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27 मार्च 2013

रंग पंचमी 31 को, इस दिन खेली जाती है पक्के रंग से होली



होली का त्योहार अपने अंदर अनेक विविधताओं को समेटे हुए हैं। भारत के हर प्रदेश, क्षेत्र व स्थान पर होली के त्योहार की एक अलग परंपरा है। कुछ स्थानों पर होली के पांच दिन बाद यानि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को रंग पंचमी खेलने की परंपरा भी है। धुरेड़ी पर गुलाल लगाकर होली खेली जाती है तो रंगपंचमी पर रंग लगाया जाता है। इस बार रंग पंचमी का पर्व 21 मार्च, रविवार को है।
महाराष्ट्र में इस दिन विशेष भोजन बनाया जाता है, जिसमें पूरनपोली अवश्य होती है। मछुआरों की बस्ती में इस त्योहार का मतलब नाच, गाना और मस्ती होता है। ये मौसम रिश्ते(शादी) तय करने के लिये उपयुक्त होता है, क्योंकि सारे मछुआरे इस त्योहार पर एक दूसरे के घरों में मिलने जाते हैं और काफी समय मस्ती में व्यतीत करते हैं।
मध्यप्रदेश में भी रंगपंचमी खेलने की परंपरा है। खासतौर पर मालवांचल में इस दिन युवकों की टोलियां सड़कों पर निकलती है और रंग लगाकर खुशियों का इजहार करती है। मालवांचल में इस दिन जुलूस जिसे गैर कहते हैं, निकालने की परंपरा भी है। गैर में युवक शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए चलते हैं और हैरतअंगेज करतब भी दिखाते हैं। रंगपंचमी होली का अंतिम दिन होता है और इस दिन होली पर्व का समापन हो जाता है।

ये हैं एशिया के सबसे भव्य मंदिर, यहां होता है सच में स्वर्ग सरीखा एहसास...!


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एशिया हमेशा से ही धार्मिक आस्थाओं का केंद्र रहा है। समय-समय पर यहां विभिन्न धर्मों और आस्थाओं के बीज अंकुरित हुए हैं। सभी धर्म और संप्रदाय हमेशा ही मनुष्य को संन्मार्ग का रास्ता दिखाते हैं और कुछ इसी मकसद से मंदिरों का निर्माण होता रहा है। 
 
आध्यात्मिक ज्ञान और भौतिकता का अद्भुत संगम आस्था के केन्द्र यह मंदिर यहां आने वाले सभी अनुयायियों को एहसास कराते हैं भाग-दौड़ की आम जिंदगी के कुचक्र के जन्नत सरीखे वो एहसास जो ऐसा प्रतीत कराते हैं मानों हम स्वर्ग में हों।
 
आस्था के इन्हीं चंद भवसागर सरीखे गहरे स्रोतों से आज हम आपको अवगत कराएंगे और बताएंगे कैसे जीते-जी ही आप यहां आते साथ ही पहुंच जाते हैं मानो स्वर्ग में।
एशिया हमेशा से ही पूरे विश्व में धर्म और अध्यात्म के मुख्य प्रवर्तकों में रहा है। यहां सनातन धर्म के साथ समय-समय पर कई धर्म और संस्कृतियां पनपीं जिन्होंने मानव जीवन को सुव्यवस्थित और मर्यादित रहने का संदेश दिया। आज हम आपको बता रहे हैं एशिया के उन चंद मंदिरों के बारे में जिनका आध्यात्मिक महत्व और वास्तुनिष्ठ सौन्दर्य हमें स्वर्ग सरीखे लगते हैं और ऐसा लगता है कि हम जीवित ही स्वर्ग की सैर कर रहे हों...

यूं तो एशिया भर में ऐसे मंदिरों की भरमार है पर इस स्टोरी में हम आपके सामने ला रहे हैं वे चुनिंदा मंदिर जो आपको स्वर्ग की अनुभूति करवाते हैं। यहां केवल अनुयायी ही नहीं बल्कि दुनिया भर से पर्यटक आते हैं और वे अपने अंदर भर लेते हैं आस्था का वो अंश जो कहीं न कहीं उनके जीवन से दूर था...इन्हीं चंद शानदार मंदिरों में शुमार किया जाता है श्री हरिमंदर साहिब को भी.....
 दरबार साहिब और गोल्डन टेंपल के नाम से मशहूर श्री हरिमंदर साहिब की महानता की इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहा तो यहां तक जाता है कि गौतम बुद्ध ने भी इस जगह आराम कर आत्मिक शांति का एहसास किया था।
 

अब तक के सबसे बड़े हमले ने धीमी कर दी इंटरनेट की रफ्तार




लंदन. इंटरनेट पर अब तक का सबसे बड़ा हमला हुआ है जिससे दुनियाभर में लाखों लोगों का इंटरनेट कनेक्शन प्रभावित होने की संभावना है। 
यह हमला इंटरनेट फर्म स्पैमहौज के जेनेवा स्थित इंटरनेट मुख्यालय में बदला लेने की नीयत से किया गया है। लेकिन इसका असर अब अन्य वेबसाइटों पर भी पड़ रहा है और नतीजतन ईमेल जैसी सेवाएं प्रभावित होने लगी हैं। 
इस हमले के नतीजे से दुनियाभर में इंटरनेट की गति धीमी पड़ गई है। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक यह इंटरनेट पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है। स्पैमहौज के मुताबिक यदि यह हमला किसी देश की सरकारी वेबसाइटों पर किया जाता तो वेबसाइटों पूरी तरह काम करना बंद कर देती। फिलहाल स्पैमहौज के इंजीनियर इससे निपटने में लगे हैं। 
स्पैमहौज इंटरनेट पर स्पैम रोकने का काम करती है। कंपनी ने एक वेबसाइट को ब्लैकलिस्ट कर दिया था जिसका बदला लेने के लिए यह हमला किया गया है। 
यह हमला इतना बड़ा है कि इसका असर नेटफ्लिक्स जैसी चर्चित सेवाओं पर भी दिखने लगा है। स्पैमहौज के मुताबिक हमले का उद्देश्य इंटरनेट की गति धीमी करना है। 
इंटरनेट पर अब तक के इस सबसे बड़े हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए क्लाउडप्लेयर के सीईओ मैथ्यू प्रिंस ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, 'इंटरनेट पर यह हमला ऐसे है जैसे परमाणु हमला हो।'
गौरतलब है कि लंदन और जेनेवा स्थित कंपनी स्पैमहौज ईमेल और अन्य वेबसाइटों से स्पैम हटाने का काम करती है। इस नॉन प्रॉफिट कंपनी ने साइबरबंकर को ब्लैकलिस्ट कर दिया था जिसके नतीजे में यह हमला हुआ है। स्पैमहौज के प्रवक्ता के मुताबिक हमला साइबरबंकर ने बदला लेने की नीयत से किया है। 
यह हमला ऐसा ही है जैसे किसी सड़क पर ज्यादा गाड़िया उतारकर ट्रैफिक जाम कर देना। इंटरनेट एक्सेस की अधिकाधिक रिक्वेस्ट भेज कर इंटरनेट पर ट्रैफिक को धीमा कर दिया गया है। 
इस हमले को दो इंटरनेट कंपनियों की आपसी लड़ाई के रूप में भी देखा जा सकता है लेकिन इसका सबसे विध्वंसक पहलू यह है कि इसका असर आम इंटरनेट उपभोगताओं पर भी पड़ना शुरू हो गया है। अकामाई नेटवर्क्स के मुख्य इंजीनियर पैट्रिक गिलमोर के मुताबिक स्पैमहौज का काम ही इंटरनेट पर स्पैम अटैक करने वालों को रोकना है लेकिन साइबरबंकर को लगता है कि उसे इंटरनेट पर स्पैम करने की इजाजत होनी चाहिए। 
उन्होंने हमले के स्तर का अनुमान बताते हुए कहा कि यह ऐसे ही है जैसे किसी एक व्यक्ति की जान लेने के उद्देश्य से भीड़ पर मशीन गन से फायरिंग कर देना। उन्होंने बताया, 'बोटनेट कंप्यूटरों के द्वारा किए गया यह इंटरनेट हमला कई देशों के समूचे इंटरनेट कनेक्शन से बड़ा  है। यह लोग इंटरनेट एक्सेस करने की भारी रिक्वेस्ट भेज रहे हैं जिस कारण इंटरनेट धीमा होता जा रहा है।'

पाकि‍स्‍तानी पत्रकार को सुनाई मौत की सजा, फेंका जाएगा भूखे कुत्‍तों के सामने



कराची. मुस्‍लि‍म देशों में महि‍लाओं की हालत बद से बदतर होती जा रही है। ट्यूनीशि‍या में अमीना ने मुस्‍लि‍म कट्टरपंथि‍यों का वि‍रोध कि‍या तो उसे पागलखाने में डाल दि‍या गया। वहीं पाकि‍स्‍तान के सिंध प्रांत में एक महि‍ला ने अपने पति के अवैध संबंधों का वि‍रोध करते हुए परि‍वार में इज्‍जत की मांग की, तो उसकी भी गोली मारकर हत्‍या कर दी गई। इतना ही नहीं, उस महि‍ला के लि‍ए आवाज उठाने वाले पाकि‍स्‍तान के पत्रकार व जाने माने मानवाधि‍कार कार्यकर्ता सि‍कंदर अली भुट्टो को भी मौत की सजा सुना दी गई। सिंध प्रांत की एक पंचायत ने सिकंदर को भूखे कुत्‍तों के सामने फेंकने की सजा सुनाई है। 
 
एक महि‍ला को उसके पति से बचाने की कोशि‍श करने वाले पाकि‍स्‍तानी पत्रकार व मानवाधि‍कार कार्यकर्ता सिकंदर अली भुट्टो को सिंध प्रांत की एक पंचायत ने मौत की सजा सुनाई है। पंचायत ने सजा में कहा है कि सिकंदर को भूखे कुत्‍तों के सामने उनका पेट भरने के लि‍ए फेंक दि‍या जाए। सिकंदर अली ने उस औरत का पक्ष लि‍या था, जि‍से उसके पति ने निर्ममता से पीटकर मार डाला था। 15 मार्च को सिंध प्रांत की पंचायत ने उन्‍हें यह सजा सुनाई है। ताजा मि‍ली जानकारी के मुताबि‍क सिकंदर अभी जिंदा हैं और उन्‍होंने कराची में अपने कि‍सी दोस्‍त के यहां शरण ली हुई है। 
 
सिकंदर अली भुट्टो पाकि‍स्‍तान के दहरकी और घोतकी (सिंध प्रांत) के जाने माने पत्रकार और मानवाधि‍कार कार्यकर्ता  हैं। इसके अलावा वह दहरकी प्रेस क्‍लब के उपाध्‍यक्ष हैं जो पाकि‍स्‍तान प्रेस क्‍लब से संबद्ध है। वह वन टीवी नाम के एक चैनल के संवाददाता भी हैं। 
 
इस मामले की शुरुआत पि‍छले वर्ष के 7 दि‍संबर को हुई। दहरकी के मौला अलकुतुब कस्‍बे में शहनाज भुट्टो नाम की एक महि‍ला को उसके पति‍ राना भुट्टो और उसके भाइयों ने पीट-पीटकर मार डाला था। वह महि‍ला अपने पति के अवैध संबंधों और घर में लगातार हो रही उसकी बेइज्‍जती का वि‍रोध कर रही थी। वहीं उक्‍त महि‍ला के पति‍ का आरोप है कि उसके सिकंदर अली भुट्टो से अवैध संबंध थे जि‍सकी वजह से सिकंदर अली उसकी मदद कर रहे थे। शहनाज की हत्‍या करने के  लि‍ए मौला अलकुतुब में दस हथि‍यारबंद लोग गए थ। बताते हैं कि यह सभी पाकिस्‍तान की सत्‍ताधारी पाकि‍स्‍तान पीपुल्‍स पार्टी के सदस्‍य थे। इनका यह भी आरोप है कि सिकंदर अली शहनाज की मदद से उनकी प्रॉपर्टी भी कब्‍जाने की कोशि‍श कर रहे थे। इस हत्‍याकांड में अभी तक राना भुट्टो, राना की दूसरी मां का बेटा अब्‍दुल मजीद गि‍रफ्तार कि‍ए गए हैं।

चैत्र माह शुरू, हर सुबह यह देवी मंत्र बोलने से काम होंगे सफल


हिन्दू धर्म परंपराओं में जगतजननी देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप कामनासिद्धि के लिए पूजनीय हैं। वैसे तो हर दिन ही देवी स्मरण के जरिए मातृशक्ति का आवाहन शक्ति संपन्न बनाने में मददगार होता है, किंतु हिंदू धर्मशास्त्रों में देवी उपासना के विशेष काल बड़े ही शुभ व मंगलकारी माने गए हैं। इनमें ही हिन्दू वर्ष का पहला महीना चैत्र भी प्रमुख हैं। इसी माह के शुक्ल पक्ष की शुरूआत देवी भक्ति की 9 शुभ रातों यानी  नवरात्रि से होती है और यह काल हर मनोरथ पूरा करने वाला माना गया है।
 
यही वजह है कि पूरे चैत्र माह ही हर सुबह ही देवी स्मरण हर काम व मकसद सफल बनाने वाला माना गया है। ये सफलताएं इंसान को कई तरह से संकल्प, कर्म व कर्तव्य से जोड़कर जीवन में उजागर होती है। 
 
दरअसल, इंसानी जीवन की अहम इच्छाओं में एक है - सफलता, जिसे पाने के लिए बेहद जरूरी है - ज्ञान। ज्ञानशक्ति ही मन को संकल्पित और चरित्र को उजला बनाकर कामयाबी के शिखर तक पहुंचाती है।
 
इसके लिए देवी उपासना के विशेष मंत्र जप का पूरे चैत्र माह में सवेरे बोलने का खास महत्व है। अगर आप भी ज्ञान और कौशल से सफल व शक्ति संपन्न बनना चाहते हैं तो इस देवी मंत्र का स्मरण देवी के नीचे बताए तरीके से पूजा के बाद स्फटिक की माला से यथाशक्ति या 108 बार जरूर करें - 
 
- स्नान के बाद देवी मंदिर या घर में देवी प्रतिमा की कुंकुम, फूल, अक्षत, लाल सूत्र व लाल वस्त्र चढ़ाकर मिठाई का भोग लगाएं। 
 
- पूजा के बाद मंदिर में ही दीप जलाकर आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठें और यह मंत्र ध्यान करें - 
 
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु। 
त्वयैकया पूरितमम्बयैत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।। 
 
- मंत्र ध्यान के बाद देवी आरती करें और सुख व सबलता की प्रार्थना करें।

ये हैं भारत की 10 सबसे डरावनी जगह, जहां आज भी घूमते हैं भूत, अकेले नहीं जाते लोग



10- भानगढ़ का किला, अलवर (राजस्थान)
 जयपुर. भारत एक ऐसा देश है जहां हर राज्य के हर शहर में आपको भूतों और सुपरनेचुरल पॉवर्स से जुड़ी हुई बातें और घटनाएं सुनने को मिल जाएंगी। इनमें से कई बातें कभी-कभार सच भी होती हैं। ये डरावनी कहानियां किसी ना किसी भुतहा जगह से जुड़ी होती हैं जिन्हें वहां के स्थानीय निवासियों द्वारा गढ़ा गया होता है।
हालांकि इन भुतहा अथवा शापित जगहों पर आप भी किसी अजीब तरह की असाधारण घटनाएं होते हुए महसूस कर सकते हैं। भूत शब्द अपने आप में ही बहुत डरावना है और कई ऐसी भुतहा जगहें होती हैं जहां भूत या कुछ सुपरनेचुरल पावर्स अपना अड्डा बना लेती हैं। कभी-कभी ऐसा जगहों के शापित होने के कारण भी होता है।
आज की खबर के जरिए हम आपको भारत की 10 ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें ना सिर्फ भुतहा घोषित किया गया है बल्कि वहां भूतों की उपस्थिति भी पाई गई है। इन स्थानों पर भूतों की उपस्थिति सिद्ध हो चुकी है।
पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स ने भी यहां पर कुछ अजीबोगरीब पॉवर्स होने की बात स्वीकारी है
राजस्थान का भानगढ़ किला सन् 1613 ई. में राजा मधू सिंह के द्वारा बनवाया गया था। भानगढ़ के किले को इसके निर्माण के कुछ समय पश्चात ही तांत्रिकों के शाप द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। बताया जाता है कि तांत्रिक ने शाप दिया था कि कोई यहां पर कोई भी अपने भवन की छत नहीं बना सकेगा। यहां तक कि यहां के मंदिरों और अन्य सभी घरों में भी छत नहीं है। यहां के स्थानीय निवासी बताते हैं कि जो व्यक्ति भी इस किले में सूरज ढलने के बाद इस किले में रूकता है वो कभी भी लौट कर नहीं आता है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपने परीक्षण के उपरांत यहां पर इस संदर्भ में एक बोर्ड लगा दिया है कि सूरज ढलने के बाद यहां रूकना सख्त मना है। यहां तक कि उन्होंने अपना ऑफिस भी इस शापित किले से एक किमी दूर बनाया था।
 गुजरात के इस सुंदर और प्रसिद्ध तट के बारे में भी कई सारी कहानियां प्रचलित हैं। हिंदू धर्म में परंपरा है कि इंसान के मरने के बाद उसके शरीर को जला दिया जाता है। यहां के स्थानीय निवासी अपने सगे-संबंधियों के मृत शरीर इस तट पर जलाते हैं और इसे कई पैरानॉर्मल घटनाओं के कारण भुतहा घोषित किया गया है। यहां आने वाले पर्यटक बताते हैं कि यहां आने पर उन्हें कई तरह की फुसफुसाहट भरी आवाजें सुनाई देती हैं। ये आवाजें उनसे लौट जाने या आगे ना बढ़ने के लिए कहती हैं। लोग बताते हैं कि ऐसा तब भी होता है जब वे शांति से यहां टहल रहे होते हैं। इस तट पर भूतों को देखते ही कुत्ते भी भौंकने लगते हैं।
 
7- जीपी ब्लॉक, मेरठ (उत्तर प्रदेश)
 
उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ का जीपी ब्लॉक बहुत ज्यादा प्रचलित या प्रसिद्ध तो नहीं है लेकिन ये एक भुतहा जगह है। जीपी ब्लॉक एक दो मंजिला घर है और जो लोग इस इलाके से गुजरते हैं वो बताते हैं कि उन्हें इस घर की छत पर लड़कों की आत्मा बैठी हुई दिखती है। कुछ लोगों ने तो इस घर से लाल ड्रेस में लड़कियों को निकलते हुए भी देखा है। और एक दृश्य जो यहां के लोगों ने सबसे ज्यादा बार देखा है वो ये है कि चार लड़के इस घर में अपने बीच एक मोमबत्ती जलाकर बैठते हैं और बियर पीते हैं। ऐसी घटनाओं को देखते हुए लोगों ने इस रास्ते से जाना ही बंद कर दिया है।

आफरीन हुईं यूसुफ पठान की, अब बारी इरफान की



मुंबई। क्रिकेटर यूसुफ पठान का बुधवार को अपनी मंगेतर आफरीन के साथ निकाह हो गया। तीस साल के क्रिकेटर ने पिछले साल नादियाड में निजी समारोह में सगाई की थी। पठान का दिल चुराने वाली एक फिजियोथेरेपिस्ट है। मुंबई की रहने वाली आफरीन पठान की बेगम बन गई हैं। आफरीन वड़ोदरा में फिजियोथेरपिस्ट हैं।
 
गौरतलब है कि कुछ समय से टीम इंडिया से बाहर चल रहे पठान ने अब तक 57 वनडे में 1365 रन और 22 टी-20 में 438 रन बनाए हैं। अब उम्‍मीद की जा रही है कि यूसुफ पठान के छोटे भाई इरफान पठान की शादी का भी रास्‍ता साफ हो गया है। इरफान ने अपने भाई की शादी में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया था। 
 
27 मार्च को दावते वलीमा में युसूफ ने जोधपुरी जूतियां पहनी थी। इसके लिए उन्होंने जोधपुर के रमेश पप्पू चौहान को तीन जोड़ी जूतियां बनाने का संदेश भेजा गया था। पठान ने दो जोड़ी जेंट्स की जूतियां और एक जोड़ी लेडीज जूती बनाने का आग्रह किया था। इन जूतियों में जरी का काम हुआ था। होगा। उल्लेखनीय है कि पप्पू अभिषेक बच्‍चन, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर,पार्थिव पटेल के लिए शादी की जूतियां बना चुके हैं। इनके अलावा अमिताभ बच्‍चन व सचिन तेंडुलकर को भी पप्पू की बनाई जोधपुरी जूतियां पसंद हैं।

कुरान का सन्देश

प्रेम के रंग में रंगी है राधा और श्रीकृष्ण की होली



भक्तिकाल और रीतिकाल में होली व वसंत ऋतु का विशिष्ट महत्व रहा है। चाहे वह राधा-कृष्ण के बीच खेली गई प्रेम और छेड़छाड़ से भरी होली हो या नायक-नायिका के बीच खेली गई अनुराग और प्रीत की होली हो। आदिकालीन कवि विद्यापति से लेकर भक्तिकालीन सूरदास, रहीम, रसखान, पद्माकर, जायसी, मीरा, कबीर और रीतिकालीन बिहारी, केशव, घनानन्द आदि सभी कवियों का यह प्रिय विषय रहा है। होली के रंगों के साथ साथ प्रेम के रंग में रंग जाने की चाह ईश्वर को भी है तो भक्त को भी है, प्रेमी को भी है तो प्रेमिका को भी।
मीराबाई ने इस पद में कहा है -
रंग भरी राग भरी रागसूं भरी री।
होली खेल्यां स्याम संग रंग सूं भरी, री।।
उड़त गुलाल लाल बादला रो रंग लाल।
पिचकाँ उडावां रंग रंग री झरी, री।।
चोवा चन्दण अरगजा म्हा, केसर णो गागर भरी री।
मीरा दासी गिरधर नागर, चेरी चरण धरी री।।

इस पद में मीरा ने अपनी सखी को सम्बोधित करते हुए कहती हैं कि- हे सखी। मैंने अपने प्रियतम कृष्ण के साथ रंग से भरी, प्रेम के रंगों से सराबोर होली खेली। होली पर इतना गुलाल उड़ा कि जिसके कारण बादलों का रंग भी लाल हो गया। रंगों से भरी पिचकारियों से रंग की धाराएं बह चलीं। मीरा कहती हैं कि अपने प्रिय से होली खेलने के लिये मैंने मटकी में चोवा, चन्दन, अरगजा, केसर आदि भरकर रखे हुये हैं। मैं तो उन्हीं गिरधर नागर की दासी हूँ और उन्हीं के चरणों में मेरा सर्वस्व समर्पित है।

इसी जगह पर हजारों साल पहले जलकर खाक हो गई थी होलिका!



महान पर्व होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है। होलिका हिरणकश्यप की बहन थी, जो अपने भाई के कहने पर प्रह्लाद को मारना चाहती थी, लेकिन खुद मर गई। इसके बाद से ही होलिका दहन शुरू हुआ। यह बुराइयों पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है, लेकिन यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का दहन बिहार की धरती पर हुआ था। जनश्रुति के मुताबिक तभी से प्रतिवर्ष होलिका दहन की परंपरा की शुरुआत हुई।
 
मान्यता है कि बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के सिकलीगढ़ में ही वह जगह है, जहां होलिका भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर दहकती आग के बीच बैठी थी। ऐसी घटनाओं के बाद ही भगवान नरसिंह का अवतार हुआ था, जिन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया था।
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सिकलीगढ़ में हिरण्यकश्यप का किला था। यहीं भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए एक खंभे से भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था। भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा खंभा (माणिक्य स्तंभ) आज भी यहां मौजूद है। कहा जाता है कि इसे कई बार तोड़ने का प्रयास किया गया। यह स्तंभ झुक तो गया, पर टूटा नहीं।
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