। फिर मैं बेहोश हो गया। होश आया तो देखा-वे बस को यहां से वहां
दौड़ा रहे हैं। कोई दो-ढाई घंटे तक ऐसा चलता रहा। उसके बाद महिपालपुर
फ्लाईओवर के नीचे हम दोनों को फेंक दिया। वे मेरी दोस्त को कुचलना भी चाहते
थे।
लेकिन किसी तरह मैंने उन्हें खींचकर बस के नीचे आने से बचाया। हमारे
पास कपड़े नहीं थे। शरीर से खून बह रहा था। हम इंतजार करते रहे कि कोई तो
मदद करेगा। कई गाड़ियां पास से गुजरीं, मैंने हाथ हिलाकर रुकने को कहा..
ऑटो, कार वाले स्पीड स्लो करते लेकिन रुका कोई नहीं। मैं चिल्लाता रहा कि
कोई कपड़े तो दे दो। लेकिन किसी ने कपड़े नहीं दिए। 20-25 मिनट तक हम मदद
के लिए लोगों को पुकारते रहे। 15-20 लोग वहां खड़े थे। कोई कह रहा था कि
लूट का मामला होगा। डेढ़-दो घंटे हम वहीं पड़े रहे।
वे चाहते तो पीसीआर, एम्बुलेंस का इंतजार करने के बजाय हमें अस्पताल
ले जा सकते थे। फिर किसी ने फोन किया। तीन पीसीआर वैन आईं। लेकिन पुलिस
वाले आपस में ही उलझे रहे। कोई आधा घंटे तक वे बहस करते रहे कि ये किस थाने
का केस है? इसके बाद उन्होंने हमें सफदरगंज अस्पताल पहुंचाया। महिपालपुर
से पास के अस्पताल नहीं ले गए। पहले एम्स ले जाने वाले थे। इसमें ढाई घंटे
लग गए। वहां भी किसी ने मदद नहीं की। किसी ने कंबल तक नहीं दिया। सफाईवाले
से मदद मांगी। कहा पर्दा ही दे दो। ठंड लग रही है। लेकिन किसी ने नहीं
दिया।
मेरे हाथ-पैर से खून बह रहा था। मैं हाथ भी नहीं उठा पा रहा था। पैर
में फ्रेक्चर था। लेकिन घटना की रात से अगले तीन-चार दिन थाने में ही रहा।
मैंने भी पहले सोचा कि मामले को छिपाया जाए। मैंने सबसे कहा एक्सीडेंट हुआ
है। घटना वाली रात को ही मैं पुलिस थाने आ गया था। वहां से मैंने दोस्तों
को फोन लगाकर एक्सीडेंट की ही जानकारी दी। यह केस बहुत बड़ा हो गया था। इस
वजह से शिकायत दर्ज हो पाई। एसडीएम के सामने बयान होना था। सभी ने कहा कि
मैं मौजूद रहूंगा तो दोस्त कान्फिडेंट रहेगी।
मैं हॉस्पिटल पहुंचा। वह वेंटीलेटर पर थी। ऑक्सीजन मास्क लगा था।
बोलने के लिए मास्क हटाना पड़ता था। फिर भी उन्होंने बयान दर्ज कराया।
तीन-चार पन्ने के स्टेटमेंट पर सिग्नेचर भी किए। उस दौरान बहुत सी ऐसी
बातें भी सामने आईं जो मुझे भी पता नहीं थी। इतनी क्रूरता तो जानवर भी नहीं
कर सकता। वह भी शिकार को गला दबाकर मार डालता है। यहां तो जिंदा इंसान के
साथ ऐसा किया कि मैं घटना के बारे में कह भी नहीं सकता। अगले दिन पता चला
कि एसडीएम ने पुलिस पर दबाव डालने का बयान दिया है। जबकि वह सही स्टेटमेंट
था। मेरी दोस्त की कोशिश बेकार गई।
मेडिसिन देने का समय हो गया था, लेकिन वह डॉक्टरों के टोकने के बावजूद
बयान देती रही थीं। मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। मैं सो भी नहीं पा
रहा था। जिनके साथ आप रहते हैं, आपकी दोस्त हैं, तो उसकी तस्वीर आपके सामने
आती है। आप अपने आपको ब्लेम करते हो। आप गए ही क्यों? वही बस क्यों ली? ये
क्यों नहीं किया? दो हफ्ते तक तो मैं बात भी नहीं कर पा रहा था। कोई कुछ
पूछता भी था तो इरिटेशन होता था। लोग पूछते हैं कि आपने जान बचाने की सोची
क्या? मैंने जवाब दिया-नहीं। ऐसा तो जानवर भी नहीं सोचता होगा। आपका दोस्त
मुश्किल हालात में है तो उसे छोड़कर भागने की सोची ही नहीं जा सकती। ऐसा
करता तो आज मैं पागल हो जाता। मैं जी भी नहीं पाता। होश रहने तक कोशिश की।
कम से कम मुझे इस बात का खेद नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं की। लेकिन सोचता
हूं कि काश मैं बचा पाता।
गए थे मजदूर बनकर, अब आ रहे हैं राष्ट्रपति बनकर
पटना। पनिया के जहाज से मॉरीशस जाने वाले गिरमिटिया मजदूर के
खानदान का एक आदमी वहां का राष्ट्रपति बन गया और उसी वंश के जो लोग यहां रह
गये वे मजदूर के मजदूर हैं।
यह कहानी है पटना के पुनपुर ब्लॉक के बाजिदपुर गांव की। पटना से कोई 20-22 किलोमीटर दूर। पटना-पुनपुन सड़क पर डुमरी हॉल्ट से जाने वाली सड़क दूर से ही आभास दिला देती है कि यहां कुछ खास होने वाला है। छह जनवरी को मॉरीशस के राष्ट्रपति राजकेश्वर पुरुयाग अपने पुरखों के गांव पधार रहे हैं।
पटना से बाजिदपुर गांव तक जाने वाले रास्ते पर रंग-रोगन हो रहा है। डुमरी हॉल्ट से बाजिदपुर की करीब छह किलोमीटर लंबी सड़क पर रात-दिन काम चल रहा है। हॉट मिक्स प्लांट की कई मशीनें लगी हुई हैं। सड़क चकचक हो गयी है। जेसीबी मशीन से मिट्टी काट सड़क की चौड़ाई बढ़ायी जा रही है। सैकड़ों मजदूर लगे हुए हैं। अधिकारियों की चैन जैसे छिन गयी है। गाड़ियां सरसराकर बाजिदपुर की ओर भाग रही हैं।
यह कहानी है पटना के पुनपुर ब्लॉक के बाजिदपुर गांव की। पटना से कोई 20-22 किलोमीटर दूर। पटना-पुनपुन सड़क पर डुमरी हॉल्ट से जाने वाली सड़क दूर से ही आभास दिला देती है कि यहां कुछ खास होने वाला है। छह जनवरी को मॉरीशस के राष्ट्रपति राजकेश्वर पुरुयाग अपने पुरखों के गांव पधार रहे हैं।
पटना से बाजिदपुर गांव तक जाने वाले रास्ते पर रंग-रोगन हो रहा है। डुमरी हॉल्ट से बाजिदपुर की करीब छह किलोमीटर लंबी सड़क पर रात-दिन काम चल रहा है। हॉट मिक्स प्लांट की कई मशीनें लगी हुई हैं। सड़क चकचक हो गयी है। जेसीबी मशीन से मिट्टी काट सड़क की चौड़ाई बढ़ायी जा रही है। सैकड़ों मजदूर लगे हुए हैं। अधिकारियों की चैन जैसे छिन गयी है। गाड़ियां सरसराकर बाजिदपुर की ओर भाग रही हैं।
महिलाओं को नंगा करना यौन अपराध नहीं! कानून भी करता है पीडि़ता का 'बलात्कार'
गृह मंत्रालय की नजर में किसी लड़की या महिला का पीछा करना और कपड़े उतारना यौन अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं। मंत्रालय का तर्क है कि इन्हें कोर्ट में परिभाषित करना और साबित करना कठिन होता है। इसलिए सरकार ने नए आपराधिक कानून संशोधन बिल-2012 में पीछा करने, कपड़े उतारने, नंगी परेड कराने और बाल मुंडवाने को यौन अपराध की अलग श्रेणी में नहीं रखने का फैसला किया है।
हालांकि हाल में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिसमें पीछा करने वाले शख्स ने रेप किया और यहां तक कि अपने 'शिकार' का मर्डर भी कर दिया। प्रियदर्शिनी मट्टू का भी आरोपी संतोष सिंह ने लंबे समय तक पीछा किया था और उसका रेप करने के बाद हत्या कर दी थी।
'नाबालिग' आरोपी ने की थी सबसे ज्यादा दरिंदगी, दो बार किया था 'दामिनी' का बलात्कार!
नई दिल्ली. 16 दिसंबर की रात चलती बस में जिस लड़की का गैंगरेप हुआ था, उसके साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी
करने वाला आरोपी खुद को नाबालिग बता रहा है। इसी वजह से गुरुवार को उसके
खिलाफ चार्जशीट भी दायर नहीं की जा सकी। अभी बोन डेंसिटी टेस्ट की रिपोर्ट
आएगी। इससे पता चलेगा कि क्या वह वाकई नाबालिग है। इसके बाद उस पर अलग से
चार्जशीट दायर की जाएगी। लेकिन दिल्ली पुलिस के सूत्रों की मानें तो
'दामिनी' के साथ हुई वारदात में उस 'नाबालिग' ने ही सबसे खौफनाक हरकत की
थी। बताया जाता है कि उसने दो बार बलात्कार किया था और उसकी आंत पर वार भी
किया था। उसे चलती बस से फेंकने की सलाह भी उसी ने दी थी।
दिल्ली गैंगरेप घटना के 18वें दिन पैरामेडिकल छात्रा से दुष्कर्म
मामले में दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को चार्जशीट दाखिल की है। अभी राम सिंह,
मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल
किया गया है। अगली सुनवाई साकेत के फास्ट ट्रैक कोर्ट में पांच जनवरी से
होगी।
चार्जशीट दाखिल करते समय अदालत में कुछेक मौकों पर खासा ड्रामा भी
हुआ। पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट बंद होने से महज पांच मिनट पहले
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सूर्य मलिक ग्रोवर के सामने चार्जशीट दाखिल की।
सुनवाई से पहले अदालत कक्ष को भीतर से बंद देखकर वकीलों ने हंगामा मचाया।
इसके बाद कक्ष खोला गया। मजिस्ट्रेट ने पूछा कि पुलिस इतनी देर से चार्जशीट
क्यों फाइल कर रही है। पुलिस का जवाब था कि बड़ी संख्या में दस्तावेज और
कागजात तैयार करने के कारण देरी हुई। पुलिस ने आरोपियों को भी अदालत में
पेश नहीं किया। सुरक्षा पहलुओं को इसका कारण बताया गया। ड्रामा तब बढ़ गया
जब एक महिला वकील ने आगे आकर आरोपियों की वकालत करने की पेशकश की।
इस पर अभियोजन पक्ष ने आपत्ति की। एक अन्य युवा वकील ने आरोपियों को
कानूनी सहायता मुहैया करवाने को कहा। अदालत वैसे भी आरोपियों को वकील
मुहैया करेगी।
दस्तावेज आम नहीं करने की अर्जी
दिल्ली पुलिस ने फिलहाल 33 पेज की ऑपरेटिव चार्जशीट दाखिल की है।
इसमें नाबालिग आरोपी की भी करतूत गिनाई गई है। कहा गया है कि वही पूरी घटना
का सूत्रधार है। आरोप पत्र बंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा गया है। साथ ही
पुलिस ने दस्तावेज आम नहीं करने और सुनवाई बंद कमरे में करने की अर्जी लगाई
है।
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