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10 फ़रवरी 2013

राजस्थान में देश में कोंग्रेस की सरकार लाने के लियें जुट जाने का आह्वान

कोटा जिला कोंग्रेस अध्यक्ष पंडित गोविन्द शर्मा ने आज कोंग्रेस कार्यालय में जन अभियोग के चेयरमेन मुमताज़ मसीह के समक्ष कार्यकर्ताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा के जो लोग कोंग्रेस की उपेक्षा कर रहे है ..जो लोग पद लेकर बेठ जाते है और काम नहीं करते है ऐसे लोग खुद को और कोंग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे है उन्होंने कहा के कोंग्रेस में कुछ लोग पद लोलुप होते है और पद तो ले लेते है लेटर पेड़ बढ़े बढ़े छपवा लेते है लेकिन अगर उनसे कोंग्रेस कार्यालय में आकर किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने या फिर कोंग्रेस की योजनाओं ..आचार विचार को जनता तक पहुँचने के लियें कहा जाए तो वोह मोके पर न आते है कोंग्रेस कार्यालय में बुलाने पर भी नहीं आते है ..ऐसे कार्यकर्ताओं की वजह से संथान बदनाम है इनसे निपटने और ऐसे लोगों को पद देने की प्र्वर्त्ती से बचना होगा जो कार्यकर्ता बूथ से जुडा है वोह कार्यकर्ता आज भी संगठन के प्रति समर्पित है और ऐसे कार्यकर्ता ही कोंग्रेस को जिताते है ..उन्होंने कार्यकर्ताओं से जागरूक होने होने और गिले शिकवे भुलाकर फिर से राजस्थान में देश में कोंग्रेस की सरकार लाने के लियें जुट जाने का आह्वान किया ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह दर्द मोहब्बत को निभाने की सजा है

दोस्तों में कुछ दिनों से अजीब उलझन में हूँ जिनसे मुझे प्यार था उन्होंने तो मुझ से कभी प्यार नहीं क्या ..अगर प्यार का इकरार भी क्या तो फिर सॉलिड तरीके से इनकार कर दिया और जिसने प्यार से इनकार किया उससे क्या प्यार करना ...अकेले थे ..अकेले है ..अकेले रहेंगे का संकल्प जीने का सहारा होता है अब फिर ना जाने क्यूँ कोई अनजाना शख्स एक अनजाने मोबाइल से मिस कोल फिर मेसेज देकर परेशां करता है जवाब नहीं देता ..और फिर मोबाइल स्विच ऑफ़ कर देता है वोह जो कोई भी हो उसके दो मेसेज के जरिये भेजे गए शेर अछ्छे लगे है जो में मेरे साथियों से शेयर कर रहा हूँ इन ख्बुसुरत लाइनों को भेजने के लियें गुमनाम परेशान करने वाले का शुक्रिया ..
रोने की सजा है
न रुलाने की सजा है
यह दर्द मोहब्बत को निभाने की सजा है
हंसते है तो लाइनों
आँखों से निकल आते है आंसूं
यह एक शख्स को
बेपनाह चाहने की सजा है ...
......दुसरा शेर है ...............
हर लफ्ज़ में मतलब होता है
हर मतलब में फर्क होता है
सब कहते है के हम
हंसते बहुत है ..
लेकिन हंसने वालों के
दिल में ही दर्द होता है ....
दोस्तों यह अपरिचित या फिर परिचित जो कोई भी हो जो मुझे मिस कोल देकर या फिर नेसेज देकर परेशान कर रहा है बस इन चंद लाइनों के लियें में उनका शुक्र गुज़र हु और मेने उन्हें माफ़ भी कर दिया है प्लीज़ जो भी है सामने आ जाएँ ......................

फिर से राजस्थान और केंद्र में कोंग्रेस की ही सरकार आएगी

राजस्थान सरकार में जन आभाव अभियोग के चेयरमेन मुमताज़ मसीह ने आज यहाँ कोटा कोंग्रेस कार्यालय में कहा के कार्यकर्ताओं तुम्हे और niraash  होने की जरूरत नहीं है ..कोंग्रेस के कार्यकाल में जन भावना के अनुरूप काम हुए है गाँव हो या शहर हो सभी जगह विकास और जनसमस्याओं का निराकरण हुआ है इसलियें फिर से राजस्थान और केंद्र में कोंग्रेस की ही सरकार आएगी ...........मुमताज़ मसीह ने कहा के कार्यकर्ताओं को आशावादी hona  चाहिए कार्यकर्ता कहते है के उन्हें कुछ नहीं मिला लेकिन जिन्हें मिला है उनसे ज्यादा इज्ज़त उन कार्यकर्ताओं की है जो जनता से जुड़े है और संथान में काम कर रहे है ..उन्होंने कहा के कार्यकर्ता काम कुछ नहीं और सरकार को दोष देते है उन्होंने कहा के सरकार है तो कार्यकर्ताओं की इज्ज़त है वरना कार्यकर्ताओं की पूंछ ही खत्म हो जायेगी .....मसीह ने कोटा जिला कोंग्रेस के अध्यक्ष गोविन्द shrma  से कहा के जो कार्यकर्ता जो कार्यक्रमों में नहीं आते है खिलाफ प्रस्ताव लो प्रदेश अध्यक्ष को लिखो और कोपी मुझे दो .उन्होंने कहा के जो अधिकारी जो कर्मचारी कार्यकर्ताओं की वाजिब शिकायतें नहीं सुनते है उनके खिलाफ भी कोंग्रेस कार्यालय में प्रस्ताव पारित करो और हमे भेजो ऐसे से हमे निपटना आता है उन्होंने कहा के कार्यकर्ताओं के मनोबल से ही बनती है और हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल हम नहीं देंगे ........मसीह ने कहा के गुजरात में विकास के आंकड़े पेश कर संघ  ke log stta me aane की फ़िराक में है लेकिन यह जनता है यह पब्लिक है सब जानती है ..उन्होंने कहा के में कोंग्रेस के शासन में जो विकास था आंकड़ों को देखें तो गुजरात शिक्षा ...विकास ..स्वास्थ्य ..कुपोषण नियंत्रण ..ओद्योगिक निवेश में पिछड़ता ही जा रहा है इससे लता है के गुजरात गलत आंकड़े pesh  कर देश को धोखा दे रहा है जिसकी पोल सर्वेक्षण एजेंसियों ने दी है इस सच को तक पहुँचाओ जबकि राजस्थान में विकास ही विकास है मुफ्त दवाये है ....जानवरों तक को मुफ्त दवाएं है ..सुशासन है इसलियें जनता तक कोंग्रेस के विकास के आंकड़े और सड़कों पर चाय की दुकानों पर ..पान की गुमटियों पर .निराशा और उपेक्षा की बातें करना बंद करो और सरकार के विकास सुशासन के आंकड़े जनता को समझाओं सरकार की सुनिश्चित है ....बैठक में कोंग्रेस के जिला अध्यक्ष पंडित गोविन्द शर्मा ...देहात कोग्न्रेस अध्यक्ष श्रीमती रुकमनी मीणा ..महापोर श्रीमती डोक्टर रत्ना जेन .अरुण भार्गव ..अख्तर खान अकेला ..आबिद कागज़ी ..नरिएश विजयवर्गीय ..उप्म्हापोर राकेश सोरल सहित पार्षद और कार्यकर्ता उपस्थित थे सभी ने मसीह का स्वागत ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह मेरा देश है मेरा मुल्क है यही आदर्श भारत है मेरा हिन्दुस्तान ..

हमारे देश में भी फांसी पर सियासत अजीब है .जाती धर्म ..पार्टियों और क्षेत्रीयता के आधार पर फांसी पर खसिया और नाराजगी होती है ...इतिहास गवाह है आज अफज़ल गुरु की फांसी पर जो लोग जश्न मना रहे है जो लोग मिठाइयां बाँट रहे है उनमे से एक बढ़ा तबका गांन्धी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी देने के मामले में निराश और हताश था सभी जानते है के एक वर्ग अक समाज एक विचारधारा हिन्दुस्तान आज़ाद भारत के इस पहले आतंकवादी जिसने योजनाबद्ध तरीके से पहले मुस्लिम लिबास मुस्लिम शक्ल और शरीर के विशेष हिस्से तक की खतना करा कर अपना चेहरा बदला और अहिंसा के पुजारी देश की धड़कन महात्मा गाँधी की बेरहमी से हत्या की आज कई लोग इस गोडसे को पूजते है ..जब गोडसे को सज़ा दी गयी तब यही लोग जो कथित रूप से राह्स्त्रवादी होने का नारा  देते है रोये थे ..इनके  घरों में चूल्हे नहीं जले थे आज ..संसद पर हमले के देश के दुश्मन आतंकवादी अफज़ल को फिर फांसी हुई है लेकिन इनका उत्साह बदला हुआ है जिन लोगों ने कश्मीर की घाटी  में गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को सजा देने पर जश्न मनाया था आज वहां कर्फ्यू है फांसी का विरोध हो  रहा है ...अजीब बात है अजीब देश है अजीब विचारधारा है यहाँ धर्म और विचारधारा से फांसी क तोला जा रहा है फांसी पर सियासत की जा रही है अरे देश के दुश्मनों को सजा मिली है ..एक कानूनी प्रक्रिया चलाकर कानूनी म्रत्यु है इसमें तो हमे गर्व होना चाहिए के हमारे देश में कानून ज़िंदा है ..हमारा देश महान है यहाँ आज़ाद भारत के पहले खतरनाक आतंकवादी नाथू राम गोडसे को भी नहीं बख्शा गया तो संसद के हमले के आरोपी खुख्नार अपराधी अफज़ल गुरु को भी सबक सिखाया गया है ..खोट हमारी सोच में है जिसे विश्व देखता है ..विष सोचता है के एक सजा नाथूराम गोडसे को दी थी जब लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले थे और आज भी सत्ता में आने की लोलुप कथित देशभक्त बनी पार्टियाँ इस हत्यारे का समर्थन करती है इसे मोडल आदर्श मानती है यह सोच में परिवर्तन क्यूँ आतंक वादी आतंकवादी है उसकी कोई ज़ात कोई धर्म नहीं होता सिर्फ एक ही धर्म एके ही सोच राष्ट्र धर्म और राष्ट्र सोच रखिये नाथूराम गोडसे हो ..अफज़ल गुरु हो सभी आतंकवादी है इनकी फांसी से देश के सवा करोड़ लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कश्मीर घाटी वालों ..अफज़ल गुरु की फांसी पर मातम बनाने वालों जरा समझो तुममे और गान्धी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के समर्थकों में क्या फर्क रह जाएगा प्लीज़ क्लोज़ दिस चेप्टर ..इसे एक इन्साफ ..एक कानून का तमाचा समझकर भूल जाना चाहिए और प्रचारित करना चाहिए के हमारे देश में अमन चेन के लियें खतरनाक लोगों के लियें फांसी से कम कोई सजा नहीं है फिर वोह चाहे नाथूराम गोडसे और उसके समर्थकों का आतंकवाद हो चाहे अफज़ल गुरु और कसाब उसके समर्थकों का आतंकवाद हो जय हिन्द जय भारत ....जय जवान जय किसान यह मेरा देश है मेरा मुल्क है यही आदर्श भारत है मेरा हिन्दुस्तान .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

20 साल बाद बना महा संयोग वसंत पंचमी पर सधेंगे सभी काम

भोपाल। इस बार वसंत पंचमी दो दिन 14 और 15 फरवरी को मनेगी। दोनों दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। पंडितों की मानें तो वसंत पंचमी वैसे भी अबूझ मुहूर्त में शामिल है, उस पर सर्वार्थ सिद्धि योग समृद्धिकारक खरीदी के लिए महा संयोग साबित होगा। इस साध्य योग में किए गए सभी कार्य सधेंगे और बाजार-कारोबार, खरीदी व विनिवेश के लिए यह दो दिन अत्यंत शुभ फल देने वाले होंगे।

महाकुंभः इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़, मरने वालों की संख्या 26 पहुंची

महाकुंभः इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़, मरने वालों की संख्या 26 पहुंची
कुंभ कैंपस. मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे लोगों के बीच रविवार को इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई। प्लेटफॉर्म नंबर 6 के पास पुल की रेलिंग टूटने से हुए इस हादसे में अब तक 26  लोगों के मरने की खबर है। अब तक मरने वाले 6 लोगों की पहचान हो चुकी है। वहीं, तीन दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी बताए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व उत्तर प्रदेश के चरखारी से भाजपा विधायक उमा भारती घायलों से मिलने रेलवे अस्पताल पहुंची हैं।
उमा भारती ने राज्य सरकार और रेलवे पर हादसे का ठीकरा फोड़ा है। उमा का कहना  है की जब राज्य सरकार को सब पता था तब उन्हे इस भीड़ से निपटने के लिए इन्तजाम करने चाहिए थे। लेकिन न तो रेलवे की तरफ से और न ही राज्य सरकार की  तरफ से कोई पुक्ता इन्तजाम किए गए। उन्होंने कहा की अगर समय पर चिकित्सा मिल गयी होती तो कई जाने बचाई जा सकती थी। उमा ने कहा की जिनकी लापरवाही से ये मौतें हुई हैं वे हत्यारे हैं।
  वहीं यूपी के नवनियुक्त कारागार मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कहा की रेलवे और केंद्र से जितनी मदद मांगी गयी थी वह नहीं मिली जो की इस घटना के पीछे जिम्मेदार हो सकती है। रेल मंत्री पवन बंसल ने पूरे मामले में एक जांच टीम गठित करने की बात कही है। 
रेलवे के डी आई जी लाल जी शुक्ल का कहना ने हादसे में  20 लोगों के मरने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि  क़रीब 40 लोग गंभीर रूप से घायल हुए है। डीआईजी का कहना है की हादसे की असली वजहों का खुलासा नहीं हो पाया है लेकिन एक बात तय है कि यह हादसा एक साथ ज्यादा भीड़ बढ़ने के कारण हुआ है।

हादसे में घायलों को रेलवे स्टेशन के पास के हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है। जहां अभी भी कई की हालत गंभीर बनी हुई है। कुछ घायलों को इलाहाबाद के स्वरूप रानी मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है और जो गंभीर रूप से घायल है उन्हें लखनऊ भेजने की तैयारी की जा रही है।
वहीं, स्टेशन पर बाकी ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह से फिलहाल रोक दिया गया है। यूपी सरकार नें घटना के बाद केंद्र से महाकुंभ के लिए और ट्रेने चलाने का आग्रह किया। रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने बताया कि 50 अतरिक्त ट्रेने इलाहाबाद भेजी जा रहीं हैं। रेल मंत्री का कहना है कि मेरी जानकारी के अनुसार फुटओवर ब्रिज नहीं टूटा।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रु. और घायलों को 1-1 लाख रु. मुआवजे देने का एलान किया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी मुआवजे की घोषणा की है, हालांकि मुआवजे की राशि कितनी है इसका पता अभी नहीं चल सका है।
इस बीच डेढ़ दर्जन घायलों को इलाहाबाद के स्वरुप रानी नेहरु मेडिकल कॉलेज के अस्पताल और बेली अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उधर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, यूपी के सीएम अखिलेश यादव, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, बसपा अध्यक्ष मायावती और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर शोक जाहिर किया है। वहीं यूपी राजस्व परिषद के अध्यक्ष को पूरी घटना की जांच की जिम्मेदारी सौपी गयी है।
कुछ चश्मदीदों के मुताबिक पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसकी वजह से भगदड़ मची और लोग एक दूसरे को कुचलते गए।हादसे को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शोक जताया है। पीएम ने कहा कि घायलों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं मुहैय्या कराई जाए। साथ ही रेल मंत्रालय को पीड़ितों को पूरी मदद देने का आदेश भी दिया। वहीं, यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने इस हादसे की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है।
यूपी पुलिस के आईजी (लॉ एंड आर्डर) बी पी सिंह ने लखनऊ में इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन पर कुछ लोगों की भगदड़ में मौत की पुष्टि की है पर उनकी संख्या बताने में असमर्थता जाहिर की। उनका कहना है की वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुच गए हैं और पूरे मामले पर नज़र बनाये हुए हैं।
भगदड़ प्लेटफार्म नंबर छह पर मची थी। इससे पहले महाकुंभ में एक श्रद्धालु की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। रविवार को करीब तीन करोड़ लोगों ने शाही स्नान किया।

कुरान का सन्देश

खेत में गीली मिट्टी से भरा एक गड्ढा, जैसे ही खोदा तो तड़पता मिला मासूम!



सुजानगढ़. गोपालपुरा की रोही में स्थित स्वामियों की ढाणी के पास शनिवार सुबह नवजात बेटे को खेत में जिंदा दबा दिया गया। वहां से निकल रहे एक राहगीर ने उसे निकाल कर अस्पताल पहुंचा दिया। सूत्रों के मुताबिक उसे गाड़ने के लिए महिला व पुरुष बाइक से पहुंचे थे। 
 
अज्ञात लोगों ने उसे जिंदा दफना कर बेशक एकबारगी उससे पीछा छुड़ा लिया, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। ढाणी झलाई तलाई निवासी चंद्रसिंह पुत्र भूरसिंह रावणा राजपूत ने बताया कि वह शनिवार सुबह करीब आठ बजे ढाणी से मजदूरी के लिए पैदल सुजानगढ़ की ओर रवाना हुआ। 
 
कुछ दूर चलने के बाद स्वामियों की ढाणी के पास स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल के निकट उसने दूर से एक महिला व पुरुष को सड़क की ओर-आते व जल्दबाजी में अपनी बाइक स्टार्ट कर गोपालपुरा की ओर भागते हुए देखा था। 
 
शक होने पर वह मालियों के खेत में पद चिह्नें का पीछा करते हुए घटना स्थल तक गया, तो खेत में ताजा खोदा हुआ एक गड्ढा गीली मिट्टी से भरा हुआ नजर आया। उसने हल्की से खुदाई की, तो उसमें एक नवजात तड़प रहा था। उसे लेकर वह मुख्य सड़क पर आ गया। जहां पर उसे गोपालपुरा निवासी अध्यापक संतोष कुमार मिला। बाद में दोनों ने आठ किलोमीटर पैदल चल कर उसे सुजानगढ़ के राजकीय बगड़िया अस्पताल में पहुंचाया। 
 
अस्पताल के पीएमओ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सीआर सेठिया ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उसका तुरंत उपचार कर बचा लिया। उधर पुलिस ने चंद्रसिंह की रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज किया।
  
बच्चा खतरे से बाहर 
 
डॉ. सीआर सेठिया ने बताया कि नवजात का जन्म शुक्रवार देर रात का होना लग रहा है। उन्होंने बताया कि जिंदा दफन करने के चलते वह डरा हुआ था तथा सर्दी व मिट्टी के कारण उसके शरीर में संक्रमण भी हो गया था। 
 
नवजात के शरीर की सफाई करते हुए, उसे तुरंत फोटोथैरेपी में रख कर ऑक्सीजन लगाया गया है। डॉ. सेठिया ने बताया कि शिशु को संक्रमण की रोकथाम के लिए एंटीबायोटिक इंजेक्शन व अन्य जीवन रक्षक दवाइयां दी जा रही है। उसकी हालत अब खतरे से बाहर है।

यहीं मारी थी शेषनाग ने पाताल लोक से फुफकार, अब तक निकल रहा गरम पानी!



चंडीगढ़। हिमाचल प्रदेश स्थित कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर यह स्थान है जिसे मणिकर्ण नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि एक बार माता पार्वती के कान की बाली (मणि) यहां गिर गई थी और पानी में खो गई। खूब खोज-खबर की गई लेकिन मणि नहीं मिली। आखिरकार पता चला कि वह मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास पहुंच गई है।

जब शेषनाग को इसकी जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुफकार मारी और धरती के अंदर से गरम जल फूट पड़ा। गरम जल के साथ ही मणि भी निकल पड़ी। आज भी मणिकरण में जगह-जगह गरम जल के सोते हैं।

गिटार पर गजल गाने वाले अफजल की जिंदगी का सच, जानिए


गिटार पर गजल गाने वाले अफजल की जिंदगी का सच, जानिए
नई दिल्ली. 'मिनी लंदन' कहे जाने वाले कश्मीर के सोपोर कस्बे से कुछ किलोमीटर पहले झेलम नदी के किनारे शीर जागीर गांव में अफजल गुरु का जन्म हुआ था और उसकी परवरिश भी इसी गांव में हुई थी। गांव तक पहुंचने के लिए सेना के एक शिविर से होकर गुजरना पड़ता है और यह रास्ता कच्चा है।
 
 
शीर जागीर और उसके आसपास के गांवों में सेब के सैकड़ों बागीचें हैं। इसी गांव में अफजल का दो मंजिला घर है, जिसके आगे लॉन भी है। घर पर ताला लगा हुआ है। कुछ महीने पहले तक यहां अफजल का छोटा भाई हिलाल रहता था। अफजल के मां-बाप के चार बेटे थे। एक गांव वाले के मुताबिक, 'पिछले साल नवंबर में कसाब को फांसी होने के बाद अफजल का भाई काफी डरा हुआ था और उसने अपनी पत्नी को बताया था कि अगला नंबर अफजल का हो सकता है।' गांव वालों के मुताबिक हिलाल और उसकी पत्नी ने बहुत जल्दबाजी में घर छोड़ा था।
 2001 में अफजल की गिरफ्तारी के बाद ही उसकी पत्नी तबस्सुम अपने माता-पिता के घर बारामुला के आजाद गंज चली गई। अफजल के गांव के रहने वाले मुहम्मद यूसुफ ने बताया, 'तबस्सुम कभी-कभी यहां आती हैं।' पिछले साल सितंबर में अफजल की मां आयशा बेगम की पेट की बीमारी के चलते मौत हो गई थी जबकि अफजल के पिता हबीबुल्ला गुरु की 35 साल पहले सिरॉसिस के चलते मौत हुई थी। अफजल के गांव के पड़ोसी मुहम्मद सुल्तान ने उसके पिता हबीबुल्ला के बारे में बताया, '70 के दशक में जब गांव के ज्यादातर लोगों के लिए दो जून की रोटी मुश्किल थी, तब उनके पास एंबेसडर कार थी।' एक अन्य पड़ोसी अब्दुल अहद ने बताया, 'जब लोगों ने टीवी देखी नहीं थी, तब उन्होंने अपने बच्चों के लिए टीवी खरीदी थी। पूरा गांव रविवार को उनके घर पर इकट्ठा होकर फिल्म देखता था।' हबीबुल्ला ट्रांसपोर्ट और लकड़ी का कारोबार करते थे। लेकिन बहुत कम उम्र में उनकी मौत हो गई थी। अफजल का बड़ा भाई एजाज कई साल पहले ही अपने परिवार के साथ गांव छोड़कर चला गया था। लेकिन जब अफजल के पिता की मौत हुई थी तब परिवार के खर्च का जिम्मा अफजल के बड़े भाई एजाज पर आ गया। एजाज ने वेटेरिनरी डिपार्टमेंट में नौकरी कर ली और साथ ही लकड़ी का भी कारोबार करता रहा। अफजल के चचेरे भाई फारुख गुरु ने बताया, 'एजाज ने मेहनत कर यह सुनिश्चित किया कि अफजल की पढ़ाई पर असर न पड़े।'
अफजल के परिवार पर उस वक्त मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था जब अफजल के सबसे छोटे भाई रियाज की मौत हो गई थी। रियाज दिल्ली में ही रहता था, जहां वह कश्मीर से जुड़ी चीजों का कारोबार करता था। इन घटनाओं ने अफजल की मां आयशा की सेहत पर बुरा असर डाला। अफजल की मां बीमार रहने लगी थीं। शीर जागीर गांव की एक महिला के मुताबिक, 'उस दौर में अफजल नदी से पानी लाता था और खाना पकाना, कपड़े धोना और घर की सफाई जैसे काम करता था। चाहे गर्मी हो या ठंड अफजल हमेशा अपनी मां की मदद करता था।' लेकिन उसने तब भी अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं किया। गांव के बच्चों के साथ वह एक नाव से डोबगढ़ गवर्नमेंट हाई स्कूल में पढ़ने जाता था। अफजल के साथ पढ़ चुके मौलवी बशीर अहमद ने बताया, 'वह खेल, थिएटर और सांस्कृतिक गतिविधियों में बहुत तेज था।' अफजल के स्कूली दिनों में उसके सीनियर रहे मुबाशिर मराजी स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित होने वाली परेड में अफजल अक्सर कमांडर बनता था। मराजी के मुताबिक पढ़ाई के साथ-साथ अन्य चीजों में अफजल की दिलचस्पी और उसका मजाकिया अंदाज अध्यापकों को बहुत भाता था। उस दौर में कश्मीरी पंडितों का घाटी की शिक्षा और प्रशासन में बहुत दखल था। अफजल गुरु पर प्राणनाथ सूरी, रतन लाल, त्रिलोकीनाथ रैना और श्याम सुंदर गरतू जैसे अध्यापकों का गहरा असर पड़ा था। मौलवी बशीर अहमद के मुताबिक, 'हमारे अध्यापकों ने कभी भी छात्रों में भेदभाव नहीं किया। अफजल उनका पसंदीदा छात्र था।'
 अफजल के पड़ोसी, दोस्त और रिश्तेदार इस बात पर भरोसा ही नहीं कर पाते कि संसद हमले में उसका हाथ था। उनकी नजरों में अफजल को डॉक्टर बनना था और अगर ऐसा होता तो शीर जागीर को उसके फख्र होता। जब मेडिकल कॉलेज में अफजल का दाखिला हुआ था, तो पूरे गांव ने जश्न मनाया था। अफजल के पिता की जब मौत हुई, तो उसकी उम्र महज 10 साल थी और कश्मीर घाटी में अमन चैन था। लेकिन कुछ साल बाद कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने कदम रखे और शीर जागीर समेत घाटी के तमाम गांव आतंकवाद के घेरे में आ गए। युवाओं ने बंदूकें उठा लीं और घाटी लहूलुहान हो गई। शीर जागीर समेत सोपोर और उसके आसपास के इलाके आतंकवादियों के गढ़ बन गए। इन इलाकों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और सूडान से आतंकवादी आने-जाने लगे। लेकिन जल्द ही इसी दौरान अफजल के दिमाग पर आतंकवाद का गहरा असर पड़ा। 2006 में भेजी गई दया याचिका में अफजल ने लिखा था, 'घाटी में हजारों युवाओं पर उमर मुख्तार की प्रतिबंधित फिल्म लायन ऑफ द डेजर्ट का बहुत असर पड़ा था। इसमें एक टीचर की कहानी दिखाई गई थी जो अपने लोगों की आजादी के लिए लड़ता है और आखिर में उसे फांसी दे दी जाती है।'
आजादी के लिए भटका हुआ जूनुन अफजल पर भारी पड़ा। अफजल के एक रिश्तेदार ने बताया, 'मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ने का गम उसे हमेशा सालता था। जब वह छोटा था तब उसके पिता उसे डॉक्टर नाम से पुकारते थे। हबीबुल्ला की इच्छा थी कि अफजल डॉक्टर बने और अफजल को यह बात पता थी।' झेलम वैली मेडिकल कॉलेज में अफजल के साथ पढ़ाई कर चुके एक डॉक्टर ने बताया, 'म्यूजिक से लगाव के चलते वह लड़कियों के बीच बहुत मशहूर था। वह अक्सर ग़ज़ल सुनाता था और लड़कियां उसे पसंद करती थीं।' उस दौर में झेलम मेडिकल कॉलेज में हॉस्टल नहीं था। तब कुछ छात्र बेमिना में एक प्राइवेट हॉस्टल में रहते थे। एक अन्य डॉक्टर ने अपना नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर बताया, 'बेमिना में मैं और अफजल साथ-साथ रहते थे। उसे कविताएं बहुत पसंद थीं। मिर्जा गालिब और अल्लामा इकबाल जैसे शायर उसके पसंदीदा थे। उसके कमरे में इकबाल का बहुत बड़ा पोस्टर लगा रहता था।' अफजल के साथ पढ़ाई कर चुके एक अन्य शख्स ने उसके के बारे में बताया, 'वह बहुत मेहनत से पढ़ाई करता था और औसत नंबर पाता था। एमबीबीएस के पहले साल अफजल सभी विषयों में पास हो गया था। उसके बाद किसी विवाद के चलते कॉलेज कुछ महीनों के लिए बंद हो गया। उसके बाद हम लोग पहले प्रोफेशनल इम्तिहान के लिए कॉलेज में इकट्ठा हुए। लेकिन अफजल नहीं आया। उसके बाद से हम लोगों ने अफजल को कभी नहीं देखा।'
मेडिकल की पढ़ाई छोड़ने के बाद अफजल जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का सदस्य बन गया। अफजल अपने ममेरे भाई डॉ. अब्दुल अहद गुरु से बहुत प्रभावित रहता था। वे मशहूर डॉक्टर थे। लेकिन 1994 में उनकी आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। अब्दुल अहद ने झेलम वैली मेडिकल कॉलेज में अफजल के दाखिले में बहुत मदद की थी। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लौटने के बाद अफजल एमबीबीएस की अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया। इसके बाद वह दिल्ली चला गया जहां उसने कॉरेसपॉन्डेंस से दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में बीए किया। इसके बाद अफजल ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में एडमिशन के लिए हाथ-पांव मारे। इस दौरान आर्थिक तंगी के चलते उसने ट्यूशन भी पढ़ाया। अफजल दिल्ली में अपने चचेरे भाई शौकत गुरु के साथ रहता था। शौकत ने एक अफसां नवजोत नाम की एक सिख लड़की से शादी की थी, जिसने बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था।
दिल्ली में ग्रेजुएशन करने के बाद अफजल ने 1998 में तबस्सुम से शादी कर ली जो उसके मां की रिश्तेदार थी। अफजल ने श्रीनगर में सर्जिकल सामानों का कारोबार शुरू किया। उसी सिलसिले में अक्सर वह दिल्ली जाता था। 1999 में तबस्सुम ने बेटे को जन्म दिया था। अफजल ने उसे गालिब नाम दिया। अफजल के ससुर गुलाम ने बताया, 'सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन एक दिन पुलिस ने अफजल को श्रीनगर के पारिमपोरा से गिरफ्तार कर लिया। खबरों में बताया गया कि वह संसद पर हमले में शामिल था। सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा कि उसके खिलाफ सुबूत हैं। लेकिन फिर भी देश के लिए उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया।' अफजल गुरु के वकील एनडी पंचोली का मानना है कि उसके मुवक्किल के साथ न्याय नहीं हुआ। पंचोली के मुताबिक, 'अदालत मित्र ने अफजल के केस में पर्याप्त बहस नहीं की। उन्होंने गवाहों से जिरह नहीं की। अफजल उनकी जगह किसी और अदालत मित्र को रखवाना चाहता था। लेकिन अफजल की मांग अनसुनी कर दी गई।'
 अफजल के बड़े भाई एजाज का कहना है कि उनके परिवार ने इस मुद्दों को अल्लाह पर छोड़ दिया है। एजाज के मुताबिक, 'अफजल ने हमसे और तबस्सुम से कई बार दया की भीख न मांगने को कहा था।' अपनी दया याचिका में अफजल ने लिखा था, 'मैं ऐसे किसी काम के लिए माफी नहीं मांग सकता हूं जो मैंने किया ही नहीं है।' अफजल की पत्नी तबस्सुम आम तौर पर मीडिया से बात नहीं करती हैं। लेकिन अपने पति की फांसी से कुछ वक्त पहले सोपोर के गुरु नर्सिंग होम में नौकरी करने वाली तबस्सुम ने कहा था, 'मैंने अब सब कुछ अल्लाह पर छोड़ दिया है। अफजल किसी बात से नहीं डरते हैं। अल्लाह उनकी हिफाजत करेगा।' अस्पताल का स्टाफ तबस्सुम की बहुत इज्जत करता है और उसे 'प्यारी दीदी' नाम से पुकारा जाता है। तबस्सुम का काफी समय नर्सिंग होम में बीतता है। लेकिन उसका पूरा ध्यान बेटे गालिब पर लगा रहता है। गालिब आठवीं में पढ़ता है। जब 2006 में अफजल का परिवार तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से दया याचिका के संबंध में मुलाकात करने पहुंचा था, तब गालिब ने कलाम को बताया था कि वह डॉक्टर बनना चाहता है। लेकिन पिता को हुई जेल के चलते उसे उम्मीद कम है। अफजल के ससुर गुलाम ने बताया, 'अफजल चाहता था कि उसका बेटा गालिब पीएचडी करे। जब गालिब आखिरी बार अफजल से मिला था, तब अफजल ने अपने बेटे से कहा था कि वह खूब पढ़े और हमेशा अपनी मां का साथ दे।'
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