आपका-अख्तर खान

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02 मार्च 2013

रह गया मैं होते होते

रह गया मैं होते होते
और तुम
याद आये
वो तुम्हारा पुराना चेहरा
मेरे पुराने चेहरे जैसा ही था
पहचान ही है
जो आज
तुम्हें जवां बना रहा है
रह गया मैं होते होते

क्या, आज मै कुछ कहूँ !

क्या, आज मै कुछ कहूँ !
या, फिर यूँ ही चुप रहूँ !!

कुछ कहने पर, नहीं हो कुछ भी तो सुनते !
चुप भी फिर क्यू सदा, हमें रहने नहीं देते !!

गर,यूँ ही यदि चुप रहता और भूले से कभी कुछ न कहता !!
कम से कम संतोष तो होता, दिल बेचारा कभी यूँ ना रोता !!

बहाना ना चाहूं मैं

बहाना ना चाहूं मैं बस गम के आँसू
पर थोड़ी सी खुशियां तुम लौटा तो दो
मैं भी बिखेरुंगा मुस्कान हर दम
मुझको भी कोई मुखौटा तो दो

रूठे - तो रूठ जाने दो

Satish Sharma
रूठे - तो रूठ जाने दो
अब वहां जाके उन्हें
मनाये कौन .
दर्द के अंतरे लिखे हैं
यहाँ हैं सब मौन -
अश्कों में भीगे
गीत यार गाये कौन .

"पतिताओं की कविताओं पर

Rajiv Chaturvedi
----फेसबुक का कथित किन्तु व्यथित साहित्यिक परिदृश्य ---

"पतिताओं की कविताओं पर
वाह ...वाह और अद्भुत ...अद्भुत...
यहाँ लफंगे जन-गण-मन का जश्न मनाते मैंने देखे
हर कायर शायर बन कर संसद पर फायर कर देता है
और शातिरों की हर शर्तें सत्यों को संगीत सुनाती मैंने देखीं
कर्तव्यों के वक्तव्यों में बकवासों के रूप बहुत हैं
यहाँ गली का हर आवारा ईलू -ईलू काव्य कर रहा
प्रोफाइल पर उसकी फर्जी फोटो देख मुग्ध है इतना
देह को उसके भांप रहा है, दर्शन में वह नाप रहा है, शब्दों से वह काँप रहा है
पतिताओं की कविताओं पर
वाह ...वाह और अद्भुत ...अद्भुत...
और यहाँ पर प्रौढ़ उम्र में प्रणय निवेदन करती कविता
सत्य यहाँ शातिर सा दिखता अधिकारों के श्रृंगारों में
कुछ की हिन्दी रति से नहीं विरत हो पाई रीतिकाल में फंसी पड़ी है
श्रृंगारों का श्रेय ले रहे अंगारों की आढ़त उनकी
आत्म मुग्धता का अंधियारा और अध्ययन का उथलापन
गूलर के भुनगे की ख्वाहिश धरती की पैमाइश की है
करुणा की कविता कातर सी कांख रही है
यहाँ ग्रुपों में बंटा सा अम्बर आडम्बर से अटा पड़ा है
लिख पाओ तो मुझे बताना,
पढ़ पाओ तो मुझे सुनाना, -- कविता की परिभाषा क्या है ? " ---- राजीव चतुर्वेदी

चलो चलें हम संघर्षों के सेहरा बांधें

Rajiv Chaturvedi
"यहाँ हो रहा ईलू- ईलू काव्य विमोचन
चलो चलें हम संघर्षों के सेहरा बांधें
और जनपथों की चीखों से राजपथों की नींद उड़ा दें
प्रेम की कविता कहने वालो
सवा अरब की आबादी में देह से पहले देश को देखो
गल्ला सड़ता है गोदाम में भूख है पसरी हर एक गाँव में
सेना के जवान को देखो सियाचिन की शीतलहर के सीमित संसाधन में कम वेतन में जूझ रहा है
और यहाँ नौकरशाही को घूस का अवसर सूझ रहा है
शिक्षा की दूकान पर बिकता एकलव्य का रोज अंगूठा तुम भी देखो
सुविधा का विस्तार कर रही संसद देखो
राष्ट्रपति बनने की राहों से पूछो लोकतंत्र की आहों का सच
न्याय बकीलों की दूकान पर बिकता बिकता है क्या ?
जन -गण -मन की धुन को गाता घुन सा देखो जो नेता है, राष्ट्रधर्म का अभिनेता है
यहाँ हो रहा ईलू- ईलू काव्य विमोचन
चलो चलें हम संघर्षों के सेहरा बांधें
और जनपथों की चीखों से राजपथों की नींद उड़ा दें." -----राजीव चतुर्वेदी

घिरा रहता हूँ तुम्हारी यादों से इस तरह

Atul Kanakk
घिरा रहता हूँ तुम्हारी यादों से इस तरह
कि अकेला होने की फुर्सत ही नहीं मिलती/
यादों के सम्माहेन को तोड़ने का मन नहीं करता,
मन नहीं करता अपने आसपास बिखरे सन्नाटे को तोड़ने का
मग़र बात भी ज़रूरी है शायद
तो आओ, आज फिर हम एक दूसरे के बारे में सोच कर
एक दूसरे से संवाद करें/
छोड़ो न चुगलखोर शब्दों को एक तरफ
आओ, हम खमोश यादों के साथ एक दूसरे से बात करें।।

क्या तुमने

क्या तुमने
किसी की झील सी
खुबसूरत आँखों में
तबाही का सुनामी तूफ़ान देखा है .....
हां मेने देखा है ..
क्या तुमने
किसी के खुबसूरत
मासूम से चेहरे के पीछे
किसी बेबस को तबाह करने वाला
शेतान देखा है
हां मेने देखा है ..
क्या तुमने
किसी मासूम से धडकते दिल में
किसी के लियें
बेवफाई का दस्तूर देखा है
हाँ मेने देखा है ..
क्या तुमने
किसी मासूम अदाकारा के हाथ में
बिना किसी खंजर के
मोत का सामान देखा है
हां मेने देखा है .
क्या तुमने
किसी वफा के वायदे करके
वायदों से मुकरते देखा है
हां मेने देखा है ..
क्या तुमने
किसी को दुसरे को तडपा कर
दिल ही दिल में
अपनी इस जीत पर
मुस्कुराते देखा है
हा मेने देखा है ..
क्या तुमने ठुकराए जाने के बाद भी
यूँ ही वेवजह
किसी मलिका के पीछे
किसी को पागल होते देखा है
हां मेने उसे अभी आयने में देखा है ..
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सलमान रुश्दी को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 20 करोड़ का इनाम! Bhaskar Network | Mar 02, 2013, 18:30PM IST Tweet Email Print Comment Show Thumbnails 1 of 10 Photos Previous ImagePrev NextNext Image सलमान रुश्दी को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 20 करोड़ का इनाम! लंदन. भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी आतंकवादी संगठन अल-कायदा की 'मोस्ट वांटेड' सूची में शामिल हैं। उसने उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 20 करोड़ रुपये का ईनाम रखा है। अल-कायदा ने अपनी ऑनलाइन अंग्रेजी पत्रिका 'इन्सपायर' के नए अंक में इस्लाम धर्म की निंदा करने वाले लोगों की सूची जारी की है। उसने उन्हें अपराधी की श्रेणी में रखा है। रुश्दी के खिलाफ ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला खोमीनी ने 1989 में उनकी किताब 'सेटेनिक वर्सेज' के लिए फतवा जारी किया था। ईरान स्थित खोर्दान फाउंडेशन ने रुश्दी की हत्या के लिए पूर्व में घोषित चार करोड़ रुपए के ईनाम को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए के करीब कर दिया है।


लंदन. भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी आतंकवादी संगठन अल-कायदा की 'मोस्ट वांटेड' सूची में शामिल हैं। उसने उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 20 करोड़ रुपये का ईनाम रखा है। 
 
अल-कायदा ने अपनी ऑनलाइन अंग्रेजी पत्रिका 'इन्सपायर' के नए अंक में इस्लाम धर्म की निंदा करने वाले लोगों की सूची जारी की है। उसने उन्हें अपराधी की श्रेणी में रखा है। 
 
रुश्दी के खिलाफ ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला खोमीनी ने 1989 में उनकी किताब 'सेटेनिक वर्सेज' के लिए फतवा जारी किया था। ईरान स्थित खोर्दान फाउंडेशन ने रुश्दी की हत्या के लिए  पूर्व में घोषित चार करोड़ रुपए के ईनाम को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए के करीब कर दिया है।

मोदी को राजनाथ ने पहनाई 'पीएम उम्‍मीदवारी' की माला?


नई दिल्ली. बीजेपी संसदीय बोर्ड का विस्तार करने का फैसला लिया गया है। संसदीय बोर्ड में मोदी और शिवराज सिंह चौहान को लाया जाएगा। बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन (तस्‍वीरें यहां देखें) के दौरान देश की राजधानी स्थित तालकटोरा स्टेडियम गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के जयकारों से शनिवार को गूंज उठा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। गुजरात विधानसभा चुनावों में मिली जीत का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए राजनाथ ने कहा, 'गुजरात में मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार जीत पर हम सभी को सुखद अनुभूति हुई है। उनके विकास मॉडल और सुशासन की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। गुजरात के बीजेपी कार्यकर्ताओं का मैं शुक्रिया अदा करता हूं।' राजनाथ इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने मोदी को मंच पर बुलाकर माला पहनाकर उनका स्वागत किया। बीजेपी के इस अधिवशेन में जिस तरह मोदी छा गए, उससे साफ है कि जल्‍द ही उन्‍हें बड़ी जिम्‍मेदारी दी जा सकती है।
 
बिहार में बीजेपी कोटे से मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि देश की जनता जिस नेता के पक्ष में दिखाई देती है, पार्टी आलाकमान भी उसी नेता के नाम पर मुहर लगाता है। नेशनल काउंसिल में जिस तरह नरेंद्र मोदी का स्‍वागत किया गया है, उससे साफ है कि मोदी ही अगले पीएम पद के उम्‍मीदवार हैं। इस बारे में औपचारिक घोषणा हो न हो, यह कोई मायने नहीं रखता है। गिरिराज सिंह के अलावा रमेश पोखरियाल निशंक, अनुराग सिंह सहित कई और नेताओं ने भी मोदी को पीएम पद के उम्‍मीदवार के काबिल बताया।
 
इस मौके पर राजनाथ सिंह ने अटल और आडवाणी की भी तारीफ की। तो केंद्र की यूपीए सरकार पर निशाना साधना भी नहीं भूले। राजनाथ सिंह ने कहा कि भ्रष्‍टाचार ही कांग्रेस को खा जाएगा।  राजनाथ सिंह ने कहा, ' देश के सामने कठिन चुनौतियां हैं। यदि कोई शख्‍स हमें दिशा दिखा सकता है तो वह हैं आडवाणी। ऐसे वक्‍त में जब देश कठिन दौर से गुजर रहा है, हमें निराश होने की जरूरत नहीं है। देवतुल्य समर्पित कार्यकर्ताओं के समर्थन से विजय प्राप्त करूंगा। देवतुल्य कार्यकर्ताओं का शीश झुकाकर स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं। मैं चाहता था गडकरी अध्यक्ष बने रहें। बीजेपी आपके साथ खड़ी रहेगी। पार्टी के आधार का विस्तार किया है।' राजनाथ सिंह ने नितिन गडकरी की जमकर तारीफ की।'
 
राजनाथ सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की यह पहली बैठक है। बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि राष्ट्रीय परिषद में देश की स्थिति, मौजूदा राजनीति और बीजेपी की रणनीति को लेकर चर्चा हो रही है। हुसैन के मुताबिक राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को पार्लियामेंटरी बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति के गठन का औपचारिक अधिकार दिया जाएगा। इसके बाद राजनाथ इनका गठन करेंगे। नरेंद्र मोदी के बारे में शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मोदी देश की जरुरत हैं। लेकिन जहां तक प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर मोदी के नाम को आगे करने की बात है तो यह निर्णय पार्लियामेंटरी बोर्ड करेगा। हुसैन ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस एफडीआई के बल पर देश की हालत सुधारना चाहती है लेकिन हम बिना एफडीआई के देश को अच्छी स्थिति में ला सकते हैं। देश को बीजेपी से बहुत उम्मीदें हैं।

ग्रामप्रधान की हत्‍या के बाद ग्रामीणों और पुलिस में संघर्ष, सीओ की मौत, आधा दर्जन जवान घायल

लखनऊ। प्रतापगढ़ के वलीगांव में शाम को प्रधान और उनके भाई की गोली मारकर हत्‍या किए जाने के बाद गुस्‍साए ग्रामीणों ने पुलिस पर ही फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें सीओ की मौत हो गई, जबकि आधा दर्जन से ज्‍यादा पुलिसकर्मी
घायल हो गए हैं।
 
घटना से उत्‍तर प्रदेश शासन में हड़कंप मच गया, जिसके बाद आनन फानन में गांव में भारी फोर्स की तैनाती की जा रही है, वहीं मौके पर खुद एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अरुण कुमार पहुंच रहे हैं।
 
प्रतापगढ़ के वलीपुर गांव में आज शाम दो मोटरसाइकिल पर सवार हमलावरों ने गांव के प्रधान नन्‍हे लाल यादव और सुरेश यादव की गोली मारकर हत्‍या कर दी। सूत्रों के अनुसार हत्‍या के पीछे गांव के ही दूसरे पक्ष का हाथ होने की बात सामने आने पर भड़के गांववालो ने कुछ घरों में आगजनी करनी शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस को सूचना मिली तो सीओ जिया उल हक पुलिस पार्टी के साथ मौके पर पहुंचे। लेकिन गांव में दाखिल होते समय गुस्‍साए ग्रामीणों ने
पुलिस पार्टी पर ही गोलियां चलानी शुरू कर दी। जब तक पुलिस पार्टी संभलती, तब तक सीओ जिया उल हक को गोली लग गई।
 
उन्‍हें  गंभीर हालत में अस्‍पताल भेजा गया, जहां डॉक्‍टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया। उधर ग्रामीणों के हमले में इंस्‍पेक्‍टर संदीप मिश्रा समेत सात पुलिसवालों को भी गोली लगने की खबर है। वहीं पुलिस की जवाबी फायरिंग में
करीब दो दर्जन गांववालों के घायल होने की खबर है। हालांकि घायलों के संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
 
उधर गोलीबारी की घटना की खबर से उत्‍तर प्रदेश शासन में हड़कंप मच गया। आनन फानन में डीआईजी इलाहाबाद को मौके पर रवाना किया गया, वहीं तीन कंपनी पीएसी की गांव की तरफ रवाना की गई। उधर एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अरुण कुमार भी लखनऊ से प्रतापगढ़ की तरफ रवाना हो गए हैं। उन्‍होंने सीओ की गोली लगने से मौत की पुष्टि की और बताया कि मामला गांव के ही दो गुटों से जुड़ा है।
 
पुलिस लगातार नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है। गांव में पर्याप्‍त फोर्स भेजी जा रही है। वह खुद मौके पर जा रहे हैं।
उधर सूत्रों के अनुसार एक हफ्ते पहले ही ग्राम प्रधान को धमकी दी गई थी, जिसके बाद से ग्राम प्रधान ने पुलिस से सुरक्षा मांगी थी। लेकिन पुलिस ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
 
जानकारी के अनुसार देर रात तक पुलिस ने वलीपुर गांव को घेर लिया है, और प्रत्‍येक व्‍यक्ति की तलाशी ली जा रही है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।

अफजल की फांसी से जुड़े सवालों के जवाब देने से जेल विभाग का इनकार

 

नई दिल्ली। जेल विभाग ने अफजल गुरु की जेल और फांसी से जुड़ी जानकारी देने से इनकार कर दिया है। विभाग का कहना है कि इससे देश की एकता और अखंडता पर असर पड़ सकता है।
 
संसद पर हमले के दोषी अफजल को नौ फरवरी को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। फिर वहीं दफना दिया गया था।
 
लखनऊ की आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने जेल विभाग से इस बारे में 12 सवाल किए थे। जैसे, अफजल को फांसी के बाद कहां और कितने बजे दफनाया गया?
 
उर्वशी ने आरटीआई में दफन के लिए जगह तय करने की प्रक्रिया में जेल विभाग द्वारा लिखे, भेजे और हासिल किए गए पत्रों की प्रतियां भी मांगी थी।
 
भड़काऊ कदम होगा जवाब देना 
 
जेल मुख्यालय (जेल महानिदेशक का कार्यालय) ने इन सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया। कहा कि अफजल की जेल, फांसी, दया याचिका खारिज करने, दफनाने आदि से संबंधित सूचना सार्वजनिक नहीं की जा सकती। इससे भारत के दूसरे देशों से संबंध बिगड़ सकते हैं। इससे देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक हितों को भी चोट पहुंचेगा। इन सवालों के जवाब देना भड़काऊ कदम होगा।
 
..तो कई छिपे तथ्य सामने आ जाते: उवर्शी
 
उर्वशी ने कहा, ‘जेल विभाग यदि सवालों के जवाब देता तो कई छिपे तथ्य सामने आते। इससे मानवाधिकार की बात करने वाले लोगों को भी जवाब मिल जाता। आखिर वे दया याचिका खारिज होने और उसके बाद फांसी से संबंधित पत्राचार साझा क्यों नहीं करना चाहते?’ उर्वशी ने कहा कि वे इस मुद्दे पर पुनरीक्षण याचिका दायर करने के विकल्प तलाश रही हैं।
 
प्रमुख सवाल 
 
> अफजल के जेल में रहने और दफनाने तक उस पर कितना खर्च किया गया?
> ये किसने तय किया कि फांसी कब, कहां और कितने बजे दी जाए?
> अफजल की अंतिम मेडिकल रिपोर्ट क्या थी?
> फांसी देने वाले जल्लादों के नाम क्या हैं?
> शव दफनाने के वक्त कौन-कौन मौजूद थे? यदि फोटो है तो वह भी दें।

जिससे दिल के भाव हैं मिलते..

जिससे दिल के भाव हैं मिलते..
मन के तार भी जुड जाते..
आँखों में तारे आ चमकें...
फूल अनेकों खिल जाते....

कितना ही बेगाना हो, पर..
वो अपना सा लगता है..
जिसकी आने की आहट से..
दिल जो सदा धडकता है..

आखें बरबस चमक हैं उठतीं...
हृदय प्रफुल्लित हो जाता..
जब वह सम्मुख आ जाये तो...
चाहें वक्त ठहर जाता...

अनजाने, जाने कैसे क्यों..
अजनबी, अपने बन जाते...
बिन जाने, बिन समझे...
ही वो मन में आके बस जाते

या खुदा मुझे ऐसा मकतब

या खुदा
मुझे ऐसा मकतब
मुझे ऐसा स्कूल ऐसा मदरसा बता
जहां इन्सान और इंसान बनते हो ..
या खुदा मुझे ऐसी मस्जिद ..ऐसा मन्दिर बता
जहां इंसान जाते हो जहां से इन्सान बनकर आते हो
या खुदा
मुझे ऐसा काशी ऐसा काबा बता
जहां से होकर आने के बाद इंसान बनते हो
या खुदा मुझे ऐसा पंडित
ऐसा मोलवी ऐसा पादरी बता
जिनके गुरुकुल में जिनके शिष्य इंसान बनते हो ..
में चाहता हूँ
आदमी को इन्सान बनाया जाए
मेरे इस हिन्दुस्तान को
मेरे इस भारत को
ऐसे इंसानों को ढूंढ कर
एक बार फिर भारत महान बनाया जाए
या खुद मुझे कोई जुगत बता
केसे मेरे देश वासियों को
हिन्दू मुसलमान से लग कर इन्सान बनाया जाए ............

लेकिन दोस्तों

लेकिन दोस्तों
अफ़सोस के साथ कहता हूँ
में ना हिन्दुस्तान ..न भारत महान
न इंसान बन सका
इतना ही नहीं
में न हिन्दू बन सका
न मुसलमान बन सका
सिर्फ नाम में ही मेरा मजहब था मेरा धर्म था
मेरी जीवन शेली मेरे आचरण में
मेरे धर्म मेरे मजहब के निर्देश
मानवता जीवित रखने का आदेश की पालना नहीं थी
में कोंग्रेसी था ..में भाजपाई था
में लीगी था ,,में बजरंगी था
में तबलीगी था में सुन्नी था में शिया था
में सनातन था ..में संघ था में जमाती था
नहीं था तो बस इन्सान नहीं था
इसीलियें तो में इंसान से शेतान राक्षस बन गया ....

--
akhtar khan akela

दोस्तों हमारे कोटा के कुछ गुमराह लोग

दोस्तों हमारे कोटा के कुछ गुमराह लोग अपना हिस्सा दूसरों को देकर खुद अपने मुंह मिया मिट्ठू नज़र आते है इतना ही नहीं खुद के खर्चे से खुद का स्वागत सत्कार करवाकर इस कोम का उपहास भी उड़ाते है ,,ऐसा ही मामला कोटा में अनारवाले बाबा उर्फ़ सय्यद शाह बाबा की वक्फ सर्वेक्षित साढ़े तीन बीघा यानी अट्ठावन हजार वर्ग फुट जमीन के लियें हुआ ..इस जमीन का सरकारी सर्वे वर्ष २ में वक्फ के हक में हो गया था कोटा जिला वक्फ कमिटी के तात्कालिक सदर हाजी उमर भाई ने इसका नक्शा भी बनवाया था और वोह नक्शा आज भी जिला वक्फ कमिटी कोटा कार्यालय में मोजूद है ..इस मामले में सभी दस्तावेज छुपा कर लोग बेठ गए थे और भूमाफियाओं से मिलकर इस भूमि पर कब्जा करवा दिया था चाहे आकाशवाणी मस्जिद कमेटी हो चाहे जिला वक्फ कमेटी कोटा हो सभी चुप्पी साध कर अतिक्रमण कारियों के समक्ष नतमस्तक थे ..हमने इस मामले को कोटा जिला कलेक्टर ..जन आभाव अभियोग निराकरण स्म्सिती के चेयरमेन मुमताज़ मसीह सहित सभी लोगों को इसकी शिकायत की जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो फिर एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने इस मामले में कई बार जिला वक्फ कमिटी के अध्यक्ष अज़ीज़ अंसारी से जयपुर में रिकोर्ड के आधार पर मुकदमा क्र स्थगन लेने की बात कही लेकिन एक माह तक बार बार कहने पर भी केवल चक्कर पर

चक्कर देते रहे ..आखिर इस जमीन के मामले में सभी घोटालों की जांच की मांग को लेकर राजस्थान सरकार और उसके अधिकारीयों को नोटिस दिया गया कार्यवाही जब अमल में आने लगी तो भूमाफिया घबराए और समझोते की अफवाह फेलाई मोके पर अट्ठावन हजार वर्ग फुट जमीन के स्थान पर केवल बीस हजार जमीन पर समझोते की बात कर बावन हजार जमीन लेने की गलत अफवाह उड़ाई गयी लोगों को गुमराह किया गया

सुबह जब ज़मीन नपवाई तो जमीन कम देखने पर भूमाफिया समर्थकों ने रास्ता भी इसी जमीन में नपवा दिया ..अब कल जुमे की नमाज़ के बाद योजनाबद्ध तरीके से दुसरे इलाके के लोग इस वक्फ के कब्जे की जमीन को अपनी मर्ज़ी से भूमाफियाओं को सोंपने की कार्यवाही के वाहवाही करवाने के लिये आ गये ..बेचारे यह भोले दलाल नहीं जानते के वक्फ की जमीन एक बार वक्फ के सर्वे में आने के बाद सर्वे से निकाली नहीं जा सकती और कोई भी व्यक्ति या नेता इस मामले में समझोत के लियें अधिक्रत नहीं होता है इस मामले में जब फोजदारी कार्यवाही होगी तो हो सकता है सभी को पुलिस के समक्ष जवाब देना मुश्किल हो जाएगा ..इस मामले में जिला वक्फ कमिटी के सदर ने आज तक भी ना जाने क्यूँ जयपुर में भूमाफियाओं से इस जमीन को बचाने के लियें कार्यवाही नहीं की है और बार बार कहने पर चक्कर पर चक्कर दे रहे है इसलियें उनकी भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध है ..कल हुए नाटकीय वक्फ के कब्जे की जमीन भूमाफियाओं को स्वेच्छा से सोंपने की कार्यवाही की जानकारी कोटा सहर काजी अनवर अहमद को दी तो उनको भी अच्म्ब्भा हुआ और पूर्व वक्फ कमिटी सदर हाजी उम्र के वक्त के नक्शे के अधर पर भूमि नहीं मिलने पर उन्होंने भी इसे सियासत और हास्यास्पद बताया है .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान सरकार का रिपोर्ट कार्ड जनता ने तय्यार कर दिया है

राजस्थान सरकार का रिपोर्ट कार्ड जनता ने तय्यार कर दिया है ..जनता के इस रिपोर्ट कार्ड में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केबिनेट मिनिस्टर शांति कुमार धारीवाल मेरिट में सबसे अधिक नम्बर लेकर नम्बर वन पर आये है
राजस्थान सरकार का रिपोर्ट कार्ड जनता ने तय्यार कर दिया है ..जनता के इस रिपोर्ट कार्ड में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केबिनेट मिनिस्टर शांति कुमार धारीवाल मेरिट में सबसे अधिक नम्बर लेकर नम्बर वन पर आये है जबकि दुसरे सभी मंत्री और जन प्रतिनिधि बुरे तरह से पिछड़ जाने से फेल हो गए है .........राजस्थान के सभी जिलों में विकास ..कार्य गुणवत्ता ..प्रशासनिक क्षमता ..अपने कामकाज के प्रति समर्पण ...कोंग्रेस सगठन में मजबूती देने का प्रयास और जनता से लगातार जुड़ाव रख कर अपनी कार्यशेली से पार्टी और खुद की छवि बनाने के मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान की जनता ने सो नम्बर के मुकाबले जनता की अपेक्षाओं के प्रति तीन सो नम्बर लेकर जनता के चहेते बने है जबकि राजस्थान में विकास पुरुष और कोंग्रेस के संकट मोचक के रूप में छवि बना चुके केबिनेट मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल को राजस्थान की जनता ने सो नम्बरों की अपेक्षा के मुकाबले पांच सो से भी अधिक नम्बर देकर जनता में हीरो बना दिया है ......राजस्थान के सभी जिलों और दूर दराज़ ग्रामीण ..शहरी क्षेत्रों में कोंग्रेस की सरकार में किस मंत्री और जन प्रतिनिधि ने केसा काम किया इस मामले में लोगों से पूंछतांछ के अधर पर जो रिपोर्ट कार्ड तैयार हुआ है वोह चोंका देने वाला है और कई मंत्रियों जनप्रतिनिधियों के लियें तो चुल्लू भर पानी में डूब मरने जेसा है ......
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत .....मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजस्थान में लोकप्रिय छवि है वोह अपनी कार्य शेली के कारण जनता के चहेते और जनता के बीच रहने वाले मुख्यमंत्री की छवि बनाकर सो के मुकाबले तीन गुना ज्यादा नम्बर प्राप्त कर तीन सो नम्बर से जनता के चहेते बने हुए हैं जनता को इनके खिलाफ कहने के लियें कुछ भी नहीं मिल पाया है जबकि सकारात्मक रुख और राजस्थान के विकास के मामले में रेगिस्तान के इलाके को देश भर में विकास की द्रष्टि से ऊँचे मुकाम पर पहुंचा कर गहलोत ने राजस्थान की छवि को निखारा है साथ ही संगठन की द्रष्टि से कोंग्रेस का चिंतन शिविर कर गहलोत कोंग्रेस संगठन के भी हीरो बन गये है ...
केबिनेट मंत्री दुर्रु मिया चिक्तिसा विभाग की नाकामयाबी ..जनता में उनका ढूल मूल रवय्या ने उनकी लोकप्रियता जीरो ही राखी है उन्हें जनता के लोग उनकी नाकारा कार्यशेली और कार्यकर्ताओं के प्रति उपेक्षित रुख के कारण ना पसंद करने लगे है ....इन्हें जनता सो में से पांच नम्बर देती है ..
केबिनेट मंत्री भरत सिंह की अनाश्यक पंगेबाजी और कामकाज में अडंगे लगाकर काम को देरी से करने के मामले में इनकी छवि बिगड़ी हुई है कथित ईमानदारी के नाम पर यह जनता और सरकार को धोखा दे रहे है और इनके कारण राजस्थान के विकास को तो नुकसान पहुंचा ही है साथ ही कोंग्रेस संगठन को भी इन्होने कमजोर किया है ,,,इन्हें जनता सो में से दस नम्बर देती है ..
बीन काक केबिनेट मंत्री ने थोडा बहुत काम करने की कोशिश तो की है लेकिन फिल्मों का शोक होने से यह जनता से जुड़ने की जगह विवादों में रही है और मुंबई में ज्यादा राजस्थान में कम रहने से इनकी कार्यशेली के कारन कोंग्रेस पार्टी और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा है इन्हें जनता सो में से तीस नम्बर देती है ..
बृजकिशोर शर्मा ..इन केबिनेट मंत्री जी को भी इनके विभागों की परफोर्मेंस नगण्य होने से जनता इन्हें सो में से बीस नम्बर देती है ...
हरजीराम बुरडक ..हेमाराम चोधरी ..महेंद्र जीत सिंह मालवीय प्रसादी लाल मीणा ..राजेन्द्र परिक ..बाबूलाल नगर ..अमीन खान जेसे मंत्री तो सरकार पर बोझ ही बनकर रहे है जबकि मंत्री अशोक बेरवा थोड़े बहुत सक्रिय सजग और सतर्क रहे है ...मंत्री जितेन्द्र सिंह कोंग्रेस सरकार में संकट मोचक तो रहे है लेकिन अपने मंत्रालय सम्भालने के मामले में बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर पाए है ..राज्य मंत्रियों में नसीम अख्तर तो शो पीस बन गयी है ............
शांति कुमार धारीवाल ..राजस्थान में शांति कुमार धारीवाल सरकार और कोंग्रेस के संकट काल में संकट मोचक बन कर कोंग्रेस को मुसीबतों से निकलने के लियें खुद को हीरो बना चुके है ..इनकी तेजतर्रार शेली ..विकास के प्रति समर्पण ..विपक्ष को मुंह तोड़ जवाब देकर लाजवाब कर देने का हुनर ..कोटा।जयपुर ..जोधपुर सहित सारे राजस्थान की तस्वीर बदल देने के सरकार के सपने को साकार कर दिखाने वाले अकेले शान्तिकुमार धारीवाल ऐसे मंत्री है जिन्हें राजस्थान के हर शहर में लोग विकास पुरुष के नाम से जानते है और इनकी लगातार जनता के साथ सम्पर्क शेली के कारन शांति कुमार धारीवाल जनता में हीरो बने हुए है जबकि कोटा में भी लगातार अपने कार्यक्षेत्र की जनता से जुड़कर उनके दुःख दर्द दूर करने के मामले में आप अव्वल होएन से जनता के चहेते बने है ..शान्तिकुमार धारीवाल को राजस्थान की जनता सो के मुकाबले पांच सो नम्बर यानी पांच गुना प्रसिद्धि देती है और इनके विकास के गुणगान से राजस्थान में सरकार की छवि को काफी फायदा पहुंचा है ...
सरकार ने प्रसाद पर्यन्त पदों में माहिर आज़ाद को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया यह थोड़े बहुत जनता में सक्रिय रहे और इन्हें जनता सो में से पचास नम्बर देती है ..लेकिन उर्दू एक्देमी जीरो जीरो ही नहीं माइनस मार्किंग है ..राजस्थान वक्फ बोर्ड बेईमानी ..भ्रस्ताचार निकम्मेपन के मामले में जीरो ही नहीं माइनस से भ माइनस में है ..मदरसा बोर्ड सो में से दस नम्बर लेकर थोडा सा आगे है जबकि हज कमेटी सो में से चालीस नम्बर लेकर जनता में थोड़ी बहुत छवि बना रही है ..जन आभाव अभियोग के चेयरमेन मुमताज़ मसीह लगातार जनता से जुड़े रहने के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आँख नाक कान बने है और इसी लियें यह जनता के बीच रहे है इन्हें सो में से सो नम्बर जनता ने दिए है जबकि महिला आयोग को सो में से दस नम्बर ..आवासन मंडल आयोग को सो में से पन्द्राह नम्बर मिले है कुल मिलकर सरकार के मुख्य पदों पर बेठे लोग सरकार की किरकिरी कर रहे है अकेले अशोक गहलोत ..शांति कुमार धारीवाल .मुमताज़ मसीह ..डोक्टर जितेन्द्र सिंह केसे कोंग्रेस को जनता में कामयाब करेंगे यह तो वक्त की बात है लेकिन कोंग्रेस ने नाकारा निकम्मे लोगों को नहीं हटाया तो कोंग्रेस डूब सकती है ऐसा जनता का कहना है ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बहूत नाजुक हैं मेरे ख्वाब .

Satish Sharma
बहूत नाजुक हैं
मेरे ख्वाब .
यथार्थ की तेज़ धुप में
इनके कोमल पाँव जलते हैं .

सच और सपनों का
कोई साम्य नहीं .
फिर भी - दिन रात की तरह
दोनों साथ साथ चलते हैं .

कभी कभी सपने
यथार्थ पर भारी पड़ते हैं
सपनो के शूल - जब
भर दोपहर - पांवों में नहीं
दिल में गड़ते हैं

उदास हो जाते हो

Saroj Singh
चन्द्रमा की कलाओं' से
घटते बढ़ते तुम !
कभी अमावास से
तनहा और उदास!
कभी तुममे ,
पूनम' सा परिहास
निकलते रोज़ हो
जाने किसको जोहते हो
हर खिड़की,हर मुंडेर तक
हर छत,हर सबेर तक
जब तुम निकलते हो
बहुत छोटे होते हो
फिर जैसे जैसे
तुम्हारी तलाश
उसे मिलने की आस
बढती जाती है,
तुम बड़े होते जाते हो
और जब वो
नहीं मिलती
तब थक जाते हो
उदास हो जाते हो
और फिर एक रात,
निकलते ही नहीं ढूंढने को,
उसी रात,
तुम्हारे दिल में
बंधती है फिर,आस'
फिर निकल पड़ते हो
उसकी तलाश में
फलक के चाँद को तो
चांदनी की तलाश है
ए जमीं के 'चाँद'
तुम्हें किसकी तलाश है .............?
~s-roz~
कभी लिखा था एक दोस्त के लिए।।।।। जिसकी आस भी टूटी नहीं है , और तलाश भी झूठी नहीं है !!

"सुबह मेरी पलकों से गिर कर

Rajiv Chaturvedi
"सुबह मेरी पलकों से गिर कर जमीन पर टूट जाती है,
आसमान रोता है तो धरती मुस्कुराती है
यह दौर ऐसा है कि सदियाँ सहमी सी करती है कलेंडर की इबादत
जज़्बात के जंगल में जिन्दगी क्यों रूठ जाती है." -----राजीव चतुर्वेदी

ये बूंदों से भरे बादल हमें अच्छे नहीं लगते

Satish Sharma
ये बूंदों से भरे बादल हमें अच्छे नहीं लगते
तुम्हारी आँख में आँसू हमें अच्छे नहीं लगते .
भरी पलकें उठाना सावधानी से जरा यारा
भरी बदली से मैखाने हमे अच्छे नहीं लगते .

"हाथ में बन्दूक लिए

Rajiv Chaturvedi
"हाथ में बन्दूक लिए वह सलामियाँ ही देता रहा ,
मैंने गुलेल से निशाना साधा और गुनहगार की आँख फूट गयी ." ----राजीव चतुर्वेदी

उसने कहा तुम्हारी हँसी में

Sunita Shanoo
उसने कहा तुम्हारी हँसी में
मुझे दर्द सा क्यों लगता है?
क्या बेवजह कोई
इतना हँसता है?
मुझे भी लगा किस बात पर
हँस रही हूँ मैं!
कि राज़ दिल के सबको
कह रही हूँ मै--
किसी की याद हद से ज्यादा आने लगे
कोई अंदर से गहरा सताने लगे
तो ऎ दिल
कोशिश कर
खुद को समझाने की
कोशिश कर
खुद को हँसाने की...
शानू

जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी...

Manish Satpal Verma एक ऐसी भी घडी आएगी,
जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी...
न कोई रुत न बहारें होंगी,
चांदनी रात भी दिल जलाएगी,
अब न कोई भी रौशनी होगी,
दिए से बाती भी बिछड़ जाएगी,
न कोई ख्वाहिश न तमन्ना होगी,
ना कोई याद ही सताएगी...

एक ऐसी भी घडी आएगी,
जिस्म से रूह बिछड़ जाएगी"

वफाती खान राजस्थान वक्फ विकास परिषद का सदस्य बनाया है

दोस्तों आपसे मिलिए यह मुस्कुराता चेहरा कोटा जिला कोंग्रेस के समर्पित संघर्षशील कोंग्रेसी भाई वफाती खान का है इन्हें राजस्थान सरकार ने हाल ही में राज्य की वक्फ सम्पत्तियों के विकास के लियें ज़िम्मेदार बनाई गयी नई टीम राजस्थान वक्फ विकास परिषद का सदस्य बनाया है .....वक्फ कानून प्रावधानों में वक्फ कोंसिल बनाने का प्रावधान है और राजस्थान सरकार ने पिछले दिनों वक्फ विकास परिषद का गठन कर अलवर के भाई अब्दुल गफ्फार मेव को इसका चेयरमेन नियुक्त कर मंत्री दर्जा दिया था ..इसी वक्फ विकास परिषद में कोटा से भाई वफाती खान को प्रदेश सदस्य बनाया है जबकि पांच अन्य सदस्यों में दोसा से ताज मोहमद ....बीकानेर से सलीम सोडा ...उदैपुर से डी आई खान ...जयपुर से अब्दुल वहीद खान एडवोकेट ...अब्दुल गाणी फोजदार पूर्व उप्म्हापोर शामिल है ..............वफाती खान वेसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं लेकिन कोटा जिला कोंग्रेस में हर पल हर क्षण सक्रिय रहने वाले वफाती खान कोटा कोंग्रेस की धड़कन है यह पूर्व मंत्री रामकिशन वर्मा के वक्त से कोंग्रेस के लियें समापन भाव से कार्य करते आ रहे है काफी लम्बे वक्त तक वफाती खान जिला अल्पसंख्यक कोंग्रेस प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे और कई कार्यक्रम करवाए ..वफाती खान सेवादल से भी जुड़े रहे तो कोंग्रेस कर्य्क्ररिणी में भी सक्रिय रहे ....मुखर वक्ता और कोंग्रेस के स्टार प्रचारकों में इनका नाम प्रमुख है ...पुराने अखाड़ेबाज़ सूफियाना मिजाज़ के होने से यह कई वर्षों से कोटा में जेन दिवाकर बुर्ज के पास स्थित बाबा बबूले वाले शाह के खिदमतगार रहे है और हर साल आलिशान उर्स भरवाते है .....पिछले दिनों वफाती खान को जिला वक्फ कमेटी कोटा में सदस्य बनाया गया था लेकिन इस पद को इन्होने अस्वीकार कर दिया था ..अब राजस्थान वक्फ विकास परिषद में सदस्य बनाने के लियें राजस्थान कोंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता और महासचिव पंकजमेहता ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से वफाती खान के नाम की अनुशंसा की जिसे इनकी योग्यता को देखते हुए गहलोत ने स्वीकार कर यह नियुक्ति पत्र जरी किया है .....वक्फ विकास परिषद के चेयरमेन अदुल गफ्फार खान ने विकास परिषद के गठन पर ख़ुशी ज़ाहिर की है और कहा है के शीघ्र ही परिषद की बैठक आयोजित कर राजस्थान में वक्फ विकास के लियें सर्वे कर इसकी कार्ययोजना तय्यार की जायेगी ...कोटा से नियुक्त सदस्य भाई वफाती खान की इस नियुक्ति पर कोटा के अल्पसंख्यकों में ख़ुशी की लहर है और उनका कहना है के समर्पण भाव से कार्य कर रहे कार्यकताओं का संगठन में सम्मान होने लगा है ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक ओरत झूंठी हो

एक ओरत
झूंठी हो
तो कोई बात नहीं ..
एक ओरत
फरेबी हो
तो कोई बात नहीं ..
एक ओरत
बेवफा हो
तो कोई बात नहीं
एक ओरत
वायदा खिलाफ
हो तो कोई बात नहीं
लेकिन
तुम्ही बताओ
तुम्हारा क्या
तुम तो
इन सब के साथ
कातिल भी निकली हो
तुम्हारा क्या ......
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अपने इस मासूम से

अपने इस
मासूम से
धडकते दिल में
मेने तुम्हे
कितना सजो कर
रखा है
आज जब दिल
तुम्ही ने तोड़ा है
तो देख लो
रूह ..जान ..धड़कन बाहर है
लेकिन इस दिल में
फिर भी तुम
सिर्फ तुम बसे हो
शायद
यही तुम्हारा
अतिक्रमण कर के
बनाया गया
आशियाना है ..आशियाना है ..
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुंबई फ़िल्मी क्षेत्र में कार्यरत कोटा के एक सहायक निदेशक अनवर हुसेंन के साथ पुलिस के उप अधीक्षक और यातायात निरीक्षक सहित कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा मारपिटाई करना महंगा पढ़ा है

मुंबई फ़िल्मी क्षेत्र में कार्यरत कोटा के एक सहायक निदेशक अनवर हुसेंन के साथ पुलिस के उप अधीक्षक और यातायात निरीक्षक सहित कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा मारपिटाई करना महंगा पढ़ा है अब सभी को अदालत ने मुलजिम बनाकर कार्यवाही के लियें तलब किया है .....वर्ष 2011 में अनवर हुसेन अपने एक साथी के साथ विज्ञाननगर थाना क्षेत्र स्थित सिटी मोल गए थे जहाँ पार्किंग के वक़्त यातायात पुलिस का तोयिंग वाहन निर्धारित मापदंड से लग बना होने पर अनवर हुसेन ने आपत्ति जताई तो बस पुलिस कर्मी वीरेंदर सिंह ...यातायात पुलिस निरीक्षक धन्फूल मीणा ...पुलिस उप अधीक्षक ठाकुर चन्द्रशील और कई पुलिस कर्मी उन पर पिल पढ़े और बेरहमी से मारपिटाई की ...इतना ही नहीं सभी लोगों ने अनवर हुसेन के खिलाफ पुलिस की वर्दी फाड़ने का झुन्ठा मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया ..अनवर हुसेन की पेरवी मेने और एडवोकेट आबिद हुसेन अब्बासी ने करते हुए उनकी जमानत करवाई और अदालत से आदेश लेकर उनकी चोटों का मुआयना करवाया ..पुलिस में सुनवाई नहीं हुई तो अदालत के जरिये मुकदमा दर्ज करवाया लेकिन पुलिस के खिलाफ पुलिस अधिकारी केसे जाँच करते पुरे मामले में जनता द्वारा पिटाई की खानी गढ़ कर अंतिम प्रतिवेदन क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी गयी ..उक्त क्लोज़र रिपोर्ट को हमने न्यायालय में अनवर हुसेन की तरफ से चुनोती दी .बयान करवाये ..सबूत पेश किये ...कानून पेश किये और हमारी बहस सुनने के बाद कोटा की अदालत ने कल अनवर हुसेन के साथ मार पिटाई करने वाले उप अधीक्षक ठाकुर चन्द्र शील ..यातायात निरीक्षक धन्फूल मीणा ..पुलिस कर्मी वीरेंद्र सहित अध दर्जन लोगों के खिलाफ विधि की अवज्ञा करते हुए मारपिटाई का मामला मानते हुए उन्हें न्यायालय में कार्यवाही के लियें तलब किया है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सब को दी है सज़ा

Aradhana Chaturvedi
उसने कहा धोखेबाज हैं कैमरे
झूठ बोलती हैं तस्वीरें सभी,
तुम वास्तव में कहीं ज़्यादा खूबसूरत हो
अपनी तस्वीरों से।
मैंने बंद कर दिया कैमरे को बक्से में
तस्वीरें कर दीं कैद एल्बम में,
सब को दी है सज़ा
कि नहीं पसंद मुझे झूठे और धोखेबाज।

बहुत बेशर्म हैं नेता

बहुत बेशर्म हैं नेता मगर मुस्कान तो देखो
अरे शरमा रहा इनसे यहाँ शैतान तो देखो

किसी को ये कुचल देता किसी को ये मसल देता
ये कुर्सी ने बनाये है कई हैवान तो देखो

ये बिलकुल दो टेक का था मगर अब ठाट हैं इसके
मिली कुर्सी बने सब राक्षस भगवान तो देखो

दुबारा मत इन्हें चुनना भयंकर पाप होगा ये
ये घटिया लोग हैं जो भूलते अहसान तो देखो

बदल दो ऐसे सिस्टम को हमें जो आँख दिखलाए
हमें ही रोज़ नालायक पिलाते 'ज्ञान' तो देखो

आदरणीय मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत साहब

आदरणीय मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत साहब आपने वर्ष 2012 के वार्षिक बजट में राजस्थान में मदरसा बोर्ड के माध्यम से दो हजार नये पेराटीचर्स की नियुक्ति का बजट पारित किया था लेकिन वर्ष 2013 आ गया है नया बजट पारित होने वाला है राजस्थान में आपके स्वीक्रत बजट के तहत दो हजार नियुक्तियां मदरसा बोर्ड ने नहीं की है और मुसलमानों के साथ धोखा हुआ है इसके लियें जो भी नोकरशाह या कोई ज़िम्मेदार हो उसे अगर सजा नहीं दी गयी तो राजस्थान का मुसलमान शायद हमे माफ़ नहीं कर सकेगा क्योंकि मदरसा बोर्ड में दो हजार तो स्वीक्रत बजट की नियुक्तिया और पूर्व में खाली पढ़े हजार पद जिनमे से लगभग सवा सो फर्जी नियुक्तियां हुई थी उसका बजट आम मुसलमानों को नियुक्तिया देकर काम में नहीं लाया गया है अगर यह नियुक्तिया होती तो कोंग्रेस की वाहवाही भी होती लेकिन अब तो मुसलमान सवाल करने लगे है क्या जवाब दे जनाब ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आदरणीय वसुंधरा जी

आदरणीय वसुंधरा जी आप चार सालों से कहाँ थीं राजस्थान की जनता को आपकी जरूरत थी तब आप जनता के साथ नहीं थीं .......राजस्थान में वर्ष 2012 के बजट में मदरसा पेराटीचर्स के लियें दिए गए दो हजार पद भरे नहीं जा सके है ...मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति का घोटाला हुआ ...दो हजार पदों पर नियुक्ति बजट स्वीक्रत होने के बाद भी नहीं होने पर आपकी चुप्पी कही यह सच तो नहीं के आप और आपकी पार्टी का मदरसा बोर्ड ..वक्फ बोर्ड से पुराना रिश्ता होने के कारण सांठ गांठ है और इसीलियें इन मुद्दों को ना तो अख़बारों में और ना ही विधानसभा में उठाया गया है ..इस मिली जुली नुरानी कुश्ती से क्या जनता आपको वोट दे सकेगी जरा सोच कर बताएं

खुली आँखों से

Kirtivardhan Agarwal
खुली आँखों से देखता हूँ बस सपने तेरे ,
तेरी चाहत को दिल में बसाना चाहता हूँ ।
पलकों में छुपाने का मेरा मकसद समझ ,
दुनिया की नज़रों से तुझे बचाना चाहता हूँ ।
जानता हूँ तेरी चाहत ,खुले गगन में उड़ने की,
तेरे सपनों को मैं बाज़ से पंख देना चाहता हूँ ।
मेरी चाहत, सपना,मेरा प्यार ,कोई बात नहीं ,
तेरी हर ख़ुशी को मैं अपनी बनाना चाहता हूँ ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

राहुल गांधी क्यूँ बेबस से लग रहे हैं कोटा के इस मुस्लिम कोंग्रेसी नेता पर हो रहे अत्याचार के मामले में


राहुल गांधी क्यूँ बेबस से लग रहे हैं कोटा के इस मुस्लिम कोंग्रेसी नेता पर हो रहे अत्याचार के मामले में

जी हाँ दोस्तों खुद को धर्मनिरपेक्ष साबित करने वाली कोंग्रेस सियासी पार्टी की कोटा में सोच उलट है यहाँ कोंग्रेस हाईकमान ने जमीन से जुड़े हर दिल अज़ीज़ रहे समर्पित कोंग्रेसी नईमुद्दीन गुड्डू को लाडपुरा विधानसभा से टिकिट तो दिया लेकिन इनकी पार्टी के लोगों ने ही षड्यंत्र कर भाजपा से हाथ मिलाया और इन्हें हर दिया ......नईमुद्दीन गुड्डू अपने बलबूते पर जिला परिषद का चुनाव लड़े और भारी मतों से जीते ..........नईमुद्दीन गुड्डू को जिला परिषद में कोंग्रेस का बहुमत होने के कारण कोंग्रेस ने जीतने के लियें टिकिट दिया लेकिन वाह कोंग्रेसियों नईमुद्दीन गुड्डू कोंग्रेसी तो थे लेकिन मुस्लिम थे और बस इसी कारण से उन्हें बहुमत होने पर भी कोंग्रेस के लोगों ने डंके की चोट पर चुनाव हरवा दिया ..ताज्जुब तो इस पर है के इस मामले में न जान्च हुई न दोषियों को सज़ा मिली हाँ पुरस्कार के रूप में क्रोस वोटिंग करने वालों को महत्वपूर्ण पद जरुर मिले है वोह कोंग्रसी है और जनता सब जानती है लेकिन कोंग्रेस हाईकमान बेबस है .................फिर क्रषि उपज मडी का चुनाव गुड्डू की ताकत होने पर भी उन्हें ठेंगा दिखाया ..कोई बात नहीं फिर आते है कोटा को ओपरेटिव के चुनाव नईमुद्दीन गुड्डू डाइरेक्टर का चुनाव जीतते है इनके समर्थकों के पास बहुमत है लेकिन नईमुद्दीन गुड्डू कोंग्रेसी मुसलमान है इसलियें चुनाव नहीं जीते इस रणनीति के तहत भाजपा से कोंग्रेस का हाथ मिलता है और फिर कोंग्रेस के लोग नईमुद्दीन गुड्डू को वोट देने की जगह भाजपा के व्यक्ति को अपने समर्थन से प्रत्याक्षी बनाते है और जिताते है फिर नईमुद्दीन गुड्डू को कोंग्रेस में मुसलमान नेता होने का दंड दिया जाता है ...कोटा का यह इतिहास पुराना है यहाँ इकरामुल्ला..सत्तार भाई ..अजिज़ुल्ला सभी को धूल चाटना पढ़ी है ..अब नईमुद्दीन गुड्डू के खिलाफ पुलिस मुकदमों का दोर शुरू हो गया है अभी हाल ही में कथुन थाने में एक बच्चे की हत्या करने के मामले में गुड्डू ने प्रदर्शन किया था बस फिर क्या था थानेदार जी ने एक व्यक्ति से जबरन हस्ताक्षर करा कर नईमुद्दीन गुड्डू और उनके निजी मित्र अनिल आनंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया फरियादी सीधे आई जी कोटा रेंज के पास जाता है जबरन झूठा मुकदमा दर्ज करवाने की शिकायत करता है थानेदार जी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती केवल जांच होती है और वोह भी उस अधिकारी द्वारा जिसके खिलाफ नईमुद्दीन गुड्डू जनहित में आंदलन कर चुके है ..तो जनाब यह है एक मुस्लिम नेता की कोंग्रेस में बेबसी की कहानी लेकिन दोस्तों इस दास्ताँ को राजस्थान कोंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जानते है ..दिग्गज मंत्री मुख्यमंत्री जानते है खुद राहुल गाँधी अपनी पेनी नज़र रखे हुए है लेकिन सच जाने के बाद भी अब तक राहुल गांधी मूकदर्शक और बेबस बने हुए है जब बहुमत होने पर भी मुस्लिम कोंग्रेसी अधिक्रत प्रत्याक्षी को मुस्लिम होने के नाते कोंग्रेसी वोट नहीं देकर भाजपा की गोद में बैठेंगे तो कोंग्रेस की धर्मनिरपेक्षता का मुखोटा क्या होगा ..राहुल गाँधी इस खबर से चिंतित तो है लेकिन बेबस और लाचार से दिखते है क्योंकि राजस्थान में तो गोपालगढ़ मामले में वोह पटखनी कहा चुके है पटखनी किया खुद कोंग्रेसियों ने भाजपा से मिलकर उनके खिलाफ अपराधी के साथ मोटर साइकल पर बैठकर जाने की खबर छपवा दी है ..राहुल जी शाहाबाद के सहरियों के लियें बोलते है कोटा सम्भाग में आते है लेकिन कोई खास उन लोगों के लियें नहीं हो पाटा है .............खेर इधर गुड्डू के मामले में मशहूर होने लगा है के कोंग्रेसी होने के नाते कोंग्रेस में मुस्लिम नेता होने का दंड उन्हें लगातार मिल रहा है जबकि जमीन की हकीक़त यह है के उनके इलाके के पीड़ित शोषित लोग आज भी उन पर विश्वास रखते है रोज़ मर्रा केसरबाग स्थित उनके निवास पर सेकड़ों पीड़ितों का तांता लगा रहता है और कई लोगों की समस्याओं का समाधान उनके जरिये हाथों हाथ बिना किसी चक्कर बाज़ी के होता है और सच तो यह है के कोंग्रेस में मुस्लिम होने की सजा उन्हें चाहे बार बार मिल रही हो उन्हें बहुमत के बाद भी चाहे बार बार हराकर नीचा दिखने की कोशिश की जा रही हो लेकिन वोह दते हुए है अड़े हुए है ना तो झूंठे मुकदमों की दमनकारी निति से उनके चेहरे पर शिकन है और निरंतर जनता के मिल रहे प्यार से उनके चेहरे पर जमीनी नेता की जीत की ख़ुशी है वोह हारते है लेकिन जनता की अदालत में विश्वास जीतते है इसलियें कोंग्रेस जिसे षड्यंत्र कर हराती है वोह बन्दा जनता की अदालत जनता की लोकप्रियता की कसोटी पर हार कर भी लगातार जीत रहा है इसे कहते है जिसे खुदा रखे उसे कोन चखे .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों आप से मिलिए आप है राजस्थान प्रदेश कोंग्रेस के मुखर वक्ता और प्रदेश महासचीव पंकज मेहता

दोस्तों आप से मिलिए आप है राजस्थान प्रदेश कोंग्रेस के मुखर वक्ता और प्रदेश महासचीव पंकज मेहता ..अभी हाल ही में पंकज भाई ने जयपुर में आयोजित कोंग्रेस चिन्तन मंथन शिविर मामले में कंट्रोल रूम प्रभारी बनकर अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई है और कोंग्रेस हाईकमान का दिल जीत लिया है ..पंकज मेहता छात्र जीवन से ही सियासत में रहे है यह मुखर वक्ता के रूप में अपनी विशिष्ठ पहचान रखते है छात्र नेता के दोर में ही पंकज मेहता कोटा के विधायक और तात्कालिक केबिनेट मंत्री रहे रामकिशन वर्मा की छत्र छाया में छात्र कोंग्रेस से जुड़ गए और पहले अशोक गहलोत के नेतृत्व में मिलकर काम किया फिर इनकी पहुंच इंदिरा गाँधी ..राजीव गाँधी तक भी हो गयी ..पंकज मेहता रोडवेज़ निदेशक ..अवसं मंडल निदेशक ..छात्र कोंग्रेस ..युवक कोंग्रेस सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर तो रहे ही है साथ ही काफी लम्बे वक्त तक आप कोटा जिला कोंग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे है ..सादगी ..सरल स्वभाव के पंकज मेहता कोटा में निर्विवाद होकर सभी के चहेते है ..कोंग्रेस के लियें समर्पण इनका लक्ष्य है और अशोक गहलोत के गाँधीवादी विचार कॉ आगे बढ़ाने के लियें गाँधी विचार मंच के तहत पंकज मेहता राजस्थान भर में गाँधी स्मरति पर दर्जनों कार्यक्रम कराते रहे है ...कोटा में हाडोती उत्सव की यादें पंकज मेहता के प्रयासों से फिर ताज़ा हो चुकी है और गत कुछ वर्षों से कोटा में हाडोती उत्सव के नाम पर हाडोती संस्क्रती की चहल पहल होने लगी है ..सभी कार्यकर्ताओं से जुड़ाव हर वक्त हर मोके पर कोंग्रेस संगठन के लियें संघर्ष इनका सिद्धांत है ....इनके ज्ञान और तेज़ तर्रार बयानबाजी ..बहसबाजी के आगे कई बार विपक्ष के लोग बगले झांकते नज़र आते है ..पंकज मेहता की खास बात यह है के यह सभी कार्यकर्ताओं के लियें हमेशा एवेलेबल है और बिना किसी चक्कर बाज़ी के उनके काम के लियें तय्यार मिलते है ....बढो का आदर ..छोटों का सम्मान इनकी आदत है .इसीलियें पंकज मेहता को कोटा और राजस्थान में यारों का यार की उपाधि दी जाती है और इनके मुखर वक्तव्यों को लेकर कोंग्रेस संगठन इन्हें कोंग्रेस के चुनाव प्रचार के लियें राजस्थान से बाहर के कई राज्यों के लियें भी ज़िम्मेदारी दे चूका है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुमने मुझे अपने जीवन में

तुमने
मुझे अपने जीवन में
सिर्फ और सिर्फ
एक गुलाब समझा
पहले तो
काँटों से अपने हाथ बचाकर
झूमती हुई डाली से
मुझे बेरहमी से तोडा
फिर
खुद की खूबसूरती बढ़ाने के लियें
अपने जुड़े में लगाया
मेरी खुशबु से
खुद को महकाया
मेरी काया से खुदको खुबसूरत बनाया
रात को इसी जुड़े के साथ
तुमने मेरी सुंगंध का वास्ता देकर
अपना आशियाना सजाया
और फिर
मेरे मुरझाने के बाद
मेरी पंखुडियां टूट जाने के बाद
तुमने देखलो मुझे
कूड़े में मिला दिया है
मुझे कूड़े में मिला दिया है
तुमने मुझे एक इन्सान से
गुलाब बना दिया है .....
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों कहते है बचपन बेगाना होता है

दोस्तों कहते है बचपन बेगाना होता है ..बचपन का स्वभाव दया और करुना से भरा होता है ..उसमे न बदला होता है ...ना किसी को नुकसान पहुँचने का जज्बा ..यह बात आज सच साबित हो गयी ..हमारे घर में एक छछूंदर ने रात में सभी को परेशांन कर रखा है ..पहले इस छछूंदर ने हमारी शरीके हयात को काटा .फिर हमारी अम्मी के पैर पर काटा ..मेने इस छछूंदर को कई बार मरने का प्रयास किया लेकिन मेरी छोटी बिटिया सदफ अख्तर ने मुझे रोक दिया कल इसी छछूंदर ने मेरी बिटिया के पैर पर काट लिया थोड़ी बहुत तकलीफ हुई ठीक हुई मेने मेरी बिटिया को राज़ी किया के इस छछूंदर को अगर तुम मरने नहीं देती हो तो कमसे कम पिंजरे में बंद कर दूसरी जगह छोड़ने की सहमती तो दे दो .मेरी बिटिया ने कहा ठीक है पापा इसके लियें पिंजरा ले आईये मेने पचास रूपये का पिंजरा खरीदा रात को लगाया और छछूंदर जी इस पिंजरे में केद हो गयी ..सुबह उठते ही मेने बिटिया सदफ से कहा के बिटिया आपकी मुलजिम पिंजरे में केद है इसके साथ क्या सुलूक किया जाए मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए ..बस बिटिया सदफ उठी पिंजरे में केद छछूंदर को देखा और उसे फटकार लगाई ..कहा के तूने सभी को परेशान कर दिया अब बता तेरे साथ क्या सुलूक किया जाए थोड़ी तांका झांकी की डांटा डपटा और कहा के पापा बस इसे अब छोड़ दो यह अब शेतानी नहीं करेगी मेने इसे समझा दिया है ...में पहुंचता इसके पहले ही बिटिया जी ने इस छछूंदर को पिंजरे में से हिदायत देते हुए के अब शेतानी मत करना पिंजरे से केद कर दिया में सोचने लगा के बचपन कितना संवेदन शील कितना भोला होता है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरे प्यार ने

तेरे प्यार ने मुझे ग़म दिया तेरे ग़म की उम्र दराज़ हो
वो ज़माना आए ख़ुदा करे मेरे प्यार पर तुझे नाज़ हो
तेरे प्यार ने मुझे ...

मेरा प्यार लूटने वाले जा तू तमाम उम्र जवाँ रहे
तेरी ज़िन्दगी में फ़िज़ाँ रहे
मेरे साथ हो मेरी बेबसी तेरे साथ नग़मा\-ओ\-साज़ हो
तेरे प्यार ने मुझे ...

कहीं और चल मेरे दिल यहाँ कभी लौट कर नहीं आएँगे
मिली दिल लगाने कि वो सज़ा के कहीं भी दिल न लगाएँगे
उसे क्या पता कि वफ़ा है क्या जिसे बेवफ़ाई पे नाज़ हो
तेरे प्यार ने मुझे ...

बेबस प्यार

बेबस प्यार
कैसे कहे कि तुम मेरे लिये क्या हो,
जीवन की सफर मे हर पल प्यारा सा एक सहारा हो|
इन दो पलो की सी मुलाकातो मे,
जन्मो के अटूट बन्धन की निशानी हो|

बन्जर सी इस दिल मे,
क्यो अपने हसी की फुहार छिडकाती हो|
होना ही है हमे जुदा तो,
क्यो पल भर का बहार बन मुझे बहकाती हो|

प्यार का इजहार न कर पाना,
मेरी बेबसी तो तुम ना समझना|
फूल अगर मुर्झाया हो तो,
उसे पतझड तो ना समझना|

मेरे प्यार की हार मे ही,
शायद तुम्हारी खुशनसीबी हो|
तुम सदा खुश रहो तो मेरी हार मे ही,
अनोखी सी एक जीत महसूस होती है|

आज दुल्हन के लाल जोड़े में,

आज दुल्हन के लाल जोड़े में,
उसकी सहेलियों ने उसे इतना सजाया होगा …

उसके गोरे हाथों पर,
सखियों ने मेहँदी लगाया होगा …
क्या खूब.... चढ़ेगा रंग, मेहँदी का;
उस मेहँदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा …
रह-रह कर रो पड़ेगी, जब भी ख्याल मेरा आया होगा …

खुद को देखा होगा, जब आईने में,
तो, अक्स मेरा भी.. उसे नजर आया होगा…

लग रही होगी इतनी प्यारी वो,
की, देख कर उसे; आज, चाँद भी शरमाया होगा…

आज मेरी जान ने,
अपने माँ-बाप की इज्जत को बचाया होगा…
उसने बेटी होने का, दोस्तों; आज हर-एक धर्म निभाया होगा…

मजबूर होगी वो सबसे ज्यादा,
सोंचता हूँ, किस तरह उसने खुद को समझाया होगा …
अपने ही हाथों से जब उसने,
हमारे प्यार भरे खतों को जलाया होगा…

कैसे, खुद को मजबूत कर उसने,
अपने दिल से, मेरी यादों को मिटाया होगा…

भूखी होगी वो जनता हूँ, मैं;
कुछ न... उस पगली ने, मेरे बगैर खाया होगा…

कैसे संभाला होगा खुद को जब,
उसे फेरों के लिए बुलाया होगा …

कांपता होगा जिस्म, उसका;
जब पंडित ने हाथ उसका, किसी और को पकड़ाया होगा…

मैं तो मजबूर हूँ, पता है उसे;
आज खुद को भी बेबस सा उसने पाया होगा…

रो-रो के बुरा हाल हो गया होगा, उसका;
जब वक्त विदाई का आया होगा…
बड़े प्यार से उसे,
माँ-बाप ने डोली में बिठाया होगा…

रो पड़ी होगी, आत्मा भी;
और, दिल भी चीखा-चिल्लाया होगा…
आज अपने माँ-बाप के लिए,
उसने गला अपनी खुशियों का दबाया होगा…

ऐ खुदा

ऐ खुदा
माँ के पेरों के नीचे जन्नत होती है
इस नियम को तू बदल दे
तुझे पता है
बच्चों को तो जन्नत की तलाश नहीं
बस दर्द है के बेदर्दी से
जन्नत की तलाश में
मेरी माँ के पेरों में समाता है
और जन्नत में जाने की जिद में
रोज़ रात को
मेरी माँ को
दर्द तड़पाता है ..
या खुदा
माँ के पेरों के नीचे जन्नत होती है
मेरी माँ को इस दर्द से बचाने के लियें
तेरे इस नियम को तो
आज ही बदल दे .......

हद्दों को पार न करती तो और क्या करती

Options
Siya Sachdev
ek adna si koshish .....

हद्दों को पार न करती तो और क्या करती
अना पे वार न करती तो और क्या करती

नहीं था दुनिया में कोई भी चाहने वाला
मैं खुद से प्यार न करती तो और क्या करती

बड़े ही शौक़ से खायी थी उसने सर की कसम
मैं ऐतबार न करती तो और क्या करती

मुझे जो घर से मिले है उन्ही उसूलों पर
मैं जां_निसार न करती तो और क्या करती

किस ऐतबार से उसने कहा था आऊंगा
मैं इंतज़ार न करती तो और क्या करती

सिया फ़िराक़ में है लोग बस कमी ढूंढे
कलम को धार न करती तो और क्या करती ....

ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो

ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो

हिन्दी में कहें या कहें उर्दू में ग़ज़ल हो
ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो

आंखों में मेरे देख तू लाहौर, कराची
जब ख़्वाब तू देखे तो वहां ताजमहल हो

तू फूल की खुश्बू का दीवाना है तो मैं भी
अब कौन चाहता है कि कांटों की फसल हो

हम भेज रहे हैं खत में गुलाबों की पंखुरियां
अब तेरा भी खत आये तो खुश्बू हो कंवल हो

तू ईद मना हम भी मना लेंगे दीवाली
जज़्बात का मसला है ये जज़्बात से हल हो

हम इससे आचमन करें या तू वजू करे
झेलम का साफ पानी हो या गंगा का जल हो

इस चांद को देखें चलो रंजिश को भुला दें
जो बात मोहब्बत की है उसपे तो अमल हो

ऐ दोस्त अगर सुबह का भूला है तो घर आ
कुछ आंख मेरी भीगें कुछ तेरी सजल हो

इक रोज तेरे घर पे तबीयत से मिलेंगे
ये धुंध हटे राह से कुछ राह सरल हो

पलट कर देखता हूँ तो यादो का सैलाब उमड आता है

पलट कर देखता हूँ तो यादो का सैलाब उमड आता है
सांसे जब रुकने लगती है तो याद धडकन बन जाती है
मुझे जीने का सबब मिल जाता है...

तुम्हारी यादो के दामन को जीवन में पिरोये
हर लम्हा हर घडी जीने का सबब ढूंढता हूँ

दुनिया से बेखबर तेरी यादो में डुबा रहता हूँ
सांस जब रुकने लगती है तो याद तेरी धड़्कन बन जाती है।

तेरी यादो को अपने जीवन में पिरोने लगा हूँ
दुनिया से बेखबर हर घडी उनमे डूबा रहता हूँ
मुझे जीने का सबब मिल जाता है

एक नई उमंग एक नई कोशिश शुरु हो जाती है
चांद को पाने की तमन्ना फिर घिर आती है

मुझे जीने का सबब मिल जाता है जब तू मेरे सामने होती है
तू मेरी है ये यकीन है मुझे, जाने क्यो बेगानो से डर लगता है
आ एक पल बनाते खुशिया हम, सौ बार जिये एक पल में हम
जीने की आस तुम्ही से है, इस आस पर यकीन कर लो तुम।

यादो का हर लमहा तुझे मेरे सामने ले आता है
हर उस पल मै सौ बार जी उठता हूँ
मुझे जीने का सबब मिल जाता है

तेरी यादो से तडपता मै नही, उनमे डूब जाया करता हूँ
इस लंबे सफर में दर्द के आंसू पी लेता हूँ
मुझे जीने का सबब मिल जाता है

जब तेरी परछाई मेरे परछाई से जा टकराती है
फिर से बोल उठा है साया तू चल मै तेरा हमसफर हूँ
मुझे जीने का का सबब मिल जाता है

"किस्म -किस्म के फूल खिले थे मेरी क्यारी में ,

Rajiv Chaturvedi
"किस्म -किस्म के फूल खिले थे मेरी क्यारी में ,
धार लगाते थे तुम बैठे थे अपनी मजहब की आरी में
बांटो और काटो की संस्कृत में धार धरो कितनी
रसूल ,उसूल और त्रिसूल से खून बहाओ कितना भी
संस्कृतियाँ तो शान्त सृजन के संघर्षों की हैं तैयारी में ."----राजीव चतुर्वेदी

कौन हूँ मैं - कोई

Satish Sharma
कौन हूँ मैं - कोई
इन्हें बताओ तो .
कभी चुपके से
मेरे दिल में
उतर जाओ तो .
जुबाँ से ना कहो तो
कोई बात नहीं .
जो मैं पसंद हूँ तुम्हें
जरा सा मुस्कुराओ तो .

तेरा मेरा रिश्ता ............!

Saroj Singh
तेरा मेरा रिश्ता ............!
महरूमी और मसर्रत के दरम्यानी फासले सा है ....
जो एक पल को रुलाती, तो इक पल को हंसाती भी है .....
या यूं कहें के हमारा रिश्ता जिंदगी सा है ......
इन्ही दरमियानी फासले को जिंदगी भी तो कहते हैं शायद !
~s-roz~

क्या तू मुझे फिर से याद करना चाहता है ..

Asha Pandey Ojha Asha
क्या तू मुझे फिर से याद करना चाहता है ....???
तू गर एक बार फिर से मुझे याद करना चाहता है तो
क्षितिज के कांधों पर सर रखकर-
रोते हुए व्याकुल वसुंधरा को देखना!
सावन के घनी मेघों की छाया में चुपके चुपके-
नीरवता में रोती हुई रात को देखना!
सबसें नज़र चुराकर ,निर्जन रास्तों पर-
कुछ ढूंढते हुए प्रभात को देखना!
बिछड़ती हुई रात के सीने पर
सर गड़ाते हुए चाँद को देखना !
लौटती हुई चांदनी के गीत
अपनी पंखुड़ियों में समटते हुए
किसी कँवल को देखना!
निश्चय मान तेरा मन अतिशय वेदना से भर आएगा|
मन के सारे अवरुद्ध कोष फूट पड़ेंगे -
तेरे रिक्त हृदय में फिर से प्रेम राग भर आएगा |
तेरे स्वर पहले ही की तरह सुबकने लगेंगे -
तू अगर अब तलक पत्थर भी हो चूका होगा तो आंसुओं सा पिघल जायेगा |
और मुझे यकीं है तूँ फिर से मुझे ढूंढने निकल पड़ेगा
और मुझे उसी पल का इन्तजार है ...
दुःख की इन चिर करुण घड़ियों से मुक्त पल भर होकर-
फिर से नए दर्दो गम के अहसासों में डूबने के लिए
इन्तजार ...इन्तजार ...इन्तजार आशा —

मुझ से लोग

मुझ से लोग
न जाने क्यूँ
कहने लगे है
मेरी सोच
सिर्फ और सिर्फ
तुम से ही शुरू होती है
और तुम पर ही खत्म होने लगी है
मेरी धडकन
मेरी साँसे तुमसे है
ओर तुम्हारे लियें ही
खत्म होने लगी है .....

पीराने पीर दस्तगीर या गोस पाक की फातिहा का महीना हे


दोस्तों हमारा देश गंगा जमनी संस्क्रती की बेमिसाल संस्क्रति हे इसीलियें सभी को एक दुसरे के धर्म के बारे में जानकारियाँ होना चाहिए ताके एक दुसरे से मिलकर सभी देशवासी आपस में प्रेम सद्भावना और भाईचारे का हाथ बढ़ाएं .
अभी मुसलमानों के लियें फातिहा ख्वानी का महीना ग्यारवीं के नियाज़ का महीना चल रहा हे इस महीने को आम तोर पर ग्यारवीं के महीने के नाम से ही जाना जाने लगा हे वेसे इस्लाम में इस महीने को रबीउल सानी का महीना कहते हें जो रबीउल अव्वल के बाद आता हे , दोस्तों इस महीने में पीराने पीर दस्तगीर या गोस पाक अब्दुल कादर जिलानी को भी याद किया जाता हे और उनकी याद में ही फातिहा का दोर चलाया जाता हे , इस्लामिक इतिहास के अनुसार लगभग सातवीं सदी में इराक के बगदाद के पास एक गाव जिलानी में अब्दुल कादर जिलानी ने जन्म लिया और इन्होने माँ के पेट में ही कुरान शरीफ हिफ्ज़ कर लिया यानि माँ के पेट में ही इनकी इस्लामिक तालीम पूरी हो चुकी थी और इसीलियें यह जन्म से ही बालपन में सत्य ,अह्निसा और इमानदारी का पाठ पढाने निकल चले थे इनकी इस शोहरत को देख कर सभी पीरों ने इन्हें अपना पीर यानि पिराने पीर दस्तगीर मान लिया था , एक बार बालपन में जब इनकी माँ ने इन्हें इनके कम्बल और कमरी में पढाई के खर्चे के लियें दीनारें सी कर काफिले के साथ भेजा तो रास्ते में काफिले को लुटेरों ने लुट लिया सभी की तलाशी लेकर उनके सामान लुट लिए तब यह खुद लुटेरों के सरदार के पास गए और उन्होंने कहा के मुझे भी मेरी माँ ने कमरी और कम्बल में दीनारें सीकर दी हें लुटेरों के सरदार ने तलाशी ली और दीनारें देखकर कहा के तुम तो यह बचा सकते थे फिर खुद क्यूँ यह राज़ बताया तब या गोस पाक ने कहा के यह मेरी माँ और इस्लाम की शिक्षा हे के जान चली जाये लेकिन सच नहीं जाना चाहिए बस उस लुटेरों के कबीलों ने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया .
पिराने पीर दस्तगीर गरीबों के हमदर्द और इनको खुदा ने इल्म बख्शा था के यह अपनी ठोकर से मुर्दों को ज़िंदा कर दिया करते थे यह बारह माह रोज़े रखा करते थे और इबादत ऐसी के रात को इशां की नमाज़ के वुजू से सुबह फज्र की नमाज़ पढ़ लिया करते थे इनकी इसी इबादत पाकीजगी की वजह थी के हर रोज़ रोज़े अफ्तार के वक्त बादशाह, अमीर और गरीब इनके आगे लज्जतदार पकवान सजा कर रखते थे लेकिन यह सिर्फ किसी गरीब की दी हुई पिंड खजूर से रोजा अफ्तारते थे एक दिन एक बादशाह ने झल्लाकर उनसे इस उपेक्षा का कारण जानना चाहा तो या गोस पाक ने एक हाथ में बादशाह की रोटी और एक हाथ में गरीब की रोटी लेकर उसे जोर से रस निकलने के लियें दबा दिया तब बादशाह की रोटी में से तो खून रिसने लगा और गरीब की रोटी से पानी बह रहा था बस बादशाह समझ गया और उस दिन से उसने गरीबों पर ज़ुल्म करना बंद कर दिया ऐसे पाक गोस पाक की याद में इस माह को पर्यायवाची के रूप में ग्यारहवीं के महीने के नाम से भी जाना जाता हे इस महीने में सभी लोग फातिहा दिलाकर गरीबों को अच्छा खाना बना कर खिलाते हें वोह बात और हे के इस रिवाज को इस फातिहा को अमीरों ने इन दिनों आपस में एक दुसरे अमीर और रिश्तेदारों को दावत देने और खाना खिलाने का फेशन बना लिया हे लेकिन फिर भी कई लोग ऐसे हें जो इन दिनों में केवल गरीबों को ही दावत देकर खाना खिलाते हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मैं तो

Asha Pandey Ojha Asha
मैं तो
दर्द की पाठशाला के
साये से भी
न गुज़री कभी
या इलाही
फिर मेरी आँखों को
ये अश्कों की
तालीम
किसने दी
"आशा

आ मेरे पास आ

आ मेरे पास आ
आ मेरे साथ आ
तेरा यह हाथ
में हमेशा के लियें थाम लूँ
आ मेरे साथ आ
तेरी धड़कन ..तेरे गमो फ़िक्र
में थाम लू
आ मेरे साथ आ
तेरे आंसुओं को में अपने ज़ीने में जज्ब कर लूँ
आ मेरे पास आ तुझे समेट लूँ अपने आगोश में
आ मेरे पास आ
तेरी ख्वाहिश जो मुर्दा देखने की है
वोह आज ही में पूरी कर दूँ
आ मेरे पास आ .................

कुरान का सन्देश

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