उससे कुबेर नाम का पुत्र हुआ वह अपने पितामह की सेवा में अधिक रहने लगा। ये देखकर पुलस्त्य मुनि को यह देख बहुत क्रोध हुआ। उन्होंने अपने आपको ही दूसरे शरीर से प्रकट किया। इस प्रकार आधे शरीर से रूपांतर धारण कर पुलत्स्यजी विश्रवा नाम से विख्यात हुए। पुलत्स्य के आधे देह से जो विश्रवा नामक मुनि प्रकट हुए थे।
वे कुबेर कुपित दृष्टि से देखने लगे। राक्षसों के स्वामी कुबेर को यह बात जब पता चली के उनके पिता उन पर क्रोधित हैं तो उन्होंने तीन राक्षस कन्याएं जिनका नाम पुष्पोत्कटा, राका और मालिनी को अपने पिता की सेवा में भेजा। मुनि उनकी सेवाओं से प्रसन्न हो गए। पुष्पोत्कटा के दो पुत्र हुए रावण और कुंभकर्ण।
इस पृथ्वी पर इनके समान बलवान दूसरा कोई नहीं था। मालिनी से एक पुत्र विभीषण का जन्म हुआ। राका के गर्भ से एक पुत्र और एक पुत्री हुई। पुत्र का नाम खर था और पुत्री का नाम शूर्पणखा। विभीषण इन सब में अधिक सुंदर, भाग्यशाली, धर्मरक्षक, और सत्कर्मकुशल था। रावण के दस मुख थे।