कोटा. सरकार भले ही स्वाइन फ्लू की मुफ्त जांच का ढिंढोरा पीट
रही हो, लेकिन अस्पतालों में स्थिति घोषणाओं से बिल्कुल उलट है। खांसी,
जुकाम और बुखार जैसे लक्षण होने पर भी आम आदमी जांच कराने से कतरा रहा है।
कारण है महंगी जांच।
निजी अस्पतालों में तो 4500 से 5 हजार रुपए तक वसूली ही जा रहे हैं,
एमबीएस के आउटडोर में भी स्वाइन फ्लू की जांच के लिए १५क्क् रुपए चुकाने
पड़ रहे हैं। फ्लू का वायरस तेजी से फैल रहा है और रोज नए मामले सामने आ
रहे हैं, इसके बावजूद संभागीय स्तर पर भी मुफ्त जांच की सुविधा नहीं है।
स्थिति बिगड़ने पर जब मरीज को सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया जाता है,
तब ही मुफ्त जांच होती है। लेकिन, तब तक मरीज के अलावा उसके परिजन भी फ्लू
की आशंका बन जाती है।
ऐसे होती है जांच: एमबीएस के आउटडोर व इनडोर में पहुंचने वाले
रोगियों की जांच के लिए एमबीएस अस्पताल स्थित लेबोरेट्री में कलेक्शन किट
(वायरल ट्रांसपोर्ट किट मीडिया) में रोगी के गले से स्वाब का नमूना लिया
जाता है। प्रयोगशाला से सुबह साढ़े नौ बजे व तीन बजे (दो बार) नमूने (कूल
चेन में) मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित लेबोरेट्री में जांच के लिए भेजे जाते
हैं।
जहां पहले नमूने का केमिकल ट्रीटमेंट किया जाता है। आरएनए निकाला जाता
है, फिर मास्टर किट कैमिकल के जरिए तैयार किया जाता है। इस मशीन में एक
साथ 10 नमूने लगाए जाते हैं। इन नमूनों से 3 घंटे में रिपोर्ट सामने आती
है।
शहर में सुविधा, फिर भी सबकी पहुंच में नहीं
अभी ये हो रहा है: सरकार ने संभागीय मुख्यालय पर जांच सुविधा तो
उपलब्ध कराई है, लेकिन इसमें कई पेच हैं। मुफ्त जांच केवल इनडोर रोगी की ही
हो रही है। आउटडोर के पेशेंट को 1500 रुपए देने पड़ रहे हैं। यह जांच केवल
सहरिया और बीपीएल परिवारों के लिए मुफ्त है।
परेशानी 1. स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के बाद मरीज के परिजन
और आसपास के रहवासी आशंका होने पर जांच कराना चाहते हैं, लेकिन 4-5 जने भी
एक परिवार में हों तो जांच का खर्चा 10 हजार तक पहुंच जाता है। जो निम्न और
मध्यम वर्गीय परिवारों के बूते से बाहर है।
परेशानी 2. बड़ी परेशानी वे झेल रहे हैं, जो अच्छे इलाज के लिए निजी
अस्पताल में भर्ती हो गए। मरीज बेड पर है, तो उसका स्वाब दिल्ली या
अहमदाबाद भेजना पड़ता है। रिपोर्ट 3 दिन बाद आती है। ऐसे कई मामले हो चुके
हैं, जिनमें मौत के बाद स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई।
जल्दी जांच क्यों?
स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से बढ़कर फेफड़े फेल कर देता है। जल्दी
जांच हो तो रोगी को ऑर्गन फैलियर की स्थिति से बचाया जा सकता है। स्वाइन
फ्लू का पता चलते ही नजदीकी लोग अलर्ट हो जाएंगे और इस संक्रामक बीमारी पर
ज्यादा प्रभावी नियंत्रण होगा।
तीन गुना खर्चा भी: निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को जांच
के लिए 4500 से 5 हजार रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी रिपोर्ट तीन
दिन बाद आती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वेंटिलेटर पर लेटे मरीज को
जांच के लिए एमबीएस के आउटडोर ले जाया जाए?
कौन कर सकता है पहल
मेडिकल कॉलेज प्राचार्य, अस्पताल अधीक्षक और सीएमएचओ सरकार को मुफ्त
जांच सुविधा के लिए लिखकर दें तो सरकार इस पर विचार कर सकती है।
जनप्रतिनिधि और राजनेता भी सरकार पर दबाव बना सकते हैं कि जांच सबके लिए ही
मुफ्त हो।
दो और स्वाइन फ्लू पॉजीटिव मिले
कोटा. दो और स्वाइन फ्लू पॉजीटिव रोगी मिले हैं। इनमें एक गर्भवती
महिला हैं। उन्हें एमबीएस अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती किया गया
है।
एमबीएस अस्पताल के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ.एसआर मीणा ने बताया कि
बूंदी जिले के कोतिया निवासी कृष्णा (24) पत्नी सत्यनारायण रविवार रात को
खांसी, जुकाम, बुखार व सांस लेने में परेशानी की शिकायत लेकर आई थी।
परीक्षण कर उसे भर्ती कर लिया गया था। उनके स्वाब का नमूना लिया गया,
जिसे मेडिकल कॉलेज की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया। रिपोर्ट में
उन्हें स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया। डॉ. केवल कृष्ण डंग ने बताया कि
विज्ञाननगर निवासी सोनू लालवानी तीन दिन पूर्व तलवंडी निजी अस्पताल में
भर्ती थी। हालात में सुधार होने पर उनकी छुट्टी कर दी गई, लेकिन सोमवार को
जांच रिपोर्ट में उन्हें स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया। डिप्टी सीएमएचओ डॉ.
रामजीलाल का कहना है कि अब तक 10 पॉजीटिव सामने आ चुके हैं। जिसमें से 4
की मौत हो चुकी है।