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एक खास सवाल :: राजस्थान पत्रिका को क्या समझें - विज्ञापन पत्रिका-लुटेरों का सहयोगी और झूंठे समाचारों का पुलिन्दा ? क्या इस ओर


by Jeengar Durga Shankar Gahlot (Notes) on Tuesday, April 24, 2012 at 12:06am
एक  खास सवाल :: राजस्थान पत्रिका को क्या समझें - विज्ञापन पत्रिका-लुटेरों का सहयोगी और झूंठे समाचारों का पुलिन्दा ?
क्या  इस ओर भी ध्यान देंगे - पीसीआई चेयरमेन न्यायमूर्ति काटजू ?

गत दिनों की ही बात है. 'राजस्थान पत्रिका' ने १७ अप्रैल २०१२ मंगलवार को अपने 'कोटा प्रकाशन' के 'कवर पृष्ठ' को 'कोटा का सबसे बड़ा अखबार' एवं 'राजस्थान में नं. 1 अखबार'  के 'विशेष शीर्षक' के साथ प्रकाशित किया था. जिसमें इसके वर्तमान मालिक श्री गुलाब जी कोठारी का यह सन्देश 'सबके दिल में पत्रिका' भी प्रकाशित है. फिर, तीन दिन बाद ही, २० अप्रैल शुक्रवार को इसके (राजस्थान पत्रिका) मुख पृष्ठ पर ही यह समाचार प्रकाशित हुआ - " सवाई माधोपुर में बजरी माफिया की करतूत - तहसीलदार पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश - आरोपी फरार, पुलिस पर सहयोग नहीं करने का आरोप ". इसमें तहसीलदार भगवान सहाय इन्दोरिया पर हुए हमले की घटना का समाचार प्रकाशित है. किन्तु - अगले दिन ही, २१ अप्रैल शनिवार को दैनिक भास्कर के कोटा प्रकाशन में तहसीलदार भगवान सहाय के हवाले से ही यह समाचार प्रकाशित हुआ - " मुझ पर हमला हुआ, मुझे ही नहीं पता, अखबार को पता होगा : तहसीलदार".

इस तरह से, 'तहसीलदार पर हमला' से सम्बंधित राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुए समाचार को दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुए समाचार ने 'झूंठा व गलत' बताया. लेकिन, 'भास्कर' पर हमलावर बनी रहने वाली 'पत्रिका' की ओर से भास्कर में प्रकाशित इस समाचार पर कोई प्रतिक्रिया प्रकाशित नहीं की गई - जो निश्चित ही 'पत्रिका पाठकों' के लिए विचारणीय है. वहीं, इससे यह भी साबित हो रहा है कि - 'पत्रिका में क्या प्रकाशित हो रहा है, इस देखने व समझने वाला अब कोई नहीं है और जो हैं तो वे सिर्फ़ 'कारोबारी' ही बने हुए हैं. जो हर संभव तरीके से अधिकाधिक कमा कर 'गुलाब जी' को समर्पित कर रहे हैं और गुलाब जी भी इस हो रही भरपूर कमाई को प्राप्त कर 'आनंदित बने हुए हैं.

शायद, इसीलिए अब गुलाब जी का समूचा ध्यान 'सम्मानित' होने और 'नैतिकतावादी प्रवचन-लेखन' पर ही केंद्रित बना हुआ है, पत्रिका में प्रकाशित हो रही विभिन्न प्रकार की लूट की सूचनाओं और समाचारों पर नहीं. प्रमाण स्वरूप - 'विज्ञापन' के नाम पर गत दिनों ही प्रकाशित हुई ये 'लूट की सूचनाएं' कुछ इस प्रकार से हैं ---

(१) १६ अप्रैल २०१२ की 'पत्रिका' में प्रकाशित सूचना (विज्ञापन) : "राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार/स्वरोजगार/छात्रवृत्ति योजना - कम्प्यूटर प्रशिक्षण हेतु आवेदन आमंत्रित-२०१२-१३". 'नाईस' (n.i.c.e.) एन.जी.ओ.' नाम की संस्था की ओर से प्रकाशित हुए इस 'विज्ञापन' में इस 'एनजीओ' के मूल कार्यालय का कोई अता-पता प्रकाशित नहीं है. सिर्फ़ इसकी 'फ्रेंचाइजी इन्क्यारी' (FRANCHISE ENQUIRY) के लिए संपर्क मोबाईल नं. तथा जयपुर के सोडाला में खोले गए इसके 'राज्य समन्वयक' कार्यालय का पता प्रकाशित है, जो कभी भी बंद या परिवर्तित हो सकता है.  'पत्रिका' के कोटा संस्करण के पृष्ठ सं. ३ पर प्रकाशित इस 'सूचना' में ऊपर की ओर ही कोने में बारीक़ अक्षरों में जरुर प्रकाशित है - 'विज्ञापन'. इस प्रकाशित विज्ञापन के तहत आवेदन कर्ताओं की योग्यता ८वीं से शुरू होकर स्नातकोत्तर/डिप्लोमा तक तय की हुई है. किन्तु, इन प्रशिक्षण हेतु विभिन्न नाम से ली जाने वाली एकमुश्त या मासिक आधारित 'शुल्क राशि' का कोई विवरण भी इस विज्ञापन में प्रकाशित नहीं है.

(२) १८ अप्रैल २०१२ की 'पत्रिका' में प्रकाशित सूचना : "कार्यालय सहायक एवं सूचना तकनीकी में व्यवसायिक प्रशिक्षण हेतु आवेदन सूचना". लेकिन, 'सूचना' के नाम पर प्रकाशित हुए इस 'विज्ञापन' में कहीं पर भी 'विज्ञापन' प्रकाशित नहीं है तथा न ही इसे प्रकाशित करने वाली 'संस्था' का ही नाम प्रकाशित है. सिर्फ़ जयपुर के न्यू सांगानेर रोड पर खोले गए इसके 'क्षेत्रीय अधिकारी' कार्यालय के पते में 'रिट्स' (RITES) प्रकाशित होने से ही यह समझ में आ रहा है कि - यह सूचना किसी 'रिट्स' एन.जी.ओ.' नाम की संस्था की ओर से प्रकाशित हुई है.'पत्रिका' के कोटा संस्करण के पृष्ठ सं. ७  पर प्रकाशित हुई इस 'सूचना' के अनुसार आवेदन कर्ताओं की योग्यता १०वीं / १२वीं / स्नातक व डिप्लोमा तय की हुई है. किन्तु, इसमें भी, इन प्रशिक्षण हेतु विभिन्न नाम से ली जाने वाली एकमुश्त या मासिक आधारित 'शुल्क राशि' का कोई भी विवरण प्रकाशित नहीं है तथा न ही इस संस्था के मूल कार्यालय का ही अता-पता प्रकाशित है.

वही, 'पत्रिका' के उक्त दोनों ही उल्लेखित अंकों में प्रकाशित हो रही विभिन्न 'सूचनाएं' (विज्ञापन) भी यही दर्शा रही है कि - राजस्थान का नं. १ अखबार होने का दावा करने वाली यह 'राजस्थान पत्रिका' खुले रूप से और पुरे साहस के साथ 'लुटेरों की सहयोगी' बनी हुई है और यह इसका रोजाना का 'कारोबारी कार्य' बना हुआ है. जिसे निश्चत ही प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में इसके मालिक और ज्ञान-गंगा के प्रवचनकार बने हुए गुलाब जी कोठारी का भी सहयोग व संरक्षण प्राप्त होगा. क्योंकि- मालिक की मर्जी के बगैर इतना बड़ा 'लूट का कारोबार' चलाना, किसी के भी लिए कदापि संभव नहीं हो सकता.

वही यह भी उल्लेखनीय है कि -  हमने पूर्व में भी, इसी वर्ष २०१२ के प्रथम माह जनवरी में अपने इसी 'ब्लॉग' में यह निम्न वर्णित आलेख लिखा था, जिसे हमारी 'फेस बुक' पर भी 'पोस्ट' किया था --- 



" एक सवाल : 'राजस्थान पत्रिका' को क्या समझें - नेतिकतावादी या अ-नेतिकतावादी ?" :: " समाचार पत्र / पत्रिकाओं को पढ़ने के शोकीन हम बचपन से ही रहे है. पराग, चंदामामा, बालभारती जैसी बाल  पत्रिकाओं से शुरू हुई यह यात्रा साप्ताहिक हिंदुस्तान  व्  धर्मयुग से होती हुई सारिका, कादम्बिनी और नवनीत तक पहुंची. 'नवनीत' के हम आज भी नियमित पाठक है. इसी तरह से समाचार पत्रों में स्थानीय स्तर से निकलने वाले अपने समय के प्रमुख साप्ताहिक जागृति और सोशलिस्ट समाचार व् कोमी धारा से पढ़ने का शुरू हुआ सफर प्रदेश के तीनों प्रमुख दैनिक नवज्योति, राष्ट्रदूत व् राजस्थान पत्रिका से जुड़ा. जो बाद में नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, जनसत्ता, नई दुनिया व् BILITAJ  से भी जुड़ा.
हम आज भी अपने राजस्थान प्रदेश के चारों प्रमुख दैनिक समाचार पत्र नवज्योति, राष्ट्रदूत, राजस्थान पत्रिका और भास्कर के नियमित पाठक है तथा ये चारों ही पत्र हमारे परिवार में आते हैं. लेकिन, 'राजस्थान पत्रिका' के वर्तमान मालिक श्री गुलाब कोठारी जी ने जिस योजना के साथ देश के विभिन्न प्रदेशों में (इसमें प्रकाशित सुचना अनुसार ७ प्रदेश व् ३० संस्करण) इसका फैलाव किया है और इसको देश का नंबर १ समाचार पत्र बनाने का सफलतम प्रयास किया है, वह वास्तव में कबीले-तारीफ ही है. फिर, इसमें विभिन्न विषयों पर प्रकाशित होने वाले श्री कोठारी जी के प्रभावपूर्ण आलेख भी अपना अलग ही स्थान बनाए हुए है. इनके इन आलेखों में 'नेतिकता' पर विशेष जोर दिया होता है. होना भी चाहिए, बुद्धिजीवी व् विद्वान होने का यही तो फायदा है. 'वैचारिक चिंतन' पर खूब लिखों, चाहे खुद अमल ना करो - कोई बात नहीं, कहने वाला भी कौन है. सब सुनने और पढ़ने वाले ही तो हैं.
तो, हम बात कर रहे हैं 'राजस्थान पत्रिका' की, जिसमें प्रकाशित होने वालों समाचारों और विज्ञापनों में अंतर करना अब दिनों-दिन मुश्किल सा होता जा रहा है. अब यह सब कुछ आदरणीय गुलाब जी की नज़र में है या नहीं है, वो ऊपर वाला ही जाने. हमारे विचार में शायद नहीं है, वर्ना तो इनकी इस लोकप्रिय कही जाने वाली 'पत्रिका' में  इस तरह का 'घालमेल' नज़र नहीं आता - ऐसा हमारा मानना है. चूँकि वे मालिक है तो अवश्य ही उनकी भी इस चल रहे 'घालमेल' कुछ ना कुछ 'सहमति' तो हो ही रही होगी. आखिर उनकी भी तो प्रतिष्ठा का सवाल होता है.
खैर, यह माननीय गुलाब कोठारी जी अपना 'निज' मामला है. हम बात कर रहे हैं आज दिनांक ७ जनवरी २०१२ शनिवार के कोटा के प्रकाशित हुए संस्करण की, जिसके पेज-२ पर प्रकाशित है एक विज्ञापन- "जागो पार्टी की जनसुनवाई - २५ शहरों में बिना रिश्वत काम करवाएं जायेगें". लेकिन इसे इस तरह से छापा हुआ है कि यह 'विज्ञापन' कम और 'समाचार' अधिक दिखाई दे रहा है. क्योंकि 'बॉक्स' में छपे हुए इस विज्ञापन के आखिर में छोटे से शब्द में कोष्टक में लिखा हुआ है - (वि.).वही, इसी अंक के पेज-१७ पर 'बॉक्स' में ही छापा हुआ है एक दूसरा समाचार- "सी.बी.आई. पुराण - टिप्पणी अनंत मिश्रा", लेकिन यह विज्ञापन नहीं है बल्कि समाचार ही है. किन्तु यदि इस दोनों ही प्रकाशित सामग्री के कारण रूपी मर्म को समझा जाएँ तो आज ही के दिन इन दोनों ही प्रकाशनों का कारण काफी गंभीरतम महसूस हो रहा है. किसी और को हो या ना हो, हमें तो महसूस हो ही रहा है. आखिर, यह एक 'विद्वान' व्यक्ति का समाचार पत्र जो है.
इस प्रकाशित सामग्री के सम्बन्ध में हम जो समझ पा रहे है, वह ये है कि- आज से जयपुर में 'प्रवासी भारतीय दिवस' का शुभारंभ हो रहा है, जिसमें 'पत्रिका' की ओर से गुलाब जी भी शामिल होंगे हीं.इसलिए हमारा यह मानना है कि 'पत्रिका' की ओर से इन आने वाले प्रवासियों को यह सन्देश देना हो सकता है कि- उनकी पत्रिका प्रदेश में चल रहे 'आरक्षण' विरोधी अभियान' में पूरी सहयोगी बनी हुई है तथा भंवरी मामले में सी.बी.आई. की चल रही जाँच निष्पक्ष नहीं है यानि प्रदेश की कांग्रेस सरकार परोक्ष रूप से केन्द्रीय सरकार के सहयोग से सी.बी.आई. का दुरूपयोग कर रही है. इनका यह मिलना भी तो इनके समाचार-कारोबार का ही एक अंग भी है.
जबकि, सच यह है कि प्रदेश में पनप रहा यह 'आरक्षण विरोधी अभियान' सिर्फ ओर सिर्फ जागरूक व् संगठीत होते जा रहे 'दलित समुदाय'  के 'दमन' किये जाने के लिए है, जो आज भी जातीय आधारित नफरत व् शोषण के शिकार बने हुए है. वहीँ, भंवरी मामले में सी.बी.आई. पूरी सजगता से ही कम करती हुई आज सफलता के इस मुकाम तक पहुंची है जिसे चाहे 'पत्रिका' वाले माने या ना माने, उनकी मर्जी है. वहीँ, इस सच को विद्वान गुलाब जी भली भांति समझ कर भी ना समझ बने हुए है. चूँकि, वह भी एक कारोबारी 'सवर्ण हिंदू' जो है. इसलिए उनको भी ना तो 'दलित' ही अच्छे लगते है और ना ही 'अशोक गहलोत' ही अच्छे लगते है. फिर भंवरी भी तो छोटी 'नट' जाति की ही तो है, तो वह भी इनको क्यों अच्छी लगेगी. चूँकि, अशोक गहलोत, मुख्य मंत्री पद पर आसीन है, इसलिए उनको तो मज़बूरी में ही झेलना पड़ रहा है, ताकि अधिकाधिक सरकारी विज्ञापन उनकी 'पत्रिका' को ही मिलते रहें और सरकार पर भी दबाव बनायें रहे. शायद, इसी विचार से आज प्रकाशित हुए इन समाचारों के बहाने वे इन प्रवासी भारतीयों से अच्छा कारोबार प्राप्त कर सके . 
वैसे, दिखाई भी दे ही रहा है कि दबाव में रहकर ही गहलोत सरकार द्वारा इनको भरपूर रूप से 'विज्ञापनों' से नवाजा जा रहा है, लेकिन इसके बदले में 'पत्रिका' इस गहलोत सरकार के प्रति कितनी मददगार बनकर वफ़ादारी निभा सकेगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. हाँ, 'पत्रिका' ने भाजपा के दिवंगत प्रभावी नेता ठाकुर साहिब भैरों सिंह जी शेखावत के प्रति अपनी 'वफ़ादारी' भरपूर रूप से निभाई है. शायद, ये वफ़ादारी इनको मिले हुए 'केसरगढ़ भवन' का ही प्रतिफल रही है, जो शेखावत जी की बदोलत इनको यानि 'पत्रिका' को मिला हुआ है.
वैसे, हम इस बात को खुले रूप से कहने का साहस तो कर ही रहे है कि- इस विद्वान व्यक्ति गुलाब कोठारी जी की यह 'राजस्थान पत्रिका' पूरी तरह से 'लुटेरे कारोबारियों' को समर्पित व् उनकी ही हितेषी बनी हुई है. जिसके प्रमाण स्वरुप इसी में प्रकाशित हुए कुछ समाचारों/विज्ञापनों का उल्लेख हम यहाँ पर कर रहे है, जो इस प्रकार है -
(१) '९ संस्थान सीज' ::  दिनांक ५/१/२०१२ के कोटा संस्करण में पेज-१३ पर '९ संस्थान सीज' शीर्षक से यह ७ लाइन का छोटा सा समाचार है. इस समाचार में देवली (जिला टोंक) में चल रहे अनाधिकृत कोचिंग, नर्सिंग, पोलोटेक्निक व् कम्पूटर संस्थानों के खिलाफ बुधवार (यानि- ४ जनवरी २०१२) सुबह प्रशासन ने पुलिस के सहयोग से संस्थानों के संचालन सम्बन्धी कागजात जांचे और ९ संस्थानों को सीज कर रिकार्ड कब्जे में लिया.' प्रकाशित हुआ है. यह समाचार इस पेज पर प्रथम कालम में एकदम नीचे की ओर इस तरह से प्रकाशित हुआ है, जिसका प्रकाशित होना या नही होना कोई मतलब नहीं रख रहा है. जबकि, यह एक महत्वपूर्ण समाचार है जिसे प्रथम पेज पर ही मोटे-मोटे अक्षरों में प्रकाशित होना था, लेकिन नहीं हुआ. जबकि यह समाचार उन लुटेरे कारोबारियों से जुड़ा हुआ है जो विभिन्न शिक्षा के नाम पर फर्जी तरीकों से लुट का कारोबार चलाए हुए है ओर प्रदेश में सभी ओर फैले हुए है. 'पत्रिका' भी इन लुटेरों को अच्छी तरह से जानती व् पहचानती है, लेकिन खामोश है क्योंकि इन्ही से तो भारी कीमत के विज्ञापन मिलते रहते है.
पत्रिका के कोटा संस्करण के दिनांक १८ व् १९/०४/२०११ तथा २४/०८/२०११ के अंकों में प्रकाशित हुए 'कम्पूटर एवं प्रबंधन में प्रशिक्षण हेतु प्रवेश/आवेदन सुचना' के विज्ञापन भी आखिर इन्ही लुटेरों के ही तो विज्ञापन है जिनके प्रकाशन की अच्छी राशि भी 'पत्रिका' को प्राप्त हुई होगी. शायद तभी, देवली के छापे सम्बन्धी समाचार में इन सीज हुए ९ संस्थानों के नाम तक प्रकाशित नहीं हुए है. हैं ना 'पत्रिका' की जागरूकता.
(२) 'आयकर छापा : गुटखा व्यवसायी के १३ ठिकानों पर छापा' :: दिनांक १३/१०/२०११ के कोटा संस्करण के अंतिम पेज-१६ पर प्रकाशित हो रहे तीन कालम के इस समाचार में कहीं पर भी इस व्यापारी व् उसकी फर्म का नाम तक प्रकाशित नहीं है. कारण क्या रहा है - 'पत्रिका' वाले ही जाने'. जबकि, इस प्रकाशित हुए समाचार के अनुसार इस छापे में करोड़ों रुपयों की 'आयकर चोरी' के दस्तावेज मिले हैं ओर इस व्यापारी के १३ ठिकानों पर छपे लगे है. हैं ना 'पत्रिका' की जागरूकता.
(३) 'माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर का विज्ञापन - विद्यार्थियों/अभिभावकों/शाला प्रधानों के लिए सुचना' :: दिनांक ०६/१२/२०११ के जयपुर संस्करण में पेज-०७ पर प्रकाशित यह विज्ञापन इस तरह से बारीक़ फॉण्ट में छापा हुआ है कि- इनको किन संबंधितों ने पढा होगा, ऊपर वाला ही जाने या 'पत्रिका' वाले ही जाने या विज्ञापन निकलवाने वाला 'माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर' ही जाने. जबकि 'पत्रिका' चाहता तो वह इसे विज्ञापन के साथ ही पहले पेज का 'खास समाचार' भी बना सकता था. क्योंकि यह विज्ञापन हैं - 'राजस्थान बोर्ड द्वारा जामिया उर्दू, अलीगढ की मान्यता समाप्त किये जाने से सम्बंधित. हैं ना पत्रिका की जागरूकता.
(४) 'बस, नाम से सरकारी 'टेलेंट सर्च' :: दिनांक ०७/११/२०११ के कोटा संस्करण में पेज-२ पर पत्रिका संवाददाता प्रमोद मेवाडा के हवाले से प्रकाशित हो रहे इस समाचार को यदि ध्यान  से पढा जाये तो जानकर लोग समझ ही जायेगें कि यह समाचार बहुत देर से जाकर अब 'पत्रिका' में इसलिए छपा होगा, शायद इन 'टेलेंट सर्च' करने वाले संस्थानों ने 'पत्रिका' को 'विज्ञापन' देना या इनकी कीमत कम देना शुरू कर दिया होगा. वर्ना तो, इस चल रही 'धोखेबाजी व् लुट' का यह समाचार तो काफी समय पहले ही नियमित रूप से छप चुका होता. हैं ना पत्रिका कि जागरूकता.
(५) आखिर में - 'गुलाब कोठारी जी आलेखित 'चोथा स्तंभ' :: दिनांक ०६/११/२०११ रविवार के कोटा संस्करण के मुख प्रष्ट पर प्रकाशित है माननीय गुलाब कोठारी जी का आलेखित यह 'चोथा स्तंभ'. जो, हाल ही नियुक्त हुए 'भारतीय प्रेस परिषद' के अध्यक्ष जस्टिस काटजू साहिब को संबोधित करते हुए लिखा गया है.यों तो, इनका यह स्तंभ काफी लंबा है. फिर इसमें इनके ही लिखे हुए कुछ विचार आप पाठकों के विचार-मनन के लिए यहाँ पर प्रस्तुत कर रहे हैं - 'आज प्रेस भी वैसा नहीं रहा, जैसा कि आजादी की लड़ाई में था. नेताओं, अधिकारीयों की तरह वह भी जनता से दूर हो गया. भू-माफिया, शराब माफिया की तरह प्रेस भी विज्ञापनदाता को ब्लैकमेल करने लग गया. टीवी चैनलों ने इस मामले में कई दिग्गजों की हालत बिगाड़ रखी है. लगभग सभी प्रदेशों के मुख्य मंत्री इनके दबाव की झांकी प्रस्तुत करने की स्थिति में होंगे.' ----- 'श्रीमान, परिषद को प्रेस के मालिकों की संपत्ति की भी जाँच करवानी चाहिए. वहाँ भी बेनामी संपत्तियों का अम्बार मिलेगा. यही नहीं, आधे से ज्यादा तो प्रेस वाले ही बेनामी / झूठे साबित हो जायेंगे, जो नेताओं की कृपा से सरकारी विज्ञापन बटोरकर ब्लैकमेलिंग करते रहते हैं.' ----- 'आपको काँटों के बीच जीना है, गुलाब की तरह. प्रेस को प्रेरित करके जनहित से जोड़ना है. अकेला मीडिया लोकतंत्र को स्वस्थ रख सकता है. देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कर सकता है. आज देश में, हर शहर में एक ही क्लब फैला हुआ है - प्रेस क्लब. जहां कोई भी सदस्य अपने परिवार के साथ जाकर गौरवांवित नहीं होता.' ----- 'संविधान केवल जनहित के पक्षकार को ही प्रेस मानता है. न तो व्यापारियों को, न ही दलों के पक्षकारों को.इश्वर आपको शक्ति दे कि देश में लोकतंत्र की पुन: प्रतिष्ठा के लिए आपकी आहुतियाँ सिद्ध हो सकें.' तो, सम्मानीय पाठकजनों, यह है श्री गुलाब कोठारी जी के प्रकाशित हुए इस 'चोथा स्तंभ!' की कुछ प्रमुख झलकियाँ.
आखिर में, अब आप पाठकजनों को ही तय करना है कि - गुलाब जी की 'कहनी ओर करनी' में कितना अंतर है. संभव है कि - गुलाब जी भाई, सीधे ही या अन्य किसी के भी माध्यम से अब हम पर किसी भी तरह से क़ानूनी कार्यवाही कर दे / करवा दे. या फिर, 'हम ऐरे-गेरे के मुंह नहीं लगते है' - कहकर चुप हो जाएँ, यह सब स्थिति तो अब आने वाला समय ही दिखायेगा. खैर, अब जो भी होगा, देखा जायेगा. जब ओखली में सिर दे ही दिया है, तो मुसल से क्या डरना. या तो सिर तोड़ देगा या खुद टूट जायेगा. वैसे यह एक कहावत भी है, जिसे हम सभी जानते व् समझते भी है कि - जिनके खुद के घर शीशे के हों, उनको दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेक्नें चाहिए. ऐसे में, अब गुलाब जी भाई को ही तय करना है कि - 'राजस्थान पत्रिका' को क्या समझें - नैतिकतावादी या अ-नैतिकतावादी ?
जय हिंद. - जय जन-गण."

ऐसे में, पहले कि ही भांति, आज भी हमारा यही सवाल है और जो इस आलेख का 'शीर्षक' भी है कि - एक  खास सवाल :: राजस्थान पत्रिका को क्या समझें - विज्ञापन पत्रिका-लुटेरों का सहयोगी और झूंठे समाचारों का पुलिन्दा ? क्या  इस ओर भी ध्यान देंगे - पीसीआई चेयरमेन न्यायमूर्ति काटजू ? 

- जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, प्रकाशक ओर संपादक, पाक्षिक समाचार सफर, सत्ती चबूतरे की गली, मकबरा बाज़ार, कोटा - ३२४००६ (राज.) ; मोब. ०९८८७२-३२७८६" ( २३  अप्रैल २०१२ )

कोटा में हाईकोर्ट बैंच जरूरी- इज्यराज सिंह

 

'सरकार आंदोलन को भटकाना चाहती है, अब होंगे दो-दो हाथ'
कोटा में हाईकोर्ट बैंच जरूरी- इज्यराज सिंह

हाईकोर्ट बैंच एवं रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन का शहर के लगभग सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने समर्थन किया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ वकीलों का आंदोलन नहीं है, बल्कि जनता का आंदोलन है। सरकार इस आंदोलन को भटकाना चाह रही है, हमें ऐसा नहीं होने देना है। सरकार से अब दो हाथ करने का समय आ गया है। उक्त विचार गुरुवार को अभिभाषक परिषद एवं हाईकोर्ट बैंच स्थापना संघर्ष समिति की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में व्यक्त किए गए।
समिति के संयोजक मनोज पुरी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक रखी गई, जिसमें विश्व हिन्दू परिषद, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, धाकड़ विकास समिति, थर्मल पावर कर्मचारी सहकारी समिति, विकल्प जन सांस्कृतिक मंच, श्री महर्षि दाधीच छात्रावास समिति, प्रेस क्लब, शिवसेना, भाजपा, भाजपा किसान मोर्चा सहित 100 से अधिक संगठनों के प्रतिनिधि व पदाधिकारियों ने भाग लिया। हर वर्ग के प्रतिनिधियों की ओर से इस मांग को लेकर समर्थन पत्र भरे गए। बैठक में मंत्री शांति धारीवाल की कार्यप्रणाली पर अंगुली उठाई गई।
कोटा संभाग के लोगों को सस्ता, सुलभ व शीघ्र न्याय दिलाने के लिए हाईकोर्ट बैंच खोला जाना जरूरी है। इसके पक्ष में सांसद इज्यराज सिंह सहित अन्य कई कांग्रेसी हैं। सांसद सिंह इस मामले में केन्द्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भेंटकर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कानून मंत्री के समक्ष कोटा का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा। सांसद सिंह ने भास्कर को बताया कि कोटा में हाईकोर्ट बैंच खोली जानी चाहिए। इस बारे में पूर्व में केन्द्रीय कानून मंत्री मोइली से भेंट की गई थी। उन्हें कोटा का पक्ष बताया गया था। उस समय उन्होंने देशभर में हाईकोर्ट बैंच की जरूरत का पता लगाने के लिए कमीशन के कार्य करने की बात कही थी। लेकिन, अब नए केन्द्रीय कानून मंत्री से भी भेंट की जाएगी। साथ ही रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच शीघ्र शुरू करने के बारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया जाएगा। महापौर डॉ. रत्ना जैन ने कहा कि कोटा में हाईकोर्ट बैंच खुलनी चाहिए, इससे जनता को फायदा होगा। लेकिन, आंदोलन का जो तरीका है वो गलत है। उन्होंने कहा कि सरकार भी चाहती है कि हाईकोर्ट बैंच खुले, इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया पूरी करनी होती है। वहीं पीसीसी महासचिव पंकज मेहता ने भी हाईकोर्ट बैंच के पक्ष में बोलते हुए कहा कि वे रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच के लिए भी मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे।

झूठे केस की दाधीच समाज ने की निंदा

श्री महर्षि दधीचि छात्रावास समिति के महामंत्री चंद्रप्रकाश दाधीच सहित अन्य पदाधिकारियों ने अनिल दाधीच एडवोकेट को झूठे केस में फंसाए की कटु शब्दों में निंदा की है। उन्होंने बताया कि पिछले 12 मार्च को दाधीच युवा अध्यक्ष अनिल दाधीच अपने कार्य से भतीजी के ससुराल कोलाड़ा तहसील बौली जिला सवाई माधोपुर गए हुए थे। उन्होंने बताया कि हेमचंद पवार द्वारा धारा 3 के तहत नयापुरा थाने में दर्ज केस की समाज निंदा करता है। अखिल भारतीय युवा गोस्वामी सभा के जिलाध्यक्ष अन्नु गोस्वामी ने वकीलों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया है। अमीन पठान ने भी समर्थन किया है।

आईजी को दिया ज्ञापन

अभिभाषक परिषद की ओर से ग्रामीण जिला एसपी डॉ. विकास पाठक ज्ञापन देकर छह वकीलों के खिलाफ धारा 3 के तहत दर्ज एफआईआर को निरस्त करवाने की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल में महासचिव हेमेंद्र सिंह आसावत, रवि विजय, अजय नंदवाना, नवीन शर्मा, दिनेश कुमार रावल, अशोक चौधरी सहित अन्य वकील शामिल थे।

ये कहा प्रतिनिधियों ने

॥हाईकोर्ट बैंच की मांग को लेकर वकीलों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। इस आंदोलन का कोटा व्यापार महासंघ समर्थन करता है। यह व्यापारियों एवं हर तबके की मांग है।'

-अशोक माहेश्वरी, महासचिव, कोटा व्यापार महासंघ

॥कोटा में हाईकोर्ट बैंच होना चाहिए है। इससे हाड़ौती संभग के लोगों को फायदा होगा। मांग पर सरकार से वार्ता की जाएगी।'

-मदन महाराजा, पूर्व विधायक, कांग्रेस नेता

॥वकीलों की मांग पूरी तरह से जायज है। हाईकोर्ट बैंच कोटा में आनी चाहिए। ऐसी प्रार्थना ईश्वर से करते हैं। इस आंदोलन में संत समुदाय साथ है।'

- प्रेमनाथ महाराज, गौरख नाथ मंदिर, रानपुर

॥जनता वकीलों के साथ है। आंदोलन शांतिपूर्वक होना चाहिए। हिंसक आंदोलन नहीं होना चाहिए। वकीलों के आंदोलन को पूरा समर्थन है।'

-प्रहलाद सिंह चड्ढा,सिख समाज

॥सरकार के इशारे पर नगर निगम के सफाई कर्मचारी प्रदर्शन में लाए गए थे। इन्हें षडय़ंत्र के तहत बुलाया गया। हम वकीलों का सम्मान करते हैं।'

-डॉ. जी. विश्नार

॥हम पहले भी वकीलों के आंदोलन में जुड़े रहे हैं और आज भी जुड़े हुए हैं। यह आम आदमी का मुद्दा है। सरकार गंभीर नहीं है।'

-प्रहलाद गुंजल, पूर्व विधायक,

॥यह वकीलों की मांग नहीं है, अपितु जनता की मांग है। यह हाड़ौती की जनता का मामला है।'

- मदन दिलावर, पूर्व मंत्री

किन खास अंगों की मजबूती बढ़ाती है ताकत व उम्र? जानिए गीता का रहस्य




तकरीबन हर इंसान किसी भी तरह से अपनी या अपनों की ताकत और उम्र बढ़ाने की चाहत रखता है। हर इंसान शक्ति बटोरने या लंबी आयु के लिए अलग-अलग तरीके या सोच भी अपनाता है। वहीं, शास्त्रों के मुताबिक हर इंसान को बलवान बनाने के लिए 2 बातों की अहम भूमिका होती है। ये बातें हैं - बुद्धि और ज्ञान। किंतु क्या कभी आपने विचार किया है कि अच्छा-बुरा, लाभ-हानि या सही-गलत के बीच फर्क करना आसान बनाने वाली भरपूर बुद्धि और विद्या के लिए शारीरिक तौर पर किन खास अंगों की मजबूती और सेहत का ध्यान भी बेहद जरूरी है। 
 
हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता की कुछ खास बातें ताकतवर बनने व उम्र बढ़ाने के कुछ ऐसे ही रहस्य उजागर करती है। इन बातों से अनजान इंसान कितना ही साधन संपन्न हो लक्ष्य को पाने में मात खा सकता है। अगली तस्वीर पर क्लिक कर जानिए क्या हैं गीता के ये खास सबक, जो शरीर के साथ मन को मजबूत बनाकर लंबे जीवन का सुख दे सकते हैं- 

किन खास अंगों की मजबूती बढ़ाती है ताकत व उम्र? जानिए गीता का रहस्य


दरअसल, मानवीय स्वभाव से जुड़ी बुराइयों में से एक ऐसी भी बुराई है, जिससे बुद्धिमान और नासमझ के बीच का फर्क खत्म हो जाता है? यह दोष है - इंद्रिय असंयम। जी हां, अज्ञानतावश इंद्रियों जैसे रस, रूप, गंध, स्पर्श, श्रवण करने वाले अंगो और कर्मेन्द्रियों यानी काम करने वाले अंगों पर संयम न रख पाना इतना अचंभित नहीं करता, किंतु ज्ञानी होने पर भी इन इंद्रियों को वश में न कर पाना बुद्धिदोष माना जाता है, जो किसी इंसान को अज्ञानी, अल्पायु व कमजोर लोगों की कतार में शामिल करने वाला होता है। 
 
हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भवतगीता व अन्य धर्मशास्त्रों में भी इस बात की ओर इशारा   कर सावधान रहने के लिए कुछ बातें उजागर हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि- 
 
यततो ह्यपि कौन्तेय पुरषस्य विपश्र्चित:।
इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मन:।। 
 
जिसका सरल शब्दों में संदेश यही है कि अस्थिर या चंचल स्वभाव वाली इन्द्रियां परिश्रमी व बुद्धिमान इंसान का मन भी बलपूर्वक डांवाडोल कर देती है। 
 
गीता का यह रहस्य शास्त्रों में लिखी इस बात को बल देता है कि -
 
बलवानिन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। 
 
इसमें सबक है कि इन्द्रियों पर बहुत ही काबू रखें। क्योंकि शक्तिशाली इंद्रियों के आगे ज्ञानी व्यक्ति भी पस्त हो सकता है। 
 
गीता की इस बात का मतलब यह कतई नहीं है कि इंसानी जीवन में संयम या अनुशासन व्यर्थ है। बल्कि यही सचेत करना है कि हर इंसान में यह कमजोरी होती है। इसे दूर करने के लिए ही हमेशा अच्छे खान-पान, माहौल, विचारों, दृश्यों व बोलों को व्यावहारिक जीवन में अपनाएं। इनसे हर व्यक्ति खुद को हर स्थिति का सामना करने के लिए संयमी और ताकतवर बना सकता है। 
 

तेल की धार से बदलेगी तकदीर, 3,33,820 को मिलेगा रोजगार


 

जयपुर.राजस्थान में लगने जा रही रिफाइनरी प्रदेश के आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगी। प्रदेश पर धन की बरसात होगी। रिफाइनरी को लेकर एचपीसीएल और राज्य सरकार के सामने नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाईड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की गोपनीय रिपोर्ट पेश की गई है। रिफाइनरी से राज्य को हर साल 2500 करोड़ रुपए का टेक्स रेवेन्यू मिलेगा। उस समय तक कच्चे तेल से 12500 करोड़ रुपए रॉयल्टी के रूप में मिल रहे होंगे। यानी हर साल प्रदेश को 15000 करोड़ रुपए कच्चे तेल और रिफाइनरी से मिलेंगे।
 
भास्कर को इस रिपोर्ट के कुछ हिस्से हाथ लगे हैं। अगर इन पर भरोसा करें तो रिफाइनरी के निर्माण के दौरान  हर साल लगभग 11,978 करोड़ रुपए लगेंगे। इससे प्रदेश की विकास दर में 4% की रफ्तार आएगी। जब प्रोडक्शन फेज शुरू होगा तो रोजगार बेतहाशा बढें़गे। कॉम्पलेक्स को भी जोड़ लें, तो कुल चार लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। आसपास के इलाकों और प्रदेश के बाकी हिस्सों में व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी। रोजगार के मामले में कॉम्पलेक्स का कंट्रीब्यूशन 10% होगा। यह परियोजना प्रदेश के आर्थिक विकास के योगदान में मील का पत्थर बनेगी। 
 
एनसीईआर की रिपोर्ट प्रदेश के विकास और रोजगार के मामले में इतनी उम्मीदें जगाती है कि राज्य सरकार के अधिकारी खुद आश्चर्यचकित हैं। 
 
भास्कर ने रिपोर्ट मिलने के बाद जब मुख्य सचिव सीके मैथ्यू, प्रमुख वित्त सचिव डॉ. गोविंद शर्मा और पेट्रोलियम सेकेट्ररी सुधांश पंत से इन संभावनाओं के बारे में जानना चाहा तो सभी ने कहा कि रिपोर्ट में दशाई गई उम्मीदें वाकई उत्साहजनक हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि शुरू में बताया जा रहा था कि रिफाइनरी वायबल नहीं है, लेकिन जब इन उम्मीदों को तथ्यों की रोशनी में देखा तो उन्होंने तय कर लिया था कि रिफाइनरी तो लेकर ही रहेंगे। यूपीए चेयरपर्सन और प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह तक के सामने यह तथ्य रखे गए।
 
देश में सबसे ऊपर होगा राजस्थान  
 
एनसीएईआर की रिपोर्ट कहती है कि राजस्थान का बाड़मेर जिला अभी विकास के मानदंडों पर देश में नीचे से छठे स्थान पर है, लेकिन रिफाइनरी न केवल इस जिले को देश में सबसे ऊपर ले जाएगी, बल्कि आर्थिक विकास की दौड़ में विकसित राज्यों को पीछे छोड़ देगी। अभी पश्चिमी राजस्थान के लोग देश भर में रोजगार की तलाश में मारे-मारे फिर रहे थे, लेकिन अब पूरी दुनिया से विशेषज्ञ और सामान्यत: देश भर से लोग रोजगार के लिए पश्चिम राजस्थान में आएंगे। रिपोर्ट के अनुसार कंस्ट्रक्शन के दौरान 93,500 लोगों को सीधे और परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।  
 
 
ऐसे मिलेगा रोजगार कंस्ट्रक्शन फेज के दौरान पहले साल नौकरियां- 46,071
 
दूसरे साल में-65,510
 
तीसरे साल में- 93,482
 
चौथे साल में- 89,566
 
रिफाइनरी बनने के बाद सह उद्योगों को मिलाकर इतनी नौकरियां-3,33,820
 
टैक्स के रूप में सरकार को पहले साल मिलेंगे- रु. 2243.12 करोड़
 
कॉम्प्लेक्स से क्या मिलेगा?  प्रत्यक्ष, परोक्ष और मिलेजुले तौर पर रोजगार और समृद्धि का बड़ा जरिया बनेगा। मशीनरी, कंस्ट्रक्शन मैटिरियल और सेवा क्षेत्र में रोजगार खुलेंगे।  
 
 
कैसे?
  
पेट्रोलियम सेक्टर, इकॉनोमिक सेक्टर, रेजिडेंशल सेक्टर, इंडस्ट्रियल सेक्टर, ट्रांस्पोर्टेशन, कमर्शियल एक्टिविटीज, सर्विस सेक्टर, एनर्जी आदि में ढेरों काम होंगे। पेट्रो कॉम्पलेक्स लगने के बाद राज्य के औद्योगिकीकरण का नया दौर शुरू होगा। डाउन स्ट्रीम पेट्रो कैमिकल सेक्टर में इन्वेस्टमेंट आएगा।  
 
 
और क्या कहती है रिपोर्ट?  
 
रिफाइनरी का मल्टीपल इफेक्ट होगा। यह प्रदेश के औद्योगिकीकरण का गोल्डन फेज होगा। एसजीडीपी में 86000 करोड़ रुपए का वैल्यू एड होगा। इससे प्रदेश की आर्थिक विकास की रफ्तार तेज होगी। हर जगह ट्रक और ट्रेक्टर काम करते नजर आएंगे। बिजली, पानी और सड़कों संबंधी बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी।
 
पोटाश में होगा राजस्थान का एकाधिकार : गहलोत
 
राजस्थान में पोटाश मिलने की भारी संभावनाएं हैं। इसकी खोज का काम जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में पोटाश तलाशा गया तो आने वाले समय में राजस्थान का एकाधिकार रहेगा। फिलहाल आयातित पोटाश से खाद तैयार हो रहा है। 
 
राज्य में इस तरह की खनिज संपदा से हर कोई वाकिफ है। यदि वैज्ञानिक तरीके से दोहन हुआ तो प्रदेश को खूब लाभ मिलेगा। उल्लेखनीय है कि रिफाइनरी के बाद अगर पोटाश में राजस्थान को सफलता मिलती है तो पैट्रो कैमिकल के बाद केमिकल फर्टिलाइजर उद्योग में भी राजस्थान अग्रणी रहेगा। अभी देश में पोटाश की मांग आयात के जरिए ही पूरी हो रही है।
 
ये हैं दुनिया की टॉप 5 रिफाइनरीज
 
1. जामनगर (गुजरात) : जामनगर स्पेशल इकोनॉमिक जोन का रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी है। यह निजी क्षेत्र की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमि. की रिफाइनरी है। 
 
क्षमता- 6.2 करोड़ टन सालाना  बैरल प्रतिदिन - 12.40 लाख
 
2. पेरागुआना रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स (वेनेजुएला)
 
यह तीन रिफाइनरीज का कॉम्प्लेक्स है। यहां वेनेजुएला का 71 फीसदी क्रूड प्रोसेस होता है। क्षमता- सार्वजनिक नहीं  बैरल प्रतिदिन - 9.40 लाख
 
3. एस के एनर्जी युलसान रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स (दक्षिण कोरिया)
 
यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है। यह एस के एनर्जी कंपनी का एक वेंचर है।  क्षमता- 4.02 करोड़ टन सालाना बैरल प्रतिदिन - 8.50 लाख
 
4. जीएस- केलटैक्स योसू रिफाइनरी (दक्षिण कोरिया)
 
यह एशिया की तीसरी बड़ी रिफाइनरी है। यहां दुनिया का सबसे बड़ी वेक्यूम डिस्टिलेशन यूनिट है। यह दो कंपनियों का जॉइन्ट वेंचर है। 
 
क्षमता- 4 करोड़ टन प्रतिवर्ष  बैरल प्रतिदिन- 7.30 लाख
 
5. एस ऑयल युलसान रिफाइनरी (दक्षिण कोरिया)
 
यह दक्षिण कोरिया की तीसरी बड़ी रिफाइनरी है। यह 2011 में बनकर तैयार हुई। क्षमता- 3.35 करोड़ टन प्रतिदिन बैरल प्रतिदिन - 6.69 लाख
 
राजस्थान में ये स्टडीज बनी रिफाइनरी का आधार
 
> यूओपी ने कॉन्फिग्रेशन और डिजाइन पर स्टडी की 
 
> फिजिब्लिटी स्टडी इंजीनियर्स इंडिया लि. ने की 
 
> एसबीआई कैप्स ने फाइनेंशल एनेलिसिस किया 
 
> एनसीएईआर ने प्रदेश में आर्थिक प्रभावों का अध्ययन किया।  
 
> नेशनल एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनईईआरआई) ने प्रदेश में एन्वायर्नमेंटल इंपैक्ट का एसेसमेंट किया।  
 
ये हैं हमारी रिफाइनरी की विशेषताएं
 
> रिफाइनरी कम पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेक्स 
 
> कैपेसिटी : 9 एमएमटीपीए 
 
> 50% राजस्थान क्रूड और 50% अरब मिक्स क्रूड के लिए डिजाइन की गई है।  
 
> कुछ बदलावों से इसमें राजस्थान का 100% क्रूड रिफाइन किया जा सकता है।  
 
> 37,230 करोड़ रुपए आएगी रिफाइनरी की लागत
 
ये उद्योग आएंगे
 
आइए समझें कि राजस्थान की औद्योगिक रफ्तार और संस्कृति कैसे बदलेगी :
 
क्रूड : रिफाइनरी से पेट्रोकैमिकल प्रोडक्ट्स : पॉलीप्रोपेलीन, बूटाडीन, पॉलिएथीलीन, बेंजीन/टोलुईन/जिलीन (बीटीएक्स)।
 
और इनका ये उपयोग 
 
पॉलीप्रोपेलीन : पाइप्स, ऑटो ग्रिल्स, इंडोर्स-आउटडोर कार्पेट्स, मैटिंग्स। 
 
 
बूटाडीन: टायर, अढेंसिव्ज, होजेज, गैसकेट्स, ऑटोमोटिव पार्ट्स, शू-सोल्स।
 
पॉलिएथीलीन : बकेट्स, पाइप्स, बॉटल्स, फिल्म्स।
 
बेंजीन/टोलुईन/जिलीन (बीटीएक्स): इनसुलेशन, फुटबॉल, प्रोटेक्टिव कोटिंग्स, पेस्टिसाइड्स, टीवी पार्ट्स, फोम।
 
पर्यावरण का भी रहेगा खयाल 
 
जीरो इफ्लुएंट ऑफ डिस्चार्ज, इको फ्रेंडली टेक्नालॉजी, एमिशन कंट्रोल सिस्टम, ऑन लाइन एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम, ग्रीन बेल्ट का विकास।
 
 
ये सब हो चुका 
 
25 एमजीडी पानी सेंक्शन हो गया 
 
3550 एकड़ जमीन का अधिग्रहण शुरू हो गया।

शर्मसार हुआ लोकतंत्र: 15 कांग्रेसी विधायकों पर मारपीट का मामला दर्ज

चंडीगढ़. पंजाब विधानसभा परिसर में बुधवार को पुलिस कर्मचारी के साथ मारपीट के मामले में 15 कांग्रेसी विधायकों के खिलाफ केस दर्ज हो गया है। एफआईआर में सात विधायक नामजद हैं। जल्द ही आरोपी विधायकों को गिरफ्तार किया जा सकता है।
इससे पहले पंजाब पुलिस के आईजी आरपी उपाध्याय व चंडीगढ़ के कार्यकारी एसएसपी आरएस घुम्मन ने स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल के साथ बैठक की। इसके बाद हवलदार जयपाल की शिकायत पर एक्सटॉर्शन और ड्यूटी में बाधा डालने की धारा 147/149/332/186/353 और 384 के तहत केस दर्ज कर लिया गया।
यह है मामला
कांग्रेसी विधायक तरनतारन में पुलिस की मारपीट की शिकार हुई युवती को बुधवार को कांग्रेस लेजिसलेटिव ऑफिस लेकर आए थे। उसे एंट्री पास नहीं मिल पाया था। इस दौरान हवलदार जयपाल कांग्रेस के दफ्तर गया। गुस्साए कांग्रेस विधायकों ने उसके साथ मारपीट की।
एफआईआर में इनके नाम
चंडीगढ़ पुलिस ने जगमोहन सिंह कंग, कुलजीत नागरा, राणा गुरजीत, सुखविंदर रंधावा, गुरकीरत सिंह, बलबीर सिद्धू और साधू सिंह धर्मसोत को नामजद किया है। अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। बुधवार रात को चंडीगढ़ पुलिस सियासी दबाव के कारण केस दर्ज नहीं कर पाई थी।
कांग्रेस ने भी दी शिकायत
कांग्रेस लेजिसलेटिव ऑफिस सेक्रेटरी एसी कौशिक ने भी आईजी आरपी उपाध्याय को शिकायत दी है। इसमें कहा गया है कि उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल और विधानसभा के स्पीकर चरनजीत सिंह अटवाल के इशारे पर एसपी सुखवंत सिंह गिल और अन्य पुलिसकर्मियों को पार्टी ऑफिस में जबरन भेजा गया।

आठ साल की मासूम के साथ दुष्कर्म कर की थी हत्या, नौ दिन में मिली फांसी

भोपाल। राजधानी के बहुचर्चित काजल हत्याकांड में अदालत ने दोषी नंदकिशोर को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने यह फैसला महज 9 दिन की सुनवाई पूरी कर सुनाया है। सत्र न्यायाधीश सुषमा खोसला की अदालत में गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे नंदकिशोर को पेश किया गया।
 
न्यायाधीश ने आरोपी को कठघरे से बाहर निकलवाकर बताया कि उसे काजल के अपहरण, ज्यादती और हत्या के मामले में दोषी माना गया है। अदालत में 61 पेज के फैसले में सभी गवाहों के बयान व सबूतों का सिलसिलेवार जिक्र किया गया।
 
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील राजेंद्र गिरी ने कहा कि आरोपी को जघन्य अपराध के लिए फांसी दी जानी चाहिए। वहीं, बचाव पक्ष ने दलील दी कि आरोपी का पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए उसे फांसी न दी जाए। 
 
अदालत के फैसले के अंश 
 
अदालत ने फैसले में लिखा कि जिस प्रकार से क्रूरतापूर्वक अबोध बालिका का अपहरण कर उसके साथ ज्यादती और फिर निर्मम हत्या की गई है, इसको ध्यान में रखते हुए नंदकिशोर को नाबालिग के अपहरण में दस साल के सश्रम कारावास और पांच सौ रुपए जुर्माना, ज्यादती में आजीवन कारावास और हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई जाती है।

कुरान का सन्देश

आंख फोडऩे वाली बिहार पुलिस ने कैदी के प्राइवेट पार्ट में डाला पेट्रोल



 

 
पटना/भागलपुर। भागलपुर में कैदियों के आंख फोडऩे वाली पुलिस ने फिर एक कारनामा किया है। इस बार उसने हत्या के एक आरोपी के प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डाल दिया। जबकि दूसरे कैदी को इतना पीटा गया कि उसके पांव की हड्डी टूट गयी। स्थानीय अदालत ने कहने पर जिन दो डॉक्टरों ने आरोपी कैदियों की इन्जुरी रिपोर्ट बनायी थी, पुलिस उनके ही पीछे हाथ धोकर पड़ गयी है। दोनों डॉक्टरों पर मुकदमा कर दिया गया है।
 
अदालत ने भागलपुर के कोतवाली इंस्पेक्टर कुमोद कुमार, तातारपुर थाना प्रभारी संजय विश्वास और आदमपुर के थाना प्रभारी संतोष शर्मा के खिलाफ जमानीय वारंट जारी किया है। मामले की अगली सुनवायी नौ अप्रैल को होनी है। पुलिस बर्बरता की यह कहानी काफी दिनों तक दबी रही।
 
इस मामले में आरोपी कैदी की इन्जुरी रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर सत्येंद्र कुमार की कहानी बिहार में पुलिस के बर्बरता की कहानी है। डॉ कुमार ने भागलपुर के आइएमए को एक पत्र लिखा है। उसमें उन्होंने कहा है कि पिछले साल नौ सितंबर को एक कैदी मीनू को मारपीट कर लाया गया था। पत्र के अनुसार सीजेएम ने इस मामले के संबंध में इन्जुरी रिपोर्ट तलब की। 13 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट भेज दी गयी। उस रिपोर्ट में कैदी के शरीर पर हुए इन्जुरी का जिक्र था।
 
डॉ कुमार ने लिखा है कि इस रिपोर्ट से खफा होकर जेल प्रशासन व जिला प्रशासन ने दूसरी रिपोर्ट तैयार करने का दबाव डाला। मेरे इंकार के बाद मुझे धमकियां दी जा रही हैं और मुकदमा लादने की साजिश की जा रही है। डॉ कुमार भागलपुर के केंद्रीय कारा में अनुबंध पर नियुक्त हैं। जब dainikbhaskar.com ने उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो बताया कि वे शहर से बाहर हैं और दो-तीन दिनों के बाद लौटेंगे।
 
भागलपुर में एक फल विक्रेता विश्वनाथ गुप्ता की हत्या के मामले में पुलिस ने आरोपी सद्दाम के बयान के आधार पर मीनू को पकड़ा। पुलिस ने मीनू के साथ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। बाद में मीनू ने इस साल पांच मार्च को सीजेएम की अदालत में तीनों पुलिसवालों पर गंभीर आरोप लगाये। एक लाख रुपये की रंगदारी मांगी उसमें से 50 हजार का भुगतान भी किया गया था। अदालत ने तीनों पुलिसवालों  के खिलाफ जमानीय वारंट जारी कर दिया है।
 
 
ये भी रहे पुलिस के कारनामे
 
मालूम हो कि हाल ही में शेखपुरा पुलिस ने एक शराब के कारोबारी के प्राइवेट पार्ट में डंडा डाल दिया था। उस मामले ने जब तूल पकड़ा तो एसपी बाबूराम को वहां से हटा दिया गया था। जख्मी छोटू का आंत पुलिस की इस हरकत से जख्मी हो गया था। पांच मार्च को पटना में नियोजित शिक्षकों पर पुलिस लाठी चार्ज की घटना को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए डीजीपी औ एसएसपी से जवाब-तलब किया है।
Minakshi Pant
कभी जहां 
 कभी दिल 
, कभी नज़र में रहो |
ये घर तुम्हारा ही तो है 
किसी भी घर में रहो |

ये खून के रिश्ते

ये खून के रिश्ते दिल के दरमियां आते तो होंगे॥
मुंडेर पे छत की बैठ कबूतर गाते तो होंगे..
वो ब्याह कराना गुड्डे का,वो हाथ रचाना गुड़िया का
चोर बन आंगन के कोने छुप-छुप जाना मुनिया का
मुंह चिढ़ाकर नन्हे को सिर खुजलाना मुनिया का

गुस्से में नन्हे का आना,झोटा हिलाना मुनिया का
बच्चे, तेरे जहन में बैठे, ऱुठते मनाते तो होंगें...

यह बंधन यह एतराजात

यह बंधन
यह एतराजात
यह लुका छिपी का खेल
यह रूठना
यह मनाना
यह नाराजगी का खेल
एक मिलन की आस
एक प्यार की प्यास
यह डर
यह खोफ का माहोल
खुदा या
अब तो जिंदगी दे दे
अब तो साँसे दे दे
अब तो मिला दे
मुझे मेरे प्यार से
अब तो बता दे
के हाँ
खुदा होता है
खुदा होता है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

छलावा दबे पांव आता है

अंजू शर्मा
छलावा दबे पांव आता है
विश्वास का मुखौटा लगाये
और संवेदनाओं की कब्र के
ठीक ऊपर
हर उम्र की मादा
बदल जाती है
एक सनसनीखेज सुर्खी में,.....

कोटा जिले के शहर काजी अलहाज अनवार अहमद की तबियत खराब

दोस्तों राजस्थान में कोटा जिले के शहर काजी अलहाज अनवार अहमद की तबियत खराब है उन्हें चिक्तिसकों ने आराम की सलाह दी है ....राजस्थान में ही नहीं पुरे देश में एक मात्र काबिल शख्सियत जिसने बिना लोभ लालच के दुनियावी तालीम के साथ साथ दिनी तालीम भी हांसिल की और स्टेट टाइम से ही एक राजपत्र के माध्यम से कोटा शहर काजी का कार्यभार कर निर्विवाद तरीके से लोगों की खिदमत में जुटे है इनकी इंसानियत और अखलाक ही एक वजह है जो आज इनका नाम समाज के सभी तबकों में निर्विवाद तरीके से सर्वधर्म समभाव के समर्थकों के रूप में लिया जाता है ......कोटा हो चाहे राजस्थान हो सभी जगह के प्रशासनिक अधिकारी या फिर सियासी लोग इनकी बात को मोल रखते है और कोटा के लोग इनकी तहे दिल से इज्जत करते है ..कोटा के आम मुसलमानों के सुख दुःख के साथी और कई घटनाओं के साक्षी शहर काजी अनवर अहमद के पैर में दर्द है और नसों की बीमारी होने से डॉक्टरों ने इन्हें सो फीसदी आराम की सलाह दी है ...शहर काजी आराम की इस सलाह से चिंतित है क्योंकि करीब 84 साल की जिंदगी में उन्होंने कोम की खिदमत और खुदा की इबादत की है ऐसे में जिसके लियें आराम हराम हो उसे आराम की सलाह मिले तो तकलीफ होती है ..रोज़ मर्रा सेकड़ों बेवाओं को वजीफे देना ...बीमारों को मुफ्त दवा देना ....यतीमों को पेंशन और निकाह के मामले में प्रमाणपत्र देने और लोगों के झगड़े वगेरा समझायश से खत्म करना उनकी परेशानियों के लियें प्रशासन और सियासी लोगों से जूझने में सुबह से कब शाम हो जाती है पता ही नहीं चलता ..खुदा से सभी दुआ करे के इस्लाम की राह पर चलते मानवता और मानव सेवा के साथ साथ खुदा की इबादत और खुदा के बन्दों की खिदमत में अपनी जिंदगी और बेशकीमती वक्त हवन करने वाले इंसानों के रूप में जन्मे इस फरिश्ते को खुदा जल्दी सह्त्याब करे ..तंदरुस्त करे और इनका साया हमारे सर पर हमेशा कायम रखे आमीन ..सुम्मा आमीन ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

"बेचैन से शब्दों में

"बेचैन से शब्दों में बेबस सी शिकायत है,
संवेदना में उनकी शातिर सी किफायत है
मुलजिम का मुकद्दर वह क़ानून से पढता है
हर जुल्म की जहां उसमें रियायत ही रियायत है
यह दौर ही ऐसा है, यहाँ ऐसी रवायत है
बदकार को ही मिलती हाकिम की हिमायत है
जजवात का जोखिम नहीं जेबों के बजन देखो
इन्साफ की इमारत में बिकती तो इनायत है ."
----राजीव चतुर्वेदी

"शहनाईयाँ क्यों सो गयीं इस रात को

"शहनाईयाँ क्यों सो गयीं इस रात को
मर्सीये मर्जी से क्यों गाने लगे,
राजपथ के रास्ते क्यों रुक गए
जनपथों पर लोग क्यों जाने लगे
इस शहर में लोग तो भयभीत थे
फिर अचानक भूख क्यों गुनगुनाने लगे
मैंने तो पूछा था अपने वोटों का हिसाब
वो नोटों का हिसाब क्यों बतलाने लगे
घर का चौका चीखता है खौफ से, खाली कनस्तर कांखता है
हमारी कंगाली का हिसाब शब्दों की जुगाली से संसद में वो बतलाने लगे
राजपथ के रास्ते क्यों रुक गए
जनपथों पर लोग क्यों जाने लगे
इस शहर में लोग तो भयभीत थे
फिर अचानक भूख क्यों गुनगुनाने लगे." -----राजीव चतुर्वेदी

वो हवा कि, है सिर्फ़ खुश्बू,

Ravi Singhania
वो हवा कि, है सिर्फ़ खुश्बू,
साया कि अक्स मेरे वज़ूद का,
यदि वो दोस्त है तो दिखना ज़रूरी नहीं,
एक एहसास है जो दिल में पलता है....

हाथों की लकीरों से परे रहता है
मेरे नसीब में होकर भी दूर रहता है
एक ख्वाब है वो अक्सर मुझे छू लेता है
एक एहसास है जो दिल में पलता है...!!!

आयोजित प्रधामंत्री पन्द्राह सूत्रीय अल्पसंख्यक कार्यक्रम की बैठक में जिला कलेक्टर राकेश जायसवाल ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लेकर कोटा के अल्पसंख्यकों के विकास में आ रही अडचनों को दूर किया है ......

कोटा कलेक्ट्रेट स्थित टेगोर होल में आज आयोजित प्रधामंत्री पन्द्राह सूत्रीय अल्पसंख्यक कार्यक्रम की बैठक में जिला कलेक्टर राकेश जायसवाल ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लेकर कोटा के अल्पसंख्यकों के विकास में आ रही अडचनों को दूर किया है ......आज आयोजित पन्द्राह सूत्रीय कल्याण कार्यक्रम की बैठक में जब मेने[अख्तर खान अकेला ] ने  एक सदस्य के नाते अल्पसंख्यकों को लोन देने में बेंकों की  आना कानी ....रोज़गार ऋण मामलों में लापरवाही ....वफ़ सम्पत्तियों के कुप्रबंध सहित कई मामले उठाये तो कलेक्टर राकेश जायसवाल ने गम्भीरता से लेते हुए इनके तुरंत निदान के निर्देश दिए साथ ही जिन मामलों अल्प्न्स्नख्यक विभाग के निर्देश विरोधाभासी है उनके क्लिय्रिफिकेशन के लियें पत्र लिखने के निर्देश कोटा अल्पसंख्यक अधिकारी को दिए गए ......कोटा के छात्र छात्राओं को पर्याप्त छात्रवृत्ति नहीं मिलने पर कलेक्टर ने सभी आवेदकों को छात्रवृत्ति मिले इसके लियें प्रस्ताव पारित किया ..जिन छात्रों की बेक मानकर अगले साल की फीस रोक ली जाती है उन्हें भी फीस रिफंड करवाने के लियें मार्गदर्शन चाहने हेतु पत्र लिखने के निर्देश दिए ...जिन छात्रों की मूल रसीद नहीं मिलती है उनकी रसीदें नहीं होने पर शपथ पत्र के आधार पर छात्रवृत्ति देने के निर्देश दिए ...कोटा वक्फ सम्पत्ति अनार वाले बाबा .आकाशवाणी कोटा ....महावीर नगर रंगबाड़ी कब्रिस्तान ....कनवास वक्फ सम्पत्तियों की इन्द्राज दुरुस्तीकरण ..कथुन वक्फ सम्पत्ति का मामला और केठुनिपोल टिपता रोड के एक पुराने मजार के शहीद होने का मामला जब उठाया गया तो इन मामलों में भी कार्यवाही के निर्देश जिला कलेक्टर कोटा ने जारी  किये .......कोटा कलेक्टर ने अल्पसंख्यक गर्ल्स होस्टल की शुरुआत को एक उपलब्धि बताते हुए होस्टल में पात्र छात्र छात्राओं सहित अन्य छात्र छात्राओं के प्रवेश सम्बन्धित प्रस्ताव बनाकर भेजने के भी निर्देश दिए .....वक्फ नगर कोटा में वर्ष 2002 में स्कूल के लियें शांति कुमार धारीवाल मंत्री ने नगर विकास न्यास से भोख्न्द आवंटित किया था लेकिन बढ़ा खड्डा होने से वहां दस वर्षों में अब तक स्कूल नहीं बन सका था अब स्कूल के भूखंड के खड्डे को भरने के लियें नगर विकास न्यास कोटा ने टेंडर कर दिया है और खड्डा भर जाने के बाद शीघ्र ही स्कूल निर्माण बाबत निर्देश भी जारी  किये गए .बैठक में कोटा साडी व् एनी बुनाई के कार्यों में लगे बुनकरों के लियें बुनकर कार्ड बनवाने के लियें शिविर आयोजित कर कार्ड बनाने के भी निर्देश जारी किये गए ..सेंट्रल बेंक ऑफ़ इण्डिया के द्वारा महिलाओं को ऋण योजना के तहत एक करोड़ रूपये तक बहतर कार्ययोजना तय्यार कर देने पर ऋण स्वीक्रत करने के निर्देश दिए जो शीघ्र ही ऋण
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