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23 मार्च 2013

अलग-अलग फूलों का अपना महत्व है पूजा में



। भगवान श्रीहरि पुष्प, गन्ध, धूप, दीप और नैवेद्य के समर्पण से ही प्रसन्न हो जाते हैं। पूजन में मालती पुष्प उत्तम है। तमाल पुष्प भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला है। मल्लिका यानि मोतिया समस्त पापों का नाश करती है तथा यूथिका यानि जूही विष्णुलोक प्रदान करने वाली है। अतिमुक्तक यानि मोंगरी और लोध्रपुष्प विष्णुलोक की प्राप्ति कराने वाले हैं। करवीर-कुसुमों से पूजन करने वाला बैकुण्ठ को प्राप्त होता है तथा जपा पुष्पों से मनुष्य पुण्य उपलब्ध कराता है।

पावन्ती, कुब्जक और तगर पुष्पों से पूजन करने वाला विष्णुलोक का अधिकारी होता है। कर्णिकार यानि कनेर द्वारा पूजन करने से बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है एवं कुरुण्ट यानि पीली कटसरैया के पुष्पों से किया हुआ पूजन पापों का नाश करने वाला होता है। कमल, कुन्द एवं केतकी के पुष्पों से परमगति की प्राप्ति होती है। बाणपुष्प, बर्बर पुष्प और कृष्ण तुलसी के पत्तों से पूजन करने वाला श्रीहरि के लोक में जाता है। अशोक, तिलक तथा आटरूष के फूलों का पूजन में उपयोग करने से मनुष्य मोक्ष का भागी होता है। तमालदल तथा भृगराज कुसुमों से पूजन करने वाला विष्णुलोक में निवास करता है। कृष्ण तुलसी, शुक्ल तुलसी, कल्हार, उत्पल, पद्म एवं कोकनद- ये पुष्प पुण्यप्रद माने गये हैं।

भगवान श्रीहरि सौ कमलों की माला समर्पण करने से परम प्रसन्न होते हैं। नीप, अजफ्रन, कदम्ब, सुगन्धित बकुल यानि मौलसिरी, किंशुक यानि पलाश, मुनि यानि अगस्त्यपुष्प, गोकर्ण, नागकर्ण यानि रक्त एरण्ड, संभ्यापुष्पी यानि चमेली, बिल्वातक, रंजनी एवं केतकी तथा कूष्माण्ड, ग्रामकक्रटी, कुश, कास, सरपत, विभीतक, मरुआ तथा अन्य सुगन्धित पत्रों द्वारा भक्तिपूर्वक पूजन करने से भगवान श्रीहरि प्रसन्न हो जाते हैं। इनसे पूजन करने वाले के पाप नाश होकर उसको भोग मोक्ष की प्राप्ति होती है। लक्ष स्वर्णभार से पुष्प उत्तम है, पुष्पमाला उससे भी करोड़गुनी श्रेष्ठ है, अपने तथा दूसरों के उद्यान के पुष्पों की अपेक्षा वन्य पुष्पों का तिगुना फल माना गया है।

झड़कर गिरे एवं मसले हुए पुष्पों से श्रीहरि का पूजन न करें। इसी प्रकार कचनार, धत्तूर, गिरिकर्णिका यानि सफेद किणही, कुटज, शाल्मलि यानि सेमर एवं शिरीष यानि सिरस वृक्ष के पुष्पों से भी श्रीविष्णु की अर्चना ना करें। इससे पूजा करने वाले का नरक आदि में पतन होता है। विष्णु भगवान का सुगन्धित रक्तकमल तथा नीलकमल कुसुमों से पूजन होता है। भगवान शिव का आक, मदार, धत्तूर पुष्पों से पूजन किया जाता है। किंतु कटज, कक्रटी एवं केतकी यानि केवड़े के फूल भगवान शिव पर नहीं चढ़ाने चाहिएं। कूष्माण्ड एवं निम्ब के पुष्प तथा अन्य गन्धहीन पुष्प पैशाच माने गये हैं।

अहिंसा, इन्द्रियसंयम, क्षमा, ज्ञान, दया एवं स्वाध्याय आदि आठ भावपुष्पों से देवताओं का यजन करके मनुष्य भोग मोक्ष का भागी होता है। इनमें अहिंसा प्रथम पुष्प है, इन्द्रिय निग्रह द्वितीय पुष्प है, सम्पूर्ण भूत प्राणियों पर दा तृतीय पुष्प है, क्षमा चौथा विशिष्ट पुष्प है। इसी प्रकार क्रमशः शम, तम एवं ध्यान पांचवें, छठे और सातवें पुष्प हैं।

सत्य आठवां पुष्प है। इनसे पूजित होने पर भगवान केशव प्रसन्न हो जाते हैं। इन आठ भावपुष्पों से पूजा करने पर ही भगवान केशव संतुष्ट होते हैं। अन्य पुष्प तो पूजा के बाह्य उपकरण हैं, श्रीविष्णु तो भक्ति एवं दया से समन्वित भाव पुष्पों द्वारा पूजित होने पर परितुष्ट होते हैं। जल वारुण पुष्प है। घृत, दुग्ध, दधि सौम्य पुष्प हैं। अन्नादि प्राजापत्य पुष्प हैं, धूप-दीप आग्नेय पुष्प हैं, फल पुष्पादि पंचम वानस्पत्य पुष्प हैं, कुशमूल आदि पार्थिव पुष्प हैं, गंध चंदन वायव्य कुसुम हैं, श्रद्धादि भाव वैष्णव प्रसून हैं। ये आठ पुष्पिकाएं हैं, जो सब कुछ देने वाली हैं। आसन, मूर्ति निर्माण, पंचांगन्यास तथा अष्टपुष्पिकाएं- ये विष्णुरूप हैं। भगवान श्रीहरि पूर्वोक्त अष्टपुष्पिका द्वारा पूजन करने से प्रसन्न होते हैं। इसके अतिरिक्त भगवान श्रीविष्णु का ‘वासुदेव’ आदि नामों से एवं श्री शिव का ‘ईशान’ आदि नाम पुष्पों से भी पूजन किया जाता है।

मेरा कफन

मेरा कफन
अभी अभी तो
सुखा था
तूने फिर
इस कफन को
अपने गर्म
आंसुओं से
क्यूँ गिला कर दिया ......
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आज फिर सपने में तुम्हें देखा ...

Minakshi Pant
जिस्म से अलग मिलो कहीं

आज फिर सपने में तुम्हें देखा ...
इस बार भी तुम्हे छुने की
ख्वाइश हुई ...
आज फिर बड़ी मुश्किल से
खुद को रोका मैंने ...
इस बीच तो हवस के सिवा
कुछ भी नहीं ...
कभी मिलो जिस्म से अलग
कही दूर मुझसे ...
जहाँ न तुम और न ही
मैं रहूँ ...
एक दूजे के अहसास का
सिर्फ जल तरंग सा बजे
ये इजहार और इकरारे वफा से
अच्छा होगा ...
फिर हवस का न इसमें
नामों निशां होगा

क्यूँ हंसी मजाक करते हो

क्यूँ हंसी मजाक करते हो
क्यूँ इस लोकतंत्र में
मानवाधिकार की बात करते हो
यहाँ मानवाधिकार आयोग तो बना देंगे
आप जानते हो उसके अधिकार
बस वेतन लो ..गाड़ियों में घुमो
और जिला स्तर पर राज्य स्तर पर
क्या मानवाधिकार केसा मानवाधिकार
इसके बारे में कोई बात न करना
यहाँ रोज़ लाखों क्व्निन्तल शिकायत की रद्दी बेचीं जाती है ....

....मेरी अभीव्यक्ति

....मेरी अभीव्यक्ति...मै दर्द मिटाने आया हु,मै प्रेम जगाने आयाहु,
राहो मे तेरे काटे नही ,मै फूल बिचाने आया हु!
जख्म चाहे गहरे हो पर मै ,मलम लगाने आया हु!
कोयल सी बोली बोलो यारो, मै काग का राग छुडाने आया हु
दुखियारो का दुख मिटा कर, निर्बल को सम्बल देने आया हु!
तुम जो चाहो हाथ थाम लो ,मै नया जोश जगाने आया हु!
घर घर जाउंगा,एक नई अलख जगाउंगा!
छुआ छुत का भेद मिटा कर,समरस्ता बरसाउंगा!
मत छोड मुस्कान ओ साथी मेरे, मै दर्द मिटाने आया हु!

"रंग अब रोचक नहीं लगते

Rajiv Chaturvedi
"रंग अब रोचक नहीं लगते
संग षड्यंत्रों से सहमा है
चलो इस शहर से दूर
सुनसानो में संगीत सुनता हूँ तेरी याद का
जिन्दगी जब बीत जाएगी तो लौट आऊँगा में
तुम्हारे ड्राइंग रूम में टंगी तश्वीर में
एक और तश्वीर बन कर ." ----राजीव चतुर्वेदी

"चुप हैं चिडियाँ गिद्धों की आहट पा कर.

Rajiv Chaturvedi
"चुप हैं चिडियाँ गिद्धों की आहट पा कर.
बस्ती भी चुप है सिद्धों की आहट पा कर
अंदर के सन्नाटे से सहमा हूँ मैं पर बाहर शोर बहुत है
संगीत कभी सुन पाओ तो मुझको भी बतला देना, --कैसा लगता है ?
शब्द सहम से जाते हैं खामोशी से बोले तो थे पहले फिर वह मौन हुए
साहित्यों की दुनिया मैं भी सन्नाटा तारी है
संस्कृतियाँ संकट में हैं यह भी कहते हैं लोग यहाँ
पर अभियुक्तों की आहट पा कर सच भी मौन हुया
स चुप्पी को अब कौन कहाँ से तोडेगा ?
बोलो तुम अंतर्मन की आवाजों से
मैं भी चीखूँ अब खडा हुआ फुटपाथों से
चुप हैं चिडियाँ गिद्धों की आहट पा कर.
बस्ती भी चुप है सिद्धों की आहट पा कर
जन - गण भी चुप है सरकारी राहत पा कर
सच घायल है पर मौत नहीं उसकी होगी
चीखो तुम भी ...चीखूँ मैं भी ---यह आवाजें अब आसमान को छू लेंगी ." ---राजीव चतुर्वेदी

दोस्तों कल राजस्थान में भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में अचानक दो सरकारी सी आई डी खुफिया अफसरों को भाजपा के नेताओं ने धर लिया

दोस्तों कल राजस्थान में भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में अचानक दो सरकारी सी आई डी खुफिया अफसरों को भाजपा के नेताओं ने धर लिया .....यह ख़ुफ़िया अधिकारी चोरी छिपे पत्रकार का धारण कर इस बैठक का कवरेज करने गए थे ....यह बात कोई नई नहीं है पहले खुद वसुंधरा के कार्यकाल में भी भाजपा के ही बागी खेमे की रिपोर्टिंग के लियें ख़ुफ़िया पुलिस ऐसा कर चुकी है केन्द्रीय मंत्री चिदम्बरम पर वर्तमान राष्ट्रपति की जासूसी के आरोप लगे ..अभी अरुण जेठ्ली सहित कई नेताओं के टेलीफोन टेप करने और उनकी जासूसी करने के मामले चल रहे है कुल मिलाकर हमारी सरकारें सी बी आई के दुरूपयोग के लियें और पुलिस के दुरूपयोग के लियें खुले रूप से बदनाम है लेकिन जो ताकत हमारी विदेशी आंतकवादियों को रोकने की है ..आन्तरिक कलह के बारे में जानकारी प्राप्त करने की है उसे हम केवल और केवल सियासी जानकारी के लियें लगा देते है अफ़सोस तो इस बात पर है के इस काम में देश हित की राष्ट्रभक्ति की शपथ लेने वाले अधिकारी भी सरकार में बेठे दो कोडी के लोगों के मददगार होते है और एक दुसरे के परस्पर उल्लू सीधा करते देखे जा सकते है ..ख़ुफ़िया अयोग्य अधिकारी प्रमोशन प्राप्त करते है सुविधाएँ लेते है जबकि योग्य लोग दफ्तर की धूल चाटते नज़र आते है ....जी हाँ दोस्तों हमारे देश में आई बी एक संस्था है जिसका काम देश में आंतरिक अराजकता ....आतंकवाद ..देश के दुश्मनों का पता लगाना है लेकिन अफ़सोस की बात है के आई बी के अधिकारीयों को मजबूर किया जाता है के किस विधानसभा क्षेत्र से कोन्सा उम्मीदवार ठीक रहेगा सत्ता पार्टी की क्या स्थिति है ....सियासी मुद्ददे कोनसे है जो चुनाव को प्रभावित करेंगे ..कोन अधिकारी सत्ता के खिलाफ है ....सियासत का मतदाताओं का क्या असर है रोज़ मर्रा हमारे देश के हजारों आई बी अधिकारी जो लाखों रूपये का वेतन देश की सुरक्षा को खतरे को रोकने वाली खबरों को एकत्रित करने के लियें तेनात है वोह सियासी खबरों को अपने नेताओं को खुश करने के लियें कलेक्ट करते देखे  जा सकते है मजेदार बात तो यह है के इन आई बी या दुसरे ख़ुफ़िया अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर कार्यवाही भी नहीं होती है नेता रिपोर्ट तो सभी से मंगवाते है लेकिन ना तो प्रशासनिक सुधर करते है और न ही सियासी सुधर करते है ऐसे में इन अधिकारियों की पूरी महनत बेकार जाती है जेसा सभी जानते है जब सरकारे बदलती है तो सरकारें जाने के पहले यह अधिकारी यह सत्ता पक्ष के लोग विपक्षी नेताओं के खिलाफ एकत्रित जानकारिय या खुद की पार्टी के बागी नेतओं की ख़ुफ़िया जानकारियाँ जला कर नष्ट क्र देते है जो अरबों रूपये के खर्च से सूचनाएं एकत्रित होती है वोह सूचनाये पल भर में स्वाहा हो जाती है ..दोस्तों सरकारे ख़ुफ़िया अधिकारीयों को बेकार की सूचनाये एकत्रित करवाने के स्थान पर अगर आतंककारी घटनाओं की जानकारी को एकत्रित करने के लियें लगवाएं तो शायद देश की सरहदों पर कोई आतंकी परिंदा भी पर नहीं मार सके ..इतना ही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों पर होने वाली आंतककारी घटनाओं पर भी रोक लग सकेगी लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा शायद हाँ शायद नहीं ..हां अगर खुफिया अधिकारी इस मामले में राजनितिक चापलूसी समाप्त क्र खुद को देश हित में राष्ट्र हित में लगा दे तो देश की तस्वीर बदल जायेगी लेकिन वोह भी क्या करें उन्हें रिटायरमेंट के बाद किताबे लिख कर पार्टियों के लियें जासूसी करके रूपये कमाना पढ़ते है इसलियें तो वोह भी इस पाप में जनता के खिलाफ कानून के खिलाफ उनकी  राष्ट्रभक्ति की शपथ के खिलाफ वोह यह सब करते हुए पाए जाते है और इस गद्दारी को यह ख़ुफ़िया पुलिस के लोग अपनी वफादारी समझ कर नेताओं के तलवे चाटते नज़र आते है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पहले भगवान से प्रार्थना की, फिर चोरी




जयपुर। दुर्गापुरा स्थित एक होटल में गुरूवार देर रात घुसे एक चोर ने रिसेप्शन पर लगी भगवान की मूर्ति के सामने प्रार्थना की, फिर एक विदेशी पर्यटक की नकदी और सामान उठा ले गया। होटल के सीसीटीवी फुटेज में वह भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करता दिख रहा है। जवाहर सर्किल थाना पुलिस फुटेज के आधार पर उसे तलाश रही है।
जानकारी के मुताबिक, चोरी की वारदात होटल एन्जिल में ठहरे डेनमार्क निवासी कमाल तोजलॉज के कमरे में हुई। 8 मार्च को जयपुर आए तोजलॉज को 22 मार्च की सुबह डबल डेकर ट्रेन से दिल्ली जाना था। वह शुक्रवार सुबह सोकर उठा तो  दरवाजा खुला था और टेबल पर रखे 200 डॉलर, 150 यूरो, भारतीय रूपए, मोबाइल और घड़ी गायब थी। चोरी गई नकदी 1.75 लाख रूपए के बराबर है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो पता चला कि चोर गुरूवार देर रात 3:19 बजे होटल में घुसा। उसने भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़े, फिर कमरे में घुसा और सामान लेकर निकल गया।

अनशन पर बैठे जैन मुनि




अजमेर। जैन श्वेताम्बर समाज में धडेबंदी से आहत होकर दादाबाड़ी मेें मणिप्रभ सागर के शिष्य मुनि मैत्रीप्रभ सागर अनशन पर बैठ गए हैं। वे जैन श्वेताम्बर समाज को एकसूत्र में पिरोना चाहते हैं। बीते दो दिन से अनशन पर बैठे मुनि ने शनिवार रात दो टूक कहा कि यदि दोनों धड़ों ने बुधवार तक (आगामी पूर्णिमा) तक आपसी सहमति से विवाद खत्म नहीं किया तो वे अपने जीवन को लेकर कठोर निर्णय भी कर सकते हैं। दोनों धड़े इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार होंगे।
मुनि के अनशन शुरू करने के बाद श्री जैन श्वेताम्बर खतरगच्छ संघ तथा श्री जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ के पदाघिकारी उन्हें मनाने मे जुट गए हैं। हालांकि मुनि इस बात पर अडिग हैं कि पहले दोनों संघो के पदाघिकारी एक साथ बैठकर आपसी विवाद समाप्त करें। उसके बाद ही वे अपना अनशन तोड़ेंगे। मुनि ने शुक्रवार सुबह 9 बजे से अन्न-जल पूर्ण रूप से त्याग कर रखा है। मुनि ने शनिवार रात पत्रकारो से बातचीत में कहा कि दादाबाड़ी में दादा जैनदत्त सूरि महाराज का अग्नि संस्कार हुआ था।
इसलिए यह उनकी समाघि स्थल मानी जाती है। यहां दो संघों के प्रतिनिघि दादाबाड़ी के अघिकारो को लेकर आपसी विवाद पर तुले हैं। समाज की एकजुटता के लिए यह स्थिति किसी भी दशा में उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि 'मेरी इच्छा है कि दोनो संघ बैठकर विवाद को खत्म करें, ताकि जैन समाज एकजुट होकर धार्मिक उत्थान के कार्यो को आगे बढ़ा सकें।'
दादाबाड़ी में खुले परिसर में तखत पर अनशन कर रहे मुनि के पास दोनो संघो के प्रतिनिघि भी मौजूद थे। इस दौरान जब पत्रकारो ने संघों के प्रतिनिघियों का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने अघिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह उनका आपसी मामला है। इस संबंध में रविवार को बैठक करके मुनि को निर्णय से अवगत कराया जाएगा।

गंदा कटोरा 22 लाख डालर में नीलाम



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न्यूयार्क। न्यूयार्क के एक गैराज में पड़ा एक गंदा कटोरा 22 लाख डॉलर में नीलाम होकर चर्चा में आ गया है। 

न्यूयार्क में पिछले मंगलवार को नीलाम हुए रस कटोरे को चीन के एक हजार साल पुराने उत्तरी सोंग साम्राज्य का बताया जा रहा है। इसे एक दम्पती ने महज तीन डॉलर में ही खरीदा था।

इसे खरीदते समय उन्हें इस बात का बिल्कुल ही अनुमान नहीं थाकि यह इतना कीमती होगा। जब इसके प्राचीन अवशेष होने की पुष्टि हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसके बाद वे इसे नीलामी के लिए ले गए।

'किसी नेता की नजदीकी से नहीं मिलेगा टिकट'



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जयपुर। भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने साफ कहा है कि कोई ये सोचता हो कि वह मेरे या किसी और नेता के नजदीक है और इस आधार पर उसे टिकट मिल जाएगा तो यह संभव नहीं। सर्वे में मिले फीडबैक और जनाधार वाले व्यक्ति को ही इस बार टिकट दिया जाएगा। आगरा रोड पर हैवन्स गार्डन में हुई कार्यसमिति की बैठक में राजे ने यह बात कही।
राजे के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद यह पहली कार्यसमिति की बैठक थी। जिसमें राजनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव पास करने के साथ ही राजे की सुराज संकल्प यात्रा को भी अंतिम रूप दिया गया। राजे ने कहा कि जो उम्मीदवार बनना चाहता है, वो ऊपर नहीं नीचे कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की तरफ देखे। बैठक में महावीर प्रसाद जैन ने कहा कि कांग्रेस पागल हाथी की तरह है, जिसे एकजुट हो कर काबू में करना है।
...हम सुराज लाएंगे
राजे ने चुनाव के लिए नया नारा दिया... हम राज नहीं बदलेंगे, हम सुराज भी लाएंगे। उन्होंने केन्द्र और राज्य को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है। डीएमके के समर्थन वापसी के बाद स्टालिन के घर पर पड़े छापे इसका उदाहरण हैं।
पहलवान, चौधरी भी पहुंचे
निर्दलीय विधायक रणवीर पहलवान और जीवाराम चौधरी बैठक में पहुंचे हालांकि भाजपा के सदस्य न होने के कारण एक बार तो उन्हें मुख्य द्वार पर रोक लिया गया। बाद में प्रदेशाध्यक्ष राजे के स्टाफ के कहने पर अन्दर आने दिया गया।
यह रहे मंच पर
राष्ट्रीय संगठन मंत्री सौदान सिंह, प्रदेश प्रभारी कप्तान सिंह सोलंकी, पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह , नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, किरण माहेश्वरी, राष्ट्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, किरीट सौमेया, अरूण चतुर्वेदी, राजेन्द्र राठौड़।
जिलाध्यक्षों को छोड़ना होगा पद
भाजपा प्रदेश प्रभारी कप्तान सिंह सोलंकी ने जिलाध्यक्षों की बैठक में कहा कि जो चुनाव लड़ना चाहता है, वह पूरा ध्यान विधानसभा क्षेत्र में लगाए। संगठन के काम के लिए नया जिलाध्यक्ष बना दिया जाएगा। इस पर एक जिलाध्यक्ष का कहना था कि यदि पार्टी यह तय कर दे कि किसी जिलाध्यक्ष को टिकट देना तय है तो वह पद छोड़ा देगा। क्या गारंटी है कि टिकट मिल ही जाएगा? सोलंकी ने कहा कि यदि यह स्थिति बनती है कि जिलाध्यक्ष ही सीट निकाल सकता है तो उसे टिकट दिया जाएगा।
50 से ज्यादा नए सुझाव आए
प्रदेश उपाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने मीडिया को बताया कि बैठक में राजनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव पास किए गए। गुलाब चंद कटारिया ने राजनीतिक प्रस्ताव रखा, राव राजेन्द्र सिंह ने आर्थिक प्रस्ताव रखा। 50 से ज्यादा नए सुझाव आए। 
सीआईडी वालों को निकाला
कार्यसमिति में दो सीआईडी वाले भी प्रेस गैलेरी में नजर आए। इन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं ने बाहर निकाल दिया।
चार माह चलेगी यात्रा
4 अप्रेल को उदयपुर में चारभुजा जी से शुरू
जुलाई के तीसरे सप्ताह तक होगी समाप्त
212 सभाएं अलग-अलग जगह होंगी यात्रा में
करीब 13000 किलोमीटर दूरी तय होगी
जयपुर संभाग : 9 जुलाई को खाटूश्याम जी से
फिर दिखी नाराजगी
नहीं आए धनश्याम तिवाड़ी
राजे के सबको एकजुट रखने के लाख प्रयासों के बाद भी शनिवार को हुई कार्यसमिति में घनश्याम तिवाड़ी नहीं आए। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ललित किशोर चतुर्वेदी को बार-बार बुलाने के बावजूद वे कार्यकर्ताओं के साथ नीचे ही बैठे रहे। ओम प्रकाश माथुर भी अपनी सीट मंच पर दूसरी लाइन में लगी हुई देख नीचे पदाघिकारियों के पास आकर बैठ गए। रामदास अग्रवाल और देवी सिंह भाटी कुछ देर आकर वापस चले गए।
चतुर्वेदी के बयान से कृतज्ञ
पत्रिका से फोन पर तिवाड़ी ने बैठक में नहीं आने के कारण के बारे में खुलकर तो कोई जवाब नहीं दिया,लेकिन यह कहते हुए नाराजगी जताई कि वे प्रदेश उपाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी के कृतज्ञ हैं, जो उन्होंने मुझ जैसे अकिंचन को 500 में से एक बताया। चतुर्वेदी ने संवाददाता सम्मेलन में तिवाड़ी के नहीं आने के सवाल पर कहा था कि 500 से ज्यादा कार्यकर्ता अपेक्षित थे। कुछ लोग आए नहीं।

राज्य को विशेष दर्जा नहीं



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नई दिल्ली। केन्द्र सरकार राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं है। इस सम्बंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से लगातार की जा रही मांग पर केन्द्रीय वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि राज्यों को अपने विकास की कोशिश खुद करनी चाहिए और केन्द्र से विशेष दर्जे की मांग छोड़ देनी चाहिए। हर राज्य विशेष दर्जा चाहता है, जो संभव नहीं है।
विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय सम्पादक सम्मेलन में चिदंबरम ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सभी फ्लैगशिप, कल्याणकारी और विकास संबंधी योजनाएं ऎसे तैयार की हैं कि राज्य जैसे चाहें अपना विकास कर सकते हैं। राज्यों को अपने यहां ऎसा माहौल बनाना चाहिए कि वहां निवेश आए। मैं इसके समर्थन में बिलकुल नहीं हूं कि राज्यों को विशेष दर्जा दिया जाए।
भारत में बनेगी मोबाइल चिप
केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि फिलहाल भारत में कोई भी मोबाइल चिप नहीं बनती है। सभी आयात करनी पड़ती है। अक्टूबर-2013 तक दो औद्योगिक इकाइयां भारत में लगाई जाएंगी।
किशोरों को प्रशिक्षण
महिला व बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ का कहना है कि सक्षम योजना के तहत स्कूलों से पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले बच्चों को नैतिक, सामाजिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। किशोर अपराधियों को भी रचनात्मक कार्यो के जरिए मुख्यधारा में लाया जाएगा।
रेडिएशन अब खतरनाक नहीं
मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन के बारे में सिब्बल ने बताया कि हमने वैश्विक स्तर पर तय मापदंडों को घटाकर 10 गुणा कम कर दिया है। ऎसे में अब इस बारे में चिंता नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी वैश्विक मापदंडों को ही उचित बताया।
मुस्लिम युवाओं के अलग कोर्ट
केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री के. रहमान खान का कहना है कि आतंकी गतिविधियों में फंसने वाले मुस्लिम युवाओं के मामलों में सरकार विशेष कोर्ट बनाने पर विचार कर रही है। ऎसे कई मामले उजागर हुए हैं, जहां निर्दोष युवकों को फंसाया गया।
रेल नीर प्लांट से पहले सर्वे
जयपुर के आस-पास डार्क जोन होने के बावजूद रेल नीर प्लांट की घोषणा के सवाल पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनय मित्तल ने कहा कि प्लांट लगाने से पहले सर्वे कर पता लगाया जाएगा कि यहां भूजल की क्या स्थिति है। इससे जयपुर में पहले से ही चल रही पानी की कमी पर क्या असर पड़ेगा।
इसलिए मिलना चाहिए विशेष राज्य का दर्जा
60 प्रतिशत मरूस्थल प्रदेश में। इसमें 12 जिले और 40 प्रतिशत जनसंख्या
1070 किमी पाक के साथ अन्तरराष्ट्रीय सीमा
56 वर्ष सूखा और अकाल रहा आजादी के बाद
12 प्रतिशत आबादी जनजातीय
 रेगिस्तानी, पहाड़ी एवं दुर्गम क्षेत्रों में छितराई हुई आबादी में बसी पिछड़ी बस्तियां।
 सुविधाएं पहुंचाने में आती है अघिक लागत।
 पीने के पानी की विषम स्थिति।
यह हो सकता है फायदा
विशेष राज्य का दर्जा मिले तो मिलती हैं करोड़ों की अतिरिक्त आर्थिक सहायता, विशेष योजनाएं और स्पेशल पैकेज।
उपेन्द्र शर्मा

गोबर गैस से बनेगी एलपीजी-सीएनजी गैस



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कोटा। हाड़ौती में जल्द ही राष्ट्रीय स्तर का  एकमात्र गोवंश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान बनेगा। इसमें देशी प्रजाति की गायों का संरक्षण तथा अन्वेषण किया जाएगा तथा गोबर गैस से एलपीजी गैस व बुल पावर से बिजली बनाई जाएगी। इसके अलावा अन्य कई उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे। संस्थान की स्थापना राष्ट्रीय गौ सेवा महासंघ द्वारा की जाएगी।
महासंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राजपुरोहित व वैज्ञानिकों ने कोटा से करीब 25 किलोमीटर दूर डोल्या गांव में जमीन देखी है। कोटा के एक समाजसेवी ने इसके लिए 80 बीघा जमीन भेंट की है। प्रोजेक्ट पर अनुमानित तौर पर 100 करोड़ खर्च किए जाएंगे, जिसे अंतिम रूप देने के लिए अप्रेल में संगोष्ठी होगी। इसमेें वैज्ञानिक व गौशालाओं के प्रतिनिघि भाग लेंगे। कई उद्योगपतियों ने भी इसकी स्थापना में रूचि दिखाई है। इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिल सकेगा। कोटा में इसके लिए  एक मंडल का गठन भी किया गया है, जिसमें आनंद राठी, बांकेबिहारी मंदिर के पदाघिकारी खेमराज यादव समेत कुछ अन्य लोग शामिल हैं। 
यह होगा फायदा 
संस्थान में  बूल पावर से विद्युत उत्पादित की जाएगी, वहीं गोबर गैस संयंत्र लगाकर गोबर गैस को एलपीजी व सीएनजी गैस में कन्वर्ट किया जाएगा।  स्लरी, गोबर  व गौ मूत्र से कीटनाशक, गौ अर्क, पेय पदार्थ, जैविक खाद, पंचगव्यों से कई आयुर्वेदिक औषघियों का निर्माण किया जाएगा। सोप, शैम्पू व अन्य कई कॉस्मेटिक आइटम भी बनाए जाएंगे। गोबर से टाइल्स का निर्माण भी किया जाएगा।
इनका लेंगे मार्गदर्शन
इसमें  इण्डियन एग्रीकल्चर रिसर्च काउंसिल, राष्ट्रीय खादी कमीशन, राष्ट्रीय फोडर डवलपमेंट कार्पोरेशन, राष्ट्रीय उत्पादन परिषद, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्पोरेशन, पर्यावरण विभाग निगम, इंटरनेशनल वेटेरनरी काउंसिल, राष्ट्रीय आयुर्वेदिक परिषद का मार्गदर्शन लिया जाएगा।
ऎसे होगा एकत्रित
गोबर एकत्रित करने के लिए गोबर को-ऑपरेटिव सोसायटी बनाई जाएगी। इसके माध्यम से पशुपालकों से गोबर खरीदा जाएगा। गोबर बैंक भी रहेगी साथ ही सीमन, गौमूत्र, टिश्यू कल्चर व अन्य बैंक स्थापित किए जाएंगे।

26 नस्लों की गायों पर होगी रिसर्च
गौ विज्ञान केन्द्र पर 26 नस्लों की गायों पर रिसर्च की जाएगी। इनमें मुख्य रूप से गीर, राठी, काकरज, पाईवाल, निम्बाड़ी, हारपारकर, नारी व  अन्य नस्लें जो लुप्तप्राय: होती जा रही हैं, शामिल हैं। गौ महासंघ देश की 10 प्रतिभाओं को विभिन्न विषयों में विभिन्न विश्वविद्यालयों से आयुर्वेदिक, दूध उत्पादन, बूल पावर टेक्नोलॉजी, पंचगव्य उत्पादन समेत अन्य विषयों में पीएचडी करवाएगा, जो कि इसी संस्थान में कार्य करेंगे।
  इनका कहना है
स्वदेशी गायों के संरक्षण, संवर्द्धन तथा पंचगव्यों की उपयोगिता के उद्देश्य से हाड़ौती में अनुसंधान संस्थान की स्थापना की जा रही है। क्षेत्र के 5 उद्योगपतियों ने संस्थान की स्थापना में रूचि दिखाई है।
राजेन्द्र सिंह राजपुरोहित, अध्यक्ष, राष्ट्रीय गौ सेवा महासंघ
हेमंत शर्मा



कुरान का सन्देश

"भूख -- तुम्हारे लिए होगी एक दर्दनाक मौत की इबारत

"भूख -- तुम्हारे लिए होगी एक दर्दनाक मौत की इबारत
हम तो हैं आढ़तिये हमारी खड़ी होती हैं इसी पर इमारत
हम हैं नेता हमारे लिए है हर भूख से मरनेवाला मुर्दा बस महज एक मुद्दा
हमारी तो है राशन की दूकान
खरीद सको तो खरीदो बरना तुम्हारी भूख से हमें क्या काम
सुना है आप डॉक्टर हैं सरकारी, आप भी खाते हैं घूस की तरकारी
डॉक्टर की राय में भूख से मौत नहीं होती मौत तो खून की कमी से होती है
मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष तो वह होता है जिसके घूस खाने से पूरा देश ही रोता है
घूस की डकार लेकर वह बताता है कि --
भूख से मौत बहुत बुरी बात है पर उसका प्रतिशत कम और औसत ज्यादा है
आपके समझ नहीं आई होगी उनकी यह बात पर देश भी अभी नहीं समझ पाया है
क़ानून के जानकार बताते हैं कि संविधान में भूख दर्ज ही नहीं है अतः असंवैधानिक है
भूख लेखकों कवियों लफ्फाजों के लिए है साहित्य का कच्चा माल
एनजीओ वाले भूख के नाम पर जो दूकान चलाते हैं उसके लिए "भूख" एक शुभ सा समाचार है
किसान फसल बो कर भूख मिटा रहा है और हम
और हम भूख उगा रहे हैं
देखना एक दिन फसल बो कर भूख मिटा रहा किसान भूखा मर जाएगा
और हमने तो शब्दों से कागज़ पर जो भूख की फसल बोई है उस पर पैसे का खेत लहलहाएगा
पर याद रहे --भूख में जिन्दगी बेहद सुन्दर होती है
कभी देखा है फ़न फैलाए सांप
डाल पर उलटा लटक कर फल कुतरता तोता
चोंच से दाना चुगते चिड़ियों के बच्चे
शिकार का पीछा करता चीता
दूध पीता बछड़ा
अपनी माँ की छाती से चिपटा दूध पी रहा बच्चा
हाथ में हथियार लेकर अधिकार के लिए लड़ता भूखा आदमी
वैसे ही जैसे जिन्दगी के महाभारत में
हाथ में रथ का पहिया ले कर खड़े हों कृष्ण." -----राजीव चतुर्वेदी
****************************************
"सुना है संवेदनाओं में भूख एक समृद्ध शब्द है,
हमने कैलोरी में नहीं उसे कविता से नापा है."----राजीव चतुर्वेदी
***********************************
"भूखी ख्वाहिश को उम्मीद का निवाला देकर,
उसने कहा सो जाओ सुबह तो आयेगी कभी." -----राजीव चतुर्वेदी
*************************************
"भूख पर शब्द उगाने से बेहतर था हम अन्न उगाते खेतों में,
पर वहां हमें अच्छा लिखने की शाबासी कैसे मिलती ?" ----राजीव चतुर्वेदी

होलिका दहन व पूजन की प्रामाणिक विधि

 
 

होलिका पूजन



26 मार्च 2013, मंगलवार को होलिका दहन किया जाएगा। प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रारहित काल में होलिका दहन किया जाता है। 26 मार्च, 2013 को गोधूलि बेला में होलिका दहन किया जा सकता है।

इसलिए होलिका दहन से पूर्व और भद्रा समय के पश्चात होली का पूजन करना चाहिए।
 होलिका दहन होने के बाद होलिका में जिन वस्तुओं की आहुति दी जाती है, उनमें कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग है। सप्तधान्य हैं गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर।

होली : शिव-पार्वती की पौराणिक कहानी



पौराणिक


होली की एक प्रामाणिक कथा के अनुसार हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान भोलेनाथ से हो जाए परंतु शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे।

तब कामदेव पार्वती की सहायता के लिए को आए। उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी।

कामदेव का शरीर उनके क्रोध की ज्वाला में भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा।

पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसीलिए पुराणे समय से होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर अपने सच्चे प्रेम का विजय उत्सव मनाया जाता है।

हाल ही में जो फेसला आया है उससे मन आहत है

दोस्तों एक वकील और वोह भी आपराधिक मामलों की लगातार पेरवी करने का अनुभव रखने वाला होने के कारण अभी हाल ही में जो फेसला आया है उससे मन आहत है और में सोचता हूँ क्यूँ नहीं भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 360 और प्रोबेशन ऑफ़ ओफ़ेनडर एक्ट तथा भुगती हुई सजा पर छोड़ने के प्रावधान को खत्म करने मांग करूं आपका क्या कहना है भाई प्लीज़ मार्द्र्शन करें ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा हाईकोर्ट बेंच स्थापना की मांग ने अब नया मोड़ ले लिया है

कोटा हाईकोर्ट बेंच स्थापना की मांग ने अब नया मोड़ ले लिया है ...कोंग्रेस के सांसद इजैराज सिंह ने कोटा के वकील और जनता का दर्द जाना समझा और इस आन्दोलन की अहमियत को जानकर कोटा के वकीलों के शिष्ठ मंडल के साथ खुद केन्द्रीय कानून मंत्री अश्वनी कुमार से मिले अश्वनी कुमार ने कोटा में हाईकोर्ट बेंच खोलने के दावे को मजबूत माना और राजस्थान हाईकोर्ट सहित राजस्थान सरकार की सिफारिश भिजवाने पर केवल तीन माह में कोटा में हाईकोर्ट बेंच खोलने की घोषणा करने का आश्वासन दिया ..केन्द्रीय मंत्री अश्वनी कुमार ने कहा के कोटा में भवन और स्टाफ सहित बाक़ी कार्यवाही राजस्थान सरकार अगर कर देती है तो हम कोटा में हाईकोर्ट खोलने से पीछे नहीं हटेंगे ...धन्यवाद मंत्री जी ..शुक्रिया ..अब राजस्थान सरकार और राजस्थान हाईकोर्ट से कोटा में हाईकोर्ट बेंच खोलने की सिफारिश करवाने के प्रयास तेज़ हो गए है वकीलों ने जनता और जन प्रतिनिधियों से आह्वान किया है के दलगत राजनीति से उपर उठ कर कोटा के हित में अब सभी इस काम में लग जाएँ ..आज आयोजित बैठक में हाडोती सम्भाग में कोटा ..बूंदी .बारा ..झालावाड के सभी सत्राह विधायकों और दो सांसदों के अलावा नगर पालिका ..नगर निगम ..प्रधान ...जिला प्रमुख और दुसरे व्यापारिक संगठनों से लिखित पत्र राजस्थान सरकार को भिजवाने और सरकार पर इस सिफारिश को शीघ्र भेजने का दबाव बनाने का निर्णय लिया गया है ...विदित रहे के पूर्व में राजस्थान सरकार और हाईकोर्ट से जुड़े लोग इस मामले को केंद्र का मामला बता कर पल्ला झाड़ते रहे है लेकिन अब केद्रीय कानून मंत्री के इस आश्वासन के बाद सभी बहानेबाजियों का अंत हो गया है अब देखना है जो हाडोती भक्त है या जिसे कोटा के विकास से प्यार है वोह इस मांग पर दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर आन्दोलन में मददगार होगा वरना जो जयचंद है जो गद्दार है वोह तो अपना कम करेंगे ही सही लेकिन खुद अब उन्हें कामयाब नहीं करेगा  कहीं ऐसा न हो के अब कोटा आई आई टी की तरह हाईकोर्ट बेंच भी राजनितिक इच्छा शक्ति की कमी और राजनितिक कायरपन की वजह से हाथ से निकल जाए और हम कोटा सम्भाग के लोग हाथ मलते रह जाए तो दोस्तों यह हाडोती की जनता को सस्ता ..सुलभ न्याय की बात है हाडोती की आन बन शान की बात है इसलियें सभी एक जुट होकर इस आन्दोलन को सफल बनाने के लियें जुट जाएँ ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सीढियों कि नहीं

Kirtivardhan Agarwal सीढियों कि नहीं हौसलों कि बात करता हूँ,
बुजदिलों में भी साहस का संचार करता हूँ |
माना कि मंजिल तेरी आसमां से आगे है,
मैं जमीं पर ही आसमां का आगाज करता हूँ |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

एक फकीर किसी बंजारे की सेवा से बहुत प्रसन्‍न हो गया।

प्रकाश गोविन्द
एक फकीर किसी बंजारे की सेवा से बहुत प्रसन्‍न हो गया। और उस बंजारे को उसने एक गधा भेंट किया। बंजारा बड़ा प्रसन्‍न था। गधे के साथ, अब उसे पेदल यात्रा न करनी पड़ती थी। सामान भी अपने कंधे पर न ढोना पड़ता था। और गधा बड़ा स्‍वामीभक्‍त था।

लेकिन एक यात्रा पर गधा अचानक बीमार पडा और मर गया। दुःख में उसने उसकी कब्र बनायी, और कब्र के पास बैठकर रो रहा था कि एक राहगीर गुजरा। उस राहगीर ने सोचा कि जरूर किसी महान आत्‍मा की मृत्‍यु हो गयी है। तो वह भी झुका कब्र के पास। इसके पहले कि बंजारा कुछ कहे, उसने कुछ रूपये कब्र पर चढ़ाये। बंजारे को हंसी भी आई आयी। लेकिन तब तक भले आदमी की श्रद्धा को तोड़ना भी ठीक मालुमन पडा। और उसे यह भी समझ में आ गया कि यह बड़ा उपयोगी व्‍यवसाय है।

फिर उसी कब्र के पास बैठकर रोता, यही उसका धंधा हो गया। लोग आते, गांव-गांव खबर फैल गयी कि किसी महान आत्‍मा की मृत्‍यु हो गयी। और गधे की कब्र किसी पहूंचे हुए फकीर की समाधि बन गयी। ऐसे वर्ष बीते, वह बंजारा बहुत धनी हो गया।

फिर एक दिन जिस सूफी साधु ने उसे यह गधा भेंट किया था। वह भी यात्रा पर था और उस गांव के करीब से गुजरा। उसे भी लोगों ने कहा, ऐ महान आत्‍मा की कब्र है यहां, दर्शन किये बिना मत चले जाना। वह गया देखा उसने इस बंजारे को बैठा, तो उसने कहा, किसकी कब्र है यहा, और तू यहां बैठा क्‍यों रो रहा है। उस बंजारे ने कहां, अब आप से क्‍या छिपाना, जो गधा आप ने दिया था। उसी की कब्र है। जीते जी भी उसने बड़ा साथ दिया और मर कर और ज्‍यादा साथ दे रहा है।
सुनते ही फकीर खिल खिलाकर हंसाने लगा। उस बंजारे ने पूछा आप हंसे क्‍यों? फकीर ने कहां तुम्‍हें पता है। जिस गांव में मैं रहता हूं वहां भी एक पहूंचे हएं महात्‍मा की कब्र है। उसी से तो मेरा काम चलता है। बंजारे ने पूछा वह किस महात्‍मा की कब्र है। फकीर ने जवाब दिया- 'वह इसी गधे की मां की कब्र है।

धर्म के नाम पर अंधविश्‍वासों का, व्यर्थ के क्रियाकांड़ो, यज्ञों, हवनों का बड़ा विस्‍तार है। फिर जो परंपरा एक बार चल पड़ी, उसे हटाना मुश्‍किल हो जाता है। जो बात लोगों के मन में बैठ गयी। उसे मिटाना मुश्‍किल हो जाता है।

मिला हम भी नही करते.”

Kirit Chauhan “मिला वो भी नही करते,
मिला हम भी नही करते.”

“दगा वो भी नही करते,
दगा हम भी नही करते.”

“उन्हे रुसवाई का दुख,
हमे तन्हाई का डर”

“गिला वो भी नही करते,
शिकवा हम भी नही करते.”

“किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाती है अक्सर,”

“रुका वो भी नही करते,
ठहरा हम भी नही करते.”

“जब भी देखते हैं उन्हे,
सोचते है कुछ कहें उनसे.”

“सुना वो भी नही करते,
कहा हम भी नही करते.”

“लेकिन ये भी सच है,
की मोहब्बत उन्हे भी हे हमसे”

“इकरार वो भी नही करते,
इज़हार हम भी नही करते.”
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