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29 मार्च 2013

अमेरिका से हिसाब बराबर करने को तैयार उत्‍तर कोरिया ने तैनात की मिसाइलें



प्‍योंग्‍यांग. उत्तर कोरिया अमेरि‍का से युद्ध के लि‍ए तैयार हो चुका है। गुरुवार आधी रात के बाद से उत्‍तर कोरि‍या ने दक्षिण कोरि‍या की सीमा और वहां मौजूद अमेरि‍की सैन्‍य अड्डे की तरफ अपनी मि‍साइलें और रॉकेट लांचर तैनात कर दि‍ए गए हैं। दक्षिण कोरियाई समाचार एजेंसी योनहप ने एक सैन्‍य अधि‍कारी के हवाले से बताया है कि गुरुवार आधी रात के बाद से नॉर्थ कोरि‍या ने अपनी रॉकेट यूनि‍ट को यूएस बेस पर आक्रमण करने के लि‍ए तैयार रहने को कहा है।
 
वहीं दूसरी तरफ आज शुक्रवार को उत्‍तर कोरि‍या के नेता कि‍म जोंग उन के समर्थन में राजधानी प्‍योंगयांग में हजारों लोग इकठ्ठा हो रहे हैं। यहां से यह लोग रैली नि‍कालने जा रहे हैं। यूएस बेस के पास गुरुवार आधी रात के बाद से सैनि‍क, सेना के वाहन और लंबी दूरी की मि‍साइलें भारी मात्रा में तैनात कर दी गई हैं। आशंका जताई जा रही है कि नॉर्थ कोरि‍या कभी भी उन्‍हें फायर करने के आदेश दे सकता है। 
 
नॉर्थ कोरि‍या ने अपनी सभी रॉकेट यूनि‍ट्स को यूएस मि‍लेट्री और साउथ कोरि‍या और उससे सटे प्रशांत महासागर क्षेत्र पर आक्रमण के लि‍ए तैयार कर दि‍या है। ऐसा अमेरि‍का के दो परमाणु क्षमता से लैस वि‍मानों के उड़ने के बाद लि‍या गया है। नॉर्थ कोरि‍या के नेता कि‍म जोंग उन ने गुरुवार आधी रात के बाद सेना के उच्‍च अधि‍कारि‍यों की बैठक में यह फैसला लि‍या। उन्‍होंने कहा कि अब वक्‍त आ गया है कि अमेरि‍का के साथ अपना हि‍साब बराबर कर लि‍या जाए।
 
हालांकि, चीन ने सभी संबंधित पक्षों से कहा है कि वो कोरियाई प्रायद्वीप पर व्‍याप्‍त तनाव को खत्‍म करने की मिल जुलकर कोशिश करें। 
 
गुरुवार को नॉर्थ कोरि‍या ने कहा कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त राष्ट्र निःशस्त्रीकरण मंच के प्रस्तावों को कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। उसने यह भी स्पष्ट किया कि कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु निःशस्त्रीकरण की संभावना अमेरिकी की विरोधी नीति के कारण धुंधली हुई है। 
 
उत्तर कोरियाई अभियान के सेक्रेटरी जॉन यॉन्ग रियॉन्ग ने कहा, 'अमेरिका और उसके साथी देशों ने गलत समझा है। वे गलत अनुमान लगा रहे हैं कि डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके)' अपने खिलाफ असंगत प्रस्तावों का समर्थन करेगा। डीपीआरके ऐसे किसी भी प्रस्ताव को कभी भी स्वीकार नहीं करेगा।' 
 
रियॉन्ग ने जिनेवा में परमाणु निःशस्त्रीकरण पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में ये बाते कहीं। इस दौरान उन्होंने डीपीआरके का हवाला भी दिया।

यह शहर है राजस्थान की पहली राजधानी, आज भी देख रहा है विकास की राह!



राजस्थान दिवस आज: 25 मार्च 1948 को कोटा में हुआ था राजस्थान का गठन, कोटा बना था पहली राजधानी, राजधानी बनने के बावजूद विकास में दूसरे शहरों से रहा पीछे, राजनीतिक प्रबलता के बावजूद प्रदेश स्तर का एक भी कार्यालय नहीं, विमान सेवा व हाईकोर्ट बैंच के लिए करना पड़ रहा है संघर्ष
 
कोटा.संयुक्त राजस्थान के गठन के बाद पहली राजधानी बनने के बावजूद कोटा विकास की दौड़ में अन्य शहरों से पिछड़ा गया है। यहां हाईकोर्ट बैंच व विमानसेवा नहीं है, जबकि अन्य शहरों में एक नहीं दो से तीन सेवाएं ऐसी हैं, जो प्रदेश स्तर की है। प्रदेश की राजनीति में भी कोटा का वर्चस्व रहा है, लेकिन विकास में यह क्षेत्र हमेशा उपेक्षित रहा।
 
दरबार हाल में हुआ गठन 
 
महाराव भीमसिंह (द्वितीय) ने आसपास की रियासतों को मिलाकर संयुक्त राजस्थान का नामकरण किया। कोटा के उम्मेदभवन पैलेस स्थित दरबार हाल में इसका गठन किया गया। तब सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रतिनिधि के रूप में वीएस गाडगिल ने इसमें भाग लिया। 25 मार्च 1948 को हुए इस कार्यक्रम में कोटा को संयुक्त राजस्थान की राजधानी मानते हुए भीलवाड़ा के गोकुल लाल असावा को प्रधानमंत्री तथा महाराव उम्मेदसिंह (द्वितीय) को राजप्रमुख बनाया गया। हालांकि बाद में उदयपुर व फिर 30 मार्च 1949 में जयपुर को प्रदेश की राजधानी घोषित किया गया। कोटा को राजधानी बनाने के दौरान ही वर्तमान पीडब्ल्यूडी ऑफिस को महकमा खास बनाया गया था।
 
8 मंत्री और एक मुख्यमंत्री दिया हाड़ौती ने
 
प्रदेश की राजनीति में कोटा का प्रमुख स्थान रहा है। यहां से बृजसुंदर शर्मा, अभिन्नहरि, रिखबचंद धारीवाल, रामकिशन वर्मा, शांति धारीवाल, रघुवीरसिंह कौशल, ललित किशोर चतुर्वेदी, भरतसिंह व वसुंधरा राजे आदि प्रमुख मंत्री व मुख्यमंत्री रहे, लेकिन कोटा को विकास के नाम पर कुछ नहीं मिला। इनमें प्रो.ललित किशोर चतुर्वेदी व वसुंधरा राजे का वर्चस्व प्रदेश की राजनीति में रहा है, लेकिन कोटा को विकास के नाम पर प्रदेश स्तर का कोई महकमा नहीं मिला। अभी आरटीयू (राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी) मिली हुई है, लेकिन अब इसको भी विभाजित कर दिया है।
 
 
जोधपुर, बीकानेर, अजमेर हैं हमसे आगे
 
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के क्षेत्र जोधपुर में हाईकोर्ट, नेशनल यूनिवर्सिटी, आईआईटी, निफ्ड व आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय हैं। बीकानेर में शिक्षा विभाग व वेटनरी यूनिवर्सिटी के अलावा पुरा अभिलेखाकार का हैडक्वाटर है। अजमेर में रेवेन्यू बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, आरपीएससी हैं। उदयपुर में भी आबकारी, देवस्थान विभाग, माइंस एंड जूलॉजी, जनजाति आयुक्तव यूनिवर्सिटी हैं। मौजूदा राजधानी जयपुर तो विकास की दौड़ में काफी आगे निकल गया है। यहां अब मेट्रो ट्रेन चलने वाली है।
 
 
राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण पिछड़े हम 
 
इतिहासकार जगतनारायण के अनुसार नेताओं की इच्छाशक्ति में कमी का खामियाजा कोटा भुगत रहा है। यहां विमानसेवा व हाईकोर्ट बैंच के लिए लोग लड़ रहे हैं। पूरे प्रदेश को बिजली व नहरों का पानी दे रहे हैं। यहां कारखाने तो खूब लगे, लेकिन वे शहर के विकास में हिस्सेदारी नहीं दे रहे। नेता ही नहीं चाहते कि यहां प्रदेश स्तरीय सेवाएं हों, इसलिए आज भी शहर पिछड़ रहा है। यदि महाराव भीमसिंह द्वितीय राजस्थान के निर्माण की पहल नहीं करते, तो इसका निर्माण नहीं होता।
 
ये तो मिलना ही चाहिए था
 
'लोकल ट्रांसपोर्ट के सिटी बसें। ञ्च इंडस्ट्रियल डवलपमेंट के लिए सेज। ञ्चसालों से सूने पड़े एयरपोर्ट पर एयर सर्विस। ञ्च पुलिस में कमिश्नरेट प्रणाली।'
 
हाईकोर्ट बैंच और रेवेन्यू की डबल बैंच।

एक अनहोनी...और पूरी न हो सकी तीर्थ यात्रा, भयावह चीखों से थर्रा उठा सारा मंजर...



अमृतसर. खून से लथपथ सड़क, लोगों के कराहने की आवाजें और टूटी खिड़कियों से बाहर निकलने की कोशिश करते यात्री। ऐसा भयानक मंजर था सुबह 4.30 बजे मानांवाला स्थित टोल प्लाजा के समीप। यहां कोलकाता से ७० श्रद्धालुओं को लेकर आ रही एक बस खड़े ट्रक से टकरा गई, जिससे इन तीर्थ यात्रियों की यात्रा अधूरी ही रह गई। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई। अमृतसर की धरती पर पहुंच कर भी यह बदनसीब श्रद्धालु दरबार साहिब के दर्शन न कर सके। हादसा न होता तो इन श्रद्धालुओं को आगे हरिद्वार जाना था।
बस मुसाफिरों ने बताया कि सुबह के समय सब सो रहे थे। इतने में जोरदार झटके से सभी की नींद खुल गई। कुछ पलों तक तो किसी को कुछ समझ ही नहीं आया। उन्होंने बताया कि जब वे कोलकाता से चले थे तो कभी नहीं सोचा था कि ऐसी दुर्घटना भी हो सकती है।
ट्रक ड्राइवर बलदेव सिंह ने बताया कि वह सुबह ट्रक को सड़क की साइड में लगाकर सामने फैक्टरी में बातचीत करने के लिए गया था। जैसे ही वह फैक्टरी से बाहर निकला तो एक बस तेजी से आती दिखी। देखते ही देखते ये उसके ट्रक से टकराई और इसमें बैठी दो सवारियां बाहर आ गिरीं। वहीं बस 200
मीटर तक घिसटती हुई सड़क के दूसरे छोर पर चली गई।
आड़े आई भाषा
सभी मुसाफिर कोलकाता के है। इनमें से न तो कोई हिंदी जानता है और न ही इंग्लिश।  पुलिस वाले कुछ भी कहते तो वह सही तरीके से जवाब भी नहीं दे पा रहे थे।

संदेश यात्रा को सीएम ने बनाया सरकारी दौरा


 

जयपुर.कांग्रेस संदेश यात्रा के पहले चरण में दो दिन के दौरे को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी दौरा बना दिया है। मुख्यमंत्री का इस दौरे का सरकारी कार्यक्रम जारी हुआ है। दो दिन के इस दौरे में कांग्रेस की जो जनसभाएं रखी गई हैं, उन्हें भी सरकारी कार्यक्रम में शामिल किया। 
 
बस्सी की जनसभा, दौसा में आरओबी का लोकार्पण, गीजगढ़ की जनसभा, करौली के दानालपुर में रविवार को मुख्यमंत्री बीपीएल आवास योजना के चेक वितरण कार्यक्रम, हिंडौन व करौली की जनसभाओं और कैलादेवी में जीएसएस लोकार्पण कार्यक्रम को सरकारी दौरे में शामिल किया। मुख्यमंत्री के संदेश यात्रा के दो दिन के कार्यक्रम को सरकारी दौरा बताने का  सूचना व जनसंपर्क विभाग से बाकायदा प्रेस नोट भी जारी किया गया है। 
 
यात्रा का पहला चरण शनिवार से शुरू हो रहा है। इसमें मुख्यमंत्री, प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक, प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान और सहप्रभारी अरुण यादव के साथ राजनीतिक यात्रा के हिसाब से शामिल हो रहे हैं। मुख्यमंत्री इसमें कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में  शामिल हो रहे हैं। ऐसे में दो दिन के इस राजनीतिक दौरे में शामिल कार्यक्रमों को सरकारी दौरा बनाने पर सवाल उठ रहे हैं और इस पर राजनीतिक विवाद होना तय माना जा रहा है। 
 
 
यात्रा पार्टी का कार्यक्रम : चंद्रभान  
 
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान का कहना है कि यात्रा के सभी कार्यक्रम पूरी तरह कांग्रेस के राजनीतिक कार्यक्रम हैं, इनमें सरकार की कोई भागीदारी नहीं है और न इन कार्यक्रमों में हम किसी सरकारी अफसर या कर्मचारी को अनुमति देंगे। मुख्यमंत्री यात्रा में साथ रहेंगे, इस दौरान वे किसी सरकारी कार्यक्रम में भाग ले लेंगे तो उसमें कोई हर्ज नहीं। मुख्यमंत्री की हर यात्रा का सरकारी कार्यक्रम तो जारी होता ही है। 
 
दो दिन में 25 कार्यक्रम, 7 सभाएं
 
संदेश यात्रा  शनिवार सुबह 10 बजे प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से रवाना होगी। मुकुल वासनिक, अशोक गहलोत, चंद्रभान और अरुण यादव  पूरे समय यात्रा के साथ रहेंगे। 30 मार्च को बस्सी, दौसा, गीजगढ़ और नादौती में जनसभाएं होंगी। महावीर जी में रात्रि विश्राम होगा। दूसरे दिन 31 मार्च को हिण्डौन, करौली और कैलादेवी में जनसभाएं होंगी। जयपुर से कैलादेवी तक यात्रा का रूट तय कर दिया है। 
 
 
महेंद्र सिंह, अजीत शेखावत प्रभारी
 
यात्रा के पहले चरण के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह और सचिव डॉ. अजीत सिंह शेखावत को प्रभारी बनाया। दोनों नेता यात्रा की व्यवस्थाएं देखेंगे। यात्रा के लिए नेताओं ने अपनी जिम्मेदारियां भी संभाल ली है।

पोप ने धोए, चूमे मुस्लिम महिला कैदी के पांव



रोम. पोप फ्रांसिस अपनी नियुक्ति के कुछ दिनों के भीतर ही विवादों में घिरते दिख रहे हैं। नए पोप गुरुवार को 'मास ऑफ द लॉर्ड्स सुपर' के लिए रोम के कैसल डेल मारमो सुधार गृह पहुंचे, जहां उन्होंने कैदियों के साथ भोजन ग्रहण किया और 12 किशोर कैदियों के पांव धोए। इन कैदियों में दो महिलाएं भी थीं, इनमें से एक मुस्लिम थी।
 
नए पोप का यह कदम कई लोगों को रास नहीं आ रहा है। चर्च के नियमों के मुताबिक पुरुषों के लिए 'होली थर्सडे' की रस्‍म अदायगी करने पर पाबंदी है। इससे पहले अभी तक किसी पोप ने किसी महिला के पांव नहीं धोए थे। ऐसे में रूढ़िवादियों और कर्मकांडियों के बीच यह बहस तेज हो गई है कि आखिर पोप ने यह नियम क्‍यों तोड़ा। इनका यह भी आरोप है कि नए पोप ने ऐसी 'मिसाल' पेश की है जो सवालों के घेरे में है।
 
हालांकि उदारवादियों ने नए पोप के इस कदम का स्‍वागत किया है। इनके मुताबिक यह चर्च की समग्रता का संकेत है।

मोदी से मुलाकात की कीमत आठ लाख रुपये!



नई दिल्‍ली. गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी से अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। शिकागो के अखबार हाई इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरे के आयोजकों ने मोदी से मुलाकात के नाम पर प्रतिनिधिमंडल में शामिल कारोबारियों से पैसे लिए हैं। खबर है कि आयोजकों ने इस दौरे में शामिल होने के लिए प्रति व्यक्ति 3,000 डॉलर (करीब डेढ़ लाख रुपये) से लेकर 16,000 डॉलर (करीब आठ लाख रुपये) तक की राशि रखी थी।
अमेरिकी कांग्रेस के रिपब्लिकन सांसद एरोन शॉक के नेतृत्व में 18 सदस्यीय दल गुरुवार को नरेंद्र मोदी से मिलने उनके सरकारी आवास पहुंचा। अहमदाबाद में साबरमती आश्रम का दौरा करने के बाद प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मोदी और राज्‍य के उच्‍चस्तरीय अधिकारियों के साथ बंद कमरे में एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत की।

कुरान का सन्देश

अरबों की लागत से बना दुनिया का सबसे बड़ा सोने का सिक्का



PIX: अरबों की लागत से बना दुनिया का सबसे बड़ा सोने का सिक्काPrevious Image
ईदुनिया में लोगों के लिए एक बड़ा निवेश कर रखा है, जब बाजार ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा हो तो सोना सबसे बढिय़ा काम करता है। पिछले कुछ समय से आप देख रहे हैं कि गोल्ड में निवेश करना सबसे बेहतर है। लोग इसमें निवेश के लिए सोने के सिक्के खरीदते हैं। आप अपने इस निवेश को कभी भी कहीं भी मुद्रा में बदल सकते हैं। पूंजी के सही उपयोग के लिए गोल्ड में निवेश एक बढिय़ा विकल्प माना जाता है। दुनिया में सोने का अपना महत्व है और यह गरीब से लेकर अमीरों तक की सबकी पसंद बना हुआ है।
  अभी हाल ही में दुनिया में सोने का सबसे बड़ा सिक्का बनाया गया है। इसकी कीमत करोड़ों में है। यह सिक्का इतना बड़ा है, जिसमें कई लग्जरी कारें खरीदी जा सकती है। अरबों की लागत से बना यह दुनिया का सबसे बड़ा सोने का सिक्का निश्चित रूप से करोड़ों रुपये का सोने का निवेश करने वाले रईसों और हाई लग्जरी लाइफ जीने वाले लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनेगा। इस सोने के सिक्के को बनाने में सैकड़ो किलो शुद्ध सोना लगाया गया है।

इसी साल होंगे चुनाव? मनमोहन का तीसरे टर्म से इनकार नहीं


 

नई दिल्‍ली। अपने शांत स्‍वभाव के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बातों बातों में इस बात का संकेत दे दिया है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद वह भी प्रधानमंत्री की दौड़ में शुमार हैं। प्रधानमंत्री के इस संकेत से राजनीति के गलियारों में भूचाल आ गया है। मनमोहन सिंह के इस संकेत से कांग्रेस सकते में हैं। जिसके बाद कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का चयन चुनकर आने वाले सांसद और कांग्रेस आलाकमान ही करेगा।
 
मनमोहन सिंह का बयान इस लिए भी मायने रखता है, क्‍योंकि पूरी कांग्रेस राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने का ख्‍वाब देख रही है। दिग्विजय सिंह से लेकर बेनी प्रसाद वर्मा तक राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते हैं। 
 
पीएम मनमोहन सिंह ने भरोसा जताया है कि केंद्र में यूपीए की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। अगर सपा यूपीए से समर्थन वापस भी ले लेती है तो सरकार को कोई खतरा नहीं है। मनमोहन सिंह ने बतौर पीएम अपने तीसरे कार्यकाल से भी इनकार नहीं किया है।
 
डरबन से लौटते समय विशेष विमान में पत्रकारों ने जब पीएम से सवाल किया कि यदि अगले आम चुनाव में भी यूपीए की सरकार बनती है और सोनिया गांधी उन्‍हें पीएम बनाए रखना चाहती हैं तो यह उन्‍हें कबूल होगा। मनमोहन ने इस पर कहा, 'यह एक काल्‍पनिक सवाल है। वक्‍त आने पर देखा जाएगा।'  
 
हालांकि कांग्रेस प्रवक्‍ता राशिद अल्‍वी ने कहा है कि देश का अगला पीएम कौन होगा, इसका फैसला चुने हुए सांसद और कांग्रेस आलाकमान करेगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता दिल से चाहते हैं कि राहुल गांधी देश के पीएम बनें। लेकिन मनमोहन सिंह इस वक्‍त देश के पीएम हैं। 
 
पीएम के बयान के बाद मुलायम सिंह की तरफ से तो कोई बयान नहीं आया है लेकिन उनकी पार्टी ने कहा है कि उन्‍होंने न तो केंद्र में सरकार बनवाई और न ही सरकार गिराएंगे। यूपी सरकार में मंत्री आजम खान ने कहा कि सपा देश में सांप्रदायिक शक्तियों को सत्‍ता में आने का कोई मौका नहीं देना चाहती है। यह अलग बात है कि कांग्रेस कितनी धर्मनिरपेक्ष है लेकिन बीजेपी को सांप्रदायिक पार्टी है ही। 
 
बीजेपी ने कहा है कि देश में कोई भी मनमोहन को पीएम के तौर पर नहीं देखना चाहता है। बीजेपी प्रवक्‍ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'भारत जैसे बड़े देश में मनमोहन सिंह का बतौर पीएम नौ साल का कार्यकाल चिंता का विषय है। देश की जनता आने वाले पांच वर्षों के दौरान उन्‍हें पीएम के तौर पर देखना चाहेगी, इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है।' प्रसाद ने यह भी कहा कि बीजेपी का सपा के साथ कोई गठबंधन पहले भी नहीं रहा है और न ही ऐसा होने जा रहा है। 
 
इससे पहले, सपा मुखिया मुलायम सिंह ने कहा कि उनके पास इस बात की जानकारी है कि केंद्र सरकार जल्‍द गिरेगी और चुनाव इस साल अक्‍टूबर-नवंबर में हो सकते हैं। 
 
यूपीए और सपा के बीच जारी खींचतान के बीच चिदंबरम ने यूपी के सीएम अखिलेश सिंह की तारीफ की है। उन्‍होंने मुलायम सिंह को भरोसा दिलाया कि यूपीए की सरकार यूपी के विकास के लिए उनके साथ खड़ी है। 
 
पिछले कुछ वक्‍त से देखने में आया है कि कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी की पकड़ पार्टी में कुछ कमजोर पड़ी है। सोनिया गांधी के लाख चाहने के बावजूद फूड सिक्‍यूरिटी बिल में सरकार ने संशोधित किया। जबकि, सोनिया और उनकी टीम एक मजबूत फूड सिक्‍यूरिटी बिल चाहती थी। इसी तरह पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने सोनिया पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि उनका मानना है कि सत्‍ता का दो केंद्र नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री को ही सबकुछ करने का अधिकार होना चाहिए। हालांकि, दिग्विजय सिंह के इस बयान पर अधिक बवाल तो नहीं मचा लेकिन कांग्रेस की राजनीति पर नजर रखने वाले इस बयान का कई अर्थ निकाल रहे हैं। 
 
पिछले मंगलवार को ही कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था, `उन्‍होंने (राहुल गांधी) ने ऐसा कहीं नहीं कहा। मीडिया में जो कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं, उससे उलझन पैदा हुई हैं। यदि देश की जनता चाहेगी तो वह (राहुल) क्‍यों नहीं (पीएम पद के कांग्रेस उम्‍मीदवार) हो सकते हैं। राहुल गांधी ने कहीं नहीं कहा कि वह प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनना चाहते। देश की जनता चाहेगी तो गांधी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनना चाहेंगे।` 
 
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने कुछ दिन पूर्व पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों एवं विधायक दल के नेताओं के साथ बैठक में उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने को लेकर बयानबाजी किए जाने पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि भविष्य में वह इस तरह की बातें नहीं सुनना चाहते।

मुशर्रफ को जज ने दी राहत, पर वकील ने मारा जूता



कराची। तालिबान की धमकियों के बावजूद चुनाव लड़ने के लिए सालों बाद पाकिस्तान आए पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यहां उन पर सिंध कोर्ट में जूता फेंका गया। पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए वे  कोर्ट में जमानत की अर्जी के लिए आए थे। सिंध हाईकोर्ट द्वारा दी गई उनकी जमानत की मियाद शुक्रवार को खत्म हो रही थी।
 
अचानक हुए इस हमले से बौखलाए सुरक्षाकर्मी आनन फानन में मुशर्रफ को हाइकोर्ट से नि‍कालकर बाहर ले गए।  कराची हाईकोर्ट में पूर्व राष्‍ट्रपति एक मामले में जमानत के लि‍ए गए थे। हाईकोर्ट ने परवेज मुशर्रफ की जमानत की अवधि 15 दि‍न के लि‍ए बढ़ा दी है। इसके बाद जब परवेज मुशर्रफ कोर्ट से बाहर नि‍कल रहे थे, हाईकोर्ट के गलि‍यारे में एक वकील ने उन पर जूता फेंक दि‍या। इसके बाद पूरे हाईकोर्ट में अफरा तफरी मच गई।
 

मुशर्रफ को जज ने दी राहत, पर वकील ने मारा जूता
इससे पूर्व चार साल बाद दुबई और लंदन में निर्वासन बिता कर 24 मार्च को पाकिस्तान लौटे मुशर्रफ का स्वागत बड़े जोर-शोर किया गया था। वहीं, उनके विरोधी संगठनों में स्वदेश लौटने को लेकर नाराजगी थी।
 
मुशर्रफ पर जूता फेंकने की कोई नई घटना नहीं है। 6 फरवरी 2011 में खुर्रम शहजाद नाम के जवान लड़के ने लंदन में जूता मारा था। मुशर्रफ उस दौरान पाकिस्तान मूल के लोगों के बीच भाषण दे रहे थे। अमेरिका का साथ देने के विरोध में जूता फेंका गया था।

सिंध हाईकोर्ट ने मुशर्रफ की जमानत 15 दिन के लिए बढ़ा दी है। मुशर्रफ शुक्रवार को जमानत की अवधि खत्म होने पर कोर्ट पहुंचे थे। 21 मार्च को कोर्ट की ओर से दी गई 10 दिन की जमानत के बाद उनका स्वेदश आना संभव हो सका था। मुशर्रफ को 3 नवंबर 2007 को पाकिस्तान में आपातकाल लगाने के बाद 62 न्यायाधीशों को अवैध कारावास में रखने में मामले में जमानत दी गई है। पाकिस्तान आने से पहले मुर्शरफ का मानना था कि उनकी पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग चुनावों के लिए तैयार नहीं हैं। आगामी चुनावों में उनकी बनाई रणनीति को तगड़ा झटका लग सकता है।


 
 

 
 
 
 
 

 
 

म्‍यांमार में हालात बेकाबू: बौद्ध दंगाइयों ने दिनदहाड़े मुसलमानों को जिंदा जलाया dainikbhaskar.com | Mar 29, 2013, 15:55PM IST Show Thumbnails 1 of 11 Photos Previous ImagePrev NextNext Image म्‍यांमार में हालात बेकाबू: बौद्ध दंगाइयों ने दिनदहाड़े मुसलमानों को जिंदा जलाया यांगून. ट्यूनीशि‍या की एक 19 वर्ष की लड़की अमीना ने इसी महीने के दूसरे हफ्ते में अपने सीने पर "F**k your morals" लिखा और वह तस्‍वीर (देखें) फेसबुक पर अपलोड कर दी। उसके विरोध में कट्टरपंथी खड़े हुए तो दुनिया भर की महिलाओं ने फेसबुक पर अपनी टॉपलेस तस्‍वीरें (देखें) अपलोड कर इसका अहिंसक विरोध किया। पर म्‍यांमार में इन दिनों हिंसा चरम पर है। म्‍यांमार का बागो रीजन इन दिनों हिंसा की आग में झुलस रहा है। बौद्ध समुदाय के लोगों की भीड़ ने मुसलमानों को जिंदा जला दिया है। ये घटनाएं दिनदहाड़े पुलिस की मौजूदगी में हुईं। घटना मेकटिलर शहर की है जहां '969 कैम्‍पेन' से जुड़े बौद्धों ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में मुस्लिमों के घरों और मस्जिदों को आग के हवाले कर दिया। आरोप है कि अधिकारियों ने अपनी आंखों के सामने यह सब कुछ होते देखा और दखल की कोशिश तक नहीं की।


यांगून.  ट्यूनीशि‍या की एक 19 वर्ष की लड़की अमीना ने इसी महीने के दूसरे हफ्ते में अपने सीने पर "F**k your morals" लिखा और वह तस्‍वीर) फेसबुक पर अपलोड कर दी। उसके विरोध में कट्टरपंथी खड़े हुए तो दुनिया भर की महिलाओं ने फेसबुक पर अपनी टॉपलेस तस्‍वीरें () अपलोड कर इसका अहिंसक विरोध किया। पर म्‍यांमार में इन दिनों हिंसा चरम पर है। म्‍यांमार का बागो रीजन इन दिनों हिंसा की आग में झुलस रहा है। बौद्ध समुदाय के लोगों की भीड़ ने मुसलमानों को जिंदा जला दिया है। ये घटनाएं दिनदहाड़े पुलिस की मौजूदगी में हुईं। घटना मेकटिलर शहर की है जहां '969 कैम्‍पेन' से जुड़े बौद्धों ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में मुस्लिमों के घरों और मस्जिदों को आग के हवाले कर दिया। आरोप है कि अधिकारियों ने अपनी आंखों के सामने यह सब कुछ होते देखा और दखल की कोशिश तक नहीं की। 
 
सेंट्रल म्‍यांमार के दंगाग्रस्‍त बागो रीजन के तीन इलाकों - मिन्‍हला, मोएन्‍यो और लाटपडान में हालात बेकाबू हो गए हैं। उपद्रवियों की भीड़ ने गुरुवार को भी कई घरों, दुकानों, धार्मिक इमारतों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया है।

म्‍यांमार में हालात बेकाबू: बौद्ध दंगाइयों ने दिनदहाड़े मुसलमानों को जिंदा जलाया
उपद्रवियों को काबू में करने के लिए सुरक्षा बलों को फायरिंग करनी पड़ी है। स्‍थानीय मीडिया के मुताबिक दंगों के बाद सुरक्षा व्‍यवस्‍था और कड़ी कर दी गई है। लाटपडान में हिंसा भड़काने के आरोप में दो संदिग्‍धों को हिरासत में लिया गया है।

म्‍यांमार में हालात बेकाबू: बौद्ध दंगाइयों ने दिनदहाड़े मुसलमानों को जिंदा जलाया
स्‍थानीय अधिकारियों ने बागो रीजन के पांच शहरों - ग्‍योपिनगॉक, मिन्‍हाला, ओकफो, नट्टालिन और जिगोन में बीते मंगलवार से ही कर्फ्यू लगा रखा है। इन इलाकों में हिंसा की घटनाएं उस वक्‍त सामने आईं जब 22 मार्च को मेखटिला में सेना के दखल से इमरजेंसी लगाने के बाद शहर में हालात सामान्‍य होते दिख रहे थे।

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