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28 फ़रवरी 2013

22 साल की युवती ने चार साल में की तीन शादियां, और...


इंदौर। बाइस साल की एक युवती ने चार साल में तीन शादियां कर डालीं। महज 100 और 50 रु. के स्टाम्प पर सादी लिखा-पढ़ी कर ही उसने शादियों को अंजाम दे दिया। ये शादियां उसने अपने मोहल्ले में ही की। पहली दोनों शादियां उसने बिना तलाक के तोड़ भी दीं। तीसरी शादी महीनेभर भी नहीं चली थी कि तीसरे पति की असली पत्नी प्रकट हो गई। उसने महिला थाने में शिकायत की तो सारी शादियों का राज खुल गया। पुलिस ने युवती व उसके दो पतियों को हिरासत में लिया, जबकि सबसे पहले शादी करने वाले पति का कोई पता नहीं है। खास बात यह है कि युवती के दोनों पति उसे अपने साथ रखने की जिद कर रहे हैं।
 
भागीरथपुरा निवासी सोनू ने महिला थाने में शिकायत की थी कि उसके पति श्रवण ने क्षेत्र में ही रहने वाली युवती आरती से भी शादी कर ली है। मेरे दो छोटे बच्चे हैं, श्रवण ने मुझे कानूनी तरीके से तलाक भी नहीं दिया है। पुलिस ने जांच के लिए आरती और श्रवण को गुरुवार को महिला थाने बुलाकर पूछताछ की तो आरती ने ऐसी दास्तां सुनाई कि अफसर हैरत में पड़ गए। 
 
पहले को छोड़ा, दूसरे का घर नहीं जमा
 
आरती ने बताया मेरी उम्र 22 साल है। 2009 में भागीरथपुरा में रहने वाले दिलीपसिंह से शादी की थी। हमारा एक बेटा है। दिलीप का साथ नहीं जमा तो उसे छोड़ दिया। फिर मोहल्ले में ही रहने वाले सुनील मौर्य से दोस्ती हुई। उसने मुझे अपनाने का वादा किया तो जुलाई 2011 में उससे शादी कर ली। उसके साथ गांव गई तो ससुराल वाले परेशान करने लगे। उसे भी छोड़ दिया। तीसरा पति श्रवण मेरे स्कूल का साथी है। उससे दोस्ती और बढ़ गई। मोहल्ले वाले समझने लगे कि हमारा अफेयर चल रहा है इसलिए मैंने उससे शादी ही कर ली।
 
स्टाम्प पर नोटरी और हो गई शादी
 
डीएसपी बीपी सलोकी के सामने आरती ने शादी की सौ रुपए स्टाम्प की नोटरी रखी जिसमें उसने सुनील से शादी तय की थी, वहीं श्रवण से 50 रुपए के स्टाम्प पर शादी का लेख लिखवाया। इसमें तलाक का मजमून भी खुद ही डाल दिया कि पूर्व पति से आपस में चर्चा होने पर विवाह विच्छेद हो गया है इसलिए नई शादी कर रही हूं।
 
मैं नहीं रहूंगी सौतन के साथ 
 
डीएसपी और टीआई निशा जायसवाल ने जब आरती की बातें सुनी तो भौंचक रह गए। उन्होंने कहा तुमने यह भी नहीं सोचा श्रवण के परिवार का क्या होगा। इस पर आरती बोली मैं सोनू के साथ रहने को तैयार हूं। श्रवण भी बोला मैं दोनों को रखा लूंगा लेकिन सोनू भड़ककर बोली सौतन के साथ नहीं रहूंगी, मुझे मेरा पति वापस चाहिए। 
 
नहीं माने तो होगा प्रकरण दर्ज
 
टीआई ने बताया श्रवण को समझाया जा रहा है कि वह सोनू के साथ रहे और आरती को सुनील के साथ रहने के लिए राजी किया जा रहा है। उन्हें समय दिया गया है। अगर नहीं माने तो प्रकरण दर्ज किया जाएगा।

पोप की सोने की अंगूठी और मोहर पर चलेगा चांदी का हथौड़ा!



वेटिकन सिटी। रोमन कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु पोप बेनेडिक्ट 16वें ने बुधवार को अंतिम उपदेश दिया। सेंट पीटर्स चौक पर उन्हें सुनने और विदाई देने करीब एक लाख लोग पहुंचे थे। पोप ने समर्थकों से कहा, ‘मेरे और होने वाले पोप के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।’ ऐसी अपील करने वाले वे पहले पोप हैं। 
 
पोप बेनेडिक्ट 16वें छह सौ साल में इस्तीफा देने वाले पहले पोप हैं। वे गुरुवार से पोप नहीं रहेंगे। उनकी जगह घाना के कार्डिनल पीटर टर्कसन को पोप बनाए जाने की अटकलें हैं। अगर वे पोप बने तो वेटिकन के इतिहास में पहले गैर यूरोपीय और पहले अश्वेत पोप होंगे। नए पोप मार्च में पद संभालेंगे।

तीन रुपये महंगी कोल्ड ड्रिंक बेचने पर 10 लाख का जुर्माना!



नई दिल्ली। चलती ट्रेन में तय कीमत से ज्यादा पैसा वसूलने पर दस लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। दो उपभोक्ताओं को दस-दस हजार रुपए का मुआवजा देने को भी कहा है। दिल्ली के दो नागरिकों सचिन धीमान और शरण्या ने शिकायत की थी कि चलती ट्रेन में उनसे 12 रुपए की सॉफ्ट ड्रिंक के लिए 15 रुपए वसूले गए। इस पर दिल्ली जिला उपभोक्ता फोरम ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) को दोनों मामलों में 5-5 लाख रुपए दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी में जमा करने के निर्देश दिए। सीके चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एक सरकारी निगम से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह मुनाफा कमाने के लिए निजी डीलरों के स्तर पर उतर आएगा।

अमीरों से 12.43 लाख लेकर हमें दिए सिर्फ 2 हजार रुपये


नई दिल्ली. वित्‍त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को यूपीए-2 का आखिरी बजट पेश किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चिदंबरम द्वारा पेश किए गए बजट की तारीफ की लेकिन बीजेपी सहित समूचे विपक्ष ने बजट की आलोचना की है। यूपीए को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बजट को 'किसान विरोधी और गरीब विरोधी' करार दिया। उन्‍होंने कहा कि वह बजट का संसद में विरोध करेंगे। लेकिन, इस बीच सबसे अधिक चौंकाने वाली प्रतिक्रिया बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तरफ से आई। बीजेपी से गठजोड़ के बूते बिहार में सत्‍ता पर काबिज नीतीश कुमार ने बजट के लिए चिदंबरम का शुक्रिया अदा किया। उन्‍होंने कहा कि इस बार के बजट से बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा देने की मांग में मदद मिलेगी।
सरकार ने 1 करोड़ से ज्यादा आय वालों पर जो 10 फीसदी का सरचार्ज लगाया है उससे सरकारी खजाने में हर 4 करोड़ रुपये पर 12.43 लाख रुपये मिलेंगे। वहीं, आम आदमी को आयकर छूट के रूप में केवल 2 हजार रुपये का फायदा दिया। वो भी यह फायदा सिर्फ 5 लाख रुपये से कम आय वालों को मिलेगा।
वित्त मंत्री ने उत्तराधिकार टैक्स न लगाकर बड़े करदाताओं को राहत दी है। सुपर रिच टैक्स लगाकर भी वित्तमंत्री ने अमीरों पर ज्यादा भार नहीं डाला है क्योंकि इसके दायरे 50,000 से कम लोग ही आएंगे। 1 करोड़ से ज्यादा की कमाई वालों पर लगे 10 फीसदी सरचार्ज के बाद सरकार की झोली में ज्यादा पैसा आएगा। जहां 1.5 करोड़ रुपये सालाना सैलरी वालों को 4.43 लाख देने होंगे, वहीं 2 करोड़ वालों को 6.49 लाख, 3 करोड़ वालों को 9.99 लाख और 4 करोड़ की आय वालों को 12.43 लाख चुकाने होंगे।
 
आम आदमी को एक साल में 2,000 रुपए की टैक्स छूट मिलना बड़ी बात नहीं है। इससे करदाताओं में उत्साह नहीं है। वहीं 25 लाख रुपए तक के होमलोन पर 1 लाख रुपए तक की और टैक्स छूट मिलने से केवल नए लोन लेने वालों को ही फायदा मिलेगा। इससे नए लोन लेने वालों को 10,000 रुपए से 20,000 रुपए तक की टैक्स छूट मिल सकती है। हालांकि इसका असर छोटे मकानों पर ही मिल पाएगा।

चिदंबरम ने टैक्‍स स्‍लैब में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन कम आय वालों को कोई राहत भी नहीं दी। वित्‍त मंत्री ने 'सुपर रिच' लोगों पर सरचार्ज लगाने का ऐलान किया तो 25 लाख रुपये तक के होमलोन पर एक लाख रुपये की छूट देने की घोषणा भी चिदंबरम ने की। आम बजट में महिलाओं के लिए सरकार की संवेदनशीलता दिखाने का प्रयास भी नजर आया। जानकारों का कहना है कि बजट से मिडल क्‍लास को कोई राहत नहीं मिली है बल्कि इस वर्ग के लोगों पर महंगाई की मार पड़ी है।
वहीं यूपीए -2 के आखिरी बजट को लोगों ने नकार दिया है। वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बजट के बजट पेश करने के बाद से ही सोशल नेटवर्किंग साइट पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। नौकरीपेशा लोगों को इस बजट से सबसे ज्यादा निराशा हाथ लगी तो मध्यम वर्ग में भी बजट को लेकर कोई उत्साह नहीं है।। केवल 8 प्रतिशत लोगों ने बजट को अच्छा बताया है तो 6 फीसदी लोगों ने इस बजट को एवरेज करार दिया है।
2014 में लोकसभा चुनाव होने से सरकार ने बजट में महिलाओं, किसानों को रिझाने की कोशिश की लेकिन व्यापक मध्यवर्ग के लिए बजट में खास नहीं होने से विपक्ष के अलावा आम लोग भी बजट की आलोचना कर रहे हैं। विपक्ष ने भी बजट के कल्पनाहीन होने पर आलोचना की है।
 
संसद में बजट पेश किए जाने के तुरंत बाद मनमोहन सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि वित्‍त मंत्री ने शानदार काम किया है। उन्होंने घाटे को नियंत्रित करने की कोशिश के साथ साथ विकास को महत्व दिया है। विकास दर को आगे बढ़ाना है। बजट में इसी पर जोर दिया गया है। वित्‍त मंत्री ने घाटा कम रखा, विकास बढ़ाने का काम किया। केंद्र और राज्यों में तालमेल की जरूरत पर जोर देने की अपील करते हुए पीएम ने दावा किया कि बजट में हर मंत्रालय का ध्यान रखा गया है।
वहीं बजट की चारों तरफ से आलोचना होने पर गुरुवार शाम को मीडिया के सामने आए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए कई चुनौतियां हैं। मौजूदा हालत में दूसरे कदम नहीं उठाए जा सकते थे। उन्होंने सब्सिडी बिल कम करने की बात कही है। इससे डीजल और एलपीजी के दाम फिर से बढ़ने के आसार हैं। अभी कुछ और कदम उठाए जएंगे और सुधारों की घोषणा होगी। उन्होंने कहा कि उनका काम अभी खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने बजट की खास बताई कि उन्होंने किसी भी वर्ग पर बोझ नहीं डाला है। चिदंबरम का कहना था कि राजकोषीय घाटा कम करना पहली प्राथमिकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये साल विकास के लिए बेहतर होगा और विकास दर 6 फीसदी तक रहेगी।

कुरान का सन्देश


सावधान ! मदरसे और मस्जिद के लिए चंदे इकठ्ठा करने के नाम पर फैल रहा है कमीशनख़ोरी और ठगी का धंधा

सावधान ! मदरसे और मस्जिद के लिए चंदे इकठ्ठा करने के नाम पर फैल रहा है कमीशनख़ोरी और ठगी का धंधा


मदरसे और मस्जिद के लिए चंदा इकठ्ठा करने का काम शहर के प्रतिष्ठित लोगों को करना चाहिए। इससे लोगों को ऐतबार भी आएगा और वे ज़्यादा मदद करेंगे। दीन-धर्म को ठगी और कमीशनख़ोरी के लिए इस्तेमाल करने वाले तत्वों पर भी लगाम लगेगी।
दीन-धर्म को आय का ज़रिया बना लिया जाए तो दीन-धर्म का रूप बदलता चला जाता है। आपको ऐसे बहुत से लोग मिलेंगे जो कि मस्जिद और मदरसे बनाने के लिए मुसलमानों से चंदा इकठ्ठा करते हैं। लोग बिना छानबीन किए ही किसी को भी रक़म पकड़ा देते हैं। यह ग़लत है।
बहुत से लोग किसी मदरसे या मस्जिद के लिए नहीं बल्कि सिर्फ़ उनके नाम पर अपने लिए चंदा इकठ्ठा कर रहे होते हैं और ऐसे लोग भी हैं कि जो इकठ्ठा होने वाली रक़म को मदरसे या मस्जिद को ही देते हैं लेकिन वे उसमें 40 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक कमीशन लेते हैं।
इस कमीशनबाज़ी की वजह से अच्छी ख़ासी मस्जिदों को ढहाकर नए सिरे से बनाया जा रहा है। ये मस्जिदें पुरानी स्थापत्य कला का एक बेहतरीन नमूना होती हैं लेकिन अपनी ग़र्ज़ के सामने ये स्थापत्य कला की ख़ूबसूरती और उसकी मज़बूती को, हर चीज़ को दरकिनार कर देते हैं। पुराने तर्ज़ की खुली हुई मस्जिदों में नमाज़ अदा करके जो सुकून मिलता है। वह आज की बंद मस्जिदों में नहीं मिल सकता। हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मस्जिद बिल्कुल सादा थी। शुरू में उसमें सिर पर छत और पांव के नीचे चटाई भी न थी। वह मस्जिद बिल्कुल क़ुदरती माहौल में थी। नमाज़ पढ़ने वालों पर सूरज की रौशनी हर तरफ़ से पड़ती थी, उन्हें ताज़ा हवा मिलती थी। उनके पांव ज़मीन से टच होते थे और उनके सिर पर खुला आसमान होता था। क़ुदरती माहौल सुकून देता है और बहुत सी बीमारियों से बचाता है। नए तर्ज़ की मस्जिदें बनाने की होड़ में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मस्जिद की तर्ज़ को भुला दिया गया है।
मस्जिदों को सादा रखा जाता तो उनके नाम पर धंधा और ठगी करने वाले पनपते ही नहीं। ऐसे भी मदरसे हैं। जिनकी तरफ़ से चंदा वसूल करने वाला कोई जाता ही नहीं है। जिसे भी देना होता है। वह ख़ुद ही मनी ऑर्डर कर देता है या किसी के हाथ भेज देता है। कुछ मदरसों ने ऐसे लोगों की तनख्वाह मुक़र्रर कर रखी है। यह ठीक है। उनके घर का ख़र्च भी चलना चाहिए।
कमीशनख़ोरी और ठगी इससे बिल्कुल अलग चीज़ है। चंदा वुसूल करने वाले ये लोग भी दाढ़ी, टोपी और शरई लिबास में होते हैं। इनके वेश-भूषा को देखकर धोखा न खाएं और अपनी रक़म चंदे में देने से पहले यह ज़रूर देख लें कि आप अपनी रक़म किसी ठग या कमीशनख़ोर को तो नहीं दे रहे हैं ?
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