दोस्तों राजस्थान में नवाबों की ऐतिहासिक नगरी टोंक रियासत जहां कभी हार नहीं देखी ..जिस रियासत के आगे बढ़े बढ़े सुरमा सर झुकाते थे जहां पिंडारियों का अविजित इतिहास रहा है आज व्ही रियासत राजस्थान का टोंक जिला बनने के बाद सियासी बलात्कार का शिकार है इस टोंक में केवल और केवल सियासत है हालत यह है के यहाँ उद्द्योग और विकास तो है ही नहीं लेकिन नवाबों की इस नगरी को आज तक रेल का सुख भी नहीं मिल सका है ...दोस्तों मेरे अलफ़ाज़ कडवे जुमले भद्दे जरुर है जिसमे में इस टोंक नगरी में सियासी बलात्कार की बात कही है लेकिन इसमें सच्चाई भी है जिस टोंक ने राजस्थान के गठन में अपना सार खजाना लुटा दिया खुद टोंक गरीब हो गया उस टोंक का सियासी तोर पर जो हाल हुआ है जो उपेक्षा हुई है आज़ादी के बाद से उस टोंक की हालत खुद अपनी ज़ुबानी ब्यान करती है ...टोंक आज़ादी के बाद से आगे बढने जगह पिछड़ता गया यहाँ बेरोज़गारी ...गरीबी ..कुटीर उद्द्योगों का खात्मा ...पानी खाद बीज की कमी के कारण खेती का नुकसान बसें नहीं रेल नहीं सडकें नहीं ..इतिहास होने के बाद भी पुरातत्व महत्व नहीं ....सडकें टूटी है ..गलियें गंदी है ..चिकित्सा सुविधा नहीं ..शिक्षा सुविधा नहीं और सियासत सभी पार्टियों की यहाँ पर है कोंग्रेस हो ..भाजपा हो ..जनता पार्टी हो ..बसपा हो ..सपा हो ..मुस्लिम लीग हो निर्दलीय हो सभी टोंक को सियासी चरागाह समझते रहे है यहाँ काफी वक्त तक कोंग्रेस का कब्जा रहा सियासी तोर पर कोई स्वर्ण जाती का चुनाव जीत कर टोंक का विकास न कर दे इसलियें इसे पछाड़ने के लियें यहाँ की सांसद सीट आरक्षित कर दी ..टोंक के बनवारी लाल बेरवा दिग्गज मंत्री और फिर उप मुख्यमंत्री रहे लेकिन सब बेकार टोंक के लियें कुछ भी कर पाने में असमर्थ रहे जनता पार्टी सरकार में गोपाल पचेरवाल जो जनता पार्टी के राष्ट्रिय महा सचीव थे मोरारजी सरकार के वक्त सांसद बने लेकिन टोंक को अंगूठा दिखाया फिर भाजपा के कोंग्रेस के सांसद टोंक को केवल अंगूठा दिखाते रहे कभी अजहरुद्दीन कहते है में टोंक से चुनाव लडूंगा कभी वैभव गहलोत यहाँ से चुनाव लड़ने का सपना देखते है लेकिन टोंक के लियें टोंक के लोगों के लियें टोंक के विकास के लियें कोई सियासी मर्द कुछ नहीं करता ..टोंक ने देखा जब यहाँ के सियासी मर्द जनाने हो गये तो टोंक ने ओरत पर भरोसा किया और जकिया इनाम को मंत्री का ताज पहनाया लेकिन यह कोशिश भी बेनतीजा रही कुल मिला कर टोंक की दुर्दशा के लियें आज तक जो जनता ज़िम्मेदार थी आज तक टोंक की जो जनता सोयला गोली काण्ड के बाद भी बीसलपुर पानी का इन्साफ नहीं हांसिल कर पा रही थी आज वहां की जनता जागरूक हो चुकी है ...सियासी साक्षर हो चुकी है .यहाँ की जनता में सियासी समझ आ गयी है और टोंक के लोग समझ गए है के दिल्ली में जो नमोनारायण मीना स्नासाद बनकर गए है वोह वित्त मंत्री बनकर बेठे है देश का खजाना उनके हाथ में है वोह चाहे तो टोंक में रेल के लियें समूचा बजट स्वीक्रत करवा सकते है यहाँ उद्द्योग लगवा सकते है हस्तशिल्प कला का बजार टोंके में है यहाँ इसके लियें सम्भावनाएं तलाशी जा सकती है टोंक का वोटर जानता है के भाजपा के गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैसला जो ट्रेन रोक कर अपनी मांगे मनवाने की क्षमता रखते है वोह फिर अगर टोंक की जनता के साथ अंगडाई ले तो टोंक में इसी साल रेल आ सकती है ...कितनी अजीब बात है टोंक जिले का एक छोटा सा कब्जा निवाई जो केवल बीस किलोमीटर दूर है वहन ट्रेन है लेकिन टोंक को आज़ादी के बाद से अब तक ट्रेन से सभी सियासी दलों ने वंचित कर रखा है सर्वे हुआ कई बार हुआ दो सो करोड़ से बजट सात सो करोड़ तक जा पहुंचा केंद्र कहता है हम तय्यार है राजस्थान सरकार कहती है हम कोशिश कर रहे है करीब दो दशक इसी उहापोह में निकल गये है लेकिन अब और नहीं बस और नहीं टोंक के लोग मासूम जरूर है लेकिन शासक रहे है इसलियें सरकार के झूंठे वायदों में वोह नहीं आयेंगे ..टोंक ने एक बार फिर पिंडारी स्टाइल अपनाई है जिस तरह से उन्होंने अंग्रेजों को छका दिया था और उनसे राज हांसिल किया था अब टोंक की जनता यहाँ के बिखरे सियासी लोग एक जुट होकर टोंक के विकास के लियें लामबद्ध होने लगे है यहाँ टोंक के विकास के लियें इसी साल रेल से टोंक का जुडाव हो इसके लियें अनादोलन तेज़ हो गया है और अब टोंक के लोग यहाँ के सांसद भारत सरकार के वित्त राज्य मंत्री और राजस्थान के मुख्यमत्री अशोक गहलोत का कालर पकड़ कर टोंक में रेल लाने के लियें आन्दोलन करने की ठान बेठे है ..राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस गम्भीरता को स्म्झ्त्ते है इसलियें उन्होंने भी टोंक रियासत का खोया हुआ इतिहास नवाबी ठाठ बाट लोटाने के लियें रेल मंत्री पवन बंसल से बात की है और केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा ने भी अपनी कोशिशें तेज़ कर दी है लेकिन इतिहास मे जहां लडाके होते है वहीँ जय चंद गद्दार भी होते है और यहाँ भी कुछ सियासी मोहरे टोंक के लोगों को गुमराह कर रहे है और रेल की लड़ाई में करो या मरो का नारा बुलंद नहीं होने दे रहे है जबकि टोंक के लोग अगर रेल नहीं तो वोट नहीं का नारा देते है टोंक में रेल नहीं तो नेता नहीं घुसेगा का कार्यक्रम चलाते है तो बस वोह दिन दूर नहीं जब टोंक में रेल होगी ..विकास होगा और टोंक विकसित हो देश की मुख्यधारा से जुड़े टोंक वासियों का यह ख्वाब पूरा होगा ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 जनवरी 2013
बहादुर पिंडारियों की ऐतिहासिक नवाबी नगरी टोंक में रेल लाने के नाम पर आखिर ठगी कब तक होती रहेगी
दोस्तों राजस्थान में नवाबों की ऐतिहासिक नगरी टोंक रियासत जहां कभी हार नहीं देखी ..जिस रियासत के आगे बढ़े बढ़े सुरमा सर झुकाते थे जहां पिंडारियों का अविजित इतिहास रहा है आज व्ही रियासत राजस्थान का टोंक जिला बनने के बाद सियासी बलात्कार का शिकार है इस टोंक में केवल और केवल सियासत है हालत यह है के यहाँ उद्द्योग और विकास तो है ही नहीं लेकिन नवाबों की इस नगरी को आज तक रेल का सुख भी नहीं मिल सका है ...दोस्तों मेरे अलफ़ाज़ कडवे जुमले भद्दे जरुर है जिसमे में इस टोंक नगरी में सियासी बलात्कार की बात कही है लेकिन इसमें सच्चाई भी है जिस टोंक ने राजस्थान के गठन में अपना सार खजाना लुटा दिया खुद टोंक गरीब हो गया उस टोंक का सियासी तोर पर जो हाल हुआ है जो उपेक्षा हुई है आज़ादी के बाद से उस टोंक की हालत खुद अपनी ज़ुबानी ब्यान करती है ...टोंक आज़ादी के बाद से आगे बढने जगह पिछड़ता गया यहाँ बेरोज़गारी ...गरीबी ..कुटीर उद्द्योगों का खात्मा ...पानी खाद बीज की कमी के कारण खेती का नुकसान बसें नहीं रेल नहीं सडकें नहीं ..इतिहास होने के बाद भी पुरातत्व महत्व नहीं ....सडकें टूटी है ..गलियें गंदी है ..चिकित्सा सुविधा नहीं ..शिक्षा सुविधा नहीं और सियासत सभी पार्टियों की यहाँ पर है कोंग्रेस हो ..भाजपा हो ..जनता पार्टी हो ..बसपा हो ..सपा हो ..मुस्लिम लीग हो निर्दलीय हो सभी टोंक को सियासी चरागाह समझते रहे है यहाँ काफी वक्त तक कोंग्रेस का कब्जा रहा सियासी तोर पर कोई स्वर्ण जाती का चुनाव जीत कर टोंक का विकास न कर दे इसलियें इसे पछाड़ने के लियें यहाँ की सांसद सीट आरक्षित कर दी ..टोंक के बनवारी लाल बेरवा दिग्गज मंत्री और फिर उप मुख्यमंत्री रहे लेकिन सब बेकार टोंक के लियें कुछ भी कर पाने में असमर्थ रहे जनता पार्टी सरकार में गोपाल पचेरवाल जो जनता पार्टी के राष्ट्रिय महा सचीव थे मोरारजी सरकार के वक्त सांसद बने लेकिन टोंक को अंगूठा दिखाया फिर भाजपा के कोंग्रेस के सांसद टोंक को केवल अंगूठा दिखाते रहे कभी अजहरुद्दीन कहते है में टोंक से चुनाव लडूंगा कभी वैभव गहलोत यहाँ से चुनाव लड़ने का सपना देखते है लेकिन टोंक के लियें टोंक के लोगों के लियें टोंक के विकास के लियें कोई सियासी मर्द कुछ नहीं करता ..टोंक ने देखा जब यहाँ के सियासी मर्द जनाने हो गये तो टोंक ने ओरत पर भरोसा किया और जकिया इनाम को मंत्री का ताज पहनाया लेकिन यह कोशिश भी बेनतीजा रही कुल मिला कर टोंक की दुर्दशा के लियें आज तक जो जनता ज़िम्मेदार थी आज तक टोंक की जो जनता सोयला गोली काण्ड के बाद भी बीसलपुर पानी का इन्साफ नहीं हांसिल कर पा रही थी आज वहां की जनता जागरूक हो चुकी है ...सियासी साक्षर हो चुकी है .यहाँ की जनता में सियासी समझ आ गयी है और टोंक के लोग समझ गए है के दिल्ली में जो नमोनारायण मीना स्नासाद बनकर गए है वोह वित्त मंत्री बनकर बेठे है देश का खजाना उनके हाथ में है वोह चाहे तो टोंक में रेल के लियें समूचा बजट स्वीक्रत करवा सकते है यहाँ उद्द्योग लगवा सकते है हस्तशिल्प कला का बजार टोंके में है यहाँ इसके लियें सम्भावनाएं तलाशी जा सकती है टोंक का वोटर जानता है के भाजपा के गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैसला जो ट्रेन रोक कर अपनी मांगे मनवाने की क्षमता रखते है वोह फिर अगर टोंक की जनता के साथ अंगडाई ले तो टोंक में इसी साल रेल आ सकती है ...कितनी अजीब बात है टोंक जिले का एक छोटा सा कब्जा निवाई जो केवल बीस किलोमीटर दूर है वहन ट्रेन है लेकिन टोंक को आज़ादी के बाद से अब तक ट्रेन से सभी सियासी दलों ने वंचित कर रखा है सर्वे हुआ कई बार हुआ दो सो करोड़ से बजट सात सो करोड़ तक जा पहुंचा केंद्र कहता है हम तय्यार है राजस्थान सरकार कहती है हम कोशिश कर रहे है करीब दो दशक इसी उहापोह में निकल गये है लेकिन अब और नहीं बस और नहीं टोंक के लोग मासूम जरूर है लेकिन शासक रहे है इसलियें सरकार के झूंठे वायदों में वोह नहीं आयेंगे ..टोंक ने एक बार फिर पिंडारी स्टाइल अपनाई है जिस तरह से उन्होंने अंग्रेजों को छका दिया था और उनसे राज हांसिल किया था अब टोंक की जनता यहाँ के बिखरे सियासी लोग एक जुट होकर टोंक के विकास के लियें लामबद्ध होने लगे है यहाँ टोंक के विकास के लियें इसी साल रेल से टोंक का जुडाव हो इसके लियें अनादोलन तेज़ हो गया है और अब टोंक के लोग यहाँ के सांसद भारत सरकार के वित्त राज्य मंत्री और राजस्थान के मुख्यमत्री अशोक गहलोत का कालर पकड़ कर टोंक में रेल लाने के लियें आन्दोलन करने की ठान बेठे है ..राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस गम्भीरता को स्म्झ्त्ते है इसलियें उन्होंने भी टोंक रियासत का खोया हुआ इतिहास नवाबी ठाठ बाट लोटाने के लियें रेल मंत्री पवन बंसल से बात की है और केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा ने भी अपनी कोशिशें तेज़ कर दी है लेकिन इतिहास मे जहां लडाके होते है वहीँ जय चंद गद्दार भी होते है और यहाँ भी कुछ सियासी मोहरे टोंक के लोगों को गुमराह कर रहे है और रेल की लड़ाई में करो या मरो का नारा बुलंद नहीं होने दे रहे है जबकि टोंक के लोग अगर रेल नहीं तो वोट नहीं का नारा देते है टोंक में रेल नहीं तो नेता नहीं घुसेगा का कार्यक्रम चलाते है तो बस वोह दिन दूर नहीं जब टोंक में रेल होगी ..विकास होगा और टोंक विकसित हो देश की मुख्यधारा से जुड़े टोंक वासियों का यह ख्वाब पूरा होगा ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सफला एकादशी आज: जानिए कथा, महत्व व संपूर्ण पूजन विधि
पौष मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी आज यानी 8 जनवरी, मंगलवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस व्रत से जुड़ी कथा इस प्रकार है-
चम्पावती नगर का राजा महिष्मत था। उसके पाँच पुत्र थे। महिष्मत का बड़ा बेटा लुम्भक हमेशा बुरे कामों में लगा रहता था। उसकी इस प्रकार की हरकतें देख महिष्मत ने उसे अपने राज्य से बाहर निकाल दिया। लुम्भक वन में चला गया और चोरी करने लगा। एक दिन जब वह रात में चोरी करने के लिए नगर में आया तो सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया किन्तु जब उसने अपने को राजा महिष्मत का पुत्र बतलाया तो सिपाहियों ने उसे छोड़ दिया। फिर वह वन में लौट आया और वृक्षों के फल खाकर जीवन निर्वाह करने लगा।
वह एक पुराने पीपल के वृक्ष के नीचे रहता था। एक बार अंजाने में ही उसने पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत कर लिया। उसने पौष मास में कृष्णपक्ष की दशमी के दिन वृक्षों के फल खाये और वस्त्रहीन होने के कारण रातभर जाड़े का कष्ट भोगा। सूर्योदय होने पर भी उसको होश नहीं आया। एकादशी के दिन भी लुम्भक बेहोश पड़ा रहा । दोपहर होने पर उसे होश आया। उठकर वह वन में गया और बहुत से फल लेकर जब तक विश्राम स्थल पर लौटा, तब तक सूर्य अस्त हो चुका था। तब उसने पीपल के वृक्ष की जड़ में बहुत से फल निवेदन करते हुए कहा- इन फलों से लक्ष्मीपति भगवान विष्णु संतुष्ट हों। ऐसा कहकर लुम्भक रातभर सोया नहीं।
इस प्रकार अनायास ही उसने सफला एकादशी व्रत का पालन कर लिया। उसी समय आकाशवाणी हुई -राजकुमार लुम्भक! सफला एकादशी व्रत के प्रभाव से तुम राज्य और पुत्र प्राप्त करोगे। आकाशवाणी के बाद लुम्भक का रूप दिव्य हो गया। तबसे उसकी उत्तम बुद्धि भगवान विष्णु के भजन में लग गयी । उसने पंद्रह वर्षों तक सफलतापूर्वक राज्य का संचालन किया। उसको मनोज्ञ नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। जब वह बड़ा हुआ तो लुम्भक ने राज्य अपने पुत्र को सौंप दिया और वह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में रम गया। अंत में सफला एकादशी के व्रत के प्रभाव से उसने विष्णुलोक को प्राप्त किया।
सिद्धि योग में संक्रांति, देवताओं के दिन का प्रारंभ पर्व खरीदी के लिए शुभ
उज्जैन : मकर संक्रांति पर इस साल सूर्य का धनु से मकर राशि
में प्रवेश सिद्धि योग में होने जा रहा है। यह समृद्धि का योग है। इस बार
संक्रांति हाथी पर सवार होकर आ रही है। इस दिन की जाने वाली खरीदी श्रेष्ठ
फलदायी होगी। संक्रांति से व्यापारी वर्ग की उन्नति तो होगी ही, साथ ही
शेयर बाजार में निवेश भी फायदेमंद होगा।
मकर संक्रांति महापर्व है। इसी के साथ भारतीय सनातन परंपरा में मान्य
देवताओं का रात्रिकाल समाप्त होता है और दिवसकाल प्रारंभ होता है। इस अर्थ
में यह प्रकाश और समृद्धि का पर्व है। इस दिन दान-पुण्य के अलावा की गई
खरीदी भी शुभ है। विशेषकर तब, जब यह संक्रांति हाथी पर सवार अर्थात समृद्धि
के संकेत और सिद्धि योग के मंगल मुहूर्त में आ रही है।
-ज्योतिर्विद पं. श्यामनारायण व्यास और पं. अमर डिब्बावाला
मूक-बधिर छात्राओं को सजा के लिए भेजते थे लड़कों के हॉस्टल
भोपाल/सीहोर. बाल आयोग का आकस्मिक निरीक्षण, गायब मिलीं 9 से 14 वर्ष की 18 छात्राएं , सभी मानसिक रूप से कमजोर और मूक-बधिर।
सीहोर में एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा संचालित गल्र्स हॉस्टल की
मानसिक रूप से कमजोर व मूक-बधिर छात्राओं को सजा के तौर पर लड़कों के
हॉस्टल में भेजने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इनका कसूर सिर्फ इतना था
कि इन्होंने हॉस्टल प्रबंधन से व्यवस्थाओं को लेकर शिकायत की थी। यही
नहीं, हॉस्टल से 18 छात्राओं के गायब होने की भी खबर है। सभी की उम्र 9 से
14 साल के बीच बताई जा रही है।
प्रशासन को नहीं मिलीं हॉस्टल में 18 छात्राएं
हॉस्टल में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर 15 दिसंबर को एसडीएम सीहोर
हृदयेश श्रीवास्तव, अतिरिक्त तहसीलदार प्रियंका चौरसिया और जिला परियोजना
समन्वयक (डीपीसी) अशोक पराडकर ने गल्र्स और बॉयज हॉस्टल का औचक निरीक्षण
किया था। इस दौरान कई अनियमितताएं मिली थीं। डीपीसी और एपीसी स्वाति
प्रियदर्शिनी ने भी छात्राओं के लड़कों के हॉस्टल में भेजे जाने और उनके
साथ मारपीट की पुष्टि की है।
एसडीएम ने बताया कि निरीक्षण के दौरान छात्राओं की जो संख्या रजिस्टर
में दर्ज थी, उसमें से 18 छात्राएं हॉस्टल में नहीं मिलीं। संस्था के सचिव
द्वारा बताया गया कि वे अपने घर गई हैं। बाल आयोग ने इन सभी 18 छात्राओं को
आयोग में उपस्थित करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य शिक्षा केंद्र से मिलता है 12 लाख का अनुदान : आयोग ने
निरीक्षण के दौरान पाया कि तेज ठंड में भी छात्राओं को टीनशेड के नीचे एक
कंबल में रात गुजारनी पड़ रही है। हॉस्टल के किचन में राशन भी नहीं मिला।
छात्राओं के लिए स्कूल यूनीफॉर्म के अलावा ड्रेस का इंतजाम भी नहीं मिला।
जबकि, नि:शक्त बच्चों के लिए संस्था को राज्य शिक्षा केंद्र से सालाना 10
से 12 लाख रुपए अनुदान मिलता है।
- जो शिकायतें मिली थीं, वह निरीक्षण में सही पाई गई हैं।
पूर्व में प्रशासन द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट भी हमने मांगी है।
छात्राओं का मेडिकल जांच कराने के निर्देश दिए हैं। - उषा चतुर्वेदी, अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग, मप्र
दिल्ली: 55 साल के पुजारी ने मंदिर में चेले की पत्नी से किया रेप
नई दिल्ली. चलती बस में गैंग रेप की शर्मनाक घटना पर मचे बवाल के बाद भी देश की राजधानी दिल्ली और अन्य शहरों में रेप की घटनाएं कम नहीं होती दिख रही हैं। रविवार रात पूर्वी दिल्ली में रेप के दो मामले सामने आए। पहला मामला पांडव नगर का है जिसमें अपने शिष्य की पत्नी से रेप करने के आरोप में पुजारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दूसरा मामला मयूर विहार पुलिस स्टेशन का है जहां एक नाबालिग लड़की से रेप के मामले में पड़ोसी को गिरफ्तार किया गया।
पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त वी. प्रभाकर के अनुसार पांडव नगर के एक मंदिर के पुजारी मदन मोहन (55) ने प्रसाद बनवाने के बहाने अपने शिष्य की पत्नी को मंदिर में बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। पीडि़ता के अनुसार वारदात के बाद पुजारी ने महिला से इस करतूत को किसी से बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी। पीडि़ता ने घर आकर अपने पति से आपबीती बताई। पीडि़ता के पति ने इसकी सूचना पुलिस को दी। दुष्कर्म की पुष्टि हो जाने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी पुजारी को गिरफ्तार कर लिया।
ओवैसी को गिरफ्तार कर आदिलाबाद ले गई पुलिस, समर्थकों पर लाठीचार्ज
हैदराबाद/दिल्ली. एमआईएम के विधायक अकबरउद्दीन ओवैसी को पुलिस
ने गांधी अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ओवैसी को हैदराबाद से
करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित निर्मल पुलिस स्टेशन ले गई, जहां से उन्हें
आदिलाबाद जेल भेज दिया गया।
ओवैसी को 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा, उनके साथ रात 1
बजे तक पुलिस ने पूछ-ताछ की। आज उन्हें आदिलाबाद के कोर्ट में पेश किया
जाएगा। ओवैसी पर आईपीसी की धारा 121 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
अकबरउद्दीन ओवैसी के वकील शफीउद्दीन शाह ने गिरफ्तारी के बाद मीडिया
से बातचीत में कहा, 'उन्होंने हमसे कहा कि हम मेडिकल जांच की जानकारी आपको
सही समय पर देंगे, मुझे नहीं पता कि उनका सही समय क्या होगा। अभी तक कोई भी
मेडिकल रिपोर्ट हमें नहीं दी गई है। हमने पुलिस का पूरी तरह सहयोग किया।
उनकी हर बात सुनी लेकिन पुलिस ने सुबह उन्हें घर पर खाना तक नहीं खाने
दिया। उन्होंने पुलिस से कहा था कि मैं खाना खा रहा हूं, अगर आप चाहें तो
आप भी साथ खाना खा सकते हैं लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी।'
ओवैसी के स्वास्थ्य के प्रति चिंता जाहिर करते हुए उनके वकील ने कहा
कि डॉक्टरों ने उन्हें पेन किलर देने से इंकार किया है। यदि उन्हें कोई पेन
किलर दी गई तो वह बेहोश हो सकते हैं। बिना दवाई दिए गए ही उन्हें पुलिस
गिरफ्तार करके ले गई है। वकील ने कहा, 'उनके शरीर में गोली घुंसी हुई है,
उन्हें हर्निया की शिकायत भी है लेकिन पुलिस ने किसी भी बात पर ध्यान दिया।
पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं दी है।'
भारतीय सीमा में घुसे पाक सैनिक, जवानों की हत्या कर काट ले गए सिर
जम्मू। पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसकर हमला किया
है। इसमें भारत के दो जवान शहीद हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार पाक सैनिकों
ने दोनों भारतीय जवानों के सिर भी काट दिए और एक का सिर साथ ले गए। हमले
में दो जवान घायल भी हुए हैं। घटना मंगलवार की है। इसके बाद देर रात
पाकिस्तान की ओर से पुंछ में सात पोस्ट पर गोलीबारी भी की गई। जवाब में
भारतीय सेना ने भी गोलीबारी की है।
हालांकि, भारतीय सेना ने सिर काटने की खबर की पुष्टी नहीं की है। सेना
ने कहा है कि एक जवान का शरीर क्षत- विक्षत अवस्था में पाया गया है।
घटना के बाद नियंत्रण रेखा पर भारी तनाव है। सेना के मुताबिक, यह
पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ का प्रयास था। पाकिस्तानी सैनिक कोहरे और घने
जंगल का फायदा उठाकर भारतीय सीमा में 100 मीटर अंदर घुस आए और पैट्रोलिंग
पार्टी को निशाना बनाकर हमला किया।
सेना ने बताया कि दोनों ओर से आधे घंटे तक गोलीबारी हुई। इस दौरान
पाकिस्तान की ओर से मोर्टार और गोले भी दागे। घायलों को उधमपुर के कमान
अस्पताल शिफ्ट किया गया है। शहीद जवान लांस नायक हेमराज और सुधाकर सिंह है।
हमले के बाद पाकिस्तानी भारतीय सैनिकों के हथियार भी साथ ले गए। भारतीय
सेना की ओर से जवाबी हमले के बाद हमलावर भाग गए। पाकिस्तानी सैनिकों के साथ
आतंकियों के भी शामिल होने का अंदेशा है।
सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने उत्तरी कमान के प्रमुख ले.जन. केटी
परनाईक से हमले की जानकारी ली है। परनाईक ने पोस्ट का मुआयना कर पाकिस्तान
का विरोध जताने के लिए बॉर्डर मीटिंग भी बुलाई है। इस बीच रक्षा मंत्रालय
ने बयान जारी कर पाक से संघर्ष विराम के सम्मान की उम्मीद जताई है।
ताकि महिलाओं को मिले समाज में व्यापक सुरक्षा
महिलाओं पर
बढ़ते अत्याचार और डायन के नाम पर उन्हें प्रताड़ित करने की घटनाओं पर रोक
लगाने के लिए देश भर में एक सख्त कानून हो, इसकी मांग लंबे अरसे से की जा
रही है। कई महिला संगठन अलग-अलग मोर्चों पर इस मांग को लगातार उठाते रहे
हैं। महिला संगठनों का यह संघर्ष आखिरकार, रंग लाया है। राजस्थान की अशोक
गहलोत सरकार ने हाल ही में राज्य के अंदर राजस्थान महिला अत्याचार निवारण
विधेयक-2012 पर अपनी मुहर लगा दी, जिसके विधानसभा में पास होने के बाद
महिला अत्याचार के आरोपी सजा से बच नहीं पाएंगे। जो लोग महिलाओं को डायन,
चुड़ैल बताकर और दीगर तरीकों से प्रताड़ित करते हैं, उन्हें सख्त सजा मिलेगी।
इस कानून के प्रावधान के मुताबिक महिलाओं पर ज्यादती करने वालों के खिलाफ
गैर जमानती धाराएं लगाई जाएंगी। दोषी लोगों पर दो हजार रूपए से लेकर पांच
लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जुर्माने की राशि पीड़ित
महिला को मिलेगी। कानून के सख्त प्रावधानों को देखते हुए निश्चित रूप से यह
कहा जा सकता है कि कानून, जहां राज्य में महिलाओं की स्थिति में सुधार
लाएगा, वहीं उन पर होने वाले अत्याचारों में भी कमी आएगी।
राजस्थान देश भर में ऐसा पहला राज्य होगा,
जिसने महिलाओं को अत्याचार से बचाने के लिए इस तरह के एक प्रभावी कानून
लाने की पहल की। महिला अत्याचार निवारण कानून के तहत आने वाले सभी मामलों
की सुनवाई अलग कोर्ट में होगी। राज्य के हर जिले में अलग से विशेष अदालतों
का गठन किया जाएगा। जिससे मामलों के निपटारे में तेजी आए। इसके लिए सरकार
ने तुरंत आठ करोड़ रूपए भी जारी कर दिए। जब तक हर जिले में कोर्ट नहीं बन
जाता, तब तक ऐसे मामलों के संज्ञान और सुनवाई का अधिकार अतिरिक्त जिला एवं
सत्र न्यायालय को होगा। गौरतलब है कि महिलाओं को डायन अथवा अन्य बुरे शब्द
कहे जाने के खिलाफ महिला संगठनों ने अदालत में याचिका दायर की थी। इस मामले
में जब जवाब तलब किया गया, तो सरकार ने अदालत में प्रस्तावित कानून का
मसौदा पेश किया।
कहने को हमारे संविधान में महिलाओं को
बराबरी का दर्जा और प्रगति के समान अवसर प्रदान करने का संकल्प लिया गया
है। इस संबंध में सकारात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान है। बावजूद इसके देश
में महिलाओं के एक बड़े तबके को आज भी संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का
पूरा फायदा नहीं मिल पाता। समाज में लैंगिक तौर पर उनसे जगह-जगह भेदभाव
किया जाता है। उन पर कई तरह के अत्याचार होते हैं। उन्हें यह अत्याचार,
अपने घर और घर के बाहर दोनों जगह भुगतने पड़ते हैं। कड़े कानून के अभाव में
महिलाएं चुपचाप ये अत्याचार और प्रताड़ना झेलती रहती हैं। मिसाल के तौर पर
हमारे यहां महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ कोई सख्त
कानून नहीं है। पुलिस मामूली धाराओं में मामले दर्ज करती है। जाहिर है,
सख्त कानून ना होने की वजह से आरोपितों को कभी वाजिब सजा नहीं मिलती। जिसके
चलते समाज में औरत को प्रताड़ित करने का यह घिनौना सिलसिला बदस्तूर चलता
रहता है। खासकर, देश के पिछड़े राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार,
झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा आदि में महिला अत्याचार और डायन के
नाम पर प्रताड़ित करने की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है।
मीडिया में आए दिन इस तरह की खबरें आती
रहती हैं कि फलां-फलां जगह किसी महिला को डायन बताकर उस पर भयंकर अत्याचार
किए गए। उसे सड़कों पर नंगा घुमाया गया और बाद में पीट-पीटकर मार दिया गया।
ऐसी घटनाएं कहीं अकेले में नहीं, बल्कि पूरे समाज की आंखों के सामने होती
हैं, लेकिन मजाल है कि कोई इसके खिलाफ आगे आए और अपनी आवाज उठाए। यहां तक
कि कई बार तो यह देखने में आता है कि जिस परिवार की महिला पर यह अत्याचार
होता है, वह भी उसे बचाने नहीं आता। पीड़ित महिला के प्रति सभी संवेदना
शून्य हो जाते हैं।
बहरहाल, राजस्थान सरकार ने महिला अत्याचार
रोकने के लिए जो कानून बनाया है, उसके अंतर्गत उसने महिलाओं से संबंधित कई
तरह के अत्याचारों को समाहित किया है। मसलन-महिला को अपशब्द या डायन कहना,
बिना सहमति के महिला की फोटो खींचना या फिल्म बनाना, महिला से बेगार लेना,
महिलाओं को सार्वजनिक स्थल पर जाने से रोकना, उसे किसी शब्द या इशारे से
अपमानित करना, अखाद्य वस्तु के सेवन के लिए विवश करना, अपमानजनक सामग्री
प्रकाशित करने के उद्देश्य से डराना-धमकाना, महिला पर तेजाब या विषेला
पदार्थ फेंकना और उसे अश्लील मैसेज भेजना आदि। कानून के अमल में आते ही
महिलाओं के खिलाफ किए गए ये सभी अपराध गैर जमानती होंगे। आरोप साबित होने
पर आरोपी को जमानत नहीं मिलेगी। महिलाओं पर ज्यादती करने वालों के खिलाफ
गैर जमानती धाराएं लगेंगी। जाहिर है, यह कानून समाज में महिलाओं को व्यापक
सुरक्षा प्रदान करेगा। उनका सुरक्षा कवच साबित होगा। उम्मीद है, राजस्थान
सरकार द्वारा महिलाओं को अत्याचार से बचाने के लिए लाया गया यह बेहतरीन
कानून, आने वाले दिनों में देश की बाकी राज्य सरकारों के लिए भी एक नजीर
साबित होगा। वे भी अपने यहां इस तरह के कानून को जल्द लेकर आएंगी।
जाहिद खान
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