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21 फ़रवरी 2013

डॉक्टर ने मरीज की पर्ची पर लिखा ‘जाओ मैं नहीं देखता’

डॉक्टर ने मरीज की पर्ची पर लिखा ‘जाओ मैं नहीं देखता’
लाडनूं (नागौर).लाडनूं के सेठ गणपतराय सरावगी राजकीय चिकित्सालय में गुरुवार को पीएमओ डॉ. आरपी शर्मा ने बीपीएलधारी एक गंभीर रोगी को देखने की बजाय पर्ची पर यह लिखकर दे दिया ‘जाओ मैं नहीं देखता।’ 
 
पीएमओ ने पर्ची पर हस्ताक्षर व डेट भी लिखी। हुआ यूं कि गुरुवार को अस्पताल के पीएमओ शर्मा के पास गए 69 वर्षीय नागरमल खटीक को अभद्रता के साथ बाहर निकाल दिया गया। उनकी पर्ची पर ‘मैं नहीं देखता’ लिख पीएमओ  ने साइन भी कर दिए। खटीक  ने मुख्यमंत्री व चिकित्सा मंत्री से शिकायत की है। 
 
नागरमल ने बताया कि वह कई दिन से बुखार व जुखाम से पीड़ित है।
 
तहसीलदार को भी कहा, जो लिखा वह सही है' नागरमल ने तहसीलदार गिरधारीलाल को समस्या बताई। उन्होंने पीएमओ से बात की तो पीएमओ ने जवाब दिया कि पर्ची पर लिखा, वह ठीक है।   
 
यह गंभीर बात है : कलेक्टर
 
कलेक्टर अशोक भंडारी ने कहा कि लाडनूं पीएमओ ने किसी मरीज के साथ ऐसा किया है और उसकी पर्ची पर यह शब्द लिखे हैं तो गंभीर बात है। मैं जांच करवा रहा हूं।
 
शिकायत पहुंची है, जांच कराएंगे : सीएमएचओ
 
नागौर के सीएमएचओ डॉ. जीआर कालेर से इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, हां, इस बारे में मेरे पास शिकायत आई है। मैं शुक्रवार सुबह ही इसकी जांच करवाऊंगा।
 
लाइन तोड़ते, उन्हें मैं नहीं  देखता : पीएमओ
 
पीएमओ डॉ. आरपी र्शा ने कहा क अस्पताल में कुछ लोग लाइन लगाना पसंद नहीं करते। मैं सभी मरीजों को लाइन से देखता हूं। जो लाइन तोड़ते, उन्हें मैं नहीं देखता।
 
डॉक्टर का यह रवैया गलत : तहसीलदार
 
लाडनूं तहसीलदार गिरधारीलाल ने कहा कि पर्ची पर इस प्रकार लिखना गलत है। शिकायत मिली है, जांच करेंगे।

गीता रहस्य : क्या करने वाले बनते हैं भूत-प्रेत?



शास्त्रों की सीख है कि अच्छे काम और सोच जीवन के रहते सुख-सुकून व मृत्यु के बाद दुर्गति से बचने के लिए बहुत जरूरी हैं। व्यावहारिक रूप से भी किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए सही विचार होने और उसके मुताबिक काम को अंजाम देने पर ही मनचाहे नतीजे संभव है। अन्यथा सोच और चेष्टा में तालमेल का अभाव या दोष बुरे नतीजों के रूप में सामने आते हैं।
मृत्यु के संदर्भ में यही बात सामने रख शास्त्रों की बात पर गौर करें तो बताया गया है कि कर्म ही नहीं विचारों में गुण-दोष के मुताबिक भी मृत्यु के बाद आत्मा अलग-अलग योनि प्राप्त करती है। जिनमें भूत-प्रेत योनि भी एक है। हालांकि विज्ञान भूत-प्रेत से जुड़े विषयों को वहम या अंधविश्वास मानता है। लेकिन यहां बताई जा रही मृत्य के बाद भूत-प्रेत बनने से जुड़ी बातें मनोविज्ञान व व्यावहारिक पैमाने पर प्रामाणिक होने के साथ ही सुखी व शांति से भरे जीवन के एक अहम सूत्र भी उजागर करती हैं। जानिए, किस कारण मृत्यु के बाद मिलती है भूत-प्रेत योनि और क्या है इनमें छिपा जीवन सूत्र?
हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवदगीता में लिखी ये बातें मृत्यु के बाद भूत-प्रेत बनने का कारण उजागर करती है -
भूतानि यान्ति भूतेज्या:
यानी भूत-प्रेतो की पूजा करने वाले भूत-प्रेत योनि को ही प्राप्त करते हैं। इस बात को एक और श्लोक अधिक स्पष्ट करता है-
यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावित:।।
यानी मृत्यु के वक्त प्राणी मन में जिस भाव, विचार या विषय का स्मरण करता हुआ शरीर छोड़ता है, वही उसी भाव या विषय के अनुसार योनि को प्राप्त हो जाता है।
भूत-प्रेत होने के अंधविश्वासों से परे इन बातों में छिपे संदेश पर गौर करें तो संकेत यही है कि अगर व्यक्ति ताउम्र बुरे काम व उसका चिंतन करता रहे, तो वह बुराई के रूप में मन में स्थान बना लेते हैं और अन्तकाल में भी वही बातें मन-मस्तिष्क में घूमती हैं। ऐसे बुरे भावों के मुताबिक वह व्यक्ति भूत-प्रेत की नीच योनि को ही प्राप्त हो जाता है।
दरअसल, भूत-प्रेत भी मलीनता या बुराई के प्रतीक भी हैं। इसलिए यहां भूत-प्रेत उपासना का मतलब बुराई का संग भी है। इसलिए सीख यही है कि जीवन में बुरे कर्मों से दूरी बनाए रखे, ताकि जीवन रहते भी व जीवन के अंतिम समय में मन के अच्छे भावों के कारण मृत्यु के बाद भी दुर्गति से बचें।

सलमान खान बनेंगे बॉलीवुड के पहले 'कुंवारे बाप'!



नई दिल्ली. बॉलीवुड के दबंग सलमान खान को बच्चों से प्यार है और वे अपनी जिंदगी में बच्चे चाहते भी हैं लेकिन इसके लिए वे शादी करने को तैयार नहीं हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट गूगल प्लस पर एक फैन के पूछे गए सवाल का उन्होंने ये जवाब दिया है। सलमान का कहना था कि शादी के बारे में वे कुछ कह नहीं सकते लेकिन वे बच्चे जरूर पालेंगे। अपनी ऑनलाइन मौजूदगी को और दमदार बनाने के लिए दबंग खान बुधवार को गूगल प्लस हैंगआउट से जुड़ गए हैं। वह पहले से ही फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय हैं।
 
इसी के साथ सलमान ने अपने एक स्पेशल फैन की खोज की भी शुरुआत की। सलमान का यह फैन उनके गूगल प्लस पर ऑफिशियल अकाउंट का सह-प्रबंधक भी होगा। इसके अलावा सलमान गूगल प्लस पर बीइंग ह्यूमन का पेज भी लांच कर रहे हैं। उनके फैन इस पेज से जुड़कर सामाजिक कार्यों के लिए दान भी दे सकते हैं। 
 
सलमान खान शुक्रवार को नोएडा में थे। यहां वह अपने एनजीओ बीइंग ह्यूमन के बैनर तले ग्रामीण युवाओं को सशक्त बनाने के मुद्दे के प्रमोशन के लिए आए थे। सलमान खान ने ग्रामीण इलाकों के होनहार बच्चों को सम्मानित भी किया। बच्चों के सामने वे अपनी हालिया हिट फिल्म सिरीज दबंग के चुलबुल पांडे के किरदार में सामने आए। अपने किरदार के मुताबिक उन्होंने यहां भी रोमांटिक मूड जारी रखा। एक खूबसूरत लेडी टीचर को देखकर उन्होंने कहा कि, 'ऐसी खूबसूरत टीचर मिले तो मैं फिर से स्कूल में दाखिला ले लूं। हमारे टाइम पे ऐसी खूबसूरत टीचर नहीं होती थी।'

कोहिनूर हमारा है, हमारा रहेगा, भारत को नहीं देंगे: ब्रिटिश पीएम

ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कोहिनूर हीरे को भारत को लौटाए जाने की मांग को एक बार फिर खारिज कर दिया है। भारत दौरे पर आए कैमरन ने कहा, 'कोहिनूर हमारा है और हम लौटाने पर यकीन नहीं करते।' कैमरन ने 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्‍याकांड को शर्मनाक बताते हुए शहीद स्‍मारक पर श्रद्धांजलि दी है। कैमरन जलियांवाला बाग आने वाले पहले ब्रिटिश पीएम हैं।
 
कोहिनूर पिछले डेढ़ सौ वर्षों से ब्रिटेन के शाही रत्‍न भंडार में रखा हुआ है। भारत की किसी खदान से निकले कोहिनूर हीरे को ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1849 में अपने कब्ज़े में लेने के बाद उसे उपहार के तौर पर महारानी विक्टोरिया को दे दिया था। भारत लंबे समय से 105 कैरेट के इस हीरे को वापस किए जाने की मांग करता रहा है।

महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने कहा था कि ब्रिटेन को अपने औपनिवेशिक अतीत के पश्चाताप के तौर पर कोहिनूर को लौटा देना चाहिए।

कोहिनूर हीरे को अंतिम बार महारानी एलिज़बेथ की मां 'क्वीन मदर' ने पहना था। 2002 में क्वीन मदर का निधन होने के बाद कोहिनूर को उनके ताज के साथ उनके ताबूत पर रखा गया था।

हैदराबाद आतंकी हमला: 14 मरे 80 घायल, 2 दिन पहले जानकारी के बावजूद सरकार क्यों नहीं रोक सकी हमला?



हैदराबाद.  हैदराबाद वीरवार शाम दो शक्तिशाली धमाकों से दहल उठा। 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 80 जख्मी हो गए। घटना के बाद सरकार ने फिर देशभर में अलर्ट जारी कर दिया। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से पूछा गया कि क्या यह अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की प्रतिक्रिया थी? तो उन्होंने कहा- ‘मैं फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कह सकूंगा।’ 
 
हैदराबाद के दिल चारमीनार से बमुश्किल चार किलोमीटर दूर दिलसुख नगर भीड़भाड़ वाला इलाका है। शाम को जब दुकानों-दफ्तरों से लोग निकलते हैं तो यहां मेला सा लग जाता है। खासकर बस स्टैंड जहां से लोग बस पकड़ते हैं। बस स्टैंड से मेन रोड के उस पार कोणार्क थियेटर समेत 3 बड़े थियेटर हैं। कोणार्क के सामने आनंद टिफिन सेंटर है, जहां युवाओं का जमावड़ा रहता है।
 
6:58 पर एक साइकिल पर रखे टिफिन बॉक्स में हुए धमाके ने आनंद टिफिन सेंटर को तबाह कर दिया। जमीन पर 40 से ज्यादा लोग पड़े थे। कई लोगों की सांसें बंद हो चुकी थीं। घायलों की चीख और धमाके से मची अफरातफरी से भगदड़ की स्थिति बन गई। तीन मिनट बाद ही ब्रिज के बस स्टैंड वाले छोर पर दूसरा धमाका हुआ। तीन की मौके पर ही मौत हो गई।
 
एंबुलेंस का इंतजार न करते हुए बस स्टैंड के कर्मचारी घायलों को सरकारी बस में भरने लगे। एक घंटे में ओस्मानिया व यशोदा मलकपेट हॉस्पिटल में 70 से ऊपर जख्मी जमा हो चुके थे। अस्पताल में एक और आदमी ने दम तोड़ दिया। दो घंटे में 12 लोग मारे गए। हैदराबाद एक बार फिर आतंक के निशाने पर था। 2002 में दिलसुख नगर में हुए ब्लास्ट में दो लोग मारे गए थे। 2007 में भी इसी फुटओवर ब्रिज पर बम रखा था। वह फटा नहीं पर गोकुल चाट भंडार व लुंबिनी पार्क धमाकों में 42 की जानें गई थीं। इससे पहले सात माह पूर्व पुणो में 1 अगस्त 2012 को धमाके हुए थे।
 
दिलसुख नगर ही क्यों?
 
दिलसुख नगर हैदराबाद का बिजनेस हब जैसा है। यहां आईटी कंपनियों और निजी शिक्षा संस्थानों की भरमार है। देश के दूसरे हिस्सों से आए छात्र इसी जगह पर रहते हैं। डेढ़ किलोमीटर के दायरे में 13 सिनेमा हॉल हैं। साथ ही एक बहुत व्यस्त बाजार है। शाम के समय यहां काफी भीड़ रहती है।
 
आतंकी ने पुलिस को पहले ही बता दिया था इरादा
 
 
पिछले साल गिरफ्तारी के बाद आतंकी सैयद मकबूल ने दिल्ली पुलिस को बताया कि आईएम के सरगना रियाÊा भटकल के कहने पर दिलसुख नगर और कोणार्क थियेटर की रेकी की थी।
 
2007 बनाम 2013 : एक जैसा तरीका 
 
2007 में गोकुल चाट व लुंबिनी पार्क में धमाके हुए थे। जो दिलसुख नगर की तरह ही बहुत ही व्यस्त क्षेत्र है। ञ्चदोनों बार थियेटर और बस अड्डे के पास धमाके हुए। ञ्चदोनों बार दो-दो ब्लास्ट हुए। ञ्चबम के लिए टिफिन बॉक्स का इस्तेमाल। ञ्चसमय भी एक जैसा, देर शाम 7 से 8 बजे के बीच।
 
धमाकों से पहले 
 
गृहमंत्री शिंदे ने स्वीकारा कि उनके पास दो दिन पहले सूचना आई थी कि आतंकी विस्फोट कर सकते हैं। खुफिया जानकारी गृह मंत्रालय को मिली थी। हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई को अलर्ट भी भेजा गया था। 
 
वीरवार सुबह नई चेतावनी आने के बाद साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर अनुराग शर्मा ने दिलसुख नगर समेत अन्य संभावित जगहों का निरीक्षण किया।
 
हाल ही में कर्नाटक में लश्कर का मॉड्यूल पकड़ा गया था। गिरफ्तार लोगों में से एक ने कहा था कि दिलसुख नगर आतंकियों के निशाने पर है। जब दो दिन पहले सूचना थी तो सुरक्षा में ऐसी चूक कैसे हो गई।
 
धमाकों के बाद
 
महाराष्ट्र एटीएस, दिल्ली से एनएसजी व एनआईए टीम हैदराबाद पहुंची। 
पूरे इलाके में भगदड़ मच गई। भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज हुआ। 
अफवाह न फैले इसलिए इलाके में मोबाइल सेवा पर रोक लगा दी गई।
सभी राज्यों में दोबारा अलर्ट जारी किया। कुंभ पर खास नजर। 
धमाके के बाद जांच में फुटओवर ब्रिज और बस स्टॉप पर दो जिंदा बम मिले।

हां मेने अब तक

हां मेने अब तक
जिदंगी के मजे लेने का हो सोचा था
हां मेने अब तक
तुम्हें ही
अपनी बाहों में भरने का सोचा था
तुम तो बेवफा निकले
बस अब तो समझ गए हम
मोत की को खूबसूरती को
खुदा कसम तुम से
करोड़ों करोड़ दर्जे वफादार ईमानदार और खुबसूरत शांत है
इसीलियें तो अब हम
तेरी बाहों की चाह छोड़कर
तुझे अलविदा कहकर
तेरी आखरी ख्वाहिश को पूरा करने के लियें
मोत के इस खुशनुमा आगोश
मोत की इस शोखी भरी बाहों में जा रहे है
इसलियें कहते है
अलविदा ...अलविदा ..अलविदा

कुरान का सन्देश

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