जयपुर.अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत)
ने 1 मई को सामूहिक अवकाश करने और 4 जुलाई से प्रदेश में हड़ताल करने की
घोषणा की। महासंघ की रविवार को जल भवन स्थित गेस्ट हाउस में प्रदेश
कार्यकारिणी व जिला अध्यक्षों की संयुक्त बैठक में यह निर्णय लिया गया।
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रसिंह ने कहा कि कर्मचारियों को छठे
वेतन आयोग का लाभ केंद्र के समान 1 जुलाई 2006 से नहीं दिया गया। सरकार ने
कृष्णा भटनागर समिति की रिपोर्ट को आंशिक रूप से लागू कर कर्मचारियों से
धोखा किया। लाखों कर्मचारी वेतन विसंगति के दूर होने की उम्मीद लगाए बैठे
थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अब कर्मचारियों के पास आंदोलन के सिवाय कोई चारा नहीं है। महासंघ के
प्रवक्ता शशिभूषण शर्मा ने कहा कि 25 अप्रैल को जिला मुख्यालयों पर
प्रदर्शन कर जिला कलेक्टरों को हड़ताल व सामूहिक अवकाश का नोटिस दिया
जाएगा। इसके बाद 1 मई को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इसके बाद भी सरकार ने
मांग नहीं मानी तो वे 4 जुलाई से हड़ताल पर चले जाएंगे।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के अध्यक्ष
गजेंद्र सिंह और उपाध्यक्ष विजय उपाध्याय ने राज्य सरकार की घोषणा को
कर्मचारियों के साथ वादाखिलाफी करार दिया। सरकार ने कर्मचारियों को आपस में
बांट दिया। सरकार 17 से अधिक भत्तों व 7 लाख कर्मचारी व 3 लाख पेंशनर्स का
एरियर हजम कर गई। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राजस्थान शिक्षक संघ
(सियाराम) के अध्यक्ष सियाराम शर्मा ने भटनागर समिति की रिपोर्ट को
सार्वजनिक करने की मांग की।
वेतन विसंगतियां दूर नहीं, कर्मचारी संगठन संघर्ष की राह पर
कृष्णा भटनागर समिति की रिपोर्ट लागू करने के बाद भी कर्मचारियों के
कई वर्गो की वेतन विसंगतियां दूर नहीं करने से नाराज कई कर्मचारी संगठनों
ने सरकार को चेतावनी देते हुए संघर्ष की घोषणा कर दी। राजस्थान पशु
चिकित्सक संघ ने 10 अप्रैल को काली पट्टी बांधने, 18 अप्रैल को सामूहिक
अवकाश पर जाने और 29 अप्रैल को जयपुर में राज्य स्तरीय सांकेतिक धरना देने
की घोषणा की।
वहीं, राजस्थान सहायक कर्मचारी संघ ने सोमवार को बैठक कर आरपार की
लड़ाई का फैसला करने की घोषणा की। राजस्थान पशु चिकित्सक संघ के अध्यक्ष
लखाराम ने कहा कि वेतन आयोग की अनुशंसा के बावजूद पशु चिकित्सकों को मानव-
दंत चिकित्सकों के समकक्ष वेतन श्रंखला और डीएसीपी का लाभ राज्य सरकार ने
नहीं दिया।
राजस्थान सहायक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष गंगाराम डिडवानिया,
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मदन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार चतुर्थ श्रेणी
कर्मचारियों को जनवरी, 2006 से पे बैंड (5200-20200) में ग्रेड पे 1800 का
परिलाभ दिया जा रहा है। साथ ही 10, 20, 30 वर्ष पर 1900, 2100 और 2400 रुपए
का परिलाभ दिया जा रहा है, जबकि राजस्थान में 4740-7440 में 9, 18, 27
वर्ष पर 1400, 1650 और 1800 रुपए का परिलाभ ही दिया जा रहा है। अल्पवेतन
भोगी कर्मचारियों के साथ सरकार ने विश्वासघात किया है। इस बारे में सोमवार
को बैठक कर फैसला किया जाएगा।
व्याख्याताओं ने किया विरोध
राजस्थान शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ (रेसला) ने भटनागर समिति की
रिपोर्ट लागू करने के नाम पर व्याख्याताओं के साथ ग्रेड पे में भेदभाव करने
का आरोप लगाया। जिलामंत्री राजेंद्र कुमार का कहना है कि सरकार ने उनका
ग्रेड पे 4600 किया है, जबकि वे केंद्र के समान 4800 करने की मांग कर रहे
थे। यही नहीं सरकार ने अभी तक पदोन्नति में मंत्रिमंडलीय सिफारिश को भी
मंजूरी नहीं दी और उन्हें प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति में 67:33 का लाभ अब तक
नहीं दिया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि मांग नहीं मानी तो वे 14 अप्रैल से
मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
इन्होंने जताया आभार
राजस्थान परिवहन निरीक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह राठौड़
ने कहा कि उनकी 25 साल पुरानी मांग मान ली गई है। इससे निरीक्षकों में खुशी
है। अखिल राजस्थान एससी, एसटी, ओबीसी अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त महासंघ के
प्रदेशाध्यक्ष रामस्वरूप मीणा ने सिफारिशें लागू करने के लिए मुख्यमंत्री
का आभार जताया। राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष
सूरजप्रकाश टाक ने छठे वेतन आयोग का लाभ 1 जनवरी, 2006 से देने पर सरकार की
सराहना की है।