तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 जनवरी 2013
यह है एक ऐसी जगह, जहां एक महिला के होते हैं कई पति
चंडीगढ़। आप माने या न माने, लेकिन यह सत्य है कि हिमाचल जिला
किन्नौर में आज भी बहुपति प्रथा कायम है। यहां एक महिला के कई पति होते
हैं। यह एक ऐसा इलाका है, जहां पर पत्नी को पति के मरने के बाद उसका वियोग
सहने का मौका ही नहीं मिलता है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में विरह के गीत
गाए ही नहीं जाते हैं। यदि इस तरह के गीत भी हैं तो वे देवता की आज्ञा से
ही गाए जाते हैं।
हालांकि, किन्नौर में आधुनिकता के दौर इस प्रथा का प्रचलन कम हो गया है, लेकिन इस क्षेत्र में कई परिवारों में यह प्रथा अभी भी कायम है। एक ही परिवार के तीन या चार पांच भाई एक ही स्त्री से शादी करते हैं। जब कोई एक भाई अपनी पत्नी के साथ अकेले कमरे में संभोग कर रहा होता है तो वह संकेत के तौर पर कमरे के बाहर लगे खूंटे पर अपनी टोपी टांग देता है।
हालांकि, किन्नौर में आधुनिकता के दौर इस प्रथा का प्रचलन कम हो गया है, लेकिन इस क्षेत्र में कई परिवारों में यह प्रथा अभी भी कायम है। एक ही परिवार के तीन या चार पांच भाई एक ही स्त्री से शादी करते हैं। जब कोई एक भाई अपनी पत्नी के साथ अकेले कमरे में संभोग कर रहा होता है तो वह संकेत के तौर पर कमरे के बाहर लगे खूंटे पर अपनी टोपी टांग देता है।
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26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस यानि हमारे संविधान का जन्म दिवस।आज से 63
साल पहले 1950 में ठीक इसी दिन भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र
प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी देकर हमारे राष्ट्र ध्वज तिरंगे को फहराया था
और भारतीय गणतंत्र की घोषणा की थी।इससे पहले 15 अगस्त 1947 हमारा देश आजाद
तो हो गया था लेकिन हमारा कोई संविधान न होने के कारण सही मायनों में आजादी
नहीं मिल पाई थी।
इसके लिए भारतीय महापुरुषों ने 894 दिन की कड़ी मेहनत के बाद स्वतंत्र
भारत का संविधान बनाया और 26 जनवरी 1950 को भारतीय जनता के सामने उसकी
घोषणा की।तब से हर साल 26 जनवरी का दिन भारतीय इतिहास में गणतंत्र दिवस के
रूप में मनाया जाने लगा।
'मुझे गुजरात में दफनाना, कब्र पर महुआ का पेड़ लगाना'
जयपुर.प्रसिद्ध लेखिका और वामपंथी रुझान वाली सामाजिक
कार्यकर्ता महाश्वेता देवी ने कहा है कि वे सदा जीवित रहना चाहती हैं,
लेकिन उनकी इच्छा है कि वे जब मरें तो उनकी देह का अग्नि से अंतिम संस्कार
करने के बजाय उन्हें गुजरात की मिट्टी में दफनाया जाए। वे यह भी चाहती हैं
कि उनकी कब्र पर महुआ का पेड़ लगाया जाए।
यह मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात नहीं, गुजरात के आदिवासियों का
इलाका तेजगढ़ है। उन्होंने यह भी कहा कि आज के आधुनिक समाजों को आधुनिकता
का असली पाठ राजस्थान सहित विभिन्न प्रदेशों में रह रहे आदिवासियों से
सीखना चाहिए, जिनमें जेंडर डिविजन नहीं है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में उद्घाटन भाषण के बाद दैनिक भास्कर से
विशेष बातचीत में उन्होंने कहा: मैं नहीं चाहती कि मुझे जलाया जाए। मैं
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में दफनाया जाना पसंद करूंगी। अग्नि से अंतिम
संस्कार और अस्थि प्रवाह में मेरा विश्वास नहीं है। लेकिन पुरुलिया में
बहुत पुराने विश्वास के हिंदू रहते हैं।
वे मुझे वहां दफनाए जाने की इजाजत नहीं देंगे। इसलिए मैंने फैसला लिया
है कि मुझे गुजरात में दफनाया जाए। तेजगढ़ इलाके में जीएन देवॉय काम करते
हैं और हमने यह इलाका देख भी लिया है। यह मेरे लिए सबसे अच्छा विकल्प है।
मैं चाहती हूं, मेरे दफनाने के बाद मेरी कब्र पर महुआ का पौधा लगाएं और जो
पेड़ बनकर लहलहाए।
आदिवासी समाज सबसे आधुनिक
महाश्वेता देवी ने कहा : आदिवासी समाजों के लोग शिक्षित
भारतीयों से कहीं ज्यादा एडवांस हैं। इन लोगों से ही आज के आधुनिक लोगों को
आधुनिकता सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को चाहिए कि वह
प्रदेश में आदिवासी और घुमंतू परिवारों सहित सबके लिए 100 प्रतिशत साक्षरता
के लिए तत्काल आंदोलन चलाए। क्योंकि साक्षरता ही जिंदगी में आए दिन सामने
आने वाले हर रण को जिताने वाला पहला और जरूरी हथियार है।
आदिवासी इसलिए हैं आधुनिक
महाश्वेता देवी ने कहा : आदिवासी आज भी पानी बचाते हैं।
बेटे-बेटी में भेद नहीं करते। गर्भ में बेटी का पता लग भी जाए तो भ्रूण
हत्या तो दूर, ऐसा करने की वे कल्पना भी नहीं कर सकते। जमीन पर स्त्री और
पुरुष का समान अधिकार मानते हैं। ये दहेज नहीं लेते। न घूंघट है और न
बुर्का। आधुनिक समाजों से भी आधुनिक इनके वस्त्र और आभूषण हैं। इनके जीवन
में कला है, रंग हैं, पेड़ हैं।
महिलाओं को है आजादी
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाजों में महिलाओं को वह हर स्वतंत्रता
हासिल है, जो आधुनिक समाजों में होनी चाहिए, लेकिन होती नहीं। एक मात्र
आदिवासी ही हैं, जहां जेंडर डिविजन नहीं है। इन समाजों में स्त्रियों को
वैधव्य का अभिशाप नहीं ढोना होता।
यहां स्त्री पिता, पति या बेटों के वर्चस्व से पूर्ण मुक्ति का जीवन
जीती है। उसे खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने और कहीं भी घूमने-फिरने की सब
आजादियां हासिल हैं। आदिवासी स्त्री चाहे तो पति को कभी भी छोड़कर अपने
मनपसंद पुरुष से विवाह रचा सकती है।
मुंबई हमले के साजिशकर्ता पर अमेरिकी कोर्ट का फैसला, हेडली को 35 साल की जेल
शिकागो. 26/11
के मुंबई आतंकी हमले की साजिश में शामिल रहे डेविड कोलमैन हेडली को शिकागो
की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 35 साल जेल की सजा सुनाई है। अमेरिकी सरकार ने
हेडली के लिए इतनी ही सजा की मांग की थी। जांच में सहयोग के चलते वह
उम्रकैद और मौत की सजा से बच गया।
हेडली को मुंबई हमले की साजिश के अलावा डेनमार्क के अखबार पर हमले की
साजिश रचने के लिए भी सजा सुनाई गई है। सजा सुनाते समय कोर्ट परिसर खचाखच
भरा था। इसलिए कार्यवाही देरी से शुरू हुई।
ऐसे बचा मौत की सजा से
हेडली ने मौत की सजा से बचने के लिए याचिका दायर की थी। इसमें उसने
तर्क दिया था कि उसने पूछताछ में अधिकारियों का सहयोग किया और मामले से
जुड़ी कई अहम जानकारियां दीं। मौत की सजा न मिलने पर कोर्ट में मौजूद लोगों
को भी हैरानी हुई। सुनवाई के दौरान हेडली ने 12 आरोप कबूले हैं।
पीड़ित बोले, जीने का हक नहीं
मुंबई आतंकी हमले के पीड़ितों ने कहा कि हेडली को जीने का कोई अधिकार
नहीं है। इनमें ज्यादातर उन अमेरिकी लोगों के परिजन थे जिनकी मौत मुंबई
हमले में हुई थी। अदालत में हेडली को सजा सुनाए जाते वक्त मौजूद रहीं एक
पीड़ित शैर ने कहा, ‘हेडली को भी वह दर्द भोगना चाहिए जो हम भोग रहे हैं।
हेडली को सिर्फ 35 साल की जेल है तो हमारा गुस्सा शांत होना मुश्किल है।’
उनके पति और बेटी की मौत मुंबई हमले में हुई थी। हमले में 166 लोग मारे गए
थे। इनमें अमेरिका सहित 10 देशों के करीब 28 नागरिक भी थे।
देश के गुनहगार पर ये हैं आरोप
मुंबई के वीडियो व अन्य खुफिया सूचनाएं आतंकियों को दीं। इन्हीं जगहों पर हमले हुए।
आतंकियों को मुंबई पहुंचने का ऐसा समुद्री रास्ता बताया जिससे पकड़ न हो सके।
आतंकियों को समर्थन उपलब्ध करवाया, इससे हमला हुआ और कई लोग मारे गए।
मुंबई के ताज होटल को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वहां सेना के अफसर और बड़े वैज्ञानिक मीटिंग करते हैं।
2002 से 2005 के बीच हेडली ने लश्कर के पांच ट्रेनिंग शिविरों में
ट्रेनिंग ली। इनमें उसे जेहाद छेड़ने के उद्देश्य और युद्ध कौशल सिखाए गए।
लश्कर ने तय किया, हेडली जासूसी का काम बेहतरी से कर सकता है। उसका नाम बदला गया, राणा दोस्त के रूप में मुंबई भेजा।
हेडली मुंबई में 2006 से 2008 तक पहचान छिपा कर रहा।
मुंबई पर आतंकी हमले से पहले लश्कर ने उसे डेनमार्क जाकर उसी तरह की जासूसी करने के निर्देश दिए।
नवंबर 2008 में मुंबई में क्या हुआ यह देखने के बाद हेडली जनवरी 2009 में डेनमार्क गया।
डेनमार्क में उसने अखबार तक पहुंच बनाने के लिए मुंबई वाला तरीका ही अपनाया।
जज भी हैरान, बोले- यह सजा उचित नहीं
‘उसने अपराध किया, इसमें सहयोग किया और इस सहयोग के लिए उसे ईनाम दिया
गया। मैं चाहे जो भी फैसला सुनाऊं इससे आतंकवादी नहीं रुकेंगे। दुर्भाग्य
की बात है कि आतंकवादी इसकी परवाह नहीं करते। मुझे हेडली की इस बात पर
भरोसा नहीं होता जब यह कहता है कि वह अब बदल गया है। हेडली से जनता को
बचाना और वह किसी दूसरी आंतकवादी कार्रवाई में शामिल न हो, यह सुनिश्चित
करना मेरी जिम्मदारी है। उसे 35 साल जेल की सिफारिश उचित सजा नहीं है।
सरकार ने इतनी ही सिफारिश की है। इसलिए मैं इस प्रस्ताव को स्वीकार
करूंगा।
-हैरी डी लिनेनवेबर, जज, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, शिकागो
उत्तर कोरिया की धमकी- परमाणु हमले के लिए तैयार रहे अमेरिका
सिओल. उत्तरी कोरिया ने अमेरिका को कट्टर दुश्मन करार देते हुए
कहा है कि उनकी योजना भविष्य में अपना तीसरा परमाणु परीक्षण और लंबी दूरी
वाले रॉकेट लांच करने की है। उसने इन हथियारों से अमेरिका को निशाने बनाने
की धमकी भी दे डाली है।
इससे पूर्व बीते मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उत्तरी
कोरिया के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को और कड़ा करने का प्रस्ताव पारित कर
दिया। उसने पिछले साल दिसंबर में एक रॉकेट लांच किया था, जिसे अमेरिका ने
प्रतिबंधित लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक का परीक्षण बताया था। उत्तर कोरिया
के सबसे भरोसमंद राजनीतिक सहयोगी चीन ने भी संयुक्त राष्ट्र में कड़े
प्रतिबंध के लिए अमेरिका का सर्मथन किया है।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, उत्तर कोरिया के रक्षा आयोग ने अपने बयान
में कहा है कि भविष्य में उनकी योजना उच्च क्षमता वाले परमाणु परीक्षण करने
की है, जिनका सीधा निशाना अमेरिका होगा।
चीनी विदेश मंत्रालय ने उत्तर कोरिया के साथ छह पक्षीय वार्ता करने की
बात कही है। लेकिन उत्तर कोरिया ने वार्ता प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि इस छह पक्षीय वार्ता में अमेरिका, चीन, रूस, जापान, दक्षिण
कोरिया और खुद उत्तर कोरिया शामिल है।
मजिस्ट्रेट ने लड़की से कहा- कपड़े उतारो, विरोध करने पर दी धमकी!
नई दिल्ली. दिल्ली की जूवनल जस्टिस कोर्ट ने दामिनी गैंगरेप के
छठे और नाबालिग आरोपी की सुनवाई रेगुलर कोर्ट में कराने से इंकार कर दिया
है। वहीं रेप के खिलाफ कड़े
कानून बनाने के लिए सुझाव देने के लिए बनाई गई जस्टिस वर्मा कमेटी ने भले
ही सुझाव दिया हो कि नहाते या कपड़े बदलते महिला की मर्जी से खिंचवाई गई
तस्वीर को भी पब्लिक करने पर इसे अपराध माना जाना चाहिए, लेकिन इलाहाबाद
में एक मजिस्ट्रेट पर छेड़खानी का आरोप लगा है। मजिस्ट्रेट के चैंबर में
बयान कलमबंद कराने गई लड़की का आरोप है कि मजिस्ट्रेट ने लड़की से कहा कि
अपने साथ हुई घटना की पुष्टि के लिए वह कपड़े उतारे। मना करने और शोर मचाने
पर मजिस्ट्रेट ने 'बयान खराब करने' की धमकी तक दे डाली। यह मामला गोण्डा
सिविल कोर्ट का है। लड़की ने इसकी शिकायत सिविल बार एसोसिएशन से की तो
वकील भड़क गए। उन्होंने प्रदर्शन और काम का बहिष्कार करके विरोध जताया।
बताया जाता है कि हाईकोर्ट की ओर से जिला जज को मामले की रिपोर्ट भेजने के
लिए कहा गया।
उधर, जस्टिस वर्मा कमेटी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप
दी। इसमें कई सिफारिशें की गई हैं। 630 पन्नों की रिपोर्ट में कमेटी ने
महिला अपराधों में लिप्त नेताओं को चुनाव से दूर रखने के लिए कानून में
बदलाव की बात कही है। साथ ही जिन नेताओं पर ऐसे केस चल रहे हैं उन्हें
तुरंत सदस्यता से इस्तीफा देने को भी कहा गया है।
सिफारिशों से सरकार में बेचैनी बढ़ गई है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी
ने कहा कि कमेटी को केवल दुष्कर्म संबंधी कानूनों में बदलाव के लिए सुझाव
देने को कहा था। लेकिन वह अपनी टर्म्स ऑफ रेफरेंस से आगे बढ़ गई है। इसलिए
देखना होगा कि सरकार इस रिपोर्ट का कितना हिस्सा स्वीकार करती है। यही बात
पीएमओ में राज्यमंत्री नारायणस्वामी ने भी कही। उनका कहना है कि सरकार
अध्ययन करेगी और अगर इसके किसी हिस्से पर सहमति बनेगी तो ही इसे आगे बढ़ाया
जाएगा।
समिति ने महिला को निर्वस्त्र करना, महिला के प्राइवेट एक्ट जैसे
नहाना या कपडे बदलना आदि के समय उसके कमरे में झांकना या गुप्त कैमरा से
तस्वीर उतारने को भी सजायाफ्ता बनाने की सिफारिश की है। इसके लिए सेक्शन
354 (ए) और 354 (बी) को जोडने को कहा है। यह भी कहा गया है कि यदि महिला
ऐसे निजी एक्ट की तस्वीर खिंचवाने को अगर तैयार भी हो जाये तो उसे किसी
तीसरे व्यक्ति को दिखाना या प्रसारित और प्रचारित करना भी दंडनीय होना
चाहिए। दिल्ली के एक स्कूल के एमएमएस कांड और ऐसे कई मामलो को ध्यान रखते
हुए जिसमे महिला अपने प्रेमी या पति के साथ निजी क्षणों को रिकॉर्ड करने
देती है मगर उसके साथ विश्वासघात होता है और उन्हें इन्टरनेट में डाल दिया
जाता है जिससे उसकी बदनामी होती है। कई लड़कियों ने तो आत्महत्या तक कर ली
है।
अमिताभ ने किया कुरान का 'अपमान', कमल हासन ने मुसलमानों को पहुंचाई ठेस?
नई दिल्ली. गुरुवार को अदालतों से फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियों के लिए कई खबरें आईं। केबीसी में अमिताभ बच्चन
द्वारा पूछे गए एक सवाल पर सवालिया निशान लगाते हुए झांसी के मुदसिर उल्ला
खान की तरफ से स्थानीय कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 28
जनवरी तय की गई।याचिका में आरोप लगाया गया था की अमिताभ बच्चन द्वारा कौन बनेगा करोड़पति के जरिए कुरान का 'अपमान' कर मुसलमानों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई गई थी।
उधर, बॉलीवुड के दबंग सलमान खान को बहुचर्चित चिंकारा शिकार मामले
में आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है(), लेकिन कमल हासन मुश्किल
में पड़ गए हैं। उनकी फिल्म ‘विश्वरूपम’ पर तमिलनाडु सरकार ने प्रतिबंध
लगा दिया है। इसे हटवाने के लिए उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा
खटखटाया है।
करीब 20 मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध करते हुए इस प्रतिबंध की मांग
की थी। उनका आरोप था कि इसमें मुस्लिम समुदाय का नकारात्मक तरीके से चित्रण
किया गया है। इसके बाद राज्य सरकार ने जिला कलेक्टरों को प्रतिबंध की
सूचना दे दी है। उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाने
के निर्देश भी दिए गए हैं। कमल हासन कह
चुके हैं कि फिल्म में मुस्लिम समुदाय को नकारात्मक रूप में नहीं दिखाया
गया है। लेकिन इस समुदाय का क्रोध शांत करने में विफल रहे। फिल्म पर बैन
के फैसले को उन्होंने सांस्कृतिक आतंकवाद करार दिया है।
हालांकि विश्वरूपम ऐसी पहली फिल्म नहीं है जिस पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे पहले जोधा अकबर को राजस्थान में रिलीज नहीं किया गया था। 1996 में फिल्म कामसूत्र को
सेक्स कंटेंट होने के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालांकि फिल्म
संशोधित होकर बाद में रिलीज की जा सकी थी। 1996 में ही फिल्म फायर पर
भी रिलीज के दिन प्रतिबंध लगाया गया था। हिंदूवादी संगठनों ने फिल्म दिखा
रहे सिनेमाघरों पर भी हमला किया था। हालांकि कुछ दिन बाद फिल्म थिएटरों में
दिखाई जाने लगी थी।
साल 2003 में सेंसर बोर्ड ने फिल्म पांच को सेक्स कंटेंट, हिंसा और
कोई सामाजिक संदेश न होने के कारण प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद 2005
में फिल्म वॉटर पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस फिल्म को ऑस्कर में भी
प्रतिबंधित कर दिया गया थआ। फूलन देवी के जीवन पर बनी फिल्म 'बेंडिट क्वीन'
को भी अश्लील कंटेट होने के कारण बैन किया गया था। 2012 में ही फिल्म द
गर्ल विद ड्रैगन टैटू को रेप सीन और अश्लील कंटेट के कारण बैन किया गया
था।
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