जयपुर.कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मधुसूदन मिस्त्री को दिए
गए फीडबैक में पार्टी के कई जिलाध्यक्षों ने खुलकर कहा है कि सत्तारूढ़ दल
की गाड़ी को ओवरहालिंग की जरूरत है। जमीनी हालात ठीक नहीं हैं। इन हालात को
दुरुस्त किए बिना विधानसभा और लोकसभा के चुनाव जीतना मुश्किल हैं। भाजपा
की कमान वसुंधरा राजे को दिए जाने के बाद संगठन और सरकार में बदलाव जरूरी
हो गए हैं। इन नेताओं ने वसुंधरा के रोड शो में आई भीड़ को लेकर भी अपने
तर्क दिए।
मिस्त्री ने मंगलवार को 2३ जिलाध्यक्षों को अलग-अलग बुलाकर लोकसभा और
विधानसभा चुनावों के बारे में फीडबैक लिया तो उनकी पेशानी पर चिंता की
लकीरें खिंच गईं। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ चर्चा की।
हाड़ौती और मेवाड़ क्षेत्रों सहित आधे से ज्यादा जिलों के अध्यक्षों ने
खुलकर कहा कि सरकार और संगठन की मौजूदा स्थिति यही रही तो सत्ता में वापसी
मुश्किल है।
इन हालात को दुरुस्त करने की इसलिए भी जरूरत है कि लोकसभा चुनाव का
ट्रैंड भी वही रहता है जो विधानसभा में होता है। मिस्त्री ने जिलाध्यक्षों
से लोकसभा क्षेत्र की स्थिति, विपक्षी उम्मीदवार, जिले के माहौल, सरकार की
फ्लैगशिप योजनाओं का जनता में मैसेज, लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र में
कांग्रेस की स्थिति, बेहतर उम्मीदवार और जीता कैसे जाए, इस पर सवाल पूछे।
हर जिलाध्यक्ष से मिस्त्री ने अकेले में 20 से 25 मिनट तक चर्चा की।
कांग्रेस मुख्यालय के बाहर सेवादल का पहरा
मिस्त्री के जिलाध्यक्षों के फीडबैक कार्यक्रम में गोपनीयता बनाए रखने
के लिए खास हिदायत दी गई है। मंगलवार को सुबह से ही पीसीसी के बाहर सेवादल
के कार्यकर्ताओं का पहरा लगा दिया गया। जिलाध्यक्षों और अधिकृत
पदाधिकारियों को छोड़ किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। फीडबैक
के लिए बुलाए गए जिलाध्यक्षों को मीडिया से इसके बारे में चर्चा नहीं करने
की खास हिदायत दी गई है।
इन जिलों के जिलाध्यक्षों से लिया फीडबैक :
श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ बीकानेर, नागौर, जयपुर ग्रामीण, कोटा शहर और
कोटा ग्रामीण, चूरू, टोंक, जोधपुर ग्रामीण, जैसलमेर, बाड़मेर, चित्तौड़गढ़,
जालौर, बूंदी, सवाईमाधोपुर।
मंत्री और ब्यूरोक्रेसी निरंकुश :
मेवाड़ क्षेत्र के एक जिलाध्यक्ष ने फीडबैक में खुलकर सरकार की खिलाफत
की। जिलाध्यक्ष ने यहां तक कहा कि सरकार और संगठन के मौजूदा चेहरों को
सामने रखकर चुनाव जीतना मुश्किल है। संगठन का मतलब मंत्री और विधायक ही समझ
लिया है, बाकी कार्यकर्ताओं को कोई तवज्जो नहीं दी जाती। मारवाड़, मेवाड़
और हाड़ौती क्षेत्र के कुछ जिलाध्यक्षों ने ब्यूरोक्रेसी के हावी होने का
मुद्दा उठाया और कहा कि इससे कार्यकर्ता निराश हैं और वह ठगा सा महसूस कर
रहा है। कार्यकर्ता का मनोबल गिरा हुआ है, इसका चुनावों में पार्टी पर खराब
असर पड़ना तय है।
लोकसभा पर ज्यादा जोर :
मिस्त्री ने कुछ जिलाध्यक्षों से विधानसभा व लोकसभा चुनावों में
पार्टी की स्थिति के बारे में पूछा, लेकिन उनका ज्यादा जोर लोकसभा चुनावों
के हिसाब से फीडबैक लेने पर रहा। लोकसभा चुनावों के हिसाब से फीडबैक लेने
के लिए नवंबर में भेजे गए तीन पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भी मिस्त्री साथ लाए
हैं। मिस्त्री जिलाध्यक्षों से बातचीत में तीनों पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट
को क्रॉस चैक कर रहे हैं। कई जिलाध्यक्षों ने जब उस रिपोर्ट से अलग हालात
बताए तो उनसे इसका कारण भी पूछा।
हमारी हैसियत पटवारी का ट्रांसफर करवाने की भी नहीं
मिस्त्री के आने से पहले प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने जिलाध्यक्षों
के साथ बैठक कर जिला कमेटियों का विस्तार करने, राजनीतिक सम्मेलनों और
चुनावी तैयारियों पर चर्चा की। जिलाध्यक्षों ने संगठन में विधायकों व
सांसदों को ज्यादा तरजीह देने और उनकी उपेक्षा पर नाराजगी जताई।
हाड़ौती क्षेत्र के एक जिलाध्यक्ष ने तो यहां तक कह दिया कि हमारी
हैसियत एक पटवारी का ट्रांसफर करवाने की भी नहीं है, हम कार्यकर्ता को क्या
जवाब दें। ऐसे हालात में आप चुनाव जीतने की बात छोड़ दीजिए। जिलाध्यक्षों
ने यह भी कहा कि ऊपर से लेकर नीचे तक ब्यूरोक्रेसी हावी है। मंत्री जिलों
में जाते हैं तो मीडिया की खबरों से पता लगता है, जिलाध्यक्ष को सूचना तक
नहीं दी जाती।
जिलों में विधायक और सांसद का मतलब ही पार्टी मान लिया गया है। इन सब
कारणों से मौजूदा हालात खराब हैं। कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट चुका है।