आपका-अख्तर खान

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13 मार्च 2013

सहरा नहीं था वो अगर दरिया भी नहीं था,

सहरा नहीं था वो अगर दरिया भी नहीं था,
जैसा कहा था आपने वैसा भी नहीं था.

हम उस जगह भी उम्र को आये गुज़ार के,
मुमकिन जहाँ गुज़ारना लम्हा भी नहीं था.

उसने तमाम उम्र मुखोटों में काट ली,
चेहरा तो उसके पास में खुद का भी नहीं था.

मरहम कहा था उसने मुझे जाने किस लिए,
मैंने तो उसके ज़ख़्म को छुआ भी नहीं था.

कैसे करूँ यक़ीन वो मेरा नहीं रहा,
लेकिन ये मेरी आँख का धोका भी नहीं था.

उनमें भी ग़ज़ल सुनने की तहज़ीब नहीं थी,
फिर ख़ास अपना दोस्तों लहज़ा भी नहीं था.

जो साथ मेरे थी तो बुजुर्गों की दुआ थी,
वरना तो साथ जिस्म का साया भी नहीं था.

लिखने का दिल नहीं है -

Satish Sharma
लिखने का दिल नहीं है -
कहने को कुछ नहीं है
दिल चाहता है -
कोई कहता रहे - और
आँखें मूँदकर सुनते रहें हम .

सोबती जी ने जब अपनी शादी की 25 वीं वर्षगांठ मनाई

Pramod Mishra
मेरे मित्र श्री मनदीप सिंह सोबती जी ने जब अपनी शादी की 25 वीं वर्षगांठ मनाई तो एक स्थानीय समाचारपत्र का संवाददाता उनका साक्षात्कार लेने उनके घर जा पहुंचा। दरअसल वे दंपत्ति अपने शांतिपूर्ण और सुखमय विवाहित जीवन के लिये पूरे दिल्ली में प्रसिध्द हो चुके थे। उनके बीच कभी कोई तकरार नाम मात्र के लिये भी नहीं हुई । संवाददाता उनके सुखी जीवन का राज जानने के लिये उत्सुक था। पति ने बताया - हमारी शादी के फौरन बाद हमलोग हनीमून मनाने के लिये शिमला गये हुये थे। वहां हम लोगों ने घुड़सवारी की। मेरा घोड़ा तो ठीक था पर जिस घोड़े पर मेरी पत्नी सवार थी वह जरा सा नखरैल था। उसने दौड़ते दौड़ते अचानक मेरी पत्नी को नीचे गिरा दिया। पत्नी ने घोड़े की पीठ पर हाथ फेरते हुये कहा - यह पहली बार है । और फिर उसी घोड़े पर सवार हो गई। थोड़ी दूर चलने के बाद घोड़े ने फिर उसे नीचे गिरा दिया। पत्नी ने अबकी बार कहा - यह दूसरी बार है। और फिर उसी घोड़े पर सवार हो गई । तीसरी बार जब घोड़े ने उसे नीचे गिराया तो मेरी पत्नी ने घोड़े से कुछ नहीं कहा, बस अपने पर्स से पिस्तौल निकाली और घोड़े को गोली मार दी। मैं अपनी पत्नी पर चिल्लाया - ''ये तुमने क्या किया ! तुमने एक बेजुबान जानवर को मार दिया......! क्या तुम पागल हो गई हो ?''पत्नी ने मेरी तरफ देखा और कहा - ''ये पहली बार है!''और बस, तभी से हमारी जिंदगी सुख और शान्ति से चल रही है।

"मेरी तश्वीर की तासीर तुम्हें क्या मालुम ,

Rajiv Chaturvedi
"मेरी तश्वीर की तासीर तुम्हें क्या मालुम ,
कल तक कराहते कातर से जो लोग यहाँ रहते थे
जज़्बात और जमीर की आवाज़ पर चीखते हैं वह
और शातिर की शमशीर सियासत से रियासत बन कर
छीन लेती थी ख्वाब और ख्वाहिश सभी
खौफ के साये में हर ख्वाब यहाँ रहते थे
जुल्म -ओ -तसद्दुद की तहरीर लिए हाथों में
हर बड़े कातिल को बादशाह कहा करते थे
मेरी तश्वीर की तासीर तुम्हें क्या मालुम ,
कल तक कराहते कातर से जो लोग यहाँ रहते थे
अब वो हर शातिर से लड़े जाते हैं
मैं मर चुका था बहुत पहले
मगर मेरे गम में भी दम था इतना
मेरी तश्वीर की तासीर में बेख़ौफ़ तबस्सुम महका
और मेरी याद की खुशबू खुदा तक पहुँची ." -----राजीव चतुर्वेदी

छलावा दबे पांव आता है

छलावा दबे पांव आता है
विश्वास का मुखौटा लगाये
और संवेदनाओं की कब्र के
ठीक ऊपर
हर उम्र की मादा
बदल जाती है
एक सनसनीखेज सुर्खी में,.....

मैं खुद प्यासा रहता हूँ पर

बाल श्रम ---

मैं खुद प्यासा रहता हूँ पर

जन जन की प्यास बुझाता हूँ

बालश्रम का मतलब क्या है

समझ नहीं मैं पाता हूँ |

भूखी अम्मा, भूखी दादी

भूखा मैं भी रहता हूँ,

पानी बेंचूं ,प्यास बुझाऊ

शाम को रोटी खाता हूँ |

उनसे तो मैं ही अच्छा हूँ

जो भिक्षा माँगा करते हैं

नहीं गया विद्यालय तो क्या

मेहनत की रोटी खाता हूँ |

पढ़ लिख कर बन जाऊं नेता

झूठे भाषण, मानवता को धोखा

उससे अच्छा,अनपढ़ रहकर

मानव बनना होगा चोखा |

मानवता की राह चलूँगा

खुशियों के दीप जलाऊंगा

प्यासा खुद रह जाऊंगा पर

जन जन की प्यास बुझाऊंगा |

डॉ अ कीर्तिवर्धन

8265821800

खुदा होता है

यह बंधन
यह एतराजात
यह लुका छिपी का खेल
यह रूठना
यह मनाना
यह नाराजगी का खेल
एक मिलन की आस
एक प्यार की प्यास
यह डर
यह खोफ का माहोल
खुदा या
अब तो जिंदगी दे दे
अब तो साँसे दे दे
अब तो मिला दे
मुझे मेरे प्यार से
अब तो बता दे
के हाँ
खुदा होता है
खुदा होता है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

"मुलजिमों के हाथ मुआवजा लेना तुम्हें कैसा लगा ?

Rajiv Chaturvedi
"मुलजिमों के हाथ मुआवजा लेना तुम्हें कैसा लगा ?
सहमती सी शाम को अब सच बताओ
आंसुओं की यह इबारत बढ़ी कीमत पर कल अखबारों में छपेगी
वेदना, संवेदना, सतह पर तैरते साहित्य के जुमले सभी
निरर्थक मौत पर
सार्थक जिन्दगी का पैबंद सिलकर शामियाने सा सजाया जा रहा है
और उस शोकाकुल से सरकारी जलसे में
पाखंडी पराक्रम की पैमाइश करता वह शिखंडी सियासत का
वह पैसा फेंकता है जो उसके बाप का हरगिज नहीं था
लास की कीमत लागाते लोग
काश तुम जिन्दगी की कीमत जानते होते
कातिलों ने कफ़न की दूकान खोली है
और उस दूकान को दरकार ग्राहक की गुनाहगारों का ही गुणगान करती है
मुलजिमों के हाथ मुआवजा लेना तुम्हें कैसा लगा ?
सहमती सी शाम को अब सच बताओ
आंसुओं की यह इबारत बढ़ी कीमत पर कल अखबारों में छपेगी।" ----राजीव चतुर्वेदी

'तुम'

Anita Maurya
'तुम'
मेरी कविता के प्राण,
शब्द भी 'तुम,
भाव' भी तुम,
'तुमसे'
जीवंत हो उठती है
मेरी कविता !!अनु!!

सालों बाद फिर दुनिया देख सकेगा सुरेंद्र



ग्लूकोमा के कारण चली गई थी आंखों की रोशनी
कोटात्न महावीर नगर द्वितीय में एक मैस में वेटर का काम करने वाला सुरेंद्र मीणा (19) अब दुनिया देख सकेगा। जन्म से ही उसकी दोनों आंखों में कालापानी (ग्लूकोमा) होने से उसे बहुत कम दिखाई देता था। बाद में एक आंख से पूरी तरह दिखना बंद हो गया। उसकी दोनों आंखें असामान्य हैं और हिलती रहती हैं। बचपन में ही माता-पिता का निधन हो जाने से वह पीपल्दा खुर्द गांव से मजदूरी करने यहां आ गया।

डीडी नेत्र फाउंडेशन के निदेशक डॉ. डीडी वर्मा ने बताया कि उसकी आंख का प्रेशर बढ़कर 43 तक पहुंच गया था, जिससे दिखना बंद हो गया था। एक आंख का ऑपरेशन करने के बाद प्रेशर 17 रह गया जिससे उसे साफ दिखने लगा है। लेकिन दूसरी आंख से वह नहीं देख सकेगा। उन्होंने बताया कि ऐसे रोगियों में आंख से दिमाग को जोडऩे वाली ऑप्टिक नर्व का रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिसे दवा या ऑपरेशन से कंट्रोल किया जाता है। यह अपने आप में दुर्लभ ऑपरेशन है।

पढ़ाई भी छूट गईत्न मजदूर माता-पिता का बचपन में ही निधन हो जाने से सुरेंद्र असहाय हो गया। आंखों से दिखना बंद हुआ तो 8वीं के बाद पढ़ाई भी छूट गई। उसके 4 भाई-बहिन हैं। वह अपनी बड़ी बहन की शादी में आर्थिक मदद करना चाहता है, इसलिए मैस पर सुबह 6 से रात 10 बजे तक नौकरी कर रहा है। उसने बताया कि अब वह दौड़-दौड़ कर काम कर सकता है।

कंप्यूटर मॉनिटर में हुई विस्फोट की घटना

कोटा
दुकान में दो दिन पूर्व कंप्यूटर मॉनिटर में हुई विस्फोट की घटना में शनिवार को उस समय नया मोड़ आ गया जब मृतकों की अस्थियां चुनते समय परिजनों को लोहे के टुकड़े मिले। परिजनों का आरोप है कि साजिश के तहत दुकान में विस्फोटक रखा गया था। दुकानदार का साला पिछले माह ही उड़ाने की धमकी देकर गया था। उन्होंने आईजी को पत्र देकर मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की है।

छावनी स्थित कंप्यूटर की दुकान में 11 मार्च को विस्फोट हो गया था। अब तक की जांच में विस्फोट कंप्यूटर के मॉनिटर में हाई वोल्टेज के कारण होना माना जा रहा है। वहीं बुधवार को मृतक मोहनलाल प्रजापति व पुनीत मित्तल की तीसरे की रस्म के दौरान परिजन उस समय अचंभे में पड़ गए जब अस्थियां चुनने के दौरान उन्हें लोहे के टुकड़े मिलने लगे। उन्होंने चुंबक मंगवाया और राख को खंगाला तो काफी लोहे के टुकड़े निकले। मोहन के पिता भंवरलाल व पुनीत के पिता नरेंद्र ने आरोप लगाया है कि दुकान में विस्फोटक पदार्थ किसी ने रखा था और ब्लास्ट उसी में हुआ है। भंवरलाल का कहना है कि मोहन के साले से उनका पारिवारिक विवाद चल रहा है। पिछले माह 8 फरवरी को उसके साले अपने कुछ साथियों के साथ आए थे और मोहन के साथ मारपीट की थी। वे धमकी देकर गए थे कि मोहन को उड़ा देंगे। इसकी रिपोर्ट उन्होंने छावनी चौकी में भी दी। उसके साले माइंस का काम करते हैं। दुकान में विस्फोटक उन्होंने ही रखा होगा।

आंदोलन के लिए अब सभी संगठनों को जोड़ेंगे वकील



आंदोलन के लिए अब सभी संगठनों को जोड़ेंगे वकील
राजनीतिक रंग में बिगड़ रहा आंदोलन, कोर्ट खुली तो आम जनता से लेकर पुलिस तक को होगा फायदा

वाल्मिकी समाज ने किया प्रदर्शन
वाल्मिकी समाज के लोगों ने शहर जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री हेमचंद पंवार के समर्थन में आईजी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। उन्होंने आईजी को ज्ञापन देकर वकीलों को गिरफ्तार करने की मांग की। पंवार ने कहा कि अगर तीन दिन में वकीलों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो तीन दिन बाद शहर की सफाई व्यवस्था ठप कर दी जाएगी।
टाइपिस्ट ने किया मारपीट से इंकार
टाइपिस्ट उमेश मीणा ने मंगलवार को हुई घटना से साफ इंकार किया है। एसआई अनिष अहमद ने बताया कि टाइपिस्ट ने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि हेमचंद पंवार के साथ कोई मारपीट नहीं की है। इसके बाद पुलिस ने प्रार्थना पत्र नयापुरा थाने पहुंचा दिया।

अभिभाषक परिषद की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट बैंच एवं रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच की स्थापना की मांग को लेकर आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया है।
परिषद ने इस आंदोलन को भव्य रूप देने के लिए शहर के व्यापारी संगठन, राजनैतिक दल, धार्मिक संगठन, आर्यसमाज, शहरकाजी, ईसाई संगठन, हिन्दू संगठन एवं अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों की सर्वदलीय बैठक गुरुवार को दोपहर 2 बजे कोर्ट परिसर के परिषद हॉल में बुलाई है। बुधवार शाम चार बजे परिषद व हाईकोर्ट बैंच स्थापना संघर्ष समिति के सभी सदस्यों की बैठक संपन्न हुई। बैठक में हाईकोर्ट बैंच की मांग के लिए चलाए जा रहे आंदोलन आंदोलन में जनसमर्थन जुटाने के संबंध में चर्चा की गई। मनोजपुरी ने बताया कि परिषद ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है, राजस्थान बार कौंसिल के सदस्य व वरिष्ठ एडवोकेट महेशचंद गुप्ता ने कोर्ट परिसर में घुसकर वकीलों के साथ मारपीट का प्रयास करने को लेकर डीजे से पुलिस को शिकायत भेजने की मांग की है।

कोटा के वकील बीते 27 दिन से हाईकोर्ट बैंच व रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच खोलने की मांग कर रहे हैं, लेकिन जयपुर में वकीलों व पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद कोटा संभाग की जनता से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा भटकने लगा है। आंदोलन को कुचलने के लिए राजनैतिक चालें चली जा रही है। कभी पुलिस के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे है तो कभी कुछ अन्य। लेकिन, हाईकोर्ट व डबल बैंच का मुद्दा कोटा संभाग से जुड़े लोगों का है। इस मांग को भुलाया नहीं जा सकता।
कोटा संभाग के लोगों को सस्ता, सुलभ व शीघ्र न्याय दिलाने के लिए होई कोर्ट की मांग काफी पुरानी है, रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच की तारीख पेशी पर जाने के लिए किसानों व पक्षकारों के पास पैसे तक नहीं होते हैं, लेकिन, अभी तक इस मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है। अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोज पुरी का कहना है कि लॉ कमीशन की रिपोर्ट में देश में 19 नई हाईकोर्ट बैंच खोलने की सिफारिश की है। राजस्थान बार कौंसिंल ने अपनी 14 सूत्रीय मांग पत्र में इस सिफारिश की पालना को भी शामिल किया है। लेकिन, क्रियान्विति नहीं की जा रही है। इसी प्रकार राज्य के बजट में रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच की घोषणा राज्य के वर्ष 2011 के बजट में की गई थी। लेकिन दूसरा बजट आने के बाद अभी तक बैंच नहीं खुल सकी है। अभी भी पक्षकारों को सुनवाई के लिए अजमेर ही जाना पड़ता है।
मुद्दे का राजनीतिकरण न करे कांग्रेस-बिरला
विधायक ओम बिरला ने कहा कि हाईकोर्ट बैंच का आंदोलन हाड़ौती के न्याय की लड़ाई है। कांग्रेस इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने पर आमादा है। सरकार किसी तरह इस मुद्दे की दिशा बदलना चाहती है। शहर की जनता हाईकोर्ट बैंच और रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच के लिए किए जा रहे वकीलों के आंदोलन के साथ है। इन दोनों बैंच की स्थापना से समूचे हाड़ौती के लोगों को राहत मिलेगी।

उप प्रधान को गोली मारने का प्रयास




कोटा। बोरखेड़ा थाना क्षेत्र में बोरखंडी के निकट बुधवार रात तीन बदमाशों ने कार में सवार लोगों को गोली मारने का प्रयास किया। हमलावरों के निशाने पर कार में पीछे बैठे सुल्तानपुर पंचायत समिति के उप प्रधान सीमल्या निवासी रईस खान थे। बदमाशों द्वारा दागी गई गोली के छर्रो से कार में ही सवार सार्वजनिक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता शैलेष शर्मा को मामूली चोटें आई हैं। घटना की सूचना पर थानाघिकारी श्रीराम मौके पर पहुंचे और सीमल्या पुलिस की मदद से अभियुक्तों की तलाश शुरू कर दी।

खान ने बताया कि वल्लभपुरा निवासी मुकेश योगी कुछ माह पहले ही जेल से छूटकर आया है। आपराघिक प्रवृत्ति के योगी ने गढ़ेपान स्थित फैक्ट्री में ठेकेदारी करने वाले उनके परिचित गिर्राज नागर को परेशान कर रखा था। उन्होंने योगी को समझाया था, लेकिन यह बात योगी को नागवार गुजरी और एक-दो बार वह फोन पर उन्हें धमका भी चुका था। उन्होंने इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। कोटा के गोपाल विहार निवासी रईस खान, उनका परिचित ठेकेदार पवन जैन व एईएन शर्मा बुधवार को कार से सीमल्या से कोटा आ रहे थे। इस दौरान बोरखंडी के निकट बाइक सवार योगी व दो अन्य ने कार को रोकने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने कार चला रहे जैन को रोकने से मना कर दिया और भगाने को कहा। तभी बदमाशों ने फायर कर दिया, जिसके छर्रो से आगे बैठे शर्मा के मुंह व दाएं हाथ पर मामूली जख्म आए हैं। घटना के बाद सीधे बोरखेड़ा थाने आकर रूके और रिपोर्ट दर्ज कराई।

कहां गई गोली?
घटना के संबंध में उप प्रधान ने रिपोर्ट दी है। कार में बैठे पीडब्ल्यूडी के एईएन को मामूली चोटें आई हैं, लेकिन कार में कहीं गोली का खोल या गोली नहीं मिली। सीमल्या पुलिस की मदद से अभियुक्त मुकेश योगी की तलाश कर रहे हैं।
श्रीराम, थानाघिकारी, बोरखेड़ा

अख़बार तकनीक और व्यवसाय

अख़बार तकनीक और व्यवसाय में महत्वपूर्ण पक्ष होकर्स ने कल कमीशन बढाने की मांग को लेकर पत्रिका भास्कर सहित दुसरे अख़बार नहीं बांटे और हडताल कर दी ...यकीन मानिए एक दिन में ही लोग अख़बार को गलियों और सड़कों पर तलाशते रहे और बिना अख़बार के पूरा दिन उन्हें ऐसा लगा के उन्होंने नाश्ता नहीं किया है ....हमे और आपको पत्रकारिता की पढाई में वितरण व्यवस्था को महत्वपूर्ण बताया गया था के अख़बार कितना ही बहतरीन छप जाए अगर बंटेगा नहीं जनता तक नहीं पहुचेगा तो उसका प्रकाशन बेकार है कल यही सच सामने आया अख़बारों के लियें साफ़ था के जंगल में मोर नाचा किसने देखा लेकिन इंटरनेट अख़बार ने अब इस व्यवस्था पर भी सेंध लगा दी है और मुझ सहित कई लोगों ने इंटरनेट पर इ अख़बार पढ़ कर संतोष किया .आज फिर अख़बार के पाठकों के चेहरे खिले है क्योंकि होकर्स ने अख़बार उनके घर पहुंचा दिए है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

लाचार होकर 4 से 12 हजार में बीवी-बेटियों को बेच रहे लोग



नई दिल्ली. महाराष्ट्र में सूखे ने राज्य के किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। महाराष्ट्र के 34 जिलों में सूखे का संकट है। इसे देखते हुए ईजीओएम ने 1207 करोड़ का सूखा पैकेज देने का फैसला किया है। लेकिन इस पैकेज का कितना सही इस्तेमाल हो पाएगा, इस पर बड़ा सवाल बना हुआ है। 
 
दूसरी तरफ, 'बेटी बचाओ' अभियान और महिला सशक्तिकरण के तमाम नारों के बावजूद देश के बड़े इलाके में महिलाओं पर जुल्म थम नहीं रहे हैं। सूखे और उससे उपजी गरीबी ने हालात को और खतरनाक बना दिया है। आंध्र प्रदेश में सूखे के चलते जिस्मफरोशी के लिए मजबूर महिलाओं की तरह ही उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के करीब एक दर्जन जिलों को मिलाकर बनने वाले बुंदेलखंड में भी आधी आबादी अपनी जान और इज्जत को बचाने की खामोश जंग लड़ रही है। केंद्र के पैकेज और मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश की सरकारों की पहल के बावजूद न तो इस इलाके का पिछड़ापन दूर हो रहा है और न ही महिलाओं का शोषण। 
 
बच्चों खासकर लड़कियों का 'मामा' कहलाना पसंद करने वाले शिवराज सिंह चौहान के सूबे में मौजूद बुंदेलखंड के सागर डिवीजन के पांच जिलों-सागर, छतरपुर, टीकमगढ, पन्ना और दमोह में 2004 से लेकर मार्च, 2011 के बीच सात सालों में 2230 लड़कियां गायब हुईं। इनमें से 482 लड़कियों का आज तक कोई पता नहीं चल पाया है। मध्य प्रदेश विधानसभा में 2011 में पेश आंकड़ों के मुताबिक सागर जिले से 482, पन्ना में 330, छतरपुर में 279, टीकमगढ़ में 345, दमोह में 2004 से 794 लड़कियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुईं। इनमें से टीकमगढ़ में 50, सागर में 71, पन्ना में 88, दमोह में 221 और सागर में 52 युवतियां आज भी लापता हैं। बुंदेलखंड में लड़कियों की खरीद फरोख्त करने वाले कई गिरोह आदिवासी बाहुल्य जिलों-पन्ना और दमोह में सक्रिय हैं।

मिन्नतें करती रहीं 35 छात्राएं लेकिन स्कूल टीचर पर था मनमानी का भूत सवार!



भीलवाड़ा.जिले की सुवाणा पंचायत समिति के राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय बोरड़ा की प्रधानाध्यापिका ने सिर्फ इस बात पर 35 छात्राओं के बाल काट दिए क्योंकि वे दो चोटी बनाकर नहीं आई थीं। घटना के बाद छात्राएं सहमी हुई हैं। सदर थाना पुलिस ने सभी छात्राओं के बयान दर्ज किए हैं। प्रारंभिक जांच के आधार पर प्रधानाध्यापिका अनुराधा लोयमा को सस्पैंड कर दिया गया है। 
 
स्कूल के बाकी स्टाफ को एपीओ किया गया है। सुवाणा बीईईओ प्रहलादराय पारीक ने बताया कि 12 मार्च मंगलवार सुबह बोरड़ा स्कूल में प्रार्थना सभा के बाद कार्यवाहक प्रधानाध्यापिका अनुराधा लोयमा सभी कक्षाओं में गईं। 
 
जिन छात्राओं ने एक चोटी बना रखी थी, लोयमा ने उन छात्राओं के बाल दो से चार सेंटीमीटर तक काट दिए। छात्राएं रोती रहीं, लेकिन लोयमा नहीं मानीं। छात्राओं ने घर पहुंचकर परिजनों को जानकारी दी। बुधवार सुबह कई परिजन स्कूल पहुंच गए। सूचना मिलने पर एडीईओ कुसुम जागेटिया और बीईईओ भी स्कूल आए और घटना की जानकारी ली। फिलहाल पूरे स्टाफ को एपीओ कर दिया गया है।
 
वे मिन्नतें करती रहीं, मैडम नहीं मानीं
 
आठवीं की छात्रा शिवानी जाट, सातवीं की कृष्णा, तीसरी कक्षा की माया ने बताया कि अनुराधा मैडम जब बाल काट रही थीं तो हमने कहा- कल से दो चोटी बनाकर आएंगे, लेकिन मैडम नहीं मानीं।
 
19 साल से इसी स्कूल में नौकरी
 
छात्राओं के बाल काटने वाली प्रधानाध्यापिका अनुराधा लोयमा एक जुलाई, 1994 से ही बोरड़ा स्कूल में नौकरी कर रही हैं। अन्य कई टीचर भी लंबे समय से यहां कार्यरत हैं। लोयमा को डीईओ ऑफिस और तीन अन्य शिक्षिकाओं को सुवाणा बीईईओ ऑफिस में लगाया गया है। 
 
एक टीचर सुनीता तिवारी ने बताया कि एचएम अनुराधा का व्यवहार सही नहीं है। इस कारण स्टाफ की भी उनसे अनबन रहती है।   

कुरान का सन्देश

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