राजस्थान की कोटा में राजस्थान सरकार ने एक वर्ष
बाद अल्पसंख्यक गर्ल्स होस्टल समाज सेवी संस्था के माध्यम से शुरू कर दिया
है शक्तिनगर में शुरू इस होस्टल में बारहवी के बाद की छात्राएं निशुल्क
प्रवेश लेने के लियें अधिक्रत है उनके परिवार की वार्षिक
आय दो लाख रूपये से अधिक नहीं होना चाहिए ..प्रतिभावान छात्राएं जो कोचिंग
ले रही है या फिर कोलेज वगेरा में पढ़ रही है सभी प्रवेश की हकदार है जल्दी
कीजिये केवल सो ही छात्राओं को प्रवेश मिलेगा रहना खाना सब सरकार की तरफ
से रहेगा ..यह होस्टल एक साल से बंद था सरकार के अधकारियों ने इस योजना को
बसते में बंद कर रखा था और बंदर बाँट के झगड़े में अधिकारी इसे दबाए बेठे थे
लेकिन हम लोग जब कोटा के सांसद इजय्राज सिंह को कोटा स्थित अल्पसंख्यक
विभाग में हालात दिखने लेकर गए और इस शिकायत सहित सभी मामलों पर राजस्थान
सरकार में अल्पसंख्यक विभाग देख रहे प्रिंसिपल सेक्रेटरी से सांसद इजैराज
सिंह साहब की बात कराई तो अधिकारी तुरंत हरकत में आये और होस्टल की कोटा
में शुरुआत किये जाने की घोषणा हुई ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 मार्च 2013
सोनिया गांधी से जुड़ी 10 अनसुनी कहानी
1- सोनिया गांधी सफाई पसंद महिला हैं। वह अपने घर को साफ-सुथरा रखना चाहती हैं। बताया जाता है कि बैठकों से पहले वह मीटिंग हॉल खुद साफ करती हैं।
2- यह कम ही लोगों को पता है कि सोनिया गांधी कुशल रसोइया है...See More
सोनिया गांधी से जुड़ी 10 अनसुनी कहानी,
1- सोनिया गांधी सफाई पसंद महिला हैं। वह अपने घर को साफ-सुथरा रखना चाहती हैं। बताया जाता है कि बैठकों से पहले वह मीटिंग हॉल खुद साफ करती हैं।
2- यह कम ही लोगों को पता है कि सोनिया गांधी कुशल रसोइया हैं। वह प्राय: रेड चिली आयल बनाया करती हैं। शादी के बाद के दिनों में वह अपनी सास इंदिरा को स्वादिष्ट पास्ता बना कर खिलाया करती थीं। उनके हाथ के बने गाजर के हलवे का तो कहना ही क्या!!!
3- शादी के कुछ दिनों बाद सोनिया की मां इटली लौट गईं। उनके जाने के बाद हर बेटी की तरह वह उदास रहने लगीं। इंदिरा गांधी ने स्थिति को भांप लिया। उन्होंने सोनिया को एक पत्र लिखा। पत्र में लिखा था, ''हाय सोनिया। हम आपको सिर्फ बताना चाहते हैं कि सभी आपको बहुत प्यार करते हैं।'' यह बात सोनिया के दिल में बस गई। वह इंदिरा को मम्मी कहकर बुलाती थीं।
4- सोनिया को हिन्दी भाषा में प्रेमचंद का साहित्य बहुत पसंद है। वह उनके उपन्यास को पढ़ती हैं। 'गोदान' उनकी पसंदीदा पुस्तक है।
5- पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की तरह सोनिया कई भाषाओं में दक्ष हैं। वह हिन्दी सहित करीब नौ भाषाएं बोल-पढ़ लेती हैं।
6- उन्हें हैंडलूम की साड़ियां बहुत पसंद हैं। अपनी शादी में उन्होंने गुलाबी रंग की कॉटन की साड़ी पहन रखी थी। उनकी बेटी प्रियंका को भी साड़ियां बहुत पसंद हैं।
7- वह रोज योगा करती हैं। फास्ट फूड से दूर रहती हैं। दाल-रोटी चाव से खाने वाली सोनिया सर्दियों में कॉफी बहुत पीती हैं।
8- उन्होंने आर्ट और पेंटिंग में कोर्स किया है। उन्हें कला की परख है। समय-समय पर विश्व विख्यात कलाकृतियों से प्रेरणा लेती रहती हैं।
9- शादी से पहले वह दिल्ली की सड़कों पर राजीव के साथ टहला करती थीं। इंडिया गेट पर आइसक्रीम खाना उन्हें बहुत पसंद था। वह अपनी सास के लिए भी आइसक्रीम ले जाया करती थीं।
10- बांग्लादेश बनने के बाद शेख मुजीबुर्र रहमान जब दिल्ली के दौर पर आए, उस समय सोनिया गर्भवती थीं। फिर भी वह अपनी सास के साथ उनकी आगवानी के लिए एयरपोर्ट गईं। उसके अगले दिन ही प्रियंका गांधी का जन्म हुआ था।
1- सोनिया गांधी सफाई पसंद महिला हैं। वह अपने घर को साफ-सुथरा रखना चाहती हैं। बताया जाता है कि बैठकों से पहले वह मीटिंग हॉल खुद साफ करती हैं।
2- यह कम ही लोगों को पता है कि सोनिया गांधी कुशल रसोइया हैं। वह प्राय: रेड चिली आयल बनाया करती हैं। शादी के बाद के दिनों में वह अपनी सास इंदिरा को स्वादिष्ट पास्ता बना कर खिलाया करती थीं। उनके हाथ के बने गाजर के हलवे का तो कहना ही क्या!!!
3- शादी के कुछ दिनों बाद सोनिया की मां इटली लौट गईं। उनके जाने के बाद हर बेटी की तरह वह उदास रहने लगीं। इंदिरा गांधी ने स्थिति को भांप लिया। उन्होंने सोनिया को एक पत्र लिखा। पत्र में लिखा था, ''हाय सोनिया। हम आपको सिर्फ बताना चाहते हैं कि सभी आपको बहुत प्यार करते हैं।'' यह बात सोनिया के दिल में बस गई। वह इंदिरा को मम्मी कहकर बुलाती थीं।
4- सोनिया को हिन्दी भाषा में प्रेमचंद का साहित्य बहुत पसंद है। वह उनके उपन्यास को पढ़ती हैं। 'गोदान' उनकी पसंदीदा पुस्तक है।
5- पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की तरह सोनिया कई भाषाओं में दक्ष हैं। वह हिन्दी सहित करीब नौ भाषाएं बोल-पढ़ लेती हैं।
6- उन्हें हैंडलूम की साड़ियां बहुत पसंद हैं। अपनी शादी में उन्होंने गुलाबी रंग की कॉटन की साड़ी पहन रखी थी। उनकी बेटी प्रियंका को भी साड़ियां बहुत पसंद हैं।
7- वह रोज योगा करती हैं। फास्ट फूड से दूर रहती हैं। दाल-रोटी चाव से खाने वाली सोनिया सर्दियों में कॉफी बहुत पीती हैं।
8- उन्होंने आर्ट और पेंटिंग में कोर्स किया है। उन्हें कला की परख है। समय-समय पर विश्व विख्यात कलाकृतियों से प्रेरणा लेती रहती हैं।
9- शादी से पहले वह दिल्ली की सड़कों पर राजीव के साथ टहला करती थीं। इंडिया गेट पर आइसक्रीम खाना उन्हें बहुत पसंद था। वह अपनी सास के लिए भी आइसक्रीम ले जाया करती थीं।
10- बांग्लादेश बनने के बाद शेख मुजीबुर्र रहमान जब दिल्ली के दौर पर आए, उस समय सोनिया गर्भवती थीं। फिर भी वह अपनी सास के साथ उनकी आगवानी के लिए एयरपोर्ट गईं। उसके अगले दिन ही प्रियंका गांधी का जन्म हुआ था।
एक सूरज जो कल ही डूबा था तुम्हारे सामने
एक सूरज जो कल ही डूबा था तुम्हारे सामने
आज फिर से रोशनी के साथ आया है
अदालत वख्त की हो या विधानों की बताओ तुम कहोगे क्या ?
फलक पर दर्ज होते इस उजाले पर फेंक लो जितनी भी स्याही
तुहारे दिल की तारीकी की दहशत देख कर
तुम ही डूब जाना अपने चुल्लू भर गुनाहों में
एक सूरज जो कल ही डूबा था तुम्हारे सामने
आज फिर से रोशनी के साथ आया है." ---- राजीव चतुर्वेदी
आज फिर से रोशनी के साथ आया है
अदालत वख्त की हो या विधानों की बताओ तुम कहोगे क्या ?
फलक पर दर्ज होते इस उजाले पर फेंक लो जितनी भी स्याही
तुहारे दिल की तारीकी की दहशत देख कर
तुम ही डूब जाना अपने चुल्लू भर गुनाहों में
एक सूरज जो कल ही डूबा था तुम्हारे सामने
आज फिर से रोशनी के साथ आया है." ---- राजीव चतुर्वेदी
"क़यामत तो उस दिन होगी
Rajiv Chaturvedi
"क़यामत तो उस दिन होगी
जिस दिन पूरी कायनात के क़त्ल हो चुके लोग एक साथ खड़े हो जायेंगे
और चीख कर पूछेंगे ---
भगवान् तू क्यों था कातिलों पर मेहरवान
किसी खुदा का खौफ अब मुझको नहीं
खून से सना यह खुदा तेरा है मेरा नहीं
फूल कली मकरंदों की तुम बात न करना,
इस कोलाहल में हत्यारे हमको हैं प्यारे
भगवान् वही बन पाया जिसके हाथों में हथियार बहुत थे
ह्त्या का अधिकार उसे था
शान्ति कभी पूजी थी हमने ?--- यह बतलाओ
भय का यह भूगोल समझ लो
सफदरजंग बड़ा कातिल था उसके नाम अस्पताल है
अल्लाह उनके लिए महान है घर- घर उनके सूफियान है
इतिहासों में दर्ज इमारत को तुम देखो
हर मजहब की दर्ज इबारत को तुम देखो
मजहब का हर हर्फ़ लहू से लिखने वालो
आंधी की दहशत से दीपक सहमे तो हैं
सच्चाई की शहतीरों पर तहरीरों को दर्ज करो तुम
क़त्ल हो चुके लोगों की रूहें चीख रही हैं
मंदिर की आवाज़े मस्जिद की नवाज की नैतिकता नृशंस है कितनी
कातिल को भगवान् बताने वालो बोलो ---यह मजहब तेरा है
मेरा कैसे होगा ?---मैं तो क़त्ल हुआ था
मेरे खून के धब्बे धर्म तुम्हें लगते हैं
शब्द हैं तेरे , संसद तेरी, शास्त्र तुम्हारे, शर्त तुम्हारी, सूत्र हैं तेरे ,शरियत तेरी
तुम शातिर हो, सूफियान हो, अल्लाह तुम हो, भगवान् हो
मैं ज्ञानी हूँ, मैं ही दानी बब्रूवाहन का आवाहन कौन करेगा ?
हर प्रबुद्ध के युद्ध को देखो ...हर टूटी प्रतिमा जो टूटी प्रेम की प्रतिमा सी दिखती है
क़त्ल कर दिए बच्चों पर जो बिलख रही हर औरत मुझको फातिमा सी दिखती है
क़त्ल हो चुके कर्ण से पूछो
धर्म -कर्म के बीच की दूरी आज उत्तरा के आंसू में उत्तर खोज रही है.
क़यामत तो उस दिन होगी
जिस दिन पूरी कायनात के क़त्ल हो चुके लोग एक साथ खड़े हो जायेंगे
और चीख कर पूछेंगे ---
भगवान् तू क्यों था कातिलों पर मेहरवान
किसी खुदा का खौफ अब मुझको नहीं
खून से सना यह खुदा तेरा है मेरा नहीं." ----राजीव चतुर्वेदी
"क़यामत तो उस दिन होगी
जिस दिन पूरी कायनात के क़त्ल हो चुके लोग एक साथ खड़े हो जायेंगे
और चीख कर पूछेंगे ---
भगवान् तू क्यों था कातिलों पर मेहरवान
किसी खुदा का खौफ अब मुझको नहीं
खून से सना यह खुदा तेरा है मेरा नहीं
फूल कली मकरंदों की तुम बात न करना,
इस कोलाहल में हत्यारे हमको हैं प्यारे
भगवान् वही बन पाया जिसके हाथों में हथियार बहुत थे
ह्त्या का अधिकार उसे था
शान्ति कभी पूजी थी हमने ?--- यह बतलाओ
भय का यह भूगोल समझ लो
सफदरजंग बड़ा कातिल था उसके नाम अस्पताल है
अल्लाह उनके लिए महान है घर- घर उनके सूफियान है
इतिहासों में दर्ज इमारत को तुम देखो
हर मजहब की दर्ज इबारत को तुम देखो
मजहब का हर हर्फ़ लहू से लिखने वालो
आंधी की दहशत से दीपक सहमे तो हैं
सच्चाई की शहतीरों पर तहरीरों को दर्ज करो तुम
क़त्ल हो चुके लोगों की रूहें चीख रही हैं
मंदिर की आवाज़े मस्जिद की नवाज की नैतिकता नृशंस है कितनी
कातिल को भगवान् बताने वालो बोलो ---यह मजहब तेरा है
मेरा कैसे होगा ?---मैं तो क़त्ल हुआ था
मेरे खून के धब्बे धर्म तुम्हें लगते हैं
शब्द हैं तेरे , संसद तेरी, शास्त्र तुम्हारे, शर्त तुम्हारी, सूत्र हैं तेरे ,शरियत तेरी
तुम शातिर हो, सूफियान हो, अल्लाह तुम हो, भगवान् हो
मैं ज्ञानी हूँ, मैं ही दानी बब्रूवाहन का आवाहन कौन करेगा ?
हर प्रबुद्ध के युद्ध को देखो ...हर टूटी प्रतिमा जो टूटी प्रेम की प्रतिमा सी दिखती है
क़त्ल कर दिए बच्चों पर जो बिलख रही हर औरत मुझको फातिमा सी दिखती है
क़त्ल हो चुके कर्ण से पूछो
धर्म -कर्म के बीच की दूरी आज उत्तरा के आंसू में उत्तर खोज रही है.
क़यामत तो उस दिन होगी
जिस दिन पूरी कायनात के क़त्ल हो चुके लोग एक साथ खड़े हो जायेंगे
और चीख कर पूछेंगे ---
भगवान् तू क्यों था कातिलों पर मेहरवान
किसी खुदा का खौफ अब मुझको नहीं
खून से सना यह खुदा तेरा है मेरा नहीं." ----राजीव चतुर्वेदी
इन्हीं कंदराओं में रहते थे सीता और राम, कालिदास ने रचा था महाकाव्य
रामगढ़ छत्तीसगढ़ के एतिहासिक स्थलों में सबसे प्राचीन है। यह
अम्बिकापुर से 50 किलोमीटर दूरी पर समुद्र तल से 3202 फीट की ऊंचाई पर है।
रामगढ़ की पहाड़ी पर प्राचीन मंदिर और भित्तिचित्र मिलते हैं। इस स्थान पर प्राचीन भारतीय संस्कृति का परिचय मिलता है।
यहां स्थित कंदराओं में भगवान श्रीराम के चरण पड़े थे और सीता माता ने
निवास किया था। कहा जाता है कि महाकवि कालिदास ने यहीं मेघदूत की रचना की
थी। यहीं सुतनुका देवदासी और रुपदक्ष श्रेष्ठि देवदीन का प्रेम हुआ था।
इसी जगह पर भीम ने चटाई थी जरासंध को धूल, जानें पूरी कहानी!
महाभारत में भीम और जरासंध की लड़ाई काफी प्रसिद्ध है। जरासंध मगध का
क्रूर शासक था। उसकी राजधानी राजगृह (राजगीर) थी। उसके आतंक से लोग त्रस्त
थे। ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण द्वारा कंस का वध किए जाने से वह नाराज
था, क्योंकि कंस उसके खास मित्रों में था। इसका प्रतिशोध लेने के लिए
जरासंध ने मथुरा पर 17 बार चढ़ाई की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल सकी।
इधर, इंद्रप्रस्थ नगरी का निर्माण पूरा होने के पश्चात एक दिन नारद
मुनि ने महाराज युधिष्ठिर को उनके पिता का यह संदेश सुनाया कि अब वे राजसूय
यज्ञ करें। इस पर महाराज ने श्रीकृष्ण से बात की तो उन्होंने भी
युधिष्ठिर को राजसूय यज्ञ करने के लिए प्रोत्साहित किया। लेकिन उनके
चक्रवर्ती सम्राट बनने के मार्ग में एक केवल एक रोड़ा था, मगध नरेश जरासंध।
उसे परास्त किए बिना वह सम्राट नहीं बन सकते थे और उसे रणभूमि मे परास्त
करना असंभव-सा ही था।
इस समस्या का समाधान करने के लिए श्रीकृष्ण भीम और अर्जुन के साथ
ब्राह्मणों का भेष बनाकर मगध की राजधानी राजगृह की ओर चल पड़े। वहां पहुंच
कर वे जरासंध के दरबार में गए। उन्हें ब्राह्मण समझकर जरासंध ने उनसे कुछ
मांगने का आग्रह किया। ब्राह्मण भेषधारी श्रीकृष्ण ने कहा कि अभी उनके
दोनों मित्रों का मौन व्रत है, जो अर्धरात्रि में समाप्त होगा। तब जरासंध
ने अर्धरात्रि में ही मिलने का वचन दिया और उन्हें ब्राह्मण कक्ष मे
ठहराया।
जरासंध अर्धरात्रि को आया, लेकिन उसे उन तीनों पर संदेह हो गया कि वे
ब्राह्मण हैं या नहीं। जरासंध ने उन्हें वास्तविक रूप में आने को कहा। इस
पर श्रीकृष्ण ने जरासंध को खरी-खोटी सुना दी। इससे वह क्रोधित हो गया और
कहा कि उन्हें जो भी चाहिए वे मांग लें और यहां से चले जाएं।
इस बात पर श्रीकृष्ण ने जरासंध को मल्लयुद्ध करने के लिए कहा और अपना
वास्तविक परिचय दे दिया। उसने मल्ल युद्ध के लिए भीम को चुना। अगले दिन
राजगृह स्थित मल्लभूमि में ही उसने भीम के साथ मल्लयुद्ध किया, लेकिन जितनी
बार भीम उसके दो टुकड़े करते उसका शरीर फिर से जुड़ जाता। इस पर श्रीकृष्ण
ने एक डंडी की सहायता से भीम को संकेत किया कि इस बार वह उसके टुकड़े कर
के दोनों टुकड़े अलग-अलग दिशा में फेंके। तब भीम ने वैसा ही किया और इस
प्रकार जरासंध का वध हुआ।
मोस्ट वांटेड नक्सली को हुआ 'इश्क', प्रेमिका को साथ लेकर छोड़ दिया जंगल
रायपुर। नक्सली हिंसा को हथियार नहीं प्रेम से शिकस्त दी जा
सकती है। तभी तो छत्तीसगढ़ में एरिया कमांडर ने प्रेम की खातिर साथियों से
भी बगावत करने में गुरेज नहीं किया।
नक्सली नेताओं ने जन अदालत लगाकर उसे प्रताड़ित किया। जान से मारने तक
की धमकी दे डाली। उसका गुनाह था, गांव की एक युवती से प्रेम, जिससे वह
शादी कर घर बसाने के सपने देखता था।
जब उसके आकाओं ने एक न सुनी तो विचारधारा पीछे छूटी और मोहब्बत जीत गई। उसने प्रेमिका को साथ लिया और जंगल छोड़ दिया।
साउथ बस्तर डिविजनल कमेटी का मलांगीर एरिया कमांडर बदेरू पोड़ियामी अब
नक्सलियों के साथ नहीं है। वह मुख्यधारा में जगह तलाश रहा है। बीजापुर के
गंगालूर थाना स्थित ग्राम पुस्नार का 30 वर्षीय युवक बदेरू 13 साल से सरकार
के खिलाफ संघर्ष छेड़े हुए था।
पुलिस और सीआईएसएफ के विरुद्ध उसने दर्जनों ऑपरेशन अंजाम दिए। इससे
खुश होकर नक्सलियों ने उसे किरंदुल की पहाड़ियों में मलांगीर एरिया कमेटी
का कमांडर बना दिया। वहां उसे हरौली गांव की सुक्खी से प्रेम हो गया। दोनों
पुलिस और नक्सलियों से छिप-छिपकर मिलते रहे। फिर शादी का फैसला कर लिया।
इस पर सुक्खी ने बदेरू को नक्सलियों का साथ छोड़ने के लिए कहा। वह मान
गया और अपने अधिकारियों को यह बात बताई। बस्तर डिविजन के सभी प्रमुख
नक्सली नेता यह सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने जन अदालत बुलवाई। इसमें बदेरू
को माओवाद की विचारधारा का हवाला देकर खूब प्रताड़ित किया गया।
घंटों जिल्लत सहने के बाद भी वह नहीं टूटा। उसने मन ही मन संकल्प लिया और बिना किसी को कुछ बताए सुक्खी के साथ वहां से भाग निकला।
मोस्ट वांटेड कमांडर है बदेरू
बदेरू 17 साल की उम्र में पहले संघम का सदस्य बना फिर दलम का। कड़ी
ट्रेनिंग और माओवाद का पाठ पढ़ने के बाद वह तैयार हुआ था। नक्सली नेताओं का
भरोसा जीतकर दलम कमेटी का मुख्य सदस्य हो गया। उसके अंडर में 100 से
ज्यादा दलम सदस्य और 400 से ज्यादा संघम सदस्य थे।
दंतेवाड़ा एसपी नरेंद्र खरे ने बताया कि वह मोस्ट वांटेड कमांडर है।
उसके नेतृत्व में मार्च 2010 में किरंदुल माइंस में सीआईएसएफ कैंप पर हमला
हुआ। इसमें सात जवान शहीद हुए। बचेली में एक गाड़ी उड़ाई गई, जिसमें दो
जवानों की जान गई।
जगदलपुर में एस्सार कंपनी की 30 गाड़ियों को आग लगवाई। दो साल पहले
किरंदुल इलाके में सीआईएसएफ पर हमला बोला गया, जिसमें दो जवान शहीद हुए।
वर्ष 2012 में फिर सीआईएसएफ पोस्ट पर हमला किया, जिसमें भी दो जवान शहीद
हुए।
घरवाले कर रहे शादी की तैयारी
सुक्खी के घरवाले बदेरू से उसकी शादी की तैयारी कर रहे हैं। इसे लेकर
गांव में पंचायत बैठ चुकी है। आदिवासियों का रिवाज है युवक किसी युवती को
लेकर भाग जाए, तो लौटकर उसे लड़की के घरवालों को भेंट देनी पड़ती है। इसके
बाद पंचायत में शादी तय की जाती है।
छत्तीसगढ़िया है इसलिए प्रताड़ित
नक्सलियों के बड़े नेता आंध्र के हैं। वे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को
पहले बरगलाकर नक्सली बनाते हैं, फिर प्रताड़ित करते हैं। मानव अधिकारों के
हिसाब से शादी-ब्याह का हक सभी को है। बदेरू आत्मसमर्पण करता है तो पुलिस
उसे मुआवजा देगी।
रामनिवास, डीजीपी, छग
शिव, दुर्गा और हनुमान की पूजा धार्मिक कार्य नहीं!
इनकम टैक्स कमिश्नर ने नागपुर के शिव मंदिर देवस्थान पंच कमिटी
संस्थान को टैक्स पर छूट देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि मंदिर
अपनी 5 प्रतिशत रकम धार्मिक गतिविधियों पर खर्च करता है। इनकम टैक्स नियमों
के मुताबिक टैक्स पर छूट तभी मिल सकती है, जब संस्थान किसी धर्म, जाति या
वर्ग से सीधा-सीधा फायदा नहीं उठा रहा हो।
इनकम टैक्स कमिश्नर के फैसले के खिलाफ मंदिर संस्थान ने ट्रिब्यूनल का
दरवाजा खटखटाया, जहां पर आईटी कमिश्नर के आदेश को खारिज कर दिया गया।
ट्रिब्यूनल ने कहा, 'भगवान शिव, हनुमान, मां दुर्गा की पूजा और मंदिर के
रख-रखाव पर आया खर्च धार्मिक कार्यों में हुआ खर्च नहीं कहा जा सकता।'
ट्रिब्यूनल का कहना है कि हिंदू धर्म में कई सारे समुदाय हैं, जो
अलग-अलग तरीकों से देवताओं को पूजते हैं। यहां तक कि हिन्दू जीवन शैली में
इतनी आजादी है कि भगवान की पूजा करना भी जरूरी नहीं है।' ट्रिब्यूनल ने कहा
कि समुदाय वह होता है, जहां एक ही जगह पर रहने वाले लोग एक ही तरह के
कानूनों और नियमों का पालन करते हैं। ये सब ईसाई और इस्लाम पर लागू होता
है, हिन्दू पर नहीं।
यह मामला 2008 से चल रहा है। इस मामले में टैक्स से बचने के लिए शिव
मंदिर कमेटी संस्थान की तरफ से दलील दी गई कि मंदिर के दरवाजे हर समुदाय के
लिए के लिए खुले थे। जाति, धर्म वगैरह किसी तरह की चीज़ों का भेदभाव नहीं
किया। इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल के अकाउंटैंट मेंबर के. बंसल और जूडिशल मेंबर
डी.टी. गेरसिया ने इस बात से सहमत हुए। उन्होंने कहा कि धर्म का मतलब है
किसी 'सुपर ह्यूमन' चीज पर भरोसा करके उसकी पूजा करना। ट्रिब्यूनल ने कहा
कि ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया, जो यह साबित करता है कि मंदिर संस्थान
धर्म का प्रचार कर रहा था।
बुजुर्गों की कहावत है के हिम्मते मर्दा मददे खुदा यानी जो शख्स हिम्मत करता है खुदा उसकी मदद करता है
बुजुर्गों की कहावत है के हिम्मते मर्दा मददे
खुदा यानी जो शख्स हिम्मत करता है खुदा उसकी मदद करता है ..जी हाँ दोस्तों
यह कहावत कहावत नहीं एक हकीक़त है और कई मुश्किलों के दोर में अटके लोगों ने
इस कहावत को हकीक़त में बदल दिया है मुश्किलों को जीत कर खुद को आकाश कर
लिया है ......पिछले दिनों मेरे वालिद का स्वास्थ खराब चल रहा था इसलियें
सुबह सवेरे की सेर के लियें मुझे उन्हें रोज़ साथ लेजाना पढ़ा ..सुबह पांच बजे
जब हम निकलते फजर के बाद कोटा श्रीपुरा मोटर स्टेंड स्थित एक चाय के ठेले
पर हम जाते ..चाय वाला हम दो को देख कर दो चाय देता हम रूपये देते वोह
बाक़ी पेसे वापस लोटा देता था ..चाय भी टेस्टी और चाय की दूकान पर उसका रोज़
सुबह चार बजे से शाम सात बजे तक का यही रूटीन है एय्ह ठेले पर चाय बेचने
वाले स्मार्ट से अधेड़ जनाब करीब एक हजार चाय रोज़ बेचकर हजार रूपये प्रतिदिन
बचा लेता है खुद बर्तन धोना ..खुद चाय देना ..वगेरा वगेरा ...खेर हमारा यह
सिलसिला रोज़ का लगभग दो माह से लगातार बना था ....आज करीब दो दिन के वक्फे
के बाद में और मेरे वालिद साहब सुबह टहलने कर देरी से करीब छ बजे इस चाय
के ठेले पर पहुंचे वहां चहल पहल थी लोग ज्यादा थे दो मिलने वाले भी मिल गए
मेने ठेले पर चाय बना रहे उसी रोज़ मर्रा चाय देने वाले व्यक्ति से चार चाय
की कहा एक बार कहा दो बार कहा कोई जवाब नहीं आया बार बार कहा आखिर पास में
खड़े एक बुज़ुर्ग ने कहा भाई यह सुन और बोल नहीं सकता इसे इशारे से समझाओं तब
मेने चार उँगलियों का इशारा किया और इन जनाब ने चार चाय दे दी ..थोड़ी देर
बाद यही शख्स जब चाय के बरन लेकर धोने आया तो देखता हूँ के उसके एक पैर में
पोलियो भी है ..में सोचने लगा खुदा ने जिसकी बोलने ....सुनने और चलने
फिरने की ताक़त छीन ली वोह भी देख लो सिर्फ एक खुदा की ताकत हो हिम्मत होने
की वजह से ओरो से बहतर रोज़गार पर है ....में सोचने लगा के एक तरफ तो
हालातों को दोष देकर हालातों को कोसकर बेरोज़गारी का दंश झेल रहे बेरोजगार
नवयुवकों की फोज है और इनमे से ही कई जिदंगी हार कर आत्महत्याएं कर रहे है
और दूसरी तरफ खुदा ने जिसे बोलने सुनने और चलने फिरने की ताक़त नहीं दी वोह
हिम्मत की ताक़त पर वोह खुद के भरोसे पर हिम्मते मर्दा मददे खुदा की तर्ज़ पर
खुद अपना और परिवार का पेट पाल रहा है वाह रे खुदा तेरी कुदरत तू मेरे इस
देश के उन सभी बेरोजगार और हिम्मत हरे हुए नोजवानों को भी हिम्मत दे जो
बिना किसी वजह के म्हणत किये बगेर हिम्मत हार कर बेथ गए है .....अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
यहाँ का केसा नजारा है
यहाँ का केसा नजारा है
आज की यह केसी दुनिया
यहाँ का केसा नजारा है
कहते थे
माँ के पेरों के नीचे जन्नत है
लेकिन यहाँ तो बस
जन्नत माँ के पेरों के निचे से खिसक कर
बीवी के पेरों के निचे चली गयी है
इसीलियें तो
माँ की उपेक्षा
बीवी की फरमाबरदारी का नजारा है ......
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
आज की यह केसी दुनिया
यहाँ का केसा नजारा है
कहते थे
माँ के पेरों के नीचे जन्नत है
लेकिन यहाँ तो बस
जन्नत माँ के पेरों के निचे से खिसक कर
बीवी के पेरों के निचे चली गयी है
इसीलियें तो
माँ की उपेक्षा
बीवी की फरमाबरदारी का नजारा है ......
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
एक छोटे से मुंह से बढ़ी बात कहने की गुस्ताखी है .
एक छोटे से मुंह से बढ़ी बात कहने की गुस्ताखी है
.....दोस्तों अगर किसी को मुसलमान होने पर गर्व है ...अगर किसी को हिन्दू
होने पर गर्व है ...अगर किसी को इसाई होने पर गर्व है ...अगर किसी को सिक्ख
होने पर गर्व है ..तो क्या ऐसे गोरव्शाली पुरुष को इंसान कहा जा सकता है
...क्या ऐसे गोरव्शाली पुरुष को मेरे भारत महान का भारतीय कहा जा सकता है
..क्या ऐसे गोरव शाली पुरुष को मेरे हिन्दुस्तान का राष्ट्रीय पुरुष कहा
जा सकता है अगर नहीं तो उठो ऐसे गोरव शाली पुरुषों की सोच बदल दो अगर
हिन्दुस्तान नहीं रहा मेरा भारत महान नहीं रहा ..यहाँ मानवता इंसानियत नहीं
रही तो जनाब तुम कुछ भी तुम्हारे पास गोरव करने के लियें कुछ भी नही रहेगा
इसलिए देश पर गर्व करो ..राष्ट्रीयता पर गर्व करो मानवता पर गर्व करो
जुबां से नहीं सियासत से नहीं दिल से गर्व करो और आचरण से अमल करो
..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
में शरीफ हूँ
में शरीफ हूँ राष्ट्र को बचाना हो तो मुझे मार डालो यारों
में शरीफ हूँ
राष्ट्र को बचाना हे अगर
तो मुझे मार डालो यारों
जब कोई किसी को लुटता हे
में तो शरीफ हूँ
बस इसीलियें दरवाज़ा बंद कर बेठता हूँ
लोग चीखते हें चिल्लाते हें
में डरा सहमा अपने घर में रहता हूँ
क्योंकि में तो शरीफ हूँ यारों
लुट के बाद पुलिस आये तो भी
में गवाही नहीं देता हूँ
क्यूंकि में शरीफ हूँ यारों
मेरे सामने कत्ल हो बलात्कार हो
में देखता हूँ लेकिन
चुप रहता हूँ , मुजरिमों को सजा दिलवाने के लियें
उनके खिलाफ देख कर भी गवाही नहीं देता हूँ
क्योंकि में शरीफ हूँ यारों
मेरे और मेरे जेसे सेकड़ों शरीफों के सामने
केवल एक गुंडा
जब हंगामा मचाता हे
तो भी हम सब खामोश देखते रहते हें
क्यूंकि हम शरीफ हें यारों
हमें तो हमारी पढ़ी हे
जान बची रहे हमारी बस यही ख्वाहिश हे हमारी
राष्ट्र,राष्ट्र का अमन चेन जाय भाड़ में
हमें क्या पढ़ी हम तो शरीफ हे यारों
इसलियें कहता हूँ
राष्ट्र को बचाना हे अगर
तो मार डालो मुझे
क्योंकि में शरीफ हूँ यारों ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
में शरीफ हूँ
राष्ट्र को बचाना हे अगर
तो मुझे मार डालो यारों
जब कोई किसी को लुटता हे
में तो शरीफ हूँ
बस इसीलियें दरवाज़ा बंद कर बेठता हूँ
लोग चीखते हें चिल्लाते हें
में डरा सहमा अपने घर में रहता हूँ
क्योंकि में तो शरीफ हूँ यारों
लुट के बाद पुलिस आये तो भी
में गवाही नहीं देता हूँ
क्यूंकि में शरीफ हूँ यारों
मेरे सामने कत्ल हो बलात्कार हो
में देखता हूँ लेकिन
चुप रहता हूँ , मुजरिमों को सजा दिलवाने के लियें
उनके खिलाफ देख कर भी गवाही नहीं देता हूँ
क्योंकि में शरीफ हूँ यारों
मेरे और मेरे जेसे सेकड़ों शरीफों के सामने
केवल एक गुंडा
जब हंगामा मचाता हे
तो भी हम सब खामोश देखते रहते हें
क्यूंकि हम शरीफ हें यारों
हमें तो हमारी पढ़ी हे
जान बची रहे हमारी बस यही ख्वाहिश हे हमारी
राष्ट्र,राष्ट्र का अमन चेन जाय भाड़ में
हमें क्या पढ़ी हम तो शरीफ हे यारों
इसलियें कहता हूँ
राष्ट्र को बचाना हे अगर
तो मार डालो मुझे
क्योंकि में शरीफ हूँ यारों ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
अपने नफ्स का हिसाब लो
अपने नफ्स का हिसाब लो इससे पहले कि तुम से
हिसाब लिया जाए और हुकूक वालों का दाम-दाम, कौड़ी कौड़ी अदा कर दे और जिसकी
हतक अपनी जबान और हाथ से की हो या दिल से बदगुमान हुआ हो उससे माफ करा ले।
मरते वक्त दुनिया से इस तरह जाए कि कोई हक और कोई फर्ज जिम्मे न रहे तो
ऐसा शख्स बेहिसाब जन्नत में दाखिल होगा और अगर हुकूक अदा करने से पहले
दुनिया से जाएगा तो हकदार कयामत में उसको आ घेरेंगे। कोई हाथ पकड़ेगा, कोई
पेशानी के बाल, कोई कहेगा तूने मुझ पर जुल्म किया पस तू उस वक्त मुफलिस और
आजिज व मोहताज व जलील होगा। न कोई हक अदा कर सकता होगा न कोई उज्र रखता
होगा फिर तेरी नेकियां लेकर हकदारों के हुकूक के एवज उनको दे दी जाएंगी। और
अगर उस (जालिम) की नेकियां न होंगी तो मजलूम के गुनाह लेकर जालिम पर लाद
दिए जाएंगे।
कोई जज्बा औ ख़याल
Saroj Singh
जब किसी के ज़ेहन में
कोई जज्बा औ ख़याल
आवाज और तस्वीर के पैरहन में आने को
जी जान से मचला होगा !
तब उसने लकीरों के तिलस्म से
"हर्फ़ों" को बनाया होगा !
अपने जज्बे को जुबां की शक्ल देख
कितना इतराया होगा !
ऐ ज़बां को तह्ज़ीब बख्शने वाले
अब जो आकर देखो तो
इन हरफों के कुनबों ने
कितना शोर मचाया है ?
गर्द दह्शतों की ,
हुज़ूम मसाईलों का ,
झगडे मज़हबों के,
ज़िंदा रहने की होड मे मरते लोग ,
खुद को बचाने के एवज़
गैर का क़त्ल करते लोग .
वो तो भला हो उन परिंदों चरिंदों का
जो न पडे इन झमेलो मे
पहले जो बेखौफ रहते थे
अलबत्ते अब खौफज़दा से रह्ते हैं !
इलमी इंसानी तेवरो से अब वो बला के डरते हैं
गोया उनमे प्यार अमन ओ सुकून अब भी क़ायम है
और हम इन्ही नेमतों से महरूम हो गये !
ऐ जुबां को तह्ज़ीब बख्शने वाले
अब जो आकर देखो तो .....
तुम्हे इस ईजाद पर
अफ़सोस तो बहुत होगा
अफ़सोस तो बहुत होगा ...................!
~s-roz~
जब किसी के ज़ेहन में
कोई जज्बा औ ख़याल
आवाज और तस्वीर के पैरहन में आने को
जी जान से मचला होगा !
तब उसने लकीरों के तिलस्म से
"हर्फ़ों" को बनाया होगा !
अपने जज्बे को जुबां की शक्ल देख
कितना इतराया होगा !
ऐ ज़बां को तह्ज़ीब बख्शने वाले
अब जो आकर देखो तो
इन हरफों के कुनबों ने
कितना शोर मचाया है ?
गर्द दह्शतों की ,
हुज़ूम मसाईलों का ,
झगडे मज़हबों के,
ज़िंदा रहने की होड मे मरते लोग ,
खुद को बचाने के एवज़
गैर का क़त्ल करते लोग .
वो तो भला हो उन परिंदों चरिंदों का
जो न पडे इन झमेलो मे
पहले जो बेखौफ रहते थे
अलबत्ते अब खौफज़दा से रह्ते हैं !
इलमी इंसानी तेवरो से अब वो बला के डरते हैं
गोया उनमे प्यार अमन ओ सुकून अब भी क़ायम है
और हम इन्ही नेमतों से महरूम हो गये !
ऐ जुबां को तह्ज़ीब बख्शने वाले
अब जो आकर देखो तो .....
तुम्हे इस ईजाद पर
अफ़सोस तो बहुत होगा
अफ़सोस तो बहुत होगा ...................!
~s-roz~
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