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20 फ़रवरी 2013

कहते है सरकार की रगों में सत्ता पार्टी का खून बहता है

कहते है सरकार की रगों में सत्ता पार्टी का खून बहता है ..सत्ता के सीने में सत्ता पार्टी का दिल धड़कता है ..सत्ता पार्टी सत्ता के आँख ..नाक कान होती है और वक्त ब वक्त सत्ता को आगाह करती है जनता के समक्ष अपमानित होने से बचाती है लेकिन दोस्तों सत्ता की चाशनी में कुछ कार्यकर्ता राजस्थान में तो मदमस्त है और कुछ सत्ताधारी कोंग्रेस संगठन की छाती पर पैर रख कर चल रहे है कुल मिला कर सत्ता और संगठन का तालमेल अस्तव्यस्त है और राजस्थान में स्थिति विकत है ..सत्ता ने राजस्थान में पण गुटका बंद किया कानून बनाया लेकिन सत्ता पार्टी कोंग्रेसियों ने इस पर अमल नहीं किया और खुद तो चोरी छिपे गुटका खा ही रहे है चोरी से कोंग्रेस का बनाया हुआ कानून तोड़ कर विपक्ष को मुद्दा दे रहे है . प्लास्टिक की थेली और धुम्रपान सहित सभी मामलों में यही हाल है तो दोस्तों सरकार की कार्य योजनाओं की क्रियान्विति का तो क्या कहना अब राजस्थान में सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं तो फिर क्या हश्र होगा जरा सोचो इसलियें सत्ता और सत्ता पार्टी दोनों सुधरो ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेरे जिस्म मेरे सीने में धडकते दिल तू ही बता


मेरे जिस्म
मेरे  सीने में
धडकते दिल
तू ही बता
तुझे  हुआ क्या  है ..
वोह तो
बेवफा है
उनका क्या
तू तो मेरा दिल है
सीने में
मेरे धडकता है
और इस  धड़कन में
शामिल  फिर भी बेवफा वही
हाँ वही
बेवफा है ..
ऐ दिल
तू ही बता
तुझे यह
हुआ क्या है ...
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ऐसे होते है देश के प्रधानमन्त्री दोस्तों आपके देश के प्रधामंत्री और नेताओं के बारे में आपके क्या ख्याल हैं

दोस्तों एक हमारे देश  के प्रधानमन्त्री ..हमारे देश के नेता है और दूसरी तरफ यूरोपीय देशों में से एक बल्गारिया के प्रधानमन्त्री है दोनों में फर्क देखिये हमारे देश की पुलिस निहत्थों पर लाठियां और गोलिया चलाती है तो प्रधामंत्री हो या किसी राज्य के मुख्यमंत्री कहते है के सब ठीक हुआ और किसी 
पुलिसकर्मी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती लेकिन जनाब बल्गारिया में जब एक मामले को लेकर जनता ने प्रदर्शन किया और प्रदर्शन के दोरान वहां की पुलिस ने जनता पर लाठियां चला दिन इस लाठी चलाने में करीब एक दर्जन लोग घायल हो गए बस क्या था नेतिकता तो बल्गारिया के प्रधानमन्त्री में थी उन्होंने कहा के मेरे शासन में अगर पुलिस निरंकुश हो जाए और आम जनता पर लाठियां चलाकर उन्हें घायल कर दे तो में ऐसे देश का प्रधानमन्त्री रहने लायक नहीं और यह कहकर इन प्रधानमन्त्री बोय्बो बोइर्वोव साहब ने इस्तीफा दे दिया ऐसे होते है देश के प्रधानमन्त्री दोस्तों आपके देश के प्रधामंत्री और नेताओं के बारे में आपके क्या ख्याल हैं ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शिंदे ने थूक कर चाट तो लिया कोंग्रेस इन्हें कब हटाएगी

देश के बडबोले गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को आखिर थूक कर चाटना ही पढ़ा ...शिंदे ने पिछले दिनों जयपुर में कोंग्रेस चिन्तन शिविर के दोरान बकवास की थी के देश में हिन्दू और भगवा आतंकवाद है ..जबकि देश के अधिकतम लोग जो राष्ट्रभक्त है वोह कहते रहे है के आतंकवाद का कोई रंग ..कोई धर्म ..कोई मजहब कोई पार्टी नहीं होती है ..और आतंकवादी की कोई हिमायत भी नहीं करता है ...लेकिन इसके बावजूद भी शिंदे ने यह बकवास की इतना ही नहीं गृह मंत्री ने अपनी बात साबित करने के लियें संघ से जुड़े कुछ लोगों के नाम भी लियें जो आतंकवादी घटना में जुड़े रहे थे ..शिंदे ने जिन लोगों के नाम लिए उन्हें आतंकवादी घटना में जुडा  होना उनके खिलाफ सुबूत होना तो स्वीकार किया लेकिन यह  नहीं बताया के सुबूतों के बाद भी गृहमंत्री जी ने इन लोगों को खुला क्यों छोड़ रखा है बात साफ़ थी के शिंदे सियासत कर रहे है बकवास कर रहे है या तो वोह आतंकवादियों को बचा रहे है या फिर झूंठ बोल रहे है शिंदे की इस कोरी बकवास के खिलाफ देश एक जुट था ..अब शिंदे ने थूक कर तो चाट लिया है लेकिन क्या कोग्न्रेस ऐसी बकवास बाज़ी करने वाले व्यक्ति को पार्टी से और ज़िम्मेदार पदों से हटाएगी यह सोचने की बात है क्योंकि शिंदे ने जो आतंकवाद के मामले में बयान दिया फिर सीना ठोक कर नाम लेकर सुबूत दिए तो  या तो उन्होंने कोरी बकवास करी थी और या फिर शिंदे आंकवादियों से मिले है और सुबूत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है दोनों ही बातों में शिंदे को इस्तीफा तो देना ही चाहिए क्योंकि किसी धर्म किसी मजहब किसी विचारधारा किसी व्यक्ति के मान मर्दन का अधिकार किसी भी मंत्री या सत्ताधारी को नहीं है ...

इस खास तरीके से कलियुग में भी देख सकते हैं भगवान विष्णु का विराट स्वरूप

हिन्दू धर्म ग्रंथ श्रीमदभगवद्गीता में ईश्वर के विराट स्वरूप का वर्णन है। द्वापर युग में महाप्रतापी अर्जुन को इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कराकर कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग के महामंत्र द्वारा अर्जुन के साथ संसार के लिए भी सफल जीवन का रहस्य उजागर किया।
भगवान का विराट स्वरूप ज्ञान शक्ति और ईश्वर की प्रकृति के कण-कण में बसे ईश्वर की महिमा ही बताता है। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन, नर-नारायण के अवतार थे और महायोगी, साधक या भक्त ही इस दिव्य स्वरूप के दर्शन पा सकता है। किंतु गीता में लिखी एक बात यह भी संकेत करती है सांसारिक जीवन में साधारण इंसान के लिए ऐसा तप करना कठिन हो तो उसे हर रोज पवित्र गीता से जुड़ा क्या उपाय करना चाहिए, जिसका शुभ प्रभाव ज़िंदगी के लिए फायदेमंद हो। दूसरे शब्दों में गीता में ही लिखी एक विशेष बात कलियुग में भगवान जगदीश की विराटता देखने का तरीका भी उजागर करती है

भगवा आतंक’ पर शिंदे ने मांगी माफी



शिमला। जयपुर चिंतन शिविर में अपने हिंदू आतंकवाद पर दिए बयान पर गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बुधवार को माफी मांग ली।
 
उन्होंने कहा,‘अगर मेरे बयान से किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो मैं इसके लिए खेद प्रकट करता हूं। मेरा इरादा आतंक को किसी धर्म से जोड़ने का नहीं था।’ 
 
शिंदे ने कहा कि मैं अपनी पार्टी की राय से सहमत हूं कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता है। इससे पहले लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर सरकार सत्र चलाना चाहती है तो शिंदे माफी मांगें।

पहले छीन ली लीज पर दी जमीन, अब हिमाचल में बाबा रामदेव के घुसने पर रोक



शिमला। योग गुरु बाबा रामदेव को सोलन के साधूपुल में दी गई जमीन की लीज रद्द करने के बाद सरकार ने उनके प्रदेश में घुसने पर रोक लगा दी है। वहीं, सरकार ने 96.8 बीघा जमीन के क्षेत्र को सील करने की तैयारी कर ली है।
 
साधुपुल में प्रस्तावित उद्घाटन समारोह को देखते हुए सरकार रामदेव को प्रदेश की सीमाओं में दाखिल नहीं होने देगी। बुधवार को मुख्य सचिव सुदृप्तो राय, विधि सचिव चिराग भानू सिंह के अतिरिक्त गृह सचिव प्रेम कुमार व कार्मिक सचिव एसकेबीएस नेगी के साथ बैठक हुई।
 
साधूपुल में 27 फरवरी को योगपीठ के उद्घाटन का कार्यक्रम प्रस्तावित है। सरकार ने जिला उपायुक्त मीरा मोहंती व पुलिस अधीक्षक रमेश झाजटा को वीरवार को सचिवालय बुलाया गया है। मीरा मोहंती दिल्ली में थीं।
 
सरकार की तैयारी
 
 > एहतियात के तौर पर धारा-118 रहेगी 
 > साधू-पुल क्षेत्र में कड़ा पहरा रहेगा।
 > सरकार एडवांस केविएट (कोर्ट जाने से रोकना) फाइल करेगी।
 > हवाई अड्डे पर ही रोक दिया जाएगा।
 
नहीं टलेगा उद्घाटन: प्रभारी
 
पतंजलि योग पीठ व भारत स्वाभिमान मंच के हिमाचल राज्य प्रभारी लक्ष्मी शर्मा का कहना है कि योग पीठ धर्मार्थ ट्रस्ट है। उद्घाटन कार्यक्रम टाला नहीं जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं जैसे कार्य के लिए साधूपुल में हिमाचल प्रदेश सरकार से विधिवत भूमि लीज पर ली है। इसे खारिज करना अवैध है।

कुरान का सन्देश

मेरे दोस्तों मेरे भाइयों हंसने की बात नहीं है .

मेरे दोस्तों मेरे भाइयों हंसने की बात नहीं है ...आज विश्व सामंजिक न्याय दिवस है और इस दिवस को हमारे में भी मनाया जा रहा है ..दोस्तों जरा सोचो ज़रा खुद से सवाल कर क्या हमारे देश में सामाजिक न्याय है ..हमारे देश में गरीब गरीब है अमीर अमीर है ..हमारे देश में गरीबों को दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी की जा रही है है और आमिर उद्ध्योगपतियों को टेक्स रियायतें दी जा रही है यही हमारे देश का सामाजिक न्याय है .यहाँ एक आई ऐ एस या फिर अरब पति के लडके को आरक्षण इसलियें है क्योंकि वोह आरक्षित जाती का है और एक स्वर्ण को भूखों मरने के लियें इसलियें छोड़ा गया है क्योंकि आरक्षण नहीं दिया गया है ....गरीब का मुकदमा में नहीं है ..जिन अमीरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज है उनके कोई कार्यवाही नहीं है क्या यही है हमारा सामजिक न्याय अगर नहीं तो फिर हम संघर्ष क्यूँ नहीं करते हम जमीनी हकीकत क्यूँ नहीं समझते .हम धरातल पर वास्तविक सामाजिक न्याय स्थापित कर राम राज क्यूँ स्थापित नहीं करते .........अख्तर खान अकेला

दोस्तों सियासत में लोग पार्टियों में बंट गए है .जाती और धर्म में ने लोगों को बाँट दिया है जनता को सिर्फ और सिर्फ वोटर बनाकर रख दिया है .

दोस्तों सियासत में लोग पार्टियों में बंट गए है .जाती और धर्म में ने लोगों को बाँट दिया है जनता को सिर्फ और सिर्फ वोटर बनाकर रख दिया है ..सियासत ने हिंदी को उर्दू का दुश्मन ..मराठी को बिहारी का दुश्र्मन ..हिन्दू को मुसलमाना का दुश्मन और दलित को स्वर्ण का स्वर्ण को दलित का दुश्मन बना दिया है कुल मिलाकर सियासी पार्टियों के सामने अर्जुन की आँख की तरह कुर्सी और सत्ता है फिर चाहे उनकी तरफ से देश या देश की जनता जाए भाड़ में इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है ....आज देश में सियासी पार्टियों की वोट राजनीति के करना ही हिन्दू खुद को हिन्दू मुसलमान खुद को मुसलमान समझने लगा है यह दोनों कोमें खुद को हिन्दुस्तानी समझने में संकोच करने लगी है ..भाजपा हिन्दुओं की पार्टी कहलाती है तो कोंग्रेस मुस्लिमों और दलितों की पार्टी कही जाती है ..क्षेत्रीय पार्टियां तो नये मुद्दे रोज़ बनती है .....कोंग्रेस अगर मुसलमानों की पार्टी है तो जनाब बताइए आज़ादी के बाद आरक्षण देते वक्त काका केलकर की रिपोर्ट पर जब कहा गया के दस्तकारी के आधार पर सभी जुलाहों .सभी कसाइयों ..सभी बुनकरों ..सभी धोबियों वगेरा को आरक्षण देकर उनका उत्थान किया जाए तो कोंग्रेस ने ही संविधान विरोधी साम्प्रदायिक आदेश जारी कर इस आरक्षण को केवल हिन्दुओं के लियें लिख कर सिमित कर दिया और कोंग्रेस के इस साम्प्रदायिक आदेश से मुस्लिम समाज के लोग पिछड़ गए ..क्योंकि उस वक्त हिन्दू कोंग्रेस से नाराज़ थे उन्हें पटाने के लियें कोंग्रेस को यह सियासत जरूरी थी ..कोंग्रेस ने कभी किसी मुस्लिम को सियासत में आगे नहीं आने दिया ...कोंग्रेस ने जब बाबरी मस्जिद टूट रही थी तब सियासत खेलने के लियें ही कुछ नहीं किया और तो और इसके दोषियों को सजा देने के लियें कोई कार्यवाही नहीं की ..गुजरात में खुलेआम कत्ले आम और कोंग्रेस के सांसद जाफ्री की हत्या की कोंग्रेस गवाह है कोंग्रेस केंद्र में सी बी आई लेकर बेठी है लेकिन कोंग्रेस ने एक बार भी इस दंगे की जाँच सी बी आई से कराने की पहल नहीं की क्योंकि उसे मुसलमानों की मोत से कोई मतलब नहीं था उसे तो इस सियासत में हिदू वोटों की फ़िक्र थी ..अभी स्कूलों में कहीं गीता कही सूर्य नमस्कार कही भोजन मन्त्र का विवाद है धर्म के लियें नहीं केवल सियासत के लियें यह विवाद है ..ऐसे कई मुद्दे है जो कोंग्रेस ने मुसलमानों को नुकसान पहुचकर केवल सियासत के लिये हिन्दुओं को खुश करने के लियह किया है ...अब भाजपा की बात करें अगर भाजपा हिदू वादी पार्टी है तो इस पार्टी में मुख़्तार अब्बास नकवी .शाहनवाज़ हुसेन क्या कर रहे हैं ...इस पार्टी में अल्पसंख्यक मोर्चा क्यूँ बना हुआ है ..अगर यह पार्टी हिन्दुओं की है तो राममन्दिर का मुद्दा इस पार्टी ने सत्ता में आने के बाद दरकिनार क्यूँ कर दिया था ..क्यूँ कोमन सिविल कोड .क्यूँ धरा 370 का मुद्दा ताक में रख दिया था ..क्यूँ राम मन्दिर के नाम पर जमा अरबो रूपये के हिन्दुओं के धन का हिसाब हिन्दू भाइयों को पाई पाई का अब तक नहीं दिया है वोह पेस कहा किस बेंक में है हिन्दू भाइयों को क्यूँ नहीं बताया है ....नरेन्द्र मोदी ने हिन्दू भाइयों के लियें अलग से कोई रोज़गार या आरक्षण योजना लागु क्यूँ नहीं की है .गुजरात विकास के नाम पर मन्दिर क्यूँ तोड़े गए ..तो दोस्तों ऐसे कई सवाल है जो आप भी जानते है और हर भारतीय जानता है के कोई भी पार्टी हिंदूवादी ..मुस्लिम वादी नहीं है यह तो बस इनके चहेरे है इन्हें धर्म ..मजहब और राष्ट्र ..राष्ट्रीयता से कोई लेना देना नहीं है बस इन्हें तो सत्ता चाहिए और सत्ता प्राप्ति के लियें यह लोग साम्प्रदायिकता भी भड्कायेंगे ..लाठी गोली भी छाएंगे धर्म मजहब की राजनीति भी करेंगे भाई को भाई से लड़ायेंग इसलियें दोस्तों इस सियासत को नंगा करो इस सियासत के नाम पर देश को धर्म मजहब जाती भाषा क्षेत्रीयता में न बांटो हम एक थे एक है एक रहेंगे का नारा दो और जो नेता इसके खिलाफ भड़काए उसको सड़कों पर चोराहों पर काला मुंह कर उनका जुलुस निकाले और देश को बचाएं ...................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों आज आपकी मुलाक़ात वकालत के प्रति सम्पूर्ण समर्पित एडवोकेट भाई विवेक नन्दवाना से परिचित करवाते है

दोस्तों आज आपकी मुलाक़ात वकालत के प्रति सम्पूर्ण समर्पित एडवोकेट भाई विवेक नन्दवाना से परिचित करवाते है ...भाई विवेक जी राजस्थान के कोटा शहर में पले   बढे और कोटा में ही इन जनाब ने तालीम और तरबियत हांसिल की .....शेक्षणिक काल में इन्हें साहित्य से लगाव के कारण लिखने खासकर आलेख और कविताएँ लिखने का शोक भी लगा था जो आज भी बरकरार है ...विवेक जी ने अपना जरिया ऐ माश यानी रोज़गार वकालत को बनाया लेकिन वकालत के व्यवसाय में इन्होने मर्यादित आचरण रखकर एक नया उदाहरण पेश किया है ..जूनियर शिप के बाद जब से आप खुद स्वतंत्र वकालत करने लगे है इन्होने वकालत के कार्य में कोई फाउल गेम नहीं किया ..नियमित अदालतों में निर्धारित समय पर उपस्थिति ....रोज़ साडे दस बजे अदालत आना और पांच बजे घर जाना ..अदालत  में सभी से प्रेमभाव और मधुर वाणी से चलते चलते हाई हलो करना और सिर्फ और सिर्फ खुद के वकालत के काम में लग जान  झुण्ड में बैठकर फ़ालतू गपशप करते इन्हें किसी ने नहीं देखा ..वकालत में अदालतों में मर्यादा में रहे ..ना चाय की दूकान पर न पान की दुकान पर ना किसी फ़ालतू सियासत या कामकाज में इन्होने खुद को लगाया कुल मिलाकर विवेक जी ने अपने विवेक को फुल टाइम वकालत से जोड़े रखा इन्होने सोचा तो कानून और वकालत के लियें इन्होने पढ़ा तो कानून पढ़ा ..इन्होने जिया तो वकालत का जीवन जिया ..कभी किसी विवाद में हिस्सा नहीं लिया ना किसी विवाद का यह कारन बने .. बीस वर्षों की वकालत में इन्होने कभी किसी के प्रति दुराग्रह रखते हुए नहीं देखा और इस कार्यकाल में अदालत में इन्हें कभी किसी ने बिना युनिफोर्म के नहीं देखा ...रास्ते में भी दो पहिया वाहन पर चलते वक्त आप हमेशा हेलमेट का इस्तेमाल करते है .विवेक जी अदालत परिसर में तो खुद को एक सक्रिय और कामयाब  के रूप में स्थापित कर एक उदाहरण पेश किया ही है लेकिन एक वकील को दफ्तर में केसे जीवन जिन चाहिए उसका भी उदाहरण पेश किया है वकालत के दफ्तर में नियमित बेठना ..गपशप में वक्त बर्बाद करने के स्थान पर विवेक जी ने अपने विवेक को कानून की किताबें पढने ..नए कानून तलाशने और पक्षकारों से उनकी समस्या   सुनकर उनकी बहतर पेरवी के लियें लगाते है और विवेक जी वकालत के सिद्धांत को पूरा निभाते है इनकी कोई राय मुफ्त में नहीं होती है पक्षकार को अगर कोई राय चाहिए तो यह अनाव्शयक रूप से बिना किसी प्रतिफल के किसी को कोई राय देना मुनासिब नहीं समझते है वकालत का सिद्धांत भी यही है बिना मांगे ..बिना फ़ाइल देखे ..बिना पूरी बात सुने और बिना प्रतिफल लिए किसी पक्षकार को कोई राय नहीं दी जाए और खुद को अपडेट रखें खुद को युनिफोर्म में रखे वक्त पर अदालत परिसर में उपस्थित हों और अदालतों में तुरंत आवाज़ पढ़ते ही पहुंच कर अपने मुकदमे की पेरवी कर पक्षकार को न्याय दिलवाएं .वाजिब फीस लें और अपने अलफ़ाज़ अपनी एनर्जी अनावश्यक कामों में बर्बाद नहीं करें ..भाई विवेक नन्दवाना एडवोकेट वकालत की कसोटी पर तो खरे उतारते ही है ..साथ ही इनके अपने सिद्धांतों और म्रदुल निर्विवाद स्वभाव के चलते यह सबके चहेते भी है और लिखें के शोक ने इन्हें बहतरीन रचनाएँ तो लिखने को मजबूर कर कामयाबी दी ही है साथ ही कानून की जानकारी के कारन यह कानूनी लेख लिखकर जनता में विधिक साक्षरता का काम भी कर रहे है ऐसे अभिभाषक भाई विवेक नन्दवाना को सलाम .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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