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18 जनवरी 2013

कांग्रेस का चिंतन: मनमोहन को केवल थपथपाहट तो राहुल के लिए गूंज उठा सभागार!



कांग्रेस का चिंतन: मनमोहन को केवल थपथपाहट तो राहुल के लिए गूंज उठा सभागार!
जयपुर.बदलाव की बुनियाद रखने के लिए कांग्रेस का चिंतन शिविर शुक्रवार को जयपुर में मिले-जुले संदेश के साथ शुरू हुआ। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बिड़ला सभागार में आए तो हल्की-फुल्की तालियों की थाप पर कांग्रेस के युवा व बुजुर्ग नेता खड़े हुए। ठीक पीछे सोनिया गांधी को देखकर थाप बढ़ी। इसके तुरंत बाद राहुल गांधी आए तो तालियों की थपथपाहट गूंज में तब्दील हो गई। शायद यही जेनरेशन शिफ्ट की आहट है, जो सभागार में मौजूद लोगों को समझने व पढ़ने को सही मायने में मिली।
 
एजेंडे पर बोलते हुए चिंतन शिविर की कोऑर्डिनेटर अंबिका सोनी ने  इसी बदलाव का मर्म कुछ यूं समझाया- यह शिविर पिछले पचमढ़ी  और शिमला चिंतन से अलग है। यहां पहली बार युवा कांग्रेस के चुने हुए युवा प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। इसका श्रेय राहुल गांधी को जाता है (राहुल का नाम लेते ही मंच पर बैठे प्रधानमंत्री सहित तमाम वरिष्ठ नेताओं ने ताली बजाकर हामी भरी)। 
 
गौरतलब है कि पहले दो चिंतन शिविरों में एआईसीसी मीटिंग नहीं हुई, इस बार हो रही है। एआईसीसी बैठक में पार्टी अपने फैसलों पर मुहर लगवाती है। ऐसे में सवाल हो रहा है कि क्या कोई बड़ा फैसला होना है ? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बाबत पूछने पर कि क्या राहुल गांधी के बारे में कोई घोषणा होगी, जवाब दिया- थोड़ा इंतजार कीजिए।  
 
हालांकि पार्टी के बुजुर्ग नेता मुरली देवड़ा ने किसी घोषणा को लेकर संशय जताया। भास्कर से उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व पर कोई संशय नहीं है। वे पार्टी का एजेंडा सेट कर रहे हैं, लेकिन यहां कोई घोषणा होगी कहना मुश्किल है। हां पार्टी में अगले दो दिन उनको नेतृत्व सौंपने की मांग तेज होने वाली है। 
 
युवा सांसद अशोक तंवर, राजीव सातव, केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह सहित दिग्विजय सिंह, गुलाम नबी आजाद सहित तमाम वरिष्ठ नेता जिसने भी मुंह खोला, उनकी जुबान पर जेनरेशन शिफ्ट की बात स्वाभाविक तौर पर उभरी।

दरिंदगी की हदें पार: 8 साल की मासूम से रेप कर पत्थर से कुचल डाला!



राजसमंद.शहर में गुरुवार शाम आठ वर्षीय मंदबुद्धि बालिका की दुष्कर्म के बाद पत्थरों से कुचल कर हत्या कर दी गई। घटना का पता चलते ही सैकड़ों लोग सड़क पर उतर आए। बाजार बंद करा दिए गए। पीड़िता का शव सड़क पर रखकर साढ़े तीन घंटे तक प्रदर्शन किया गया। पुलिस ने मामले में उत्तरप्रदेश के गोरखपुर निवासी मनोज प्रताप सिंह (25) को गिरफ्तार किया है।

वह जिला अस्पताल (आरके हॉस्पिटल) के पास से बालिका को चॉकलेट के बहाने ले गया था और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी।  मनोज इससे पहले चोरी के आरोप में गिरफ्तार हो चुका है। उसे हाल ही जमानत मिली थी।

घटना का पता चलते ही जिला मुख्यालय पर सैकड़ों लोग सड़क पर उतर आए। मुर्दाघर से लेकर पूरे शहर में दिनभर प्रदर्शन होते रहे और बाजार बंद रहा। लोगों ने जलचक्की तिराहे पर शव रखकर प्रदर्शन किया।

बालिका के शरीर पर 20 से अधिक चोटें थीं। मेडिकल बोर्ड की जांच में दुष्कर्म की पुष्टि हो गई है। शहर के उप नगरीय क्षेत्र हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी बालिका की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में पुलिस ने मनोज प्रताप सिंह (25) पुत्र सुरेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया है।

आरोपी मूलत: उत्तरप्रदेश के गोरखपुर का रहने वाला है। वह चोरी के आरोप में गिरफ्तार हो चुका है और हाल ही जमानत पर छूटा था। विधायक किरण माहेश्वरी ने प्रदर्शन के दौरान पुलिस अधिकारियों को खरीखोटी सुनाई। जिला कलेक्टर प्रीतम बी यशवंत ने बताया कि त्वरित न्याय के लिए प्रकरण को फास्ट ट्रैक/स्पेशल कोर्ट में ट्रायल कर दोषी को शीघ्र सजा दिलाने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग जयपुर को निवेदन किया जा चुका है।

राजसमंद के एसपी राहुल कोटाकी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ अपहरण, हत्या के साथ ही वर्ष 2012 से लागू नए एक्ट  प्रोटेक्शन ऑफर चिल्डरन फ्रोम सेक्सयूअल ओफेसेंस एक्ट (376 एफ) की धारा भी जोड़ी गई है। आरोपी रात को राजसमंद से भागने की फिराक में था उसे बस से गिरफ्तार कर लिया गया है।


पीड़िता के परिजन को 5 लाख रु. की सहायता

मामले की गंभीरता को देखते हुए मृतक पीड़िता के माता-पिता को मुख्यमंत्री सहायता कोष से पांच लाख का चेक तत्काल स्वीकृत किया गया। इसके लिए जिला कलेक्टर ने बताया कि पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत कार्रवाई में समय लग जाएगा। इसलिए तत्काल सहायता के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष से यह राशि स्वीकृत की गई। 

एक भारतीय संन्यासी, जिसके काफिले में थीं दुनिया में सबसे अधिक और महंगी कारें


एक भारतीय संन्यासी, जिसके काफिले में थीं दुनिया में सबसे अधिक और महंगी कारें
भोपाल। वह संन्यास की नई अवधारणा लेकर लोगों के सामने आया, जिसे उच्च मध्यम वर्ग के लोगों ने हाथोंहाथ लिया। उसके अकाट्य तर्क और पाखंड को हिलाने वाले भाषणों की गूंज पूरी दुनिया में फैल गई।
सेक्स और आध्यात्म का अनूठा संगम दुनिया के लोगों को इतना भाया कि पुणे में उनके यहां इतनी भीड़ उमड़ती आम पुणेवासी बहुत परेशान थे। यह ऐसी भीड़ थी, जो वर्जनाओं को तोड़ जीने के लिए इस सेक्सगुरु की शरण में आती थी। पुणे के इस आध्यात्म की शॉप में नशा, सेक्स जैसी अवांछित गतिविधियों को लेकर प्रशासन दंडात्मक कार्रवाई के लिए दबाव बना रहा था।
बढ़ते तनाव और विरोध को देखते हुए ओशो और उनकी शिष्या शीला ने तय किया कि अब नया कम्यून अमेरिका में बनाया जाए और वहीं से अपने नए आध्यात्मिक दर्शन और जीवन शैली का प्रचार किया जाए। यहीं पहुंचकर वह दुनिया में सर्वाधिक महंगी और सबसे अधिक कारें रखने वाले संन्यासी के रूप में सामने आए।

कांग्रेस का चिंतन: सोनिया गांधी ने गिनाई पांच बड़ी विफलताएं लेकिन यहां साधी चुप्पी!

कांग्रेस का चिंतन: सोनिया गांधी ने गिनाई पांच बड़ी विफलताएं लेकिन यहां साधी चुप्पी!
जयपुर.जयपुर में कांग्रेस का चिंतन शुरू हो गया, जो तीन दिन चलेगा। शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उद्घाटन में बोलने को खड़ी हुईं तो कई चिंताएं उभरकर आ गईं। उन्होंने बेकाबू होते भ्रष्टाचार, महिलाओं की असुरक्षा, मध्यम वर्ग के प्रति उपेक्षा को गंभीर माना। नेताओं की आपसी लड़ाई को सत्ता से दूर होने की वजह भी बताई। अपने भाषण में उन्होंने पार्टी की 5 बड़ी विफलताएं बताईं-
 
पहली विफलता-घटता जनाधार 
 
मायने : उप्र में सपा-बसपा ने एससी, एसटी और अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगाई। अगड़ी जातियां भी खिसकीं। बिहार में कोई वोट बैंक नहीं। कर्नाटक में परंपरागत वोटर भाजपा के पास गया। गुजरात में मोदी ने वोट बैंक छीना।
 
करेंगे क्या : चुनावी साल में एससी, एसटी, अल्पसंख्यकों और मध्यम वर्ग को लुभाने की योजनाएं। 
 
दूसरी विफलता- बढ़ता भ्रष्टाचार 
 
मायने : पार्टी के कई मंत्री भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे हैं। इससे अन्ना, केजरीवाल और रामदेव जैसे लोगों ने देश भर में पार्टी के खिलाफ माहौल बना दिया। रॉबर्ट वाड्रा तक आरोप लगे। लोकपाल की मांग होती रही, लेकिन कानून नहीं बना। जवाबदेही जैसा कोई मामला नहीं। 
 
करेंगे क्या? : बजट सत्र में सरकार लोकपाल बिल ला सकती है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए नए तंत्र और टेक्नालॉजी पर बात होगी। गवर्नेंस से जुड़े कई सुधारों की घोषणा संभव।
 
 
विफलता तीन : महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों को नहीं रोक पाना।
 
मायने क्या : दिल्ली गैंग रेप की घटना के बाद हुए आंदोलन ने सरकार और पार्टी को हिला दिया। बढ़ते अपराधों की तोहमत सरकार पर। जरूरतों के मुताबिक कानून नहीं होने पर सवाल। जनाक्रोश पर बयानों का मरहम लगाने की कोशिश। 
 
क्या होगा : चिंतन शिविर में महिला सुरक्षा पर सरकार का नया एजेंडा बनेगा। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर बात। मानसिकता में बदलाव के लिए नई कार्यसंस्कृति पर जोर। नए कानूनी रास्ते सुझाए जाएंगे। 
 
 
 
विफलता चार : सोशल मीडिया की चुनौती में खुद को न ढाल पाना। 
 
मायने क्या : हाल के आंदोलनों में फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब का जमकर इस्तेमाल हुआ। पहली बार बंद का आह्वान सोशल मीडिया के जरिए हुआ। सरकार को इस वर्ग ने जमकर परेशान किया। 
 
करेंगे क्या : सरकार अब सोशल मीडिया फ्रेंडली बनेगी। सरकार और पार्टी में ऐसा तंत्र बनेगा, जो सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचाएगा। 
 
 
 
विफलता पांच : केंद्र के अच्छे कामों को नहीं भुना पा रहे। 
 
मायने क्या : कई राज्यों में, जैसे गुजरात, यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में केंद्र की अच्छी योजनाओं का क्रेडिट वहां की राज्य सरकारों ने ले लिया। कांग्रेस संगठन के नेता इसे अपनी स्कीम के तौर पर बता ही नहीं पाए। 
 
करेंगे क्या : पार्टी में मॉनिटरिंग सिस्टम का नया तंत्र बनेगा। राहुल गांधी द्वारा युवक कांग्रेस में बनाए गए आम आदमी के सिपाही मॉडल को मूल संगठन में लाया जाएगा। 
 
 
जो अखर गया 
 
महंगाई पर चुप्पी : सोनिया गांधी ने बढ़ती महंगाई पर कुछ भी नहीं बोला। जबकि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की यह सबसे बड़ी चिंता थी। 
 
आज क्या?
 
चार घंटे चर्चा के बाद अध्यक्ष को सौंपेंगे रिपोर्ट
 
शनिवार को सुबह साढ़े नौ बजे से डेढ़ बजे तक फिर मंथन होगा। इसके बाद पांचों समूहों के प्रमुख सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपेगे। शाम छह बजे कार्यसमिति की बैठक होगी। इसमें रिपोर्ट पर चर्चा होगी और आखिरी प्रस्ताव बनाया जाएगा। इसके अलावा राहुल के नए रोल पर भी चर्चा की जाएगी। प्रस्तावों पर रविवार को कार्यकारिणी की बैठक में मुहर लगेगी।

कुरान का सन्देश

इन जटाओं में 21 साल से ना तो तेल लगा है ना साबुन



इलाहाबाद में संगम की रेती पर शुरू हो चुके सदी के महाकुंभ में रोज कुछ न कुछ अनोखा और अद्भुत देखने को मिल रहा हैं। सुबह होते ही संगम तट पर ॐ के उचारण के साथ  श्रद्धालु संगम की पावन धारा में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना कर रहे हैं वहीँ अद्भुद  और अनोखे अंदाज में साधू संत भी अपने कारनामों से देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं के बीच अपनी चर्चा के विषय बने हुए हैं।
 
संगम तट पर पाहुचने वाले अजान गज़ब बाबाओं में एक बाबा है बैरी बाबा। बाबा को बैर है साबुन और शैम्पू से। बाबा की 3 फीट से ज्यादा लंबी जाता है। बाबा की इन जटाओं पर पिछले 21 साल से न तो कोई कंघी लगी है और न ही इन में कोई तेल लगाया गया है। जिस के चलते बाबा की यह जटाएँ अद्भुत रूप ले चुकी है। अब बाबा किसी को भी अपने हाथ से नहीं बल्कि इन जटाओं से ही आशीर्वाद देते है।

6 साल की उम्र में पहली बार हुआ था मेरा बलात्‍कार, उतरवा दिए थे पूरे कपड़े''



नई दिल्‍ली। महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। सड़क से लेकर प्‍लेन तक में उन्‍हें हैवान बुरी नजर से देखते हैं और शिकार बनाते हैं। अधिकांश केस में तो यह देखने को मिला है कि यौन शोषण करने वाला बहुत करीबी ही होता। यह परिवार का कोई सदस्‍य हो सकता है या फिर भी आसपास का कोई। आइए जानते हैं कई घर से लेकर सड़क तक पर मर्दों की नापाक हरकतों की गवाह बनी नेहा (काल्‍पनिक नाम) की कहानी।
 
नेहा कहती हैं, ''हर रोज मैं खुद को सेक्‍स टॉय की तरह महसूस करती हूं। इसकी शुरूआत उस वक्‍त हुई थी, जब मैं छह साल की थी। मैं अपने दोस्‍त के घर पर वीडियो गेम खेलने गई थी। तो वह अपने भाई के कमरे से रोते हुई निकली और कहा कि भईया के साथ मैं नहीं खेलूंगी। वह मुझे परेशान कर रहा है। लेकिन मैं बैठकर गेम खेलती रही। उसका भाई मेरे साथ खेलता रहा। उसने मेरा पेंट उतारने को कहा और उतार भी दिया। उसने मुझे बहुत दर्द दिया। लेकिन इसके बाद मैं वहां भाग आई। दर्द ने मुझे तोड़ दिया था और मैं बहुत डर गई थी। अगले दिन जब मैं उसके घर गई तो उसने फिर से वही हरकत शुरू कर दी। उसने अपने पैंट को मेरे सामने खोल दिया और बुरी हरकत करने लगा।  जब मैंने मना किया तो उसने मेरी पिटाई कर दी। मैं केवल छह साल की थी। उसके बाद जो हुआ, उसे मैं बयां नहीं कर सकती। उस दिन से मेरी मासूमियत हमेशा के लिए खत्‍म हो गई। हर दिन मर्द मुझे कहीं न कहीं छूने की कोशिश करते हैं। बस से लेकर रेलगाड़ी तक में मैं बुरी नजर की शिकार बनती हूं। कोई मेरे ब्रेस्‍ट को छूना चाहता है तो कोई मुझे सामने से टक्‍कर देते हुए आगे बढ़ जाना चाहता है। हर रोज मैं जब घर से बाहर निकलती हूं तो डरी हुई निकलती हूं। घर की पहली बेटी होने के कारण मैं सबकी लाडली थी। लेकिन छह साल की उम्र में मेरे साथ जो हुआ, उसे मैं आज तक नहीं भूल पाई। 16 दिसंबर को यदि दामिनी का केस सामने नहीं आया होता तो मैं कभी दुनिया के सामने आकर सच नहीं कह पाती। लेकिन दामिनी ने मुझे अपनी दास्‍तान कहने का साहस दिया।'' 
 
नेहा ने यह दास्‍तां एक अंग्रेजी अखबार में बयां किया है...

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