कोटा के युवा सांसद इजैराज सिंह ने कोटा सम्भाग की जनता और गरीबों का दर्द
समझा और लगातार आन्दोलन पर डटे वकीलों को कोटा में राजस्थान हाई कोर्ट की
बेंच की मांग मनवाने के मामले में केन्द्रीय कानून मंत्री अश्वनी कुमार से
मिलवाया जहां कोटा के वकीलों ने और खुद सांसद इजैराज सिंह ने कोटा में
हाईकोर्ट खोलने की पुरजोर वकालत करते हुए कोटा में हाईकोर्ट की आवश्यकता और
फायदे बताये ......केन्द्रीय कानून मंत्री अश्वनी कुमार कोटा के वकील और
सांसद इजैराज सिंह द्वारा प्रस्तुत सबूतों से प्रभावित हुए और उन्होंने
कोटा में राजस्थान हाईकोर्ट की बेंच खोलने पर सिद्धांत अपनी सहमती जता दी
है लेकिन उन्होंने अब गेंद राजस्थान सरकार के पाले में डाल दी है
....केन्द्रीय कानून मंत्री अश्वनी का कहना है के इस मामले में राजस्थान
सरकार अपना प्रस्ताव बनाकर हमे भेजे और राजस्थान हाईकोर्ट में भी इस
प्रस्ताव को पारित करवाए ..कोटा में हाईकोर्ट खोलने के इन्फ्रा स्ट्रक्चर
तय्यार कर हमे भेजे हम निश्चित तोर पर कोटा में हाईकोर्ट बेंच खुलवा देंगे
...अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोजपूरी ने कहा के अब गेंद राजस्थान सरकार और
हाडोती के विधायकों के पाले में है के वोह हाडोती में हाईकोर्ट लाने के
लियें मुख्यमंत्री पर केसा दबाव बनाते है ..इधर खुद सांसद इजैराज सिंह ने
भी इस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से वार्ता करने की पहल
करने आश्वासन दिया है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 मार्च 2013
"मैं भी मुस्कुराना चाहता था,
"मैं भी मुस्कुराना चाहता था,
यह एक पंक्ति की बात तुम्हें कविता तो नहीं लगी होगी
कविता के ठेकेदारों के लिए यह कविता है भी नहीं
यह कहानी भी नहीं है ...उपन्यास भी नहीं कि इसका कोई बाजार हो
यह बड़े आदमी के साथ घटी कोई छोटी सी घटना भी तो नहीं है कि
इतिहास कहा जाये
इस लिए इतिहासविदों के लिए इतिहास भी नहीं है
यह किसी बेजान दारूवाला की दारू जैसी भविष्यवाणी भी नहीं
यह समाज शास्त्र भी नहीं ...अर्थशास्त्र भी नहीं
भौतिक ..रसायन ..भूगोल ...या बायलोजी भी नहीं ...सायक्लोजी भी नहीं
यह एक व्यक्ति की इच्छा है वोट बैंक की नहीं अतः राजनीति भी नहीं
संविधान के किसी भी प्राविधान में मुस्कुराना तो मौलिक अधिकार भी नहीं
इस लिए यह असंवैधानिक इच्छा है
इस मुश्किल हालात में मुस्कुराने का हक़ तो था मुझे
मैं भी मुस्कुराना चाहता था
मैं जानता हूँ तुम्हें यह कविता नहीं लगेगी
पर फिर भी
मैं मुस्कुराना चाहता था ." --- राजीव चतुर्वेदी
"मैं भी मुस्कुराना चाहता था,
यह एक पंक्ति की बात तुम्हें कविता तो नहीं लगी होगी
कविता के ठेकेदारों के लिए यह कविता है भी नहीं
यह कहानी भी नहीं है ...उपन्यास भी नहीं कि इसका कोई बाजार हो
यह बड़े आदमी के साथ घटी कोई छोटी सी घटना भी तो नहीं है कि
इतिहास कहा जाये
इस लिए इतिहासविदों के लिए इतिहास भी नहीं है
यह किसी बेजान दारूवाला की दारू जैसी भविष्यवाणी भी नहीं
यह समाज शास्त्र भी नहीं ...अर्थशास्त्र भी नहीं
भौतिक ..रसायन ..भूगोल ...या बायलोजी भी नहीं ...सायक्लोजी भी नहीं
यह एक व्यक्ति की इच्छा है वोट बैंक की नहीं अतः राजनीति भी नहीं
संविधान के किसी भी प्राविधान में मुस्कुराना तो मौलिक अधिकार भी नहीं
इस लिए यह असंवैधानिक इच्छा है
इस मुश्किल हालात में मुस्कुराने का हक़ तो था मुझे
मैं भी मुस्कुराना चाहता था
मैं जानता हूँ तुम्हें यह कविता नहीं लगेगी
पर फिर भी
मैं मुस्कुराना चाहता था ." --- राजीव चतुर्वेदी
यह एक पंक्ति की बात तुम्हें कविता तो नहीं लगी होगी
कविता के ठेकेदारों के लिए यह कविता है भी नहीं
यह कहानी भी नहीं है ...उपन्यास भी नहीं कि इसका कोई बाजार हो
यह बड़े आदमी के साथ घटी कोई छोटी सी घटना भी तो नहीं है कि
इतिहास कहा जाये
इस लिए इतिहासविदों के लिए इतिहास भी नहीं है
यह किसी बेजान दारूवाला की दारू जैसी भविष्यवाणी भी नहीं
यह समाज शास्त्र भी नहीं ...अर्थशास्त्र भी नहीं
भौतिक ..रसायन ..भूगोल ...या बायलोजी भी नहीं ...सायक्लोजी भी नहीं
यह एक व्यक्ति की इच्छा है वोट बैंक की नहीं अतः राजनीति भी नहीं
संविधान के किसी भी प्राविधान में मुस्कुराना तो मौलिक अधिकार भी नहीं
इस लिए यह असंवैधानिक इच्छा है
इस मुश्किल हालात में मुस्कुराने का हक़ तो था मुझे
मैं भी मुस्कुराना चाहता था
मैं जानता हूँ तुम्हें यह कविता नहीं लगेगी
पर फिर भी
मैं मुस्कुराना चाहता था ." --- राजीव चतुर्वेदी
सारा सूरज नहीं
सारा सूरज नहीं, सिर्फ थोड़ी सी धूप मिले
वो भी हो पैबंद लगी- तो भी गि़ला नहीं,
आप नदी का फिक्स डिपाॅजिट अपने नाम करा लें
यों भी घाट सुखों का हमको अब तक मिला नहीं,
लेकिन सारी प्यास लिये- किसी बूँद के सिरहाने
हम जीवन के किसी मोड़ पर सो तो सकते हैं//
राजपथों पर भी ठसके से आने-जाने वालों
हम अदने से हैं ,लेकिन-खुश हो तो सकते हैं।।
सारा सूरज नहीं, सिर्फ थोड़ी सी धूप मिले
वो भी हो पैबंद लगी- तो भी गि़ला नहीं,
आप नदी का फिक्स डिपाॅजिट अपने नाम करा लें
यों भी घाट सुखों का हमको अब तक मिला नहीं,
लेकिन सारी प्यास लिये- किसी बूँद के सिरहाने
हम जीवन के किसी मोड़ पर सो तो सकते हैं//
राजपथों पर भी ठसके से आने-जाने वालों
हम अदने से हैं ,लेकिन-खुश हो तो सकते हैं।।
वो भी हो पैबंद लगी- तो भी गि़ला नहीं,
आप नदी का फिक्स डिपाॅजिट अपने नाम करा लें
यों भी घाट सुखों का हमको अब तक मिला नहीं,
लेकिन सारी प्यास लिये- किसी बूँद के सिरहाने
हम जीवन के किसी मोड़ पर सो तो सकते हैं//
राजपथों पर भी ठसके से आने-जाने वालों
हम अदने से हैं ,लेकिन-खुश हो तो सकते हैं।।
" आज़ादी के दौर में पत्रकारिता परवान चढी थी.
"
आज़ादी के दौर में पत्रकारिता परवान चढी थी. "उद्दंड मार्तंड" और "सरस्वती"
के दौर में एक विज्ञापन निकलता है --"आवश्यकता है सम्पादक की, वेतन /भत्ता
- दो समय की रोटी -दाल, अंग्रेजों की जेल और मुकदमें" लाहौर का एक युवक
आवेदन करता है और प्रख्यात पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी उसको सम्पादक
नियुक्त करते हैं. सरदार भगत सिंह इस प्रकार अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत
करते हैं. तब पत्रकारिता प्रवृत्ति थी अब आज़ादी के बाद 'वृत्ति' यानी
आजीविका का साधन हो गयी. पहले पत्रकारिता मिशन थी अब कमीनो का कमीसन हो
गयी. भगत सिंह ने जब असेम्बली बम काण्ड किया तो अंग्रेजों को उनके विरुद्ध
कोई भारतीय गवाह नहीं मिल रहा था. तब दिल्ली के कनाटप्लेस पर फलों के जूस
की धकेल लगाने वाले सरदार सोभा सिंह ने अंग्रेजों के पक्ष में भगत सिंह के
विरुद्ध झूटी गवाही देकर भगत सिंह को फांसी दिलवाई और इस गद्दारी के बदले
सरदार शोभा सिंह को अंग्रेजों ने पुरुष्कृत करके " सर" की टाइटिल दी और
कनाट प्लेस के बहुत बड़े भाग का पत्ता भी उसके हक़ में कर दिया. मशहूर
पत्रकार खुशवंत सिंह इसी सरदार शोभा सिंह के पुत्र
हैं. अब पत्रकारों को तय ही करना होगा कई वह पुरुष्कृतों के प्रवक्ता हैं
या तिरष्कृतों के. यानी पत्रकारों की दो बिरादरी साफ़ हैं एक -- गणेश शंकर
विद्यार्थी /भगत सिंह के विचार वंशज और दूसरे सरदार शोभा सिंह के विचार
बीज. 2G की कुख्याति में हमने बरखा दत्त, वीर सिंघवी, प्रभु चावला और इनके
तमाम विचार वंशज पत्रकारों को "दलाल" के आरोप से हलाल किया फिर भी
पत्रकारिता के तमाम गुप चुप पाण्डेय अभी बचे हैं. विशेषकर इलेक्ट्रोनिक
मीडिया की मंडी की फ्राडिया राडिया रंडीयाँ और दलाल अभी भी सच से हलाल होना
शेष हैं. "पेड न्यूज" और "मीडिया मेनेजमेंट" जैसे शब्द संबोधन वर्तमान
मीडिया का चरित्र साफ़ कर देते हैं कि मीडिया का सच अब बिकाऊ है टिकाऊ नहीं.
क्या है कोई संस्था जो पत्रकारों पर आय की ज्ञात श्रोतों से अधिक धन होने
की विवेचना करे ? पहले सच मीडिया बताती थी और न्याय न्याय पालिका करती थी.
मीडिया और न्याय पालिका ही दो हाथ थे जो रोते हुए जन -गन -मन के आंसू
पोंछते थे. अब ये दोनों हाथ जनता के चीर हरण में लगे हैं. पत्रकारों से
प्रश्न है --"सच" में तो सामर्थ्य है पर क्या वर्तमान में मीडिया सच की
सारथी है या इतनी स्वार्थी है कि सच की अर्थी निकाल रही है." ---- राजीव
चतुर्वेदी
"
आज़ादी के दौर में पत्रकारिता परवान चढी थी. "उद्दंड मार्तंड" और "सरस्वती"
के दौर में एक विज्ञापन निकलता है --"आवश्यकता है सम्पादक की, वेतन /भत्ता
- दो समय की रोटी -दाल, अंग्रेजों की जेल और मुकदमें" लाहौर का एक युवक
आवेदन करता है और प्रख्यात पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी उसको सम्पादक
नियुक्त करते हैं. सरदार भगत सिंह इस प्रकार अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत
करते हैं. तब पत्रकारिता प्रवृत्ति थी अब आज़ादी के बाद 'वृत्ति' यानी
आजीविका का साधन हो गयी. पहले पत्रकारिता मिशन थी अब कमीनो का कमीसन हो
गयी. भगत सिंह ने जब असेम्बली बम काण्ड किया तो अंग्रेजों को उनके विरुद्ध
कोई भारतीय गवाह नहीं मिल रहा था. तब दिल्ली के कनाटप्लेस पर फलों के जूस
की धकेल लगाने वाले सरदार सोभा सिंह ने अंग्रेजों के पक्ष में भगत सिंह के
विरुद्ध झूटी गवाही देकर भगत सिंह को फांसी दिलवाई और इस गद्दारी के बदले
सरदार शोभा सिंह को अंग्रेजों ने पुरुष्कृत करके " सर" की टाइटिल दी और
कनाट प्लेस के बहुत बड़े भाग का पत्ता भी उसके हक़ में कर दिया. मशहूर
पत्रकार खुशवंत सिंह इसी सरदार शोभा सिंह के पुत्र
हैं. अब पत्रकारों को तय ही करना होगा कई वह पुरुष्कृतों के प्रवक्ता हैं
या तिरष्कृतों के. यानी पत्रकारों की दो बिरादरी साफ़ हैं एक -- गणेश शंकर
विद्यार्थी /भगत सिंह के विचार वंशज और दूसरे सरदार शोभा सिंह के विचार
बीज. 2G की कुख्याति में हमने बरखा दत्त, वीर सिंघवी, प्रभु चावला और इनके
तमाम विचार वंशज पत्रकारों को "दलाल" के आरोप से हलाल किया फिर भी
पत्रकारिता के तमाम गुप चुप पाण्डेय अभी बचे हैं. विशेषकर इलेक्ट्रोनिक
मीडिया की मंडी की फ्राडिया राडिया रंडीयाँ और दलाल अभी भी सच से हलाल होना
शेष हैं. "पेड न्यूज" और "मीडिया मेनेजमेंट" जैसे शब्द संबोधन वर्तमान
मीडिया का चरित्र साफ़ कर देते हैं कि मीडिया का सच अब बिकाऊ है टिकाऊ नहीं.
क्या है कोई संस्था जो पत्रकारों पर आय की ज्ञात श्रोतों से अधिक धन होने
की विवेचना करे ? पहले सच मीडिया बताती थी और न्याय न्याय पालिका करती थी.
मीडिया और न्याय पालिका ही दो हाथ थे जो रोते हुए जन -गन -मन के आंसू
पोंछते थे. अब ये दोनों हाथ जनता के चीर हरण में लगे हैं. पत्रकारों से
प्रश्न है --"सच" में तो सामर्थ्य है पर क्या वर्तमान में मीडिया सच की
सारथी है या इतनी स्वार्थी है कि सच की अर्थी निकाल रही है." ---- राजीव
चतुर्वेदी
23 को विष्णु पूजा के ये खास उपाय व मंत्र चमका देंगे किस्मत
हिन्दू धर्म पंचांग के हर माह की एकादशी तिथि (23
मार्च) पर जगतपालक भगवान विष्णु की उपासना का महत्व बताया गया है। माना
जाता है कि इस शुभ घड़ी में भगवान विष्णु की पूजा जीवन में सुख, शांति,
सद्भाव और समृद्धि लाने वाली होती है। कल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की ही
एकादशी तिथि है।
इस दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए धार्मिक आस्था से कहा भी जाता है कि –
इस दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए धार्मिक आस्था से कहा भी जाता है कि –
श्रीविष्णु की शरण सदा सुख खान।
सकल मनोरथ देव प्रभु, जो चाहे कल्याण।।
जिसका मतलब है कि श्री विष्णु भगवान की शरण लेने वाला हर सुख पा लेता है। हर मुराद पूरी व मनचाही खुशहाली मिलती है।
यही वजह है कि इस तिथि पर खासतौर पर कामकाजी या किसी विवशता में
शास्त्रोक्त विधि-विधानों से भगवान विष्णु की उपासना न कर पाने वाले लोगों
के लिए अगली तस्वीर के साथ बताए खास उपाय व मंत्र सुख-समृद्धि व शांति पाने
के लिए बहुत ही मंगलकारी माने गए हैं -
- सुबह सूर्यादय से पहले उठकर नित्य कर्म कर, स्नान के बाद कर भगवान विष्णु
की सोलह उपचारों या पूजन सामगियों जिनमें केसर चंदह, पीले फूल, पीला
वस्त्र, इत्र खासतौर पर शामिल हो, से भगवान की पूजा करनी चाहिए।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए।
- तुलसी के पत्तों पर "ऊँ" या "कृष्ण" चन्दन से लिखकर भगवान शालिग्राम पर
अर्पित करना चाहिए। साथ ही यह मंत्र बोलना चाहिए "भक्तस्तुतो भक्तपर:
कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:। कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया
परा।।"
श्रीशालिग्राम शिला की पूजा ब्राह्मण द्वारा या स्वयं पूरे विधान से करना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।
इस दिन घर, मंदिर, तीर्थ और पवित्र देवस्थानों में भगवान विष्णु की पूजा
के साथ ही व्रत-उपवास करने के साथ दान, पुण्य, पूजा, कथा व " श्रीकृष्ण
गोविन्द हरे मुरारी। हे नाथ नारायण वासुदेव।" ये नाम लेकर कीर्तन और जागरण
करना चाहिए।
तुझे मेरे कल कि कसम
Satish Sharma
तुझे मेरे कल कि कसम -ए मेरे हमवतन ,
जो बीता दिए हमने -अंधेरों में रौशनी के लिए.
गला दिये मोम से जिस्म -शिकवा ना शिकायत की ,
जला दिए सब अपने वजूद -देश कि ख़ुशी के लिए .
जमाना कहता रहा - ना रोये अपनी बेबसी पर ,
हँसे ने खुल के अपनी जीत -उनकी शिकस्त पर .
तुम्हे फूलों कि चाह में -बिस्तर किये खुद खारों के
चमन को सीचना चाहा था - झोकों से बहारों के .
आज भी चाह नहीं पूजो -कि आरती उतारो तुम
इन्हें आबाद रखना - जो हम नहीं रहे तो क्या ,
चमन आबाद रहना चाहिए -चाहे कई माली नहीं रहे .
गुलिस्ता अपने फूलों से कभी खाली नहीं रहे .
तुझे मेरे कल कि कसम -ए मेरे हमवतन ,
जो बीता दिए हमने -अंधेरों में रौशनी के लिए.
गला दिये मोम से जिस्म -शिकवा ना शिकायत की ,
जला दिए सब अपने वजूद -देश कि ख़ुशी के लिए .
जमाना कहता रहा - ना रोये अपनी बेबसी पर ,
हँसे ने खुल के अपनी जीत -उनकी शिकस्त पर .
तुम्हे फूलों कि चाह में -बिस्तर किये खुद खारों के
चमन को सीचना चाहा था - झोकों से बहारों के .
आज भी चाह नहीं पूजो -कि आरती उतारो तुम
इन्हें आबाद रखना - जो हम नहीं रहे तो क्या ,
चमन आबाद रहना चाहिए -चाहे कई माली नहीं रहे .
गुलिस्ता अपने फूलों से कभी खाली नहीं रहे .
लगे जो आग
Satish Sharma
लगे जो आग समंदर में तो क्या
आज पानी की प्यास किसको है .
तूफां से खेलने का शौक रखते हैं
कश्तियों की तलाश किसको है .
लगे जो आग समंदर में तो क्या
आज पानी की प्यास किसको है .
तूफां से खेलने का शौक रखते हैं
कश्तियों की तलाश किसको है .
7 साल में कांग्रेस को 2000 करोड़ रु. और भाजपा को 994 करोड़ रु. चंदा मिला
जयपुर.राजनीतिक दलों को फंडिंग करने के लिए देश के बड़े
कॉपरेरेट समूहों ने बाकायदा ट्रस्ट बना लिए हैं। इन ट्रस्टों के जरिए
कंपनियों ने बड़े राजनीतिक दलों को फंडिंग की है। बड़ी कंपनियों के इन
ट्रस्टों में वेदांता समूह का पब्लिक एंड पॉलिटिकल अवेयरनेस ट्रस्ट, जनरल
इलेक्टोरल ट्रस्ट, एयरटेल का भारती इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं। जनरल इलेक्टोरल
ट्रस्ट ने 200४-0५ से 2010-11 तक कांग्रेस को 36.41 करोड़ रुपए, भाजपा को
26.57 करोड़ रुपए, पब्लिक एंड पॉलिटिकल अवेयरनेस ट्रस्ट ने कांग्रेस को
14.50 करोड़ , भारती इलेक्टोरल ट्रस्ट ने कांग्रेस को 11 करोड़ दिए।
नेशनल इलेक्शन वाच और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनिल
बैरवाल, रेणुका पामेचा और कमल टाक ने आरटीआई से हासिल दस्तावेजों के जरिये
गुरुवार को यह खुलासा हुआ है। राजनीतिक दलों के आयकर विवरण के विश्लेषण के
बाद यह खुलासा हुआ है कि कांग्रेस और भाजपा देश में सबसे ज्यादा आय वाले
राजनीतिक दल हैं। 04-05 से 10-11 की अवधि में कांग्रेस को 2008.71 करोड़
रुपए की आय हुई। इस अवधि में भाजपा को 994.76 करोड़, बसपा को 438.39 करोड़,
माकपा को 417.26 करोड़, सपा को 278.55 करोड़ और जेडीयू को 26.67 करोड़
रुपए की आय हुई है। पाटिर्यो को यह आय चंदे, दान और अन्य स्रोतों से हुई
है।
राजस्थान से कांग्रेस को दान देने वाले बड़े दानदाता
दानदाता दान की रकम वर्ष
नेशनल इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज लि. 37.50 लाख 09-10
सिक्योर मीटर्स लिमिटेड 10 लाख 09-10
वॉल केम इंडिया लिमिटेड 10 लाख 09-10
पीआई इंडस्ट्रीज लि. 05 लाख 09-10
श्री सीमेंट लिमिटेड 2.50 लाख 04-05 नकद
राजस्थान से भाजपा को दान देने वाले बड़े दानदाता
दानदाता दान की रकम वर्ष
नेशनल इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज लि. 37.50 लाख 09-10
श्री सीमेंट लिमिटेड 25 लाख 04-05
राजेंद्र ट्रेडिंग कंपनी 10 लाख 07-08
पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड 9.70 लाख 03-05
वेल केम इंडिया लिमिटेड 04 लाख 04-05
सिक्योर मीटर लिमिटेड 1.70 लाख 03-04
सियाराम एक्सपोर्ट 1.31 लाख 03-04
विदेश से चंदा लेने में भाजपा कांग्रेस से आगे
कांग्रेस को पिछले नौ साल में विदेशों से 9.83 करोड़ रुपए का चंदा
मिला, जिसका आयकर दस्तावेजों में पार्टी ने उल्लेख किया है। कांग्रेस को
वेदांता की सहायक कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड ने 6 करोड़,
सेसा गोवा लिमिटेड ने 2.78 करोड़, सोलरीज होल्डिंग्स लिमिटेड ने 1 करोड़ और
हयात रीजेंसी ने 5 लाख रु. दिए। विदेशों से मिला 19.42 करोड़ का फंड
विदेशों से चंदा व दान का पैसा लेने में भाजपा आगे रही है।
भाजपा ने 2006-07 में डाउ केमिकल से 1 लाख रुपए का चंदा लिया। यह वहीं
कंपनी है जिसने भोपाल गैस त्रासदी की जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड का
अधिग्रहण किया था। भाजपा को 03-04 से 11-12 के बीच विदेशों से 19.42 करोड़
रुपए की फंडिंग मिली। पब्लिक एंड पॉलिटिकल अवेयरनेस ट्रस्ट से 14.50 करोड़,
वेदांता द मद्रास एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड कंपनी से 3.50 करोड़, सेसा
गोवा लिमिटेड से 1.41 करोड़ का विदेशी फंड मिला।
'हॉट योग' गुरु ने अमेरिकी शिष्या को दिया डिनर के बाद सेक्स का ऑफर!
न्यू यॉर्क। दुनिया के सबसे अमीर योग गुरु बिक्रम चौधरी मुसीबतों
में फंस गए हैं। चौधरी की एक युवा शिष्या ने उन पर यौन उत्पीड़न का
आरोप लगाकर पूरे अमेरिका में सनसनी फैला दी है। सारा का आरोप है कि साल
2007 में बिक्रम चौधरी ने उसे डिनर के बाद सेक्स का ऑफर किया। बिक्रम ने
2008 में फिर से सारा को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की थी। (
29 साल की सारा बॉन ने इस मामले में लॉस एंजिल्स की एक अदालत में केस
दर्ज कराया है। इसमें कहा गया है कि बिक्रम चौधरी ने उनकी मर्जी के बिना
उनके शरीर को दबाया और आपत्तिजनक कमेंट किए।
67 साल के चौधरी के शिष्यों में मेडोना और पिपा मिडल्टॉन जैसी
सेलेब्रिटी शामिल हैं। बिक्रम चौधरी ने सारा से अपनी पत्नी के बारे में भी
ऊटपटांग बातें कीं। उन्होंने बॉन से कहा कि उनकी पत्नी राजश्री 'कुतिया'
है। उन्हें बॉन ही उससे बचा सकती है।
सारा जब कॉलेज में पढ़ती थीं, तब से बिक्रम योगा क्लासेस में जाती
थी। सारा 2005 में पहली बार लॉस एंजिल्स में बिक्रम योगा सेंटर में गई
थीं। बिक्रम चौधरी ने सारा से कहा था, 'मैं तुम्हें पिछले जन्म से जानता
हूं। हमारे बीच में कुछ है। यह आश्चर्यजनक है। क्या हम एक रिश्ते में
बंध सकते हैं ?’
एएसपी ने कहा- चार बच्चों की मां का कौन करेगा रेप?
लखनऊ. यूपी पुलिस का संवेदनहीन चेहरा एक बार फिर सामने आया है।
देवरिया में तैनात एएसपी रैंक के एक अधिकारी ने रेप की शिकार उस महिला की
बेइज्जती कर डाली जो केस दर्ज करवाने थाने गई थी। थाने में शिकायत दर्ज
नहीं होने पर चार बच्चों की मां यह महिला न्याय की आस लिए एक बड़े अफसर के
पास गई।
देवरिया जिले के बनकटा थाने में पुलिस ने इस महिला की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया तो 35 साल की यह दलित महिला अपने पति के साथ एएसपी केशव चंद्र गोस्वामी के पास गई। एएसपी ने पहले पूछा कि महिला के कितने बच्चे हैं तो जवाब मिला चार। उन्हें यह भी बताया गया कि महिला के बड़े बच्चे की उम्र 16-17 साल के करीब है। महिला के बारे में जानकारी लेने के बाद एएसपी ने कहा, 'इतनी पुरानी औरत से बलात्कार कौन करेगा?' हालांकि उन्होंने यह भी कहा, 'ठीक है, मैं जांच कर लेता हूं' लेकिन एएसपी का आपत्तिजनक बयान मीडियाकर्मियों के कैमरे में कैद हो गया। मामले ने तूल पकड़ा तो आईजी को अपने अफसर के बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी।
आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) आर के विश्वकर्मा ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर अपने अफसर के इस रवैये पर खेद जताया और माफी मांगी। उन्होंने बताया कि पीडित महिला की शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। आईजी ने महिला को अपमानित करने वाले बयान के लिए अफसर पर कारवाई करने का भी भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि मिडिल लेवल के पुलिस अफसरों को खास ट्रेनिंग दिए जाने की जरूरत है कि आम लोगों या मीडिया से बातचीत के दौरान उन्हें कैसा रवैया अपनाना चाहिए।
देवरिया जिले के बनकटा थाने में पुलिस ने इस महिला की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया तो 35 साल की यह दलित महिला अपने पति के साथ एएसपी केशव चंद्र गोस्वामी के पास गई। एएसपी ने पहले पूछा कि महिला के कितने बच्चे हैं तो जवाब मिला चार। उन्हें यह भी बताया गया कि महिला के बड़े बच्चे की उम्र 16-17 साल के करीब है। महिला के बारे में जानकारी लेने के बाद एएसपी ने कहा, 'इतनी पुरानी औरत से बलात्कार कौन करेगा?' हालांकि उन्होंने यह भी कहा, 'ठीक है, मैं जांच कर लेता हूं' लेकिन एएसपी का आपत्तिजनक बयान मीडियाकर्मियों के कैमरे में कैद हो गया। मामले ने तूल पकड़ा तो आईजी को अपने अफसर के बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी।
आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) आर के विश्वकर्मा ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर अपने अफसर के इस रवैये पर खेद जताया और माफी मांगी। उन्होंने बताया कि पीडित महिला की शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। आईजी ने महिला को अपमानित करने वाले बयान के लिए अफसर पर कारवाई करने का भी भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि मिडिल लेवल के पुलिस अफसरों को खास ट्रेनिंग दिए जाने की जरूरत है कि आम लोगों या मीडिया से बातचीत के दौरान उन्हें कैसा रवैया अपनाना चाहिए।
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