हैदराबाद. हैदराबाद
वीरवार शाम दो शक्तिशाली धमाकों से दहल उठा। 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि
80 जख्मी हो गए। घटना के बाद सरकार ने फिर देशभर में अलर्ट जारी कर दिया।
गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से पूछा गया कि क्या यह अफजल गुरु को फांसी
दिए जाने की प्रतिक्रिया थी? तो उन्होंने कहा- ‘मैं फिलहाल इस बारे में कुछ
नहीं कह सकूंगा।’
हैदराबाद के दिल चारमीनार से बमुश्किल चार किलोमीटर दूर दिलसुख नगर
भीड़भाड़ वाला इलाका है। शाम को जब दुकानों-दफ्तरों से लोग निकलते हैं तो
यहां मेला सा लग जाता है। खासकर बस स्टैंड जहां से लोग बस पकड़ते हैं। बस
स्टैंड से मेन रोड के उस पार कोणार्क थियेटर समेत 3 बड़े थियेटर हैं।
कोणार्क के सामने आनंद टिफिन सेंटर है, जहां युवाओं का जमावड़ा रहता है।
6:58 पर एक साइकिल पर रखे टिफिन बॉक्स में हुए धमाके ने आनंद टिफिन
सेंटर को तबाह कर दिया। जमीन पर 40 से ज्यादा लोग पड़े थे। कई लोगों की
सांसें बंद हो चुकी थीं। घायलों की चीख और धमाके से मची अफरातफरी से भगदड़
की स्थिति बन गई। तीन मिनट बाद ही ब्रिज के बस स्टैंड वाले छोर पर दूसरा
धमाका हुआ। तीन की मौके पर ही मौत हो गई।
एंबुलेंस का इंतजार न करते हुए बस स्टैंड के कर्मचारी घायलों को
सरकारी बस में भरने लगे। एक घंटे में ओस्मानिया व यशोदा मलकपेट हॉस्पिटल
में 70 से ऊपर जख्मी जमा हो चुके थे। अस्पताल में एक और आदमी ने दम तोड़
दिया। दो घंटे में 12 लोग मारे गए। हैदराबाद एक बार फिर आतंक के निशाने पर
था। 2002 में दिलसुख नगर में हुए ब्लास्ट में दो लोग मारे गए थे। 2007 में
भी इसी फुटओवर ब्रिज पर बम रखा था। वह फटा नहीं पर गोकुल चाट भंडार व
लुंबिनी पार्क धमाकों में 42 की जानें गई थीं। इससे पहले सात माह पूर्व
पुणो में 1 अगस्त 2012 को धमाके हुए थे।
दिलसुख नगर ही क्यों?
दिलसुख नगर हैदराबाद का बिजनेस हब जैसा है। यहां आईटी कंपनियों और
निजी शिक्षा संस्थानों की भरमार है। देश के दूसरे हिस्सों से आए छात्र इसी
जगह पर रहते हैं। डेढ़ किलोमीटर के दायरे में 13 सिनेमा हॉल हैं। साथ ही एक
बहुत व्यस्त बाजार है। शाम के समय यहां काफी भीड़ रहती है।
आतंकी ने पुलिस को पहले ही बता दिया था इरादा
पिछले साल गिरफ्तारी के बाद आतंकी सैयद मकबूल ने दिल्ली पुलिस को
बताया कि आईएम के सरगना रियाÊा भटकल के कहने पर दिलसुख नगर और कोणार्क
थियेटर की रेकी की थी।
2007 बनाम 2013 : एक जैसा तरीका
2007 में गोकुल चाट व लुंबिनी पार्क में धमाके हुए थे। जो दिलसुख नगर
की तरह ही बहुत ही व्यस्त क्षेत्र है। ञ्चदोनों बार थियेटर और बस अड्डे के
पास धमाके हुए। ञ्चदोनों बार दो-दो ब्लास्ट हुए। ञ्चबम के लिए टिफिन बॉक्स
का इस्तेमाल। ञ्चसमय भी एक जैसा, देर शाम 7 से 8 बजे के बीच।
धमाकों से पहले
गृहमंत्री शिंदे ने स्वीकारा कि उनके पास दो दिन पहले सूचना आई थी कि
आतंकी विस्फोट कर सकते हैं। खुफिया जानकारी गृह मंत्रालय को मिली थी।
हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई को अलर्ट भी भेजा गया
था।
वीरवार सुबह नई चेतावनी आने के बाद साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर अनुराग
शर्मा ने दिलसुख नगर समेत अन्य संभावित जगहों का निरीक्षण किया।
हाल ही में कर्नाटक में लश्कर का मॉड्यूल पकड़ा गया था। गिरफ्तार
लोगों में से एक ने कहा था कि दिलसुख नगर आतंकियों के निशाने पर है। जब दो दिन पहले सूचना थी तो सुरक्षा में ऐसी चूक कैसे हो गई।
धमाकों के बाद
महाराष्ट्र एटीएस, दिल्ली से एनएसजी व एनआईए टीम हैदराबाद पहुंची।
पूरे इलाके में भगदड़ मच गई। भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज हुआ।
अफवाह न फैले इसलिए इलाके में मोबाइल सेवा पर रोक लगा दी गई।
सभी राज्यों में दोबारा अलर्ट जारी किया। कुंभ पर खास नजर।
धमाके के बाद जांच में फुटओवर ब्रिज और बस स्टॉप पर दो जिंदा बम मिले।