आपका-अख्तर खान

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15 मार्च 2013

एक छोटे से मुंह से बढ़ी बात कहने की गुस्ताखी है

  एक छोटे से मुंह से बढ़ी बात कहने की गुस्ताखी है .....दोस्तों अगर किसी को मुसलमान होने पर गर्व है ...अगर किसी को हिन्दू होने पर गर्व है ...अगर किसी को इसाई होने पर गर्व है ...अगर किसी को सिक्ख होने पर गर्व है ..तो क्या ऐसे गोरव्शाली पुरुष को इंसान कहा जा सकता है ...क्या ऐसे गोरव्शाली पुरुष को मेरे भारत महान का भारतीय कहा जा सकता है ..क्या ऐसे गोरव शाली पुरुष को मेरे हिन्दुस्तान का राष्ट्रीय पुरुष कहा जा सकता है अगर नहीं तो उठो ऐसे गोरव शाली पुरुषों की सोच बदल दो अगर हिन्दुस्तान नहीं रहा मेरा भारत महान नहीं रहा ..यहाँ मानवता इंसानियत नहीं रही तो जनाब तुम कुछ भी तुम्हारे पास गोरव करने के लियें कुछ भी नही रहेगा इसलिए देश पर गर्व करो ..राष्ट्रीयता पर गर्व करो मानवता पर गर्व करो जुबां से नहीं सियासत से नहीं दिल से गर्व करो और आचरण से अमल करो ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यहाँ का केसा नजारा है

आज की यह केसी दुनिया
यहाँ का केसा नजारा है
कहते थे
माँ के पेरों के नीचे जन्नत है
लेकिन यहाँ तो बस
जन्नत माँ के पेरों के निचे से खिसक कर
बीवी के पेरों के निचे चली गयी है
इसीलियें तो
माँ की उपेक्षा
बीवी की फरमाबरदारी का नजारा है ......
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फक्र हे मुझे .अपनी नाक पर

फक्र हे मुझे .अपनी नाक पर
मुझे फक्र है अपने अहसास पर
दूर से आने पर ही
मुझे उसकी खुशबु
उसके झोंके का
अहसास होता है

मजबूर पुरुषों का बेबस सवाल...?


मजबूर पुरुषों का बेबस सवाल...?

घूरना गलत हो सकता है..
मगर आप साबित कैसे करोगे कि
घूरना तो दूर आपने देखा तक नहीं..!
एक पुरूष के रूप में भयग्रस्त हूँ....!!!

कहावत है के हिम्मते मर्दा मददे खुदा

बुजुर्गों की कहावत है के हिम्मते मर्दा मददे खुदा यानी जो शख्स हिम्मत करता है खुदा उसकी मदद करता है ..जी हाँ दोस्तों यह कहावत कहावत नहीं एक हकीक़त है और कई मुश्किलों के दोर में अटके लोगों ने इस कहावत को हकीक़त में बदल दिया है मुश्किलों को जीत कर खुद को आकाश कर लिया है ......पिछले दिनों मेरे वालिद का स्वास्थ खराब चल रहा था इसलियें सुबह सवेरे की सेर के लियें मुझे उन्हें रोज़ साथ लेजाना पढ़ा ..सुबह पांच बजे जब हम निकलते फजर के बाद कोटा  श्रीपुरा मोटर स्टेंड स्थित एक चाय के ठेले पर हम जाते ..चाय वाला हम दो को देख कर दो चाय देता हम रूपये देते वोह बाक़ी पेसे वापस लोटा देता था ..चाय भी टेस्टी और चाय की दूकान पर उसका रोज़ सुबह चार बजे से शाम सात बजे तक का यही रूटीन है एय्ह ठेले पर चाय बेचने वाले स्मार्ट से अधेड़ जनाब करीब एक हजार चाय रोज़ बेचकर हजार रूपये प्रतिदिन बचा लेता है खुद बर्तन धोना ..खुद चाय देना ..वगेरा वगेरा ...खेर हमारा यह सिलसिला रोज़ का लगभग दो माह से लगातार बना था ....आज करीब दो दिन के वक्फे के बाद में और मेरे वालिद साहब सुबह टहलने कर देरी से करीब छ बजे इस चाय के ठेले पर पहुंचे वहां चहल पहल थी लोग ज्यादा थे दो मिलने वाले भी मिल गए मेने ठेले पर चाय बना रहे उसी रोज़ मर्रा चाय देने वाले व्यक्ति से चार चाय की कहा एक बार कहा दो बार कहा कोई जवाब नहीं आया बार बार कहा आखिर पास में खड़े एक बुज़ुर्ग ने कहा भाई यह सुन और बोल नहीं सकता इसे इशारे से समझाओं तब मेने चार उँगलियों का इशारा किया और इन जनाब ने चार चाय दे दी ..थोड़ी देर बाद यही शख्स जब चाय के बरन लेकर धोने आया तो देखता हूँ के उसके एक पैर में पोलियो भी है ..में सोचने लगा खुदा ने जिसकी  बोलने ....सुनने और चलने फिरने की ताक़त छीन ली वोह भी देख लो सिर्फ एक खुदा की ताकत हो हिम्मत होने की वजह से ओरो से बहतर रोज़गार पर है ....में सोचने लगा के एक  तरफ तो हालातों को दोष देकर हालातों को कोसकर बेरोज़गारी का दंश झेल रहे बेरोजगार नवयुवकों की फोज है और इनमे से ही कई जिदंगी हार कर आत्महत्याएं कर रहे है और दूसरी तरफ खुदा ने जिसे बोलने सुनने और चलने फिरने की ताक़त नहीं दी वोह हिम्मत की ताक़त पर वोह खुद के भरोसे पर हिम्मते मर्दा मददे खुदा की तर्ज़ पर खुद अपना  और परिवार का पेट पाल रहा है वाह रे खुदा तेरी कुदरत तू मेरे इस देश के उन सभी बेरोजगार और हिम्मत हरे हुए नोजवानों को भी हिम्मत दे जो बिना किसी वजह के म्हणत किये बगेर हिम्मत हार कर बेथ गए है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम्हारे हाथ मेरे हाथो में थे

दूर तलक जब हम सफ़र तय करते गए ...
तुम्हारे हाथ
मेरे हाथो में थे
हाथ पकडे पकडे साथ चलते गए
हाथो में पसीना आ गया था
भीग गए थे ये आपस में मिल कर
आज रात
अपने दोनों हाथ
मैं पकड़ कर सो रहा हूँ
तुम्हारे प्यार की सोंधी सी खुशबु
हाथो से आती है
ऐसे लगता है जैसे दो सौंधे से जिस्म इक बंद मुट्ठी में सो रहे हों ......

Sudarshan Diwan

देखना एक दिन..

Sushila Puri
देखना एक दिन..
इक नदी आयेगी
और तुम्हारे भीतर के
सारे बंजर
सारे मरुस्थल
पानी-पानी हो जायेंगे
वह तुम्हें
बहना सिखा देगी
सिखा देगी भीगना
तरबर होना
उतर आना
बीहड़
दुर्गम पहाड़ों से..!

फुर्सत के पल

Rashmi Sharma
फुर्सत के पल
* * * * * *
आकाश के
दक्षि‍ण-पश्‍चिम कोने पर
टि‍मटि‍मा रहे
चमकीले तारे ने
पूछा मुझसे......
क्‍या मैं तुम्‍हारे लि‍ए
बस एक फुर्सत का
पल हूं ?
जब दुनि‍या भर के
कामों को
नि‍बटा लेती हो
अपनों को संतुष्‍ट
और परायों को
वि‍दा कर देती हो....
तब
मेरी ओर देखकर
इतनी लंबी सांसे
क्‍यों भरती हो ?
मैं भी चाहता हूं
तुम्‍हें भर आंख देखना
तुमसे कुछ बति‍याना
और तुम्‍हारी
खि‍लखि‍लाहट को सुनना
मगर तुम
तभी आती हो
जब मैं डूबने वाला होता हूं
तुम्‍हारा आना
और मेरा जाना....
क्‍या नि‍यत है हमारा वक्‍त ?
कभी सोचा है तुमने
कि‍ मैं
तुम्‍हारे फुर्सत का पल हूं
या फि‍र
यही एक पल है
जब तुम
तुम्‍हारे साथ होती हो
और मैं
तुम्‍हारे नि‍तांत अपने पल का
एकमात्र साक्षी बनता हूं.....

इज्ज़त अस्मत

दोस्तों हमारे देश में ईस्ट इण्डिया कम्पनी आई हमारे शासकों ने लंगोट खोल कर देश को गुलाम बना दिया ..फिर हमने देश आज़ाद कराया तो फिर नेताओं ने हमारे देश को कभी रूस का तो कभी अमेरिका का गुलाम बना दिया अब बहु राष्ट्रीय कम्पनियों का व्यापार हमारे देश में ज़ोरों पर है हमारे देश में हर चीज़ नेताओं ने बेचीं है ईमान हो .....नेकी हो ...राष्ट्रीयता हो ....सभी तो हमारे नेताओं ने बेचा है एक इज्ज़त अस्मत हमारे देश में बाक़ी थी हमारा स्वाभिमान था लेकिन भाई क्या करें हमारे देश में आने वाली बहु राष्ट्रिय कंपनी के अधिकारीयों को कच्ची उम्र की लडकियाँ पसंद है और सोदेबजी के बाद जिस्म परोसी ऐच्छिक हो सके इसलियें विदेशी दबाव में अब हमारी बच्चियों की भी उम्र कम करके उनकी अस्मत का सोदा यह नेता लोग कर रह है थु है इन पर ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सस्ती सुलभ और प्रभावी शिक्षा हमे मिल सकेगी

दोस्तों अगर यह बोर्ड स्कूलों की मान्यता देने ....स्कूलों की फीस निर्धारित करने ...स्कूलों के कोर्स की किताबें प्रुए देश में एक करने ..सभी स्कूलों की एक युनिफोर्म करने और सभी स्कूलों में पढाई सुनिश्चित करने में मामले में आधी इमानदारी भी शुरू कर दे और पी एम टी ...आई आई टी ..इंजिनयरिंग वगेरा सभी कोर्सों में बारहवीं की अंक मेरिट आधार पर अधिकतम अंक प्राप्त करने वालों को प्रवेश देने का नियम बना दे तो शिक्षा भी सस्ती हो जायेगी और गुणवत्ता में भी सुधार हो जाएगा लेकिन क्या यह चोर यह दलाल ऐसा कर पायेंगे क्या खामोश जनता जूता लेकर इन मंत्रियों और अधिकारीयों से यह सब करवा पाएगी और शिक्षा दलालों से देश को मुक्ति दिला कर सस्ती सुलभ और प्रभावी शिक्षा हमे मिल सकेगी ..........

तो ग़ौर फ़रमाना दोस्तों !

कहीं गूँजे...
"...जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती...!"

तो ग़ौर फ़रमाना दोस्तों !

कि
गुस्से का भी होता है
अपना सौंदर्य...
अपना अपनापन...
अपना मासूम आयाम...!

इस कुदरती गुस्से में
चेहरा लाल...पीला नहीं...
नूरानी गुलाबी से भर उठाता है...

बशर्ते...
आग़ दोनों तरफ़
लगी हो...!
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हवाएं रुक गई थी


कितने भारी लम्हे थे वो
जब तुमने
अलविदा कहा था

हवाएं रुक गई थी
सूरज ढलता हुआ
कुछ देर को ठहर सा गया था

समंदर की वो लहर
बेसाख्ता वहीँ रुक गई थी

मेरी साँसों की आवाज
मेरा दिल सुन पा रहा था

कितने भारी लम्हे थे
जब तुमने
नाशाद
अलविदा कहा था
= नरेश नाशाद

गुस्से का भी होता है अपना सौंदर्य...

कहीं गूँजे...
"...जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती...!"

तो ग़ौर फ़रमाना दोस्तों !

कि
गुस्से का भी होता है
अपना सौंदर्य...
अपना अपनापन...
अपना मासूम आयाम...!

इस कुदरती गुस्से में
चेहरा लाल...पीला नहीं...
नूरानी गुलाबी से भर उठाता है...

बशर्ते...
आग़ दोनों तरफ़
लगी हो...!

सुनो तुम

सुनो तुम
सन्नाटे बहुत कुछ कहते हैं
जो मैं नहीं कह सकता
जो तुम नहीं कह सकते
हमारे दिल की आवाज को
हम तक पहुंचाते हैं

सुना तुमने
सन्नाटे बहुत कुछ कहते हैं

= नरेश नाशाद

मैं मुसकाया वहाँ मौन

कल माँ ने यह कहा –
कि उसकी शादी तय हो गई कहीं पर,
मैं मुसकाया वहाँ मौन
रो दिया किंतु कमरे में आकर
जैसे दो दुनिया हों मुझको
मेरा कमरा औ' मेरा घर ।

अब यारों की नहीं ज़रुरत,

अब यारों की नहीं ज़रुरत,हमने जीना सीख लिया !
धीरे धीरे,बिना सहारे, हमने रहना ,सीख लिया !

मैं अब खुश हूँ,तेरी दुनिया ,मुझको नहीं बुलाती है !
धीरे धीरे,हमने खुद ही,नगर बसाना, सीख लिया !

मैं अब खुश हूँ, इंतज़ार में ,अब कोई रथवान नहीं !
धीरे धीरे हमने खुद ही, पैदल चलना सीख लिया !

मैं अब खुश हूँ, तेरे सिक्के, नहीं चले, बाजारों में !
धीरे धीरे हमने खुद ही,कमा के,खाना सीख लिया !

मैं अब खुश हूँ, मुझे ठण्ड में,याद न तेरी आती है !
धीरे धीरे हमने खुद ही,आग जलाना,सीख लिया !

भगवान मेरे सामने तो आओ

एक धार्मिक बालक था,

भगवान में उसकी बड़ी श्रद्धा थी. उसने मन ही मन प्रभु की एक तस्वीर बना रखी थी.

एक दिन भक्ति से भरकर उसने भगवान से कहा- भगवान मुझसे बात करो.
और एक बुलबुल चहकने लगी लेकिन उस बालक ने हीं सुना.

इसलिए इस बार वह जोर से चिल्लाया,- भगवान मुझसे कुछ बोलो तो
और आकाश में घटाएं उमङ़ने घुमड़ने लगी बादलो की गड़गडाहट होने लगी. लेकिन बालक ने कुछ नहीं सुना.

उसने चारो तरफ निहारा, ऊपर- नीचे सब तरफ देखा और बोला, -
भगवान मेरे सामने तो आओ और बादलो में छिपा सूरज चमकने लगा. पर उसने देखा ही नही .

आखिरकार वह बालक गला फाड़कर चीखने लगा भगवान मुझे कोई चमत्कार दिखाओ -
तभी एक शिशु का जन्म हुआ और उसका प्रथम रुदन गूंजने लगा किन्तु उस बालक ने ध्यान नहीं दिया.

अब तो वह बालक रोने लगा और भगवान से याचना करने लगा - भगवान मुझे स्पर्श करो मुझे पता तो चले तुम यहाँ हो, मेरे पास हो,मेरे साथ हो और एक तितिली उड़ते हुए आकर उसके हथेली पर बैठ गयी लेकिन उसने तितली को उड़ा दिया, और उदास मन से आगे चला गया.

भगवान इतने सारे रूपो में उसके सामने आया, इतने सारे ढंग से उससे बात की पर उस बालक ने
पहचाना ही नहीं शायद उसके मन में प्रभु की तस्वीर ही नहीं थी.

सार...
हम यह तो कहते है कि ईश्वर प्रकृति के कण-कण में है,
लेकिन हम उसे किसी और रूप में देखना चाहते है इसलिए उसे कही देख ही नहीं पाते.
इसे भक्ति मे दुराग्रह भी कहते है. भगवन अपने तरीके से आना चाहते और हम अपने
तरीके से देखना चाहते है और बात नहीं बन पाती. हमें भगवान को हर जगह हर पल महसूस करना चाहिए.

क्यों तुम चिंतित से लगते हो,

क्यों तुम चिंतित से लगते हो, बेटी जीत दिलाएगी !
विदुषी पुत्री जिस घर जाएखुशिया उस घर आएँगी !
कर्मठ बेटी के होने से , बड़े आत्म विश्वासी गीत !
इसके पीछे चलते चलते,जग सीखेगा,जीना मीत !

जब से बेटी गोद में आई घर में रौनक आयी है !
दोनों हाथों दान किया पर कमी , कभी न आई है !
लगता नारायणी गा रहीं,अपने घर में आकर गीत !
उनके हाथ, बरसता वैभव, अक्षय होते मेरे गीत !

जब से इसने चलना सीखा घर में रौनक आई थी !
इसके आने की आहट से चेहरे, रंगत छायी थी !
स्नेही मन जहाँ रहेगी, खूब सहारा दें जगदीश !
अन्नपूर्णा जहाँ रहेगी,कष्ट न जाने मेरे गीत !

सुबह सबेरे उठते इसके चहक उठे, मेरा घर बार !
इसके जाने से ही घर में सूना सा लगता संसार !
जलतरंग सी जहाँ बजेगी,मधुर सुधा बरसाए प्रीत !
बाबुल का सम्मान बढाए, करें प्रभावित मेरे गीत

पुलिस कमिश्नर को हटाया, वकीलों की कई मांगें मानी, हड़ताल खत्म



जयपुर.सरकार ने वकीलों के आगे झुकते हुए शुक्रवार देर रात उनकी ज्यादातर मांगें मान लीं। लाठीचार्ज मामले में जयपुर के पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी सहित 3 पुलिस अफसरों को बदल दिया गया। जयपुर कमिश्नर पद पर अभी किसी को नहीं लगाया गया है। तीन अन्य आईपीएस अफसरों के तबादले भी किए गए हैं। इसी के साथ वकीलों ने पिछले नौ दिन से जारी हड़ताल खत्म कर दी।
 
रात करीब 12 बजे वकीलों की मुख्यमंत्री के साथ करीब दो घंटे तक वार्ता चली। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष संजय शर्मा ने हड़ताल खत्म करने की घोषणा की। 
 
वार्ता के तुरंत बाद पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी, एडिशनल एसपी रघुवीर सैनी और योगेश यादव के तबादले कर दिए गए। सोनी को राजस्थान पुलिस एकेडमी का डायरेक्टर, योगेश यादव को एसपी सिक्योरिटी जयपुर, रघुवीर सैनी को एडिशनल एसपी (डिस्कॉम) बनाने के आदेश जारी कर दिए गए। इनके अलावा आरपीए डायरेक्टर डॉ. भूपेंद्र सिंह को पुलिस यूनिवर्सिटी जोधपुर का प्रो-वाइस चांसलर, नारायणलाल को एडिशनल डीसीपी (क्राइम) जयपुर तथा डॉ. रवि को डीसीपी जयपुर (वेस्ट) लगाया गया है।
 
वकीलों को रियायती दर पर आवास, पेंशन
 
वकीलों को रियायती दरों पर आवास, पेंशन व स्टाइपेंड देने की मांगों पर सैद्धांतिक सहमति दे दी गई है। जोधपुर स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में राजस्थान का कोटा आरक्षित करने के लिए सरकार व हाईकोर्ट की बैठक में निर्णय होगा।
 
इन पर भी सहमति 
 
>राजस्थान न्यायिक सेवा व एपीपी में अधिकतम आयु सीमा 35 से 40 साल हो।
 
>अदालतों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो।
 
>प्रदेश के ट्रिब्यूनलों में सदस्य के रूप में वकीलों की नियुक्तिहो।
 
>जिला उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष पदों पर 50 प्रतिशत वकील कोटे से नियुक्ति हो।
 
>अधिवक्ता कल्याण कोष में 10 करोड़ का फंड सरकार दें। अधिवक्ता संरक्षण के लिए कानून बने।

जम्मू-कश्मीर में शहीद हुआ देश का लाल, पत्नी और मां रतन कंवर का रो-रोकर बुरा हाल

कांवट/खंडेला.जम्मू-कश्मीर में वाहन पर चट्टान गिरने से शहीद हुए समर्थपुरा के जवान विजेंद्र सिंह (32) का शुक्रवार को सैनिक सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के बड़े पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। राजस्थान पुलिस के जवानों व सेना की टुकड़ी ने पुष्प चक्र अर्पित कर सलामी देते हुए अंतिम विदाई दी। विजेंद्र सिंह मेंढर सेक्टर में 13 राजस्थान राइफल्स में तैनात थे। शुक्रवार दोपहर शहीद का शव उनके पैतृक गांव पहुंचा। 
 
शव पहुंचते ही घर में कोहराम मच गया। पूर्व सूचना मिलने से बड़ी संख्या में ग्रामीण जनप्रतिनिधि भी वहां मौजूद थे। पत्नी टवर कंवर व मां रतन कंवर का रो-रोकर बुरा हाल था। महिलाएं उन्हें बार-बार दिलासा दे रही थी। विजेंद्र सिंह ने 1999 में सेना में कार्य ग्रहण किया था। उनकी शादी 10 मार्च 2004 को टवर कंवर के साथ परबतसर के चीवली गांव में हुई थी। उनके दो पुत्र सात वर्षीय यशसिंह व छह वर्षीय लोकेंद्र सिंह हैं। 
 
विजेंद्र सिंह के पिता बाघसिंह राजस्थान पुलिस में जयपुर में कार्यरत हैं। शहीद की अंतिम विदाई के दौरान सांसद महादेव सिंह खंडेला, विधायक बंशीधर बाजिया, जिला प्रमुख रीटा सिंह, विकास अधिकारी सुमेरसिंह, तहसीलदार सरदार सिंह गिल, एसीएम खंडेला, हनुमान सिंह आर्य, हरिसिंह चौधरी, पूर्व सरपंच गोकुलचंद सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
 

पुलिसवालों की एक और दिल दहला देने वाली करतूत, युवक का सिर तंदूर में डाला!



अमृतसर. तरनतारन में महिला को सरेराह पीटने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि अमृतसर पुलिस के कांस्टेबल ने युवक का सिर तंदूर में डालकर उसे बुरी तरह जला डाला। घटना बटाला रोड स्थित तुंगपाई इलाके की है। संबंधित थाने की पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। वहीं, झुलसे व्यक्ति को अस्पताल में दाखिल करवाया गया है।
पीडि़त शाम कुमार एक फैक्टरी में काम करता है। वह वेतन लेकर घर लौट रहा था। रास्ते में बटाला रोड स्थित एक ठेके के पास पहुंचा ही था कि इसी दौरान कांस्टेबल जसबीर सिंह अपने तीन साथियों के साथ वहां आया और उससे पैसे मांगने लगा। उसके मना करने पर तीनों ने मिलकर उसकी जेब से रुपए निकालने की कोशिश की।
विरोध करने पर कांस्टेबल जसबीर ने अपनी लाठी से उसे पीटना शुरू कर दिया और सिर पर भी लाठी मारी। इतना ही नहीं, गुस्साए सिपाही ने उसका मुंह ठेके के पास बने ढाबे के तंदूर में डाल दिया। इस घटना के बाद वहां अफरातफरी मच गई। आसपास के लोगों को किसी तरह शाम को छुड़ाया।
पीडि़त की पत्नी काजल के मुताबिक ठेके के आसपास के लोग शाम को जानते थे। लोगों ने उन्हें फोन कर घटना की जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने थाना मोहकमपुरा पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलते ही थाना मोहकमपुरा प्रभारी अमरीक सिंह, एएसआई अर्जुन कुमार मौके पर पहुंचे और काजल का बयान कलमबद्ध किया। अमरीक सिंह के मुताबिक आरोपी जसबीर सिंह के घर रेड की गई, लेकिन वह फरार है।

 

अमृतसर. तरनतारन में महिला को सरेराह पीटने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि अमृतसर पुलिस के कांस्टेबल ने युवक का सिर तंदूर में डालकर उसे बुरी तरह जला डाला। घटना बटाला रोड स्थित तुंगपाई इलाके की है। संबंधित थाने की पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। वहीं, झुलसे व्यक्ति को अस्पताल में दाखिल करवाया गया है।
पीडि़त शाम कुमार एक फैक्टरी में काम करता है। वह वेतन लेकर घर लौट रहा था। रास्ते में बटाला रोड स्थित एक ठेके के पास पहुंचा ही था कि इसी दौरान कांस्टेबल जसबीर सिंह अपने तीन साथियों के साथ वहां आया और उससे पैसे मांगने लगा। उसके मना करने पर तीनों ने मिलकर उसकी जेब से रुपए निकालने की कोशिश की।
विरोध करने पर कांस्टेबल जसबीर ने अपनी लाठी से उसे पीटना शुरू कर दिया और सिर पर भी लाठी मारी। इतना ही नहीं, गुस्साए सिपाही ने उसका मुंह ठेके के पास बने ढाबे के तंदूर में डाल दिया। इस घटना के बाद वहां अफरातफरी मच गई। आसपास के लोगों को किसी तरह शाम को छुड़ाया।
पीडि़त की पत्नी काजल के मुताबिक ठेके के आसपास के लोग शाम को जानते थे। लोगों ने उन्हें फोन कर घटना की जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने थाना मोहकमपुरा पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलते ही थाना मोहकमपुरा प्रभारी अमरीक सिंह, एएसआई अर्जुन कुमार मौके पर पहुंचे और काजल का बयान कलमबद्ध किया। अमरीक सिंह के मुताबिक आरोपी जसबीर सिंह के घर रेड की गई, लेकिन वह फरार है।

सुब्रत राय ने 2000 रुपये से शुरू किया था कारोबार, अब लटकी गिरफ्तारी की तलवार



 
नई दिल्ली. सहारा परिवार के प्रमुख सुब्रत राय ने 1978 में 2000 रुपये से अपना कारोबार शुरू किया था जो आज 2.82 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने आईपीएल, देश-विदेश में हाउसिंग, रिटेल, हेल्थ, पावर जैसे तमाम सेक्टरों में निवेश किया है। बॉलीवुड हस्तियों और राजनेताओं से करीबी रखने वाले सुब्रत सहारा पर इस समय निवेशकों के पैसे न लौटाने के मामले में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय की गिरफ्तारी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसी महीने सेबी की याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है। सेबी ने सहारा प्रमुख को उनकी दो कंपनियों के शेयरधारकों के 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने के लिए कहा था। सेबी सहारा समूह के दो निदेशकों समेत सुब्रत राय के पासपोर्ट को भी जब्त करना चाहता है।
 
सेबी ने पिछले महीने सहारा समूह की दो कंपनियों और सुब्रत राय सहित कुछ शीर्ष अधिकारियों के बैंक खाते सील करने और उनकी कुल संपत्ति जब्त करने के लिए कहा था। उसने ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यदि सहारा समूह की कंपनियां निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए धनराशि जमा नहीं करती हैं तो नियामक संस्था सेबी उनकी संपत्तियों को जब्त कर सकती है और उनके खातों के लेनदेन पर भी रोक लगा सकती है। 
 
सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के खिलाफ दो अलग-अलग आदेश पारित किया था। आदेश में सेबी ने कहा था कि दोनों कंपनियों ने निवेशकों से क्रमशः 6,380 करोड़ रुपये और 19,400 करोड़ रुपये उठाने के लिए अनेक अनियमितताएं बरती हैं।

कुरान का सन्देश

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