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18 फ़रवरी 2013

जानलेवा स्वाइन फ्लू, फिर भी जांच के लिए सरकारी अस्पताल में देने पड़ रहे 1500


कोटा.  सरकार भले ही स्वाइन फ्लू की मुफ्त जांच का ढिंढोरा पीट रही हो, लेकिन अस्पतालों में स्थिति घोषणाओं से बिल्कुल उलट है। खांसी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण होने पर भी आम आदमी जांच कराने से कतरा रहा है। कारण है महंगी जांच।
 
निजी अस्पतालों में तो 4500 से 5 हजार रुपए तक वसूली ही जा रहे हैं, एमबीएस के आउटडोर में भी स्वाइन फ्लू की जांच के लिए १५क्क् रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। फ्लू का वायरस तेजी से फैल रहा है और रोज नए मामले सामने आ रहे हैं, इसके बावजूद संभागीय स्तर पर भी मुफ्त जांच की सुविधा नहीं है। स्थिति बिगड़ने पर जब मरीज को सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया जाता है, तब ही मुफ्त जांच होती है। लेकिन, तब तक मरीज के अलावा उसके परिजन भी फ्लू की आशंका बन जाती है।
 
ऐसे होती है जांच: एमबीएस के आउटडोर व इनडोर में पहुंचने वाले रोगियों की जांच के लिए एमबीएस अस्पताल स्थित लेबोरेट्री में कलेक्शन किट (वायरल ट्रांसपोर्ट किट मीडिया) में रोगी के गले से स्वाब का नमूना लिया जाता है। प्रयोगशाला से सुबह साढ़े नौ बजे व तीन बजे (दो बार) नमूने (कूल चेन में) मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित लेबोरेट्री में जांच के लिए भेजे जाते हैं।
 
जहां पहले नमूने का केमिकल ट्रीटमेंट किया जाता है। आरएनए निकाला जाता है, फिर मास्टर किट कैमिकल के जरिए तैयार किया जाता है। इस मशीन में एक साथ 10 नमूने लगाए जाते हैं। इन नमूनों से 3 घंटे में रिपोर्ट सामने आती है।
 
शहर में सुविधा, फिर भी सबकी पहुंच में नहीं
 
 
अभी ये हो रहा है: सरकार ने संभागीय मुख्यालय पर जांच सुविधा तो उपलब्ध कराई है, लेकिन इसमें कई पेच हैं। मुफ्त जांच केवल इनडोर रोगी की ही हो रही है। आउटडोर के पेशेंट को 1500 रुपए देने पड़ रहे हैं। यह जांच केवल सहरिया और बीपीएल परिवारों के लिए मुफ्त है।
 
 
परेशानी 1. स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के बाद मरीज के परिजन और आसपास के रहवासी आशंका होने पर जांच कराना चाहते हैं, लेकिन 4-5 जने भी एक परिवार में हों तो जांच का खर्चा 10 हजार तक पहुंच जाता है। जो निम्न और मध्यम वर्गीय परिवारों के बूते से बाहर है।
 
 
परेशानी 2. बड़ी परेशानी वे झेल रहे हैं, जो अच्छे इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। मरीज बेड पर है, तो उसका स्वाब दिल्ली या अहमदाबाद भेजना पड़ता है। रिपोर्ट 3 दिन बाद आती है। ऐसे कई मामले हो चुके हैं, जिनमें मौत के बाद स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई।
 
जल्दी जांच क्यों? 
 
 स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से बढ़कर फेफड़े फेल कर देता है। जल्दी जांच हो तो रोगी को ऑर्गन फैलियर की स्थिति से बचाया जा सकता है। स्वाइन फ्लू का पता चलते ही नजदीकी लोग अलर्ट हो जाएंगे और इस संक्रामक बीमारी पर ज्यादा प्रभावी नियंत्रण होगा।
 
 
तीन गुना खर्चा भी: निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को जांच के लिए 4500 से 5 हजार रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी रिपोर्ट तीन दिन बाद आती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वेंटिलेटर पर लेटे मरीज को जांच के लिए एमबीएस के आउटडोर ले जाया जाए?
 
 
 
कौन कर सकता है पहल
 
मेडिकल कॉलेज प्राचार्य, अस्पताल अधीक्षक और सीएमएचओ सरकार को मुफ्त जांच सुविधा के लिए लिखकर दें तो सरकार इस पर विचार कर सकती है। जनप्रतिनिधि और राजनेता भी सरकार पर दबाव बना सकते हैं कि जांच सबके लिए ही मुफ्त हो।
 
 
दो और स्वाइन फ्लू पॉजीटिव मिले
 
कोटा. दो और स्वाइन फ्लू पॉजीटिव रोगी मिले हैं। इनमें एक गर्भवती महिला हैं। उन्हें एमबीएस अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती किया गया है।
 
एमबीएस अस्पताल के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ.एसआर मीणा ने बताया कि बूंदी जिले के कोतिया निवासी कृष्णा (24) पत्नी सत्यनारायण रविवार रात को खांसी, जुकाम, बुखार व सांस लेने में परेशानी की शिकायत लेकर आई थी।
 
परीक्षण कर उसे भर्ती कर लिया गया था। उनके स्वाब का नमूना लिया गया, जिसे मेडिकल कॉलेज की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया। रिपोर्ट में उन्हें स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया। डॉ. केवल कृष्ण डंग ने बताया कि विज्ञाननगर निवासी सोनू लालवानी तीन दिन पूर्व तलवंडी निजी अस्पताल में भर्ती थी। हालात में सुधार होने पर उनकी छुट्टी कर दी गई, लेकिन सोमवार को जांच रिपोर्ट में उन्हें स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया। डिप्टी सीएमएचओ डॉ. रामजीलाल का कहना है कि अब तक 10 पॉजीटिव सामने आ चुके हैं। जिसमें से 4 की मौत हो चुकी है।

पुलिस से बचकर भाग रहे थे अवैध खनन करने वाले, सामने खड़ी थी मौत

कैथून/मंडाना/कसार/कोटा.  कैथून के सीमल्याहेड़ी में सोमवार को पुलिस से बचकर भाग रहे अवैध खनन करने वालों की ट्रैक्टर ट्रॉली पलट गई। जिसमें दबकर चालक की मौत हो गई। गुस्साए ग्रामीणों ने मंडाना थाने पर पथराव किया और हाईवे पर जाम लगा दिया। थाने की जीप में भी तोडफ़ोड़ की। 
 
इधर, गांव में शव उठाने को लेकर पुलिस व ग्रामीणों में फिर लाठी-भाटा जंग हो गई। घटना में पुलिस के जवानों व कांग्रेसी नेताओं के चोटें आईं। घटना की नजाकत देखकर एसपी और कार्यवाहक कलेक्टर भी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने देर शाम कैथून अस्पताल में पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया।
 
पुलिस के अनुसार दोपहर को सीमल्याहेड़ी गांव में अवैध खनन की सूचना पर एसएचओ नीरज गुप्ता जाब्ते के साथ पहुंचे। खनन कर रहे लोग पुलिस को देखकर लोग 3 ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर वहां से भागे। पुलिस ने एक ट्रैक्टर-ट्रॉली पकड़ ली। दूसरी के पीछे पुलिस ने जीप दौड़ा दी। गांव के नजदीक पहुंचते ही चालक धनराज बंजारा (25) पुत्र काशीराम, (दीपपुरा मोड़ निवासी) हड़बड़ाहट में नियंत्रण खो बैठा और ट्रैक्टर-ट्रॉली पलट गई। इसके नीचे धनराज दब गया।  
 
थाना जलाने की कोशिश
 
 
पुलिस ने जाम हटाने के लिए ग्रामीणों को लाठियां फटकारते हुए भगाया। पुलिस पर पथराव हुआ तो वे थाने के अंदर घुस गए। गुस्साए लोग मोटर साइकिल से पेट्रोल निकाल कर थाना परिसर में डालने लगे। यह देखकर पुलिस कांस्टेबल एक साथ दौड़ पड़े और लोगो से पेट्रोल की पीपी छीनी। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया के साथ भी अभद्रता की। पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े।
 
आखिर भूखा आदमी मरेगा या मारेगा
 
भाजपा विधायक भवानी सिंह राजावत ने कैथून-मंडाना के मामले में कहा कि राज्य सरकार लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं करवा रही है। जो आदमी काम कर रहा है। उसे भी छीन रही है। मंडाना क्षेत्र में खनन में मजदूरी करने से गरीबों के चूल्हे जलते हैं। जब प्रशासन सख्ती करता है तो क्षेत्र में खनन बंद हो जाता है। इससे उनके बच्चे भूखों मरने लगते हैं। ऐसे में भूखा व्यक्ति मारेगा या मरेगा। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे ऐसे परिवारों का पेट पल सके। 

प्रयाग से अदृश्य हो जायेंगे नागा संन्यासी, जानिए आखिर क्यूं...

प्रयाग से अदृश्य हो जायेंगे नागा संन्यासी, जानिए आखिर क्यूं...
कुंभ कैंपस. संगम तट पर लगे कुंभ में अंतिम शाही स्नान के बाद अब अखाड़े अपना बोरिया बिस्तर समेटने लगे हैं। एक बार फिर नागा संन्यासी देश दुनिया के लिए अदृश्य हो जाएंगे। संगम पर दोबारा नहीं नज़र आएंगे। इनका जीवन फिर से रहस्यमयी होने जा रहा है।
 
संगम की धरती पर अब स्नान के लिए गंगा की रेती पर निर्वस्त्र होकर चलते, शरीर पर भभूत और रेत लपेटे, नाचते-गाते, उछलते-कूदते, डमरू-ढफली बजाते नागा नहीं नज़र आएंगे। नागा भोले बाबा की नगरी के लिए प्रस्थान करेंगे। वहां एक महीने तक रहने के बाद होली का त्योहार धूम धाम से मनाएंगे। उसके बाद गुफाओं और कन्दराओं में गायब हो जाएंगे। 

जिसके नाम पर पड़ा देश का नाम, उसे पिता ने ही कर दिया था अपनाने से इंकार



विक्रमादित्य के नौ रत्नो में एक कालिदास संस्कृत भाषा के सबसे महान कवि और नाटककार थे। कालिदास का विवाह धोखे से विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से करा दिया गया था।
 
कालिदास का विवाह विद्योत्तमा से उन लोगों ने धोखे से करा दिया था जो शास्त्रार्थ में विद्योत्तमा से हार गए थे। विद्योत्तमा ने विवाह के लिए शर्त रखी थी कि जो उन्हे शास्त्रार्थ में हरा देगा वो उसी से विवाह करेंगी। कालिदास इतने बड़े बेवकूफ थे कि जिस डाल पर बैठे थे, उसे ही काट रहा थे।
 
विद्योत्तमा को जब पता चलता है कि कालिदास बेवकूफ हैं तो उन्होंने कालिदास को बहुत बुरा-भला कहा। इसके बाद कालिदास ने निश्चय किया कि वह विद्या हासिल करके ही रहेंगे।
 
घर से निकाले जाने के बाद कालीदास ने सिर्फ विद्या हासिल की बल्कि कई महान रचनाओं के सर्जनकर्ता बने। उनकी सबसे महान रचनाओं में से एक है अभिज्ञान शाकुन्तलम।  इसमें राजा दुष्यन्त तथा शकुन्तला के प्रणय, विवाह, विरह, प्रत्याख्यान तथा पुनर्मिलन की एक सुन्दर कहानी है।

कानून का पालन कराने के लिए जिम्मेदार अफसर ही तोड़ रहे नियम

जयपुर.सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई बड़े पुलिस अधिकारियों ने अभी तक अपने सरकारी वाहनों के शीशों से काली फिल्म नहीं उतरवाई है। दूसरी ओर पुलिस आम लोगों के वाहनों से फिल्म उतारकर जुर्माना कर रही है।
 
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक गतिविधियों की आशंका जताते हुए पिछले साल गाड़ियों से काली फिल्म हटाने और ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे।  सोमवार को पुलिस मुख्यालय में मौजूद सरकारी वाहनों की पड़ताल की तो सामने आया कि अधिकतर वाहनों के साइड वाले शीशों पर गहरे काले से लेकर हल्के काले रंग व नीले रंग की फिल्म चढ़ी हुई थी।
 
पता कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी 
 
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अभियान चलाकर व रूटीन में कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिए थे। यदि सरकारी वाहनों पर काले रंग की फिल्म लगी हुई है, तो सभी विभागाध्यक्षों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए जाएंगे। अगर पुलिस अधिकारियों के वाहनों में ऐसा है, तो फिल्म जल्द हटाने के निर्देश दिए जाएंगे। 
 
-मनोज भट्ट, एडीजी यातायात, पुलिस मुख्यालय जयपुर
 
कार्रवाई नहीं की तो अवमानना मानी जाएगी : सुप्रीम कोर्ट 
 
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में काली फिल्म लगे शीशों वाले वाहनों पर कार्रवाई न करने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने तल्ख शब्दों में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों व शहरों के पुलिस कमिश्नरों को चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि यदि काले शीशों वाले वाहनों पर कार्रवाई नहीं की गई तो यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।
 
जस्टिस बी एस चौहान व स्वतंत्र कुमार की बैंच ने देश की पुलिस मशीनरी को निर्देश दिए थे कि ऐसे लोगों के न केवल चालान हों, बल्कि शीशों पर लगी फिल्म को भी हटाया जाए। यह कानून की खुली अवमानना है। सेफ्टी ग्लास पर कोई चीज नहीं चिपकाई जा सकती। 

आधी दुनिया हिलाने वाले आसमानी 'बम' के 'पोस्‍टमॉर्टम' में जुटे वैज्ञानिक, मलबे के लिए इनाम का ऐलान

मास्को. सेंट्रल रूस में शुक्रवार को गिरे उल्‍का पिंड के टुकड़ों () के टुकड़ों से करीब आधी दुनिया कांप गई थी। यूराल पर्वत के पास हुए इस विस्‍फोट () की तीव्रता द्वितीय विश्‍व युद्ध के समय जापान पर गिराए गए परमाणु बमों से 30 गुनी ज्‍यादा थी। रेडियो रूस के मुताबिक उल्का के गिरने करीब 1200 लोग जख्मी हुए हैं। चेलियाबिंस्क इलाके में सबसे ज्यादा लोग घायल हुए हैं। घायलों में से करीब 40 अब भी अस्‍पताल में हैं, इनमें तीन बच्‍चे शामिल हैं।
कुदरत के कहर से तबाह हुए खिडकियों के शीशे ठीक करने सहित राहत कार्यों में करीब 24 हजार इमरजेंसी वर्कर और वालंटियर जुटे हैं, वहीं धरती पर गिरे उल्‍का पिंड के टुकड़ों को लेकर लोगों के बीच दिलचस्‍पी बनी हुई है। धरती पर गिरे उल्‍का पिंड का 'असली' टुकड़ा ढूंढ कर लाने वाले को बतौर इनाम करीब साढ़े पांच लाख रुपये (10 हजार डॉलर) दिए जाने का ऐलान किया गया है।
रूस की सरकारी एजेंसी के मुताबिक हजारों घरों को नुकसान पहुंचाने वाले उल्का के टुकड़ों की तलाश करने के लिए छह गोताखोरों का एक समूह जुटा हुआ है। यह टीम उल्कापिंड के टुकड़ों की स्थिति जानने के लिए चेलियाबिंस्क क्षेत्र की जमी हुई झील की तलहटी खंगाल रही है। उल्का और इससे बनी झील की जांच के लिए गठित की गई वैज्ञानिकों और गोताखोरों की टीम को हालांकि शुरुआती जांच में अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। लेकिन रूसी विज्ञान एकेडमी के सदस्‍यों ने कुछ असामान्‍य किस्‍म के दिख रहे चट्टानों की जांच करने के बाद दावा किया है कि ये टुकड़े अंतरिक्ष से आए हैं।

अफजल का अंतिम पैगाम पढ़कर फैल गया था घर में मातम

जम्मू/नई दिल्ली. संसद पर हमले के लिए मौत की सजा पा चुके अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में कश्‍मीर के अलगाववादी नेताओं ने शुक्रवार को कश्‍मीर को बंद रखने का निर्णय किया है। दिल्‍ली में नजरबंद सैयद अली शाह गिलानी ने बंद की घोषणा की है। उन्‍होंने क‍हा कि हमारे पास कोई विकल्‍प नहीं बचा है। इसलिए हमें अफजल गुरु की फांसी के विरोध में सड़क पर उतरना होगा। उधर, डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि ने मांग की है कि देश से मौत की सजा को हमेशा के लिए खत्‍म कर देना चाहिए। 
 
इन सबके बीच, अफजल ने 9 फरवरी को फांसी दिए जाने से कुछ समय पहले उर्दू में 10 लाइनों की एक चिट्ठी अपनी पत्नी के नाम लिखी थी। चिट्ठी में अफजल ने इस बात के लिए खुदा का शुक्रिया अदा किया था कि 'ऐसी अहमियत और कद' के लिए उसे चुना गया। अफजल ने चिट्ठी में अपने परिवार से अपील की थी कि शोक मनाने की जगह उन्हें इसका (फांसी का) सम्मान करना चाहिए। चिट्ठी में अफजल ने ऊपर तारीख के तौर पर 09-02-2013 लिखा और समय के रूप में 6.25 बजे दर्ज किया। 
 
चिट्ठी में अफजल ने परिवार के लिए कोई निजी संदेश नहीं लिखा बल्कि सत्य और इंसाफ की ही बातें कीं। अफजल ने लिखा, 'अल्लाह का लख-लख शुक्रिया कि उसने मुझे इस कद के लिए चुना। ऐसा मानने वालों को मेरी मुबारकबाद। हम सब लोग सच और इंसाफपसंदी के लिए हमेशा खड़े रहे और हमारा अंत भी सच और इंसाफ की राह पर होना चाहिए। अपने परिवार से मेरी प्रार्थना है कि गम में डूबने की जगह उन्हें उस कद का सम्मान करना चाहिए जो मुझे मिला है। अल्लाह तुम्हारा सबसे बड़ा रक्षक और मददगार है।' 
 
अफजल की चिट्ठी के मतलब के बारे में जब उसके रिश्तेदार यासिन से पूछा गया तो उसने कहा, 'यह कश्मीर के लोगों पर निर्भर है कि वह इसका क्या मतलब समझते हैं।' वहीं, हुर्रियत नेता मोहम्मद अशरफ सहराई ने अफजल की चिट्ठी को 'संघर्ष के जीवन की एक थाती' करार दिया। सहराई के मुताबिक, 'चिट्ठी से साफ है कि फांसी पर चढ़ने से पहले उसे कोई पछतावा नहीं था और वह संतुष्ट होने के साथ ही शुक्रमंद था। अफजल ने कश्मीर को यह संदेश दिया है कि सच के लिए संघर्ष करते रहो।' 
 
अफजल के भाई यासीन गुरु ने मीडिया को बताया कि यह चिट्ठी उन्‍हें दो दिन बाद मिली, लेकिन इसे कुछ दिन बाद खोला गया और इसे खोलते ही पूरा परिवार रो पड़ा था।
 
(तस्वीर में: अफजल की आखिरी चिट्ठी जिसमें लिखा था,
 
'सुबह के 6: 25                          9.2.2013 
 
बिस्मिल्लाहिर्रहमानअर्रहीम
मोहतरम अहले ख़ाना (परिवार) और अहले ईमान (ईमान वालों) अस्सलाम अलैकुम. 
अल्लाह पाक का लाख शुक्रिया कि उसने मुझे इस मुक़ाम के लिए चुना. बाक़ी मेरी तरफ़ से आप तमाम अहले ईमान (ईमान वालों) को भी मुबारक हो कि हम सब सच्चाई और हक़ के साथ रहे और हक़ो सच्चाई की ख़ातिर आख़िरत हमारा इख़्तिताम (अंत) हो - अहले ख़ाना को मेरी तरफ़ से गुज़ारिश है कि मेरे से इख़्तेताम (अंत) पर अफ़सोस की बजाए वो इस मक़ाम का एहतराम (सम्मान) करें. अल्लाह पाक आप सबका हाफ़िज़ ओ नासिर (सुरक्षा करने वाला और मददगार) है.
 
अल्लाह हाफ़िज़.')

कुरान का सन्देश

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